यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, 13 मई 2013

अक्षय तृतीया आज : सोमवार 13.05.2013 को

अक्षय तृतीया आज : सोमवार 13.05.2013 को....

जो कभी नष्ट न हो, यानी जिसका कभी क्षय न हो उसे 'अक्षय' कहते हैं । अंकों में विषम अंकों को (odd numbers) विशेष रूप से '3' को अविभाज्य यानी 'अक्षय' माना जाता है । तिथियों में शुक्ल पक्ष की 'तीज' यानी तृतीया को विशेष महत्व दिया जाता है । लेकिन वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को समस्त तिथियों से इतर विशेष स्थान प्राप्त है । इस तृतीया को शास्त्रों में अक्षय तृतीया कहा गया है क्योंकि इस दिन किये गये शुभ काम का पुण्य कभी समाप्त नहीं होता है । 'अक्षय तृतीया' के रूप में प्रख्यात वैशाख शुक्ल तीज को स्वयं सिद्ध मुहुर्तों में से एक माना जाता है । पौराणिक मान्यताएं इस तिथि में आरंभ किए गए कार्यों को कम से कम प्रयास में ज्यादा से ज्यादा सफलता प्राप्ति का संकेत देती है । शास्त्रों के अनुसार यह योग अपने नाम के अनुसार ही सौभाग्य प्रदान करने वाला है । यह मुहूर्त अपने कर्मों को सही दिशा में प्रोत्साहित करने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है । शायद यही मुख्य कारण है कि इस काल को 'दान' इत्यादि के लिए सबसे अच्छा माना जाता है । यदि अक्षय तृतीया सोमवार या रोहिणी नक्षत्र को आए तो इस दिवस की महत्ता हजारों गुणा बढ़ जाती है, ऐसी मान्यता है । इस दिन प्राप्त आशीर्वाद बेहद तीव्र फलदायक माने जाते हैं ।
इन कार्यों के लिए शुभ है अक्षय तृतीया....
अक्षय तृतीय को कई कार्यों के लिए शास्त्रों में शुभ बताया गया है। इनमें गृह प्रवेश, नींव स्थापना, नया व्यवसाय शुरू करना, नया सामान खरीदना, पदभार ग्रहण करना, भगवान की मूर्ति स्थापित करना उत्तम माना गया है। इन कार्यों को करने से प्रगति होती है। अक्षय तृतीया का दिन व्यर्थ ना जाने दें ? अवश्य पुण्य कर्म, दान, तप, वृत आदि करके अपने भाग्य की रेखाओ को बदले l
* इस दिन समुद्र या गंगा स्नान करना चाहिए।
* प्रातः पंखा, चावल, नमक, घी, शक्कर, साग, इमली, फल तथा वस्त्र का दान करके ब्राह्मणों को दक्षिणा भी देनी चाहिए।
* ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।
* इस दिन सत्तू अवश्य खाना चाहिए।
* आज के दिन नवीन वस्त्र, शस्त्र, आभूषणादि बनवाना या धारण करना चाहिए।
* नवीन स्थान, संस्था, समाज आदि की स्थापना या उद्घाटन भी आज ही करना चाहिए।

शास्त्रों में अक्षय तृतीया....
* इस दिन से सतयुग और त्रेतायुग का आरंभ माना जाता है।
* इसी दिन श्री बद्रीनारायण के पट खुलते हैं।
* नर-नारायण ने भी इसी दिन अवतार लिया था।
* श्री परशुरामजी का अवतरण भी इसी दिन हुआ था।
* हयग्रीव का अवतार भी इसी दिन हुआ था।
* वृंदावन के श्री बाँकेबिहारीजी के मंदिर में केवल इसी दिन श्रीविग्रह के चरण-दर्शन होते हैं अन्यथा पूरे वर्ष वस्त्रों से ढँके रहते हैं।
अक्षय तृतीया का माहात्म्य....
* जो मनुष्य इस दिन गंगा स्नान करता है, उसे पापों से मुक्ति मिलती है।
* इस दिन परशुरामजी की पूजा करके उन्हें अर्घ्य देने का बड़ा माहात्म्य माना गया है।
* शुभ व पूजनीय कार्य इस दिन होते हैं, जिनसे प्राणियों (मनुष्यों) का जीवन धन्य हो जाता है।
* श्रीकृष्ण ने भी कहा है कि यह तिथि परम पुण्यमय है। इस दिन दोपहर से पूर्व स्नान, जप, तप, होम, स्वाध्याय, पितृ-तर्पण तथा दान आदि करने वाला महाभाग अक्षय पुण्यफल का भागी होता है।

कैसे करें अक्षय तृतीया व्रत....
वैशाख शुक्ल तृतीया को अक्षय तृतीया कहते हैं। चूँकि इस दिन किया हुआ जप, तप, ज्ञान तथा दान अक्षय फल देने वाला होता है अतः इसे 'अक्षय तृतीया' कहते हैं। यदि यह व्रत सोमवार तथा रोहिणी नक्षत्र में आए तो महाफलदायक माना जाता है। यदि तृतीया मध्याह्न से पहले शुरू होकर प्रदोष काल तक रहे तो श्रेष्ठ मानी जाती है। इस दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं, उनका बड़ा ही श्रेष्ठ फल मिलता है। यह व्रत दानप्रधान है। इस दिन अधिकाधिक दान देने का बड़ा माहात्म्य है। इसी दिन से सतयुग का आरंभ होता है इसलिए इसे युगादि तृतीया भी कहते हैं।
* व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में सोकर उठें।
* घर की सफाई व नित्य कर्म से निवृत्त होकर पवित्र या शुद्ध जल से स्नान करें।
* घर में ही किसी पवित्र स्थान पर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

निम्न मंत्र से संकल्प करें :-
ममाखिलपापक्षयपूर्वक सकल शुभ फल प्राप्तये
भगवत्प्रीतिकामनया देवत्रयपूजनमहं करिष्ये।

संकल्प करके भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं।
षोडशोपचार विधि से भगवान विष्णु का पूजन करें।
भगवान विष्णु को सुगंधित पुष्पमाला पहनाएं।
नैवेद्य में जौ या गेहूं का सत्तू, ककड़ी और चने की दाल अर्पण करें।
अगर हो सके तो विष्णु सहस्रनाम का जप करें।
अंत में तुलसी जल चढ़ाकर भक्तिपूर्वक आरती करनी चाहिए। इसके पश्चात उपवास करें।

व्रत कथा : प्राचीनकाल में सदाचारी तथा देव-ब्राह्मणों में श्रद्धा रखने वाला धर्मदास नामक एक वैश्य था। उसका परिवार बहुत बड़ा था। इसलिए वह सदैव व्याकुल रहता था। उसने किसी से इस व्रत के माहात्म्य को सुना। कालांतर में जब यह पर्व आया तो उसने गंगा स्नान किया। विधिपूर्वक देवी-देवताओं की पूजा की। गोले के लड्डू, पंखा, जल से भरे घड़े, जौ, गेहूँ, नमक, सत्तू, दही, चावल, गुड़, सोना तथा वस्त्र आदि दिव्य वस्तुएँ ब्राह्मणों को दान कीं। स्त्री के बार-बार मना करने, कुटुम्बजनों से चिंतित रहने तथा बुढ़ापे के कारण अनेक रोगों से पीड़ित होने पर भी वह अपने धर्म-कर्म और दान-पुण्य से विमुख न हुआ। यही वैश्य दूसरे जन्म में कुशावती का राजा बना। अक्षय तृतीया के दान के प्रभाव से ही वह बहुत धनी तथा प्रतापी बना। वैभव संपन्न होने पर भी उसकी बुद्धि कभी धर्म से विचलित नहीं हुई।
अक्षय तृतीया पर धन वृद्घि के उपाय....
अक्षय तृतीया को सर्वसिद्घ मुहूर्त माना गया है। उस पर कई कई सारे शुभ योगों ने इसके महत्व को और भी बढ़ा दिया है। इस दिन सोना खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन सोना खरीदने से आर्थिक उन्नति होती है। आर्थिक परेशानियों के कारण जो लोग सोना नहीं खरीद सकते वह अक्षय तृतीय के दिन जौ अथवा गेहूं खरीदकर लाल रंग के कपड़े में बांध कर पूजा स्थान में रख दें और कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें। इस दिन से नियमित इस स्तोत्र का पाठ करने से आर्थिक स्थिति सुधरेगी।

सुखी वैवाहिक जीवन के लिए....
शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया विवाह के लिए बहुत ही शुभ मुहूर्त होता है। इसदिन विवाह करने से वैवाहिक जीवन में कम परेशानी आती है। जिनकी कुण्डली में विवाह संबंधी दोष होता है वह भी इस दिन शादी करें तो दोष का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है।


गुरुवार, 2 मई 2013

कौन सा रत्न कब पहनना चाहिए –

कौन सा रत्न कब पहनना चाहिए – (Which Gemstone to wear and when?)

Lucky-Gemstoneरत्न दोधारी तलवार की तरह होते हैं जिन्हें उचित जांच परख के बाद ही पहनना चाहिए अन्यथा सकारात्मक की जगह नकारात्मक परिणाम भी देते हैं.रत्न धारण करने से पहले ग्रहो की स्थिति, भाव एवं दशा का ज्ञान जरूरी होता है.किसी रत्न के साथ दूसरे रत्न का क्या परिणाम होता है यह भी जानना आवश्यक होता है.

गुरू का रत्न पुखराज (Jupiter and Its Gemstone Yellow Sapphire – Pukhraj)
ग्रहों के गुरू हैं बृहस्पति. पीत रंग बृहस्पति का प्रिय है.इनका रत्न पुखराज (Yellow Sapphire – Pukhraj) भी पीली आभा लिये होता है.व्यक्ति की कुण्डली में गुरू अगर शुभ भावों का स्वामी हो अथवा मजबूत स्थिति में हो तो पुखराज (Pukhraj Gemstone) धारण करने से बृहस्पति जिस भाव में होता है उस भाव के शुभ प्रभाव में वृद्धि होती है.यह रत्न धारण करने से गुरू के बल में वृद्धि होती है फलत: जिन ग्रहों एवं भावों पर गुरू की दृष्टि होती है वह भी विशेष शुभ फलदायी हो जाते है.

शुक्र का रत्न हीरा (Venus and Its Gemstone Diamond – Heera)
शुक्र ग्रहों में प्रेम, सौन्दर्य, राग रंग, गायन वादन एवं विनोद का स्वामी है.इस ग्रह का रत्न हीरा है.ज्यातिषशास्त्र और रत्नशास्त्र (Astrology and Gemology) दोनों की ही यह मान्यता है कि कुण्डली में अगर शुक्र शुभ भाव का अधिपति है तो हीरा धारण करने से शुक्र के सकारात्मक प्रभाव में वृद्धि होती है.

है.रत्नशास्त्र के अनुसार यह अत्यंत चमत्कारी रत्न होता है.इस रत्न को परखने के बाद ही धारण करना चाहिए.नीलम (Blue Sapphire – Neelam) उस स्थिति में धारण करना चाहिए जबकि जन्म कुण्डली में शनि शुभ भावों में बैठा हो. अशुभ शनि होने पर नीलम धारण करने से सकारात्मक परिणाम नहीं मिलता है.

शनि का रत्न नीलम (Saturn and Its Gemstone Blue Sapphire – Neelam)
ग्रहों में शनि को दंडाधिकारी एवं न्यायाधिपति का स्थान प्राप्त है.यह व्यक्ति को उनके कर्मो के अनुरूप फल प्रदान करते हैं.इस ग्रह की गति मंद होने से इसकी दशा लम्बी होती है.अपनी दशावधि में यह ग्रह व्यक्ति को कर्मों के अनुरूप फल देता है.इस ग्रह की पीड़ा अत्यंत कष्टकारी होती है.यह ग्रह अगर मजबूत और शुभ हो तो जीवन की हर मुश्किल आसन हो जाती है.इस ग्रह का रत्न नीलम (Blue Sapphire – Neelam)

Generate Free Lucky Gemstone Report

राहु का रत्न गोमेद (Rahu and Its Gemstone Hessonite- Gomedha)
राहु को प्रकट ग्रह के रूप में मान्यता नही प्राप्त है.यह ग्रह मंडल में छाया ग्रह के रूप में उपस्थित है.इस ग्रह को नैसर्गिक पाप ग्रह कहा गया है.राहु बने बनाये कार्यो को नष्ट करने वाला है.प्रगति के मार्ग में अवरोध है.स्वास्थ्य सम्बन्धी पीड़ा देने वाला है.इस ग्रह का रत्न गोमद (Hessonite- Gomedha) है.इसे गोमेदक के नाम से भी जाना जाता है.यह धुएं के रंग का होता है.अगर जन्मपत्री में राहु प्रथम, चतुर्थ, पंचम, नवम अथवा दशम भाव में हो तो गोमेद (Hessonite- Gomeda) धारण करने से इस भाव के शुभ प्रभाव में वृद्धि होती है एवं राहु शुभ परिणाम देता है.राहु रत्न गोमेद (Hessonite- Gomeda) का धारण उस स्थिति में नहीं करना चाहिए जबकि राहु जन्मपत्री में द्वितीय, सप्तम, अष्टम अथवा द्वादश भाव में हो.गोमेद (Hessonite- Gomeda) के साथ मूंगा, माणिक्य, मोती अथवा पुखराज नहीं पहनना चाहिए।

Gemstones For You

Find out what are the lucky Gemstones for different aspects of life.

केतु का रत्न लहसुनियां (Rahu and Its Gemstone Cat’s Eye Stone – Lahasunia)
केतु भी राहु के समान छाया ग्रह है और राहु के सामन ही क्रूर एवं नैसर्गिक पाप ग्रह है.पाप ग्रह होते हुए भी कुछ भावों में एवं ग्रहों के साथ केतु अशुभ परिणाम नहीं देता है.अगर कुण्डली में यह ग्रह शुभस्थ भाव में हो तो इस ग्रह का रत्न लहसुनियां (Cat’s Eye Stone – Lahasunia) धारण करने से स्वास्थ लाभ मिलता है.कार्यो में सफलता मिलती है.धन की प्राप्ति होती है.रहस्यमयी शक्ति से आप सुरक्षित रहते हैं.राहु के सामन ही अगर जन्म पत्री में केतु लग्न, तृतीय, चतुर्थ, पंचम, षष्ठम, नवम अथवा एकादश में हो तो केतु का रत्न धारण करना चाहिए.अन्य भाव में केतु होने पर लहसुनियां (Cat’s Eye Stone – Lahasuniya) विपरीत प्रभाव देता है.लहसुनियां (Cat’s Eye Stone – Lahasuniya) के साथ मोती, माणिक्य, मूंगा अथवा पुखराज नहीं पहनना चाहिए.

ध्यान रखने योग्य तथ्य यह है कि, रत्न उस समय धारण करना विशेष लाभप्रद होता है जब सम्बन्धित ग्रह की दशा चल रही होती है.

राशियों के मुताबिक चुनें कपड़ों के रंग

राशियों के मुताबिक चुनें कपड़ों के रंग
 
शांति खोजें भगवान खोजने के आप के लिए प्रार्थना दोस्तों, हर रंग कुछ कहता है, हर रंग की अपनी पहचान होती है, हर रंग अपना प्रभाव छोड़ते हैं, आईये हम आपको बताते हैं कि किस राशि को कौन सा रंग पहनना चाहिए, जिसके उसका आने वाला दिन आज से बेहतर साबित हो। क्‍या आपको पता है रंगों का हमारे स्‍वास्‍थ्‍य पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। इस प्रभाव का अध्‍ययन रोम की प्राचीन पद्धति क्रोमोथैरेपी में किया जाता है। उसके अंतर्गत सूर्य की किरणों के अंदर सात रंगों का अलग-अलग प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता है। साथ ही व्‍यवहार पर भी। हमारा शरीर और व्‍यवहार हमारे भाग्‍य की रचना करता है। इसका प्रभाव हमारे ग्रहों पर भी पड़ता है और उससे हमारे काम-काज प्रभावित होते हैं। लिहाजा कपड़े पहनते वक्‍त अगर हम सही रंग का चुनाव करें तो हम निश्चित तौर पर अच्‍छे फल प्राप्‍त कर सकते हैं। प्रस्‍तुत है 12 राशियां और उन्‍हें सूट करने वाले रंगों के कपड़ों के बारे में-
मेष
इस राशि के लोगों को शुद्ध और सिंथेटिक फेब्रिक से बने परिधान पहनने चाहिए। लाल, पीला, नारंगी रंग का चयन करें। नीले, ग्रे और काले रंग के प्रयोग से बचें। इनको चमड़े या पक्षियों के पंखों से बने परिधानों से भी बचना चाहिए। ऐसे परिधान पहनें, जिसमें बहुत तरह के कट्स हों। बहुत सारे रंगों से बने डिजाइन पहनें
।वृषभ वृष चमकीला सिल्क, सिंथेटिक फेब्रिक इस राशि वालों के लिए अनुकूल नहीं है। इस राशि के लोगों को सफेद और हल्के हरे रंग का प्रयोग करना चाहिए। लाल और नारंगी रंग के प्रयोग से बचें। अधिकतर सादे या फिर बहुत सारे डिजाइन वाले परिधान पहनें। सिल्वर और प्लेटिनम इस राशि के लोगों के लिए अनुकूल हैं।


मिथुन
शुद्ध कपास और लिनेन से बने परिधान इनके लिए अच्छे हैं, लेकिन इनको सिंथेटिक कपड़ों से बचना चाहिए। हरा रंग इनके अनुकूल है, लेकिन पीला नहीं। सादे और बहुत सारे डिजाइन वाले परिधान इनके अनुकूल हैं।

कर्क
कर्क रेशम, सूती और लिनेन इनके लिए अनुकूल हैं। सिंथेटिक कपड़ों से बचें। सफेद, हल्का पीलापन लिये हुआ सफेद रंग पहनें। नीले और काले रंग का कपड़ा न पहनें। सादे डिजाइन किए हुए कपड़े पहनें।

सिंह
इस राशि वालों के लिए सूती कपड़े अच्छे हैं। लाल, पीले, नारंगी उपयुक्त हैं। नीले, काले, भूरे रंगों से बचें। आउटफिट्स में बहुत सारे कट्स का प्रयोग करें, लेकिन चमड़े बने परिधान न पहनें

कन्या
कन्या सूती कपड़े से बने परिधान इनके लिए उपयुक्त हैं। इनको हरे और सफेद रंगों को चुनना चाहिए। कन्या राशि के लोगों को भी सादे डिजाइन ही पहनने चाहिए।

तुला
तुला चमकीला सिंथेटिक सिल्क इस राशि वालों के लिए अनुकूल है। सफेद, हल्का हरा और भूरा भी पहन सकते हैं, परंतु लाल और नारंगी रंग से बचें। सादे और बहुत सारे डिजाइन वाले परिधान पहन सकते हैं।

वृश्चिक
वृश्चिक मिश्रित सूती कपड़ा पहनें। लाल, पीला और नारंगी रंग का कपड़ा पहनें। नीले भूरे और काले रंग से बचें। सादे और बहुत सारे डिजाइन वाले कपड़े पहनें।


धनु
धनु सिंथेटिक और चमकीला सिल्क पहनें। पीला, शिफॉन और हल्का नारंगी रंग पहनें। नीले और काले रंग से बचें।

मकर
मकर कॉटन, लिनेन इस राशि के लिए अच्छे माने जाते हैं। सिंथेटिक का इस्तेमाल न करें। रंगों में इन्हें नीले, काले, भूरे का इस्तेमाल करना चाहिए। इस राशि के लोगों को लाल, सफेद और नारंगी रंग से बचना चाहिए।
कुंभ
कुंभ कॉटन, सिल्क, लिनेन इस राशि के लिए अच्छे माने जाते हैं। सिथेंटिक का इस्तेमाल न करें। रंगों में इन्हें नीले, काले, भूरे का इस्तेमाल करना चाहिए। इस राशि के लोगों को लाल, सफेद और नारंगी रंग से बचना चाहिए।

मीन
मीन इस राशि के लोगों के लिए सिंथेटिक और चमकीले सिल्क के कपड़े अच्छे रहते हैं। पीले, केसरिया और हल्के नारंगी रंग के इन्हें पहनने चाहिए। काले और नीले रंग से बचें। सादे और मल्टी डिजाइन कपड़े पहन सकते हैं।

गरीबी दूर कर धन-दौलत से मालामाल करती है 'झाडू'


गरीबी दूर कर धन-दौलत से मालामाल करती है 'झाडू'
 
घर की साफ-सफाई सभी करते हैं और इस काम के लिए घरों में झाड़ू अवश्य ही रहती है। झाड़ू वैसे तो एक सामान्य सी चीज है लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। झाड़ू को लक्ष्मी का रूप माना जाता है, जब यह घर की गंदगी, धूल-मिट्टी साफ करती है तो इसका मतलब यही है कि देवी महालक्ष्मी हमारे घर से दरिद्रता को बाहर निकाल देती है।



झाड़ू के महत्व को देखते हुए वास्तु शास्त्र द्वारा कई नियम बताए गए हैं।



- जब घर में झाड़ू का इस्तेमाल न हो, तब उसे नजरों के सामने से हटाकर रखना चाहिए।



- झाड़ू को कभी भी खड़ा नहीं रखना चाहिए।



- ध्यान रहे झाड़ू पर जाने-अनजाने पैर नहीं लगने चाहिए, इससे महालक्ष्मी का अपमान होता है।



- झाड़ू हमेशा साफ रखें।



- ज्यादा पुरानी झाड़ू को घर में न रखें।



- झाड़ू को कभी जलाना नहीं चाहिए।



- शनिवार को पुरानी झाड़ू बदल देना चाहिए।



- शनिवार के दिन घर में विशेष साफ-सफाई करनी चाहिए।



- घर के मुख्य दरवाजा के पीछे एक छोटी झाड़ू टांगकर रखना चाहिए। इससे घर में लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।

function disabled

Old Post from Sanwariya