यह ब्लॉग खोजें

गुरुवार, 2 मई 2013

कौन सा रत्न कब पहनना चाहिए –

कौन सा रत्न कब पहनना चाहिए – (Which Gemstone to wear and when?)

Lucky-Gemstoneरत्न दोधारी तलवार की तरह होते हैं जिन्हें उचित जांच परख के बाद ही पहनना चाहिए अन्यथा सकारात्मक की जगह नकारात्मक परिणाम भी देते हैं.रत्न धारण करने से पहले ग्रहो की स्थिति, भाव एवं दशा का ज्ञान जरूरी होता है.किसी रत्न के साथ दूसरे रत्न का क्या परिणाम होता है यह भी जानना आवश्यक होता है.

गुरू का रत्न पुखराज (Jupiter and Its Gemstone Yellow Sapphire – Pukhraj)
ग्रहों के गुरू हैं बृहस्पति. पीत रंग बृहस्पति का प्रिय है.इनका रत्न पुखराज (Yellow Sapphire – Pukhraj) भी पीली आभा लिये होता है.व्यक्ति की कुण्डली में गुरू अगर शुभ भावों का स्वामी हो अथवा मजबूत स्थिति में हो तो पुखराज (Pukhraj Gemstone) धारण करने से बृहस्पति जिस भाव में होता है उस भाव के शुभ प्रभाव में वृद्धि होती है.यह रत्न धारण करने से गुरू के बल में वृद्धि होती है फलत: जिन ग्रहों एवं भावों पर गुरू की दृष्टि होती है वह भी विशेष शुभ फलदायी हो जाते है.

शुक्र का रत्न हीरा (Venus and Its Gemstone Diamond – Heera)
शुक्र ग्रहों में प्रेम, सौन्दर्य, राग रंग, गायन वादन एवं विनोद का स्वामी है.इस ग्रह का रत्न हीरा है.ज्यातिषशास्त्र और रत्नशास्त्र (Astrology and Gemology) दोनों की ही यह मान्यता है कि कुण्डली में अगर शुक्र शुभ भाव का अधिपति है तो हीरा धारण करने से शुक्र के सकारात्मक प्रभाव में वृद्धि होती है.

है.रत्नशास्त्र के अनुसार यह अत्यंत चमत्कारी रत्न होता है.इस रत्न को परखने के बाद ही धारण करना चाहिए.नीलम (Blue Sapphire – Neelam) उस स्थिति में धारण करना चाहिए जबकि जन्म कुण्डली में शनि शुभ भावों में बैठा हो. अशुभ शनि होने पर नीलम धारण करने से सकारात्मक परिणाम नहीं मिलता है.

शनि का रत्न नीलम (Saturn and Its Gemstone Blue Sapphire – Neelam)
ग्रहों में शनि को दंडाधिकारी एवं न्यायाधिपति का स्थान प्राप्त है.यह व्यक्ति को उनके कर्मो के अनुरूप फल प्रदान करते हैं.इस ग्रह की गति मंद होने से इसकी दशा लम्बी होती है.अपनी दशावधि में यह ग्रह व्यक्ति को कर्मों के अनुरूप फल देता है.इस ग्रह की पीड़ा अत्यंत कष्टकारी होती है.यह ग्रह अगर मजबूत और शुभ हो तो जीवन की हर मुश्किल आसन हो जाती है.इस ग्रह का रत्न नीलम (Blue Sapphire – Neelam)

Generate Free Lucky Gemstone Report

राहु का रत्न गोमेद (Rahu and Its Gemstone Hessonite- Gomedha)
राहु को प्रकट ग्रह के रूप में मान्यता नही प्राप्त है.यह ग्रह मंडल में छाया ग्रह के रूप में उपस्थित है.इस ग्रह को नैसर्गिक पाप ग्रह कहा गया है.राहु बने बनाये कार्यो को नष्ट करने वाला है.प्रगति के मार्ग में अवरोध है.स्वास्थ्य सम्बन्धी पीड़ा देने वाला है.इस ग्रह का रत्न गोमद (Hessonite- Gomedha) है.इसे गोमेदक के नाम से भी जाना जाता है.यह धुएं के रंग का होता है.अगर जन्मपत्री में राहु प्रथम, चतुर्थ, पंचम, नवम अथवा दशम भाव में हो तो गोमेद (Hessonite- Gomeda) धारण करने से इस भाव के शुभ प्रभाव में वृद्धि होती है एवं राहु शुभ परिणाम देता है.राहु रत्न गोमेद (Hessonite- Gomeda) का धारण उस स्थिति में नहीं करना चाहिए जबकि राहु जन्मपत्री में द्वितीय, सप्तम, अष्टम अथवा द्वादश भाव में हो.गोमेद (Hessonite- Gomeda) के साथ मूंगा, माणिक्य, मोती अथवा पुखराज नहीं पहनना चाहिए।

Gemstones For You

Find out what are the lucky Gemstones for different aspects of life.

केतु का रत्न लहसुनियां (Rahu and Its Gemstone Cat’s Eye Stone – Lahasunia)
केतु भी राहु के समान छाया ग्रह है और राहु के सामन ही क्रूर एवं नैसर्गिक पाप ग्रह है.पाप ग्रह होते हुए भी कुछ भावों में एवं ग्रहों के साथ केतु अशुभ परिणाम नहीं देता है.अगर कुण्डली में यह ग्रह शुभस्थ भाव में हो तो इस ग्रह का रत्न लहसुनियां (Cat’s Eye Stone – Lahasunia) धारण करने से स्वास्थ लाभ मिलता है.कार्यो में सफलता मिलती है.धन की प्राप्ति होती है.रहस्यमयी शक्ति से आप सुरक्षित रहते हैं.राहु के सामन ही अगर जन्म पत्री में केतु लग्न, तृतीय, चतुर्थ, पंचम, षष्ठम, नवम अथवा एकादश में हो तो केतु का रत्न धारण करना चाहिए.अन्य भाव में केतु होने पर लहसुनियां (Cat’s Eye Stone – Lahasuniya) विपरीत प्रभाव देता है.लहसुनियां (Cat’s Eye Stone – Lahasuniya) के साथ मोती, माणिक्य, मूंगा अथवा पुखराज नहीं पहनना चाहिए.

ध्यान रखने योग्य तथ्य यह है कि, रत्न उस समय धारण करना विशेष लाभप्रद होता है जब सम्बन्धित ग्रह की दशा चल रही होती है.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी करें

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

function disabled

Old Post from Sanwariya