जय श्री कृष्णा, ब्लॉग में आपका स्वागत है यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें। मैं हर इंसान के लिए ज्ञान के प्रसार के बारे में सोच कर इस ब्लॉग को बनाए रख रहा हूँ। धन्यवाद, "साँवरिया " #organic #sanwariya #latest #india www.sanwariya.org/
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शुक्रवार, 27 जुलाई 2012
मदद करने वाले हाथ प्रार्थना करने वाले होंठो से अच्छे होते हैं '
रोजाना जो खाना खाते हो वो पसंद नहीं आता ? उकता गये ?
थोड़ा पिज्जा कैसा रहेगा ?
नहीं ???
ओके ......... पास्ता ?
नहीं ?? ..
इसके बारे में क्या सोचते हैं ?
आज ये खाने का भी मन नहीं ? ...
ओके ..
क्या इस मेक्सिकन खाने को आजमायें ?
दुबारा नहीं ?
कोई समस्या नहीं ....
हमारे पास कुछ और भी विकल्प हैं........
ह्म्म्मम्म्म्म ...
चाइनीज ????? ??
बर्गर्सस्स्स्सस्स्स्स ? ???????
ओके ..
हमें भारतीय खाना देखना चाहिए ....... ?
दक्षिण भारतीय व्यंजन ना ???
उत्तर भारतीय ?
जंक फ़ूड का मन है ?
हमारे पास अनगिनत विकल्प हैं ..... ..
टिफिन ?
मांसाहार ?
ज्यादा मात्रा ?
या केवल पके हुए मुर्गे के कुछ टुकड़े ?
आप इनमें से कुछ भी ले सकते हैं ...
या इन सब में से थोड़ा- थोड़ा ले सकते हैं ...
दुबारा नहीं ?
कोई समस्या नहीं ....
हमारे पास कुछ और भी विकल्प हैं........
ह्म्म्मम्म्म्म ...
चाइनीज ????? ??
बर्गर्सस्स्स्सस्स्स्स ? ???????
ओके ..
हमें भारतीय खाना देखना चाहिए ....... ?
दक्षिण भारतीय व्यंजन ना ???
उत्तर भारतीय ?
जंक फ़ूड का मन है ?
हमारे पास अनगिनत विकल्प हैं ..... ..
टिफिन ?
मांसाहार ?
ज्यादा मात्रा ?
या केवल पके हुए मुर्गे के कुछ टुकड़े ?
आप इनमें से कुछ भी ले सकते हैं ...
या इन सब में से थोड़ा- थोड़ा ले सकते हैं ...
अब शेष बची मेल के लिए परेशान मत होओ....
मगर .. इन लोगों के पास कोई विकल्प नहीं है ...
इन्हें तो बस थोड़ा सा खाना चाहिए ताकि
ये जिन्दा रह सकें ..........
इनके बारे में अगली बार तब सोचना जब आप किसी केफेटेरिया या होटल में यह कह कर खाना फैंक रहे होंगे कि यह स्वाद नहीं है !!
इनके बारे में अगली बार सोचना जब आप यह कह रहे हों ...यहाँ की रोटी इतनी सख्त है कि खायी ही नहीं जाती.........
कृपया खाने के अपव्यय को रोकिये
अगर आगे से कभी आपके घर में पार्टी / समारोह हो और खाना बच जाये या बेकार जा रहा हो तो बिना झिझके आप 1098 (केवल भारत में )पर फ़ोन करें - यह एक मजाक नहीं है - यह चाइल्ड हेल्पलाइन है । वे आयेंगे और भोजन एकत्रित करके ले जायेंगे।
कृप्या इस सन्देश को ज्यादा से ज्यादा प्रसारित करें इससे उन बच्चों का पेट भर सकता है
कृप्या इस श्रृंखला को तोड़े नहीं .....
हम चुटकुले और स्पाम मेल अपने दोस्तों और अपने नेटवर्क में करते हैं ,क्यों नहीं इस बार इस अच्छे सन्देश को आगे से आगे मेल करें ताकि हम भारत को रहने के लिए दुनिया की सबसे अच्छी जगह बनाने में सहयोग कर सकें -
'मदद करने वाले हाथ प्रार्थना करने वाले होंठो से अच्छे होते हैं ' - हमें अपना मददगार हाथ देंवे ।
सभी मित्रों को आगे से आगे यह सन्देश भेजें …
मंगलवार, 24 जुलाई 2012
एक बचपन का जमाना होता था
एक बचपन का जमाना होता था
वक्त बिताने का अपना एक बहाना होता था,
जब खेल -खेल मे घर बनाना होता था,
गुडडे - गुडियो से घर सजाना होता था,
बिन एहसास के पुतलो को खाना खिलाना होता था,
इन पलो मे खुशियो का चुराना होता था,
पढाई कर बहार खेलने जाना होता था,
मम्मी को इसके लिये मनाना होता था,
पापा की डाट से पहले घर मे घुस जाना होता था
दीदी- भैया से लडाई पर रो जाना होता था,
रो कर मम्मी के बांहो मे सो जाना होता था
मोसम बदलने का अपना एक नजराना होता था,
बारिश मे अपनी नांव बनाकर दुर तक पहुंचाना होता था,
कभी नांव को पानी मे से उठाकर ले आना होता था,
अपनी दुर नांव पंहुच जाने पर जीत का जश्न मनाना होता था,
अपनी मस्ती अपना एक तराना होता था,
खेल कुद कर रात को थककर सो जाना होता था,
डरावने सपने आने पर मम्मी से लिपट जाना होता था,
जब सुबह उठ स्कूल जाना होता था,
दादा -दादी से पेसे कमाना होता था
उस एक रुपये का अपना एक फंसाना होता था,
छोटी-छोटी खुशियो मे जिंदगी को पाना होता था,
सच बचपन का अपना ही एक तराना होता था………
नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है
तुमको क्या फरक पड़ेगा, फिर आज तिरंगा रोया है..!!!
मत बहाना सस्ते आंसू, FACEBOOK की दीवालों पर..
फिर भड़केगी ज्वाला शायद, मुर्दों की मशालों पर..!!!
वतन की वेदी पे जिसने, बेटा अपना खोया है..
तुमको क्या फरक पड़ेगा, फिर आज तिरंगा रोया है..!!!
60 बरस की काठी लेकर, फिर आज मातम मनाता..
जलती चिता संग बैठा, मैं बुझता आफताफ हूँ..
मत पूछो गांव मेरा, क्या नाम है मेरा..
शहीद-ए-हिंद फौजी का, मैं वो बूढा-बाप हू..
CCD में ही तुम बैठो यारों, तुमने कब-कुछ खोया है..
गप्पों में क्या पता पड़ेगा, क्यूँ आज तिरंगा रोया है..!!!
गोली खायी थी सीने में, जिस माटी के लाल ने..
देखो कैसे सो रहा वो, मोक्ष के अंतिम चौपाल में..
माँ घर पे विलख रही है, बच्चे झूठ संग सो जायेंगे..
बीवी"बेवा"बन गयी अब, हर वादे मुर्दा हो जायेंगे..
Macdonlds में तुम बर्गर खाते, तुमने कब कुछ खोया है..
शहीद हुआ वो लाल था मेरा, फिर आज तिरंगा रोया है..!!!
कल तलक ये अंगारे भी, राख में ढल जायेंगे..
माटी से आये थे फिर माटी में मिल जायेंगे..
जिस जिस्म की जान, फकत वतन से होती है..
तपती वेदी संग दुखियारी, वो राख अभी से रोती है..
XXX पे तुम कसक मिटाते..तुमने कब क्या खोया है..
नंगे-जिस्मो में क्या पता पड़ेगा, क्यूँ आज तिरंगा रोया है..!!!
मत देना सोने के तमगे और उम्मीदों के गलियारे..
जब वो जिगर का टुकड़ा चला गया..करके बे-सहारे..
मत देना कोई ईनाम, उसकी शहादत के ईमान का..
वीर बेटा था जो मरा, क्या गया हिन्दुस्तान का..
Incentive की बातों में, तुमने कब कुछ खोया है..
तुमको क्या फरक पड़ेगा, फिर आज तिरंगा रोया है..!!!
....फिर आज तिरंगा रोया है..!!!
....फिर आज तिरंगा रोया है..!!!
नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है
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