यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 13 अक्तूबर 2020

मेरा सभी सम्माननीय अभिभावकों से आग्रह है कि आप इस पोस्ट को आप भी जरूर पढ़िए गा और अपने बच्चों को भी पढ़ने का अवसर दें


इससे अच्छी पोस्ट मैंने अपनी ज़िंदगी में आज तक नही पढ़ी, आप भी जरूर पढियेगा, 😭

"बेटा! थोड़ा खाना खाकर जा ..!! दो दिन से तुने कुछ खाया नहीं है।" लाचार माता के शब्द है अपने बेटे को समझाने के लिये।

"देख मम्मी! मैंने मेरी बारहवीं बोर्ड की परीक्षा के बाद वेकेशन में सेकेंड हैंड बाइक मांगी थी, और पापा ने प्रोमिस किया था। आज मेरे आखरी पेपर के बाद दीदी को कह देना कि जैसे ही मैं परीक्षा खंड से बाहर आऊंगा तब पैसा लेकर बाहर खडी रहे। मेरे दोस्त की पुरानी बाइक आज ही मुझे लेनी है। और हाँ, यदि दीदी वहाँ पैसे लेकर नहीं आयी तो मैं घर वापस नहीं आऊंगा।"

एक गरीब घर में बेटे मोहन की जिद्द और माता की लाचारी आमने सामने टकरा रही थी।

"बेटा! तेरे पापा तुझे बाइक लेकर देने ही वाले थे, लेकिन पिछले महीने हुए एक्सिडेंट ..

मम्मी कुछ बोले उसके पहले मोहन बोला "मैं कुछ नहीं जानता .. मुझे तो बाइक चाहिये ही चाहिये ..!!"

ऐसा बोलकर मोहन अपनी मम्मी को गरीबी एवं लाचारी की मझधार में छोड़ कर घर से बाहर निकल गया।

12वीं बोर्ड की परीक्षा के बाद भागवत 'सर एक अनोखी परीक्षा का आयोजन करते थे।
हालांकि भागवत सर का विषय गणित था, किन्तु विद्यार्थियों को जीवन का भी गणित भी समझाते थे और उनके सभी विद्यार्थी विविधतासभर ये परीक्षा अचूक देने जाते थे। 

इस साल परीक्षा का विषय था *मेरी पारिवारिक भूमिका*

मोहन परीक्षा खंड में आकर बैठ गया।
उसने मन में गांठ बांध ली थी कि यदि मुझे बाइक लेकर देंगे तो मैं घर नहीं जाऊंगा।

भागवत सर के क्लास में सभी को पेपर वितरित हो गया। पेपर में 10 प्रश्न थे। उत्तर देने के लिये एक घंटे का समय दिया गया था।

मोहन ने पहला प्रश्न पढा और जवाब लिखने की शुरुआत की।

*प्रश्न नंबर १ :-  आपके घर में आपके पिताजी, माताजी, बहन, भाई और आप कितने घंटे काम करते हो? सविस्तर बताइये?*

मोहन ने त्वरा से जवाब लिखना शुरू कर दिया।

जवाबः
पापा सुबह छह बजे टिफिन के साथ अपनी ओटोरिक्षा लेकर निकल जाते हैं। और रात को नौ बजे वापस आते हैं। कभी कभार वर्धी में जाना पड़ता है। ऐसे में लगभग पंद्रह घंटे।

मम्मी सुबह चार बजे उठकर पापा का टिफिन तैयार कर, बाद में घर का सारा काम करती हैं। दोपहर को सिलाई का काम करती है। और सभी लोगों के सो 
जाने के बाद वह सोती हैं। लगभग रोज के सोलह घंटे।

दीदी सुबह कालेज जाती हैं, शाम को 4 से 8 पार्ट टाइम जोब करती हैं। और रात्रि को मम्मी को काम में मदद करती हैं। लगभग बारह से तेरह घंटे।

मैं, सुबह छह बजे उठता हूँ, और दोपहर स्कूल से आकर खाना खाकर सो जाता हूँ। शाम को अपने दोस्तों के साथ टहलता हूँ। रात्रि को ग्यारह बजे तक पढता हूँ। लगभग दस घंटे।

(इससे मोहन को मन ही मन लगा, कि उनका कामकाज में औसत सबसे कम है।)

पहले सवाल के जवाब के बाद मोहन ने दूसरा प्रश्न पढा ..

*प्रश्न नंबर २ :-  आपके घर की मासिक कुल आमदनी कितनी है?*

जवाबः
पापा की आमदनी लगभग दस हजार हैं। मम्मी एवं दीदी मिलकर पांंच हजार
जोडते हैं। कुल आमदनी पंद्रह हजार।

*प्रश्न नंबर ३ :-  मोबाइल रिचार्ज प्लान, आपकी मनपसंद टीवी पर आ रही तीन सीरियल के नाम, शहर के एक सिनेमा होल का पता और अभी वहां चल रही मूवी का नाम बताइये?*

सभी प्रश्नों के जवाब आसान होने से फटाफट दो मिनट में लिख दिये ..

*प्रश्न नंबर ४ :-  एक किलो आलू और भिन्डी के अभी हाल की कीमत क्या है? एक किलो गेहूं, चावल और तेल की कीमत बताइये? और जहाँ पर घर का गेहूं पिसाने जाते हो उस आटा चक्की का पता  दीजिये।*

मोहनभाई को इस सवाल का जवाब नहीं आया। उसे समझ में आया कि हमारी दैनिक आवश्यक जरुरतों की चीजों के बारे में तो उसे लेशमात्र भी ज्ञान नहीं है। मम्मी जब भी कोई काम बताती थी तो मना कर देता था। आज उसे ज्ञान हुआ कि अनावश्यक चीजें मोबाइल रिचार्ज, मुवी का ज्ञान इतना उपयोगी नहीं है। अपने घर के काम की
जवाबदेही लेने से या तो हाथ बटोर कर साथ देने से हम कतराते रहे हैं।

*प्रश्न नंबर ५ :- आप अपने घर में भोजन को लेकर कभी तकरार या गुस्सा करते हो?*

जवाबः हां, मुझे आलू के सिवा कोई भी सब्जी पसंद नहीं है। यदि मम्मी और कोई सब्जी बनायें तो, मेरे घर में झगड़ा होता है। कभी मैं बगैर खाना खायें उठ खडा हो जाता हूँ। 
(इतना लिखते ही मोहन को याद आया कि आलू की सब्जी से मम्मी को गैस की तकलीफ होती हैं। पेट में दर्द होता है, अपनी सब्जी में एक बडी चम्मच वो अजवाइन डालकर खाती हैं। एक दिन मैंने गलती से मम्मी की सब्जी खा ली, और फिर मैंने थूक दिया था। और फिर पूछा कि मम्मी तुम ऐसा क्यों खाती हो? तब दीदी ने बताया था कि हमारे घर की स्थिति ऐसी अच्छी नहीं है कि हम दो सब्जी बनाकर खायें। तुम्हारी जिद के कारण मम्मी बेचारी क्या करें?)
मोहन ने अपनी यादों से बाहर आकर
अगले प्रश्न को पढा

*प्रश्न नंबर ६ :- आपने अपने घर में की हुई आखरी जिद के बारे में लिखिये ..*

मोहन ने जवाब लिखना शुरू किया। मेरी बोर्ड की परीक्षा पूर्ण होने के बाद दूसरे ही दिन बाइक के लिये जीद्द की थी। पापा ने कोई जवाब नहीं दिया था, मम्मी ने समझाया कि घर में पैसे नहीं है। लेकिन मैं नहीं माना! मैंने दो दिन से घर में खाना खाना भी छोड़ दिया है। जबतक बाइक नहीं लेकर दोगे मैं खाना नहीं खाऊंगा। और आज तो मैं वापस घर नहीं जाऊंगा कहके निकला
हूँ।
अपनी जिद का प्रामाणिकता से मोहन ने जवाब लिखा।

*प्रश्न नंबर ७ :- आपको अपने घर से मिल रही पोकेट मनी का आप क्या करते हो? आपके भाई-बहन कैसे खर्च करते हैं?*

जवाब: हर महीने पापा मुझे सौ रुपये देते हैं। उसमें से मैं, मनपसंद पर्फ्यूम, गोगल्स लेता हूं, या अपने दोस्तों की छोटीमोटी पार्टियों में खर्च करता हूँ।

मेरी दीदी को भी पापा सौ रुपये देते हैं। वो खुद कमाती हैं और पगार के पैसे से मम्मी को आर्थिक मदद करती हैं। हां,  उसको दिये गये पोकेटमनी को वो गल्ले में डालकर बचत करती हैं। उसे कोई मौजशौख नहीं है, क्योंकि वो कंजूस भी हैं।

*प्रश्न नंबर ८ :- आप अपनी खुद की पारिवारिक भूमिका को समझते हो?*
 
प्रश्न अटपटा और जटिल होने के बाद भी मोहन ने जवाब लिखा।
परिवार के साथ जुड़े रहना, एकदूसरे के प्रति समझदारी से व्यवहार करना एवं मददरूप होना चाहिये और ऐसे अपनी जवाबदेही निभानी चाहिये। 
 
यह लिखते लिखते ही अंतरात्मासे आवाज आयी कि अरे मोहन! तुम खुद अपनी पारिवारिक भूमिका को योग्य रूप से निभा रहे हो? और अंतरात्मा से जवाब आया कि ना बिल्कुल नहीं ..!!

*प्रश्न नंबर ९ :- आपके परिणाम से आपके माता-पिता खुश हैं? क्या वह अच्छे परिणाम के लिये आपसे जिद करते हैं? आपको डांटते रहते हैं?*

(इस प्रश्न का जवाब लिखने से पहले हुए मोहन की आंखें भर आयी। अब वह परिवार के प्रति अपनी भूमिका बराबर समझ चुका था।)
लिखने की शुरुआत की ..

वैसे तो मैं कभी भी मेरे माता-पिता को आजतक संतोषजनक परिणाम नहीं दे पाया हूँ। लेकिन इसके लिये उन्होंने कभी भी जिद नहीं की है। मैंने बहुत बार अच्छे रिजल्ट के प्रोमिस तोडे हैं।
 फिर भी हल्की सी डांट के बाद वही प्रेम और वात्सल्य बना रहता था।

*प्रश्न नंबर १० :- पारिवारिक जीवन में असरकारक भूमिका निभाने के लिये इस वेकेशन में आप कैसे परिवार को मददरूप होंगें?*

जवाब में मोहन की कलम चले इससे पहले उनकी आंखों से आंसू बहने लगे, और जवाब लिखने से पहले ही कलम रुक गई .. बेंच के निचे मुंह रखकर रोने लगा। फिर से कलम उठायी तब भी वो कुछ भी न लिख पाया। अनुत्तर दसवां प्रश्न छोड़कर पेपर सबमिट कर दिया।

स्कूल के दरवाजे पर दीदी को देखकर उसकी ओर दौड़ पडा।

"भैया! ये ले आठ हजार रुपये, मम्मी ने कहा है कि बाइक लेकर ही घर आना।"
दीदी ने मोहन के सामने पैसे धर दिये।

"कहाँ से लायी ये पैसे?" मोहन ने पूछा।

दीदी ने बताया
"मैंने मेरी ओफिस से एक महीने की सेलेरी एडवांस मांग ली। मम्मी भी जहां काम करती हैं वहीं से उधार ले लिया, और मेरी पोकेटमनी की बचत से निकाल लिये। ऐसा करके तुम्हारी बाइक के पैसे की व्यवस्था हो गई हैं।

मोहन की दृष्टि पैसे पर स्थिर हो गई।

दीदी फिर बोली " भाई, तुम मम्मी को बोलकर निकले थे कि पैसे नहीं दोगे तो, मैं घर पर नहीं आऊंगा! अब तुम्हें समझना चाहिये कि तुम्हारी भी घर के प्रति जिम्मेदारी है। मुझे भी बहुत से शौक हैं, लेकिन अपने शौख से अपने परिवार को मैं सबसे ज्यादा महत्व देती हूं। तुम हमारे परिवार के सबसे लाडले हो, पापा को पैर की तकलीफ हैं फिर भी तेरी बाइक के लिये पैसे कमाने और तुम्हें दिये प्रोमिस को पूरा करने अपने फ्रेक्चर वाले पैर होने के बावजूद काम किये जा रहे हैं। तेरी बाइक के लिये। यदि तुम समझ सको तो अच्छा है, कल रात को अपने प्रोमिस को पूरा नहीं कर सकने के कारण बहुत दुःखी थे। और इसके पीछे उनकी मजबूरी है।
बाकी तुमने तो अनेकों बार अपने प्रोमिस तोडे ही है न?  
मेरे हाथ में पैसे थमाकर दीदी घर की ओर चल निकली।

उसी समय उनका दोस्त वहां अपनी बाइक लेकर आ गया, अच्छे से चमका कर ले आया था।
"ले .. मोहन आज से ये बाइक तुम्हारी, सब बारह हजार में मांग रहे हैं, मगर ये तुम्हारे लिये आठ हजार ।"

मोहन बाइक की ओर टगर टगर देख रहा था। और थोड़ी देर के बाद बोला
"दोस्त तुम अपनी बाइक उस बारह हजार वाले को ही दे देना! मेरे पास पैसे की व्यवस्था नहीं हो पायी हैं और होने की हाल संभावना भी नहीं है।"

और वो सीधा भागवत सर की केबिन में जा पहूंचा।

"अरे मोहन! कैसा लिखा है पेपर में?
भागवत सर ने मोहन की ओर देख कर पूछा।

"सर ..!!, यह कोई पेपर नहीं था, ये तो मेरे जीवन के लिये दिशानिर्देश था। मैंने एक प्रश्न का जवाब छोड़ दिया है। किन्तु ये जवाब लिखकर नहीं अपने जीवन की जवाबदेही निभाकर दूंगा और भागवत सर को चरणस्पर्श कर अपने घर की ओर निकल पडा।

घर पहुंचते ही, मम्मी पापा दीदी सब उसकी राह देखकर खडे थे।
"बेटा! बाइक कहाँ हैं?" मम्मी ने पूछा। मोहन ने दीदी के हाथों में पैसे थमा दिये और कहा कि सोरी! मुझे बाइक नहीं चाहिये। और पापा मुझे ओटो की चाभी दो, आज से मैं पूरे वेकेशन तक ओटो चलाऊंगा और आप थोड़े दिन आराम करेंगे, और मम्मी आज मैं मेरी पहली कमाई शुरू होगी। इसलिये तुम अपनी पसंद की मैथी की भाजी और बैगन ले आना, रात को हम सब साथ मिलकर के खाना खायेंगे।
 
मोहन के स्वभाव में आये परिवर्तन को देखकर मम्मी उसको गले लगा लिया और कहा कि "बेटा! सुबह जो कहकर तुम गये थे वो बात मैंने तुम्हारे पापा को बतायी थी, और इसलिये वो दुःखी हो गये, काम छोड़ कर वापस घर आ गये। भले ही मुझे पेट में दर्द होता हो लेकिन आज तो मैं तेरी पसंद की ही सब्जी बनाऊंगी।" मोहन ने कहा 
"नहीं मम्मी! अब मेरी समझ गया हूँ कि मेरे घरपरिवार में मेरी भूमिका क्या है? मैं रात को बैंगन मैथी की सब्जी ही खाऊंगा, परीक्षा में मैंने आखरी जवाब नहीं लिखा हैं, वह प्रेक्टिकल करके ही दिखाना है। और हाँ मम्मी हम गेहूं को पिसाने कहां जाते हैं, उस आटा चक्की का नाम और पता भी मुझे दे दो"और उसी समय भागवत सर ने घर में प्रवेश किया। और बोले "वाह! मोहन जो जवाब तुमनें लिखकर नहीं दिये वे प्रेक्टिकल जीवन जीकर कर दोगे 

"सर! आप और यहाँ?" मोहन भागवत सर को देख कर आश्चर्य चकित हो गया।

"मुझे मिलकर तुम चले गये, उसके बाद मैंने तुम्हारा पेपर पढा इसलिये तुम्हारे घर की ओर निकल पडा। मैं बहुत देर से तुम्हारे अंदर आये परिवर्तन को सुन रहा था। मेरी अनोखी परीक्षा सफल रही 
और इस परीक्षा में तुमने पहला नंबर पाया है।" 
ऐसा बोलकर भागवत सर ने मोहन के सर पर हाथ रखा।

मोहन ने तुरंत ही भागवत सर के पैर छुएँ और ऑटो रिक्शा चलाने के लिये निकल पडा....
       मेरा सभी सम्माननीय अभिभावकों से आग्रह है कि आप इस पोस्ट को आप भी जरूर पढ़िए गा और अपने बच्चों को भी पढ़ने का अवसर दें इससे अच्छी पोस्ट मैंने अपनी जिंदगी में आज तक नहीं पड़ी प्रैक्टिकल जीवन में तो मैंने अनुभव किया है लेकिन सभी लोगों को किस प्रकार से अनुभव कराया जाए इसके लिए मेरा आपसे आग्रह है कि आप स्वयं और अपने बच्चों को इस पोस्ट को जरूर करने का अवसर प्रदान करें l
      🙏🏻🙏🏻🙏🏻

सोमवार, 12 अक्तूबर 2020

गुडिमालम में स्थित भगवान शिव की मूर्ति जिस धातु से बनी हैं, वह इन पृथ्वी पर पायी ही नहीं जाती बहुत से विज्ञानिको का कहना हैं, ये कोई 'मयूटोइट्स' हैं जो अंतरिक्ष से गिर है,

भाइयों आज मैं कुछ ऐसा बताने जा रहा हूँ, जिससे आपके अंदर भूचाल आ जायेगा औऱ गर्व से सीना चौड़ा हो जाएगा,पहले ये तस्वीर देखे👇

ये भारत मे पूजे जाने वाली अब तक कि सबसे प्राचीन मूर्ति(लिंगा) हैं, जो की गुडिमालम आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के येरोपेडु मंडल का एक छोटा सा गाँव है, वहाँ पे स्थित हैं, यहाँ भगवान शिव परशुराम जी के कंधे पे खड़े हैं,अब कितने लोग कहने गे यहाँ तो पुरुष प्रजनन अंग की पूजा को दर्शाया गया हैं, तो रुकिए 'शिव पुराण' में यह कहा गया हैं कि भगवान शिव 'शिवलोक' से आये हैं, तो क्या यह उनका विमान का आकार नहीं हो सकता देखिए ये तस्वीर👇

क्या यह कोई स्पेस क्राफ्ट की कैप्सूल नहीं लग रहा, जो नुक्लेअर संचालित हो सकता हैं,औऱ वैसे भी आपको पता होगा कि शिव लिंग से ऊर्जा किसी औऱ चीज़ के मुकाबले ज्यादा निकलती हैं,

  • मैं इस बात पे जोड़ इस लिए दे रहा हूँ क्योकि इस गुडिमालम में स्थित भगवान शिव की मूर्ति जिस धातु से बनी हैं, वह इन पृथ्वी पर पायी ही नहीं जाती बहुत से विज्ञानिको का कहना हैं, ये कोई 'मयूटोइट्स' हैं जो अंतरिक्ष से गिर है, विककीपीडिया भी इसे अज्ञात ही लिखता हैं👇

इसका निर्माण करीबन 4–2 bc पूर्व का माना जाता हैं, परन्तु स्थानीय लोगों का कहना हैं यहाँ की मूर्ति तकरीबन 12 हज़ार साल पुरानी हैं, यह मूर्ति जिस गुफा में स्थित हैं,वहाँ की सैकड़ो दीवाल की बड़ी-बड़ी पत्थड़े झूला की तरह हिलती हैं, जिसका वीडियो यूट्यूब पे उपलब्ध हैं, औऱ गुफा में ऐसी-ऐसी विचित्र घटनाएं होती हैं जिसपे एक वैज्ञनिक मानसकिता वाला व्यक्ति चक्कर खा जाए।

  • ये बात जिससे सुनने ,पढ़ने के बाद दिल से एक ही शब्द निकलता हैं, " मुझे गर्व हैं, की मैं हिन्दू हूँ" अगर आपको भी ये जानकारी अच्छी लगी हो तो उपवोट करे औऱ शेयर करे और अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक को पढ़े👇

Gudimallam - Wikipedia

रविवार, 11 अक्तूबर 2020

खेती-किसानी की कहावतें ...जो बताती हैं कि किसान को कब क्या करना चाहिए


*खेती किसानी*
हजार साल के अनुभव के बाद एक कहावत बनती है 🌱🥦🌲🌴🌳

🌎 खेती-किसानी की कहावतें ...
जो बताती हैं कि किसान को कब क्या करना चाहिएa -

भारत गाँवों का देश है, यहां अच्छी फसल की पैदावार यहां के लोगों का सौभाग्य है और फसल नष्ट होना मौत के समान है। इसलिए यहां लोग अच्छी फसल की कामना करते हैं। इस बारे में लोक का अनुभव ही उसकी ज्ञान सम्पदा है। अनुभवी लोग इस बारे में जो कहते आए हैं, वह 'कहावत' के रूप में मान्य है। समान अनुभव से कही गई इन कहावतों के अधिकतर सूत्र सार्वभौमिक सत्य (Universal truth) होते हैं।

इन कहावतों में खेती को आजीविका का सर्वश्रेष्ठ साधन माना गया है। खेती-किसानी करने वाले को खूब मेहनत करने की सलाह दी जाती है, आलस्य न होना उसका पहला धर्म माना गया है। लोक ज्योतिष वर्षा को बहुत मान्यता देता है, कब किस ग्रह-नक्षत्र में क्या किया जाए कि अच्छी फसल हो, नुकसान (बरबादी) न हो! ये सब कहावतों में वताया गया है, तो आइये हम आपको ऐसी ही कुछ कहावतों से आपको रूबरू करवाते हैं।

*उत्तम खेती मध्यम बान। अधम चाकरी भीख निदान॥*
अर्थ - सर्वश्रेष्ठ व्यवसाय खेती (कृषि) है। मध्यम कोटि का व्यवसाय वाणिज्य (व्यापार) है। नौकरी अधम है। किन्तु भीख मांगना सबसे निकृष्ट (निचले स्तर) कोटि का है।

*भूमि न भुमियां छोडि़ये, बड़ौ भूमि कौ वास। भूमि बिहीनी बेल जो, पल में होत बिनास॥*
अर्थ - अपनी जमीन (आधार) नहीं छोड़नी चाहिये। भूमि पर वास का अपना बड़प्पन है। भूमि छोड़ देने वाली बेल का कुछ ही क्षणों में नाश हो जाता है।

*खेती उत्तम काज है, इहि सम और न होय। खाबे कों सबकों मिलै, खेती कीजे सोय॥*
अर्थ - कृषि उत्तम कार्य है, इसके बराबर और कोई कार्य नहीं है। यह सबको भोजन देती है इसलिये खेती करनी चाहिये।

*असाड़ साउन करी गमतरी, कातिक खाये, पुआ। मांय बहिनियां पूछन लागे, कातिक कित्ता हुआ॥*
अर्थ - आषाढ़ और सावन माह में जो गाँव-गाँव में घूमते रहे तथा कार्तिक में पुआ खाते रहे (मौज उड़ाते रहे) वह माँ, बहिनों से पूछते हैं कि कार्तिक की फसल में कितना (अनाज) पैदा हुआ। अर्थात् जो खेती में व्यक्तिगत रुचि नहीं लेते हैं उन्हें कुछ प्राप्त नहीं होता है।

*उत्तम खेती आप सेती, मध्यम खेती भाई सेती। निक्कट खेती नौकर सेती, बिगड़ गई तो बलाय सेती॥*
अर्थ - उत्तम खेती वह है जो स्वयं की जाय (स्वयं द्वारा सेवित हो), मध्यम खेती वह है जो भाई देखे, निकृष्ट खेती वह है जिसे नौकर देखें। जो बला की तरह की जाय वह खेती बिल्कुल बिगड़ जाती है।

*नित्तई खेती दूजै गाय, जो ना देखै ऊ की जाय। खेती करै रात घर सोवै, काटै चोर मूंड़ धर रोवै॥*
अर्थ - नित्य ही खेती और गाय को जो स्वयं नहीं देखते हैं उसकी (खेती या गाय) चली जाती है। जो खेती करके रात्रि में घर पर सोते हैं- उनकी खेती चोर काट ले जाते हैं, और वह सिर पीटकर रोते हैं अर्थात् कृषि कार्य और गौ सेवा स्वयं करनी चाहिये, दूसरों के भरोसे नहीं।

*कच्चौ खेत न जोतै कोई। नईं तो बीज न अंकुरा होई॥*
अर्थ - कच्चा खेत किसी को नहीं जोतना चाहिये नहीं तो बीज अंकुरित नहीं होता है। कच्चे खेत से तात्पर्य फसल बोने के पूर्व की गयी तैयारी जैसे जोतना, गोड़ना, खाद मिलाने आदि मृदा-संस्कार से है।

*जरयाने उर कांस में, खेत करौ जिन कोय। बैला दोऊ बैंच कें, करो नौकरी सोय॥*
अर्थ - कंटीली झाडि़यों और कांस से युक्त खेत में खेती नहीं करनी चाहिये अन्यथा उससे क्षति होगी। इससे बेहतर है कि दोनों बैल बेचकर नौकरी करें और निश्चिन्त होकर सोवें।

*अक्का कोदों नीम बन, अम्मा मौरें धान। राय करोंदा जूनरी, उपजै अमित प्रमान॥*
अर्थ - जिस वर्ष अकौआ, कोदों, नीम, कपास, और आम अधिक फूलें उस वर्ष धान राय करोंदा तथा ज्वार अधिक मात्रा में पैदा होते हैं।


*आलू बोबै अंधेरे पाख, खेत में डारे कूरा राख। समय समय पै करे सिंचाई, तब आलू उपजे मन भाई॥*
अर्थ - आलू कृष्ण पक्ष में बोना चाहिये, खेत में कूड़ा, राख की खाद डालकर सिंचाई करनी चाहिये तब आलू भारी मात्रा में पैदा होता है।

*गेंवड़े खेती, मेंड़ें महुआ। ऐसौ है तो कौन रखउआ॥*
अर्थ - गाँव के निकट खेती और सीमा पर फलदार वृक्ष नहीं लगाने चाहिये। ऐसा करने पर रखवाली कौन करेगा? अर्थात् कोई नहीं।

*हरिन फलांगन काकरी, पेंग, पेंग कपास। जाय कहौ किसान सें, बोबै घनी उखार॥*
अर्थ - हिरण की छलांग की दूरी पर ककड़ी बोनी चाहिये, किन्तु कपास कदम-कदम की दूरी पर बोना चाहिये। ऊख (गन्ना) को घना बोना चाहिये। ऐसा किसान से जाकर कहना।

*कातिक मास, रात हर जोतौ। टांग पसारें, घर मत सूतौ॥*
अर्थ - कार्तिक के मास में खेत तैयार करने के लिये रात्रि में भी हल जोतना चाहिये।( जुताई का समर्थन ये ग्रुप नही करता)(उन दिनों) घर में टांग पसारकर नहीं सोना चाहिये। अर्थात् रात-दिन का परिश्रम अपेक्षित हैं।

*उत्तर उत्तर दैं गयी, हस्तगओ मुख मोरि। भली बिचारी चित्रा, परजा लइ बहोरि॥*
अर्थ - उत्तरा और हस्त नक्षत्रों में वर्षा न होने से कृषि कार्य होने में बाधा रही उन्हें चित्रा ही भली लगती है जिसके बरसने से खेती संभल गयी और प्रजा बच गयी।


*चित्रा बरसें तीन भये, गोंऊसक्कर मांस। चित्रा बरसें तीन गये, कोदों तिली कपास॥*
अर्थ - चित्रा नक्षत्र में बर्षा होने से कोदों, तिली तथा कपास की फसल नष्ट हो जाती है। किन्तु गेहूं, गन्ना, दाल और में वृद्घि होती है।

*चैत चमक्कै बीजली, बरसै सुदि बैसाख। जेठै सूरज जो तपैं, निश्चै वरसा भाख॥*
अर्थ - चैत्र में बिजली चमके, बैशाख के शुक्ल पक्ष में पानी बरसे तथा ज्येष्ठ में सूरज की गर्मी अधिक हो तो निश्चय ही अच्छी बरसात होगी।

*चौदस पूनों जेठ की बर्षा बरसें जोय। चौमासौ बरसै नहीं नदियन नीर न होय॥*
अर्थ - ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तथा पूर्णिमा को यदि पानी बरसे तो बरसात में पानी नहीं बरसेगा तथा नदियों में पानी नहीं होगा।

*मघा पूर्वा लागी जोर, उर्द मूँग सब धरो बहोर। बऊत बनै तो बैयो, नातर बरा-बरीं कर खैयो॥*
अर्थ - मघा तथा पूर्वा नक्षत्र में अधिक वर्षा होने पर कृषि का नाश हो जाता है, ऐसी स्थिति में उड़द तथा मूंग सब हिफाजत से रख लेना चाहिये। बोते बन सके तो बोना, अन्यथा इन्हीं उड़द मूंग की बड़ी-बरा खाकर संतोष कर लेना-क्योंकि अन्य उपज की आशा नहीं है।

*माघ मास में हिम परै बिजली चमके जोय। जगत सुखी निश्चय रहै वृष्टि घनेरी होय॥*
अर्थ - माघ मास में बिजली चमके और ओले पड़ें तो घनी बर्षा होगी तथा समस्त संसार सुखी रहेगा।

*सावन में पुरवैया, भादों में पछयाव। हरंवारे हर छांड़कें लरका जाय जिबाव॥*
अर्थ - सावन में पूर्व की ओर से (पुरवाई) हवा चले तथा भादों में पश्चिम की ओर से (पछुआ) हवा चले तो अकाल पड़ने की सम्भावना होती है तब किसानों हल छोड़कर बच्चे जीवित रखने का अन्य साधन तलाशना चाहिए।

*सांझें धनुष सकारें मोरा। जे दोनों पानी के बौरा॥*
अर्थ - शाम को इन्द्रधनुष का दिखाई देना और प्रात: काल मोर का नाचना- दोनों पानी बरसने के संकेत हैं।

*सोम, शुक्र, गुरुवार कों फूस अमावस होय। घर-घर बजें बधाइयां, दुखी न दीखै कोय॥*
अर्थ - यदि पौष माह की अमावस्या, सोमवार गुरुवार या शुक्रवार को हो, तो सुकाल आयेगा, कोई दीन दुखी नहीं होगा और घर-घर बधाइयां बजेगी.

चाइनीज़ फेंगशुई की जहरीली और अंधविश्वास को बढ़ावा देती चीजें का जाल फैला हुआ है।


यह सच्ची घटना एक परिचित के साथ घटी थी, जो
उन्होंने बाद में सुनाया था। जब गृह प्रवेश के वक्त मित्रों ने नए घर की ख़ुशी में उपहार भेंट किए थे। अगली सुबह जब उन्हेंने उपहारों को खोलना शुरू किया तो उनके आश्चर्य का ठिकाना नहीं था!

  एक दो उपहारों को छोड़कर बाकी सभी में लाफिंग-बुद्धा, फेंगशुई-पिरामिड, चाइनीज़-ड्रेगन, कछुआ, फेंगसुई-सिक्के, तीन टांगों वाला मेंढक और हाथ हिलाती हुई बिल्ली जैसी अटपटी वस्तुएं दी गई थी।
 जिज्ञासावश उन्होंने इन उपहारों के साथ आए कागजों को पढ़ना शुरू किया जिसमें इन चाइनीज़ फेंगशुई के मॉडलों का मुख्य काम और उसे रखने की दिशा के बारे में बताया गया था। जैसे लाफिंग बुद्धा का काम घर में धन, दौलत, अनाज और प्रसन्नता लाना था और उसे दरवाजे की ओर मुख करके रखना पड़ता था। कछुआ पानी में डूबा कर रखने से कर्ज से मुक्ति, सिक्के वाला तीन टांगों वाला मेंढक रखने से धन का प्रभाव, चाइनीज ड्रैगन को कमरे में रखने से रोगों से मुक्ति, विंडचाइम लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह, प्लास्टिक के पिरामिड लगाने से वास्तुदोषों से मुक्ति, चाइनीज सिक्के बटुए में रखने से सौभाग्य में वृद्धि होगी ऐसा लिखा था।
यह सब पढ़ कर वह हैरान हो गया क्योंकि यह उपहार उन दोस्तों ने दिए थे जो पेशे से इंजीनियर, डॉक्टर और वकील जैसे पदों पर काम कर रहे थे। हद तो तब हो गई जब डॉक्टर मित्र ने रोग भगाने वाला और आयु बढ़ाने वाला चाइनीज ड्रैगन गिफ्ट किया! जिसमें लिखा था “आपके और आपके परिवार के सुखद स्वास्थ्य का अचूक उपाय”! 
    इन फेंगशुई उपहारों में एक प्लास्टिक की सुनहरी बिल्ली भी थी जिसमें बैटरी लगाने के बाद, उसका एक हाथ किसी को बुलाने की मुद्रा में आगे पीछे हिलता रहता था। कमाल तो यह था कि उसके साथ आए कागज में लिखा था “ मुबारक हो, सुनहरी बिल्ली के माध्यम से अपनी रूठी किस्मत को वापस बुलाने के लिए इसे अपने घर, कार्यालय अथवा दुकान के उत्तर-पूर्व में रखिए!”
उन्होंने इंटरनेट खोलकर फेंगशुई के बारे में और पता लगाया तो कई रोचक बातें सामने आई। ओह! जब गौर किया तो 'चीनीआकमण का यह गम्भीर पहलू समझ में आया।
   दुनिया के अनेक देशों में कहीं न कहीं फेंगशुई का जाल फैला हुआ है। इसकी मार्केटिंग का तंत्र इंटरनेट पर मौजूद हजारों वेबसाइट के अलावा, TV कार्यक्रमों, न्यूज़ पेपर्स, और पत्रिकाओं तक के माध्यम से चलता है। मजहबी बनावट के कारण अमूमन मुस्लिम उसके शिकार नही होते। यानी इस हथियार का असल शिकार कौन है? आप समझ सकते हैं। चीनी इस फेंगसुई का इस्तेमाल किसी बाजार में प्रारंम्भिक घुसपैठ के लिए करते हैं।

अनुमानत: भारत में ही केवल इस का कारोबार लगभग 200 करोड रुपए से अधिक का है। उसी के सहारे धीरे-धीरे भारत के उत्पाद मार्केट पर चीनी उत्पादों ने पचास प्रतिशत तक कब्ज़ा लिया है। किसी छोटे शहर की गिफ्ट शॉप से लेकर सुपर माल्स तक चीनी प्रोडक्ट्स आपको हर जगह मिल जाएंगे....वह छा गये है। उन्होंने स्थानीय उत्पादों को लगभग समाप्त कर दिया है। चाइनीज उत्पादों का आक्रामक माल, भारत सहित दुनिया के अलग-अलग देशों में इस कदर बेचा जाता है कि दूसरों की मौलिक अर्थ-व्यवस्था तबाह हो जाती है। सस्ता और बड़ी मात्रा में होना उसका पैंतरा है यानी रणनीति।
 यहां मैं भारत-चीन सीमा संघर्ष, हमसे शत्रुता, उसके इतिहास, तिब्बत को हड़पना, पाकपरस्ती और आतंक को समर्थन, उसकी मिसाइल पालिसी, मक्कारिया आदि नही लिखूंगा जो समझदार है वे खुद समझ जाएंगे।

  अब आते हैं उसके जादुई हथियार पर जो जेहन का शिकार करती है !!!
    चीन में फेंग का अर्थ होता है ‘वायु’ और शुई का अर्थ है ‘जल’ अर्थात फेंगशुई का कोई मतलब है जलवायु। इसका आपके सौभाग्य, स्वास्थ्य और मुकदमे में हार जीत से क्या संबंध है? आप खुद ही समझ सकते हैं. 

  सांस्कृतिक और ऐतिहासिक परिपेक्ष्य से भी देखा जाए तो कौन सा भारतीय अपने घर में आग उगलने वाली चाइनीज छिपकली यानी dragon को देख कर प्रसन्नता महसूस कर सकता है? किसी जमाने में जिस बिल्ली को अशुभ मानकर रास्ते पर लोग रुक जाया करते थे; उसी बिल्ली के सुनहरे पुतले को घर में सजाकर सौभाग्य की मिन्नतें करना महामूर्खता नहीं तो और क्या है?

अब जरा सर्वाधिक लोकप्रिय फेंगशुई उपहार लाफिंगबुद्धा की बात करें- धन की टोकरी उठाए, मोटे पेट वाला गोल मटोल सुनहरे रंग का पुतला- क्या सच में महात्माबुद्ध है? किसी तरह वह बुध्द सा सौम्य,शांत और सुडौल दीखता है??

 क्या बुद्ध ने अपने किसी प्रवचन में कहीं यह बताया था कि मेरी इस प्रकार की मूर्ति को अपने घर में रखो और मैं तुम्हें सौभाग्य और धन दूंगा? उन्होंने तो सत्य की खोज के लिए स्वयं अपना धन और राजपाट त्याग दिया था।
एक बेजान चाइनीज पुतले ( लाफिंगबुद्धा) को हमने तुलसी के बिरवे से ज्यादा बढ़कर मान लिया और तुलसी जैसी रोग मिटाने वाली सदा प्राणवायु देने वाली और हमारी संस्कृति की याद दिलाने वाली प्रकृति के सुंदर देन को अपने घरों से निकालकर, हमने लाफिंग बुद्धा को स्थापित कर दिया और अब उससे सकारात्मकता और सौभाग्य की उम्मीद कर रहे हैं? क्या यही हमारी तरक्की है?

अब तो दुकानदार भी अपनी दुकान का शटर खोलकर सबसे पहले लाफिंग बुद्धा को नमस्कार करते हैं और कभी-कभी तो अगरबत्ती भी लगाते हैं!
फेंगसुई की दुनिया का एक और लोकप्रिय मॉडल है चीनी देवता फुक, लुक और साऊ। फुक को समृद्धि, लुक को यश-मान-प्रतिष्ठा और साउ को दीर्घायु का देवता कहा जाता है। फेंगशुई ने बताया और हम अंधभक्तों ने अपने घरों में इन मूर्तियों को लगाना शुरु कर दिया। मैंने देखा कि इंटरनेट पर मिलने वाली इन मूर्तियों की कीमत भारत में ₹200 से लेकर ₹15000 तक है, मसलन  जैसी जेब- वैसी मूर्ति और उसी हिसाब से सौभाग्य का भी हिसाब-किताब सेट है।

 क्या आप अपनी लोककथाओं और कहानियों में इन तीनों देवताओं का कोई उल्लेख पाते हैं?  क्या भारत में फैले 33 कोटि देवी देवताओं से हमारा मन भर गया कि अब इन चाइनीज देवताओं को भी घर में स्थापित किया जा रहा है? 
 जरा सोचिए कि किसी कम्युनिस्ट चीन के बूढ़े देवता की मूर्ति घर में रखने से हमारी आयु कैसे ज्यादा हो सकती है?  क्या इतना सरल तरीका विश्व के बड़े-बड़े वैज्ञानिकों को अब तक समझ में नहीं आया था?

इसी तरह का एक और फेंगशुई प्रोडक्ट है तीन चाइनीज सिक्के जो लाल रिबन से बंधे होते हैं, फेंगशुई के मुताबिक रिबिन का लाल रंग इन सिक्कों की ऊर्जा को सक्रिय कर देता है और इन सिक्कों से निकली यांग(Yang) ऊर्जा आप के भाग्य को सक्रिय कर देती है। दुकानदारों का कहना है कि इन सिक्कों पर धन के चाइनीज मंत्र भी खुदे होते हैं लेकिन जब मैंने उनसे इन चाइनीज अक्षरों को पढ़ने के लिए कहा तो ना वे इन्हें पढ़ सके और नहीं इनका अर्थ समझा सके?
 मेरा पूछना है कि क्या चीन में गरीब लोग नहीं रहते? क्यों चीनी क्म्यूनिष्ट खुद हर नागरिक के बटुवे में यह सिक्के रखवा कर अपनी गरीबी दूर नहीं कर लेती? हमारे देश के रुपयों से हम इन बेकार के चाइनीससिक्के खरीद कर न सिर्फ अपना और अपने देश का पैसा हमारे शत्रु मुल्क को भेज रहे हैं बल्कि अपने कमजोर और गिरे हुए आत्मविश्वास का भी परिचय दे रहे हैं।
   फेंगशुई के बाजार में एक और गजब का प्रोडक्ट है  तीनटांगोंवालामेंढक जिसके मुंह में एक चीनी सिक्का होता है। फेंगशुई के मुताबिक उसे अपने घर में धन को आकर्षित करने के लिए रखना अत्यंत शुभ होता है। जब मैंने इस मेंढक को पहली बार देखा तो सोचा कि जो देखने में इतना भद्दा लग रहा है वह मेरे घर में सौभाग्य कैसे लाएगा?

मेंढक का चौथा पैर काट कर उसे तीन टांग वाला बनाकर शुभ मानना किस सिरफिरे की कल्पना है?
क्या किसी मेंढक के मुंह में सिक्का रखकर घर में धन की बारिश हो सकती है? 
संसार के किसी भी जीव विज्ञान के शास्त्र में ऐसे तीन टांग वाले ओर सिक्का खाने वाले मेंढक का उल्लेख क्यों नहीं है?

   कम्युनिष्ट चाइना ने इसी तरह के आक्रामक रणनीति के सहारे धीरे-धीरे भारतीय अर्थ-व्यवस्था पर लगभग कब्ज़ा लिया है। उनके इस हथियार से देश के हजारों छोटे कारीगर, लघु उद्यमी, स्थानीय व्यापार, छोटे-कल कारखाने नष्ट हो चुके है। सब वस्तुएं China से बनकर आ रही हैं।

वह वस्तुएं भी जिन्हें बनाने में हजारों सालो से हमारे कारीगर निपुण थे। केवल कुम्हार, बढ़ई, लुहार, कर्मकार आदि 2 करोड़ से अधिक जनसँख्या वाली जातियां थे। वे बेकारी के शिकार हो रहे हैं। आप लिस्टिंग करें। ऐसे हजारों काम-व्यापार दिखेगा जिसे चीन ने अपने छोटे-सस्ते उत्पादों को पाट कर नष्ट करके कब्ज़ा लिया।

हम केवल एक बिचौलिए विक्रेता की भूमिका में ही रह गये हैं।
 बहुत दिमाग लगाकर समझिये अब युद्द के हथियार वह नही होते हैं जो पारपंरिक थे। अब पूरी योजना से शत्रु  के पास जाकर उसके दिमाग को ग्रिप में लेना पड़ता है। यह फेंग-शुई भी उसी दिमागी खेल का हिस्सा है, जो हमारे हजारों साल के अध्यात्मिक ज्ञान को कमजोर करने के लिए भेजा गया है। कम्युनिष्टों ने उसे गोरिल्ला रणनीति की तरह अपनाया है।

  अपनी वैज्ञानिक सोच को जागृत करना और इनसे पीछा छुड़ाना अत्यंत आवश्यक है। आप भी अपने आसपास गौर कीजिए आपको कहीं ना कहीं इस फेंगशुई की जहरीली और अंधविश्वास को बढ़ावा देती चीजें अवश्य ही मिल जाएगी। अब जरा इस पर गौर फरमाएं!!  आपने किसी प्रगतिशीलतावादी क्म्युनिष्ट को इनकी बुराई करते देखा है??

दिन भर टीवी पर हिन्दू विश्वासों का "मखौल उड़ाने वालो सो-काल्ड को आपने कभी इस चाइनीजकम्यूनिष्ट अंध-विश्वास के खिलाफ बोलते सुना है???
समय रहते स्वयं को अपने परिवार को और अपने मित्रों को इस अंधेकुएं से निकालकर अपने देश की मूल्यवान मुद्रा को कम्युनिष्ट चाइना के फैलाए षड्यंत्र की बलि चढ़ने से बचाइए।
मस्तिष्क का इस्तेमाल बढाइये....हथियार पहचानिए......!
ऐसी बेहूदा वस्तुओं को आज ही अपने घर से बाहर फेंकिए

ॐ नमो: नारायण!
🙏जय हिंद जय भारत 🙏🇮🇳

मोदी जो कर रहा है इस तेजी से किसी देश का प्रधानमंत्री नही कर सकता। Pushp...



पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने इस वीडियो के माध्यम से यह भारत की युवाओं को संदेश देते हुए अपने विचारों को भारत की समस्त युवाओं के साथ शेयर किया है। पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ के विचारों के बारे में आप क्या सोचते हैं अपने विचार नीचे कमेंट के माध्यम से हमारे साथ शेयर कर सकते हैं और इस वीडियो को अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया के माध्यम से शेयर कर सकते हैं और हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करके हमारा मनोबल बढ़ा सकते हैं। इस वीडियो को लाइक शेयर करना ना भूले
#Pushpendra_Kulshrestha #Prakrit_bharat

जनरल जीडी बख्शी: हिन्दुस्तान का सबसे बड़ा प्रोपोगेंडा का हुआ खुलासा - Gen...




भारतमाता के लिए मर मिटना मंजूर है मुझे
अखंड हिन्द बनाने का जूनून है मुझे

जनरल जीडी बख्शी द्वारा हिन्दुस्तान का सबसे बड़ा प्रोपोगेंडा का हुआ खुलासा - General GD Bakshi Latest Speech - पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ | Pushpendra Kulshrestha Latest Speech

General GD Bakshi जी ने इस वीडियो में कई असामाजिक तत्वों के बारे में बात की है जो हमारे सामाजिक और राष्ट्रीय मुद्दों को इफेक्ट करती है। इसके अलावा General GD Bakshi जी ने कई अन्य मुद्दों पर भी बात की है जिसे आज के सभी युवा को जानने तथा समझने की अत्यंत आवश्यकता है। आप इस वीडियो के बारे में क्या सोचते हैं अपने विचार नीचे कमेंट के माध्यम से हमारे साथ शेयर कर सकते हैं और अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करने के लिए आप इस वीडियो को अपने परिवार तथा सभी दोस्तों के साथ शेयर करें एवंम आप अपने सभी सोशल मीडिया पर भी इस वीडियो को सांझा कर सकते हैं।




NOTE: All copyrights go to their respective owners.

इस वीडियो का पूरा श्रेय श्री पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ जी पूर्व रॉ अधिकारी ले कर्नल आर एस एन सिंह जी मेजर जनरल जी डी बक्शी जी श्री सुशील पंडित जी श्री तुफैल चतुर्वेदी जी श्री ललित अंबरदार जी श्री गौरव आर्य जी श्री ओम नरेश यादव जी और उनके साथ उनकी पूरी टीम को जाता है जिन्होंने राष्ट्र के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर किए हुए अनवरत कार्यरत हैं।

पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ जी और उनकी टीम का एकमात्र ऑफिसियल चैनल "PUBLIC 24x7" है जिसपर आप उनके सभी फुल लेंथ स्पीच सुन सकते हैं।

SOURCE and CREDIT of these videos:-
CREDIT GOES to following channel and foundation
"PUBLIC 24x7"
https://www.youtube.com/channel/UC1hH...

शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2020

राजस्थान की नई RTOलिस्ट

*राजस्थान की नई RTOलिस्ट*
RJ-01 अजमेर 
RJ-02 अलवर 
RJ-03 बांसवाडा 
RJ-04 बाडमेर 
RJ-05 भरतपुर 
RJ-06 भीलबाडा 
*RJ-07 बीकानेर*
RJ-08 बूंदी 
RJ-09 चित्तौड़गढ़ 
RJ-10 चूरू 
RJ-11 धौलपुर 
RJ-12 डूंगरपुर 
RJ-13 श्रीगंगानगर 
RJ-14 जयपुर 
RJ-15 जैसलमेर 
RJ-16 जालौर
RJ-17 झालाबाड 
RJ-18 झुन्झुनूं 
RJ-19 जोधपुर 
RJ-20 कोटा 
RJ-21 नागौर 
RJ-22 पाली 
RJ-23 सीकर 
RJ-24 सिरोही 
RJ-25 सवाईमाधोपुर 
RJ-26 टोंक 
RJ-27 उदयपुर 
RJ-28 बारा 
RJ-29 दौसा 
RJ-30 राजसंमद 
RJ-31 हनुमानगढ 
RJ-32 कोटपुतली (जयपुर)
RJ-33 रामगंज मण्डी( कोटा )
RJ- 34 करौली 
RJ-35 प्रतापगढ
RJ-36 व्याबर (अजमेर)
RJ-37 डीडवाना (नागौर)
RJ-38 आबूरोड(सिरोही)
RJ-39 बालोतरा( बाडमेर)
RJ-40 भिवाडी (अलवर)
RJ-41 चौमू (जयपुर)
RJ-42 किशनगढ़( अजमेर)
RJ-43 फलौदी (जोधपुर)
RJ-44 सुजानगढ (चूरू)
RJ-45 जयपुर उत्तर 
RJ-46 भीनमाल (जालौर) 
RJ-4 7दूदू (जयपुर)
RJ-48 केकडी (अजमेर)
RJ-49 नोहर (हनुमानगढ)
RJ-50 नोखा (बीकानेर)
RJ-51 शाहपुरा( भीलबाडा )
RJ-52 शाहपुरा (जयपुर)
RJ-53 पीपाड़ (जोधपुर)

      _✍✍✍✍✍

ज़रा होशपूर्वक जिएं !ऐसा बदहवास न जिएं !ऐसा भागमभाग न जिएं !स्वभाव में जिएं.. दूसरे को दिखाने के लिए न जिएं !

*उम्र पचास कि खल्लास !*
------------------------
ज्यादातर भारतीय,  50 की आयु आते-आते अपना स्वास्थ्य खो बैठते हैं !
वे अपने शरीर की गाड़ी को इतना रफ़ चलाते हैं  कि आधे रास्ते में ही उनके रिंग, पिस्टन, प्लग, वॉल्व  सब घिस जाते हैं !
..क्योंकि इस गाड़ी का ड्राइवर महत्वाकांक्षा की शराब में धुत्त होता है !
उसका एक पैर नुमाइश के क्लच पर होता है,  और दूसरा,  प्रतिस्पर्धा के एक्सीलेटर पर  !!
..और दोनों एकसाथ दबे रहते हैं !
फिर वह एक ही गेयर पर  पूरी गाड़ी को  घसीटे रहता है !
बहुधा यह गेयर,  धन कमाने  या सामाजिक हैसियत प्राप्त करने का होता है !

स्वाभाविक है.. ऐसा चालक बहुत जल्दी गाड़ी को ख़राब कर देगा !
यही होता भी है !
*सौ में नब्बे भारतीय, पचास  की आयु* आते-आते बीमारियों का पैकेज़ लिए घूमते हैं !
और यह प्रक्रिया 35 से ही शुरू हो जाती है !

मुझे हैरानी होती है कि जब 30-35 ,उम्र के विवाहित युगल भी, ज्योतिष परामर्श के दौरान यह बताते हैँ कि अब लव लाईफ में कोई एक्साइटमेंट नही रहा !

90 फीसदी बॉयज कुंठित हैं कि 'वे' तैयार ही नही हो पाते.. अथवा चुटकियों में फ़ारिग हो जाते हैं !
कारण साफ है...भागमभाग की प्रतिस्पर्धी जीवन शैली.. शरीर से अपना शुल्क वसूल रही है !
बहुत कम उम्र में बी.पी. ,  शुगर,  मोटापा,  हार्ट डिज़ीज़  कॉमन बातें हो गई हैं !
इसके इतर,  ज्वाइंट्स पेन ,  थॉयरॉइड,  सर्वाइकल, टेंशन हेडेक,  हाइपर एसिडिटी,  अल्सर,  स्टमक अपसेट,  पाईल्स आदि  तो इतनी सामान्य बातें हो गई हैं.. कि इनकी तो गिनती ही रोग में नही की जाती !
...फिर body ache, स्टिफनेस,  मोटा चश्मा  तो श्वास-प्रश्वास की तरह सहज स्वीकार्य हैं  !

चूंकि बी.पी.,  शुगर,  हार्ट का पेशेंट सेक्सुअली काबिल नही रह जाता.. लिहाजा,  सेक्स लाईफ बिगड़ने से उसमें मानसिक अस्वास्थ्य के अन्य लक्षण  भी प्रकट होने लगते हैं.. मसलन - चिड़चिड़ापन,  आकस्मिक क्रोध,  बात बात पर हाइपर हो जाना ,  शंकालुपन,  दोषदर्शी होना..,  देश.., समाज हर  बात के प्रति नकार से भर उठना और इनफीरिआरिटी कॉम्प्लेक्स,  जिसका बाय प्रोडक्ट है.. सुपीरियरिटी कॉम्प्लेक्स !
फिज़िकल डिसऐबेलिटी,  उसके हर रस को मानसिक कर देती है !
लिहाजा उसका रस प्रेम से अधिक पैसे में हो जाता है,  रोमांस से अधिक संस्थान.  में,  और सेक्स से अधिक टेक्स में !
...क्योंकि उसे पता है कि  उसका मोटा पेट,  डबल चिन, पसरा चेहरा और बुझा शरीर.. किसी स्त्री के दिल में,  उसके लिये रोमांटिक प्रेमी का ख्वाब नही पैदा करने वाला !
..जिस स्त्री को पाने के लिए वह जवानी में पैसा या सामाजिक हैसियत जुटा रहा था....वह उसकी हैसियत से आकर्षित हो भी गई.. तो अब असली मैदान में उसका फीता ढीला पड़ने ही वाला है.. क्योंकि इस जुगत में वह  अपना शरीर गवा बैठा है !
यानि लक्ष्य सिद्ध होने तक  उद्देश्य  ही ढह जाता है  !
..फिर ऐसे पुरुष के साथ रहते रहते, भारतीय स्त्री तो  और  भी जल्दी, लगभग 40 आते -आते खत्म हो जाती है ! क्योंकि उसकी भी वही गत हो जाती है.. जो पुरुष की है.. यानि मोटापा और बहुत सी शारीरिक व्याधियों का पैकेज़ !
.. फिर उसके बाद का जीवन सिर्फ कटता ही है , जिया नही जाता !

फिर एक बात और है, जो 50 में रोगग्रस्त है.. वह एकाएक नही होता !
35-40 से ही उसके स्वास्थ्य में गिरावट प्रारम्भ हो जाती है !
देखा जाए तो भारतीय स्त्री /पुरुष , ठीक ठाक स्वास्थ्य में बहुत कम ही जी पाते हैं !
क्योंकि ठीक ठाक स्वास्थ्य,  महज़ शारीरिक मामला ही नही है ! 
स्वस्थ होने के लिए प्राण भी स्वस्थ होना ज़रूरी है, 
मानसिक स्वास्थ्य भी ज़रूरी है, 
भावनात्मक और सोशली स्वस्थ होना भी ज़रूरी है, 
अध्यात्मिक स्वास्थ्य तो बहुत दूर की बात है !

50 वह उम्र नही,  कि जहाँ तक आते आते शरीर को ख़राब कर लिया जाए !
उम्र का आना स्वाभाविक है,  रोग का आना स्वाभाविक नही है !

रोग हमारी वासना से पैदा होता है ! हमारी कमअक्ली, हमारी असजगता और जीवन के प्रति गलत दृष्टिकोण से पैदा होता है !!
और इसकी वजहें,  हमारे पूर्वाग्रह ग्रसित मानस और अहंजनित सामाजिक ताने बाने में छिपी हैं !

हमने जीवन की समस्त धाराओं को एकमुखी कर दिया है !
और वह है - धन या सामाजिक हैसियत की प्राप्ति !
हम प्रत्येक व्यक्ति का मूल्यांकन इन्हीं दो बिंदुओं के आधार पर करते हैं !
और हमें पता होता है कि हमारा मूल्यांकन भी इन्हीं दो बिंदुओं के आधार पर होने वाला है,  लिहाजा.., 
हम जीवन की सारी ऊर्जा और शक्ति इन्हीं की  प्राप्ति में झोंक देते हैं !
हम धन और हैसियत से इतर जीवन कभी देख ही नही पाते !

हम प्रेम नही कर पाते,  
क्योंकि हमें ख़तरा होता है कि जब तक हम प्रेम करेंगे.. दूसरा हमसे आगे निकल जाएगा !
फिर प्रेम आता भी है जीवन में,  तो उससे भी हम वस्तु संग्रहण की तरह बर्ताव करते हैं ! 
हम शीघ्र ही शादी कर उसे अपने शो केस में सजा लेते हैं... और किसी मैराथन धावक की तरह दो घूंट पानी गटक कर पुनः दौड़ में लग जाते हैं !
..और प्रेम वहीं छूट जाता है !

फिर ..यही बर्ताव हम कलात्मक संवेग या अज्ञात का  निमंत्रण आने पर भी करते हैं !
..हम उसे जीने के बजाए, उसे किसी भौतिक वस्तु की तरह संगृहीत कर लेना चाहते हैं !
और दिव्यता का वह क्षण हमारे हाथ से फिसल जाता है !

हम सारा क़ीमती गवाए जाते हैं और सारा मूल्यहीन जुटाए चले जाते हैं !
क्योंकि .. हम प्रदर्शनप्रिय लोग हैं और  हम जानते हैं कि प्रदर्शन सिर्फ भौतिक का किया जा सकता है.. अभौतिक का नही !!
..लिहाजा, हम अपनी 90 फीसदी ऊर्जा भौतिक के संग्रहण में झोंके रहते हैं !
..फिर इच्छाओं की यह ओवर लोडेड गाड़ी, 
पचास की उम्र आते आते,  किसी टर्निंग पर पलट ही जाती है !
अनेकों का तो इंजन ही सीज़ हो जाता है.. और वे पचास आते-आते खेत रहते हैं !

फिर कुछ ऐसे भी हैं, जो स्वास्थ्य के लिए भी थोड़ा वक़्त निकाल लेते हैं ! 
किंतु वह भी स्वास्थ्य के लिए कम,  स्वास्थ्य की नुमाइश के लिए अधिक होता है !
.. वे सुबह गार्डन चले जाते हैं  या शाम को जिम !
हेल्थी डायट  भी शुरू कर देते हैं 
किंतु,  कोई उपाय काम नही कर पाता !
हज़ार रख रखाव के बाद भी,  वे रोग की चपेट में आ ही जाते हैं !

कारण क्या है?? 
कारण है.. समग्र स्वास्थ्य पे दृष्टि न होना !
हमारे स्वास्थ्य के अनेक तल हैं !
प्रत्येक तल की एक -दूसरे पर अन्तःक्रिया है ! 
सभी तल अन्योनाश्रित हैं !
सच्चा स्वास्थ्य..,  
शरीर,  मन,  प्राण,  बुद्धि और शुद्ध चेतना का संतुलित संयोजन है !
.. एकांगी उपाय काम नही करता !

अच्छे स्वास्थ्य को,  अच्छे मनोभावों की दरकार है !
हमारे मस्तिष्क की प्रत्येक गतिविधि और हृदय की भावना,  हमारे प्राण को आंदोलित करती है !
क्रोध में प्राण,  सिकुड़ जाता  है,  प्रेम में प्राण  फैल जाता है !
तनाव में,  चिंता में,  ईर्ष्या,  द्वेष,  डाह  में  प्राण उत्तेजित हो जाता है,  श्वास  उथली हो जाती है !
लिहाजा  प्राण जल जाता है.. क्षय हो जाता है !
किंतु, 
सुकून में, निश्चिंतता में,  भरोसे में,  गहन विश्रांति में   प्राण  संग्रहित होता है.. विस्तारित होता है !

ख्याल रखें..
रनिंग, जिमिंग, और योगा सेशन से भी जो प्राण मिलता है... उसे हमारी  चिंतित, भयभीत और कुंठित  मनोदशा.. चुटकियों में चट  कर जाती है !

प्रेमपूर्ण मनोदशा,  चौबीस घंटे का प्राणायाम है !

हमारा स्वास्थ्य,  हमारे रूटीन और खानपान पर कम,  किंतु  हमारी  मनोदशा पर अधिक निर्भर है !
क्षमा करें, ये लेख बड़ा हुआ जा रहा है... चलिए इसे जल्दी समेट देता हूं !
कुल मिलाकर यह है कि, 
ज़रा होशपूर्वक जिएं !
ऐसा बदहवास न जिएं !
ऐसा भागमभाग न जिएं !
स्वभाव में जिएं.. दूसरे को दिखाने के लिए न जिएं !
आज जो लोग दिखाई दे रहे हैँ.. वे सभी एक दिन मर जाएंगे !
किसको दिखा के क्या कर लीजिएगा !
..नही चेत रहे थे.. तो ##कोरोना  ने और चेता दिया है !
जितना ग़लत खेलेंगे.. उतनी जल्दी आउट होंगे !
अगर पचास आते आते आप अपना स्वास्थ्य खो दिए.. तो  जानिए आप बहुत कम स्कोर पर बहुत अधिक विकेट गवा दिए !

वहीं, अगर आप सही तरह से जिएं.. तो जीवन का सही मज़ा 40 के बाद शुरू होता है.. क्योंकि तब तक आप अनेक अनुभवों से गुज़र कर रिफाइंड हो चुके होते हैं !

*संकलन*

दुनिया का सबसे ताकतवर पोषण पूरक आहार है- सहजन

दुनिया का सबसे ताकतवर पोषण पूरक आहार है- सहजन (मुनगा)। इसकी जड़ से लेकर फूल, पत्ती, फल्ली, तना, गोंद हर चीज उपयोगी होती है। 
           आयुर्वेद में सहजन से तीन सौ रोगों का उपचार संभव है। सहजन के पौष्टिक गुणों की तुलना :- विटामिन सी- संतरे से सात गुना अधिक। विटामिन ए- गाजर से चार गुना अधिक। कैलशियम- दूध से चार गुना अधिक। पोटेशियम- केले से तीन गुना अधिक। प्रोटीन- दही की तुलना में तीन गुना अधिक। 
            स्वास्थ्य के हिसाब से इसकी फली, हरी और सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी-काम्प्लेक्स प्रचुर मात्रा में पाई जाते हैं। इनका सेवन कर कई बीमारियों को बढ़ने से रोका जा सकता है, इसका बॉटेनिकल नाम ' मोरिगा ओलिफेरा ' है। हिंदी में इसे सहजना, सुजना, सेंजन और मुनगा नाम से भी जानते हैं, जो लोग इसके बारे में जानते हैं, वे इसका सेवन जरूर करते हैं। 

सहजन जिसे मोरिंगा नाम से जाना जाता है। यह सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसमें भरपूर मात्रा में मिनरल्स पाए जाते हैं। इसीलिए सप्ताह में कम से कम 2 बार सहजन के पराठे का सेवन जरूर करते हैं। जानिए आखिर *सहजन खाने के क्या-क्या है लाभ-*

*सहजन में पोषक तत्वों जैसे- प्रोटीन, ऑयरन, बीटा कैरोटीन, अमीनो एसिड, कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम, विटीमिन ए, सी और बी, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल जैसे गुण पाए जाते हैं। वहीं इसकी पत्तियां भी काफी फायदेमंद होती है। सहजन की पत्तियों में संतरे और नींबू की तुलना में 6 गुना अधिक विटामिन-सी होता है। इसके साथ ही दूध में 4 गुना अधिक कैल्शियम,  गाजर की तुलना में 4 गुना अधिक विटामिन ए,  केले की तुलना में 3 गुना अधिक पोटेशियम पाया जाता है। इतना ही नहीं सहजन की पत्तियां भी पानी में आर्सेनिक छोड़ती हैं।* 


*सहजन खाने के मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ*

*हाई ब्लड प्रेशर करे कम*
सहजन में भरपूर मात्रा में पोटैशियम, विटामिन्स पाए जाते हैं। जो ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करता है। 

*वजन कम करने में करे मदद*
शरीर में बढ़ी हुई चर्बी को कम करने में सहजन काफी कारगर साबित हो सकता है। इसमें अधिक मात्रा में फास्फोरस पाया जाता है। जो वसा कम करने में मदद करता है। इसलिए आप मोरिंगा की पत्तियों का रस का सेवन करे। इससे आपको लाभ मिलेगा।

*डायबिटीज को कंट्रोल*
अगर आप डायबिटीज की समस्या से पीड़ित हैं तो सहजन का सेवन करें। इससे आपका ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहेगा। दरअसल सहजन में राइबोफ्लेविन अधिक मात्रा में पाया जाता है, जिसके चलते यह ब्‍लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। लेकिन इसका ज्यादा सेवन करने से बचे। 

*इम्यूनिटी करें मजबूत*
सहजन में भरपूर मात्रा में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो आपकी इम्यूनिटी को बूस्ट करने में मदद करते हैं। जिससे किसी भी तरह की संक्रामक बीमारी आपसे कोसों दूर रहती हैं। इसके साथ ही आपकी हड्डियां भी मजबूत होती है। 

*सिर दर्द से दिलाए निजात*
सहजन के पत्तों के रस को काली मिर्च के साथ पीस लें। इसके बाद इस पेस्ट को सिर माथे पर लगा लें। इससे आपको लाभ मिलेगा। 

*स्किन को रखें जवां*
सहजन में भरपूर मात्रा में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण पाए जाते हैं जो आपको स्किन संबंधी हर समस्या से छुटकारा दिला देता है। इसके साथ ही इसमें विटामिन  पाया जाता है। जो आप आपकी स्किन को जवां रखने में मदद करता है। 

*एनीमिया से दिलाए निजात*
शरीर में खून की कमी के कारण एनीमिया की शिकायत हो जाती है। ऐसे में सहजन काफी कारगर साबित हो सकता है।  सहजन की पत्तियों के एथनोलिक एक्सट्रैक्ट में एंटी-एनीमिया गुण मौजूद होते हैं। जिसका सेवन करने से शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ जाती हैं।

www.sanwariyaa.blogspot.com

          सहजन का फूल पेट और कफ रोगों में, इसकी फली वात व उदरशूल में, पत्ती नेत्ररोग, मोच, साइटिका, गठिया आदि में उपयोगी है। इसकी छाल का सेवन साइटिका, गठिया, लीवर में लाभकारी होता है। सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वात और कफ रोग खत्म हो जाते हैं। 
          सहजन की पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया, साइटिका, पक्षाघात, वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है। साइटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखाता है। मोच इत्यादि आने पर सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं और मोच के स्थान पर लगाने से जल्दी ही लाभ मिलने लगता है।
            सहजन के फली की सब्जी खाने से पुराने गठिया, जोड़ों के दर्द, वायु संचय, वात रोगों में लाभ होता है। इसके ताजे पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है साथ ही इसकी सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है। इसकी जड़ की छाल का काढ़ा सेंधा नमक और हींग डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है। 
          सहजन के पत्तों का रस बच्चों के पेट के कीड़े निकालता है और उल्टी-दस्त भी रोकता है। ब्लड प्रेशर और मोटापा कम करने में भी कारगर सहजन का रस सुबह-शाम पीने से हाई ब्लड प्रेशर में लाभ होता है। इसकी पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे-धीरे कम होने लगता है। इसकी छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़े नष्ट होते हैं और दर्द में आराम मिलता है। 
            सहजन के कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होता है, इसके अलावा इसकी जड़ के काढ़े को सेंधा नमक और हींग के साथ पीने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है। इसकी पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सूजन ठीक होते हैं। 
          सहजन के बीज से पानी को काफी हद तक शुद्ध करके पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसके बीज को चूर्ण के रूप में पीसकर पानी में मिलाया जाता है। पानी में घुल कर यह एक प्रभावी नेचुरल क्लोरीफिकेशन एजेंट बन जाता है। यह न सिर्फ पानी को बैक्टीरिया रहित बनाता है, बल्कि यह पानी की सांद्रता को भी बढ़ाता है।
            कैंसर तथा शरीर के किसी हिस्से में बनी गांठ, फोड़ा आदि में सहजन की जड़ का अजवाइन, हींग और सौंठ के साथ काढ़ा बनाकर पीने का प्रचलन है। यह काढ़ा साइटिका (पैरों में दर्द), जोड़ों में दर्द, लकवा, दमा, सूजन, पथरी आदि में भी लाभकारी है |
            सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द तथा दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है। आज भी ग्रामीणों की ऐसी मान्यता है कि सहजन के प्रयोग से वायरस से होने वाले रोग, जैसे चेचक आदि के होने का खतरा टल जाता है। 
           सहजन में अधिक मात्रा में ओलिक एसिड होता है, जो कि एक प्रकार का मोनोसैच्युरेटेड फैट है और यह शरीर के लिए अति आवश्यक है। सहजन में विटामिन-सी की मात्रा बहुत होती है। यह शरीर के कई रोगों से लड़ता है। यदि सर्दी की वजह से नाक-कान बंद हो चुके हैं तो, सहजन को पानी में उबालकर उस पानी का भाप लें। इससे जकड़न कम होती है। सहजन में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है, जिससे हड्डियां मजबूत बनती हैं। इसका जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है, इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है, गर्भवती महिला को इसकी पत्तियों का रस देने से डिलीवरी में आसानी होती है।
           सहजन के फली की हरी सब्जी को खाने से बुढ़ापा दूर रहता है इससे आंखों की रोशनी भी अच्छी होती है। सहजन को सूप के रूप में भी पी सकते हैं,  इससे शरीर का खून साफ होता है। 
            सहजन का सूप पीना सबसे अधिक फायदेमंद होता है। इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है। विटामिन सी के अलावा यह बीटा कैरोटीन, प्रोटीन और कई प्रकार के लवणों से भरपूर होता है, यह मैगनीज, मैग्नीशियम, पोटैशियम और फाइबर से भरपूर होते हैं। यह सभी तत्व शरीर के पूर्ण विकास के लिए बहुत जरूरी हैं। 

कैसे बनाएं सहजन का सूप?
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
 सहजन की फली को कई छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लेते हैं। दो कप पानी लेकर इसे धीमी आंच पर उबलने के लिए रख देते हैं, जब पानी उबलने लगे तो इसमें कटे हुए सहजन की फली के टुकड़े डाल देते हैं, इसमें सहजन की पत्त‍ियां भी मिलाई जा सकती हैं, जब पानी आधा बचे तो सहजन की फलियों के बीच का गूदा निकालकर ऊपरी हिस्सा अलग कर लेते हैं, इसमें थोड़ा सा नमक और काली मिर्च मिलाकर पीना चाहिए। 

           १. सहजन के सूप के नियमित सेवन से सेक्सुअल हेल्थ बेहतर होती है. सहजन महिला और पुरुष दोनों के लिए समान रूप से फायदेमंद है। 

           २. सहजन में एंटी-बैक्टीरियल गुण पाया जाता है जो कई तरह के संक्रमण से सुरक्षित रखने में मददगार है. इसके अलावा इसमें मौजूद विटामिन सी इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने का काम करता है। 

          ३. सहजन का सूप पाचन तंत्र को भी मजबूत बनाने का काम करता है, इसमें मौजूद फाइबर्स कब्ज की समस्या नहीं होने देते हैं। 

          ४. अस्थमा की शिकायत होने पर भी सहजन का सूप पीना फायदेमंद होता है. सर्दी-खांसी और बलगम से छुटकारा पाने के लिए इसका इस्तेमाल घरेलू औषधि के रूप में किया जाता है। 

          ५. सहजन का सूप खून की सफाई करने में भी मददगार है, खून साफ होने की वजह से चेहरे पर भी निखार आता है। 

          ६. डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए भी सहजन के सेवन की सलाह दी जाती है।


 

गुरुवार, 8 अक्तूबर 2020

घबराकर शेर शाह सूरी ने कहा था "मुट्टी भर बाजरे (मारवाड़) की खातिर हिन्दुस्तान की सल्लनत खो बैठता


 सन् 1840 में काबुल में युद्ध में 8000 पठान मिलकर भी
1200 राजपूतो का मुकाबला 1 घंटे भी नही कर पाये।
वही इतिहासकारो का कहना था की चित्तोड
की तीसरी लड़ाई जो 8000 राजपूतो और 60000
मुगलो के मध्य हुयी थी वहा अगर राजपूत 15000
राजपूत होते तो अकबर भी जिंदा बचकर नहीं जाता।
इस युद्ध में 48000 सैनिक मारे गए थे जिसमे 8000
राजपूत और 40000 मुग़ल थे वही 10000 के करीब
घायल थे।
और दूसरी तरफ गिररी सुमेल की लड़ाई में 15000
राजपूत 80000 तुर्को से लडे थे, इस पर घबराकर शेर
शाह सूरी ने कहा था "मुट्टी भर बाजरे (मारवाड़)
की खातिर हिन्दुस्तान की सल्लनत खो बैठता"


उस युद्ध से पहले जोधपुर महाराजा मालदेव जी नहीं गए
होते तो शेर शाह ये बोलने के लिए जीवित भी नही
रहता।
इस देश के इतिहासकारो ने और स्कूल कॉलेजो की
किताबो मे आजतक सिर्फ वो ही लडाई पढाई
जाती है जिसमे हम कमजोर रहे,
वरना बप्पा रावल और राणा सांगा जैसे योद्धाओ का नाम तक सुनकर मुगल की औरतो के गर्भ गिर जाया करते थे, रावत रत्न सिंह चुंडावत की रानी हाडा का त्यागपढाया नही गया जिसने अपना सिर काटकर दे दिया था।
पाली के आउवा के ठाकुर खुशहाल सिंह
को नही पढाया जाता, जिन्होंने एक अंग्रेज के अफसर का सिर काटकर किले पर लटका दिया था।
जिसकी याद मे आज भी वहां पर मेला लगता है। दिलीप सिंह जूदेव का नही पढ़ाया जाता जिन्होंने एक लाख आदिवासियों को फिर से हिन्दू बनाया था।
महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर
महाराणा प्रतापसिंह
महाराजा रामशाह सिंह तोमर
वीर राजे शिवाजी
राजा विक्रमाद्तिया
वीर पृथ्वीराजसिंह चौहान
हमीर देव चौहान
भंजिदल जडेजा
राव चंद्रसेन
वीरमदेव मेड़ता
बाप्पा रावल
नागभट प्रतिहार(पढियार)
मिहिरभोज प्रतिहार(पढियार)
राणा सांगा
राणा कुम्भा
रानी दुर्गावती
रानी पद्मनी
रानी कर्मावती
भक्तिमति मीरा मेड़तनी
वीर जयमल मेड़तिया
कुँवर शालिवाहन सिंह तोमर
वीर छत्रशाल बुंदेला
दुर्गादास राठौड
कुँवर बलभद्र सिंह तोमर
मालदेव राठौड




महाराणा राजसिंह
विरमदेव सोनिगरा
राजा भोज
राजा हर्षवर्धन बैस
बन्दा सिंह बहादुर
इन जैसे महान योद्धाओं को नही पढ़ाया/बताया जाता है, जिनके नाम के स्मरण मात्र से ही शत्रुओं के शरीर में आज भी कंपकंपी शुरू हो जाती है।🚩💐🙏🏻

function disabled

Old Post from Sanwariya