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गुरुवार, 10 जून 2021

9 जून -बलिदान दिवस - बन्दा बैरागी का बलिदान दिवस

महान बलिदानी- बंदा बैरागी

9 जून/बलिदान-दिवस

आज बन्दा बैरागी का बलिदान दिवस है।

इस लेख के माध्यम से जाने बंदा बैरागी के अमर बलिदान की गाथा।

बन्दा बैरागी का जन्म 27 अक्तूबर, 1670 को ग्राम तच्छल किला, पुंछ में श्री रामदेव के घर में हुआ। उनका बचपन का नाम लक्ष्मणदास था। युवावस्था में शिकार खेलते समय उन्होंने एक गर्भवती हिरणी पर तीर चला दिया। इससे उसके पेट से एक शिशु निकला और तड़पकर वहीं मर गया। यह देखकर उनका मन खिन्न हो गया। उन्होंने अपना नाम माधोदास रख लिया और घर छोड़कर तीर्थयात्रा पर चल दिये। अनेक साधुओं से योग साधना सीखी और फिर नान्देड़ में कुटिया बनाकर रहने लगे।

इसी दौरान गुरु गोविन्दसिंह जी माधोदास की कुटिया में आये। उनके चारों पुत्र बलिदान हो चुके थे। उन्होंने इस कठिन समय में माधोदास से वैराग्य छोड़कर देश में व्याप्त मुस्लिम आतंक से जूझने को कहा। इस भेंट से माधोदास का जीवन बदल गया। गुरुजी ने उसे बन्दा बहादुर नाम दिया। फिर पाँच तीर, एक निशान साहिब, एक नगाड़ा और एक हुक्मनामा देकर दोनों छोटे पुत्रों को दीवार में चिनवाने वाले सरहिन्द के नवाब से बदला लेने को कहा।

बन्दा हजारों सिख सैनिकों को साथ लेकर पंजाब की ओर चल दिये। उन्होंने सबसे पहले श्री गुरु तेगबहादुर जी का शीश काटने वाले जल्लाद जलालुद्दीन का सिर काटा। फिर सरहिन्द के नवाब वजीरखान का वध किया। जिन हिन्दू राजाओं ने मुगलों का साथ दिया था, बन्दा बहादुर ने उन्हें भी नहीं छोड़ा। इससे चारों ओर उनके नाम की धूम मच गयी।

उनके पराक्रम से भयभीत मुगलों ने दस लाख फौज लेकर उन पर हमला किया और विश्वासघात से 17 दिसम्बर, 1715 को उन्हें पकड़ लिया। उन्हें लोहे के एक पिंजड़े में बन्दकर, हाथी पर लादकर सड़क मार्ग से दिल्ली लाया गया। उनके साथ हजारों सिख भी कैद किये गये थे। इनमें बन्दा के वे 740 साथी भी थे, जो प्रारम्भ से ही उनके साथ थे। युद्ध में वीरगति पाए सिखों के सिर काटकर उन्हें भाले की नोक पर टाँगकर दिल्ली लाया गया। रास्ते भर गर्म चिमटों से बन्दा बैरागी का माँस नोचा जाता रहा।

काजियों ने बन्दा और उनके साथियों को मुसलमान बनने को कहा; पर सबने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया। दिल्ली में आज जहाँ हार्डिंग लाइब्रेरी है,वहाँ 7 मार्च, 1716 से प्रतिदिन सौ वीरों की हत्या की जाने लगी। एक दरबारी मुहम्मद अमीन ने पूछा - तुमने ऐसे बुरे काम क्यों किये, जिससे तुम्हारी यह दुर्दशा हो रही है ?

बन्दा ने सीना फुलाकर सगर्व उत्तर दिया - मैं तो प्रजा के पीड़ितों को दण्ड देने के लिए परमपिता परमेश्वर के हाथ का शस्त्र था। क्या तुमने सुना नहीं कि जब संसार में दुष्टों की संख्या बढ़ जाती है, तो वह मेरे जैसे किसी सेवक को धरती पर भेजता है।

बन्दा से पूछा गया कि वे कैसी मौत मरना चाहते हैं ? बन्दा ने उत्तर दिया, मैं अब मौत से नहीं डरता; क्योंकि यह शरीर ही दुःख का मूल है। यह सुनकर सब ओर सन्नाटा छा गया। भयभीत करने के लिए उनके पाँच वर्षीय पुत्र अजय सिंह को उनकी गोद में लेटाकर बन्दा के हाथ में छुरा देकर उसको मारने को कहा गया।

बन्दा ने इससे इन्कार कर दिया। इस पर जल्लाद ने उस बच्चे के दो टुकड़ेकर उसके दिल का माँस बन्दा के मुँह में ठूँस दिया; पर वे तो इन सबसे ऊपर उठ चुके थे। गरम चिमटों से माँस नोचे जाने के कारण उनके शरीर में केवल हड्डियाँ शेष थी। फिर 9 जून, 1716 को उस वीर को हाथी से कुचलवा दिया गया। इस प्रकार बन्दा वीर बैरागी अपने नाम के तीनों शब्दों को सार्थक कर बलिपथ पर चल दिये।

बंदा बैरागी जैसे महान वीरों ने हमारे धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। खेदजनक बात यह है कि उनकी बलिदान से आज की हमारी युवा पीढ़ी अनभिज्ञ है। यह एक सुनियोजित षड़यंत्र है कि जिन जिन महापुरुषों से हम प्रेरणा ले सके उनके नाम तक विस्मृत कर दिए जाये। इस लेख को इतना शेयर कीजिये कि भारत का बच्चा बच्चा बंदा बैरागी के महान बलिदान से प्रेरणा ले सके।

बुत का अर्थ मूर्ति है।फ़ारसी में यह शब्द बुद्ध का पर्याय है।

बुत का अर्थ मूर्ति है।
फ़ारसी में यह शब्द बुद्ध का पर्याय है।


हमें लगता है कि भारत से निकलकर बौद्ध मत चीन जापान की तरफ फैला जबकि सच्चाई यह है कि भारत के पश्चिम में इसका प्रभाव उससे कई कई गुना था।
बौद्ध धर्म का अरब जगत में बहुत प्रभाव था। वहाँ हरेक जगह बुद्ध की इतनी मूर्तियां थीं कि वहाँ मूर्ति का पर्याय ही बुद्ध बन गया।
जैसे हाल ही में बामियान (अफगानिस्तान में)  बुद्ध की विशाल मूर्तियां थीं जिन्हें तालिबान आतंकवादियों ने तोप से उड़ा दिया।
इस्लाम के उदय और प्रसार में बौद्ध बहुत बड़ी बाधा थे। बौद्धों की मूर्ति पूजा से चिढ़कर ही #बुतशिकन की अवधारणा गढ़ी गई।
बुतपरस्त अर्थात बुद्ध की भक्ति/ आस्था और बुतशिकन अर्थात बुद्ध को तोड़ना या तहस नहस करना।
बाद में इतिहास लेखकों ने चाहे जो गोलमाल लिखा हो लेकिन इस्लाम का हथौड़ा सर्वाधिक बौद्धियों पर ही चला और जमकर मूर्तियां तोड़ी गईं। अच्छा सच्चा मुसलमान बनने की पहली शर्त ही यह हो गई कि वह कितनी मूर्तियां तोड़ता है। यह आज भी जारी है। रेगिस्तान में दबी कई मूर्तियों को अब भी खोजकर तोड़ा जाता है।
भारत में मूर्तिकला की दो शैलियाँ हैं 1.गांधार शैली और 2.मथुरा शैली।
दोनों का ही सम्बन्ध बुद्ध की मूर्तियों से है।
आज नवबौद्ध चर्च और वामपंथियों के प्रभाव में जो बौद्ध-मुस्लिम एकता की बातें करते हैं उन्हें यह तथ्य अवश्य जानना चाहिए कि किसने किसको मारा था।
तथ्य यह भी है कि भारत पर प्रथम मुस्लिम आक्रमण 712 ईसवी में जो मुहम्मद बिन कासिम ने किया, उससे पहले वे कई हमलों में भयंकर मार खाकर लौट चुके थे और तब वहां के बौद्ध भिक्षुओं ने राजधानी ब्रह्मनाबाद के वे सारे गुप्त रहस्य कासिम को पहले ही बता दिए थे, जिनमें एक गुप्त झरना भी था जिससे राजधानी को पानी की आपूर्ति होती थी। इसके अलावा बहुत सारे मुस्लिम सैनिक दिन के समय बौद्ध भिक्षुओं के वेश में नगर में प्रविष्ट हो चुके थे क्योंकि भिक्षुओं की सर्वत्र निर्बाध एंट्री थी।
इस प्रकार परिवार सहित दाहिरसेन का बलिदान हुआ और नगर जीतने के बाद शेष बचे सभी पुरुषों को, जिनके निचले बाल उग चुके थे उन सबको पंक्ति बनाकर कत्लेआम किया गया और शेष महिलाओं, बच्चों को भेड़ बकरी की तरह हांक कर बगदाद की मंडियों में गुलामों के रूप में बेचा गया। 30हजार से अधिक पुरुषों को मारा गया और दो लाख महिलाओं बच्चों को गुलाम के रूप में बेचा गया।
सिंध में फैले बौद्ध मठों के भिक्षु  वहाँ से उठा लिए गए और बुखारा की मस्जिदों में झाड़ू लगाते हुए पाए गए।
#ks_कुमार

शिखा (चोटी) का वैज्ञानिक महत्त्व

शिखा (चोटी) का वैज्ञानिक महत्त्व 

हिन्दू धर्म का छोटे से छोटा सिध्दांत,छोटी- से- छोटी बात भी अपनी जगह पूर्ण और कल्याणकारी हैं। छोटी सी शिखा अर्थात् चोटी भी कल्याण, विकास का साधन बनकर अपनी पूर्णता व आवश्यकता को दर्शाती हैं। शिखा का त्याग करना मानो अपने कल्याण का त्याग करना हैं। जैसे घङी के छोटे पुर्जे की जगह बडा पुर्जा काम नहीं कर सकता क्योंकि भले वह छोटा हैं परन्तु उसकी अपनी महत्ता है। शिखा न रखने से हम जिस लाभ से वंचित रह जाते हैं, उसकी पूर्ति अन्य किसी साधन से नहीं हो सकती।

'हरिवंश पुराण' में एक कथा आती है हैहय व तालजंघ वंश के राजाओं ने शक, यवन, काम्बोज पारद आदि राजाओं को साथ लेकर राजा बाहू का राज्य छीन लिया। राजा बाहु अपनी पत्नी के साथ वन में चला गया। वहाँ राजा की मृत्यु हो गयी। महर्षिऔर्व ने उसकी गर्भवती पत्नी की रक्षा की और उसे अपने आश्रम में ले आये। वहाँ उसने एक पुत्र को जन्म दिया, जो आगे चलकर राजा सगर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। राजासगर ने महर्षि और्व से शस्त्र और शास्त्र विद्या सीखीं। समय पाकर राजा सगरने हैहयों को मार डाला और फिर शक, यवन, काम्बोज, पारद, आदि राजाओं को भी मारने का निश्चय किया। ये शक, यवन आदि राजा महर्षि वसिष्ठ की शरण में चले गये। महर्षि वसिष्ठ ने उन्हें कुछ शर्तों पर उन्हें अभयदान दे दिया। और सगर को आज्ञा दी कि वे उनको न मारे। राजा सगर अपनी प्रतिज्ञा भी नहीं छोङ सकते थे और महर्षि वसिष्ठ जी की आज्ञा भी नहीं टाल सकते थे। अत: उन्होंने उन राजाओं का सिर शिखा सहित मुँडवाकर उनकों छोङ दिया।

प्राचीन काल में किसी की शिखा काट देना मृत्युदण्ड के समान माना जाता था। बङे दुख की बात हैं कि आज हिन्दु लोग अपने हाथों से अपनी शिखा काट रहे है। यह गुलामी की पहचान हैं। शिखा हिन्दुत्व की पहचान हैं। यह आपके धर्म और संस्कृति की रक्षक हैं। शिखा के विशेष महत्व के कारण ही हिन्दुओं ने यवन शासन के दौरान अपनी शिखा की रक्षा के लिए सिर कटवा दिये पर शिखा नहीं कटवायी।

डा॰ हाय्वमन कहते है-''मैने कई वर्ष भारत में रहकर भारतीय संस्कृति का अध्ययन किया हैं, यहाँ के निवासी बहुत काल से चोटी रखते हैं, जिसका वर्णन वेदों में भी मिलता हैं। दक्षिण में तो आधे सिर पर 'गोखुर' के समान चोटी रखते हैं। उनकी बुध्दि की विलक्षणता देखकर मैं अत्यंत प्रभावित हुआ हुँ। अवश्य ही बौध्दिक विकास में चोटी बड़ी सहायता देती हैं। सिर पर चोटी रखना बढा लाभदायक हैं। मेरा तो हिन्दु धर्म में अगाध विश्वास हैं और मैं चोटी रखने का कायल हो गया हूँ।

"प्रसिद्ध वैज्ञानिक डा॰ आई॰ ई क्लार्क एम॰ डी ने कहा हैं" मैंने जबसे इस विज्ञान की खोज की हैं तब से मुझे विश्वास हो गया हैं कि हिन्दुओं का हर एक नियम विज्ञान से परिपूर्ण हैं। चोटी रखना हिन्दू धर्म ही नहीं, सुषुम्ना के केद्रों की रक्षा के लिये ऋषि- मुनियों की खोज का विलक्षण चमत्कार हैं।

"इसी प्रकार पाश्चात्य विद्वान मि॰ अर्ल थामस लिखते हैं की "सुषुम्ना की रक्षा हिन्दु लोग चोटी रखकर करते हैं जबकि अन्य देशों में लोग सिर पर लम्बे बाल रखकर या हैट पहनकर करते हैं। इन सब में चोटी रखना सबसे लाभकारी हैं। किसी भी प्रकार से सुषुम्ना की रक्षा करना जरुरी हैं। "वास्तव में मानव- शरीर को प्रकृति ने इतना सबल बनाया हैं की वह बड़े से बड़े आघात को भी सहन करके रह जाता हैं परन्तु शरीर में कुछ ऐसे भी स्थान हैं जिन पर आघात होने से मनुष्य की तत्काल मृत्यु हो सकती हैं। इन्हें मर्म-स्थान कहाजाता हैं।

शिखा के अधोभाग में भी मर्म-स्थान होता हैं, जिसके लिये सुश्रुताचार्य ने लिखा है मस्तकाभ्यन्तरोपरिष्टात् शिरासन्धि सन्निपातो।
रोमावर्तोऽधिपतिस्तत्रपि सद्यो मरणम्।
अर्थात् मस्तक के भीतर ऊपर जहाँ बालों का आवर्त (भँवर) होता हैं, वहाँ संपूर्ण नाङियों व संधियों का मेल हैं, उसे 'अधिपतिमर्म' कहा जाता हैं। यहाँ चोट लगने से तत्काल मृत्यु हो जाती हैं (सुश्रुत संहिता शारीरस्थानम् : ६.२८)

सुषुम्ना के मूल स्थान को 'मस्तुलिंग' कहते हैं। मस्तिष्क के साथ ज्ञानेन्द्रियों- कान, नाक, जीभ, आँख आदि का संबंध हैं और कामेन्द्रियों- हाथ, पैर, गुदा, इन्द्रिय आदि का संबंध मस्तुलिंग से हैं मस्तिष्क व मस्तुलिंग जितने सामर्थ्यवान होते हैं उतनी ही ज्ञानेन्द्रियों और कामेन्द्रियों- की शक्ति बढ़ती हैं। मस्तिष्क ठंडक चाहता हैं और मस्तुलिंग गर्मी । मस्तिष्क को ठंडक पहुँचाने के लिये क्षौर कर्म करवाना और मस्तुलिंग को गर्मी पहुँचाने के लिये गोखुर के परिमाण के बाल रखना आवश्यक होता है। अत: चोटी के लम्बे बाल बाहर की अनावश्यक गर्मी या ठंडक से मस्तुलिंग की रक्षा करते हैं।

शिखा रखने के अन्य निम्न लाभ बताये गये हैं- 
१ शिखा रखने तथा इसके नियमों का यथावत् पालन करने से सद्‌बुद्धि, सद्‌विचारादि की प्राप्ति होती हैं।
२ आत्मशक्ति प्रबल बनती हैं।
३ मनुष्य धार्मिक, सात्विक व संयमी बना रहता हैं।
४ लौकिक- पारलौकिक कार्यों मे सफलता मिलती हैं।
५ सभी देवी देवता मनुष्य की रक्षा करते हैं।
६ सुषुम्ना रक्षा से मनुष्य स्वस्थ, बलिष्ठ, तेजस्वी और दीर्घायु होता हैं।
७ नेत्रज्योति सुरक्षित रहती हैं।

इस प्रकार धार्मिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक सभी दृष्टियों से शिखा की महत्ता स्पष्ट होती हैं।

ये था कांग्रेसियों का हिंदुत्व दमन



*भाजपा मोदी से पहले और मोदी के बाद:*

*जब तक भाजपा वाजपेयी जी की विचारधारा पर चलती रही, वो राम के बताये मार्ग पर चलती रही। मर्यादा, नैतिकता, शुचिता इनके लिए कड़े मापदंड तय किये गये थे। परन्तु कभी भी पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर सकी!*

*जहाँ करोड़ों रुपये के घोटाले-घपले करने के बाद भी, कांँग्रेस बेशर्मी से अपने लोगों का बचाव करती रही, वहीं पार्टी फण्ड के लिए मात्र एक लाख रुपये ले लेने पर भाजपा ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष बंगारू लक्षमण  को हटाने में तनिक भी विलंब नहीं किया!*

*परन्तु चुनावों में नतीजा ?*

*वही ढाक के तीन पात...*

*झूँठे ताबूत घोटाला के आरोप पर तत्कालीन रक्षामंत्री जार्ज फर्नांडिस का इस्तीफा, परन्तु चुनावों में नतीजा ??*

*वही ढाक के तीन पात...*

*कर्नाटक में येदियुरप्पा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते ही येदियुरप्पा को भाजपा ने निष्कासित करने में कोई विलंब नहीं किया.....*

*परन्तु चुनावों में नतीजा ??*

*वही ढाक के तीन पात...*

*खैर....*

*फिर होता है नरेन्द्र मोदी  का पदार्पण! ........मर्यादा पुरुषोत्तम राम के चरण चिन्हों पर चलने वाली भाजपा को वो कर्मयोगी श्री कृष्ण की राह पर ले आते हैं !*

*श्री कृष्ण अधर्मी को मारने में किसी भी प्रकार की गलती नहीं करते हैं। ...........छल हो तो छल से, कपट हो तो कपट से, अनीति हो तो अनीति से , अधर्मी को नष्ट करना ही उनका ध्येय होता है!*

*इसीलिए वो अर्जुन को केवल कर्म करने की शिक्षा देते हैं !*

*कुल मिलाकर सार यह है कि अभी देश दुश्मनों से घिरा हुआ है, नाना प्रकार के षडयंत्र रचे जा रहे हैं ! इसलिए अभी हम नैतिकता को अपने कंधे पर ढोकर नहीं चल सकते हैं ! ........   नैतिकता को रखिये ताक पर, और यदि इस देश को बचाना चाहते हैं, तो सत्ता को अपने पास ही रखना होगा! ...........वो चाहे किसी भी प्रकार से हो - साम, दाम, दंड, भेद - किसी भी प्रकार से!*

*बिना सत्ता के आप कुछ भी नहीं कर सकते हैं ! इसलिए भाजपा के कार्यकर्ताओं को चाहिए कि कर्ण का अंत करते समय कर्ण के विलापों पर ध्यान ना दें! .........केवल ये देखें कि अभिमन्यु की हत्या के समय उनकी नैतिकता कहाँ चली गई थी ?*

*कर्ण के रथ का पहिया जब कीचड़ में धंँस गया, तब भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा: पार्थ, देख क्या रहे हो ? ......इसे समाप्त कर दो!*

*संकट में घिरे कर्ण ने कहा: यह अधर्म है !*

*भगवान श्री कृष्ण ने कहा: अभिमन्यु को घेर कर मारने वाले, और द्रौपदी को भरी दरबार में वेश्या कहने वाले के मुख से आज अधर्म की बातें शोभा नहीं देती  !!*

*आज राजनीतिक गलियारा जिस तरह से संविधान की बात कर रहा है, तो लग रहा है जैसे हम पुनः महाभारत युग में आ गए हैं !*

*विश्वास रखो, महाभारत का अर्जुन नहीं चूका था ! आज का अर्जुन भी नहीं चूकेगा !*

*यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारतः!*
*अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानम सृजाम्यहम !*

*चुनावी जंग में अमित शाह जो कुछ भी जीत के लिए पार्टी के लिए कर रहे हैं, वह सब उचित है!*

*अटल बिहारी वाजपेयी जी  की तरह एक वोट का जुगाड़ न करके आत्मसमर्पण कर देना, क्या एक राजनीतिक चतुराई थी ?*

*अटलजी ने अपनी व्यक्तिगत नैतिकता के चलते, एक वोट से अपनी सरकार गिरा डाली, और पूरे देश को चोर लुटेरों के हवाले कर दिया !*

*साम, दाम, दण्ड , भेद ,राजा या क्षत्रिय द्वारा अपनाई जाने वाली नीतियाँ हैं, जिन्हें उपाय-चतुष्टय (चार उपाय) कहते हैं !*

*राजा को राज्य की व्यवस्था सुचारु रूप से चलाने के लिये सात नीतियाँ वर्णित हैं !*

*उपाय चतुष्टय के अलावा तीन अन्य हैं - माया, उपेक्षा तथा इन्द्रजाल !!*

*राजनीतिक गलियारे में ऐसा विपक्ष नहीं है, जिसके साथ नैतिक-नैतिक खेल खेला जाए! सीधा धोबी पछाड़ आवश्यक है !*

*एक बात और!*

*-:अनजाना इतिहास:-*

*बात १९५५ की है! सउदी अरब के बादशाह "शाह सऊद"  प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के निमंत्रण पर भारत आए थे। वे ४ दिसम्बर १९५५ को दिल्ली पहुँचे, जहाँ उनका पूरे शाही अन्दाज़ में स्वागत किया गया! शाह सऊद दिल्ली के बाद, वाराणसी भी गए!*

*सरकार ने दिल्ली से वाराणसी जाने के लिए, "शाह सऊद" के लिए एक विशेष ट्रेन में, विशेष कोच की व्यवस्था की! शाह सऊद जितने दिन वाराणसी में रहे उतने दिनों तक बनारस के सभी सरकारी इमारतों पर "कलमा तैय्यबा" लिखे हुए झंडे लगाए गए थे!*
😡😡
*वाराणसी में जिन-जिन रास्तों-सडकों से "शाह सऊद" को गुजरना था, उन सभी रास्तों-सड़कों में पड़ने वाले मंदिर और मूर्तियों को परदे से ढक दिया गया था!*

*इस्लाम की तारीफ़, और हिन्दुओं का मजाक बनाते हुए शायर "नज़ीर बनारसी" ने एक शेर कहा था:* -👇🏻
*अदना सा ग़ुलाम उनका,*
*गुज़रा था बनारस से,*
*मुँह अपना छुपाते थे,* 
*काशी के सनम-खाने!*

*अब खुद सोचिये कि क्या आज मोदी और योगी के राज में, किसी भी बड़े से बड़े तुर्रम खान के लिए, ऐसा किया जा सकता है ? आज ऐसा करना तो दूर, कोई करने की सोच भी नहीं सकता!*

*हिन्दुओं, उत्तर दो, तुम्हें और कैसे अच्छे दिन देखने की तमन्ना थी ?*

*आज भी बड़े बड़े ताकतवर देशों के प्रमुख भारत आते हैं, और उनको वाराणसी भी लाया जाता है! लेकिन अब मंदिरों या मूर्तियों को छुपाया नहीं जाता है, बल्कि उन विदेशियों को गंगा जी की आरती दिखाई जाती है, और उनसे पूजा कराई जाती है!* 
🙏
*ये था कांग्रेसियों का हिंदुत्व दमन!*
😡
*राष्ट्रधर्म सर्वोपरि🚩*

जरा सोचिए और पहचानिए नेताओं को , इन पार्टियों को

 बंगाल में BJP हारी, हिंदुओ का पलायन हुआ ।
 असम में BJP जीती, घुसपैठियों का पलायन हुआ ।
अगले चुनाव फैसला आपका ।।🤔🤔🤔🤔🤔


भारत में तीन मजाक बहुत ही प्रसिद्ध है
कानून सबके लिए बराबर है, 
मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना, 
आतंकवाद का कोई धर्म नही होता

 जरा सोचिए और नेताओं का चरित्र पहचानिए

शत्रुघ्न सिन्हा बरसों तक BJP में रहे कांग्रेस को कोसते रहे और जब उन्हें कोई बड़ा पद नही मिला तो बीजेपी की बुराई करने लगे पर फिर भी bjp नही छोड़ी और जब टिकट कटा तो सारे दलों के चक्कर काटने के बाद कांग्रेस ने शरण दी । अब वही कांग्रेस विद्वानों की पार्टी लगने लगी । पर सायद उन्हें अपनी पत्नी विद्वान नही लगी इसी लिए उन्हें सपा से टिकट दिलवाया और सम्भव है कल को बेटी को बसपा का टिकट दिला दें 

जरा सोचिए इनकी मानसिकता कैसी है

सिद्धू कल तक bjp के फायर ब्रांड नेता थे और उन्हें मोदी महापुरुष नजर आते थे वो कांग्रेस को खूब गालियां देते थे फिर जब उन्हें कोई बड़ा पद नही मिला तो बीजेपी छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया अब बीजेपी सबसे खराब पार्टी और सोनिया माँ समान हो गयी । और वो कहते है कि मुसलमानों एक हो जाओ

जरा सोचिए ये लोग कैसे है

कुछ साल पहले अरविंद केजरीवाल के पास 300 पेज के सबूत थे उनकी नजर में दुनिया की सबसे भृष्ट पार्टी कांग्रेस थी उन्होंने अपने बच्चों की कसम खायी थी कि कांग्रेस से कभी गठबंधन नही करूंगा और आज उसी से गठबंधन के लिए हाथ पैर पटक रहे है

जरा सोचिए क्या चरित्र है इनका

मायावती जिसे गुंडा कहती थी जिन लोगों ने मायावती की जान लेनी चाही जिसके विरोध में मायावती की राजनीति शुरू हुई आज उसी के साथ गठबंधन कर लिया

जरा सोचिए ये किसका भला करना चाहती है 

जरा सोचिए देश के टुकड़े टुकड़े करने की बात करने वाला कन्हैया  लेफ्ट पार्टी का नेता बन जाता है और चुनाव लड़ता है 

 जरा सोचिए ये लोग अपने फायदे के लिए क्या कर सकते है

जरा सोचिए 84 में सिख्ख दंगा हो, कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार हो, या हजारों संतों का गोलियों से भून देना हो सब कुछ न्याय संगत था संविधान भी सुरक्षित था सारी संस्थाएं भी स्वतंत्र थीं जैसे ही एक पार्टी सत्ता से बाहर हुई तो अब होगा न्याय याद आया, एक जमात खड़ी हो गयी जिसे भारत मे डर लगने लगा, संविधान खतरे में आ गया, सारी संस्थाओं की स्वतंत्रता खतरे में लगने लगी

जरा सोचिए इस देश का बटवारा धर्म के आधार पर हुआ फिर भी इस देश के संसाधनों में पहला हक ..... देश का प्रधानमंत्री कहता है , मंदिरों से लाउडस्पीकर उतरवाए जाते है,  लेकिन मस्जिदों के लाउडस्पीकर पर कोई कार्यवाही नही , दुर्गा पूजा, राम नवमी के जुलूस पर प्रतिबंध

जरा सोचिए और पहचानिए नेताओं को , इन पार्टियों को

सोचिए अचानक 2004 के बाद आईएएस की परीक्षा को उर्दू में करते ही ,और मुस्लिमो के द्वारा ही उनकी कॉपी जाचने से मुस्लिम प्रतियोगी बड़ी तादाद में कलेक्टर क्यों बनने लगे 
क्यों एक पक्ष को देश के शीर्ष संस्थानों में बैठाया जा रहा है
और
यही हमारे विरोध की असली वजह है 

जरा सोचिए जब हिंदू मुस्लिम आपस मे भाई भाई है तो फिर दोनों को एक समान क्यों नही देखा जाता दोनों को एक समान अधिकार क्यों नही , दोनो के लिए समान कानून क्यों नही 

जरा सोचिए कौन समाज को बाट रहा है धर्म की राजनीति किसने सुरु की और कौन कर रहा है और ये लोग किसका विकास करेंगे 

भीष्म की तरह चुप मत रहिये
गांधारी की तरह आँखों मे पट्टी मत बांधिए
सोचिए 
अपने बच्चो के भविष्य के बारे में
और 
देश हित को सर्वोपरि रखते हुए  
फैसला करिये
आपका एक वोट देश को सुरक्षित रखेगा
जय हिन्द - जय भारत
🙏
*कायर हिन्दू के लक्षण*

👁️‍🗨️ अपने पारिवारिक राजनीतिक फ़ायदे के लिए राष्ट्रहित और हिंदुत्व के हित में कार्य करने वाली पार्टी की टाँग खींचेगा।
👁️‍🗨️ मुसलमानों की ग़लत हरकतों पर कभी कुछ नहीं बोलेगा, उल्टा उनको ही सपोर्ट करेगा।
👁️‍🗨️ देश को मज़बूत बनाने वाले सराहनीय कार्यों की कभी तारीफ़ नहीं करेगा, उल्टा उसमें भी कुछ नेगेटिव बात निकाल कर सवाल करेगा।
👁️‍🗨️ हिंदू धर्म का मज़ाक़ उड़ाने वाले चुटकुलों या फ़ोटो को पोस्ट करेगा।
👁️‍🗨️ जो हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी और हिंदुत्व के लिए जागरूकता चला रहे हैं उनको बोलेगा कि भाई क्यूँ ये सब पचड़े में पड़ रहे हों, अपना काम करो, कुछ नही मिलेगा ये सब करके।
👁️‍🗨️ कायर हिन्दू की पोस्ट में कभी भी *जय श्री राम* और *सनातन झंडा* नहीं मिलेगा। अब मेरी पोस्ट पढ़कर कोई कर ले तो बात अलग हैं, मैंने तो अभी तक यही देखा।
👁️‍🗨️ कायर हिन्दू खुद आगे से अपने आपको अच्छा हिंदू होने का सबूत देगा, खुद ही सफ़ाई देगा।
👁️‍🗨️ अगर आप गलती से किसी कायर हिंदू के वॉट्सअप ग्रूप में हो तो अपने चमचों को फ़ोन कर-कर के उनको भड़काकर मोदी और भाजपा के ख़िलाफ़ पोस्ट करने को बोलेगा, और तो और उनको फ़ेक वीडियों या फ़ोटो सेंड करके बोलेगा कि ये पोस्ट करो, जिससे ये लगे कि कितने लोग ख़िलाफ़ हैं, राष्ट्रवादी पार्टी के।
👁️‍🗨️ उसी ग्रुप में राष्ट्रवाद और मोदी के लिए ज़्यादा पोस्ट करने वाले को पसंद करने वाले दूसरे साथी को भड़काने की पूरी कोशिश करेगा।
👁️‍🗨️ राष्ट्रवाद और हिंदुत्व का विरोध और मज़ाक़ बनाने को लेकर अगर आप सवाल करोगे तो फिर बेमतलब की दूसरी बाते करेगा।
👁️‍🗨️ आपको निगेटिव करने के लिए झूठ भी बोलेगा कि मै भी *आर॰एस॰एस॰* समर्थक था, मै भी पहले भाजपा को पसंद करता था, मैंने भी मोदी को वोट दिया था, लेकिन मोदी ने देश को बेच दिया। इस दोगले को ये नहीं पता कि जो *आर॰एस॰एस॰* और *मोदी* को समझ लेगा वो फिर कभी भी इनके ख़िलाफ़ नहीं हो सकता। क्योंकि एक सच्चा हिंदू कभी तलवार की नोक और लालच में अपना धर्म नहीं बदलता।
👁️‍🗨️ अब आप सोचेंगे कि कुछ हिंदू ऐसा क्यूँ करते हैं तो उसका सिर्फ एक ही सटीक जवाब हैं कि जब मुगल और अंग्रेज हमें गुलाम बनाने आए थे तो पहले ही उन्होंने सर्वे करवा लिया था और उस रिपोर्ट में ये कहा गया कि हमें हिंदुस्तान को ग़ुलाम बनाने के लिए ज़्यादा अपने सैनिक ले जाने की ज़रूरत नहीं हैं, हिंदुस्तान में ही भरे पड़े हैं ऐसे दोगले और लालची लोग जो हमारा साथ देंगे, बस आज उन्हीं लोगों के वंशज हैं जो देश में जगह-जगह आपको मिल जाएँगे।

🔱 जय श्री राम 🔱
     
आज का फेसबुकिया खेल... थोड़ा समय लगेगा लेकिन ध्यान से पढे और समझे 🙏
फेसबुक के लिए आधार कार्ड क्यों जरूरी हो गया है।।

चार मित्र थे.. Fake ID में नाम हिन्दुओं के - 

1 सोहराब    -          सुनील यादव
2 सरफराज       -       अमित मिश्रा
3 हामिद कुरैशी     -    नागेंद्र कुमार पासवान
4 अहमद         -         सुरेन्द्र सिंह         

अब सुनील यादव (सोहराब) पोस्ट डालता हैं कि - "धर्म के नाम पर ब्राह्मणों ने हमेशा हमारा शोषण किया है कोई देवी देवता नहीं होता हिन्दू धर्म सिर्फ ब्राह्मणों का बकवास है ये सब बीजेपी और आरएसएस वाला है।"

अब शुरू होता है इस नाटक के बाकि तीनो किरदारों का तमाशा देखिए कमेंट बॉक्स में।

Comment

सुरेंद्र सिंह उर्फ (अहमद)-

"ऐ सुनील यादव खबरदार जो हिन्दू धर्म के बारे में कुछ बोला तुम यादव लोग हिन्दू नहीं हो सकते #$%2-4 गाली लिख देता है।"

फिर बारी आती है तीसरे नौटंकी बाज की-

नागेंद्र पासवान उर्फ (हामिद)

नमो बुद्धाय जय भीम।
"अरे भाईलोगों गाली गलौज क्यों कर रहे सच्चाई तो कड़वी होती ही है तुम लोग हम दलितों को मंदिर में घुसने नहीं देते हो ये धर्म नहीं पाखण्ड है इससे अच्छा तो इस्लाम है सभी बराबर खड़े हो कर नमाज पढ़ते हैं।"

अब तीसरा नौटंकी बाज आता है कमेंट बॉक्स में-

अमित मिश्रा उर्फ (सरफ़राज़)

"हाँ.. हाँ.. तुम लोग अछूत हो तो क्यों घुसने दे मंदिर में?? जाओ इस्लाम ही अपना लो तुम सब मूर्ख हो कौन मुंह लगाए तुझे।

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मित्रों सिर्फ इन चार की इतनी सी नौटंकी जबकि चारो एक ही समुदाय के हैं।

मात्र इतनी नौटंकी के बाद कई हिन्दू यादव, राजपूत, ब्राह्मण और दलित सभी तुरंत इस कमेंट बॉक्स में अपनी-अपनी जाति के समर्थन में बिना सोचे-समझे बिना अगले किसी fake id को जाने समझे आपस में एक दूसरे से लड़ने लगते हैं और हमारे जातिवाद का फायदा उठाने वाले वो चारो हमारी मूर्खता पर अट्टहास लगा कर हँसते हैं।
देश के अंदर -बाहर से दुश्मन घात लगा कर बैठा है मौके की तलाश में, और इस प्रकार हिंदूओं में आपसी फूट डाल कर लड़ाते हैं।

विचार करें-

ऐसे लाखों सोहराब और सरफराज दिन रात सोशल मिडिया पर तुम सबको तोड़ने और लड़ाने के लिए काम कर रहे हैं।
ज़िहाद अपने चरम पर है हर स्तर से हिंदुत्व को क्षति पहुंचाने पर कार्य हो रहा है वो भी युद्धस्तर पर।

इसे शेयर करें या काॅपी-पेस्ट, बस यह पोस्ट हर वाल पर होनी चाहिए....।👍

"लावारिस वस्तु न छुएं, बम हो सकता है।

*यह लाइन अंतिम बार  2013 सुनी थी...*

*बस यही फर्क होता है सही बटन दबाने का*

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