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रविवार, 16 जनवरी 2022
आज उप्र की विकास दर चीन की विकास दर से ज़्यादा है
शुक्रवार, 14 जनवरी 2022
Statue of Equality - आचार्य रामनुजाचार्य की सबसे बड़ी प्रतिमा
'Statue of Equality' समानता को समर्पित मिशन
स्वामी रामनुजाचार्य की विशालकाय प्रतिमा का लोकार्पण देश के पीएम नरेंद्र मोदी इसी साल फरवरी में करेंगे , इस स्टैचू के साथ 108 मंदिर का निर्माण किया गया है , इसी के साथ आचार्य रामनुजाचार्य की एक छोटी प्रतिमा भी बनाई गई है जिसमे 120 किलो सोने का इस्तेमाल किया गया है । इस जगह को स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी ( Statue of Equality ) नाम दिया गया है . इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में 1400 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं ।
जेनेरिक और ब्रांडेड दवाइयों में ऐसा क्या अंतर हैं कि डॉक्टर हमें जेनेरिक दवाई नही लिखते?
एक बात वह है दवा निर्माण में उपयुक्त कच्चे माल की गुणवत्ता।
एक ही साल्ट 10 हजार रु से लेकर 1 लाख रु तक की थोक कीमत में मिल सकता है
अर्थात दवाइयों के साल्ट के थोक मूल्य में बहुत अंतर पाया जाता है जिसमें
कहीं न कहीं गुणवत्ता जरूर मायने रखती है।
उदाहरण के लिए इस समय पैरासिटामोल पाउडर का थोक मूल्य रु200-1200 के बीच है.
सहज
सामान्य सिद्धांत (बेसिक थंब रूल) से समझा जा सकता है कि कौन मंहगा और
उच्च गुणवत्ता वाला साल्ट प्रयोग करते होंगे और क्यों - जबकि दूसरे लोग
क्यों सस्ता साल्ट यूज करते होंगे। पहले को अपनी साख बचाए रखना मुख्य
उद्देश्य है भले उत्पाद महंगा क्यों न हो जाए जबकि दूसरे को बाजार में अपनी
जगह बनानी है जिसके कारण लागत को घटाया जाता है कि खुदरा व्यापारियों को
ज्यादा कमीशन और उपभोक्ता को कम कीमत से लुभाया जा सके।
बाजार
से आप कैसे उम्मीद करते हैं कि वो बाजार की तरह व्यवहार न करके मानवीयता
और ईमानदारी का पालन करे?
हर जगह उद्यमी और निवेशक तो एक आम इंसान ही है
जिनकी औरों की तरह ही जरूरतें और ख्वाहिशें हैं।
सबसे
पहले यह समझना होगा कि पेटेंटेड मेडिसिन व नॉन-पेटेंटेड (जेनेरिक) मेडिसिन
और ब्रांडेड मेडिसिन व नॉन-ब्रांडेड मेडिसिन ये दो नहीं बल्कि तीन चीजें
हैं। राजनीति ने इन्हें गोलमाल कर रखा है।
पेटेंटेड मेडिसिन बिना लाइसेंस के कोई अन्य कंपनी नहीं बना सकती लेकिन पेटेंट अवधि खत्म होने के बाद उसे (जेनेरिक) कोई भी बना सकता है मतलब ब्रांड या नॉन-ब्रांड सब। तो मुद्दा ही नहीं क्योंकि जब पेटेंटेड मेडिसिन बिना पेटेंटधारी की अनुमति के कोई अन्य बना ही नही सकता तो सस्ता या महंगा कैसे होगा? मुद्दा है ब्रांडेड और नॉन-ब्रांडेड का जिसमे गुणवत्ता मायने रखती है।
सॉल्ट के थोक मूल्य के अलावा अन्य कारक जैसे श्रम, संयंत्र और मशीनरी, पैकिंग मेटेरियल, हाइजीन, दवा निर्माण में प्रयुक्त अन्य सामग्री (बॉन्डिंग, थिकनिंग, कोटिंग एजेंट आदि), छपाई, अनुकूल भंडारण और सुरक्षित परिवहन आदि में भी खर्च को घटाया बढ़ाया जा सकता है।
बाकी बचा औषधियों की गुणवत्ता के ऊपर सरकारी नियंत्रण, तो उस पर लिखने की क्या जरूरत? सबको पता है कि सरकारी तंत्र कैसे काम करता है।
बाकी ये मैने नहीं लिखा कि नॉन-ब्रांडेड दवा असर नहीं करेगी। मेरा कहने का मतलब है कि राजनीति और बाजार के दांव-पेंचों में फंसे बगैर अपनी हैसियत के अनुसार अच्छे डॉक्टर की सलाह माने क्योंकि कोई भी डाक्टर आपका दुश्मन नहीं है, हां थोड़ा बहुत लालच सबमें होता है; बाकी जमीन जायदाद बेच कर कुछ हासिल नहीं होता।
मानव हृदय इतना प्रभावशाली अंग
ये हैं दिल के बारे में कुछ मजेदार तथ्य:
- आपन ऊपर के एनिमेशन में जो देख रहे हैं वह आपके जीवन के दौरान लगभग 2.5 बिलियन बार होता है।
- एक वयस्क व्यक्ति का दिल एक बंद मुट्ठी के आकार का होता है और इसका वजन सिर्फ 340 ग्राम होता है। इसे 4 भागों में बांटा गया है: 2 अटरिया और 2 निलय।
- यह प्रत्येक धड़कन के साथ 85 ग्राम रक्त पंप करता है, जो एक दिन में 9,000 लीटर से अधिक के बराबर है, एक मिनट में हृदय शरीर में 5 लीटर रक्त पंप करता है; एक घंटे में, यह 400 लीटर है।
- एक महिला का दिल पुरुषों की तुलना में थोड़ा तेज होता है। 1 मिनट में, यह औसतन 8 बीट अधिक होता है।
- मानव हृदय प्रतिदिन 30 किलोमीटर तक ट्रक की आपूर्ति करने में सक्षम ऊर्जा उत्पन्न करता है। यदि आप जीवन भर उत्पन्न ऊर्जा की गणना करते हैं, तो आप चंद्रमा तक और वापस पृथ्वी पर आ सकते हैं।
धन्यवाद🙏
यूनिकॉर्न किस जानवर को कहते हैं? ये किस देश में पाए जाते हैं?
यूनिकॉर्न एक एकसिंगा पशु है और वर्तमान में स्कॉटलैंड का राष्ट्र पशु है।
"इकसिंगा एकमात्र ऐसा पशु है जो शायद मानवीय भय की वजह से प्रकाश में नहीं आया है। यहां तक कि आरंभिक संदर्भों में भी इसे उग्र होने पर भी अच्छा, निस्वार्थ होने पर भी एकांतप्रिय, साथ ही रहस्यमयी रूप से सुंदर बताया गया है। उसे केवल अनुचित तरीके से ही पकड़ा जा सकता था और कहा जाता था कि उसके एकमात्र सींग में ज़हर को भी बेअसर करने की ताकत थी।" पहले इसे एक मनगढ़ंत पशु समझा जाता था मगर २०१६ में हुए शोध और अमेरिकन जर्नल ऑफ अप्लाइड साइंसेज में प्रकाशित लेख के हिसाब से वेस्टर्न सर्बिया, कजाकिस्तान आदि में ये पाए जाते थे जो कि विलुप्त होती प्रजाति हैं।
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