यह ब्लॉग खोजें

रविवार, 3 अप्रैल 2022

अपने लिये *"राष्ट्रीय हिन्दू बोर्ड"* बनाने की मांग कीजिए

*एक सुझाव* 

जब कभी कोई सनातनी आधुनिक Social मिडिया के युग में, हिन्दूत्व की लड़ाई लड़ते हुए किसी मुसीबत में फँस जाता है, किसी कानूनी पचड़े में फँस जाता है या अधर्मियों के हाथों शिकार हो जाता है तो वह सहायता के लिये किसे पुकारे? क्या कोई ऐसी संस्था है या कोई हेल्पलाइन है जिसे वह अपनी रक्षा के लिये गुहार लगाये, या फिर वह बंगाल के हिन्दुओं की तरह चुपचाप मरता कटता रहे!

आज़ हर हिन्दू Social मीडिया पर हिंदूवादी पोस्ट डालते हुए कहीं न कहीं असुरक्षा की भावना रखता है, कहीं वह या उसका परिवार किसी भयंकर आपदा में फँस गया तो कौन सहायता करेगा? 

अपने अपने स्तर पर सभी हिन्दू धर्म के युद्ध में अकेले लड़ाई लड़ रहें हैं,
क्या उनकी सुरक्षा की गारंटी कोई State गवर्नमेंट या सेंट्रल गवर्नमेंट लेती है?

क्या बंगाल के हिन्दुओं के परिवारों के साथ जो हिंसा और बलात्कार हुए, उन्हें बचाने के लिये कोई संगठन सामने आया... ?

जबकि दूसरे धर्मों में उनका *"ईसाई मिशनरी, वक्फ बोर्ड अथवा गुरुद्वारा कमेटी"* अपने समुदायो के लोगों के लिये संगठित होकर आगे आते हैं और ऐसा आन्दोलन छेड़ते हैं कि प्रसाशन एवं मिडिया के कान के परदे तक हिल जायें, उदाहरण के लिये देश भर में प्रतिदिन सैकड़ों लड़कियों को जिहादियों द्वारा उठा लिया जाता हैं, उनका बलात्कार किया जाता हैं, उनका धर्म परिवर्तन किया जाता है और हम Social मिडिया पर कुछेक पोस्ट डालकर अपनी भड़ास निकाल लेते हैं और भूल जाते हैं,
मगर पंजाब में 2 सिख लड़कियों के मामले को लीजिये, देशभर के सभी सिक्खों ने एकत्र होकर एक ऐसा आन्दोलन छेड़ दिया कि जिहादियों द्वारा उन लड़कियों को छोड़ना पड़ा जबकि निकाह भी हो गया था, जिहादी न तो कोर्ट का सहारा ले पाये और न थाने पुलिस का!

जानते हो ऐसा कैसे संभव हो सका, कैसे सारे सिख एक साथ एक मंच पर अपने सभी काम धंधों को छोड़कर एक हो गये??? 🤔

क्योंकि सभी सिक्खों को एकत्र करने और संचालन करने वाली उनकी *"गुरुद्वारा कमेटी"* है, जिसका चुनाव स्वयं सिक्ख समुदाय अपने वोट देकर करता है, उसी प्रकार जिहादिओं का बचाव उनका *"मुस्लिम वक्फ बोर्ड"* करता है, यहाँ तक कि उनके दोषी होने पर भी उनका साथ देता है, उसी तरह ईसाई पादरियों पर बलात्कार का चार्ज तक होने पर भी उन्हें उनकी ईसाई मिशनरी बचा ले जाती है!
और दूसरी तरफ हम बेचारे हिन्दू...?

क्या हिन्दुओं में इतना विवेक नहीं है कि वो भी अपने लिये एक *"राष्ट्रीय हिन्दू बोर्ड"* जैसी संस्था का गठन कर सके, जो सभी सनातनियों के लिये एक ढाल का काम कर सके, उन्हें जिहादियों, प्रशासन और दूसरी बाह्य शक्तियों से लड़ने की शक्ति दें सके....?
बिलकुल बना सकते हैं, *"किन्तु समस्या यह है कि हममें से कुछ बुद्धिजीवी जो अपने आपको वयस्क एवं समझदार समझने लगते हैं, वे लोग किसी न किसी राजनैतिक विचारधाराओं से जुड़े होते हैं, फलस्वरूप वे न तो इस विषय में खुद कुछ सोचते हैं और न किसी और के विचारों को सुनने की क्षमता रखते हैं, उन्हें ऐसा लगता हैं कि इस तरह किसी और कि बातें सुनने और मानने लगे तो उनकी क्या हैसियत रह जाएगी* 

अब सोचना किसको है, सोचना हमें और आपको है, सिर्फ़ सोचना ही नहीं करके दिखाना है....!

तो आइये एक साथ आगे बढिये और अपने लिये *"राष्ट्रीय हिन्दू बोर्ड"* बनाने की मांग कीजिए जिसके मेंबर्स का चुनाव प्रत्येक 2 वर्षों के लिये प्रत्येक साधारण हिन्दू जो 18+ का हो अपने वोट डालकर करें!

इस बोर्ड के गठन के लिये प्रधानमंत्री द्वारा किसी अध्यादेश लाने की आवश्यकता नहीं होगी, और न संसद के किसी सदन में कोई बिल पारित करना होगा, बल्कि प्रधानमंत्री महोदय अपने सरकारी गजट में इसे छपवा देंगे और हो गया काम!
किन्तु प्रधानमंत्री इसे करेंगे तभी जब देश के करीब 40 करोड़ हिन्दू अपने पत्र द्वारा उन्हें ऐसा करने के लिये बाध्य करें...!

यदि एक बार यह लागू हो गया तो देश के सभी प्रमुख मंदिरों की धन-संपत्तियों और करोड़ों अरबों रूपए के चंदे से सरकार का अधिपत्य हट कर हिन्दु-बोर्ड के हाथों में आ जायें, जिसे वे अपने धर्म के लोगों की भलाई के लिये खर्च कर सकेंगे, नाकि किसी जिहादी समुदायो को फ्री की सब्सिडी और उनके मौलवीओ की तनख्वाह पर खर्च करेंगे!
इससे समस्त हिंदू समाज एक सूत्र में बंध जायेगा और अन्य सम्प्र्दायों की तरह जाति पाती को भुलाकर स्वयं को सिर्फ़ हिन्दू कहलाना पसंद करेगा!

हिन्दू एक सशक्त वोट बैंक होगा, उसे अपने हित के लिये किसी राजनैतिक दल पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, बल्कि सभी राजनैतिक दल कोर्ट पर जनेऊ डालें हिन्दुओं के तलवे चाटते नज़र आयेंगे...

इसे क्रियान्वयन में लाने के लिये क्या करना है... यह जानने के लिये कृपया अपना सहयोग दीजिए ताकि आपको अगला कदम के बारे में बताया जा सके!
सविनय निवेदन
           ............
🚩🚩🚩जय श्रीराम 🚩🚩🚩

*क्या हिन्दू होने के नाते आप इसे आगे फारवर्ड करेंगे ?*

Forward as received

फिल्मों का मोदीकरण

फिल्मों का मोदीकरण...
यह एक फिल्म "आरआरआर" का पोस्टर है... इस फिल्म ने परसों अपनी रीलीज के पहले दिन 257 करोड़ रुपए कमायें हैं जो किसी भी भारतीय फिल्म के लिए सबसे बड़ा रिकॉर्ड है। इस फिल्म के निर्देशक एसएस राजामौली हैं जिनकी पिछ्ली दो फिल्मों "बाहुबली" ने सबसे अधिक कमाई का रिकॉर्ड बनाया था जो स्वयं राजामौली ने ही तोड़ दिया है...

इस बीच किसी करण जौहर या आदित्य चौपड़ा की कोई लिजलिजी फिल्म या शाहरुख सलमान आमिर सैफ अख्तर की कोई भी फिल्म 2016 के दिसम्बर के बाद से हिट नहीं हुई है... सारी कैटरिनायें, दीपिकायें, प्रियंकायें, आलियाएं अपने मोमजामे में वापस लौट गई हैं... पाकिस्तान के किसी सिंगर का कोई गाना या वहां के किसी जावेद फरहाद को भारत में पहले की तरह "सैटल्ड दीवानगी" नहीं मिल रही... इस बीच साउथ की "पुष्पा" ने भी भारत के दिल में फायर जगाई है... और 65 पार के साउथ वाले रजनीकांत आज भी "थलाइवा" बने हुए हैं उत्तर भारत में भी...

यह बात देश के सेक्युलर्स और बुद्धिजीवियों को खाए जा रही है कि "कहीं राजनेता नरेंद्र मोदी के वोटर अब फिल्मों का भी मोदीकरण तो नहीं कर रहे..." मेरा मानना है कि "हां ऐसा ही हो रहा है..." जो राजनेता दर्शकों की इस नब्ज को समझेंगे... उन्हें वोट मिलेंगे और जो फिल्मवाले इस फार्मूले को अपनाएंगे उन्हें दर्शक मिलेंगे करोड़ों-अरबों की कमाई मिलेगी... हाल ही आई बिना सितारों वाली एक छोटी सी मामूली सी फिल्म "कश्मीर फाइल्स" ने पूरे देश को बांध लिया अपने प्रेमपाश में...

भारत में अगली 10 हिट फिल्में केवल उन विषयों पर बनी हुई होगी, जिन विषयों पर मोदी देश से बात करते हैं... वे अगर कहते हैं कि राजा सुहेलदेव की जय हो... तो आप देख लेना आने वाली फिल्म "सुहेलदेव" 500 करोड़ रुपए कमायेगी... और दो साल बाद इन्हीं गर्मियों में मोदी के नाम पर ही देश 300 से अधिक करीब 350 राजनेताओं को अपनी मंजूरी देगा कि जाओ संसद में...

संभवतः दुनिया में समकालीन राजनीति में मोदी पहले राजनेता होंगे जो 140 करोड़ लोगों के बहु विविधता वाले देश में निरंतर 15 बरस राजसेवा करेंगे वो भी लोगों से वोटप्रेम पाकर... इस बीच फिल्म, त्योहार, पुस्तक, साहित्य, अखबार, टीवी, विज्ञापन, क्रिकेट, बाजार सब का मोदीकरण होगा... बिल्कुल होगा और यही देश हित में भी है।

शनिवार, 2 अप्रैल 2022

भगवान शिव की पांच बेटियों के जन्म की कथा

भगवान शिव की पांच बेटियों के जन्म की कथा
〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰
भारत में शिव जी को भगवान के रूप में तथा देवी पार्वती को माँ की रूप में पूजा जाता है। भगवान शिव को देवों के देव भी कहते हैं। इनके अन्य नाम महादेव, भोलेनाथ, नीलकंठ, तथा शंकर आदि हैं। शिव के गले में नाग देवता विराजित हैं। उनके हाथों में डमरू और त्रिशूल रहता है।

माँ पार्वती भगवान शिव की पत्नी हैं। माँ पार्वती देवी सती का ही रूप हैं। माँ पार्वती को उमा तथा गौरी आदि नामो से भी जाना जाता है। माँ पार्वती का जन्म हिमनरेश के घर हुआ था जो कि हिमालय का अवतार थे। माँ पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए घोर तप किया था तथा अपने कठोर तप में वह सफल भी हुई।

आपने भगवान शिव तथा देवी पार्वती से सम्बंधित कई कथाएं भी सुनी होंगी। परन्तु भगवान शिव की पांच बेटियों की कथा के बारे में केवल कुछ ही लोग जानते हैं।

एक दिन भगवान शिव और माँ पार्वती एक सरोवर में जल क्रीड़ा कर रहे थे। उस समय भगवान शिव का वीर्यस्खलन हो गया।  तब महादेव ने वीर्य को एक पत्ते पर रख दिया। उन वीर्य से पांच कन्यायों का जन्म हो गया। परन्तु यह कन्याएं मनुष्य रूप में ना होकर सर्प रूप में थी।

माँ पार्वती को इस विषय में कोई जानकारी नही थी। परन्तु भगवान शिव तो सब जानते थे कि वो अब पांच नाग कन्यायों के पिता हैं। कौन पिता नही चाहता कि वह अपनी पुत्रियों के साथ खेले। महादेव भी अब एक पिता थे और वह भी अपनी पुत्रियों के साथ समय बिताना चाहते थे तथा उनके साथ खेलना चाहते थे। इसलिए पुत्री मोह के कारण भगवान शिव अब हर दिन उस सरोवर पर नाग कन्यायों से मिलने आते तथा उनके साथ खेलते।

प्रतिदिन महादेव का ऐसे चले जाने से देवी पार्वती को शंका हुई। इसलिए उन्होंने भगवान शिव का रहस्य जानने की कोशिश की। एक दिन जब महादेव सरोवर की ओर जाने लगे तो देवी पार्वती उनके पीछे-पीछे सरोवर पहुँच गयी। 

वहां देवी पार्वती ने भगवान शिव को नाग कन्यायों के साथ खेलते हुए देखा। यह देखकर देवी पार्वती को बहुत क्रोध आया। क्रोध के वशीभूत होकर देवी पार्वती ने नाग कन्यायों को मारना चाहा। जैसे ही उन्होंने नाग कन्यायों को मारने के लिए अपना पैर उठाया तो भगवान शिव ने कहा कि यह आपकी पुत्रियां हैं। देवी पार्वती बहुत आश्चर्यचकित हुई। फिर भगवान शिव ने देवी पार्वती को नाग कन्यायों के जन्म की कथा सुनाई। कथा सुनकर देवी पार्वती हंसने लगी।

भगवान शिव ने बताया की इन नाग कन्यायों का नाम है- जया, विषहर, शामिलबारी, देव और दोतलि। भगवान शिव ने अपनी पुत्रियों के बारे में बताते हुए कहा कि सावन में जो भी इन कन्यायों की पूजा करेगा उसे सर्प भय नही रहेगा। इन कन्यायों की पूजा करने से परिवार के सदस्यों को सांप नही डसेगा। यही कारण है की सावन में भगवान शिव की पांच नाग पुत्रियों की पूजा की जाती है।
〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰

मोदी की लाठी और कांग्रेस की तिलमिलाहट

मोदी की लाठी और कांग्रेस की तिलमिलाहट
कहते हैं कि भगवान की लाठी बेआवाज होती है। कुछ इसी तरह मोदी जी की लाठी भी बेआवाज होती है पर बहुत गहरी चोट पहुंचाती है। वैसे तो यह खबर आप अंबेडकर जयंती १४ अप्रैल को सुनेंगे पर इसकी पृष्ठभूमि अभी जान लीजिए। 

हुआ यह था कि १९४७में आजादी के बाद तत्कालीन वायसराय हाउस राष्ट्रपति आवास बना दिया गया। उसके बाद क्षेत्रफल और साज-सज्जा के अनुसार दूसरे नंबर पर तीन मूर्ति भवन था। नेहरू ने इसे अपना आवास बना लिया।
अगले १७ वर्षों तक सारे कर्म कुकर्म इसी भवन में करते रहे।
उनकी गुप्त रोग से मृत्यु होनेपर दूसरे पूर्व स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री जब तीन मूर्ति भवन में जाने लगे तो इंदिरा गांधी ने रोक दिया।कहा कि आपकी हैसियत नेहरू के भवन में रहने लायक नहीं है। सीधे-सादे शास्त्री जी मान गए और अपने लिए एक बहुत छोटा सा बंगला चुना और वहीं रहने लगे।
उनकी रहस्यमय असामयिक मृत्युके बाद तीन मूर्ति भवन को इंदिरा गांधी ने नेहरू संग्रहालय बना दिया। इसमें उनका गद्दा तकिया रजाई चश्मा घड़ी और उनकी ऐयाशी के सारे सामान जिसमें एडविना की फोटो भी थी रहा दिया। 
बाद में जितने प्रधानमंत्री आए किसी का कोई संग्रहालय नहीं बना।
पी वी नरसिम्हा राव को इतना बेइज्जतकिया कि उनका अंतिम संस्कार तक दिल्ली में नहीं करने दिया क्योंकि वे इंदिरा गांधी के गुलाम नहीं थे।
समय बीतता गया। प्रधानमंत्री आते गए और सबके बंगले सुरक्षित होते रहे। 
इसी समय राजनीति के फलक पर एक सितारे का उदय हुआ जिसे सब नरेंद्र मोदी के नाम से जानते हैं।
 उन्होंनेबिना हल्ला गुल्ला किये खामोशी से काम शुरू कर दिया।तीन मूर्ति भवन के एक एक करके १८ कमरे खुलवा दिया और उनमें सभी प्रधानमंत्रियों की स्मरणीय वस्तुओं को रखवाकर उनके नाम से अलग अलग संग्रहालय बनवा दिया।

अब बारी थी नेहरू का नाम मिटाने की।अब तक इसका नाम केवल"जवाहरलाल नेहरू संग्रहालय तीन मूर्ति भवन दिल्ली' था। मोदी जी ने अब नेहरू शब्द हटाकर इसका नया
नामकरण कर दिया " प्रधानमंत्री संग्रहालय' ।इसका विधिवत उद्घाटन दिनांक 14-04-2022 करेंगे। 

नेहरू संग्रहालय अब कहलाएगा 'पीएम म्यूजियम'; सभी PM की यादों को मिलेगी जगह, 14 अप्रैल को उद्घाटन

देश की राजधानी नई दिल्ली में स्थित नेहरू-गांधी परिवार की विरासत नेहरू संग्रहालय (Nehru Memorial Museum) यानी द नेहरू मेमोरियल म्यूजियम का नाम अब ‘प्रधानमंत्री संग्रहालय’ (Nehru Memorial Museum) होगा. तीन मूर्ति भवन पर बने इस 'प्रधानमंत्री संग्रहालय' का उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की ओर से 14 अप्रैल को डॉ बाबासाहेब अंबेडकर के जन्मदिन के मौके पर किया जाएगा. 

 इसे प्रधानमंत्री संग्रहालय नाम देने के बाद देश के सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों से जुड़ी यादों को अब इस म्यूजियम में जगह दी जाएगी.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘हमारे तो एक ही हैं, बाकी उनके हैं ….वह किसी भी दल के रहे हों, फिर भी हमने पूर्व प्रधानमंत्रियों के योगदान को सम्मान दिया है. हमें दलगत भावना से ऊपर उठकर सभी प्रधानमंत्रियों का सम्मान करना चाहिए. आप सभी को यहां जाना चाहिए.’ बता दें कि भाजपा अक्सर यह आरोप लगाती रही है कि आजादी के बाद अधिकांश समय कांग्रेस ने देश पर शासन किया और वह सिर्फ गांधी-नेहरू परिवार के प्रधानमंत्रियों का ही गुणगान करती रही थी जबकि अन्य के साथ उसका व्यवहार ठीक नहीं रहा.

संग्रहालय को 271 करोड़ रुपये की लागत से 10,000 वर्ग मीटर क्षेत्र में बनाया गया है. इसे 2018 में मंजूरी दी गई थी. संग्रहालय में पूर्व पीएम से संबंधित दुर्लभ तस्वीरें, भाषण, वीडियो क्लिप, समाचार पत्र की कतरन, साक्षात्कार और मूल लेखन जैसे प्रदर्शन होंगे. बता दें कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत पार्टी के कई नेता बैठक में शामिल थे. भाजपा द्वारा कई एक सप्ताह तक कार्यक्रम आयोजित होंगे

कांग्रेस में इसीलिए पीड़ा बढ़ गई है।रो भी नहीं सकती, हंसने का तो सवाल ही नहीं उठता।😎

Jai Shree Ram.🚩

वैदिक नववर्ष, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रमी संवत् 2079 

🙏💐वैदिक नववर्ष, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रमी संवत् 2079 (2
अप्रैल, 2022)" एवं नव रात्रि स्थापना की आप सभी को शुभकामनाएँ।
सृष्टि स्थापना दिवस, कालगणना की सर्वाधिक वैज्ञानिक पद्धति, सबसे प्राचीन व्यवस्था, प्रकृति में छाए सबसे उत्साह के दिन चैत्र शुक्ला प्रतिपदा की आप सभी को शुभकामनाएं और बधाइयां।
विक्रम संवत २०७९ विश्व के लिए कल्याणकारी हो।💐🙏

*चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व :-

* इसी दिन आज से 1,97,38,13,122 वर्ष पूर्व ईश्वर ने
सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी।(सृष्टि संवत्)


* मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का राज्याभिषेक भी इसी दिन
हुआ था।    

* महाराज युधिष्ठिर का राज्याभिषेक 5157 वर्ष पूर्व इसी
दिन हुआ था।

* 2078 वर्ष पूर्व सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन अपना
राज्य स्थापित किया। उसी दिन से प्रसिद्ध विक्रमी संवत् प्रारंभ
हुआ।

 *147 वर्ष पूर्व महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने इसी दिन कोआर्य समाज की स्थापना दिवस के रूप में चुना।* आर्य समाज वेद प्रचार का महान कार्य करने वाला एकमात्र संगठन है।

* विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर
दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना।


*वैदिक नववर्ष का प्राकृतिक महत्व :-

* वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो
उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी
होती है।

* फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल
मिलने का भी यही समय होता है।

*वैदिक नववर्ष कैसे मनाएँ :-

* हम परस्पर एक दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएँ दें।

* अपने परिचित मित्रों, रिश्तेदारों को नववर्ष एवं नव रात्रि स्थापना के शुभ संदेश
भेजें। 

* इस मांगलिक अवसर पर अपने-अपने घरों पर भगवा
पताका फेहराएँ। वेद , रामायण, गीता आदि शास्त्रो के स्वाध्याय का संकल्प ले।

 *घरों एवं धार्मिक स्थलों में हवन यज्ञ के कार्यक्रमों का
आयोजन जरूर करें ।*

* इस अवसर पर होने वाले धार्मिक एवं सांस्कृतिक
कार्यक्रमों में भाग लें अथवा कार्यक्रमों का आयोजन करें।

देश भर के मंदिरों में इस दिन नव रात्रि स्थापना के विशेष कार्यक्रम
आयोजित किए जा रहे हैं।

*आप सभी से विनम्र निवेदन है कि "वैदिक नववर्ष" हर्षोउल्लास
के साथ मनाने के लिए "ज्यादा से ज्यादा सज्जनों को प्रेरित"
करें।*
          धन्यवाद 

       🚩नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं🚩
भवन्निष्ठ-🙏 
कैलाश चन्द्र लढा 

WWW.SANWARIYAA.BLOGSPOT.COM

POLICE PUBLIC PRESS
JODHPUR

function disabled

Old Post from Sanwariya