जय श्री कृष्णा, ब्लॉग में आपका स्वागत है यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें। मैं हर इंसान के लिए ज्ञान के प्रसार के बारे में सोच कर इस ब्लॉग को बनाए रख रहा हूँ। धन्यवाद, "साँवरिया " #organic #sanwariya #latest #india www.sanwariya.org/
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शनिवार, 1 दिसंबर 2012
शुक्रवार, 30 नवंबर 2012
दूध पीने के नियम --
दूध पीने के नियम --
बोर्नविटा , होर्लिक्स के विज्ञापनों के चलते माताओं के मन में यह बैठ
जाता है की बच्चों को ये सब डाल के दो कप दूध पिला दिया बस हो गया . चाहे
बच्चे दूध पसंद करे ना करे , उलटी करे , वे किसी तरह ये पिला के ही दम लेती
है . फिर भी बच्चों में केशियम की कमी , लम्बाई ना बढना , इत्यादि
समस्याएँ देखने में आती है .आयुर्वेद के अनुसार दूध पिने के कुछ नियम है
---
- सुबह सिर्फ काढ़े के साथ दूध ...लिया जा सकता है .
- दोपहर में छाछ पीना चाहिए . दही की प्रकृति गर्म होती है ; ज
बकि छाछ की ठंडी .
- रात में दूध पीना चाहिए पर बिना शकर के ; हो सके तो गाय का घी १- २
चम्मच दाल के ले . दूध की अपनी प्राकृतिक मिठास होती है वो हम शकर डाल देने
के कारण अनुभव ही नहीं कर पाते .
- एक बार बच्चें अन्य भोजन लेना शुरू
कर दे जैसे रोटी , चावल , सब्जियां तब उन्हें गेंहूँ , चावल और सब्जियों
में मौजूद केल्शियम प्राप्त होने लगता है . अब वे केल्शियम के लिए सिर्फ
दूध पर निर्भर नहीं .
- कपालभाती प्राणायाम और नस्य लेने से बेहतर
केशियम एब्ज़ोर्प्शन होता है और केल्शियम , आयरन और विटामिन्स की कमी नहीं
हो सकती साथ ही बेहतर शारीरिक और मानसिक विकास होगा .
- दूध के साथ कभी भी नमकीन या खट्टे पदार्थ ना ले .त्वचा विकार हो सकते है .
- बोर्नविटा , कॉम्प्लान या होर्लिक्स किसी भी प्राकृतिक आहार से अच्छे
नहीं हो सकते . इनके लुभावने विज्ञापनों का कभी भरोसा मत करिए . बच्चों को
खूब चने , दाने , सत्तू , मिक्स्ड आटे के लड्डू खिलाइए
- प्रयत्न करे की देशी गाय का दूध ले .
- जर्सी या दोगली गाय से भैंस का दूध बेहतर है .
- दही अगर खट्टा हो गया हो तो भी दूध और दही ना मिलाये , खीर और कढ़ी एक साथ ना खाए . खीर के साथ नामकी पदार्थ ना खाए .
- अधजमे दही का सेवन ना करे .
- चावल में दूध के साथ नमक ना डाले .
- सूप में ,आटा भिगोने के लिए , दूध इस्तेमाल ना करे .
- द्विदल यानी की दालों के साथ दही का सेवन विरुद्ध आहार माना जाता है .
अगर करना ही पड़े तो दही को हिंग जीरा की बघार दे कर उसकी प्रकृति बदल लें .
- रात में दही या छाछ का सेवन ना करे .
- एक बार बच्चें अन्य भोजन लेना शुरू कर दे जैसे रोटी , चावल , सब्जियां तब उन्हें गेंहूँ , चावल और सब्जियों में मौजूद केल्शियम प्राप्त होने लगता है . अब वे केल्शियम के लिए सिर्फ दूध पर निर्भर नहीं .
- कपालभाती प्राणायाम और नस्य लेने से बेहतर केशियम एब्ज़ोर्प्शन होता है और केल्शियम , आयरन और विटामिन्स की कमी नहीं हो सकती साथ ही बेहतर शारीरिक और मानसिक विकास होगा .
- दूध के साथ कभी भी नमकीन या खट्टे पदार्थ ना ले .त्वचा विकार हो सकते है .
- बोर्नविटा , कॉम्प्लान या होर्लिक्स किसी भी प्राकृतिक आहार से अच्छे नहीं हो सकते . इनके लुभावने विज्ञापनों का कभी भरोसा मत करिए . बच्चों को खूब चने , दाने , सत्तू , मिक्स्ड आटे के लड्डू खिलाइए
- प्रयत्न करे की देशी गाय का दूध ले .
- जर्सी या दोगली गाय से भैंस का दूध बेहतर है .
- दही अगर खट्टा हो गया हो तो भी दूध और दही ना मिलाये , खीर और कढ़ी एक साथ ना खाए . खीर के साथ नामकी पदार्थ ना खाए .
- अधजमे दही का सेवन ना करे .
- चावल में दूध के साथ नमक ना डाले .
- सूप में ,आटा भिगोने के लिए , दूध इस्तेमाल ना करे .
- द्विदल यानी की दालों के साथ दही का सेवन विरुद्ध आहार माना जाता है . अगर करना ही पड़े तो दही को हिंग जीरा की बघार दे कर उसकी प्रकृति बदल लें .
- रात में दही या छाछ का सेवन ना करे .
घमंड चूर-चूर
एक
गांव में सप्ताह के एक दिन प्रवचन का आयोजन होता था। इसकी व्यवस्था गांव
के कुछ प्रबुद्ध लोगों ने करवाई थी ताकि भोले-भाले ग्रामीणों को धर्म का
कुछ ज्ञान हो सके। इसके लिए एक दिन एक ज्ञानी पुरुष को बुलाया गया। गांव
वाले समय से पहुंच गए। ज्ञानी पुरुष ने पूछा - क्या आपको मालूम है कि मैं
क्या कहने जा रहा हूं? गांव वालों ने कहा - नहीं तो...। ज्ञानी पुरुष
गुस्से में भरकर बोले - जब आपको पता ही नहीं कि मैं
क्या कहने जा रहा हूं तो फिर क्या कहूं। वह नाराज होकर चले गए।
गांव के सरपंच उनके पास दौड़े हुए पहुंचे और क्षमायाचना करके कहा कि गांव
के लोग तो अनपढ़ हैं, वे क्या जानें कि क्या बोलना है। किसी तरह उन्होंने
ज्ञानी पुरुष को फिर आने के लिए मना लिया। अगले दिन आकर उन्होंने फिर वही
सवाल किया -क्या आपको पता है कि मैं क्या कहने जा रहा हूं? इस बार गांव
वाले सतर्क थे। उन्होंने छूटते ही कहा - हां, हमें पता है कि आप क्या
कहेंगे। ज्ञानी पुरुष भड़क गए। उन्होंने कहा -जब आपको पता ही है कि मैं
क्या कहने वाला हूं तो इसका अर्थ हुआ कि आप सब मुझसे ज्यादा ज्ञानी हैं।
फिर मेरी क्या आवश्यकता है? यह कहकर वह चल पड़े।
गांव वाले दुविधा
में पड़ गए कि आखिर उस सज्जन से किस तरह पेश आएं, क्या कहें। उन्हें फिर
समझा-बुझाकर लाया गया। इस बार जब उन्होंने वही सवाल किया तो गांव वाले उठकर
जाने लगे। ज्ञानी पुरुष ने क्रोध में कहा - अरे, मैं कुछ कहने आया हूं तो
आप लोग जा रहे हैं। इस पर कुछ गांव वालों ने हाथ जोड़कर कहा - देखिए, आप
परम ज्ञानी हैं। हम गांव वाले मूढ़ और अज्ञानी हैं। हमें आपकी बातें समझ
में नहीं आतीं। कृपया अपने अनमोल वचन हम पर व्यर्थ न करें। ज्ञानी पुरुष
अकेले खड़े रह गए। उनका घमंड चूर-चूर हो गया।
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