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सोमवार, 13 जनवरी 2020

अब WiFi के जैसा ही LiFi आ गया है

भारत में भले ही इंटरनेट की स्पीड कम हो लेकिन दुनिया 5जी और इससे आगे निकल रही है। ऐसी ही एक तकनीक है Li-Fi। इसका फुल फॉर्म है Light Fidelity। यह एक ऐसी तकनीक है जो वायरलेस कम्युनिकेशन पर काम करती है। इसमें डिवाइस डाटा ट्रांसमिट के लिए प्रकाश (लाइट) का इस्तेमाल करता है।
सबसे पहले Harald Haas ने हमें बताया की VLC क्या है ? जब भी कभी data को visible light portion से भेजा जाता है, तो उसे VLC अर्थात visible light communication कहा जाता है. सबसे पहले 2011 इन्होने TECH TALK में lifi का प्रदर्सन किया था जिसके बाद ये काफी चर्चा में आ गयी थी.
इसी साल 2011 ही में इन्होने PURE LIFI नमक एक संस्था का उद्घाटन किया जिसके co-founder भी ये है. इसके पहले इस company का नाम Pure VLC था परन्तु lifi के business को बढ़ने के लिए ये company LED Bulb के field में काम करने लगी जिसके बाद इसका नाम बदल दिया गया.
ओक्टुबर 2011 में ही कई सारे Groups of companies मिल के LI-fi Consortium बनाया . इन सभी लोगों का सिर्फ एक ही मकसद था की कैसे लोगों को सबसे तेज़ data tranfer speed दे सके. wifi के सिमित दायरे को कैसे बढाया जाये और जो कमियां wifi में है उनको कैसे दूर किया जाये.
2012 में VLC को lifi के साथ मिला कर एक प्रदंर्सन में दिखाया गया. इसके बाद अगस्त 2013 के एक प्रदर्सन में यह प्रमाणित हो गया की lifi 1.6 Gbps का speed दे रहा है.
Rusian company Stins coman के द्वारा अप्रैल 2014 में एक wireless network बनाया गया जिसका नाम Beam Caster है. फ़िलहाल इसकी speed 1.25 Gbps है. उमीद किया जा रहा है की इसकी speed भविष्य में लगभग 5 Gbps हो जायेगा, या क्या पता तब तक कोई और fi आ जाये ( हा हा हा… ).
ये lifi के बारे में एक छोटा परन्तु बारा धमाका वाला इतिहास था उमीद है आपने इसे enjoy किया होगा. यदि हा, तो फिर देर किस बात की अभी निचे comment में लिख कर हमें बता दीजिये.
इतना सब कुछ पढ़ने के बाद यदि फायेदा और नुकसान की बात न करे तो शायद हम भारतियों को मज़ा नही आता. है ना ….  तो चलिए इसके फायेदे क्या है और इससे नुकसान क्या क्या है इसको भी समझ लेते है.

इंटरनेट के इस युग में यह तकनीक किसी क्रांति से कम नहीं है। मौजूदा समय में सिग्नल लेने और भेजने के लिए रेडियो सिग्नल्स का इस्तेमाल होता है लेकिन Li-Fi तकनीक में सिग्नल लेने और भेजने के लिए प्रकाश का इस्तेमाल होता है।
कैसे काम करती है Li-Fi तकनीक?
जैसा कि हम आपको पहले बता चुके हैं कि Li-Fi तकनीक में सिग्नल भेजने और रिसीव करने के लिए प्रकाश का इस्तेमाल किया जाता है। दरअसल एलईडी लाइट सिग्नल भेजने के लिए एक सेकेंड्स में लाखों बार टिमटिमाती है, जिसे हम अपनी खुली आंखों से नहीं देख पाते हैं और हमें लगता है कि बल्ब लगातार जल रहा है।
Li-Fi का पुरा नाम है "Light-Fidelity".
आज Internet का नाम लेते ही आजकल हर किसी को YouTube, Whats app, Facebook, Instagram का स्मरण मन में आने लगता है । जिसमे Internet से Downloading और Uploading हम जरुर करते हैं। इसके लिए हमें बहुत अच्छा और High-Speed Internet Connection चाहिए । वैसे तो ज्यादातर लोग Internet को Mobile से या फिर WiFi से access करते हैं ।
Li-Fi एक High Speed Optical Wireless Technology है । इस LiFi technology में Visible Light (LED बल्ब से निकलने वाली रोशनी) का इस्तमाल डिजिटल Information Transmission में किया जाता है । जैसे की आपको पता होगा यह Technology WiFi से मिलती जुलती है वैसे तो दोनों WiFi और LiFi में काफी अंतर है. दोनों सामान इसीलिए हैं क्यूंकि दोनों Wireless तरीके से Information को Share करते हैं ।
Li-Fi technology Wi-fi से 100 गुना ज्यादा तेज है और इसकी speed 224 gigabyte/sec तक पहुंच सकती हैंy । इस technology(Li-Fi) में Data , LED bulb की मदद से transfer होता है और Li-fi में Light waves (प्रकाश तरंगे) दिवार के दूसरी तरफ ना जाने के कारण Transmission Secure रहता है ।
Li-Fi और Wi-Fi में कुछ अंतर इस है:-
1.) Data का transmission:
-> Li-Fi में data transmission light bulbs के द्वारा होता है, Wi-fi में data transmission Radio wave के द्वारा होता है ।
2.) Technology:
-> Li-Fi में IrDA complement devices और Wi-fi में WLAN 802.11a/b/g/n/ac/ad standard compliant devices का उपयोग होता है ।
3.) Data transfer speed:
-> speed 1GB/sec से ज्यादा हो सकती है जबकि Wi-Fi में speed 150MB/sec तक होती हैं ।
4.) Interference:
-> Li-Fi में कोई भी Interference problem नहीं होती हैं जबकि Wi-fi में Router के साथ Interference problem होता है ।
5.) Environment:
-> Li-Fi ज्यादा घनत्व के वातावरण में काम कर सकता है वही Wi-fi कम घनत्व के वातावरण में काम कर सकता है ।
6.) Cost:
-> Li-Fi, Wi-fi की तुलना में सस्ता होगा ।
7.) Privacy:
-> Li-Fi में Data, LED bulb की मदद से transfer होता है और इस में Light waves (प्रकाश तरंगे) दिवार के दूसरी तरफ ना जाने के कारण Transmission Secure रहता है । जबकि Wi-fi में Radio signals दीवार के पार जा सकते है इसलिए Wi-fi में data कम secure रहता है ।
सबसे पहले Harald Haas ने हमें बताया की VLC क्या है ? जब भी कभी data को visible light portion से भेजा जाता है, तो उसे VLC अर्थात visible light communication कहा जाता है. सबसे पहले 2011 इन्होने TECH TALK में lifi का प्रदर्सन किया था जिसके बाद ये काफी चर्चा में आ गयी थी.
इसी साल 2011 ही में इन्होने PURE LIFI नमक एक संस्था का उद्घाटन किया जिसके co-founder भी ये है. इसके पहले इस company का नाम Pure VLC था परन्तु lifi के business को बढ़ने के लिए ये company LED Bulb के field में काम करने लगी जिसके बाद इसका नाम बदल दिया गया.
ओक्टुबर 2011 में ही कई सारे Groups of companies मिल के LI-fi Consortium बनाया . इन सभी लोगों का सिर्फ एक ही मकसद था की कैसे लोगों को सबसे तेज़ data tranfer speed दे सके. wifi के सिमित दायरे को कैसे बढाया जाये और जो कमियां wifi में है उनको कैसे दूर किया जाये.
2012 में VLC को lifi के साथ मिला कर एक प्रदंर्सन में दिखाया गया. इसके बाद अगस्त 2013 के एक प्रदर्सन में यह प्रमाणित हो गया की lifi 1.6 Gbps का speed दे रहा है.
Rusian company Stins coman के द्वारा अप्रैल 2014 में एक wireless network बनाया गया जिसका नाम Beam Caster है. फ़िलहाल इसकी speed 1.25 Gbps है. उमीद किया जा रहा है की इसकी speed भविष्य में लगभग 5 Gbps हो जायेगा, या क्या पता तब तक कोई और fi आ जाये ( हा हा हा… ).
ये lifi के बारे में एक छोटा परन्तु बारा धमाका वाला इतिहास था उमीद है आपने इसे enjoy किया होगा. यदि हा, तो फिर देर किस बात की अभी निचे comment में लिख कर हमें बता दीजिये.
इतना सब कुछ पढ़ने के बाद यदि फायेदा और नुकसान की बात न करे तो शायद हम भारतियों को मज़ा नही आता. है ना ….  तो चलिए इसके फायेदे क्या है और इससे नुकसान क्या क्या है इसको भी समझ लेते है.

स्त्रोत : Google

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