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गुरुवार, 28 जनवरी 2021

आप समझते हो कि आपने मोदी को एक्सपोज़ कर दिया तो यह आपकी भूल है।



 लाल किले पर झंडा आपने इतनी आसानी से लहरा दिया क्योंकि यह जो शासक है, वह आपको अपना मानता है वरना यदि चाहता तो आपको चार कदम भी न हिलने देता।

अगर आप समझते हो कि आपने मोदी को एक्सपोज़ कर दिया तो यह आपकी भूल है। सत्य यह है कि उसने आपको एक्सपोज़ कर दिया।

उसने उस साजिश की पोल खोल दी कि कैसे हर नेशनल डे तक किसी भी आंदोलन को खींचा जाता है और उसे शाहीन बाग जैसी घृणित आंदोलन की शक्ल दी जाती है।

आप हार गए मोदी जीत गया।

जिसे आप तानाशाह साबित करने पर तुले थे, उसने आपकी अराजकता को पूरी दुनिया के सामने दिखा दिया कि आप एक paid आंदोलन में शामिल थे, जिसकी आयु 26 जनवरी तक थी और दुनिया के सामने यह संदेश देना चाहते थे कि मोदी तानाशाह है।

लेकिन मोदी ने आपके क्रियाकलाप का भीषण विरोध न करके आपको जल बिन मछली बना दिया और यह संदेश दिया कि वह तानाशाह नही बल्कि आप अराजक हो।

जिस तरह से तलवारें लहराई गयी, जिस तरह से ईंट पत्थर फेंके गए, ट्रैक्टर से पुलिस वालों को कुचलने की कोशिश की गई, इन सब चीजों को जनता देख रही है।

आप मोदी विरोधी मुठ्ठी भर हो लेकिन मोदी के समर्थको की मुठ्ठियां फिर किसी चुनाव में खुलेंगी और उसे ही अपना सिर मौर बनाएगी जो कि आपके गाल पर एक गहरा तमाचा होगा।

वैसे मैं हमेशा कहता आया हूँ कि भारत को संजय गांधी जैसा नेता चाहिये।

भाग्यशाली हो आप लोग जो कि मोदी के कार्यकाल में हो जो आपकी उदंडता को भी सर माथे लगाया पता नहीं जी कोनसा नशा करता है ।

खैर! मुझे डर है कि कहीं जिहादी इस आंदोलन में घुसकर और ज्यादा उत्पात न मचा दें क्योंकि विपक्ष को और पाकिस्तान को जो खून खराबा चाहिए था वह अभी तक नही मिला।

इनकी सोच थी कि सरकार इनका खूब विरोध करे और सैकड़ो लोगों की लाशें गिरें, जिससे आज तक मोदी द्वारा किये गए सारे अच्छे कार्यों को भूला दिया जाय और वर्षो तक इस दिन को काला दिवस के रूप में मनाया जाए
लेकिन सरकार ने इनकी इस मंशा पर भी पानी फेर दिया।

मोदी हमे आप पर गर्व है।
शास्त्र कहता है कि राजा समस्त प्रजा के लिए पिता समान होता है और आपने इनकी उदंडता को माफ कर के अपने कर्तव्य का निर्वहन करके दिखा दिया लेकिन अगर जिहादी इसमे घुसकर उत्पात मचाये तो उन्हें भीषणतम दंड देना भी राजा का कर्तव्य होता है।

इस देश की जनता आशा करती है कि मोदी जी आप अपने इस कर्तव्य का भी अच्छे से निवर्हन करेंगे।

मोदी समर्थक जो नाराज़ है, उन्हें बस यही कहूंगा कि धैर्यपूर्वक एक बार विचार कीजिये कि आपके नेता के धैर्य ने कौन कौन सी अनहोनी को टाल दिया।

कृपया लाल किले पर झंडा फहराए जाने को नाक का सवाल न बनाएं।

यह कृष्ण युग है इसमे शिशुपाल को 99 तक माफ किया जाता है। यहां कालयवन को स्वयं न मारकर राजा मुचुकुन्द की दृष्टि  से मरवाया जाता है।

यहां कालयवन paid आंदोलनकारी है और राजा मुचुकुंद  देश की जनता है।

अब जनता अपनी आँख खोले और धराशायी कर दे कालयवन को।

तिल का तेल ... पृथ्वी का अमृत





 तिल का तेल ... पृथ्वी का अमृत

यदि इस पृथ्वी पर उपलब्ध सर्वोत्तम खाद्य पदार्थों की बात की जाए तो तिल के तेल का नाम अवश्य आएगा और यही सर्वोत्तम पदार्थ बाजार में उपलब्ध नहीं है. और ना ही आने वाली पीढ़ियों को इसके गुण पता हैं.

🔹 क्योंकि नई पीढ़ी तो टी वी के इश्तिहार देख कर ही सारा सामान ख़रीदती है.
और तिल के तेल का प्रचार कंपनियाँ इसलिए नहीं करती क्योंकि इसके गुण जान लेने के बाद आप उन द्वारा बेचा जाने वाला तरल चिकना पदार्थ जिसे वह तेल कहते हैं लेना बंद कर देंगे.

🔹तिल के तेल में इतनी ताकत होती है कि यह पत्थर को भी चीर देता है. प्रयोग करके देखें....
🔹आप पर्वत का पत्थर लिजिए और उसमे कटोरी के जैसा खडडा बना लिजिए, उसमे पानी, दुध, धी या तेजाब संसार में कोई सा भी कैमिकल, ऐसिड डाल दीजिए, पत्थर में वैसा की वैसा ही रहेगा, कही नहीं जायेगा...
🔹लेकिन... अगर आप ने उस कटोरी नुमा पत्थर में तिल का तेल डाल दीजिए, उस खड्डे में भर दिजिये.. 2 दिन बाद आप देखेंगे कि, तिल का तेल... पत्थर के अन्दर भी प्रवेश करके, पत्थर के नीचे आ जायेगा. यह होती है तेल की ताकत, इस तेल की मालिश करने से हड्डियों को पार करता हुआ, हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है.

🔹 तिल के तेल के अन्दर फास्फोरस होता है जो कि हड्डियों की मजबूती का अहम भूमिका अदा करता है.

🔹और तिल का तेल ऐसी वस्तु है जो अगर कोई भी भारतीय चाहे तो थोड़ी सी मेहनत के बाद आसानी से प्राप्त कर सकता है. तब उसे किसी भी कंपनी का तेल खरीदने की आवश्यकता ही नही होगी.

🔹तिल खरीद लीजिए और किसी भी तेल निकालने वाले से उनका तेल निकलवा लीजिए. लेकिन सावधान तिल का तेल सिर्फ कच्ची घाणी (लकडी की बनी हुई) का ही प्रयोग करना चाहिए.
🔷तैल शब्द की व्युत्पत्ति तिल शब्द से ही हुई है। जो तिल से निकलता वह है तैल। अर्थात तेल का असली अर्थ ही है "तिल का तेल".
🔹तिल के तेल का सबसे बड़ा गुण यह है की यह शरीर के लिए आयुषधि का काम करता है.. चाहे आपको कोई भी रोग हो यह उससे लड़ने की क्षमता शरीर में विकसित करना आरंभ कर देता है. यह गुण इस पृथ्वी के अन्य किसी खाद्य पदार्थ में नहीं पाया जाता.
🔹सौ ग्राम सफेद तिल 1000 मिलीग्राम कैल्शियम प्राप्त होता हैं। बादाम की अपेक्षा तिल में छः गुना से भी अधिक कैल्शियम है।
काले और लाल तिल में लौह तत्वों की भरपूर मात्रा होती है जो रक्तअल्पता के इलाज़ में कारगर साबित होती है।
🔷तिल में उपस्थित लेसिथिन नामक रसायन कोलेस्ट्रोल के बहाव को रक्त नलिकाओं में बनाए रखने में मददगार होता है।
तिल के तेल में प्राकृतिक रूप में उपस्थित सिस्मोल एक ऐसा एंटी-ऑक्सीडेंट है जो इसे ऊँचे तापमान पर भी बहुत जल्दी खराब नहीं होने देता। आयुर्वेद चरक संहित में इसे पकाने के लिए सबसे अच्छा तेल माना गया है।

🔷तिल में विटामिन  सी छोड़कर वे सभी आवश्यक पौष्टिक पदार्थ होते हैं जो अच्छे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं। तिल विटामिन बी और आवश्यक फैटी एसिड्स से भरपूर है।
इसमें मीथोनाइन और ट्रायप्टोफन नामक दो बहुत महत्त्वपूर्ण एमिनो एसिड्स होते हैं जो चना, मूँगफली, राजमा, चौला और सोयाबीन जैसे अधिकांश शाकाहारी खाद्य पदार्थों में नहीं होते।

🔹ट्रायोप्टोफन को शांति प्रदान करने वाला तत्व भी कहा जाता है जो गहरी नींद लाने में सक्षम है। यही त्वचा और बालों को भी स्वस्थ रखता है। मीथोनाइन लीवर को दुरुस्त रखता है और कॉलेस्ट्रोल को भी नियंत्रित रखता है।

🔷तिलबीज स्वास्थ्यवर्द्धक वसा का बड़ा स्त्रोत है जो चयापचय को बढ़ाता है।
यह कब्ज भी नहीं होने देता।
तिलबीजों में उपस्थित पौष्टिक तत्व,जैसे-कैल्शियम और आयरन त्वचा को कांतिमय बनाए रखते हैं।

🔷तिल में न्यूनतम सैचुरेटेड फैट होते हैं इसलिए इससे बने खाद्य पदार्थ उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद कर सकता है।
सीधा अर्थ यह है की यदि आप नियमित रूप से स्वयं द्वारा निकलवाए हुए शुद्ध तिल के तेल का सेवन करते हैं तो आप के बीमार होने की संभावना ही ना के बराबर रह जाएगी.

🔹 जब शरीर बीमार ही नही होगा तो उपचार की भी आवश्यकता नही होगी. यही तो आयुर्वेद है.. आयुर्वेद का मूल सीधांत यही है की उचित आहार विहार से ही शरीर को स्वस्थ रखिए ताकि शरीर को आयुषधि की आवश्यकता ही ना पड़े.

🔹एक बात का ध्यान अवश्य रखिएगा की बाजार में कुछ लोग तिल के तेल के नाम पर अन्य कोई तेल बेच रहे हैं.. जिसकी पहचान करना मुश्किल होगा. ऐसे में अपने सामने निकाले हुए तेल का ही भरोसा करें. यह काम थोड़ा सा मुश्किल ज़रूर है किंतु पहली बार की मेहनत के प्रयास स्वरूप यह शुद्ध तेल आपकी पहुँच में हो जाएगा. जब चाहें जाएँ और तेल निकलवा कर ले आएँ.

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करे सदुपयोग जमीन का जो हो खाली य़ा बेकार शुरू करे मखाना की खेती पैसे मिलेंगे जीवन में भरमार


 📌  करे सदुपयोग जमीन का जो हो खाली य़ा बेकार शुरू करे मखाना की खेती पैसे मिलेंगे जीवन में भरमार

इस युवा किसान ने बेकार ज़मीन में की मखाने की खेती, सालभर में कमाएं 5 लाख रुपए

आज के समय में कई युवा किसानों का खेती की तरफ रुझान बढ़ा है. दरभंगा के युवा किसान धीरेन्द्र भी उन्हीं में से एक है. वे आधुनिक खेती के जरिए अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं. दरअसल, धीरेन्द्र ने बरसात के समय में जलभराव के कारण खाली पड़ी रहने वाली जमींन पर मखाने की खेती शुरू की. बेहद कम इन्वेस्टमेंट में उन्होंने इस जमींन को कमाई का एक जरिया बना लिया है. इससे वे साल भर लाखों रुपए की आय अर्जित कर रहे हैं.

एक समय खेती करना छोड़ दिया
दरभंगा के बेलबाड़ा गाँव से ताल्लुक रखने वाले धीरेन्द्र सिंह की सात बीघा जमीन ऐसी थी जिसमें जलभराव के कारण कोई फसल नहीं हो पाती थी. धान की खेती भी इसमें असफल रही है. लिहाजा यह जमीन सालों से बेकार पड़ी थी. इसमें उन्होंने मखाने की खेती शुरू की. मखाने की खेती के लिए उन्होंने मखाना अनुसंधान केंद्र में संपर्क किया. जो उनके लिए फायदेमंद साबित हुआ. उन्होंने अपनी 7 बीघा बेकार जमींन में इसकी खेती शुरू की. इसमें तक़रीबन 1 लाख 80 हज़ार रुपए का खर्च आया. जिससे उन्हें 42 क्विंटल मखाना पैदा हुआ. जो 4 लाख 20 हज़ार में बिका. इससे उन्हें 2 लाख 40 हजार का शुद्ध मुनाफा हुआ. धीरेन्द्र कहते है कि इससे अभी 7-8 क्विंटल मखाना और निकलेगा जिसकी कीमत लगभग 50 हज़ार रुपए है.

5 बीघा में सिंघाड़ा

मखाना के अलावा धीरेन्द्र ने अपनी अन्य पांच बीघा ज़मीन में सिंघाड़े की खेती शुरू की. जिसमें से उन्होंने एक बीघा की तुड़ाई हाल ही कर ली. जिससे उन्हें खेती की लागत मिल गई. वहीं 4 बीघा के सिंघाड़े की तुड़ाई और बाकी है. जिसकी कीमत 60 हज़ार से अधिक है. वहीं वे इसमें मछली पालन भी करते हैं जिससे उन्हें अतिरिक्त आय हो जाती है.

पहले ट्रेनिंग ली

प्रगतिशील किसान धीरेन्द्र को मखाना की खेती करने के लिए कृषि वैज्ञानिकों का भरपूर साथ मिला. इसके लिए उन्होंने मखाना अनुसंधान केंद्र में ट्रेनिंग की भी ली. जहाँ से उन्हें पांच किलो मखाना का बीज मुफ्त मुहैया कराया गया. समय समय पर कृषि वैज्ञानिकों ने उनके खेत का निरीक्षण किया और उन्हें उचित मार्गदर्शन दिया. वहीं लॉकडाउन के दौरान अधिकारीयों ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये मदद की.

आपकी सुविधा के लिए दरभंगा स्थित मखाना अनुसंधान केन्द्र का पता भी दिया जा रहा है

दरभंगा मखाना अनुसंधान केन्द्र
Basudeopur, Kakarghati, Darbhanga, NH-57, Darbhanga, Darbhanga, Bihar 846004
फ़ोन: 0612-2223962

इसलिए कि इन सबके पीछे अन्नदाता का नाम जुड़ा हुवा है।

 बहुत शर्मनाक स्थिति !!
विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के सबसे बड़े उत्सव गणतंत्र दिवस के अवसर पर पूरे विश्व के सम्मुख देश की जो छवि अन्नदाता किसान बने गुंडो ने जिन्होंने पुलिस पर तलवारें उठायी, पत्थर फेंके, ट्रेक्टर तक चढ़ाने का प्रयास किया, तय रूट्स को तोड़कर उपद्रव फैलाया यह भारतीय इतिहास का काला पन्ना है। क्या सरकार इतनी कमजोर होती है, क्या पुलिस इतनी कमजोर होती है ?
नहीं, यह सब इसलिए जो रहा है कि सरकार चाहती है कि कुछ देशभक्त लोग जो इसे किसान आंदोलन समझ रहे है उन्हें इनकी हकीकत नजर आए, उनकी भी आंखे खुल जाए। इतनी लाठियां, इतने पत्थर, तलवारें अचानक तो नही आ गयी। सब कुछ पहले से तय था। सरकार पर दबाव बनाने के लिए जानबूझ कर इसे इवेंट के रूप में अंजाम दिया गया। यदि किसानों को वास्तव में सरकार पर दबाव बनाना ही था तो अधिक बेहतर होता कि शांतिपूर्ण तरीके से कानून के दायरे में रहकर अभूतपूर्व रैली सम्पन्न होती। लेकिन इस कांड का अंदेशा तो उसी दिन से हो गया था जब पूरा विपक्ष इन आंदोलनकारियों के साथ खड़ा नजर आया था। यह तो होना ही था।
लेकिन, अब एक बात और बात देना चाहूंगा, अब तक तो सरकार किसानों से बात करने का, समाधान देने का हर प्रयास कर रही थी, कोर्ट ने कानूनों पर रोक भी लगा दी थी, लेकिन यह भी देशभक्तो की सरकार है। जो सरकार चीन या पाकिस्तान के सामने कभी नही झुकी, आज किसानों के बीच छुपे गुंडो के सामने तो कतई नही झुकेगी, अब तक मोदीजी ने योगीजी का स्वरूप नही दिखाया, लेकिन अब जरूर देखने को मिलेगा। इतने बड़े लोकतंत्र को चंद गुंडो के सामने गिरवी नही रखा जा सकता।
जिस देश की इतनी लंबी सरहद पर विगत 6 वर्षों में दुश्मन को 1 इंच अंदर नही घुसने दिया गया है उसी देश की उस प्राचीर पर जहाँ तिरंगा फहराया जाता है उस पर आज उपद्रवियों ने दूसरा झंडा फहरा दिया । देश के लिए इससे शर्मनाक और क्या हो सकता है । आज देश झुक गया है और सिर्फ इसलिए कि इन सबके पीछे अन्नदाता का नाम जुड़ा हुवा है। कसम से, यदि इस आंदोलन में वास्तविक किसान जो नहीं जुड़ा होता तो मोदीजी अब तक निपटा भी देते। खैर, मोदीजी छोड़ने वाले भी नही है। बस एक काम अच्छा हो गया कि आज उन लोगों की भी आंखे खुल गयी होगी जो अब तक इसे किसान आंदोलन मान रहे थे।
प्रभु सबको सद्बुद्धि दे। 🙏🙏

अभी कई दुष्टों का पर्दा उठना बाकी है |


 आज एक बार पुनः महाभारत के उस प्रसंग की यादे ताजा हो गयी
जब भगवन श्री कृष्ण महाभारत युद्ध से पूर्व सेनाये सज जाने के बाद भी
अंतिम प्रयास के रूप में धृतराष्ट्र की सभा में संधि प्रस्ताव लेकर जाते है सब कुछ जानते हुवे भी की दुर्योधन पांड्वो को आधा राज्य देना तो दूर पांच गाँव तक देने को तैयार नहीं होगा |
हकीकत में वे सिर्फ समाज को यह बतलाने के लिए ऐसा करते है की भविष्य में कोई विद्वान या चिन्तक यह ना कह दे की युद्ध टाला जा सकता था |
आज एक बार फिर अक्षरश: वही हुवा है, मोदी सरकार सब जानती थी की यह आन्दोलन किसान कानूनों के लिए कभी था ही नहीं, यह तो मोदी सरकार की बढ़ती लोकप्रियता को धवस्त करने की देश विरोधियो की कुटिल चाले है | लेकिन अभिव्यक्ति हेतु स्वतंत्र भारतीय लोकतान्त्रिक समाज भविष्य में कभी यह ना कह दे की समाधान हेतु हरसंभव प्रयास ही नहीं किये गये | सरकार के बड़े से बड़े मंत्री ने किसान वार्ता के माध्यम से हर संभव समाधान दिए, लेकिन सबको पता था की सामने जो लोग थे उनमे से कोई भी समाधान चाहता ही नहीं था और अंतत: यह तो होना ही था, सब तैयारी इसी के लिए तो थी, शाहीन बाग़ फेल हुवा, विश्वविद्यालय काण्ड फेल हुवा, असंभव सी धारा 370 हटा दी गयी, 500 वर्षो की लडाई राम मंदिर निर्माण की जीत ली गयी | आखिर देश विरोधियो को इतने बड़े बड़े घाव, मवाद तो निकलनी ही थी |
घबराइयेगा बिलकुल मत ! अभी आगे आगे देखिये !
इस महाभारत के कृष्ण भी मोदी है और अर्जुन भी | अभी कई दुष्टों का पर्दा उठना बाकी है |
ये कृष्ण और अर्जुन बख्शेंगे किसी को भी नहीं |
हर दुष्ट को सामने लाकर, उसके गुनाहों से पूरा पर्दा उठाकर
स्वच्छ भारत अभियान को सफल बनायेंगे |
जय हिन्द !!

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