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शुक्रवार, 16 अप्रैल 2021

कोरोना सबको होगा ,ये ध्यान रहे - कोरोना को मन से ना लगाओ


कोरोना सबको होगा ,ये ध्यान रहे।

अमेरीका मे एक कैदी को जब फाँसी की सजा सुनाई ,तब वहाँ के कुछ वैज्ञानिकों ने विचार किया कि इस कैदी पर एक प्रयोग किया जाये, तब उस कैदी को बताया गया कि उसे फाँसी की बजाय विषधर कोब्रा से डसवा कर मारा जाएगा।फाँसी वाले दिन उसके सामने एक बड़ा विषधर साँप लाया गया तथा कैदी की आँखो पर पट्टी बाँध कर कुर्सी पर बाँध दिया गया।इसके बाद उसे साँप से ना डसवा कर सेफ्टी पिन चुभाई गई ।
आश्चर्य की बात यह हुई कि कैदी की २ सेकंड में ही मौत हो गई।*
पोस्टमार्टम रिपोर्ट मे कैदी के शरीर में 
"व्हेनम सदु्श्यम" 
विष मिला ,ये विष कहाँ से आया जिससे कैदी की मृत्यु हुई ? पोस्टमार्टम के बाद पता चला कि ये विष कैदी के शरीर में मानसिक डर  की वजह से, उसके शरीर ने ही उत्पन्न किया था।अतः
 तात्पर्य ये है कि

  हमारी अपनी मानसिक  स्थिति के अनुसार Positive अथवा Negative
एनर्जी उत्पन्न होती है  तद्दानुसार ही हमारे शरीर में HORMONES पैदा होते हैं 90% बीमारी का मूल कारण नकारात्मक विचार ऊर्जा का उत्पन्न होना है
आज मनुष्य गलत विचारों का भस्मासुर बना कर खुद का विनाश कर रहा है 
मेरे मतानुसार कोरोना को मन से ना लगाओ
5 वर्ष से लेकर 80 वर्ष तक के लोग Negative हो गये हैं
आकड़ों पर ना जाए ,आधे से ज्यादा लोग व्यवस्थित हैं
मृत्यु पाने वाले केवल कोरोना की वजह से नहीं बल्कि उन्हें अन्य बीमारियाँ भी थीं ,जिसका मुकाबला वे  कर नहीं सके। ये  याद रखें   कोरोना की वजह से कोई भी घर पर नहीं मरा सबकी मृत्यु अस्पताल मे ही हुई
कारण अस्पताल का वातावरण एवं मन का भय इसलिए अपने विचार सकारात्मक रखें और आनंद से रहें।

: Think Positive and Believe good will happen 

*मनोचिकित्सक की सलाह*. 

*1*  कोरोना से जुड़ी ज्यादा खबरें ना देखे ना सुने , आपको जितनी जानकारी चाहिए आप पहले से ही जान चुके हैं

*2* कहीं से भी अधिक जानकारी एकत्र करने का प्रयास छोड़ें क्योंकि ये आपकी मानसिक स्तिथि को और ज्यादा कमजोर ही करेगा 

*3.* दूसरों को वायरस से संबंधित सलाह ना दें क्योंकि सभी व्यक्तियों की मानसिक क्षमता एक सी नहीं होती , कुछ डिप्रेशन अर्थात अवसाद का शिकार हो सकते हैं 

*4.* जितना संभव हो संगीत सुनें , अध्यात्म , भजन आदि भी सुन सकते है , बच्चों के साथ बोर्ड गेम खेलें , परिवार के साथ बैठकर आने वाले वर्षों के लिए प्रोग्राम बनाएं 

*5.* अपने हाथों को नियमित अंतराल पर अच्छे से धोएं , सभी वस्तुएं की सफाई भी करें , किसी भी नव आगंतुक को 1 मीटर दूर से मिले ।

*6* आपकी नकारात्मक सोच-विचार की प्रवृति  डिप्रेशन बढ़ाएगी और वायरस से लड़ने की क्षमता कम करेगी दूसरी ओर सकारात्मक सोच आपको शरीर और मानसिक रूप से मजबूत बनाकर किसी भी स्तिथि या बीमारी से लड़ने में सक्षम बनाएगी ।

*7.* अत्यंत आवश्यक ...विश्वास दृढ़ रखें कि ये समय शीघ्र ही निकलने वाला है और आप हमेशा स्वस्थ और सुरक्षित रहेंगे 
*सकारात्मक रहें -स्वस्थ रहें* ।

Think Positive and Believe good will happen ..
*आयो मिलकर-सकारात्मक विचार फैलाए👍👍*

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सोमवार, 12 अप्रैल 2021

हिन्दू नववर्ष नव संवत्सर 2078 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दिनांक 13 अप्रैल 2021

हिन्दू नववर्ष नव संवत्सर 2078 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दिनांक 13 अप्रैल 2021 के स्वागत में हम अपनी अपनी गली मोहल्ले में लोगों से  बातचीत कर , घर के बाहर रंगोली बनाने का आग्रह कर सकते हैं...
🚩 रात्रि में सभी अपने अपने घरों के बाहर , 5-7  दीपक जला सकते हैं , और आतिशबाजी भी कर सकते हैं..
🚩 एक छोटा सा प्रयास करके देखें..आपका छोटा सा प्रयास ही , भारत में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की क्षमता रखता है..
🚩 मुझे विश्वास है आप  अपने  से गली तक का छोटा सा प्रयास जरूर करेंगे । एक दूसरे को नववर्ष की बधाई व बधाई संदेश भेजे ।हिन्दू जगे तो विश्व जागेगा ।
🚩नववर्ष की अग्रिम शुभकामना🚩

🙏💐💐🙏
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शुक्रवार, 9 अप्रैल 2021

कोरोना के लिए घर पर आवश्यक चिकित्सा किट

कोरोना के लिए घर पर आवश्यक चिकित्सा किट:
1. पारासिटामोल या डोलो 650 mg SOS leve

2. बीटाडीन गार्गल माउथवॉश के लिए गुनगुने पानी के साथ

3. विटामिन सी जैसे  Tab Limcee 500mg चूसने की दिन में 3 या 4 बार ।।ये बहुत ही शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है बहुत ही कारगर है इममुनिटी बढ़ाता है ।।वायरस को असक्रिय कर देती हैं।

 और  Tab विटामिन D3 60k सप्ताह में एक 4 सप्ताह तक

4.Tab बी कॉम्प्लेक्स साथ मे मल्टीविटामिन एव ट्रेस एलिमेंट्स 
जैसे Neurokind plus रोज एक 10 से 15 दिन तक इममुनिटी के लिये

5. भाप लेवे -गले मे खराश ठीक एव वायरल लोड कम कर वायरस को असक्रिय कर देता है

6. पल्स ऑक्सीमेटर रखे ऑक्सिजन लेवल देखने के लिए नॉर्मल 90 से ऊपर होना चाहिए

7. ऑक्सीजन सिलेंडर (केवल आपातकाल के लिए)

8. सास लेने में तकलीफ होतो उल्टा पेट के बल सोये जिससे फेफड़ो में ऑक्सिजन सर्कुलेशन बढ़ जाता हैं

9 गुनगुने पानी मे नमक के गरारे कर एव गुनगुने पानी मे निम्बू निचोड़ कर दिन में 3 या 4 बार पिये 

गहरी साँस लेने के व्यायाम करे

*👉कोरोना के तीन चरण:-*

1. *केवल नाक में कोरोना* - रिकवरी का समय आधा दिन होता है, 
इसमें आमतौर पर बुखार नहीं होता है और इसे *असिम्टोमाटिक कहते है |* 
इसमें क्या करे :- स्टीम इन्हेलिंग करे व विटामिन सी लें | 

2. *गले में खराश* - रिकवरी का समय 1 दिन होता है  इसमें क्या करे : -

गर्म पानी का गरारा करें, पीने में गर्म पानी लें, निम्बू पानी लेवे
अगर बुखार हो तो पारासिटामोल लें |
अगर गंभीर हो तो विटामिन सी, बी. कम्पलेक्स ,डी और एंटीबायोटिक लें | 

3. *फेफड़े में खांसी* - 4 से 5 दिन में खांसी और सांस फूलना। 
इसमें क्या करें :
गर्म पानी का गरारा करें, पीने में गर्म पानी लें, निम्बू पानी लेवे
विटामिन सी, बी कॉम्प्लेक्स, पारासिटामोल ले और गुनगुने पानी के साथ नींबू का सेवन करे| पल्स ऑक्सिमीटर से अपने ऑक्सीजन लेवल की 
जाँच करते रहे | अगर आपके पास ऑक्सीमेटर नहीं हो तो आप किसी भी दवा दुकान से खरीद ले अथवा गहरी साँस लेने का व्यायाम करे
अगर समस्या गंभीर हो तो ऑक्सीजन सिलिंडर मंगाए और डॉक्टर से ऑनलाइन परामर्श ले | 
बहुत ज्यादा तकलीफ होतो एंटीवायरल मेडिसिन चिकित्सक परामर्श से लेवे।

*अस्पताल जाने के लिए स्टेज:*
ऑक्सिमीटर से अपने ऑक्सीजन लेवल की जाँच करते रहे। यदि यह 92(सामान्य 95-100) के पास जाता है और आपको कोरोना के लक्षण
(जैसे की बुखार, सांस फूलना इत्यादि) हैं तो आपको ऑक्सीजन सिलेंडर की आवश्यकता होती है। इसके लिए तुरंत नजदीकी स्वास्थ सेवा केंद्र पे संपर्क करे व परामर्श ले | 

*स्वस्थ रहें, सुरक्षित रहें!*
 कृपया अपने परिवार और समाज का ख्याल रखें | घर पे रहे और सुरक्षित रहे | 
 
 *ध्यान दें:*
कोरोनावायरस का pH  5.5 से 8.5 तक होता है
इसलिए, वायरस को खत्म करने के लिए हमें बस इतना करना है कि वायरस की अम्लता के स्तर से अधिक क्षारीय खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
 
 *जैसे कि:*
- *केले*
- *हरा नींबू - 9.9 पीएच*
- *पीला नींबू - 8.2 पीएच*
- *एवोकैडो - 15.6 पीएच*
- *लहसुन - 13.2 पीएच*
- *आम - 8.7 पीएच*
- *कीनू - 8.5 पीएच*
- *अनानास - 12.7 पीएच*
- *जलकुंड - 22.7 पीएच*
- *संतरे - 9.2 पीएच*

 *कैसे पता चलेगा कि आप* *कोरोना वायरस से संक्रमित हैं .?*

 1.  *गला सुखना*
 2. *सूखी खांसी*
 3. *शरीर का उच्च तापमान* 
 4. *सांस की तकलीफ*
 5. सिर दर्द
६. बदन दर्द

गर्म पानी के साथ नींबू पीने से वायरस फेफड़ों तक पहुँचने से पहले ही खत्म 
हो जाते हैं | 

*इस जानकारी को खुद तक न रखें।* इसे अपने सभी परिवार और दोस्तों और सभी के साथ शेयर करे । 
आपको नहीं पता की इस जानकारी को शेयर करके आप कितनी जान बचा रहे है | 
*इसे शेयर करे और लोगों की मदद करे ताकि अधिक से अधिक लोगों को  जानकारी हो सके एवं कोरोना से बचाव हो*


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फोड़े - फुन्सियां का कारण, निवारण और घरेलू प्राकृतिक आयुर्वेदिक उपचार

फोड़े - फुन्सियां का कारण, निवारण और घरेलू प्राकृतिक आयुर्वेदिक उपचार

गर्मी और बरसात के मौसम में फोड़े-फुन्सियाँ निकलना एक आम समस्या है। शरीर के रोम कूपों में 'एसको' नामक जीवाणु इकठ्ठे हो जाते हैं जो संक्रमण पैदा कर देते हैं जिसके कारण शरीर में जगह-जगह फोड़े-फुन्सियां निकल आती हैं।

इसके अलावा खून में खराबी पैदा होने की वजह से,आम के अधिक सेवन से,मच्छरों के काटने से या कीटाणुओं के फैलने के कारण भी फुन्सियां निकल आती हैं| भोजन में गर्म पदार्थों के अधिक सेवन से भी  फोड़े-फुन्सियाँ निकल आते हैं।

फोड़े-फुन्सियाँ होने पर भोजन में अधिक गर्म पदार्थ, मिर्च-मसाले, तेल, खट्टी चीज़ें और अधिक मीठी वस्तुएं नहीं खानी चाहियें। फोड़े-फ़ुन्सियों को ढककर या पट्टी बांधकर ही रखना चाहिए।

*फोड़े-फुन्सियों का विभिन्न औषधियों से उपचार*
        
नीम की 5-8 पकी निम्बौलियों को 2 से 3 बार पानी के साथ सेवन करने से फुन्सियाँ शीघ्र ही समाप्त हो जाती हैं।

नीम की पत्तियों को पीसकर फोड़े-फुंसियों पर लगाने से लाभ होता है।

 दूब को पीसकर लेप बना लें | पके फोड़े पर यह लेप लगाने से फोड़ा जल्दी फूट जाता है।

खून के विकार से उत्पन्न फोड़े-फुन्सियों पर बेल की लकड़ी को पानी में पीसकर लगाने से लाभ मिलता है।

 तुलसी और पीपल के नए कोमल पत्तों को बराबर मात्रा में पीस लें | इस लेप को दिन में तीन बार फोड़ों पर लगाने से फोड़े जल्दी ही नष्ट हो जाते हैं| 

फोड़े में सूजन,दर्द और जलन आदि हो तो उसपर पानी निकाले हुए दही को लगाकर ऊपर से पट्टी बांधनी चाहिए| यह पट्टी दिन में तीन बार बदलनी चाहिए, लाभ होता है|

वंदे मातरम 


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रविवार, 28 मार्च 2021

होली – क्या, क्यों, कैसे?

होली – क्या, क्यों, कैसे? – 
 आजकल असभ्यता का त्योहार माना जाने लगा है। यहाँ तक कि सभ्य एवं शिष्ट व्यक्ति इससे बचने लगे हैं। ऐसा इस कारण हुआ, क्योंकि इसका रूप विकृत हो गया है, अन्यथा यह भी चार प्रमुख त्योहारों में से एक है। अन्य तीन त्योहार हैं- रक्षाबन्धन, विजयदशमी एवं दीपावली। वास्तव में होली आरोग्य, सौहार्द एवं उल्लास का उत्सव है। यह फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है और आर्यों के वर्ष का अन्तिम त्योहार है। यह नई ऋतु एवं नई फसल का उत्सव है। इसका प्रह्लाद एवं उसकी बुआ होलिका से कोई सम्बन्ध नहीं है। होलिका की कथा प्रसिद्ध अवश्य है, किन्तु वह कथा इस उत्सव का कारण नहीं है। यह उत्सव तो प्रह्लाद एवं होलिका के पहले से मनाया जा रहा है। होली क्या है? होली नवसस्येष्टि है (नव= नई, सस्य= फसल, इष्टि= यज्ञ) अर्थात् नई फसल के आगमन पर किया जाने वाला यज्ञ है। इस समय आषाढ़ी की फसल में गेहूँ, जौ, चना आदि का आगमन होता है। इनके अधभुने दाने को संस्कृत में ‘होलक’ और हिन्दी में ‘होला’ कहते हैं। शब्दकल्पद्रुमकोश के अनुसार- तृणाग्निभ्रष्टार्द्धपक्वशमीधान्यं होलकः। होला इति हिन्दी भाषा। भावप्रकाश के अनुसार- अर्द्धपक्वशमीधान्यैस्तृणभ्रष्टैश्च होलकः होलकोऽल्पानिलो मेदकफदोषश्रमापहः। अर्थात् तिनकों की अग्नि में भुने हुए अधपके शमीधान्य (फली वाले अन्न) को होलक या होला कहते हैं। होला अल्पवात है और चर्बी, कफ एवं थकान के दोषों का शमन करता है। ‘होली’ और ‘होलक’ से ‘होलिकोत्सव’ शब्द तो अवश्य बनता है, किन्तु यह नामकरण वैदिक उत्सव का वाचक नहीं है। होली नई ऋतु का भी उत्सव है। इसके पन्द्रह दिन पश्चात् नववर्ष, चैत्र मास एवं वसन्त ऋतु प्रारम्भ होती है। कुछ विद्वानों के अनुसार नववर्ष का प्रथम दिवस वसन्त ऋतु का मध्य-बिन्दु है। दोनों ही अर्थों में होली का समय स्वाभाविक हर्षोल्लास का है। इस समय ऊनी वस्त्रों का स्थान सूती एवं रेशमी वस्त्र ले लेते हैं। शीत के कारण जो व्यक्ति बाहर निकलने में संकोच करते हैं, वे निःसंकोच बाहर घूमने लगते हैं। वृक्षों पर नये पत्ते उगते हैं। पशुओं की रोमावलि नई होने लगती है। पक्षियों के नये ‘पर’ निकलते हैं। कोयल की कूक एवं मलय पर्वत की वायु इस नवीनता को आनन्द से भर देती है। इतनी नवीनताओं के साथ आने वाला नया वर्ष ही तो वास्तविक नव वर्ष है, जो होली के दो सप्ताह बाद आता है। इस प्रकार होलकोत्सव या होली नई फसल, नई ऋतु एवं नव वर्षागमन का उत्सव है। होली के नाम पर लकड़ी के ढेर जलाना, कीचड़ या रंग फेंकना, गुलाल मलना, स्वाँग रचाना, हुल्लड़ मचाना, शराब पीना, भाँग खाना आदि विकृत बातें हैं। सामूहिक रूप से नवसव्येष्टि अर्थात् नई फसल के अन्न से बृहद् यज्ञ करना पूर्णतः वैज्ञानिक था। इसी का विकृत रूप लकड़ी के ढेर जलाना है। गुलाब जल अथवा इत्र का आदान-प्रदान करना मधुर सामाजिकता का परिचायक था। इसी का विकृत रूप गुलाल मलना है। ऋतु-परिवर्तन पर रोगों एवं मौसमी बुखार से बचने के लिए टेसू के फूलों का जल छिड़कना औषधिरूप था। इसी का विकृत रूप रंग फेंकना है। प्रसन्न होकर आलिंगन करना एवं संगीत-सम्मेलन करना प्रेम एवं मनोरंजन के लिए था। इसी का विकृत रूप हुल्लड़ करना एवं स्वाँग भरना है। कीचड़ फेंकना, वस्त्र फाड़ना, मद्य एवं भाँग का सेवन करना तो असभ्यता के स्पष्ट लक्षण हैं। इस महत्त्वपूर्ण उत्सव को इसके वास्तविक अर्थ में ही देखना एवं मनाना श्रेयस्कर है। विकृतियों से बचना एवं इनका निराकरण करना भी भद्रपुरुषों एवं विद्वानों का आवश्यक कर्त्तव्य है। होली क्यों मनायें? भारत एक कृषि-प्रधान देश है, इसलिए आषाढ़ी की नई फसल के आगमन पर मुदित मन एवं उल्लास से उत्सव मनाना उचित है। अन्य देशों में भी महत्त्वपूर्ण फसलों के आगमन पर उत्सव का समान औचित्य है। नव वर्ष के आगमन पर एक पखवाड़े पूर्व से ही बधाई एवं शुभकामनाओं का आदान-प्रदान करना स्वस्थ मानसिकता एवं सामाजिक समरसता के लिए हितकारी है। साथ-साथ रहने पर मनोमालिन्य होना सम्भव है, जिसे मिटाने के  लिए वर्ष में एक बार क्षमा याचना एवं प्रेम-निवेदन करना स्वस्थ सामाजिकता का साधन है। नई ऋतु के आगमन पर रोगों से बचने के लिए बृहद् होम करना वैज्ञानिक आवश्यकता है, इसलिए इस उत्सव को अवश्य एवं सोत्साह मनाना चाहिए। होली कैसे मनायें? होली भी दीपावली की भाँति नई फसल एवं नई ऋतु का उत्सव है, अतः इसे भी स्वच्छता एवं सौम्यतापूर्वक मनाना चाहिए। फाल्गुन सुदी चतुर्दशी तक सुविधानुसार घर की सफाई-पुताई कर लें। फाल्गुन पूर्णिमा को प्रातःकाल बृहद् यज्ञ करें। रात्रि को होली न जलायें। अपराह्न में प्रीति-सम्मेलन करें। घर-घर जाकर मनोमालिन्य दूर करें। संगीत -कला के आयोजन भी करें। रंग, गुलाल, कीचड़, स्वाँग, भाँग आदि का प्रयोग न करें। इनकी कुप्रथा प्रचलित हो गई है, जिसे दूर करना आवश्यक है। स्वस्थ विधिपूर्वक उत्सव मनाने पर मानसिकता, सामाजिकता एवं वैदिक परम्परा स्वस्थ रहती है। ऐसा ही करना एवं कराना सभ्य, शिष्ट एवं श्रेष्ठ व्यक्तियों का कर्त्तव्य है।
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होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

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