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बुधवार, 20 मई 2015

कैंसर - कितने तैयार हैं आप।

कैंसर - कितने तैयार हैं आप।

 
आज हमारे चारो और ही नहीं बल्कि हमारे आस पड़ोस में ये आम ही सुनने को आ जाता हैं के फला व्यक्ति कैंसर से खत्म हो गया, जबकि उसने महंगी से महंगी दवा भी ली और बड़े से बड़े डॉक्टर को भी दिखाया। ये सब सुनते ही मन में एक भय व्याप्त हो जाता हैं के कही हम या हमारे परिवार में कोई इस रोग का ग्रास न बन जाए। मन भय और पूर्वाग्रहों से ग्रसित हो जाता हैं, तो ऐसे में मन में ख्याल आता हैं के क्या हम इस भयंकर रोग से बच सकते हैं ?
आज हम कुछ उन बातो पर चिंतन करेंगे जिनसे हम इस रोग से लड़ाई लड़ सके।
सब से पहले हम उन तथ्यों को देखेंगे जिन से हमारा स्वस्थ्य इतना गिर गया के हम इन भयंकर रोगो से घिर गए और हम इनको बदल कर इन रोगो से बच सकते हैं।

1. पानी : - हमारा देश वह देश हैं जिसके लिए विदेशो में गायन हैं की हम उस देश के वासी हैं जिस देश में गंगा बहती हैं, हमारा पानी में इतने गुण थे के अकेला यही हमको अनेका अनेक रोगो से बचाता था, मगर एक सोची समझी साज़िश के तहत हमारे पानी को दूषित कर दिया गया। और जिस देश में लोग प्याऊ लगाते थे वहां पानी बंद बोतलों में बिकने लगा।
आज अगर आपके घर में वाटर प्यूरीफायर हैं तो सावधान आप इसका पानी सीधे न पिए, पहले इस पानी को मिट्टी के बर्तन (मटके) में रखे, 8-10 घंटे के बाद इस पानी को उपयोग में ले। हो सके तो इस पानी में 3 या 5 पत्ते तुलसी के डाल दे। और रात को यही पानी ताम्बे के बर्तन में रखे और सुबह खाली पेट यही पिए।

2. तुलसी :- तुलसी का भारतीयों के जीवन में बहुत बड़ा योगदान हैं, इसको माँ की तरह पूजा जाता हैं, क्युकी इसके सेवन से हमारे शरीर के अनेक अनेक रोग वैसे ही समाप्त हो जाते हैं। हर रोज़ अगर आप 2 या 3 पत्ते तुलसी के खाए तो आपको कैंसर तो छोड़िये ज़ुकाम होने के चान्सेस भी खत्म हो जायेंगे। और तुलसी कैंसर किलर हैं।

3. गाय का दूध :- हमारे अनेका अनेक धर्म ग्रंथो में चाहे वह हिन्दू हैं चाहे वह मुस्लिम हो चाहे वह सिख धर्म हैं, इनमे गाय के संरक्षण की बात कही गयी हैं, और हिन्दू धर्म में विशेष कर गाय को माँ कहा जाता हैं, इसका कारण सिर्फ कुछ धार्मिक मान्यताये ही नहीं हैं बल्कि इस जीव के दूध में पायी जाने वाली ताक़त हैं, जो हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति को इतना बढ़ा देती हैं जिस से हमारा शरीर हर बीमारी से और हर मौसम से लड़ने के लिए सुदृढ़ हो जाता हैं।
और आप एक परिक्षण कीजिये भैंस,अमेरिकन गाय(जर्सी) और भारतीय गाय को एक ही प्रकार का आहार खिलाइये जो रासायनिक खादो और कीटनाशको से तैयार किया गया हो अब इनका दूध निकालिये और इस दूध को टेस्ट के लिए भेजे, आप पाएंगे के गाय का दूध बिलकुल सामान्य हैं जबकि भैंस और अमेरिकन गाय के दूध में आपको ज़हर के तत्व मिलेंगे।

4. हल्दी : - हल्दी का हमारे भोजन में बहुत विशेष स्थान हैं, अक्सर हल्दी को हर शुभ कार्य में इस्तेमाल किया जाता हैं। इसको अपने भोजन में ज़रूर स्थान दे। आज कल बाजार में आर्गेनिक हल्दी भी मिलती हैं जो बिना रसायनो के तैयार की जाती हैं, इसको खाना शुरू करे, सबसे बढ़िया तरीका हैं आप इसको रात में सोते समय एक गिलास गाय के दूध में गर्मी में एक चुटकी और सर्दी में आधा चम्मच डाल कर पिए, इस से भी हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति को इतना बढ़ जाती हैं जिस से हमारा शरीर हर बीमारी से और हर मौसम से लड़ने के लिए सुदृढ़ हो जाता हैं। और ये कैंसर किलर भी हैं।

5. बर्तन : - अंग्रेजो के आने से पहले हमारा भारत सोने की चिड़िया था, आज भी हैं, मगर आज हम सिर्फ सोने पर ही ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जबकि अपनी रसोई को आधुनिक बनाने के चककर में हमने इस में से वो सब चीजे निकल दी जो हमको स्वस्थ्य देते थे और वह सब शामिल कर लिए जिन से हमको रोग मिलते हैं। पहले हमारे घर में लोहे के, मिटटी के, ताम्बे के और पीतल के बर्तन होते थे, जिनमे खाना बनाने से हमारी सेहत अच्छी रहती थी, मगर हमने इनको छोड़ एल्युमीनियम के बर्तन इस्तेमाल करना शुरू कर दिए। एल्युमीनियम के बर्तन सब से पहले अंग्रेजो ने काला पानी की सजा पाये हुए हमारे क्रांतिकारियों के खाना बनाने में की। इस के उपयोग से लोग दिमागी विकलांग हो जाते हैं और अनेका अनेक रोग उनको घेर लेते हैं। तो अपनी रसोई से इन बर्तनो को निकल फेंकिए। आज कल तो हम रसोई के मामले में और गरीब हो गए हैं, हमने प्लास्टिक के बर्तन इस्तेमाल करने शुरू कर दिए हैं। कृपया इनसे बचे अगर आप स्वस्थ रहना चाहते हैं।

6. नमक :- कुछ साल पहले टेलीविज़न पर एक प्रचार चलता था, के अगर गर्भवती ने गर्भ के दिनों में आयोडीन का इस्तेमाल किया होता तो उसका बच्चा स्वस्थ पैदा होता उसको घेंघा नहीं होता, मंद बुद्धि नहीं होता। और फिर शुरू होती हैं इस नमक के नाम पे हमको ज़हर परोसने की। हम भी कितने बेवकूफ हैं, जो लोग पैसा कमाने के लिए प्रचार कर रहे हैं, उनको हमारी सेहत से क्या मतलब। आयोडीन हमको फलो और सब्जियों में प्रयाप्त मात्र में मिल जाता हैं और फिर भी हमारे पूर्वजो ने इसके लिए सेंधा नमक, पहाड़ी नमक, या काले नमक की व्यवस्था की थी, जिस के सेवन से हमारे कई रोग ख़त्म हो जाते थे। मगर ये नमक जिसको दाना दाना सफ़ेद नमक दिखाया जाता हैं इसके सेवन से आपकी रोग प्रतिरोधक शक्ति काम होती हैं और ये आपको नपुंसक तक बनता हैं। इस पर आप हमारी पुरानी पोस्ट भी पढ़ सकते हैं।

7. दाँतो की पेस्ट : - आज युवाओ को पथ भ्रमित किया जा रहा हैं, टेलीविज़न में प्रचार कर के। अगर आपको किसी को याद हो तो जब कोलगेट भारत में आई थी तो इसने पेस्ट से पहले मंजन निकाला था, क्युकी उस समय लोग मंजन करना ही पसंद करते थे, और ये मंजन वो घर में ही बना लेते थे, मगर धीरे धीरे मनुष्य आलसी होता गया अब उसको बना बनाया सामान मिलना चाहिए, और इसके चक्कर में वह अपनी सेहत गंवाता गया। आज लोग २ बार ब्रश करते हैं फिर भी दाँतो के रोग बढ़ रहे हैं। और यही नहीं आपको शायद पता ना हो के इस पेस्ट में इतना केमिकल होता हैं के इस के ऊपर ये लिखा जाता हैं के 5 साल के बच्चे को बड़ो की देख रेख में करना चाहिए और अगर वो गलती से इसको निगल ले तो डॉक्टर के पास दिखाए। अब हम फिर भी मूर्ख हैं, वही किये जा रहे हैं, और हमारे कुछ अधिक बुद्धि वाले नौजवान जिनको बहुत ज़्यादा देश भक्ति का नशा हैं, वो कहेंगे के हम तो देशी पेस्ट इस्तेमाल करते हैं, मेरे भाइयो ये पेस्ट संस्कृति ही विदेशी हैं तो इसमें देशी क्या। अगर आपको कुछ इस्तेमाल करना हैं जो स्वस्थ्य की दृष्टि से बढ़िया हो तो आप दातुन या मंजन इस्तेमाल कीजिये। पेस्ट भी कैंसर कारक तत्व हैं। इस से बचिए।

8. कोल्ड ड्रिंक : - बहुत से लोगो को ये समझ आ गया के पेप्सी कोका कोला ड्यू स्प्राइट ये सब की सब आपको बीमार और कैंसर की और ले के जाती हैं, मगर फिर भी वह पीते हैं, और सब से बड़ी बात घर में खुद माँ बाप ही बच्चो के लिए ये ले कर जाते हैं या उनको पिलाते हैं। तो उन से बड़ा अपने ही बच्चो का दुश्मन कौन हो सकता हैं। इसका संपूर्ण बहिष्कार करे।

9. रिफाइंड तेल : - भूल कर भी घर में बड़ी से बड़ी कंपनी का कोई भी रिफाइंड तेल इस्तेमाल ना करे, सीधे कोल्हू से निकला हुआ तेल ही इस्तेमाल करे। चाहे सरसों का, चाहे मूंगफली का, चाहे अलसी का। मगर रिफाइंड तेल ज़हर हैं ये भी बहुत बड़ा कैंसर कारक हैं।

ऐसी अनेक हमारे दैनिक में इस्तेमाल होने वाली वस्तुए हैं, जिनको आप अपने विवेक से इस्तेमाल करे।

आप कम से कम ये चीजे ही करेंगे तो आप और आपका परिवार स्वस्थ रहेगा। कोई रोग उनको छु भी नहीं पायेगा।

अब अगर किसी भाई या बहन को कैंसर हो जाए तो उसको बचने के लिए क्या करना चाहिए। तो आप घबराये नहीं।

केन्सर रोगी के शरीर में विजातीय याने अनावश्यक जहरीले द्रव्यों का संग्रह मौजूद रहता है और इस रोग के इलाज में पहली जरूरत इन विजातीय पदार्थों को शरीर से बाहर निकालना है।विजातीय पदार्थों के शरीर से निष्कासन होने से हमारा प्रतिरक्षा तन्त्र मजबूत होता है और शरीर में केन्सर से लडने की ताकत पैदा होती है।
जहरीले विजातीय पदार्थों के निष्कासन के लिये क्या करें?
1. अदरक का रस दो चम्मच दिन में दो मर्तबा पीयें।
2. हल्दी का सेवन करे।
3. गाय के दूध का सेवन करे।
4. कच्चा लहसुन हर रोज़ ३ - ४ कलिया खाए।
5. गेंहू के जवारों का रस पिए।
6. अलसी के तेल को अपने खाने में इस्तेमाल करे।
7. देसी गाय का मूत्र, उसमे भी विशेष काली गाय (जो गर्भवती न हो) उचित होगा गाय की बछड़ी का गौ मूत्र पीना शुरू करे।
8. ऐसे भोज्य पदार्थ जिनमे फोलिक एसिड ज़्यादा हो वो खाए।
9. पत्तेदार हरी सब्जीयां,लाल मिर्च, अंगूर ,गाजर इन भोजन पदार्थों में एन्टि ओक्सीडेन्ट तत्व होते हैं जो केन्सर के विरुद्ध लडाई में मददगार होते हैं। इनके अलावा केन्सर रोगी को फ़ूल गोभी. पत्तागोभी, ब्रोकली, आलू, मक्का, भूरे चावल , अखरोट और सेब ज़्यादा मात्रा में खिलाये।
10. तुलसी और पुदिने में ऐसे रासायनिक तत्व काफ़ी मात्रा में पाये जाते हैं जिनमें केन्सर उत्पादक फ़्री रेडिकल्स से लडने की शक्ति मौजूद रहती है।
11. नीम : - नीम में कैंसर से लड़ने की बहुत ताक़त हैं, इसको आयुर्वेद में सर्व रोग नाशक कहा जाता हैं, अगर आप कैंसर से पीड़ित हैं तो आप नीम के 8-10 पत्ते हर रोज़ खाए।

इसके अलावा बाजार में आज कल कुछ प्रोडक्ट आते हैं जो हम आपको बताना चाहते हैं जो कैंसर के लिए बहुत ही कारगार हैं।
1. नोनी जूस - ये कैंसर रोग से लड़ने में बहुत मदद करता हैं।
2. एलो वेरा जूस - ये शरीर में से विजातीय पदार्थो को बाहर निकलने में बहुत मदद करता हैं।
3. सी बक थोर्न फ्रूट जूस - इसको हिमालयन बेरी भी कहते हैं, ये अत्यधिक ऑक्सीजन वाला फल होता हैं, जो कैंसर में लड़ने में बहुत कारगार हैं।
4. फुट पैच - आज कल बाजार में फुट पैच आते हैं ये रात को पैरो में या इन्फेक्टेड एरिया में लगा कर ८-१० घंटे तक रखे, फिर इसको उतारेंगे तो ये भी शरीर से ज़हर निकलते हैं।
5. स्पिरिलुना - ये बहुत ही बढ़िया हैं और शरीर को बहुत ताक़त प्रदान करता हैं।

और ये निम्नलिखित भोजन बिलकुल बंद कर दे।

1) शकर ऐसा पदार्थ है जिससे केन्सर को पोषण मिलता है। अत: शकर का उपयोग करना छोड दें, इसकी जगह थौडी मात्रा में शहद या गुड ले सकते हैं।
2. काफ़ी,चाय,चाकलेट में ज्यादा मात्रा में केफ़िन तत्व होता है जो केन्सर को बढावा देता है,अत: इनका त्याग आवश्यक है।
3. केन्सर सेल्स अम्लीय वातावरण में तेजी से पनपते हैं। मंसाहार अम्लीय गुण वाला होता है। इसलिये कुछ और जीने की तमन्ना हो तो केन्सर रोगी मांसाहार छोड दें।
4. केन्सर के सेल्स भरपूर आक्सीजन युक्त वातावरण में जीवित नहीं रह सकते। अत: शरीर में आक्सीजन का प्रवाह बढाने के लिये प्राणायाम करने लाभदायक रहेंगे।
ये लेख संपूर्ण नहीं हैं, जैसे जैसे हमको और जानकारी मिलती जाएंगी इस लेख में सम्मिलित कर दी जाएंगी। आशा करती हूँ ये लेख आपके बहुत काम आएगा।

आपने इसको पूरा पढ़ा, अब आप की ज़िम्मेवारी बनती हैं इसको आगे बढ़ाने की ताकि लोग इस भयंकर रोग से बच सके। आपके विचारो का स्वागत हैं।

बोधिधर्मन : ज़रूर पढ़े और शेयर करे। भारतीय होने पर गर्व महसूस करे।

बोधिधर्मन

ज़रूर पढ़े और शेयर करे।
भारतीय होने पर गर्व महसूस करे।

कई बार हमें शाओलिन मॉन्क से जुड़ी ऐसी खबरें पढ़ने को मिलती हैं जिनके बारे में जानकर हैरत होती है। कोई शाओलिन मॉन्क पानी पर दौड़ लगाता है तो कोई कड़ाही में खौलते पानी में बैठ जाता है, इसके बावजूद उसे कुछ नहीं होता है। दरअसल, ये एक आर्ट है जिस वजह से शाओलिन भिक्षु ऐसा कर गुजरते हैं।
क्या आप जानते हैं कि ये कला चीन और जापान जैसे देशों में कहां से आई? बता दें कि एक भारतीय शख्स ने इस कला को दुनिया के कई देशों में फैलाया था। इस शख्स का नाम बोधिधर्मन था। ऐतिहासिक तथ्यों की मानें तो इन्होंने ही चीन-जापान के लोगों को मार्शल आर्ट सिखाई थी, जिस पर आज वे पूरी दुनिया में इतराते हैं।


कौन थे बोधिधर्मन
आखिर ये बोधिधर्मन कौन थे? बता दें कि बोधिधर्मन मार्शल आर्ट और आयुर्वेद चिकित्सा के जानकार थे। इनका जन्म दक्षिण भारत में पल्लव राज परिवार में हुआ था। वह कांचीपुरम के राजा के पुत्र थे, लेकिन छोटी आयु में ही उन्होंने राज्य छोड़ दिया और भिक्षुक बन गए। इसी क्रम में वे चीन पहुंचे, जहां उन्होंने लोगों की रक्षा की और उन्हें महामारी से भी बचाया। चीन के लोगों ने मार्शल आर्ट और आयुर्वेद चिकित्सा सीखने की इच्छा जाहिर की, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया।
भारत में अमूमन ज्यादातर लोगों को बोधिधर्मन के बारे में कोई भी जानकारी नहीं है। लेकिन चीन में अधिकतर लोगों को बोधिधर्मन के बारे में पता है। वहां पर इन्हें धामू के नाम से भी जाना जाता है। इतना ही नहीं, शाओलिन टेंपल में इनकी मूर्तियां स्थापित हैं और लोग इन्हें पूजते हैं।

बन चुकी है फिल्म
दक्षिण भारतीय भाषा में बोधिधर्मन के पर फिल्म भी बन चुकी है। इस फिल्म में दिखाया गया है कि अपनी मां की इच्छा के अनुसार बोधिधर्मन चीन पहुंचते हैं। वहां पर लोगों को आत्मरक्षा और चिकित्सा की जानकारी देते हैं। हालांकि, अंत में जब वे अपने देश लौटने की इच्छा जाहिर करते हैं, तो वहां के विद्वान यह आशंका व्यक्त करते हैं कि उनके जाने से महामारी फिर से आ सकती है। इसके बाद वहां के लोगों ने उन्हें खाने में जहर दे दिया। हालांकि, बोधिधर्मन को इसका पता चल गया था, इसके बावजूद उन्होंने जहरीला भोजन ग्रहण कर लिया। इस फिल्म में सुपरस्टार सूर्या ने बोधिधर्मन की भूमिका निभाई थी।

चाय के अन्वेषक हैं बोधिधर्मन
ऐसा कहा जाता है कि बोधिधर्मन चाय के अन्वेषक हैं। इसको लेकर दंत कथाएं भी प्रचलित हैं। एक दंत कथा के मुताबिक, एक बार बोधिधर्मन ध्यान करते-करते सो गए। इस बात से उन्हें अपने ऊपर इतना गुस्सा आया कि उन्होंने अपनी पलकों को ही काट डाला। जब उनकी कटी पलकें जमीन पर गिरी, तो वे चाय का पौधा बन गईं। तब से नींद से बचने के लिए भिक्षुओं को चाय पहुंचाई जाने लगी।
कलारिपयात्तु की देन है मार्शल आर्ट
वर्तमान के मार्शल आर्ट चाहे वो कुंग फू हो या वुशु या फिर ताइक्वांडो और कराटे, ये सब प्राचीन भारतीय आत्मरक्षा शैली कलारिपयात्तु की देन हैं। आज भी दक्षिण भारत में लोग इस कला को सीखते हैं। बॉलीवुड एक्टर विद्युत जामवाल भी इस कला में एक्सपर्ट हैं।

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