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सोमवार, 13 जनवरी 2020

गुड़ और चने खाने से सिर्फ पुरषों को नहीं महिलाओ को भी बहुत फायदा होता है।


गुड़ और चने खाने से सिर्फ पुरषों को नहीं महिलाओ को भी बहुत फायदा होता है। आइए जानते है:
भूने चने खाने से सेहत को काफी फायदा होता है लेकिन जब इनके साथ गुड़ का भी सेवन किया जाता है तो यह शरीर के लिए और भी फायदेमंद साबित होता हैं। मर्दों के लिए गुड़ और चना खाना काफी फायदेमंद तो होता ही है लेकिन जो महिलाएं सप्ताह में एक बार गुड़ और चना खाती हैं उनमें आयरन की कमी नहीं होती।
अक्सर पुरूष बॉडी बनाने के लिए जिम में जाकर कसरत करते हैं ऐसे में उन्हें गुड़ और चने का सेवन जरूर करना चाहिए। इससे मसल्स मजबूत होते हैं और शरीर को अनेक फायदे मिलते हैं।
गुड़ खाने से खून बढ़ता है और चना स्टैमिना बढ़ता है अगर आपने गुड़ और चना साथ में खाना चालू कर दिया तो रोग आपसे कोसों दूर चले जायेगे, ठंड में गुड़ और चना साथ में खाने के फायदे और बढ़ जाते है क्योंकि यह आपको सर्दी से भी बचायेगा तो आइये जानते है गुड़ और चना साथ में खाने के फायदों को:
गुड़ और चना मसल्स बनाने के लिए
गुड़ और चने में काफी मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है जो मसल्स को मजबूत बनाने में मदद करता है। मर्दों को हर रोज इसका सेवन करना चाहिए।
चेहरा निखारने के लिए गुड़ और चना
इसमें जिंक होता है जो त्वचा को निखारने में मदद करता है। मर्दों को रोजाना इसका सेवन करना चाहिए जिससे उनके चेहरे की चमक बढ़ेगी और वे पहले से ज्यादा स्मार्ट भी लगेगे।
गुड़ और चना मोटापा कम करने के लिए
गुड़ और चने को एक साथ खाने से शरीर का मैटाबॉलिज्म बढ़ता है जो मोटापा कम करने में मदद करता है। कई मर्द वजन कम करने के लिए जिम जाकर एक्सरसाइज करते हैं उन्हें गुड़ और चने का सेवन जरूर करना चाहिए।
कब्ज दूर करने के लिए गुड़ और चना
शरीर का डाइजेशन सिस्टम खराब होने की वजह से कब्ज और एसिडिटी की समस्या हो जाती है। ऐसे में गुड़ और चने खाएं, इसमें फाइबर होता है जो पाचन शक्ति को ठीक रखता है।
गुड़ और चना दिमाग तेज करने के लिए
गुड़ और चने को मिलाकर खाने से दिमाग तेज होता है। इसमें विटामिन-बी6 होता है जो याददाश्त बढ़ाता है।
दांत मजबूत करने के लिए गुड़ और चना
इसमें फॉस्फोरस होता है जो दांतो के लिए काफी फायदेमंद है। इसके सेवन से दांत मजबूत होते हैं और जल्दी नहीं टूटते।
गुड़ और चना खाने के फायदे हार्ट के लिए
जिन लोगों को दिल से जुड़ी कोई समस्या होती है। उनके लिए गुड़ और चने का सेवन काफी फायदेमंद है। इसमें पोटाशियम होता है जो हार्ट अटैक होने से बचाता है।
गुड़ और चना हड्डियां मजबूत करने के लिए
आपको बता दें गुड़ और चने में कैल्शियम होता है जो हड्डियों को मजबूत करता है। इसके रोजाना सेवन से गठिया के रोगी को काफी फायदा होता है।
गुड़ और चना के लाभ पुरुष रोगों में
चने और गुड़ खाने वाला व्यक्ति सदैव जवानी का अहसास करता है। कमजोरी दूर होकर शरीर हिष्ट पुष्ट रहता है। शरीर में बलवीर्य और तेज़ बना रहता है।
गुड़ और चना खून की कमी को दूर करे
गुड़ और चना दोनों ही आयरन से भरपूर होते हैं यही कारण है कि एनीमिया से बचने के लिए यह बेहद मददगार साबित होते है। गुड़ में उच्च मात्रा में आयरन होता है और भुने हुए चने में आयरन के साथ-साथ प्रोटीन भी पाया जाता है। इस प्रकार गुड़ और चने को एक साथ मिलाकर खाने से एनीमिया रोग के लिए जिम्मेदार आवश्यक पोषक तत्वों की कमी पूरी हो जाती है, और खून की कमी दूर होती है।

गुड़ और चने का सेवन जरूर करना चाहिए। सेहत के लिए गुड़ और चने काफी फायदेमंद होते हैं।
आजकल युवा अपनी फिटनेस को लेकर सर्तक रहते हैं। अक्सर पुरूष बॉडी बनाने के लिए जिम में जाकर कसरत करते हैं।
पुरुषों के लिए गुड़ और चने खाना बहुत बढ़िया होता है। आइए आपको बताते हैं इसे खाने से क्या होते हैं फायदे...
1. चेहरा पर निखार
  • गुड़ और चने से त्वचा में निखार आता है।
  • मर्दों को रोजाना इसका सेवन करना चाहिए जिससे उनके चेहरे की चमक बढ़ेगी और वे पहले से ज्यादा स्मार्ट भी लगेंगे।
2. मसल्स बनाने के लिए
  • गुड़ और चने में काफी मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है जो मसल्स को मजबूत बनाने में मदद करता है।
  • मर्दों को हर रोज इसका सेवन करना चाहिए।
3. वजन कम
  • गुड़ और चने को एक साथ खाने से शरीर का मैटाबॉलिज्म बढ़ता है जो मोटापा कम करने में मदद करता है।
  • कई मर्द वजन कम करने के लिए जिम जाकर एक्सरसाइज करते हैं उन्हें गुड़ और चने का सेवन जरूर करना चाहिए।
4. कब्ज दूर
  • शरीर का डाइजेशन सिस्टम खराब होने की वजह से कब्ज और एसिडिटी की समस्या हो जाती है।
  • ऐसे में गुड़ और चने खाएं, इसमें फाइबर होता है जो पाचन शक्ति को ठीक रखता है।
5. दिमाग तेज
  • गुड़ और चने को मिलाकर खाने से दिमाग तेज होता है। इसमें विटामिन-बी6 होता है जो याददाश्त बढ़ाता है।
6. दांत मजबूत
  • इसमें फॉस्फोरस होता है जो दांतो के लिए काफी फायदेमंद है।
  • इसके सेवन से दांत मजबूत होते हैं और जल्दी नहीं टूटते।

अब WiFi के जैसा ही LiFi आ गया है

भारत में भले ही इंटरनेट की स्पीड कम हो लेकिन दुनिया 5जी और इससे आगे निकल रही है। ऐसी ही एक तकनीक है Li-Fi। इसका फुल फॉर्म है Light Fidelity। यह एक ऐसी तकनीक है जो वायरलेस कम्युनिकेशन पर काम करती है। इसमें डिवाइस डाटा ट्रांसमिट के लिए प्रकाश (लाइट) का इस्तेमाल करता है।
सबसे पहले Harald Haas ने हमें बताया की VLC क्या है ? जब भी कभी data को visible light portion से भेजा जाता है, तो उसे VLC अर्थात visible light communication कहा जाता है. सबसे पहले 2011 इन्होने TECH TALK में lifi का प्रदर्सन किया था जिसके बाद ये काफी चर्चा में आ गयी थी.
इसी साल 2011 ही में इन्होने PURE LIFI नमक एक संस्था का उद्घाटन किया जिसके co-founder भी ये है. इसके पहले इस company का नाम Pure VLC था परन्तु lifi के business को बढ़ने के लिए ये company LED Bulb के field में काम करने लगी जिसके बाद इसका नाम बदल दिया गया.
ओक्टुबर 2011 में ही कई सारे Groups of companies मिल के LI-fi Consortium बनाया . इन सभी लोगों का सिर्फ एक ही मकसद था की कैसे लोगों को सबसे तेज़ data tranfer speed दे सके. wifi के सिमित दायरे को कैसे बढाया जाये और जो कमियां wifi में है उनको कैसे दूर किया जाये.
2012 में VLC को lifi के साथ मिला कर एक प्रदंर्सन में दिखाया गया. इसके बाद अगस्त 2013 के एक प्रदर्सन में यह प्रमाणित हो गया की lifi 1.6 Gbps का speed दे रहा है.
Rusian company Stins coman के द्वारा अप्रैल 2014 में एक wireless network बनाया गया जिसका नाम Beam Caster है. फ़िलहाल इसकी speed 1.25 Gbps है. उमीद किया जा रहा है की इसकी speed भविष्य में लगभग 5 Gbps हो जायेगा, या क्या पता तब तक कोई और fi आ जाये ( हा हा हा… ).
ये lifi के बारे में एक छोटा परन्तु बारा धमाका वाला इतिहास था उमीद है आपने इसे enjoy किया होगा. यदि हा, तो फिर देर किस बात की अभी निचे comment में लिख कर हमें बता दीजिये.
इतना सब कुछ पढ़ने के बाद यदि फायेदा और नुकसान की बात न करे तो शायद हम भारतियों को मज़ा नही आता. है ना ….  तो चलिए इसके फायेदे क्या है और इससे नुकसान क्या क्या है इसको भी समझ लेते है.

इंटरनेट के इस युग में यह तकनीक किसी क्रांति से कम नहीं है। मौजूदा समय में सिग्नल लेने और भेजने के लिए रेडियो सिग्नल्स का इस्तेमाल होता है लेकिन Li-Fi तकनीक में सिग्नल लेने और भेजने के लिए प्रकाश का इस्तेमाल होता है।
कैसे काम करती है Li-Fi तकनीक?
जैसा कि हम आपको पहले बता चुके हैं कि Li-Fi तकनीक में सिग्नल भेजने और रिसीव करने के लिए प्रकाश का इस्तेमाल किया जाता है। दरअसल एलईडी लाइट सिग्नल भेजने के लिए एक सेकेंड्स में लाखों बार टिमटिमाती है, जिसे हम अपनी खुली आंखों से नहीं देख पाते हैं और हमें लगता है कि बल्ब लगातार जल रहा है।
Li-Fi का पुरा नाम है "Light-Fidelity".
आज Internet का नाम लेते ही आजकल हर किसी को YouTube, Whats app, Facebook, Instagram का स्मरण मन में आने लगता है । जिसमे Internet से Downloading और Uploading हम जरुर करते हैं। इसके लिए हमें बहुत अच्छा और High-Speed Internet Connection चाहिए । वैसे तो ज्यादातर लोग Internet को Mobile से या फिर WiFi से access करते हैं ।
Li-Fi एक High Speed Optical Wireless Technology है । इस LiFi technology में Visible Light (LED बल्ब से निकलने वाली रोशनी) का इस्तमाल डिजिटल Information Transmission में किया जाता है । जैसे की आपको पता होगा यह Technology WiFi से मिलती जुलती है वैसे तो दोनों WiFi और LiFi में काफी अंतर है. दोनों सामान इसीलिए हैं क्यूंकि दोनों Wireless तरीके से Information को Share करते हैं ।
Li-Fi technology Wi-fi से 100 गुना ज्यादा तेज है और इसकी speed 224 gigabyte/sec तक पहुंच सकती हैंy । इस technology(Li-Fi) में Data , LED bulb की मदद से transfer होता है और Li-fi में Light waves (प्रकाश तरंगे) दिवार के दूसरी तरफ ना जाने के कारण Transmission Secure रहता है ।
Li-Fi और Wi-Fi में कुछ अंतर इस है:-
1.) Data का transmission:
-> Li-Fi में data transmission light bulbs के द्वारा होता है, Wi-fi में data transmission Radio wave के द्वारा होता है ।
2.) Technology:
-> Li-Fi में IrDA complement devices और Wi-fi में WLAN 802.11a/b/g/n/ac/ad standard compliant devices का उपयोग होता है ।
3.) Data transfer speed:
-> speed 1GB/sec से ज्यादा हो सकती है जबकि Wi-Fi में speed 150MB/sec तक होती हैं ।
4.) Interference:
-> Li-Fi में कोई भी Interference problem नहीं होती हैं जबकि Wi-fi में Router के साथ Interference problem होता है ।
5.) Environment:
-> Li-Fi ज्यादा घनत्व के वातावरण में काम कर सकता है वही Wi-fi कम घनत्व के वातावरण में काम कर सकता है ।
6.) Cost:
-> Li-Fi, Wi-fi की तुलना में सस्ता होगा ।
7.) Privacy:
-> Li-Fi में Data, LED bulb की मदद से transfer होता है और इस में Light waves (प्रकाश तरंगे) दिवार के दूसरी तरफ ना जाने के कारण Transmission Secure रहता है । जबकि Wi-fi में Radio signals दीवार के पार जा सकते है इसलिए Wi-fi में data कम secure रहता है ।
सबसे पहले Harald Haas ने हमें बताया की VLC क्या है ? जब भी कभी data को visible light portion से भेजा जाता है, तो उसे VLC अर्थात visible light communication कहा जाता है. सबसे पहले 2011 इन्होने TECH TALK में lifi का प्रदर्सन किया था जिसके बाद ये काफी चर्चा में आ गयी थी.
इसी साल 2011 ही में इन्होने PURE LIFI नमक एक संस्था का उद्घाटन किया जिसके co-founder भी ये है. इसके पहले इस company का नाम Pure VLC था परन्तु lifi के business को बढ़ने के लिए ये company LED Bulb के field में काम करने लगी जिसके बाद इसका नाम बदल दिया गया.
ओक्टुबर 2011 में ही कई सारे Groups of companies मिल के LI-fi Consortium बनाया . इन सभी लोगों का सिर्फ एक ही मकसद था की कैसे लोगों को सबसे तेज़ data tranfer speed दे सके. wifi के सिमित दायरे को कैसे बढाया जाये और जो कमियां wifi में है उनको कैसे दूर किया जाये.
2012 में VLC को lifi के साथ मिला कर एक प्रदंर्सन में दिखाया गया. इसके बाद अगस्त 2013 के एक प्रदर्सन में यह प्रमाणित हो गया की lifi 1.6 Gbps का speed दे रहा है.
Rusian company Stins coman के द्वारा अप्रैल 2014 में एक wireless network बनाया गया जिसका नाम Beam Caster है. फ़िलहाल इसकी speed 1.25 Gbps है. उमीद किया जा रहा है की इसकी speed भविष्य में लगभग 5 Gbps हो जायेगा, या क्या पता तब तक कोई और fi आ जाये ( हा हा हा… ).
ये lifi के बारे में एक छोटा परन्तु बारा धमाका वाला इतिहास था उमीद है आपने इसे enjoy किया होगा. यदि हा, तो फिर देर किस बात की अभी निचे comment में लिख कर हमें बता दीजिये.
इतना सब कुछ पढ़ने के बाद यदि फायेदा और नुकसान की बात न करे तो शायद हम भारतियों को मज़ा नही आता. है ना ….  तो चलिए इसके फायेदे क्या है और इससे नुकसान क्या क्या है इसको भी समझ लेते है.

स्त्रोत : Google

शनिवार, 28 दिसंबर 2019

क्या महाराणा प्रताप वास्तव में 7 फ़ीट 4 इंच लंबे थे? क्या उनके भाले के अलावा और कोई प्रमाण है कि उनका कद इतना लंबा था?

आप प्रमाण मांगते हैं लीजिए प्रमाण,
गूगल बाबा
पुरातत्व विभाग के कई शोधों के बाद पता चला है कि उनका कद 7 फीट 4 इंच ही था!
🔴महाराणा प्रताप के बारे में कुछ रोचक जानकारी:-
1... महाराणा प्रताप एक ही झटके में घोड़े समेत दुश्मन सैनिक को काट डालते थे।
2.... जब इब्राहिम लिंकन भारत दौरे पर आ रहे थे । तब उन्होने अपनी माँ से पूछा कि- हिंदुस्तान से आपके लिए क्या लेकर आए ? तब माँ का जवाब मिला- ”उस महान देश की वीर भूमि हल्दी घाटी से एक मुट्ठी धूल लेकर आना, जहाँ का राजा अपनी प्रजा के प्रति इतना वफ़ादार था कि उसने आधे हिंदुस्तान के बदले अपनी मातृभूमि को चुना ।”
लेकिन बदकिस्मती से उनका वो दौरा रद्द हो गया था |
“बुक ऑफ़ प्रेसिडेंट यु एस ए ‘ किताब में आप यह बात पढ़ सकते हैं |
3.... महाराणा प्रताप के भाले का वजन 80 किलोग्राम था और कवच का वजन भी 80 किलोग्राम ही था|
कवच, भाला, ढाल, और हाथ में तलवार का वजन मिलाएं तो कुल वजन 207 किलो था।
4.... आज भी महाराणा प्रताप की तलवार कवच आदि सामान उदयपुर राज घराने के संग्रहालय में सुरक्षित हैं |
5.... अकबर ने कहा था कि अगर राणा प्रताप मेरे सामने झुकते है, तो आधा हिंदुस्तान के वारिस वो होंगे, पर बादशाहत अकबर की ही रहेगी|
लेकिन महाराणा प्रताप ने किसी की भी अधीनता स्वीकार करने से मना कर दिया |
6.... हल्दी घाटी की लड़ाई में मेवाड़ से 20000 सैनिक थे और अकबर की ओर से 85000 सैनिक युद्ध में सम्मिलित हुए |
7.... महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक का मंदिर भी बना हुआ है, जो आज भी हल्दी घाटी में सुरक्षित है |
8.... महाराणा प्रताप ने जब महलों का त्याग किया तब उनके साथ लुहार जाति के हजारो लोगों ने भी घर छोड़ा और दिन रात राणा कि फौज के लिए तलवारें बनाईं | इसी समाज को आज गुजरात मध्यप्रदेश और राजस्थान में गाढ़िया लोहार कहा जाता है| मैं नमन करता हूँ ऐसे लोगो को |
9.... हल्दी घाटी के युद्ध के 300 साल बाद भी वहाँ जमीनों में तलवारें पाई गई।
आखिरी बार तलवारों का जखीरा 1985 में हल्दी घाटी में मिला था |
10..... महाराणा प्रताप को शस्त्रास्त्र की शिक्षा "श्री जैमल मेड़तिया जी" ने दी थी, जो 8000 राजपूत वीरों को लेकर 60000 मुसलमानों से लड़े थे। उस युद्ध में 48000 मारे गए थे । जिनमे 8000 राजपूत और 40000 मुग़ल थे |
11.... महाराणा के देहांत पर अकबर भी रो पड़ा था |
12.... मेवाड़ के आदिवासी भील समाज ने हल्दी घाटी में
अकबर की फौज को अपने तीरो से रौंद डाला था । वो महाराणा प्रताप को अपना बेटा मानते थे और राणा बिना भेदभाव के उन के साथ रहते थे ।
आज भी मेवाड़ के राजचिन्ह पर एक तरफ राजपूत हैं, तो दूसरी तरफ भील |
13..... महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक महाराणा को 26 फीट का दरिया पार करने के बाद वीर गति को प्राप्त हुआ | उसकी एक टांग टूटने के बाद भी वह दरिया पार कर गया। जहाँ वो घायल हुआ वहां आज खोड़ी इमली नाम का पेड़ है, जहाँ पर चेतक की मृत्यु हुई वहाँ चेतक मंदिर है |
14..... राणा का घोड़ा चेतक भी बहुत ताकतवर था उसके मुँह के आगे दुश्मन के हाथियों को भ्रमित करने के लिए हाथी की सूंड लगाई जाती थी । यह हेतक और चेतक नाम के दो घोड़े थे|
15..... मरने से पहले महाराणा प्रताप ने अपना खोया हुआ 85 % मेवाड फिर से जीत लिया था । सोने चांदी और महलो को छोड़कर वो 20 साल मेवाड़ के जंगलो में घूमे ।
16.... महाराणा प्रताप का वजन 110 किलो और लम्बाई 7’4” थी, दो म्यान वाली तलवार और 80 किलो का भाला रखते थे हाथ में।
महाराणा प्रताप के हाथी की कहानी:
मित्रो, आप सब ने महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक के बारे में तो सुना ही होगा,
लेकिन उनका एक हाथी भी था। जिसका नाम था रामप्रसाद। उसके बारे में आपको कुछ बाते बताता हुँ।
रामप्रसाद हाथी का उल्लेख अल- बदायुनी, जो मुगलों की ओर से हल्दीघाटी के
युद्ध में लड़ा था ने अपने एक ग्रन्थ में किया है।
वो लिखता है की- जब महाराणा प्रताप पर अकबर ने चढाई की थी, तब उसने दो चीजो को ही बंदी बनाने की मांग की थी । एक तो खुद महाराणा और दूसरा उनका हाथी रामप्रसाद।
आगे अल बदायुनी लिखता है की- वो हाथी इतना समझदार व ताकतवर था की उसने हल्दीघाटी के युद्ध में अकेले ही अकबर के 13 हाथियों को मार गिराया था ।
वो आगे लिखता है कि- उस हाथी को पकड़ने के लिए हमने 7 बड़े हाथियों का एक
चक्रव्यूह बनाया और उन पर14 महावतो को बिठाया, तब कहीं जाकर उसे बंदी बना पाये।
अब सुनिए एक भारतीय जानवर की स्वामी भक्ति।
उस हाथी को अकबर के समक्ष पेश किया गया ।
जहा अकबर ने उसका नाम पीरप्रसाद रखा।
रामप्रसाद को मुगलों ने गन्ने और पानी दिया।
पर उस स्वामिभक्त हाथी ने 18 दिन तक मुगलों का न तो दाना खाया और न ही
पानी पिया और वो शहीद हो गया।
तब अकबर ने कहा था कि- जिसके हाथी को मैं अपने सामने नहीं झुका पाया,
उस महाराणा प्रताप को क्या झुका पाउँगा.?
इसलिए मित्रो हमेशा अपने भारतीय होने पे गर्व करो।

शुक्रवार, 20 दिसंबर 2019

धर्मनिरपेक्षता हिंदुस्तान का सबसे बड़ा झूठ है

धर्मनिरपेक्षता हिंदुस्तान का सबसे बड़ा झूठ है

लोग हज़ारों की हिंसक भीड़ को कुछ ‘अराजक तत्व’ बताकर खारिज कर देते हैं। वो दावा करते हैं कि ये असली प्रदर्शनकारी नहीं है बल्कि असमाजिक तत्व हैं। और यही लोग पिछले 6 सालों से कुछ-एक लिंचिंग घटनाओं को आगे रख ये माहौल बना रहे हैं कि एक कौम ज़ुल्म कर रही है और दूसरे पर जुल्म हो रहा है...

तब कभी ये समझने की कोशिश नहीं की गई वो हिंसा करने वाले भी कुछ हिंसक तत्व ही थे। क्या 130 करोड़ लोगों के मुल्क में जहां 20 करोड़ के करीब मुसलमान हैं आप कुछ-एक घटनाओं को आगे रखकर ये दावा कर सकते हैं कि हर किसी के साथ ऐसा हो रहा है? होनी तो एक भी घटना नहीं चाहिए...लेकिन अगर कोई अफसोसनाक घटना हुई तो उसे उसी संदर्भ में क्यों न देखा जाए मगर तब तक तो आप उसे पूरे देश के माहौल से जोड़कर टिप्पणी करने लगते हैं...आज आप अराजक तत्वों को कौम से न जोड़ने की अपील कर रहे हैं और कठुआ की अफसोसनाक घटना के बाद आपने पूरी हिंदू कौम को ही बलात्कारी बता दिया था...हिंदू धर्म से जुड़े चिन्हों पर आपत्तिजनक चित्र बनाकर हिंदू धर्म को बलात्कारी बताया गया...जिस देश में ये घिनौना अपराध हर किसी के साथ हर रोज़ होता है, उसे इस तरह पेश किया गया जैसे उस बच्ची के साथ सिर्फ उसके धर्म की वजह से ऐसा किया गया...तब क्यूं सिर्फ कुछ लोगों के अपराध की तरह लिया गया...किस-किस मक्कारी का ज़िक्र करू...किस्से ख़त्म नहीं होंगे...

5 सालों में 100 से ज़्यादा हिंदू भी हेटक्राइम का शिकार हुए जिसमें अपराधी मुस्लिम थे...उस पर चर्चा करना तो आपको पता तक नहीं होगा...मगर नहीं, हमें तो वही कुछ-एक मामले आगे रखकर हायतौबा मचानी है। खुद इस बात की शिकायत करते हैं कि सरकार की आलोचना पर आपको एंटी नेशनल बता दिया जाता है और खुद हर उस आदमी को एक खास पार्टी का एजेंट बताते हैं जो आपसे सहमत नहीं होता है। अगर आपका विरोध आपके विश्वास से निकला है, आपकी राजनीतिक Conviction से निकला है, तो सामने वाले का विरोध भी तो उसकी कंवीकशन से निकला हो सकता है...तब आपको ये क्यूं लगता है कि सामने वाला किसी से पैसे लेकर अपना राजनीतिक राय बना रहा है। 
जब आप खुद विरोध का हक चाहते हैं, तो सामने वाले पर बिना लांछन लगाए उसे ये अधिकार क्यों नहीं देते...क्या ये ज़रूरी है कि आप किसी इंसान को तभी ईमानदार मानेंगे जब वो आपकी नफरत से सहमत हो...क्या उसकी पवित्रता तभी साबित होगी जब वो उस इंसान से उतनी ही नफरत करे जितना आप करते हैं...अगर आप अपनी आलोचना में संयम नहीं बरतते तो तब क्यूं भड़क उठते हैं जब लोग आपको पाकिस्तान का हमदर्द बताते हैं...क्या वजह है कि कश्मीर से लेकर 370 तक और सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर कैब तक आपको और पाकिस्तान के सुर एक ही होते हैं...आपको कैसा लगेगा अगर ऐसे हर मामले पर आपको पाकिस्तानी एजेंट बता दिया जाए...बुरा लगता है न...उसी तरह उन लोगों को भी लगता है जो अपनी निजी निष्ठा से कोई बात बोलते हैं और आप उन्हें भक्त, एजेंट या बिका हुआ बता देते हैं।

आप हज़ारों सालों की गंगा ज़मनी संस्कृति की दुहाई देते हैं, तो क्यूं आपकी कुछ कमज़ोरियों पर सवाल उठाने पर इतना बिदक जाते हैं...क्या दुनिया के सारे रिश्ते ऐसे ही वर्क करते हैं...घर पर मां-बाप से प्यार करते हैं, तो क्या उनकी हर बात से सहमत होते हैं...नहीं न..उनसे प्यार करते हुए उन्हें उनकी गलती बताते हैं न...वो भी आपको प्यार करते हुए आपको भी आपको गलती बताते हैं, तो क्यों ये छूट धर्मों के बीच लोगों को नहीं हो सकती...आप क्यों खुद को आलोचना से ऊपर मानते हैं...ये कैसी गंगा जमनी संस्कृति है जहां आप सिर्फ तारीफ तो सुन सकते हैं मगर आलोचना नहीं...मगर आपके तो किसी विश्वास पर ज़रा सा सवाल उठा दिया जाए, तो आप सामने वाले कट्टर घोषित कर देते हैं...क्या भाईचारे का मतलब ये होता है कि कोई भी इंसान दूसरे की कमज़ोरी पर सवाल उठाकर उसको शर्मिंदा नहीं करेगा...मगर आप तो हो जाते हैं...तभी तो ट्रिपल तलाक ख़त्म करने को आप मुसलमानों के खिलाफ साजिश बताते हैं...बिना ये सोचे कि पूरी दुनिया इससे कब से मुक्त हो चुकी है..भाइचारे का मतलब क्या किसी को उसके हाल पर छोड़ देना होता है क्या... आप इन सब सवालों पर कभी नहीं सोचते...बस अपनी नफरतों से चिपके रहते हैं...

हिंदुस्तान सेक्युलर मुल्क इसलिए नहीं है क्योंकि नेहरू या कांग्रेस ने आज़ादी के वक्त ऐसा चाहा था..वो इसलिए सेक्युलर है क्योंकि यहां कि बहुसंख्यक आबादी भी यही चाहती रही है...अगर आवाम नहीं चाहती, तो वो कभी नेताओं के कहने पर ऐसा नहीं करती...जैसे पाकिस्तान की मुस्लिम आबादी ने जिन्ना की ख्वाहिश के बावजूद पाकिस्तान को सेक्युलर नहीं होने दिया...संविधान में ही उसे मुस्लिम मुल्क घोषित करवा दिया...अगर ये देश सेक्युलर नहीं होता, तो पाकिस्तान की धर्म लोगों को अपना हीरो बनाने से पहले पूंछ उठाकर देखता कि वो हिंदू या मुसलमान...वो तीनों खानों का बालीवुड का बादशाह नहीं बनाता..अज़हर से लेकर ज़हीर और इरफान जैसों को अपना हीरो नहीं मानता...ये हिंदू धर्म नहीं देखता तभी तो हिंद्स्तान से बेपनाह नफरत करने वाले कश्मीरियों को भी सिर आंखों पर बिठात है....याद है कुछ साल पहले फेमगुरू कुल में आए एक कश्मीरी लड़के काज़ी को लोगों ने सिर्फ इसलिए जीता दिया क्योंकि वो बातें अच्छी करता था...लोगों को उसकी शख्सियत से प्यार हो गया था...अगर हम धर्म या प्रांत के आधार पर नफरत करने वाले होते तो क्या उस राज्य के मुस्लिम लड़के को जीताते जो हर दिन भारत के झंडे जलाती है...

अगर ये हिंदू संयमी नहीं होता, सब्र वाला नहीं होता तो 75 सालों से हिंदू बस्तियों में मुसलमानों को सुबह 6 बजे लाउस्पीकर पर अजान नहीं चलाने देता...यहां भी कॉलेज में हिंदू त्यौहार मनाया जाना खबर बनता...यहां भी पाकिस्तान की तरह Minority की आबादी घटती, उनके धार्मिक स्थल ढहाए जाते...कश्मीर की तरह मंदिरों पर ताले लगाए जाते...मगर तुम्हें ये सब दिखाई नहीं देता...तुम्हें ये इसलिए नहीं दिखाई देता क्योंकि तुम धार्मिक श्रेष्ठता के शिकार हो...तुममें इतना नैतिक साहस नहीं कि अपने मज़हब के कट्टपंथियों के खिलाफ आवाज़ उठा पाओ...
मोदी ने तो 6 साल में देश में धर्मनिरपेक्षता की नींव हिला दी...मगर हर शहर में जो सालों से जो तुम अपने मोहल्ले बसाकर रहते हैं क्या ये भी पीछे जाकर मोदी बसा आए हैं...या तो आपने अपनी मर्ज़ी से ऐसा किया है...या फिर इस देश की हिंदू कौम तुम्हें अपने साथ नहीं रहने देती...अगर ये दोनों ही बातें सच है, तो ये देश तो कभी सेक्युकलर था ही नहीं...मतलब हिंदू कट्टर रहे हैं जो तुम्हें साथ नहीं रख सकते या तुम इतने कट्टर हो जो उसके साथ रहना नहीं चाहते...अगर ऐसा है तो आज तुम किसी गंगा जमनी संस्कृति की, धार्मिक सौहार्द्र की दुहाई देते हो 

ये कैसी धर्मनिरपेक्षता है, जो ज़रा सी तकलीफ होने पर तो संविधान की दुहाई देती है मगर तुम्हें कॉमन सिविल कोड मानने नहीं देती, ट्रिपल तलाक लाने नहीं देती, वंदेमातरम नहीं बोलने देती, हिंदू परिवारों में शादी नहीं करने देती...ये किसी तरह का झूठ हम अपने आप से बोल रहे हैं...जब हमें कानून भी अपने बनाने हैं, रहना भी अपने लोगों के बीच है, मानना भी सिर्फ अपने ईश्वर को है, शादी भी अपने लोगों में ही करनी है, तो किस सेक्युरलिज़्म की बात कर रहे हैं हम...क्यों ये झूठ बोल रहे हैं कि हमने तो कट्टर पाकिस्तान के ऊपर सेकुलर हिंदुस्तान चुना...किसलिए चुना...अपने ही लोगों के बीच अपने मोहल्ले बनाकर उन्ही से रिश्तेदारियां जोड़कर...सेक्युरलिज़्म क्या नियम और शर्तों के साथ आता है...कम से कम मेरा तो नहीं आता...उसमें कोई रोक नहीं है, कोई बंधन नहीं है, मेरा सेकुयुरलजिम तो हर मंदिर-मस्जिद के आगे झुकता है, हर किसी की इबादत की इजाज़त देता है, हर किसी से मोहब्बत की छूट देता है..झांको अपने अंदर पूछो खुद से क्या तुम्हारा सेक्युलरज़िम भी यही बोलता है...अगर नहीं, तो बदलना तुम्हें है मुझे नहीं!

धर्मनिरपेक्षता और कट्टरता पर कुछ समय पहले एक पोस्ट लिखी थी...यहां फिर से दोहरा रहा हूं...शायद इसके बाहर कुछ नहीं है

अगर आपको लगता है कि जिस धर्म में आप पैदा हुए हैं, उसे डिफेंड करना आपकी मजबूरी या फर्ज़ है, तो आप कट्टर हैं। अगर आपको लगता है कि आपका धर्म आलोचना से परे है, तो आप कट्टर हैं। अगर आपको लगता है कि आपका जीवन प्राकृतिक या मानवीय नियमों पर नहीं, आपकी धार्मिक मान्यताओं से तय होगा, तो आप कट्टर हैं। अगर आपको लगता है कि एक भी चीज़ सवाल से परे है या वो अंतिम सत्य है, तो आप कट्टर हैं।

अगर आप अपनी धार्मिक मान्यताओं पर चर्चा के लिए तैयार हैं, तो आप उदार हैं। अगर आप मानते हैं कि सच को किसी धर्म या किताब में नहीं बांधा जा सकता, तो आप उदार हैं। अगर आपको लगता है कि सब कुछ आलोचना के दायरे में है, तो आप उदार हैं।

अगर आपको लगता है कि कुछ चीज़ों पर चर्चा नहीं हो सकती, तो आपको किसी को भी कट्टर कहने का हक नहीं। अगर आपके लिए कोई मान्यता या किताब आलोचना से परे है, तो किसी और के लिए कोई संगठन या व्यक्ति आलोचना से परे हो सकता है। मूर्खता हर हाल में मूर्खता ही होती है फिर चाहे वो एक किताब को जीवन का सच मानने की ज़िद्द में छिपी हो या किसी एक व्यक्ति को राष्ट्र का सच मानने में।

जीवन इतना तेज़ी से बदलता है कि कुछ महीनों के अंतराल में हमारा अपने आप से सहमत होना मुश्किल हो जाता है, ऐसे में अपने आज को हज़ारों साल पुराने किसी किताबी संविधान के हवाले कर देना सिवाए बौधिक आलस्य को और कुछ नहीं। और आलस्य से बड़ा तो दुनिया में दूसरा और कोई पाप है ही नहीं।

किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है

जिन ने राहत इन्दोरी के शेर को शान से पढ़ा कि
"सभी का खून है शामिल यहाँ की मिटटी में
किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है "
तो - उनको उन्ही की भाषा में मुँहतोड़ जवाब :
ख़फ़ा होते हैं होने जाने दो, घर के मेहमान थोड़ी हैं
जहाँ भर से लताड़े जा चुके हैं , इनका मान थोड़ी है
ये कान्हा राम की धरती, सजदा करना ही होगा
मेरा वतन ये मेरी माँ है, लूट का सामान थोड़ी है
मैं जानता हूँ, घर में बन चुके हैं सैकड़ों भेदी
जो सिक्कों में बिक जाए वो मेरा ईमान थोड़ी है
मेरे पुरखों ने सींचा है लहू के कतरे कतरे से
बहुत बांटा मगर अब बस, ख़ैरात थोड़ी है
जो रहजन थे उन्हें हाकिम बना कर उम्र भर पूजा
मगर अब हम भी सच्चाई से अनजान थोड़े हैं ?
बहुत लूटा फिरंगी ने कभी बाबर के पूतों ने
ये मेरा घर है मेरी जाँ, मुफ्त की सराय थोड़ी है...
बिरले मिलते है सच्चे मुसलमान दुनिया में
हर कोई अब्दुल हमीद और कलाम थोड़ी है ।।
कुछ तो अपने भी शामिल है वतन तोड़ने में
अब ये बरखा और रविश मुसलमान थोड़ी है ।
नही शामिल है तुम्हारा खून इस मिट्टी में,
ये तुम्हारे बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है ।।

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