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मंगलवार, 13 सितंबर 2022

भुट्टे के बाल सेहत के लिए वरदान

 भुट्टे के बाल सेहत के लिए वरदान


जैसे ही बारिश का मौसम आता है हम सभी लोगों का दिल करता है कि भुना हुआ भुट्टा खा लें

बाकी स्वीट कॉर्न तो आज कल हमारे पास होती ही है। हम किसी न किसी रूप में भुट्टे को अपने आहार में जरूर शामिल करते हैं। यह न केवल खाने में स्वादिष्ट होता है, बल्कि यह कई पौषक त्तवों से भी भरपूर होता है इसी लिए यह बीते कई सालों से हमारे आहार में शमिल है। अब हम सभी अपनी पसंद के अनुसार भुट्टा खाना तो पसंद करते हैं, लेकिन क्या आपने कभी भुट्टे के बालों को अपनी डाइट में शामिल किया है? जी हाँ, हम उन्ही भुट्टे के बालों या रेशों के बारे में बात कर रहे हैं जो कि भुट्टा छिलते हुए निकलते हैं और हम अक्सर उन्हें कूड़ा समझ कर बाहर फेंक देते हैं। आपको जानकार हैरानी होगी कि कूड़ा समझे जाने वाले वो रेशे जींगे भुट्टे के बाल, कॉर्न सिल्क या भुट्टे के रेशे के नाम जाना जाता है वह हमारी सेहत के लिए वरदान है। अगर आप नियमित रूप से उनसे बनी चाय का सेवन करते हैं तो इससे आपकी किडनी भी हमेशा के लिए स्वस्थ रह सकती है और आप कई गंभीर रोगों से भी बच सकते हैं। तो चलिए Medtalks पर लिखे इस लेख के लिए कॉर्न सिल्क, भुट्टे के बाल या भुट्टे के रेशों के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

भुट्टे के बालों में क्या-क्या पौषक तत्व मिलते हैं? What nutrients are found in corn silk?

भुट्टे के बाल एंटी-ऑक्‍सीडेंट और फाइबर से होते हैं भरपूर

आप इस बारे में पक्का सोच रहे होंगे कि जब इसे लोग कूड़ा समझ कर फेंक देते हैं तो भला इसमें पौषक तत्व भला कैसे हो सकते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है, भुट्टे के रेशों में काफी पौषक तत्वों होते हैं जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। भुट्टे के बालों में निम्नलिखित पौषक तत्व पाए जाते हैं :- 

  1. विटामिन ए 

  2. विटामिन बी 2

  3. विटामिन सी

  4. विटामिन ई

  5. विटामिन के 

  6. आयरन

  7. फाइबर

  8. कैल्शियम

  9. पोटेशियम 

  10. मिनरल्स 

  11. एंटी इंफ्लेमेटरी गुण 

भुट्टे के बाल हमारे लिए कैसे फायदेमंद है?
How is corn silk beneficial for us?

आपने अभी ऊपर पढ़ा कि भुट्टों के रेशों में कितने सारे पौषक तत्व मौजूद है। यही पौषक तत्व हमारे स्वास्थ्य को मजबूत बनाने और हमें कई गंभीर रोगों से लड़ने में मदद करते हैं। भुट्टे के बालों से मिलने वाले फायदों को निचे वर्णित किया गया है :- 

मूत्र पथ संक्रमण दूर करे -

अगर आप लगातार काफी लंबे समय से मूत्र पथ संक्रमण (Urinary tract infection) या पेशाब से जुड़ी किसी भी समस्या से जूझ रहे हैं, तो आप इससे छुटकारा पाने के लिए भुट्टे के बालों से बनी चाय का इस्तेमाल कर सकते हैं। भुट्टों के रेशों से बनी चाय या काढ़ा आपको मूत्र पथ संक्रमण (Urinary tract infection) से बचाने में काफी मदद करती है। भुट्टे के रेशे एंटी इंफ्लेमेटरी गुण एजेंट (anti-inflammatory agent) की भांति काम करते है। यह रेशे मूत्र पथ अस्तर (urinary tract lining) को करने का काम करते हैं और पेशाब में समस्या के कारण होने वाली जलन से राहत दिलाने में मदद करते है। अगर आप भुट्टे के बालों की बनी चाय का सेवन करते हैं तो आपके ब्‍लैडर और urinary tract की सूजन को शांत करने में सहायता मिलती है। इससे पेशाब ज्‍यादा मात्रा में आता है जिससे यूरीन ट्रेक्‍ट में बैक्‍टी‍रिया के निर्माण के जोखिम को कम करता है। मूत्र विकार होने के कारण किडनी खराब होने का खतरा बना रहता है। 

मोटापा कम करे –

हम सभी इस समय में अपना वजन बिना किसी मेहनत के कम करना चाहते हैं, क्योंकि मोटापे से जूझने वाला शरीर वाला बीमारियों का घर बड़ी आसानी से बन जाता है। लेकिन मुमकिन नहीं लगता, पर भुट्टों के रेशों की मदद से ऐसा करना संभव है। अगर आप भुट्टे के बालों से बनी चाय का सेवन करते हैं तो आपके शरीर में वॉटर रिटेंशन और विषाक्तए पदार्थों की मात्रा कम होने लगती है। भुट्टे के बाल इन सब चीज़ों को शरीर से बाहर निकालता है। इस तरह वजन घटाने में भी मदद मिलती है। इसके अलावा इसमें मौजूद फाइबर पेट में जमा वसा को कम करने में मदद करता है जिससे आपका बढ़ा हुआ वजन कम होने लगता हैं। 


किडनी की सफाई करे -

भुट्टों से बनी चाय का सबसे बड़ा फायदा है कि इसकी मदद से किडनी की सफाई काफी अच्छे से होती है। किडनी को साफ करने के लिए आप इन रेशों को घर में छावं में सुखा लीजिये। अच्छे से सूखने के बाद आप इसे 50 ग्राम की मात्रा में लें और इसे दो गिलास पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो उसका सेवन करें, आप इसका स्वाद बढ़ने के लिए इसमें नींबू, नमक या हल्की सी चीनी डाल सकते हैं। आप इस पेय का सेवन महीने में एक बार या दो बार कर सकते हैं। इसका सेवन करने के बाद आपको सामान्य से ज्यादा पेशाब आ सकता है, जोकि सामान्य बात है। इसका सेवन करने के दौरान आप अधिक मीठा, डिब्बाबंद खाना, मांसाहार, शराब आदि का सेवन ना करे। 


डायबिटीज से राहत दिलाए –

डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो एक बार हो जाए तो मरते दम तक व्यक्ति का पीछा नहीं छोड़ती। वहीं व्यक्ति को इसे काबू में रखने के लिए हर समय दवाएं लेनी पड़ती है, मीठे से दूर रहना पड़ता है और इन्सुलिन के इंजेक्शन भी लेने पड़ते हैं। लेकिन अगर आपसे कहा जाए कि भुट्टे के रेशों से बनी चाय की मदद से ब्लड शुगर लेवल काबू किया जा सकता है? जी हाँ, भुट्टे के रेशों में इन्सुलिन को एक्टिव करने की ताक़त होती है जिससे कमजोर हो चुके इन्सुलिन ठीक से काम करने लगते हैं और फिर शुगर लेवल काबू में आने लगता है। 


हाई ब्लड प्रेशर को काबू करे –

डायबिटीज की ही तरह हाई ब्लड प्रेशर की समस्या एक बार हो जाए तो ठीक होने का नाम नहीं लेती, इसे काबू करने के लिए भी अपने खान-पान में काफी बदलाव करने की जरूरत होती है। लेकिन अगर आप सप्ताह में दो बार भुट्टे के बालों से बनी चाय का सेवन करते हैं तो इससे आपके हाई ब्लड प्रेशर की समस्या में काफी राहत मिल सकती है। दरअसल, जब आप इस चाय या काढ़े का सेवन करते हैं तो इससे आपको सामान्य से ज्यादा पेशाब आता है और इसकी वजह से ब्लड में मौजूद सोडियम और अन्य अपशिष्ट उत्पाद जिनकी वजह से ब्लड प्रेशर हाई होने की समस्या हो सकती है वह सब पेशाब के जरिये शरीर से बाहर निकल जाते हैं, नतीजतन ब्लड प्रेशर काबू में आने लगता है। 


किडनी की पथरी से राहत दिलाए –

किडनी में पथरी होने पर इससे होने वाला दर्द इस समस्या को काफी गंभीर बनाता है। जब किडनी में छोटे क्रिस्टलाइज्ड के जमा होने लग जाते हैं तब किडनी में पथरी बन जाती है, जो दर्द और परेशानियों का कारण बन सकते हैं। किडनी में पथरी को रोकने के लिए प्राचीन दिनों से भुट्टे के बाल का उपयोग किया जाता है। भुट्टे के बालों से बनी चाय के सेवन से आपकी किडनी में जमा हुए टॉक्सिन्स और नाइट्रेट निकल जाते हैं, जिससे किडनी में पथरी बनने का खतरा कम हो जाता है। इसके अलावा भुट्टे के बाल के उपयोग से मूत्र प्रवाह में वृद्धि हो सकती है।


सूजन में राहत दिलाएं –

भुट्टे को विरोधी भड़काऊ एजेंट (anti-inflammatory) गुणों के लिए जाना जाता है। पारंपरिक चिकित्सा अनुयायियों का मानना है कि इसका उपयोग gout और arthritis जैसे सूजन संबंधी बीमारियों के कारण होने वाले दर्द को कम करने के लिए किया जा सकता है। कॉर्न सिल्‍क का मूत्रवर्धक गुण शरीर के जोड़ों में अतिरिक्त यूरिक एसिड गठन को रोकता है।

भुट्टे के रेशों की चाय का सेवन करने के दौरान क्या सावधानियां बरतनी चाहिए? What precautions should be taken while consuming corn silk tea?

आपने अभी ऊपर जाना कि भुट्टे से बनी चाय से हमें क्या-क्या फायदे मिलते हैं। चलिए अब जानते हैं कि इस चाय या काढ़े को पीते हुए हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि इससे हमें केवल फायदा ही मिले कोई नुकसान न हो। इसके सेवन के दौरान निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चहिये –

  1. भुट्टे के रेशों से बनी चाय का सेवन करते हुए इस बात को ध्यान में रखें कि यह कोई साधारण चाय या शर्बत नहीं है, बल्कि यह एक दवा है तो इसका प्रयोग हमेशा दवा के रूप में ही करना चाहिए। 

  2. गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन करने से जितना हो सके बचना चाहिए, यह गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं मानी जाती। इसका सेवन करने से गर्भाशय उत्तेजित होने लगता है जिसके कारण गर्भपात होने की आशंका बढ़ जाती है।

  3. अगर आप अपने शिशु को स्तनपान करवाती हैं तो आपको इसके सेवन से पहले अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए। क्योंकि इसकी वजह से स्तन में दूध बनने की मात्रा कम हो सकती है और बच्चे को सर्दी जुखाम की समस्या भी हो सकती है।

  4. इसका सेवन करने के बाद आपको सामान्य से ज्यादा पेशाब आ सकता है, जो कि सामान्य बात है। ज्यादा पेशाब आने की वजह से शरीर में पानी की कमी न हो इसके लिए आप सही मात्रा में पानी पीते रहें।

  5. यह काढ़ा आपके शरीर को अंदर से साफ़ करता है, इसलिए जरूरी है कि आप इसके सेवन के दौरान सात्विक रहें। आप अधिक मीठा न लें, डिब्बाबंद खाना, मांसाहार, शराब आदि का सेवन ना करें। 

भुट्टे के बालों से चाय कैसे बनाएं? How to make tea from corn silk?

भुट्टे के बालों से चाय बनाने के लिए आपको सबसे पहले चाहिए भुट्टे के रेशे यानि भुट्टे के बाल जो कि आप भुट्टे को छीलकर भी निकाल सकते हैं। अगर आपको ताज़ा नहीं मिल रहे हैं तो आप बाज़ार से सूखें हुए भुट्टे के बाल भी ले सकते हैं। यह सूखे हो या ताजा इनके पौषक तत्व कभी कम नहीं होते। आप चाहे तो घर पर भी भुट्टे के बालों को सुखा कर बाद के लिए भी रख सकते हैं, बस ध्यान रहें आप इन्हें सीधे धुप में न सुखाएं।

  1. चलिए अब बनाते हैं भुट्टे के बालों की चाय :- 

  2. सबसे पहले आप एक बड़ा गिलास पानी लें और उसे चाय के बर्तन में डाल दें। 

  3. अब पानी में करीब 10 ग्राम तक भुट्टे के बाल डालें और इन्हें तब तक उबलने दें, जब तक पानी आधा न रह जाए। 

  4. जब पानी आधा रह जाए तो आप इसे छान लें और इसमें कुछ बूंद शहद या सेंधा नमक डालकर इसे गर्म गर्म पियें।

गुरुवार, 8 सितंबर 2022

अनंत चतुर्दशी : अनंत पुण्य देने वाला उत्तम व्रत

*अनंत चतुर्दशी : अनंत पुण्य देने वाला उत्तम व्रत...


🚩 *अनंत चतुर्दशी व्रत ( 9 सितम्बर ) का हिंदू धर्म में काफी महत्व है। इस पर्व को अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है। इसी दिन शुभ समय में गणपति बप्पा का विसर्जन किया जाता है। गणेश उत्सव के बाद धूमधाम के साथ भगवान गणेश को अनंत चतुर्दशी के दिन जल में विसर्जित कर दिया जाता है। बप्पा के भक्त इस मनोकामना के साथ उन्हें विदा करते हैं कि अगले बरस बप्पा फिर उनके घर पधारेंगे और जीवन में खुशियां लेकर आएंगे। देश भर में इस पर्व को बड़े ही जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है।*

🚩 *अनंत चतुर्दशी पूजा मुहूर्त अनंत चतुर्दशी के दिन यानि 09 सितंबर को भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा करने का शुभ समय प्रातःकाल में 06 बजकर 03 मिनट से शाम 06 बजकर 07 मिनट तक है।*

🚩 *भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी का व्रत किया जाता है। इस दिन अनंत के रूप में हरि की पूजा होती है। पुरुष दाएं तथा स्त्रियां बाएं हाथ में अनंत का धागा सूत्र धारण करती हैं।*

🚩 *अनंत राखी के समान रूई या रेशम के कुंकू रंग में रंगे धागे होते हैं और उनमें चौदह गांठे होती हैं। इन्हीं धागों से अनंत का निर्माण होता है। यह व्यक्तिगत पूजा है, इसका कोई सामाजिक धार्मिक उत्सव नहीं होता।*
 
🚩 *अग्नि पुराण में इसका विवरण है। व्रत करने वाले को धान के एक प्रसर आटे से रोटियां या पूड़ी बनानी होती हैं, जिनकी आधी वह ब्राह्मण को दे देता है और शेष स्वयं प्रयोग में लाता है।*

🚩 *इस दिन व्रती को चाहिए कि प्रात:काल स्नानादि नित्यकर्मों से निवृत्त होकर कलश की स्थापना करें। कलश पर अष्टदल कमल के समान बने बर्तन में कुश से निर्मित अनंत की स्थापना की जाती है। इसके आगे कुंकूम, केसर या हल्दी से रंग कर बनाया हुआ कच्चे डोरे का चौदह गांठों वाला 'अनंत' भी रखा जाता है।*
 
 
🚩 *अनंत व्रत की महिमा और मंत्र : -*
 
🚩 *ऐसे तो यह व्रत नदी-तट पर किया जाना चाहिए और हरि की लोककथाएं सुननी चाहिए। लेकिन संभव ना होने पर घर में ही स्थापित मंदिर के सामने ( जहा गंगा जल, यमुना जल, नर्मदा जल, गोदावरी जल, कावेरी जल या किसी भी पवित्र किसी एक नदी का जल हो ) हरि से इस प्रकार की प्रार्थना की जाती है-*
 
🚩 *'हे वासुदेव, इस अनंत संसार रूपी महासमुद्र में डूबे हुए लोगों की रक्षा करो तथा उन्हें अनंत के रूप का ध्यान करने में संलग्न करो, अनंत रूप वाले प्रभु तुम्हें नमस्कार है।'*
 
🚩 *इस मंत्र से हरि की पूजा करके तथा अपने हाथ के ऊपरी भाग में या गले में धागा बांध कर या लटका कर (जिस पर मंत्र पढ़ा गया हो) व्रती अनंत व्रत को पूर्ण करता है। यदि हरि अनंत हैं तो 14 गांठें हरि द्वारा उत्पन्न 14 लोकों की प्रतीक हैं।*
 
🚩 *अनंत चतुर्दशी पर कृष्ण द्वारा युधिष्ठिर से कही गई कौण्डिन्य एवं उसकी स्त्री शीला की गाथा भी सुनाई जाती है। कृष्ण का कथन है कि 'अनंत' उनके रूपों का एक रूप है और वे काल हैं जिसे अनंत कहा जाता है। अनंत व्रत चंदन, धूप, पुष्प, नैवेद्य के उपचारों के साथ किया जाता है। इस व्रत के विषय में कहा जाता है कि यह व्रत 14 वर्षों तक किया जाए, तो व्रती विष्णु लोक की प्राप्ति कर सकता है।*
 
🚩 *इस दिन भगवान विष्णु की कथा होती है। इसमें उदय तिथि ली जाती है। पूर्णिमा का सहयोग होने से इसका बल बढ़ जाता है। यदि मध्याह्न तक चतुर्दशी हो तो ज्यादा बेहतर है। इस व्रत की पूजा दोपहर में की जाती है।*

🚩 *जैसा इस व्रत के नाम से प्रतीत होता है कि यह दिन उस अंत न होने वाले सृष्टि के कर्ता ब्रह्मा की भक्ति का दिन है।*

🚩 *अनंत व्रत कथा......*

🚩 *एक बार महाराज युधिष्ठिर ने राजसूय यज्ञ किया। उस समय यज्ञ मंडप का निर्माण सुंदर तो था ही, अद्भुत भी था वह यज्ञ मंडप इतना मनोरम था कि जल व थल की भिन्नता प्रतीत ही नहीं होती थी। जल में स्थल तथा स्थल में जल की भांति प्रतीत होती थी। बहुत सावधानी करने पर भी बहुत से व्यक्ति उस अद्भुत मंडप में धोखा खा चुके थे।*

🚩 *एक बार कहीं से टहलते-टहलते दुर्योधन भी उस यज्ञ-मंडप में आ गया और एक तालाब को स्थल समझ उसमें गिर गया। द्रौपदी ने यह देखकर 'अंधों की संतान अंधी' कह कर उनका उपहास किया। इससे दुर्योधन चिढ़ गया।*
 
🚩 *यह बात उसके हृदय में बाण समान लगी। उसके मन में द्वेष उत्पन्न हो गया और उसने पांडवों से बदला लेने की ठान ली। उसके मस्तिष्क में उस अपमान का बदला लेने के लिए विचार उपजने लगे। उसने बदला लेने के लिए पांडवों को द्यूत-क्रीड़ा में हरा कर उस अपमान का बदला लेने की सोची। उसने पांडवों को जुए में पराजित कर दिया।*
 
🚩 *पराजित होने पर प्रतिज्ञानुसार पांडवों को बारह वर्ष के लिए वनवास भोगना पड़ा। वन में रहते हुए पांडव अनेक कष्ट सहते रहे। एक दिन भगवान कृष्ण जब मिलने आए, तब युधिष्ठिर ने उनसे अपना दुख कहा और दुख दूर करने का उपाय पूछा।*
 
🚩 *तब श्रीकृष्ण ने कहा- 'हे युधिष्ठिर! तुम विधिपूर्वक अनंत भगवान का व्रत करो, इससे तुम्हारा सारा संकट दूर हो जाएगा और तुम्हारा खोया राज्य पुन: प्राप्त हो जाएगा।'*
 
🚩 *इस संदर्भ में श्रीकृष्ण ने उन्हें एक कथा सुनाई -*
 
🚩 *प्राचीन काल में सुमंत नाम का एक नेक तपस्वी ब्राह्मण था। उसकी पत्नी का नाम दीक्षा था। उसकी एक परम सुंदरी धर्मपरायण तथा ज्योतिर्मयी कन्या थी। जिसका नाम सुशीला था। सुशीला जब बड़ी हुई तो उसकी माता दीक्षा की मृत्यु हो गई।*
 
🚩 *पत्नी के मरने के बाद सुमंत ने कर्कशा नामक स्त्री से दूसरा विवाह कर लिया। सुशीला का विवाह ब्राह्मण सुमंत ने कौंडिन्य ऋषि के साथ कर दिया। विदाई में कुछ देने की बात पर कर्कशा ने दामाद को कुछ ईंटें और पत्थरों के टुकड़े बांध कर दे दिए।*
 
🚩 *कौंडिन्य ऋषि दुखी हो अपनी पत्नी को लेकर अपने आश्रम की ओर चल दिए। परंतु रास्ते में ही रात हो गई। वे नदी तट पर संध्या करने लगे।*

🚩 *सुशीला ने देखा- वहां पर बहुत-सी स्त्रियां सुंदर वस्त्र धारण कर किसी देवता की पूजा पर रही थीं। सुशीला के पूछने पर उन्होंने विधिपूर्वक अनंत व्रत की महत्ता बताई। सुशीला ने वहीं उस व्रत का अनुष्ठान किया और चौदह गांठों वाला डोरा हाथ में बांध कर ऋषि कौंडिन्य के पास आ गई।*
 
🚩 *कौंडिन्य ने सुशीला से डोरे के बारे में पूछा तो उसने सारी बात बता दी। उन्होंने डोरे को तोड़ कर अग्नि में डाल दिया, इससे भगवान अनंत जी का अपमान हुआ। परिणामत: ऋषि कौंडिन्य दुखी रहने लगे। उनकी सारी सम्पत्ति नष्ट हो गई। इस दरिद्रता का उन्होंने अपनी पत्नी से कारण पूछा तो सुशीला ने अनंत भगवान का डोरा जलाने की बात कहीं।*
 
🚩 *पश्चाताप करते हुए ऋषि कौंडिन्य अनंत डोरे की प्राप्ति के लिए वन में चले गए। वन में कई दिनों तक भटकते-भटकते निराश होकर एक दिन भूमि पर गिर पड़े।*
 
🚩 *तब अनंत भगवान प्रकट होकर बोले- 'हे कौंडिन्य! तुमने मेरा तिरस्कार किया था, उसी से तुम्हें इतना कष्ट भोगना पड़ा। तुम दुखी हुए। अब तुमने पश्चाताप किया है। मैं तुमसे प्रसन्न हूं। अब तुम घर जाकर विधिपूर्वक अनंत व्रत करो। चौदह वर्षपर्यंत व्रत करने से तुम्हारा दुख दूर हो जाएगा। तुम धन-धान्य से संपन्न हो जाओगे। कौंडिन्य ने वैसा ही किया और उन्हें सारे क्लेशों से मुक्ति मिल गई।'*
 
🚩 *श्रीकृष्ण की आज्ञा से युधिष्ठिर ने भी अनंत भगवान का व्रत किया जिसके प्रभाव से पांडव महाभारत के युद्ध में विजयी हुए तथा चिरकाल तक राज्य करते रहे।

बुधवार, 7 सितंबर 2022

क्या मेडिकल माफिया सही में सक्रिय है?

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नीचे दी गईं कुछ बातों को अपने जीवन से तालमेल करते हुए विचार करें कि........


*क्या मेडिकल माफिया सही में सक्रिय है? :-*

*1.पहले सिगरेट को प्रमोट किया ।*

*2. फिर प्राणघातक रिफाइंड को promote किया ।*

*3. सरसों के शुद्ध तेल और देशी घी का विरोध किया ।*

*4 .बच्चों के लिये अमृत समान देशी गाय के दूध और शहद के स्थान पर ,कैंसर कारक sikkmed milk powder को promote किया।*

*5.खिचड़ी के स्थान पर 7 दिन पुरानी ब्रेड को promote किया।*

*6.सेंधा नमक के स्थान पर समुद्री नमक को promote किया ।*

*7.मधुमेह एवं रक्तचाप के मानक क्यों बदले जाते रहे हैं?*

*8. बीमारी के समय खाने पीने के निर्देश देने की प्रथा बंद करके क्यों अन्य बीमारियों को बढा़ने में सहयोग किया गया?*

*9. आपरेशन से बच्चा पैदा होना, घुटनों का निरन्तर बढ़ता प्रत्यारोपण, जीवन पर्यंत रक्तचाप व मधुमेह की गोलियां खाना क्या कहीं माफिया का कुचक्र तो नहीं?*

*क्या मेडिकल माफिया ने इन सबको आपकी भलाई के लिये prmote किया ⬇️*

*1.क्या किसी मेडिकल माफिया ने आपको बताया कि उच्च रक्तचाप (BP) , URIC ACID और अन्य acid आदि की समस्या की जड़ चाय है ?* 

-- *मैंने जब चाय छोड़ दी दोनों समस्याओं ने मेरा पीछा भी छोड़ दिया* ।

*2.क्या किसी मेडिकल माफिया ने आपको मधुमेह ( शुगर) की जड़ गेहूँ के आटे के बारे में बताया ? कि अगर आप ज्वार ,बाजरा ,जौ , चने के मिश्रित आटे का प्रयोग करेंगे तो मधुमेह आपका पीछा छोड़ देगा!*

*3. क्या किसी मेडिकल माफिया ने केमिकल युक्त चीनी के स्थान पर देशी खांड जिसमे कोई केमिकल नहीं पड़ता उसके बारे में बताया ?*

*4.क्या किसी मेडिकल माफिया ने फ्रिज के ठंडे पानी से होने वाले सिरदर्द के बारें में बताया ? मैंने ठंडा पानी छोड़ दिया उसके बाद मेरा सिरदर्द से पीछा छूटा!* 

*5 क्या किसी मेडिकल माफिया ने AC कि हवा से शरीर कि पसीने से होने वाली प्रक्रिया मे बाधा बताया जो कालान्तर मे शरीर कि प्राकृतिक सफाई न होने से किडनी व हृदय रोग का कारण बनता है?* 

*6.क्या किसी मेडिकल माफिया ने हानिकारक विटामिन D के स्थान धूपस्न्नान लेने की सलाह दी,*

*कैल्शियम की गोलियों जिससे कब्ज़ हो जाती है उसके स्थान पर चूने की गोलियों का सेवन की सलाह दी,*

*विटामिन C की गोलियों के स्थान पर खट्टे फल खाने की सलाह दी,*

*zinc की गोलियों के स्थान पर प्रातः ताम्रपत्र में जल पीने की सलाह दी।*

*7.अब चाउमिन, मोमोज जो गली गली बेचा जा रहा है उस के मैदे, अझिनोमोट्टो व एसिड से होने वाले नुकसान के बारे मे किसी भी मेडिकल डाक्टर से कभी सुना है कि किसी ने परहेज करवाया ??* 

*इस का परिणाम भयंकर कैन्सर होगा जो जीवन भर कि कमाई, दवाई के नाम पर इन को दे दो और जान से हाथ धो बैठो । दर्द जो होगा वह अलग ।*

*जीवनशैली रोगों की बात तो हो रही है परंतु जीवनशैली सुधार की बात क्यों नहीं?*

*अगर मेडिकल माफिया आपको सही सलाह देगा तो एक तो यह इससे हाथ धो बैठगा दूसरा रोगी से*
*या तो यह तथाकथित-* 

*MEDICAL SCIENCE झूठी है या इसकी नीयत में खोट है । मानना न मानना भी आपकी मर्जी है। आज के समय डाक्टर बनने में जो लाखों-करोड़ खर्चा आता है वो मजबूरन कहीं से तो निकालना पडेगा।*

*लेकिन इन सब प्रश्नों पर विचार अवश्य करें, कुछ और भी प्रश्न आपके मन में आये होंगे उनको भी विचारें और आगे बढ़े........*

*आपका स्वास्थ्य आपके हाथ में है न कि डॉक्टर के हाथ में* 
*प्राथमिक स्वास्थ्य शिक्षा हम सभी के लिए अति आवश्यक है |*
🙏🙏
🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴
*🤔प्राकृतिक रहिए, स्वस्थ रहिए 🤗*

गुरुवार, 1 सितंबर 2022

ये है दुनिया का सबसे घातक जानवर:


 

ये है दुनिया का सबसे घातक जानवर:

मच्छर वह जानवर है जो दुनिया में सबसे ज्यादा मौत का कारण बनता है, जो हर साल लाखों लोगों को मारने या अक्षम करने वाली बीमारियों का वाहक है। एक आदर्श हत्या मशीन की तरह दिखने वाले शरीर के साथ, मच्छर के छोटे सिर में ठीक 100 आंखें होती हैं।

इसके मुंह में, जो शायद ही माइक्रोस्कोप से देखा जा सकता है, इसके 48 दांत होते हैं। छाती पर, एक केंद्र के लिए और दो पंखों के लिए, 3 दिल होते हैं और प्रत्येक दिल में 2 अटरिया और 2 निलय होते हैं।

इसमें एक डिग्री सेल्सियस के एक हजारवें हिस्से की संवेदनशीलता के साथ, गर्मी के साथ जीवित चीजों को खोजने के लिए एक हीट रिसेप्टर है।

इसमें एक बहुत उन्नत रक्त विश्लेषक है, एक संवेदनाहारी उपकरण और एक थक्कारोधी के साथ ताकि इसका शिकार डंक पर प्रतिक्रिया न करे और आसानी से रक्त को अवशोषित कर सके।

इसकी सक्शन ट्यूब में छह छोटे ब्लेड होते हैं, जहां चार एक चौकोर चीरा बनाते हैं और अन्य दो रक्त को अवशोषित करने के लिए एक ट्यूब बनाते हैं।

उनके भोजन के स्रोत को पकड़ने के लिए उनके पैरों में पंजे और हुक भी होते हैं।

यह सत्य है कि यही वह "संजीवनी बूटी" है जिसका जिक्र रामायण में है?

 

प्रधानमंत्रीजी मोदी जी ने 19.12 .19 को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में लद्दाख में पाए जाने वाले पौधे "सोलो" के औषधीय गुणों तथा इसके लाभ का जिक्र किया जिससे यह पौधा सुर्खियों में आ गया।

आइए एक नजर डालें इस पौधे के औषधीय खासियत पर जिसके कारण या चर्चा का विषय बन गया है----

सोलो नामक या अद्भुत औषधीय पौधा मूल रूप से लद्दाख में 15-18 हजार फीट की ऊंचाई पर पैदा होता है। लद्दाख में यह खारदुंगला, चांगला और पेजिला इलाकों में मिलता है।

इसका वैज्ञानिक नाम 'रोडियोला' है मुख्य रूप से सोलो की 3 प्रजातियां है सोलो कारपो(सफेद) सोलो मारपो (लाल) और सोलो सेरेपो (पीला)।

सोलो के पत्ते तुलसी के पत्तों की तरह चबाए जा सकते हैं ।इसकी चाय भी बनती है ।मूल लद्दाख निवासी सोलो के पौधों के पत्तेदार भाग की सब्जी बनाते हैं जिससे 'तंगथुर' कहते हैं।

आयुर्वेद के जानकारों के अनुसार इस पौधे की मदद से, शरीर को कड़ाके की ठंड वाली पर्वतीय परिस्थितियों के अनुरूप ढालने में मदद मिलती है। इसका उपयोग निम्न लिखित रूप में किया जा सकता है-----

यह पौधा शरीर को सीधे ऑक्सीजन प्रदान करता है तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता ।है

बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करता है

याददाश्त को भी बेहतर करता है।

मानसिक तनाव कम करने में भी सोलो के औषधीय गुण सहायक है।

बम या बायोकेमिकल से पैदा हुए रेडिएशन के प्रभाव से बचाने में भी या पौधा कारगर है।

यह अवसाद कम करने और भूख बढ़ाने में भी लाभकारी है ।सियाचिन जैसे दुर्गम इलाकों में जवानों में डिप्रेशन ,भूख कम लगने की समस्या के इलाज में यह फायदेमंद है।

चूंकि सोलो पौधा शरीर को सीधे ऑक्सीजन ही नहीं देता ,बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, रेडिएशन के प्रभाव को कम करता है अतः ऊंचाई पर तैनात सैनिकों के लिए रामबाण सिद्ध होगा।

लेह स्थित "Defence Institute Of High Altitude Research" के वैज्ञानिकों का दावा है लद्दाख, सियाचिन जैसी प्रतिकूल जगहों पर रहने वाले भारतीय सेना के जवानों के लिए यह औषधि चमत्कारिक साबित हो सकती है ।

वैज्ञानिक सोलो के गुणों से बेहद उत्साहित हैं।इसके अनेक औषधीय गुणों के कारण यह धारणा भी बन गई है कि संभवत यही "संजीवनी बूटी" है जिसका जिक्र रामायण में किया जाता है।

'गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी' के बायो टेक्नोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ प्रताप कुमार ने बताया है कि सोलो का टिश्यू प्लांट (बेबी ट्यूब प्लांट) तैयार किया गया है ।

इस टिश्यू प्लांट के जरिए लद्दाख में इसकी बड़े पैमाने पर खेती की जा सकती है,जो चिकित्सा और रोजगार के क्षेत्र में बेहद मददगार साबित हो सकती है।

ऐसे अनगिनत पौधे ,हर्बल प्रोडक्ट लद्दाख में मिलते हैं जिनकी बिक्री से वहां के किसानों को बहुत लाभ होगा।

स्त्रोत—www.bbc.com

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी के व्रत को ऋषि पंचमी व्रत कहते हैं।


 #ऋषिपंचमीव्रतकथा 🌷

   भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी

के व्रत को
             ऋषि पंचमी व्रत कहते हैं।

      युधिष्ठिर ने प्रश्न किया हे देवेश ! मेने आपके श्रीमुख से अनेकों व्रतों को श्रवण किया है। अब आप कृपा करके पापों को नष्ट करने वाला कोई उत्तम व्रत सुनावें। राजा के इन वचनों को सुनकर श्रीकृष्णजी बोले -- हे राजेन्द्र ! अब मैं तुमको ऋषि पंचमी का उत्तम व्रत सुनता हूँ, जिसको धारण करने से स्त्री समस्त पापों से मुक्ति प्राप्त कर लेती है। हे नरोत्तम, पूर्वसमय में वृत्रासुर का वध करने के कारण इन्द्र को ब्रह्महत्या का महान् पाप लगा था। तब ब्रह्माजी ने कृपा करके इन्द्र के उस पाप को चार स्थानों पर बांट दिया। पहला अग्नि की ज्वाला में, दूसरा नदियों के बरसाती जल में, तीसरा पर्वतों में और चौथा स्त्री के रज में। उस रजस्वला धर्म में जाने-अनजाने उससे जो भी पाप हो जाते हैं उनकी शुद्धि के लिए ऋषि पंचमी का व्रत करना उत्तम है।

        यह व्रत समान रूप से चारों वर्णों की स्त्रियों को करना चाहिए। इसी विषय में एक प्राचीन कथा का वर्णन करता हूँ।
        सतयुग में विदर्भ देश में स्येनजित नामक राजा हुए। वे प्रजा का पुत्रवत पालन करते थे। उनके आचरण ऋषि के समान थे। उनके राज्य में समस्त वेदों का ज्ञाता समस्त जीवों का उपकार करने वाला सुमित्र नामक एक कृषक ब्राह्मण निवास करता था। उनकी स्त्री जयश्री पतिव्रता थी।ब्राह्मण के अनेक नौकर-चाकर भी थे। एक समय वर्षाकाल में जब वह साध्वी खेती के कामों में लगी हुई थी तब वह रजस्वला भी हो गई। हे राजन् ! उसे अपने रजस्वला होने का भास हो गया किन्तु फिर भी वह घर गृहस्थी के कार्यों में लगी रही। कुछ समय पश्चात् वे दोनों स्त्री-पुरुष अपनी-अपनी आयु भोग कर मृत्यु को प्राप्त हुए। जयश्री अपने ऋतु दोष के कारण कुतिया बनी और सुमित्र को रजस्वला स्त्री के सम्पर्क में रहने के कारण बैल की योनि प्राप्त हुई।क्योंकि ऋतु दोष के अतिरिक्त इन दोनों का और कोई अपराध नहीं था इस कारण इन दोनों को अपने पूर्वजन्म का समस्त विवरण ज्ञात रहा। वे दोनों कुतिया और बैल के रूप में रहकर अपने पुत्र सुमित के यहाँ पलने लगे। सुमित धर्मात्मा था और अतिथियों का पूर्ण सत्कार किया करता था। अपने पिता के श्राद्ध के दिन उसने अपने घर ब्राह्मणों को जिमाने के लिए नाना प्रकार की भोजन सामग्री बनवाई। उसकी स्त्री किसी काम से बाहर गई हुई थी कि एक सर्प ने आकर रसोई के बर्तन में विष वमन कर दिया। सुमित की माँ कुतिया के रूप में बैठी हुई यह सब देख रही थी अतः उसने अपने पुत्र को ब्रह्महत्या के पाप से बचाने कीइच्छा से उस बर्तन को स्पर्श कर लिया। सुमित की पत्नी से कुतिया का यह कृत्य सहा न गया और उसने एक जलती हुई लकड़ी कुतिया के मारी। वह प्रतिदिन रसोई में जो जूठन आदि शेष रहती थी उस कुतिया के सामने डाल दिया करती थी।किन्तु उस दिन क्रोध के कारण वह भी उसने नहीं दी।तब रात्रि के समय भूख से व्याकुल होकर वह कुतिया अपने पूर्व पति के पास आकर बोली -- हे नाथ ! आज मैं भूख से मरी जा रही हूँ। वैसे तो प्रतिदिन मेरा पुत्र खाने को देता था, किन्तु आज उसने कुछ नहीं दियाहैं। मैने सांप के विष वाले खीर के बर्तन को ब्रह्महत्या के भय से छूकर अपवित्र कर दिया था। इस कारण बहू ने मारा और खाने को भी नहीं दिया है।तब बैल ने कहा -- हे भद्रे ! तेरे ही पापों के कारण मैं भी इस योनि में आ पड़ा हूँ। बोझा ढोते-ढोते मेरी कमर टूट गयी है।आज मैं दिन भर खेत जोतता रहा। मेरे पुत्र ने भी आज मुझे भोजन नहीं दिया और ऊपर से मारा भी खूब है। मुझे कष्ट देकर श्राद्ध को व्यर्थ ही किया है। अपने माता-पिता की इन बातों को उनके पुत्र सुमित ने सुन लिया। उसने उसी समय जाकर उनको भर पेट भोजन कराया और उनके दुःख से दुःखी होकर वन में जाकर उसने ऋषियों से पूछा -- हे स्वामी ! मेरे माता-पिता किन कर्मों के कारण इस योनि को प्राप्त हुए, और किस प्रकार उससे मुक्ति पा सकते हैं। सुमित के उन वचनों को श्रवण कर सर्वतपा नामक महर्षि दया करके बोले -- पूर्वजन्म में तुम्हारी माता ने अपने उच्छृंखल स्वभाव के कारण रजस्वला होते हुए भी घर-गृहस्थी की समस्त वस्तुओं को स्पर्श किया था और तुम्हारे पिता ने उसको स्पर्श किया था।इसी कारण वे कुतिया और बैल की योनि को प्राप्त हुए हैं। तुम उनकी मुक्ति के लिए ऋषि पंचमी का व्रत धारण करो।

       श्रीकृष्णजी बोले -- हे राजन् ! महर्षि सर्वतपा के वचनों को श्रवण करके सुमित अपने घर आया और ऋषि पंचमी का दिन आने पर उसने अपनी स्त्री सहित उस व्रत को धारण किया और उसके पुण्य को अपने माता-पिता को दे दिया। व्रत के प्रभाव से उसके माता-पिता दोनों ही पशु योनि से मुक्त हो गया और स्वर्ग को चले गए। जो स्त्री इस व्रत को धारण करती है वह समस्त सुखों को पाती है।


       🙏 जय श्रीकृष्ण 🙏

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