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शनिवार, 19 सितंबर 2020

मोदी सरकार ने पद्मश्री के लिए खोज के निकालाहलधर नाग : उड़‍िया लोक-कवि

#सुनो
साहिब-दिल्ही आने तक के पैसे नही हैं कृपया पुरुस्कार डाक से भिजवा दो ।।

जिसके नाम के आगे कभी श्री नहीं लगाया गया, 3 जोड़ी कपड़े, एक टूटी रबड़ की चप्पल  एक बिन कमानी का चश्मा और जमा पूंजी 732 रुपया का मालिक 
 पद्मश्री से उद्घोषित होता है ।।
ये हैं ओड़िशा के हलधर नाग ।
जो कोसली भाषा के प्रसिद्ध कवि हैं। ख़ास बात यह है कि उन्होंने जो भी कविताएं और 20 महाकाव्य अभी तक लिखे हैं, वे उन्हें ज़ुबानी याद हैं। अब संभलपुर विश्वविद्यालय में उनके लेखन के एक संकलन ‘हलधर ग्रन्थावली-2’ को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा। सादा लिबास, सफेद धोती, गमछा और बनियान पहने, नाग नंगे पैर ही रहते हैं। ऐसे हीरे को चैनलवालों ने नहीं, मोदी सरकार ने पद्मश्री के लिए खोज के  निकाला
हलधर नाग : 
उड़‍िया लोक-कवि हलधर नाग के बारे में जब आप जानेंगे तो प्रेरणा से ओतप्रोत हो जायेंगे। हलधर एक गरीब दलित परिवार से आते हैं। 10 साल की आयु में मां बाप के देहांत के बाद उन्‍होंने तीसरी कक्षा में ही पढ़ाई छोड़ दी थी। अनाथ की जिंदगी जीते हुये ढाबा में जूठे बर्तन साफ कर कई साल  गुजारे। बाद में एक स्कूल में रसोई की देखरेख का काम मिला। कुछ वर्षों बाद बैंक से 1000 रु कर्ज लेकर पेन-पेंसिल आदि की छोटी सी दुकान उसी स्कूल के सामने खोल ली जिसमें वे छुट्टी के समय पार्टटाइम बैठ जाते थे। यह तो थी उनकी अर्थ व्यवस्था। अब आते हैं उनकी साहित्यिक विशेषता पर। हलधर ने 1995 के आसपास स्थानीय उडिया भाषा में ''राम-शबरी '' जैसे कुछ धार्मिक प्रसंगों पर लिख लिख कर लोगों को सुनाना शुरू किया। भावनाओं से पूर्ण कवितायें लिख जबरन लोगों के बीच प्रस्तुत करते करते वो इतने लोकप्रिय हो गये कि  राष्ट्रपति ने उन्हें साहित्य के लिये पद्मश्री प्रदान किया। इतना ही नहीं 5 शोधार्थी अब उनके साहित्य पर PHd कर रहे हैं जबकि स्वयं हलधर तीसरी कक्षा तक पढ़े हैं।
आभार मोदीजी ऐसे व्यक्ति को चुनने के लिए

आप किताबो में प्रकृति को चुनते है 
पद्मश्री ने,प्रकृति से किताबे चुनी है।।

उस समय जीवन का और मेहनत से कमाए हुए धन का आनंद लेने का वक्त निकल चुका होगा

*प्रिय साथियो ,*

*नमस्कार,*

*एक 67 वर्षीय रिटायर्ड बैंक अधिकारी द्वारा WhatsApp पर सभी वरिष्ठ साथियों व रिटायर होने वाले साथियों के लिए share किया गया एक उत्तम संदेश::::*
*कृपया अंत तक अवश्य पढ़ें*..

●  *जीवन मर्यादित है और उसका जब अंत होगा तब इस लोक की कोई भी वस्तु साथ नही जाएगी* 

● *फिर ऐसे में कंजूसी कर, पेट काट कर बचत क्यों की जाए ? आवश्यकतानुसार खर्च क्यों ना करें? जिन अच्छी बातों में आनंद मिलता है वे करनी ही चाहिएँ*

●  *हमारे जाने के पश्चात क्या होगा, कौन क्या कहेगा, इसकी चिंता छोड़ दें, क्योंकि देह के पंचतत्व में विलीन होने के बाद कोई तारीफ करे या टीका टिप्पणी करे, क्या फर्क पड़ता है?*   

●  *उस समय जीवन का और मेहनत से  कमाए हुए धन का आनंद लेने का वक्त निकल चुका होगा*

●  *अपने बच्चों की जरूरत से अधिक फिक्र ना करें* *उन्हें अपना मार्ग स्वयं खोजने दें*

*अपना भविष्य उन्हें स्वयं बनाने दें। उनकी इच्छाओं*, *आकांक्षाओं और सपनों के गुलाम आप ना बनें* 

●  *बच्चों को प्रेम करें, उनकी परवरिश करें, उन्हें भेंट वस्तुएं भी दें, लेकिन कुछ आवश्यक खर्च स्वयं अपनी आकांक्षाओं पर भी करें*

●  *जन्म से लेकर मृत्यु तक सिर्फ कष्ट करते रहना ही जीवन नही है: यह ध्यान रखें*

● *आप  ६ दशक पूरे कर चुके हैं, अब जीवन और आरोग्य से खिलवाड़ करके पैसे कमाना अनुचित है क्योंकि अब इसके बाद पैसे खर्च करके भी आप आरोग्य खरीद नही सकते*

●  *इस आयु में दो प्रश्न महत्वपूर्ण है: पैसा कमाने का कार्य कब बन्द करें और कितने पैसे से अब बचा हुआ जीवन सुरक्षित रूप से कट जाएगा*

●  *आपके पास यदि हजारों एकड़ उपजाऊ जमीन भी हो, तो भी पेट भरने के लिए कितना अनाज चाहिए? आपके पास अनेक मकान हों तो भी रात में सोने के लिए एक ही कमरा चाहिए* 

●  *एक दिन बिना आनंद के बीते तो, आपने जीवन का एक दिन गवाँ दिया और एक दिन आनंद में बीता तो एक दिन आपने कमा लिया है, यह ध्यान में रखें*

●  *एक और बात: यदि आप खिलाड़ी प्रवृत्ति के और खुश-मिजाज हैं तो बीमार होने पर भी बहुत जल्द स्वस्थ होंगे और यदि सदा प्रफुल्लित रहते हैं तो कभी बीमार ही नही होंगे*

●  *सबसे महत्व- पूर्ण यह है कि अपने आसपास जो भी अच्छाई है, शुभ है, उदात्त है, उसका आनंद लें और उसे संभाल- कर रखें*

●  *अपने मित्रों को कभी न भूलें। उनसे हमेशा अच्छे संबंध बनाकर रखें। अगर इसमें सफल हुए तो हमेशा दिल से युवा रहेंगे और सबके चहेते रहेंगे*

●  *मित्र न हो, तो अकेले पड़ जाएंगे और यहअकेलापन बहुत भारी पड़ेगा*

●  *इसलिए रोज व्हाट्सएप के माध्यम से संपर्क में रहें, हँसते-हँसाते रहें, एक दूसरे की तारीफ करें.जितनी आयु बची है उतनी आनंद में व्यतीत करें* 

● *प्रेम व स्नेह मधुर है उसकी लज्जत का आनंद लें*

●  *क्रोध घातक है: उसे हमेशा के लिए जमीन में गाड़ दें*

● *संकट क्षणिक होते हैं, उनका सामना करें*

●  *पर्वत-शिखर के परे जाकर सूर्य वापिस आ जाता है लेकिन दिल से दूर गए हुएप्रियजन वापिस नही आते*

● *रिश्तों को संभालकर रखें, सभी में आदर और प्रेम बाँटें। जीवन तो क्षणभंगुर है, कब खत्म होगा, पता भी नही चलेगा। इसलिए आनंद दें, आनंद लें*

*दोस्ती और दोस्त संभाल कर रखें* 

*जितना हो सके उतने “गैट-टूगेदर*
(Get-together) *करते रहें*

*Current situation में भी social distancing रखते हुए Life को Enjoy करें* 

*पढ़ कर यदि आपको आनन्द आया हो तो अपने और वरिष्ठ-मित्रों को यह संदेश फॉरवर्ड करें*
😃😃😃😃😃🙏

सोमवार, 14 सितंबर 2020

हिन्दी वर्णमाला का क्रम से कवितामय प्रयोग-बेहतरीन है

यह कविता जिसने भी लिखी प्रशंसनीय है
हिन्दी वर्णमाला का क्रम से कवितामय प्रयोग-बेहतरीन है

*अ* चानक
*आ* कर मुझसे
*इ* ठलाता हुआ पंछी बोला

*ई* श्वर ने मानव को तो
*उ* त्तम ज्ञान-दान से तौला

*ऊ* पर हो तुम सब जीवों में
*ऋ* ष्य तुल्य अनमोल
*ए* क अकेली जात अनोखी

*ऐ* सी क्या मजबूरी तुमको
*ओ* ट रहे होंठों की शोख़ी

*औ* र सताकर कमज़ोरों को
*अं* ग तुम्हारा खिल जाता है
*अ:* तुम्हें क्या मिल जाता है.?

*क* हा मैंने- कि कहो
*ख* ग आज सम्पूर्ण
*ग* र्व से कि- हर अभाव में भी
*घ* र तुम्हारा बड़े मजे से
*च* ल रहा है

*छो* टी सी- टहनी के सिरे की
*ज* गह में, बिना किसी
*झ* गड़े के, ना ही किसी
*ट* कराव के पूरा कुनबा पल रहा है

*ठौ* र यहीं है उसमें
*डा* ली-डाली, पत्ते-पत्ते
*ढ* लता सूरज
*त* रावट देता है

*थ* कावट सारी, पूरे
*दि* वस की-तारों की लड़ियों से
*ध* न-धान्य की लिखावट लेता है

*ना* दान-नियति से अनजान अरे
*प्र* गतिशील मानव
*फ़* रेब के पुतलो
*ब* न बैठे हो समर्थ
*भ* ला याद कहाँ तुम्हें
*म* नुष्यता का अर्थ.?

*य* ह जो थी, प्रभु की
*र* चना अनुपम...

*ला* लच-लोभ के 
*व* शीभूत होकर
*श* र्म-धर्म सब तजकर
*ष* ड्यंत्रों के खेतों में
*स* दा पाप-बीजों को बोकर
*हो* कर स्वयं से दूर
*क्ष* णभंगुर सुख में अटक चुके हो
*त्रा* स को आमंत्रित करते
*ज्ञा* न-पथ से भटक चुके हो.!!

 *विश्व* *हिंदी* *दिवस* पर सप्रेम🌹
🙏🙏

रविवार, 13 सितंबर 2020

हिन्दुओं, एकता और बढ़ाओ -आज से ही शुरू कीजिये.... Because tomorrow never comes

 समाज में होते जबरदस्त बदलाव कि बानगी  देखिए:


जिसको लेकर मुस्लिम समाज भी अचंभित और सदमे में है! 


1. भारत में जितनी भी दरगाहें हैं, वहां का 70%  खर्चा हिन्दुओं से चलता है! FaceBook और WhatsApp की वजह से हिंदुओं मे  एकता औऱ जागरुकता आने लगी है !


जिसकी वजह से अजमेर दरगाह पर जाने वाले हिंदुओं की संख्या 30% तक कम हो गई है! इस बात  को लेकर वहां के खादिम लोग बहुत परेशान हैं!


सोर्सेज: टॉप फाइव इंडिया लीडिंग ट्रेवल एजेंसीज!


2. अब हिंदू भाई- बहन इतने जागरुक हो गए हैं, कि कोई भी सामान सिर्फ हिंदू भाई की ही दुकान से खरीद रहे हैं, क्यों कि उन्हें यह एहसास हो गया है, कि उनके द्वारा शांति दूतों के दुकान से की गई खरीदारी कहीं ना कहीं उनके अपनों के पलायन का कारण बनेगी! इस बात को लेकर सभी बड़े मस्जिदों में मंथन का दौर चल रहा है!


3. अभी तक किसी भी उपद्रव होने पर शांत रहने वाले हिंदू भाई पलट कर मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं, इसको लेकर भी शांति दूतों की फटी पड़ी है!


4. सभी इलाकों से मिली जानकारी के अनुसार इस बार ईद पर जबरदस्त तरीके से मुसलमानों के घरों का सेवइयों का बाँयकाट किया गया है! मस्जिदों में नमाज के बाद अधिक से अविक हिंदुओं से दोस्ती करने को, औऱ उनको अपने में घर बुलाकर खाना खिलाने का, जोर दिया जा रहा है!


5.  मुस्लिम एक्टर्स और देश विरोधी बयान देने वाली हीरोइनों कि फिल्मों  के इनकम में भी जबरदस्त डाउन फाल आया है!


6. यह पॉइंट तो जबर्दस्त है, और बिलकुल शत प्रतिशत सही है, कि 2015 तक मुस्लिम बनने की होड़ 2020  तक हिन्दू बनने की होड़ में तब्दील हो गई!


पांच सालों में कितना बदल गया मेरा भारत!  यह मुमकिन हुआ है कि कोई भी सेकुलर नेता जालीदार टोपी नहीं पहना पूरे चुनाव में!


सोशल मीडिया से जबरदस्त फायदा  हुआ है हिन्दू समाज को!


 मोबाइल नहीं, यह महासमर का यंत्र सुत्र है! यह सब तेजी से फेलाना चाहिए कि आप सबके मिलकर काम करने का नतीजा है, कि पूरे चुनाव में हर पार्टी के नेता सिर्फ मंदिर की चौखट पर माथा रगड़ा है! दिग्विजय सिंह जैसा हरामखोर धर्म विरोधी नेता भी हिन्दू धर्म के विरुद्ध हिम्मत नहीं जुटा पाया! इसी तरह आप की एकता बनीं रही तो बो दिन दूर नहीं जब हर राजनैतिक पार्टी आप से पूंछ कर टिकट तय करेंगी!


ये सही लिखा किसी ने:


 जिस भाजपा ने:


कांग्रेस-सीपीआई एक कर दी;


यूपी मे बसपा-सपाई एक कर दी;


पाकिस्तान की तबियत से धुलाई एक कर दी;


भिन्न-भिन्न टैक्स की भराई, GST एक कर दी;


 मुस्लिम और ईसाई की दुहाई एक कर दी;


अब्दुल की चार थी, लुगाई एक कर दी;


*उस  भाजपा  सम्प्रदायिक कहा जाता  है उसने ये बदलाव किया है


यह बदलाव अच्छा है! बदलते भारत की बदलती तस्वीर!!


काँग्रेस होती तो यह सब होने नहीं देती, सामाजिक सद्भावना रूपी जहर के नाम पर!


आत्मरक्षा के लिए भी सब जल्दी से जल्दी आत्मनिर्भर हो जाएं!


 हिन्दुओं, एकता और बढ़ाओ, सन्डे वाले दिन एक निश्चित समय पर मन्दिर जाना शुरू कीजिये, अपने बच्चों पर ध्यान रखिए, मुस्लिम लव जिहाद से लड़कियों को बचाईए, मुस्लिम चाहे कितना ही पढ़ा लिखा, साफ सुथरा, ईमानदार दिखे- बिल्कुल भरोसा मत कीजिए (प्रोफेसर,इंजीनियर, डा. ही आतंकवादी व प्रखर हिन्दू नाश करने वाले नाम सामने आएं हैं) इन्हें अपने परिवार,व्यापार से दूर रखिए।


आज से ही शुरू कीजिये.... Because tomorrow never comes...


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