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बुधवार, 26 जून 2019

संपर्क contact और संजोग(जुड़ाव) connection


संपर्क और संजोग(जुड़ाव)

एक साधु का न्यूयार्क में बडे पत्रकार इंटरव्यू ले रहा थे।

पत्रकार ने जैसा प्लान किया था वैसे ही इंटरव्यू लेना शुरू किया।

पत्रकार-
सर, आपने अपने लास्ट लेक्चर में
संपर्क (Contact) और
संजोग (Connection)
पर स्पीच दिया लेकिन यह बहुत कन्फ्यूज करने वाला था। क्या आप इसे समझा सकते हैं ?

साधु मुस्कराये और उन्होंने कुछ अलग पत्रकारों से ही पूछना शुरू कर दिया।

"आप न्यूयॉर्क से हैं?"

पत्रकार: "Yeah..."

सन्यासी: "आपके घर मे कौन कौन हैं?"

पत्रकार को लगा कि साधु उनका सवाल टालने की कोशिश कर रहे है क्योंकि उनका सवाल बहुत व्यक्तिगत और उसके सवाल के जवाब से अलग था।

फिर भी पत्रकार बोला : मेरी "माँ अब नही हैं, पिता हैं तथा 3 भाई और एक बहिन हैं सब शादीशुदा हैं "

साधू ने चेहरे पे एक मुस्कान के साथ पूछा:
"आप अपने पिता से बात करते हैं?"

पत्रकार चेहरे से गुस्से में लगने लगा...

साधू ने पूछा, "आपने अपने फादर से last कब बात की?"

पत्रकार ने अपना गुस्सा दबाते हुए जवाब दिया : "शायद एक महीने पहले".

साधू ने पूछा: "क्या आप भाई-बहिन अक़्सर मिलते हैं? आप सब आखिर में कब मिले एक परिवार की तरह ?"

इस सवाल पर पत्रकार के माथे पर पसीना आ गया कि , इंटरव्यू मैं ले रहा हूँ या ये साधु ? 
ऐसा लगा साधु, पत्रकार का इंटरव्यू ले रहा है?

एक आह के साथ पत्रकार बोला : "क्रिसमस पर 2 साल पहले".

साधू ने पूछा: "कितने दिन आप सब साथ में रहे ?"

पत्रकार अपनी आँखों से निकले आँसुओं को पोंछते हुये बोला :  "3 दिन..."

साधु: "कितना वक्त आप भाई बहनों ने अपने पिता के बिल्कुल करीब बैठ कर गुजारा ?

पत्रकार हैरान और शर्मिंदा दिखा और एक कागज़ पर कुछ लिखने लगा...

साधु ने पूछा: " क्या आपने पिता के साथ नाश्ता , लंच या डिनर लिया ?
क्या आपने अपने पिता से पूछा के वो कैसे हैँ ? 
माता की मृत्यु के बाद उनका वक्त कैसे गुज़र रहा है ?

पत्रकार की आंखों से आंसू छलकने लगे।

साधु ने पत्रकार का हाथ पकड़ा और कहा: " शर्मिंदा, परेशान या दुखी मत होना।
मुझे खेद है अगर मैंने आपको अनजाने में चोट पहुंचाई हो,
लेकिन ये ही आपके सवाल का जवाब है । "संपर्क और संजोग"
(Contact and Connection)

आप अपने पिता के सिर्फ संपर्क (Contact) में हैं
‌पर आपका उनसे कोई 'Connection'  (जुड़ाव ) नही है।
You are not connected to him.
आप अपने father से संपर्क में हैं जुड़े नही है

Connection हमेशा आत्मा से आत्मा का होता है।
heart से heart होता है।
एक साथ बैठना, भोजन साझा करना और एक दूसरे की देखभाल करना, स्पर्श करना, हाथ मिलाना, आँखों का संपर्क होना, कुछ समय एक साथ बिताना

आप अपने  पिता, भाई और बहनों  के संपर्क ('Contact') में हैं लेकिन आपका आपस मे कोई' जुड़ाव '(Connection) नहीं है".

पत्रकार ने आंखें पोंछी और बोला: "मुझे एक अच्छा और अविस्मरणीय सबक सिखाने के लिए धन्यवाद".

वो तब का न्यूयार्क था पर आज ये भारत की भी सच्चाई हो चली है।
At home and society में सबके हज़ारो संपर्क (contacts) हैं पर कोई connection नही।
कोई विचार-विमर्श  नहीं।
हर आदमी अपनी नकली दुनिया में खोया हुआ है।

हमें केवल "संपर्क" नहीं बनाए रखना चाहिए अपितु "कनेक्टेड" भी रहना चाहिये। हमें हमारे सभी प्रियजनों की देखभाल करना, उनके सुख-दुख को साझा करना और साथ में समय व्यतीत करना चाहिए।

वो साधु और कोई नहीं "पूज्य स्वामी विवेकानंद" थे।


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सोमवार, 24 जून 2019

सोनिया गांधी बहुते नाराज है,क्योंकि उनका खेल ख़त्म किया जा चूका है...!

सोनिया गांधी बहुते नाराज है,क्योंकि उनका खेल ख़त्म किया जा चूका है...!
वैसे तो १६ मई २०१४ के बाद से ही नाराज है लेकिन अब ज्यादा ए नाराज है...सोनिया पहले भी विपक्ष में बैठ चुकी है इसलिए यह प्रश्न तो बनता ही है की आखिर इस बार क्या अलग बात है,कि सोनिया नाराज है...?
अटलबिहारी बाजपेयी की जब सरकार थी तब विपक्ष में थी, लेकिन जलवा उनका बना हुआ था...तब कोई भी अंतर्राष्ट्रीय मेहमान भारत यात्रा पर आता था,वो सोनिया से बिना मिले नही जाता था और कुछ तो वहां उनके निवास में जाकर मिलते थे...पूर्व काल के आदर्शो, राजनैतिक आचरण और सदाचार को राजधर्म समझ कर, बाजपेयी जी ने,सत्ता चले जाने के बाद भी,सोनिया के महारानी पद की गरिमा पर बने रहने दिया था...यहां यह ध्यान देने वाली बात है की अंतर्राष्ट्रीय मेहमान किस से मिलेगा या नही मिलेगा, यह मेजबान राष्ट्र की सहमति से ही तय होता है और बाजपेयी जी अदूरदर्शीता में,महान बनने की बीमारी से ग्रस्त होकर,सोनिया को महामंडित होने दिया...!
सोनिया गांधी से अब कोई नही मिलता है और जहाँ तक मेरी जानकारी है भारत की नई सरकार का रुख देख कर अब कोई भी अंतर्राष्ट्रीय मेहमान, सोनिया से मिलने के लिए, भारतीय विदेश मंत्रालय को अपनी इच्छा प्रगट भी नही करता है...ये सोनिया के अंतर्राष्ट्रीय आभा मंडल का चीर हरण था...!
अंतर्राष्ट्रीय हस्ती के आभा मंडल के समाप्त होने से व्यथित हो कर,सोनिया बहुते नाराज है...!
पहले विपक्ष में थी,तब बेटा बोस्टन हवाई अड्डे पर अवैध डालर और नशीले पदार्थो के चक्कर में पकड़ा जाता था तो बाजपेयी जी सीधे अमेरिका के राष्ट्रपति को फोन कर के बेटे को छोड़ने का अनुग्रह करते थे और बेटा छूट जाता था...अब सोनिया भारत के प्रधानमंत्री को फोन ही नही कर सकती है और न ही कोई अवैधानिक कार्य करा सकती है...!
इससे उपजी हुयी ग्लानि से, सोनिया बहुते नाराज है...!
भारत की नई सरकार,सोनिया की किसी भी ज़िद पर ध्यान ही नही दे रही है और उन्हें भारत की सड़क पर साधारण भारतीय की तरह घूप में खड़ा होना पड़ रहा है...आज सोनिया १९६८ के बाद से,४७ साल बाद,एक आम भारतीयों की कतार में खड़ीं हो गई है...एक साधारण नागरिक बन जाने के अपमान से,सोनिया बहुते नाराज है...!
नेशनलिस्ट सोशलिस्ट कौंसिल ऑफ़ नागालैंड (NSCN) से नई सरकार बिना किसी को हवा लगे,संधि कर लेती है और सोनिया को कानो कान खबर भी नही लगती है...ये ऐसी संधि है, जिस पर सोनिया,चाह कर भी, यह भी नही कह सकती है कि मनमोहन सरकार के काल से ही बात चीत चल रही थी और नई सरकार ने कुछ नया नही किया है...बड़ी झुंझलाहट है,इस गोपनीयता से,सोनिया बहुते नाराज है...!
लेकिन इन सब बातो में सबसे महत्वपूर्ण यह है कि यह संधि उनके' क्रिशचन एवंगलिस्ट' भूमिका पर बहुत बड़ी चोट है...भारत के उत्तरी पूर्व राज्यों को मिलाकर,'किंगडम ऑफ़ क्राइस्ट'(ईसा का राज्य,)बनाने की कोशिश में यह वेटिकन पोप की बहुत बड़ी हार है...शेष भारत के लोग शायद न समझ पाये लेकिन यह एक ऐसी हकीकत है जिसकी जानकारी तीन दशको से भारत के राज्य तंत्र को मालूम थी लेकिन सोनिया गांधी के प्रभाव से,चर्च को,भारत में ईसाई धर्म के प्रसार की,बिना रोक टोक के, अनाधिकारिक छूट थी...ये उनकी ईसाइयत के प्रसार को बढ़ने देने की भूमिका पर सीधा आक्रमण और उनके रोमन कैथोलिक भावना का तिरस्कार था...उनके चर्च और रोमन कैथोलिक आत्मा का इस तरह के तिरस्कार से,सोनिया बहुते नाराज है...!
सोनिया को नाराज और होना है इसलिए उनका सारा रोना पूरा देख लीजिये...यहाँ एक बात याद रखिये की जब जड़ गहरी हो तो तेज़ाब डाला जाता है(चाणक्य ने मट्ठा डाला था)और जड़ धीरे धीरे सुखाई जाती है... हाँ,पेड़ काटा भी जा सकता है लेकिन यह भारत देश है,जहाँ भावना बेन बड़ी जल्दी आहत होती है...जल्दी बाजी में ज्ञानी, अज्ञानी,प्रकृति प्रेमियों के उस पेड़ से लिपट जाने का खतरा बना रहता है उन्हें पूर्व में किये हुए नुकसान और भविष्य में होने वाले नुकसान से मतलब नही रहता है,वो तो सीधे लकडहारे और कुल्हाड़ी पर ऊँगली उठा देते है...!
भारत में ऐसे प्रकृति प्रेमी अभी काफी है और ज्यादातर उस पेड़ की छाँव में ही बैठते हैं...लेकिन ये मुफ्तखोर हराम की छांव में बैठने वाले प्रकृति प्रेमी आंख नाक कान सब कुछ खोल सुन समझ ले... अभी आने वाले समय में इस नाराजगी को चरम की पराकाष्ठा पार कराने वाला है एक चाय वाला...!!!

बुधवार, 19 जून 2019

#बलात्कार अचानक इस देश मे क्यो बढ़ गए ?

*आओ देखे समस्या कहां है*
*कुछ समझने की कोशिश करें*

*#बलात्कार अचानक इस देश मे क्यो बढ़ गए ?*

कुछ उद्धरण से समझते हैं

*1) लोग कहते हैं कि #रेप क्यों होता है ?*

एक 8 साल का लडका सिनेमाघर मे राजा हरिशचन्द्र फिल्म देखने गया और फिल्म से प्रेरित होकर उसने सत्य का मार्ग चुना और वो बडा होकर महान व्यक्तित्व से जाना गया ।

#परन्तु
आज 8 साल का लडका #टीवी पर क्या देखता है ?
सिर्फ #नंगापन और #अश्लील वीडियो और #फोटो ,मैग्जीन मेंअर्धनग्न फोटो ,पडोस मे रहने वाली भाभी के छोटे कपडे !!

लोग कहते हैं कि रेप का कारण बच्चों की #मानसिकता है ।
पर वो मानसिकता आई कहा से ?
उसके जिम्मेदार कहीं न कहीं हम खुद जिम्मेदार है । कयोकि हम #joint family नही रहते ।
हम अकेले रहना पसंद करते हैं । और अपना परिवार चलाने के लिये माता पिता को बच्चों को अकेला छोड़कर काम पर जाना है । और बच्चे अपना अकेलापन दूर करने के लिये #टीवी और #इन्टरनेट का सहारा लेते हैं ।
और उनको देखने के लिए क्या मिलता है सिर्फ वही #अश्लील# #वीडियो और #फोटो तो वो क्या सीखेंगे यही सब कुछ ना ?
अगर वही बच्चा अकेला न रहकर अपने दादा दादी के साथ रहे तो कुछ अच्छे संस्कार सीखेगा ।
कुछ हद तक ये भी जिम्मेदार है ।

2) पूरा देश रेप पर उबल रहा है,
छोटी छोटी बच्चियो से जो दरिंदगी हो रही उस पर सबके मन मे गुस्सा है, कोई सरकार को कोस रहा, कोई समाज को तो कई feminist सारे लड़को को बलात्कारी घोषित कर चुकी है !

लेकिन आप सुबह से रात तक
कई बार sunny leon के कंडोम के add देखते है ..!!
फिर दूसरे add में कोई एक्टर शैम्पू के ऐड में लड़की पटाने के तरीके बताता है ..!!
ऐसे ही Close up, लिम्का, Thumsup भी दिखाता है #लेकिन_तब_आपको_गुस्सा_नही_आता है, है ना ?

आप अपने छोटे बच्चों के साथ music चैनल पर सुनते हैं
दारू बदनाम कर दी ,
कुंडी मत खड़काओ राजा,
मुन्नी बदनाम , चिकनी चमेली, झण्डू बाम , तेरे साथ करूँगा गन्दी बात, और न जाने ऐसी कितनी मूवीज गाने देखते सुनते है
#तब _आपको_गुस्सा_नही_आता ??

मम्मी बच्चों के साथ Star Plus, जी TV, सोनी TV देखती है जिसमें एक्टर और एक्ट्रेस सुहाग रात मनाते है । किस करते है । आँखो में आँखे डालते है
और तो और भाभीजी घर पर है, जीजाजी छत पर है, बहोत से ऐसे  serial  जिसमे एक व्यक्ति दूसरे की पत्नी के पीछे घूमता लार टपकता नज़र आएगा
पूरे परिवार के साथ देखते है ।-
#इन_सब_serial_को_देखकर_आपको_गुस्सा_नही_आता ??

फिल्म्स आती है जिसमे किस (चुम्बन, आलिंगन), रोमांस से लेकर गंदी कॉमेडी आदि सब कुछ दिखाया जाता है ।
पर आप बड़े मजे लेकर देखते है
इन_सब_को_देखकर_आपको_गुस्सा_नही_आता ??

खुलेआम TV- फिल्म वाले आपके बच्चों को बलात्कारी बनाते है, उनके कोमल मन मे जहर घोलते है ।
#तब_आपको_गुस्सा_नही_आता ?
क्योकि
आपको लगता है कि
रेप रोकना सरकार की जिम्मेदारी है । पुलिस, प्रशासन, न्यायव्यवस्था की जिम्मेदारी है ....
लेकिन क्या समाज, मीडिया की कोई जिम्मेदारी नही । अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में कुछ भी परोस दोगे क्या ?

आप तो अखबार पढ़कर, News देखकर बस गुस्सा निकालेंगे, कोसेंगे सिस्टम को, सरकार को, पुलिस को, प्रशासन को , DP बदल लेंगे, सोशल मीडिया पे खूब हल्ला मचाएंगे, बहुत ज्यादा हुआ तो कैंडल मार्च या धरना कर लेंगे लेकिन....

TV, चैनल्स, वालीवुड, मीडिया को कुछ नही कहेंगे । क्योकि वो आपके मनोरंजन के लिए है ।
सच पुछिऐ तो TV Channels अशलीलता परोस रहे है ...
पाखंड परोस रहे है ,
झूंठे विषज्ञापन परोस रहे है ,
झूंठेऔर सत्य से परे ज्योतिषी पाखंड से भरी कहानियां एवं मंत्र , ताबीज आदि परोस रहै है ।
उनकी भी गलती नही है, कयोंकि आप खरीददार हो .....??
बाबा बंगाली, तांत्रिक बाबा, स्त्री वशीकरण के जाल में खुद फंसते हो ।

3) अभी टीवी का खबरिया चैनल मंदसौर के गैंगरेप की घटना पर समाचार चला रहा है |

जैसे ही ब्रेक आये :
पहला विज्ञापन बोडी स्प्रे का जिसमे लड़की आसमान से गिरती है ,
दूसरा कंडोम का ,
तीसरा नेहा स्वाहा-स्नेहा स्वाहा वाला ,
और चौथा प्रेगनेंसी चेक करने वाले मशीन का......
जब हर विज्ञापन, हर फिल्म में नारी को केवल भोग की वस्तु समझा जाएगा तो बलात्कार के ऐसे मामलों को बढ़ावा मिलना निश्चित है ......

क्योंकि
"हादसा एक दम नहीं होता,
वक़्त करता है परवरिश बरसों....!"
ऐसी निंदनीय घटनाओं के पीछे निश्चित तौर पर भी बाजारवाद ही ज़िम्मेदार है ..

4) आज सोशल मीडिया इंटरनेट और फिल्मों में @पोर्न परोसा जा रहा है ।
तो बच्चे तो बलात्कारी ही बनेंगे ना
😢😢😢

ध्यान रहे समाज और मीडिया को बदले बिना ये आपके कठोर सख्त कानून कितने ही बना लीजिए ।
ये घटनाएं नही रुकने वाली है ।

इंतज़ार कीजिये बहुत जल्द आपको फिर केंडल मार्च निकालने का अवसर
हमारा स्वछंद समाज, बाजारू मीडिया और गंदगी से भरा सोशल मिडीया देने वाला है ।

अगर अब भी आप बदलने की शुरुआत नही करते हैं तो समझिए कि ......

फिर कोई भारत की बेटी
निर्भया
गीता
दिव्या
संस्कृति
की तरह बर्बाद होने वाली है ।

आपको आपकी बेटियां बचाना है तो सरकार कानून पुलिस के भरोसे से बाहर निकलकर समाज मीडिया और सोशल मीडिया की गंदगी साफ करने की आवश्यकता है .

शुक्रवार, 7 जून 2019

ब्रेन हेमरेज क्या है


*ब्रेन हेमरेज क्या है*
डा महेश सिन्हा की एक बहुत उपयोगी पोस्ट ---
मस्तिष्क आघात के मरीज़ को कैसे पहचानें?
मस्तिष्क आघात --जी वही, जिसे कईं बार ब्रेन-स्ट्रोक भी कह दिया जाता है अथवा आम भाषा में दिमाग की नस फटना या ब्रेन-हैमरेज भी कह देते हैं।
इस के बारे में पोस्ट डाक्टर साहब लिखते हैं ----
एक पार्टी चल रही थी, एक मित्र को थोड़ी ठोकर सी लगी और वह गिरते गिरते संभल गई और अपने आस पास के लोगों को उस ने यह कह कर आश्वस्त किया कि सब कुछ ठीक है, बस नये बूट की वजह से एक ईंट से थोड़ी ठोकर लग गई थी। (आस पास के लोगों ने ऐम्बुलैंस बुलाने की पेशकश भी की).
साथ में खड़े मित्रों ने उन्हें साफ़ होने में उन की मदद की और एक नई प्लेट भी आ गई। ऐसा लग रहा था कि इन्ग्रिड थोड़ा अपने आप में नहीं है लेकिन वह पूरी शाम पार्टी तो एकदम एन्जॉय करती रहीं। बाद में इन्ग्रिड के पति का लोगों को फोन आया कि कि उसे हस्पताल में ले जाया गया लेकिन वहां पर उस ने उसी शाम को दम तोड़ दिया।
दरअसल उस पार्टी के दौरान इन्ग्रिड को ब्रेन-हैमरेज हुआ था --अगर वहां पर मौजूद लोगों में से कोई इस अवस्था की पहचान कर पाता तो आज इन्ग्रिड हमारे बीच होती।
ठीक है ब्रेन-हैमरेज से कुछ लोग मरते नहीं है --लेकिन वे सारी उम्र के लिये अपाहिज और बेबसी वाला जीवन जीने पर मजबूर तो हो ही जाते हैं।
जो नीचे लिखा है इसे पढ़ने में केवल आप का एक मिनट लगेगा ---
स्ट्रोक की पहचान ---
एक न्यूरोलॉजिस्ट कहते हैं कि अगर स्ट्रोक का कोई मरीज़ उन के पास तीन घंटे के अंदर पहुंच जाए तो वह उस स्ट्रोक के प्रभाव को समाप्त (reverse)भी कर सकते हैं---पूरी तरह से। उन का मानना है कि सारी ट्रिक बस यही है कि कैसे भी स्ट्रोक के मरीज़ की तुरंत पहचान हो, उस का निदान हो और उस को तीन घंटे के अंदर डाक्टरी चिकित्सा मुहैया हो, और अकसर यह सब ही अज्ञानता वश हो नहीं पाता।
स्ट्रोक के मरीज़ की पहचान के लिये तीन बातें ध्यान में रखिये --और इस से पहले हमेशा याद रखिये ----STR.
डाक्टरों का मानना है कि एक राहगीर भी तीन प्रश्नों के उत्तर के आधार पर एक स्ट्रोक के मरीज की पहचान करने एवं उस का बहुमूल्य जीवन बचाने में योगदान कर सकता है.......इसे अच्छे से पढ़िये और मन में बैठा लीजिए --
S ---Smile आप उस व्यक्ति को मुस्कुराने के लिये कहिए।
T-- talk उस व्यक्ति को कोई भी सीधा सा एक वाक्य बोलने के लिये कहें जैसे कि आज मौसम बहुत अच्छा है।
R --- Raise उस व्यक्ति को दोनों बाजू ऊपर उठाने के लिये कहें।
अगर इस व्यक्ति को ऊपर लिखे तीन कामों में से एक भी काम करने में दिक्कत है , तो तुरंत ऐम्बुलैंस बुला कर उसे अस्पताल शिफ्ट करें और जो आदमी साथ जा रहा है उसे इन लक्षणों के बारे में बता दें ताकि वह आगे जा कर डाक्टर से इस का खुलासा कर सके।
नोट करें ---- स्ट्रोक का एक लक्षण यह भी है --
1. उस आदमी को जिह्वा (जुबान) बाहर निकालने को कहें।
2. अगर जुबान सीधी बाहर नहीं आ रही और वह एक तरफ़ को मुड़ सी रही है तो भी यह एक स्ट्रोक का लक्षण है।
एक सुप्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट का कहना है कि अगर इस ई-मेल को पढ़ने वाला इसे आगे दस लोगों को भेजे तो शर्तिया तौर पर आप एक बेशकीमती जान तो बचा ही सकते हैं ....
और यह जान आप की अपनी भी हो सकती है -।
*समय गूंगा नहीं*
                *बस मौन है,*
*वक्त पर बताता है*
                   *किसका कौन है!*

गुरुवार, 6 जून 2019

हनुमान चालीसा में छिपे मैनेजमेंट के सूत्र

हनुमान चालीसा में छिपे मैनेजमेंट के सूत्र...

कई लोगों की दिनचर्या हनुमान चालीसा पढ़ने से शुरू होती है। पर क्या आप जानते हैं कि श्री *हनुमान चालीसा* में 40 चौपाइयां हैं, ये उस क्रम में लिखी गई हैं जो एक आम आदमी की जिंदगी का क्रम होता है।

माना जाता है तुलसीदास ने चालीसा की रचना मानस से पूर्व किया था। हनुमान को गुरु बनाकर उन्होंने राम को पाने की शुरुआत की।

अगर आप सिर्फ हनुमान चालीसा पढ़ रहे हैं तो यह आपको भीतरी शक्ति तो दे रही है लेकिन अगर आप इसके अर्थ में छिपे जिंदगी  के सूत्र समझ लें तो आपको जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिला सकते हैं।

हनुमान चालीसा सनातन परंपरा में लिखी गई पहली चालीसा है शेष सभी चालीसाएं इसके बाद ही लिखी गई।

हनुमान चालीसा की शुरुआत से अंत तक सफलता के कई सूत्र हैं। आइए जानते हैं हनुमान चालीसा से आप अपने जीवन में क्या-क्या बदलाव ला सकते हैं….

*शुरुआत गुरु से…*

हनुमान चालीसा की शुरुआत *गुरु* से हुई है…

श्रीगुरु चरन सरोज रज,
निज मनु मुकुरु सुधारि।

*अर्थ* - अपने गुरु के चरणों की धूल से अपने मन के दर्पण को साफ करता हूं।

गुरु का महत्व चालीसा की पहले दोहे की पहली लाइन में लिखा गया है। जीवन में गुरु नहीं है तो आपको कोई आगे नहीं बढ़ा सकता। गुरु ही आपको सही रास्ता दिखा सकते हैं।

इसलिए तुलसीदास ने लिखा है कि गुरु के चरणों की धूल से मन के दर्पण को साफ करता हूं। आज के दौर में गुरु हमारा मेंटोर भी हो सकता है, बॉस भी। माता-पिता को पहला गुरु ही कहा गया है।

समझने वाली बात ये है कि गुरु यानी अपने से बड़ों का सम्मान करना जरूरी है। अगर तरक्की की राह पर आगे बढ़ना है तो विनम्रता के साथ बड़ों का सम्मान करें।

*ड्रेसअप का रखें ख्याल…*

चालीसा की चौपाई है

कंचन बरन बिराज सुबेसा,
कानन कुंडल कुंचित केसा।

*अर्थ* - आपके शरीर का रंग सोने की तरह चमकीला है, सुवेष यानी अच्छे वस्त्र पहने हैं, कानों में कुंडल हैं और बाल संवरे हुए हैं।

आज के दौर में आपकी तरक्की इस बात पर भी निर्भर करती है कि आप रहते और दिखते कैसे हैं। फर्स्ट इंप्रेशन अच्छा होना चाहिए।

अगर आप बहुत गुणवान भी हैं लेकिन अच्छे से नहीं रहते हैं तो ये बात आपके करियर को प्रभावित कर सकती है। इसलिए, रहन-सहन और ड्रेसअप हमेशा अच्छा रखें।

आगे पढ़ें - हनुमान चालीसा में छिपे मैनेजमेंट के सूत्र...

*सिर्फ डिग्री काम नहीं आती*

बिद्यावान गुनी अति चातुर,
राम काज करिबे को आतुर।

*अर्थ* - आप विद्यावान हैं, गुणों की खान हैं, चतुर भी हैं। राम के काम करने के लिए सदैव आतुर रहते हैं।

आज के दौर में एक अच्छी डिग्री होना बहुत जरूरी है। लेकिन चालीसा कहती है सिर्फ डिग्री होने से आप सफल नहीं होंगे। विद्या हासिल करने के साथ आपको अपने गुणों को भी बढ़ाना पड़ेगा, बुद्धि में चतुराई भी लानी होगी। हनुमान में तीनों गुण हैं, वे सूर्य के शिष्य हैं, गुणी भी हैं और चतुर भी।

*अच्छा लिसनर बनें*

प्रभु चरित सुनिबे को रसिया,
राम लखन सीता मन बसिया।

*अर्थ* -आप राम चरित यानी राम की कथा सुनने में रसिक है, राम, लक्ष्मण और सीता तीनों ही आपके मन में वास करते हैं।
जो आपकी प्रायोरिटी है, जो आपका काम है, उसे लेकर सिर्फ बोलने में नहीं, सुनने में भी आपको रस आना चाहिए।

अच्छा श्रोता होना बहुत जरूरी है। अगर आपके पास सुनने की कला नहीं है तो आप कभी अच्छे लीडर नहीं बन सकते।

*कहां, कैसे व्यवहार करना है ये ज्ञान जरूरी है*

सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा, बिकट रुप धरि लंक जरावा।

*अर्थ* - आपने अशोक वाटिका में सीता को अपने छोटे रुप में दर्शन दिए। और लंका जलाते समय आपने बड़ा स्वरुप धारण किया।

कब, कहां, किस परिस्थिति में खुद का व्यवहार कैसा रखना है, ये कला हनुमानजी से सीखी जा सकती है।

सीता से जब अशोक वाटिका में मिले तो उनके सामने छोटे वानर के आकार में मिले, वहीं जब लंका जलाई तो पर्वताकार रुप धर लिया।

अक्सर लोग ये ही तय नहीं कर पाते हैं कि उन्हें कब किसके सामने कैसा दिखना है।

*अच्छे सलाहकार बनें*

तुम्हरो मंत्र बिभीसन माना, लंकेस्वर भए सब जग जाना।

*अर्थ* - विभीषण ने आपकी सलाह मानी, वे लंका के राजा बने ये सारी दुनिया जानती है।

हनुमान सीता की खोज में लंका गए तो वहां विभीषण से मिले। विभीषण को राम भक्त के रुप में देख कर उन्हें राम से मिलने की सलाह दे दी।

विभीषण ने भी उस सलाह को माना और रावण के मरने के बाद वे राम द्वारा लंका के राजा बनाए गए। किसको, कहां, क्या सलाह देनी चाहिए, इसकी समझ बहुत आवश्यक है। सही समय पर सही इंसान को दी गई सलाह सिर्फ उसका ही फायदा नहीं करती, आपको भी कहीं ना कहीं फायदा पहुंचाती है।

*आत्मविश्वास की कमी ना हो*

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही, जलधि लांघि गए अचरज नाहीं।

*अर्थ* - राम नाम की अंगुठी अपने मुख में रखकर आपने समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई अचरज नहीं है।

अगर आपमें खुद पर और अपने परमात्मा पर पूरा भरोसा है तो आप कोई भी मुश्किल से मुश्किल टॉस्क को आसानी से पूरा कर सकते हैं।

आज के युवाओं में एक कमी ये भी है कि उनका भरोसा बहुत टूट जाता है। आत्मविश्वास की कमी भी बहुत है। प्रतिस्पर्धा के दौर में आत्मविश्वास की कमी होना खतरनाक है। अपनेआप पर पूरा भरोसा रखे

        जय श्री राम

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