प्रधानमंत्रीजी मोदी जी ने 19.12 .19 को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में लद्दाख में पाए जाने वाले पौधे "सोलो" के औषधीय गुणों तथा इसके लाभ का जिक्र किया जिससे यह पौधा सुर्खियों में आ गया।
आइए एक नजर डालें इस पौधे के औषधीय खासियत पर जिसके कारण या चर्चा का विषय बन गया है----
सोलो नामक या अद्भुत औषधीय पौधा मूल रूप से लद्दाख में 15-18 हजार फीट की ऊंचाई पर पैदा होता है। लद्दाख में यह खारदुंगला, चांगला और पेजिला इलाकों में मिलता है।
इसका वैज्ञानिक नाम 'रोडियोला' है मुख्य रूप से सोलो की 3 प्रजातियां है सोलो कारपो(सफेद) सोलो मारपो (लाल) और सोलो सेरेपो (पीला)।
सोलो के पत्ते तुलसी के पत्तों की तरह चबाए जा सकते हैं ।इसकी चाय भी बनती है ।मूल लद्दाख निवासी सोलो के पौधों के पत्तेदार भाग की सब्जी बनाते हैं जिससे 'तंगथुर' कहते हैं।
आयुर्वेद के जानकारों के अनुसार इस पौधे की मदद से, शरीर को कड़ाके की ठंड वाली पर्वतीय परिस्थितियों के अनुरूप ढालने में मदद मिलती है। इसका उपयोग निम्न लिखित रूप में किया जा सकता है-----
यह पौधा शरीर को सीधे ऑक्सीजन प्रदान करता है तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता ।है
बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करता है
याददाश्त को भी बेहतर करता है।
मानसिक तनाव कम करने में भी सोलो के औषधीय गुण सहायक है।
बम या बायोकेमिकल से पैदा हुए रेडिएशन के प्रभाव से बचाने में भी या पौधा कारगर है।
यह अवसाद कम करने और भूख बढ़ाने में भी लाभकारी है ।सियाचिन जैसे दुर्गम इलाकों में जवानों में डिप्रेशन ,भूख कम लगने की समस्या के इलाज में यह फायदेमंद है।
चूंकि सोलो पौधा शरीर को सीधे ऑक्सीजन ही नहीं देता ,बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, रेडिएशन के प्रभाव को कम करता है अतः ऊंचाई पर तैनात सैनिकों के लिए रामबाण सिद्ध होगा।
लेह स्थित "Defence Institute Of High Altitude Research" के वैज्ञानिकों का दावा है लद्दाख, सियाचिन जैसी प्रतिकूल जगहों पर रहने वाले भारतीय सेना के जवानों के लिए यह औषधि चमत्कारिक साबित हो सकती है ।
वैज्ञानिक सोलो के गुणों से बेहद उत्साहित हैं।इसके अनेक औषधीय गुणों के कारण यह धारणा भी बन गई है कि संभवत यही "संजीवनी बूटी" है जिसका जिक्र रामायण में किया जाता है।
'गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी' के बायो टेक्नोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ प्रताप कुमार ने बताया है कि सोलो का टिश्यू प्लांट (बेबी ट्यूब प्लांट) तैयार किया गया है ।
इस टिश्यू प्लांट के जरिए लद्दाख में इसकी बड़े पैमाने पर खेती की जा सकती है,जो चिकित्सा और रोजगार के क्षेत्र में बेहद मददगार साबित हो सकती है।
ऐसे अनगिनत पौधे ,हर्बल प्रोडक्ट लद्दाख में मिलते हैं जिनकी बिक्री से वहां के किसानों को बहुत लाभ होगा।
स्त्रोत—www.bbc.com
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