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शनिवार, 10 दिसंबर 2022

  ऐसी चीज जो नाभि पर लगाते रहने से 40 साल का भी 25 साल का नजर आने लगता है

 

बचपन से ही नाभि पर साधारण देसी घी/सरसों तेल/ हींग या लौंग वाला देसी घी लगाते हमने देखा है। आजकल तो नाभि से सम्बंधित चीजों की बाढ़ जैसी आ गई है तेल लगाने से लेकर मालिश, लेप, नेवल केंडलिग, विभिन्न प्रकार के नेवल थेरपिज आदि। हमारे यहां इसका इस्तेमाल पीढ़ियों से चला आ रहा है और यह बेहद असरदार साबित होता रहा है।

सबसे पहले जान लेते हैं नाभि की महत्वता:-

  • जब हम कुंडलिनी, नाड़ी तंत्र और क्लासिकल हट योग की बात करते हैं तब आपकी नाभि को ऊर्जा के सबसे महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में देखा जाता है।
  • नाभि को प्राण की उत्पत्ति या बीज के रूप में भी देखा जाता है क्योंकि मां से गर्भ में पल रहे बच्चे को सारे पोषक तत्व नाभि (umbilical cord) से ही प्राप्त होते हैं।
  • कुंडलिनी के संदर्भ में नाभि के स्थान को मणिपुर 👆👆👆चक्र / एनर्जी चैनल के रूप में देखा जाता है इसे सोलर पलक्स …जो शरीर में ऊर्जा को बनाए रखता है…शरीर में वात पित्त और कफ जैसे दोषों को सुचारू रूप से संचालित करने में सबसे महत्वपूर्ण केंद्र है।
  • हमारे शरीर में अपानवायु और प्राणवायु को लेकर जा रही लगभग 72,000 नाड़ियों का समन्वय यहां होता है जो आपके शरीर के विभिन्न प्रकार की ऊर्जा केंद्रों से जुड़ी होती है।
  • इसके अलावा नाभि महिलाओं में एक सैक्सुअल अरुज़ल पोइंट है और पुरुष भी इस अंग की और संभवत आकर्षित होते हैं। इसी के चलते आजकल नाभि को आकर्षक बनाने के लिए सर्जरी का बिजनेस काफी फल-फूल रहा है।
  • इसके साथ ही दुनिया भर के कई कल्चरों में महत्व दिया गया है जैसे जापान में इससे संबंधित एक फेस्टिवल का आयोजन भी किया जाता है।
    [1]

आकार:-

  • नाभि विभिन्न प्रकार के आकार लिए होती है...
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  • और इसका शेप खासकर गर्भवती महिलाओं में बदलता हुआ भी देखा गया है।

लाभ:-

एक छोटी सी नजर इसके लाभों पर डाल लेते हैं:-

  • नाभि मुख्यता पैंक्रियास और एड्रिनल ग्लैंड से जुड़ा होता है और यह दोनों ही हमारे शरीर में सबसे महत्वपूर्ण हारमोंस को बनाने वाले ग्लैंड हैं यदि हम नाभि पर तेल लगाते हैं तो इनका असर सीधा-सीधा इन दोनों पर पड़ता है जो इनकी कार्यप्रणाली को सुचारू रूप से चलने में मदद करता है।
  • हमारे शरीर में डिटॉक्सिफिकेशन, शरीर में बन रहे खतरनाक टॉक्सिंस को शरीर से बाहर निकालने में,
  • रूखी, बेजान त्वचा को पोषित और चमकदार बनाने के लिए,
  • जिन लोगों को डाइजेस्टिव सिस्टम संबंधी रोग होते हैं जैसे खाने का समय पर ना पचना या गैस, बदहजमी, मंद जठराग्नि होना आदि में लाभदायक होता है।
  • इसके अलावा नाभि पर तेल लगाने से पीरियड के समय होने वाले दर्द में भी राहत मिलता है,
  • नाभि में तेल लगाने से पुराने से पुराना सर दर्द,
  • असमय बालों का सफेद होना, स्मरण शक्ति के लिए,
  • किडनी या लिवर सम्बंधी रोग,
  • आंखों की रोशनी के लिए,
  • महिलाओं में प्रजनन के संबंधित परेशानियां,
  • लोग स्ट्रेस के लिए भी नेवल ऑयल थेरेपी को प्राथमिकता दे रहे हैं।
    [3]

नोट:-इस में से काफी उपाय हमने खुद आजमाएं हैं।


तेल या लेप:-

  • नाभि पर विभिन्न प्रकार के तेलों या विभिन्न प्रकार के पदार्थों के लेप का प्रावधान है।
  • आप इसके लिए
  1. 🔸सरसों का तेल- जठराग्नि के लिए, 
  2. 🔹नीम का तेल -ऐक्ने के लिए,  
  3. 🔸देसी घी- एलर्जी, नजला-जुकाम, चक्रों की शुद्धि के लिए, त्वचा को जवान बनाएं रखने के लिए, 
  4. 🔹 तिल का तेल-शरीर में दर्द में राहत के लिए, 
  5. 🔸कैस्टर ऑयल-बालो सम्बंध रोगों के लिए, 
  6. 🔹 टी-ट्री आयल,  
  7. 🔸एसेंशियल ऑयल में आप अपनी पसंद से चुनाव कर सकते हैं,  
  8. 🔸इसके अलावा बादाम का तेल-आखों के लिए, 
  9. 🔹 नारियल का तेल- डेंड्रफ के लिए, आदि 

विशेष:-

  • हमें बिलकुल नहीं लगता है कि किसी चीज के केवल एक बार इस्तेमाल से आप इतना बड़ा परिवर्तन देख सकते हैं जितना कि प्रश्न में बताया गया है इसके विपरित अगर आप लंबे समय की बात करती है तो बिल्कुल ऐसा बदलाव होना कोई बड़ी बात नहीं है।
  • हमने ऐसे कई लोगों को देखा है जो अपनी उम्र से काफी वर्ष कम लगते हैं और पूछने पर वह इसी तरह की कुछ खास नियमों का पालन करते हैं जिसकी वजह से अपनी उम्र से कम नजर आतें हैं… इसके साथ ही केवल तेल या कोई थेरपी करना लाभकारी नहीं मान सकते हैं इसके लिए आपको प्राणायाम को भी साथ में बराबर तवज्जो देने पड़ती है।
  • हमारे यहां तो गाय के देसी घी को नाभि में इस्तेमाल से कायाकल्प की बात कही जाती है क्योंकि देसी घी से त्वचा , मुलायम और चमकदार बनती है, समय के साथ रिंकल्स, त्वचा का समय के साथ ढीला हो जाना आदि में चमत्कारी प्रभाव दिखाता है।
  • हम खुद भी काफी समय से सरसों और गाय के शुद्ध देसी घी का इस्तेमाल करते आ रहें हैं और यह बेहद असरदार है।
http://sanwariyaa.blogspot.com/2022/12/40-25.html

*!!! नाभि - तन्त्र !!!*

     *-: नाभि तन्त्र कुदरत की अद्भुत रचना :-*

✍🏻!! हमारा शरीर परमात्मा की अद्भुत देन है ! गर्भ की उत्पत्ति नाभी के पीछे होती है ! गर्भधारण के नौ महीनें अर्थात २७० दिन में एक सम्पूर्ण बाल स्वरूप बनता है ! नाभी के द्वारा सभी नसों का जुडाव गर्भ के साथ होता है ! और उसको माता के साथ जुडी हुई नाडी से सम्पूर्ण जरूरी पोषण पूरे गर्भकाल में मिलता रहता है ! और बच्चा गर्भ में आराम से रहता है ! नाभी हमारे पूरे सरीर का केन्द्र है ! हमारे सरीर जो बहत्तर हजार नाड़ियों का समूह है उन सब का जुड़ाव इसी नाभि से रहता है ! इसलिए मृत्यु के तीन घंटे तक नाभी गर्म रहती है ! इसलिए नाभी एक अद्भुत भाग है !!

▪️हमारी नाभि में गाय का शुद्ध घी या तेल डालने व लगाने से बहुत सारी बीमारियों व शारीरिक दुर्बलता का उपाय हो सकता है !!

*१ :-* आँखों का शुष्क हो जाना, नजर कमजोर हो जाना, दिमाग की कमजोरी, चमकदार त्वचा और बालों का झड़ना, बालों की लम्बाई, व बालों की खुस्की हटाने व चमकदार बनाने लिये उपाय !!

▪ सोने से पहले ३ से ७ बूँद गरी ( नारियल ) का तेल  नाभी में डालें और नाभी के आसपास डेढ़ इंच गोलाई में फैला देवें !!

*२ :-* घुटनों और जोड़ों का दर्द, जोड़ों से कट कट की आवाज, व स्लिप डिस्क, साइटिका, कमरदर्द आदि के लिए उपाय !!

▪ सोने से पहले ३ से ७ बूंद अण्डी ( एरण्डी ) का तेल नाभी में डालें और उसके आसपास डेढ इंच गोलाई में फैला देवें !!

*३ :-* शरीर में कम्पन्न तथा जोड़ो में दर्द और शुष्क त्वचा, होंठो का फटना, एड़ियों का फटना या एड़ियों से खाल निकलना आदि के लिए उपाय !!

▪ रात को सोने से पहले ३ से ७ बूंद सरसों का तेल नाभी में डालें और उसे चारों ओर डेढ इंच गोलाई में फैला देवें !!

*४ :-* मुंह और गाल पर होने वाले पिम्पल, झाईं, फुंसी, फोड़े, त्वचारोग, खून की खराबी, एलर्जी, छाजन,व सरीर पर दाने आदि के लिए उपाय !!

▪ नीम का तेल ३ से ७ बूंद नाभी में उपरोक्त तरीके से डालें !!

*५ :-* हमारे बालों का असमय सफेद हो जाना, बाल झड़ना, व कमजोर बाल, चेहरे पर झाइयॉ, पिंम्पल, चेहरे पर खुश्की, व चेहरे में चमक लाने के लिए उपाय !!

▪नाभि में बादाम का तेल या गाय का शुद्ध घी ३ से ७ बूंद डालने व डेढ़ इंच गोलाई में फैलाएं !!

*६ :-* शरीर का मोटापा, वजन बढ़ना, घुटनों व जोड़ो का दर्द, जोड़ों से कट कट की आवाज आना, चलने में तकलीफ होना, कन्धों का दर्द, यूरिक एसिड बढ़ना, स्लिप डिस्क, कमरदर्द, कोलेस्ट्राल बढ़ना, आदि अनेको बीमारियों के लिए उपाय !!

▪️जैतून का तेल ३ से ७ बूंद लेकर नाभि पर डालें व डेढ़ इंच गोलाई में फैलाएं !!

*नोट :-*  नाभि में तेल या घी डालने से पहले नाभि को अच्छी तरह से रुई की सहायता से साफ करलें ! फिर तेल या घी को हल्का सुहाता सुहाता गुनगुना कर लें ! फिर रात को आराम ले सीधे लेटकर नाभि में तेल या घी डालें व नाभी की गोलाई पर लगाएं ! व ऐसे ही सीधे लेटें रहें लगभग बीस मिनट तक ! ऐसे ही आप रोज या एक दिन छोड़कर भी कर सकते हैं !!

         *-: नाभी में तेल डालने का कारण :-*

✍🏻!! हमारी नाभी को मालूम रहता है ! कि हमारी कौन सी रक्तवाहिनी सूख रही है ! इसलिए वो उसी धमनी में तेल का प्रवाह कर देती है !!

*जैसे :-* जब बालक छोटा होता है ! और उसका पेट दुखता है तब हम हींग और पानी या तैल को मिलाकर उसके पेट और नाभी के आसपास लगाते हैं ! और उसका दर्द तुरंत गायब हो जाता है ! बस यही काम है ! नाभि में तेल या घी डालने का !!

बॉलीवुड के कुछ ऐसे कांड कौन से हैं जिनके बारे में अधिकतर आम लोग कभी जान नहीं पाते?

 बॉलीवुड के कुछ ऐसे कांड कौन से हैं जिनके बारे में अधिकतर आम लोग कभी जान नहीं पाते?

1. कई लोगों का दावा है कि "श्री देवी की मौत एक सुनियोजित हत्या थी"। नहीं, बोनी कपूर ने अपनी पत्नी को नहीं मारा। श्री देवी की जीवनशैली खराब थी क्योंकि वह हमेशा परिपूर्ण दिखना चाहती थीं। इस अस्वस्थ जीवनशैली के कारण उसकी मृत्यु हो गई।

2. कई लोगों का दावा है कि प्रियंका चोपड़ा और निक जोनास की शादी सिर्फ एक ड्रामा है। नहीं, प्रियंका मूर्ख नहीं है। वह अपने दम पर हॉलीवुड पहुंची। निक के साथ उसकी शादी वास्तविक है।

3. प्रियंका ने अपनी शादी की वजह से सलमान खान की फिल्म नहीं छोड़ी। उसने फिल्म छोड़ दी क्योंकि वह बाहरी शूटिंग पर मांगने वाले अनिवार्य शारीरिक संबंधों से तंग आ गई थी।

4. शाहिद कपूर कथित तौर पर अपनी पत्नी मीरा को धोखा देते हुए पकड़े गए हैं। यही कारण है कि उनकी दूसरी गर्लफ्रेंड ने उन्हें छोड़ दिया। मीरा स्क्रिप्ट रीडिंग में भाग लेती है और "सुझाव" देती है, जबकि वह फिल्मों के बारे में कुछ नहीं जानती है।

5. श्रद्धा कपूर उतनी अच्छी नहीं हैं, जितनी वह दिखाती हैं। वह अन्य अहंकारी अभिनेत्रियों की तरह है। उन्होंने स्ट्री की शूटिंग के दौरान राजकुमार राव के साथ कुछ मस्ती की।

6. ऐश्वर्या राय को प्रियंका की खूबसूरती से जलन है। ऐश्वर्या के अहंकार को चोट लगी है क्योंकि प्रियंका ने वास्तविक हॉलीवुड भूमिकाएं अर्जित कीं और पत्रिका कवर पर दिखाई दीं। ऐश्वर्या ने जो सपना देखा था, उसे प्रियंका ने हासिल कर लिया है।

7. अमिताभ बच्चन की बेटी श्वेता अपनी बुरी आदतों के कारण अपने पति से कानूनी रूप से अलग हो गई हैं। कथित तौर पर उसका अपने बचपन के दोस्त ऋतिक रोशन के साथ अफेयर था।

8. सलमान द्वारा किए गए सभी दान उनके वकीलों द्वारा सुझाए गए प्रचार स्टंट हैं। सलमान ने कभी अपने पैसे दान नहीं किए।

9. रणबीर कपूर और आलिया भट्ट का रिश्ता करण जौहर ने अपनी आगामी फिल्म ब्रह्मास्त्र को अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए बनाया है। लेकिन आलिया कपूर परिवार का हिस्सा बनने के लिए रणबीर से शादी करना चाहती हैं। वह रणबीर के साथ रहने के लिए सब कुछ कर रही है।

10. मी-टू आंदोलन आया और चला गया। इसी कारण उद्योग में फिर से उत्पीड़न की समस्या बढ़ गई है।

11. कई प्रसिद्ध लोगों ने अपने पीड़ितों से संपर्क किया है। उन्होंने उन्हें चुप रहने के लिए बहुत सारे पैसे की पेशकश की।

पृथ्वी पर ऐसी कौनसी विचित्र प्राकृतिक घटनाएं हैं जिन्हे अभी भी वैज्ञानिकों द्वारा समझाया नहीं जा सकता?

 पृथ्वी पर ऐसी कौनसी विचित्र प्राकृतिक घटनाएं हैं जिन्हे अभी भी वैज्ञानिकों द्वारा समझाया नहीं जा सकता?

एक घटना तो मुझे बहुत ही आश्चर्यचकित कर देती है

डबल स्लिट एक्सपेरिमेंट या आधुनिक दो-झिरी प्रयोग या द्वि-रेखाछिद्र प्रयोग (double-slit experiment) द्वारा यह प्रदर्शित किया जाता है कि प्रकाश एवं पदार्थ , तरंग एवं कण दोनों के गुण प्रदर्शित करते हैं। इसके अलावा इस प्रयोग से क्वाण्टम यान्त्रिक परिघटना (quantum mechanical phenomena) की प्रायिक प्रकृति (probabilistic nature) भी दिखती है। दो-झिरी वाला एक सरल प्रयोग १८०१ में मूल रूप से थॉमस यंग ने किया था।

एक समतल तरंग से उत्पन्न दो विवर्तन प्रतिरूप (diffraction patterns)

physics का Double Slit Experiment प्रयोग पहली बार 18th century में किया गया. तब से आज तक ये प्रयोग कईयों बार दोहराया जा चुका है. इस प्रयोग से मिलने वाले परिणाम आज भी Scientists के लिए एक गुत्थी है और इसने कई वैज्ञानिक थ्योरी और Quantum Mechanics को भी हिलाकर रखा हुआ है.

– जहाँ एक ओर आस्तिक और आध्यात्मिक लोग इसे भगवान का चमत्कार और उनकी परमसत्ता मानते हैं. वहीँ दूसरी ओर साइंटिस्ट इसे वैज्ञानिक रूप से समझने की कोशिश में लगे हुए हैं. आइये जानते हैं आधुनिक विज्ञान के अस्तित्व को चुनौती देनेवाला Double Slit Experiment क्या है.

DOUBLE SLIT EXPERIMENT क्या है ?

image source : physicsoftheuniverse

– विज्ञान विषय के सभी विद्यार्थियों ने Physics का Double Slit Experiment जरुर किया गया होगा. इस प्रयोग में एक गत्ते या धातु की प्लेट में दो सामानांतर पतले स्लिट (चीरा) बने होते थे. इस स्लिट के एक तरफ Light source होता था और दूसरी तरफ एक पर्दा या बोर्ड होता था. स्लिट से प्रकाश के गुज़रने से पर्दे पर पैटर्न बनते हैं. इन पैटर्न के विश्लेषण से प्रकाश सम्बन्धी नियमों का अध्ययन किया जाता है. यह प्रयोग पहली बार 18वीं सदी के वैज्ञानिक Thomas Young ने किया था, इसलिए यह प्रयोग Thomas Young : Double Slit Experiment कहा जाता है.

डबल स्लिट एक्सपेरिमेंट का निष्कर्ष रहस्यमयी क्यों है ? WHAT IS LIGHT ? :

प्रकाश हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, पर हम प्रकाश के बारे में ठीक ठीक कुछ भी जानते.

  • प्रकाश क्या है ?
  • यह पार्टिकल (कण) है या वेव (तरंग) ?
  • यह कैसे गति करता है ?
  • क्या प्रकृति अपना यह राज हमसे छुपाकर रखना चाहती है ?

शायद हाँ ! क्योंकि इस प्रयोग के रिजल्ट में यही सामने आया.

– दो स्लिट से प्रकाश के गुजरने पर पर्दे पर दो स्लिट की परछाई नहीं बल्कि कई सारी गहरी- हल्की परछाइयाँ बनती हैं, जिससे लगता है कि प्रकाश एक तरंग है और कण आपस में टकरा कर ढेर सारी परछाइयाँ रहे हैं. वैज्ञानिकों ने सोचा कि अगर एक एक कण छोड़ा जाये तो वो आपस में टकरायेंगे नहीं और केवल दो स्लिट की परछाई बनेगी.

पर ऐसा नहीं हुआ और इस बार भी अलग अलग परछाइयाँ बनी. ऐसा नहीं होना चाहिए था क्योंकि कण एक सीधी रेखा में चलते हैं. एक एक इलेक्ट्रान बारी-बारी से छोड़ा जा रहा था, इसलिए उनके आपस में टकरा के interference pattern (व्यतिकरण) बनाने की भी सम्भावना नहीं थी. तो फिर आखिर क्या हो रहा था ??

– वैज्ञानिकों ने जब इसका कारण जानने के लिए खास तरह के माइक्रोस्कोपिक कैमरे लगाये तो परिणाम देख के वो दंग रह गये. अब पर्दे पर दोनों स्लिट की केवल दो परछाइयाँ बन रही थी, मतलब प्रकाश पार्टिकल की तरह व्यव्हार करने लगा. पर क्यों ?? क्या एटम या अणु को यह ज्ञात हो गया कि उनपर नजर रखी जा रही है ? यह प्रयोग कई बार अलग अलग जगह दोहराया जा चुका है, पर परिणाम जस के तस हैं. अगर आप के पास इसका जवाब है तो नोबल पुरस्कार आपका इंतज़ार कर रहा है.

image source : slideshare

– हालाँकि इसे Quantum Mechanics के जटिल नियमों से सिद्ध करने के कोशिश की गयी, पर प्रसिद्ध भौतिकशास्त्री Richard Feynman ने भी कहा – I think I can safely say that nobody understands quantum mechanics ( मै समझता हूँ कि ये बात मैं बड़े आराम से कह सकता हूँ कि क्वांटम मैकेनिक्स की समझ किसी को भी नहीं है).

इस प्रयोग को भलीभांति समझने के लिए आप यह यूट्यूब विडियो देखिये जोकि 70 लाख से भी अधिक बार देखा जा चुका है.

प्रकाश को न समझ पाने की गुत्थी विज्ञान पर कई बड़े सवाल खड़े करती है. मसलन क्या हमारे Science के आधारभूत सिद्धांत ही गलत हैं ? क्या कोई परमसत्ता है जोकि अपने गूढ़ रहस्यों को छुपाकर रखना चाहती है ?. क्या हर कण पर किसी परमसत्ता का नियंत्रण है ? सम्भवत: भविष्य में कभी इसका कारण ठीक ठीक पता चला भी जाए पर फिलहाल Double Slit Experiment का परिणाम भगवान के अस्तित्व का प्रमाण समझना गलत नहीं होगा.

यह मुझे अति रोचक लगता है

पहली बार सामने आईं ‘रामायण’ की 35 साल पुरानी तस्वीरें, 4 फीट ऊंचा था रावण का महल, शूटिंग का चार्ज था ₹ 2000

 

पहली बार सामने आईं ‘रामायण’ की 35 साल पुरानी तस्वीरें, 4 फीट ऊंचा था रावण का महल, शूटिंग का चार्ज था ₹ 2000

भगवान राम, लक्ष्मण और सीता का नाम लेते ही हर किसी के मन में मनमोहक मुस्कुराहट और चमक वाले अरुण गोविल (अरुण गोविल ), सुनील लहरी (सुनील लहरी ) और दीपिका चिखलिया (दीपिका चिखली ) का चेहरा आता है।

लॉकडाउन के दौरान रामायण शो फिर से शुरू हुआ तो उसने TRP के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। बुजुर्ग बताते हैं 32 साल पहले टीवी पर रामायण आती थी तो उस समय सड़के थम जाती थीं। लोग अपने-अपने घरों में रामायण देख रहे होते थे।इसके अलावा हमें रामायण की शूटिंग के दौरान क्लिक किए गए कुछ ऐसे फोटो भी मिले हैं, जो शायद ही आपने पहले देखे हो।

इन तस्वीरों को हमारे साथ शेयर करने वाले शख्स ने बताया कि उनके यहां ये फोटो दादाजी की यादों के तौर पर रखे हुए हैं। आइए जानते हैं रामायण से जुड़ी कुछ रोचक बातें।

रामायण की शूटिंग गुजरात के उमरगाम (उमरगम ) के वृंदावन स्टूडियो (वृन्दावन स्टूडियो ) में हुई थी। स्टूडियो के तत्कालीन मालिक, राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित और दादा साहब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित स्व. हीराभाई पटेल (हीराभाई पटेल ) ने रामायण की शूटिंग में अहम भूमिका निभाई थी।

वह रामायण, विक्रम बेताल और सिंहासन बत्तीसी के अलावा 300 से अधिक धार्मिक और ऐतिहासिक फिल्मों व सीरियल के आर्ट डायरेक्टर रह चुके हैं।

. कई मामलों में रामानंद सागर उनके पिताजी से सलाह मशवरा करते थे और उसके आधार पर ही आगे की तैयारी की जाती थी। उन्होंने बताया कि रामायण की शूटिंग 1985 से शुरू होकर 5 साल तक चली थी।

उस समय रामायण की शूटिंग के लिए स्टूडियो का किराया शिफ्ट के आधार पर लिया जाता था। 8 घंटे की शिफ्ट के लिए 2000 हजार रुपये किराया था। इसके अलावा कैमरामैन, असिस्टेंट, स्टूडियो असिस्टेंट और डायरेक्टर्स के रुकने के लिए अलग-अलग व्यवस्था थी। रामायण के बाद जय हनुमान सीरियल, जय मां वैष्णों देवी जैसे कई सीरियल की शूटिंग भी यहीं हुई जो भी हिट रहे थे।

विपिन भाई पटेल बताते हैं कि हमारे स्टूडियो में ही सारे दृश्य फिल्माए गए थे। चाहे वो आश्रम का सीन हो, जंगल का सीन हो, युद्ध का सीन हो या समुद्र का सीन हो। सभी को पिताजी ने ही डिजाइन किया था।

विपिन बताते हैं, सेट कैसा दिखना चाहिए इस पर रामानंद सागर, पिताजी और कुछ अन्य लोग पहले चर्चा करते थे। उसके बाद पिताजी पेंटिंग के द्वारा उसे दिखाने की कोशिश करते थे कि वो देखने में कैसा लगेगा या किन रंगों का उसमें प्रयोग होना चाहिए।

सेट बनने के बाद उसे ट्रिक फोटो / वीडियो ग्राफी से बड़ा या छोटा दिखाया जा सकता था। आपने देखा होगा कि रामायण के एक सीन में रावण महल की बालकनी में आकर कुंभकरण से बात करता है। उसमें महल की ऊंचाई काफी दिखाई गई है।

विपिन भाई पटेल बताते हैं यह बात उन दिनों की है जब रामायण का प्रसारण टीवी पर शुरू हो चुका था। राम, लक्ष्मण, सीता के रूप में लोग अरुण गोविल, सुनील लहरी और दीपिका चिखलिया को जानने लगे थे।

इस दौरान 80 साल की एक महिला सेट पर स्थित अरुण गोविल के कमरे में चली गई और उनकी नींद खराब कर दी। जैसे ही वे उठे तो वो जाकर सीधे अरुण गोविल के पैरों में गिर गई। महिला को वहां देखकर अरुण गोविल को गुस्सा आया और उन्होंने ऑफिस में आकर मैनेजमेंट से इस बारे में बात शिकायत की, कि एक महिला ने कमरे में आकर उनकी नींद खराब कर दी है। इस पर पिताजी ने उन्हें समझाया कि ये बूढ़ी महिला आपको भगवान राम मानती है, इसी कारण आपके दर्शन करने के लिए भावुकता वश आ गई। इसके बाद अरुण गोविल का गुस्सा शांत हुआ और उन्होंने उस बुजुर्ग महिला से बात की।

विपिन भाई पटेल बताते हैं कि रावण का रोल किसे दिया जाए इस पर काफी संशय था। जब रामानंद सागर ने हीराभाई पटेल से पूछा कि रावण का रोल किसे दिया जाए तो उन्होंने अरविंद त्रिवेदी का नाम सुझाया।

इसका कारण यह था कि वह अरविंद त्रिवेदी को विलेन के रोल में एक गुजराती मूवी में देख चुके थे। साथ ही वह थिएटर आर्टिस्ट भी थे। इसके बाद उन्हें बुलाया गया और रामानंद सागर ने उनकी डायलॉग डिलिवरी देखते ही रावण के रोल के लिए फाइनल कर लिया।

अरविंद त्रिवेदी शिव भक्त हैं और वह रोजाना सेट पर आने से पहले शिव आराधना करते थे। रामायण में रामेश्वरम सीन की शूटिंग के बाद एक पंडित जी भोपाल (मध्य प्रदेश) से 2 शिवलिंग लेकर रामानंद सागर को भेंट करने आए थे। इस पर उन्होंने मान लिया कि साक्षात भगवान शिव उनके पास चलकर आए हैं। इसलिए उन्होंने स्टूडियो में और पास के गांव में शिव मंदिर बनवाकर शिवलिंग की स्थापना कराई।

प्राचीन भारत का इतिहास का रहस्य

 

प्राचीन भारत का इतिहास का रहस्य (Mystery of Ancient India)

संस्कृत दुनिया की सबसे पुरानी भाषा है। संस्कृत शब्द का अर्थ है परिपूर्ण भाषा। भाषाओ को लिपियों में लिखने का चलन भारत में ही शुरू हुआ था। प्राचीन समय में ब्राह्मी और देवनागरी लिपि का चलन था। इस दोनों लिपियों से ही दुनियाभर में अन्य लिपियों का जन्म हुआ था। ब्राह्मी लिपि को महान सम्राट अशोक ने धम्मलिपि नाम दिया था। हड़प्पा संस्कृति के लोग भी इसी लिपि का उपयोग करते थे। उस समय में संस्कृत भाषा को भी इसी लिपि में लिखा जाता था।

शोध कर्ताओ के अनुसार ब्राह्मी लिपि से देवनागरी, तमिल लिपि, मलयालम लिपि, सिंहल लिपि, बांग्ला लिपि, रंजना, प्रचलित नेपाल, भुंजिमोल, कोरियाली, थाई, उड़िया लिपि, गुजराती लिपि, गुरुमुखी, कन्नड़ लिपि, तेलुगु लिपि, तिब्बती लिपि, बर्मेली, लाओ, खमेर, जावानीज, खुदाबादी लिपि, यूनानी लिपि निकली है।

जैन पौराणिक कथाओ में बताया गया है कि ऋषभदेव की ब्राह्मी ने लेखन की खोज की। इसलिए उसे ज्ञान की देवी सरस्वती के साथ जोड़ते है। हिन्दू धर्म में इनको शारदा भी कहते है। प्राचीन दुनिया में कुछ प्रमुख नदिया भी थी। दुनिया की शुरुवात मानव आबादी इन नदियों के पास बसी थी। सबसे समृद्ध, सभ्य और बुद्धिमान सभ्यता सिंधु और सरस्वती नदी के किनारे बसी थी। इसका एक प्रमाण भी मौजूद है। दुनिया का पहला धार्मिक ग्रन्थ सरस्वती नदी के किनारे बैठ कर लिखा गया था।

मोसोपोटामिया, सुमेरियन, असीरिया और बेबीलोन सभ्यता का विकास दजला और फरात नदी के किनारे पर हुआ था। नील नदी के किनारे मिस्र की सभ्यता का विकास हुआ था। इसी तरह भारत में भी सिंधु, हड़प्पा, मोहनजोदड़ो आदि सभ्यताओं का विकास सिंधु और सरस्वती नदी के किनारे हुआ था।

प्राचीन भारत की खेल की दुनिया – तरंज और फूटबाल का अविष्कार भारत में हुआ था। प्राचीन भारत बहुत ही सभ्य और समृद्ध देश था। आज के समय के बहुत से अविष्कार प्राचीन काल भारत के निष्कर्षों पर आधारित हैं।

मौर्य, गुप्त और विजयनगरम साम्राज्य के दौरान बने मंदिरो को देख कर हर कोई हैरान हो जाता है। कृष्ण की द्वारिका के अवशेषों की जांच से पता चला है कि प्राचीन काल में भी मंदिर और महल बहुत ही भव्य होते थे।

वृंदावन की बात करे। तो आज भी वह एक ऐसा मंदिर है। जो अपने आप खुलता और बंद हो जाता है।मान्यता के अनुसार रात के समय में वह पर कोई भी नहीं होता। लोगो का कहना है। अगर कोई भी व्यक्ति इस परिसर में रुक जाता है। तो वो मृत्यु को प्राप्त हो जाता है।

संगीत में सामवेद सबसे प्राचीन ग्रन्थ है। संगीत और वाद्ययंत्रों का अविष्कार भी प्राचीन भारत में हुआ था। नृत्य, कला, योग और संगीत से हिन्दू धर्म का गहरा नाता रहा है। प्राचीन भारत में ही वीणा, चांड, घटम्, पुंगी, डंका, तबला, शहनाई, बीन, मृदंग, ढोल, डमरू, घंटी, ताल, सितार, सरोद, पखावज, संतूर आदि का अविष्कार हुआ था।

जानकारी स्त्रोत: इंटरनेट

इन बातों की हवा निकाल देते हैं तो दुनिया की इस सुरंग से हमारा गुज़रना आसान हो जाएगा।

 

एक स्कूल ने अपने युवा छात्रों के लिए एक मज़ेदार यात्रा का आयोजन किया,

रास्ते में वे एक सुरंग से गुज़रे, जिसके नीचे से पहले बस ड्राइवर गुज़रता था।

सुरंग के किनारे पर लिखा था पांच मीटर की ऊँचाइ।

बस की ऊंचाई भी पांच मीटर थी इसलिए ड्राइवर नहीं रुका। लेकिन इस बार बस सुरंग की छत से रगड़ कर बीच में फंस गई, इससे बच्चे भयभीत हो गए।

बस ड्राइवर कहने लगा "हर साल मैं बिना किसी समस्या के सुरंग से गुज़रता हूं, लेकिन अब क्या हुआ?

एक आदमी ने जवाब दिया :

सड़क पक्की हो गई है इसलिए सड़क का स्तर थोड़ा बढ़ा दिया गया है।

वहाँ एक भीड़ लग गयी..

एक आदमी ने बस को अपनी कार से बांधने की कोशिश की, लेकिन रस्सी हर बार रगड़ी तो टूट गई, कुछ ने बस खींचने के लिए एक मज़बूत क्रेन लाने का सुझाव दिया और कुछ ने खुदाई और तोड़ने का सुझाव दिया।

इन विभिन्न सुझावों के बीच में एक बच्चा बस से उतरा और बोला "टायरों से थोड़ी हवा निकाल देते हैं तो वह सुरंग की छत से नीचे आना शुरू कर देगी और हम सुरक्षित रूप से गुज़र जाएंगे।

बच्चे की शानदार सलाह से हर कोई चकित था और वास्तव में बस के टायर से हवा का दबाव कम कर दिया इस तरह बस सुरंग की छत के स्तर से गुज़र गई और सभी सुरक्षित बाहर आ गए।

घमंड, अहंकार, घृणा, स्वार्थ और लालच से हम लोगो के सामने फुले होते हैं। अगर हम अपने अंदर से इन बातों की हवा निकाल देते हैं तो दुनिया की इस सुरंग से हमारा गुज़रना आसान हो जाएगा।

    

गुरुवार, 8 दिसंबर 2022

तांबे के बर्तन में रखे पानी का पुरा फायदा उठाने का सही तरीका

 तांबे के बर्तन में रखे पानी का पुरा फायदा उठाने का सही तरीका है की रात्री में सोते समय तांबे के साफ बर्तन में एक लीटर तक पानी रख दें और सुबह उठकर खाली पेट धीरे-धीरे पिएं ।

तांबे के बर्तन में पानी पीने के फायदे

🔷️ तांबे का पानी पाचनतंत्र को मजबूत करता है और बेहतर पाचन में सहायता करता है। तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से अतिरिक्त वसा को कम करने में बेहद मदद मिलती है।

🔷️ तांबे में एंटी-इन्फलेमेटरी गुण होते हैं।जो शरीर में दर्द,सूजन तथा एठन की समस्या नहीं होने देते।

🔷️ आर्थराईटीस की समस्या से निपटने में भी तांबे का पानी फायदेमंद होता है।

🔷️ तांबे के बर्तन में रखा पानी पूरी तरह शुद्ध माना जाता है। यह डायरिया,पीलिया,डीसेंट्री और अन्य प्रकार की बिमारियों को पैदा करने वाले बैक्टीरिया को खत्म कर देता है।

🔷️ अमेरिका के कैंसर सोसायटी के अनुसार-तांबा कैंसर की शुरुवात को रोकने में मदद करता है और इसमें कैंसर विरोधी तत्व मौजूद होते हैं।

🔷️ यह दिल को स्वस्थ बनाए रखकर ब्लड प्रेशर को नियंत्रित कर बैड कॉलेस्ट्रॉल को कम करता है। इसके अलावा यह हार्ट अटैक के खतरे को भी कम करता है। यह वात,पित्त और कफ की समस्या को दुर करने में मदद करता है।

🔷️ तांबा यानी कापर,सिधे तौर पर आपके शरीर में कापर की कमी को पुरा करता है और बिमारी पैदा करने वाले बैक्टीरिया से सुरक्षा देता है।

🔷️ एनीमिया की समस्या में भी इस बर्तन में रखा पानी पीने से लाभ मिलता है। यह खाने से आयरन को आसानी से सोख लेता है,जो एनीमिया से निपटने के लिए बेहद जरुरी है।पानी पीने के क्या-क्या फायदे हैं?

🔷️ शरीर की अतिरिक्त सफाई के लिए तांबे का पानी कारगर होता है। इसके अलावा यह लीवर और किडनी को स्वस्थ रखता है और किसी भी प्रकार के इन्फेक्शन से निपटने में तांबे के बर्तन में रखा पानी लाभप्रद होता है।

भगवान कहाँ है और उन पर क्यों विश्वास करें ?

एक दिन एक महिला को (किसी धार्मिक स्थल से) सेवा का हुकुम आया, महिला सेवा में चली गयी । थोड़ी देर बाद महिला को फ़ोन आया की उसके बेटे का ऐक्सिडेंट हो गया वो महिला भगवान जी से आज्ञा लेकर हॉस्पिटल पहुँची ।

महिला ने भगवान से प्रार्थना की और अपने बेटे की संभाल में लग गई ।

महिला की एक पड़ोसन जो उसकी दोस्त भी थी बोली बहन तेरे भगवान जी कैसे है

तू दिन रात सेवा में लगी रहती है और उन्होंने तेरे साथ क्या किया….

तेरे बेटे का ऐक्सिडेंट हो गया ।

वो महिला बोली मुझे तो अपने भगवान जी पर पूरा भरोसा है। वो जो करते है बिल्कुल सही करते हैं इसमें भी कोई राज की बात होगी। मेरे भगवान जी किसी का बुरा नही करते,जो होता है अच्छा ही होता है ।

कुछ दिनो बाद बच्चा ठीक हो गया । महिला फिर से सेवा में लग गयी। फिर कुछ दिन बाद पता चला की बेटे का फिर ऐक्सिडेंट हो गया है….. अब पड़ोसन फिर कहने लगी बहन तुझे तेरे भगवान जी ने क्या दिया*

तो महिला बोली कुछ घटनाएँ हमारी परीक्षा के लिए भी होती हैं। ज़रुर मेरे भगवानजी मुझे कुछ समझाना चाहते हैं।

मैं  नही डोलूंगी ।

महिला भक्ति करती रही ,भगवान जी के सामने विनती करती रही……

धीरे धीरे बेटा फिर ठीक हो गया ।

अब बेटे का तीसरी बार फिर ऐक्सिडेंट हो गया तो पड़ोसन बोली बहन तू नही मानेगी! तू मुझे अपने बेटे की कुंडली दे,मैं अपने महाराज को दिखाऊँगी। महिला बोली ठीक है,तू भी अपने मन की तसल्ली कर ले लेकिन मेरा विश्वास नही डोलेगा।

मेरे भगवानजी सब ठीक कर देंगे ।

अब पड़ोसन कुंडली लेकर अपने पंडित जी के पास गयी और बोली महाराज जी इस बच्चे का बार बार ऐक्सिडेंट हो जाता है कुछ उपाय बताइए । महाराज बोले ये क्या ले आयी बहन, जिस किसी की भी ये कुंडली है,वो तो कई साल पहले मर चुका है।

तो बहन बोली नही महाराज मेरी सहेली का बेटा है और आज भी ज़िंदा है पर बार बार चोट लग जाती है ।

पंडित जी बोले जो भी है…..

कुंडली के हिसाब से उसकी मृत्यु कई साल पहले हो जानी चाहिए थी जरुर कोई शक्ति है जो उसे बचा लेती है।

 वो बहन की आँखें भर आईं।

दौडी दौड़ी उस महिला के पास आकर चरणो में गिर गयी बोली बहन मुझे भी अपने भगवान जी के पास ले चल । पूछने पर सारी बात बताई  और फिर बहन ने भी भगवान जी की शरण ले ली और सेवा करने लगी।

शिक्षा:-कहने का भाव ये है कि हमारा विश्वास कभी नही डोलना चाहिए। भगवान जी हर पल हमारी रक्षा करते है।

जय श्रीराम

गुरुवार, 1 दिसंबर 2022

जोड़ो का दर्द ठीक करने का उपाय

जोड़ो का दर्द ठीक करने का उपाय
• यदि घुटने की गद्दी घिस जाना, कैल्शियम कम होना,घुटने के हड्डियों के बीच अंतर कम या ज्यादा हों जाना इत्यादि
• ‎अपथ्य भोजन :- (तीन से 6 माह तक क्या न खायें)
केला,सब खट्टे फल,खट्टे पदार्थ,ठंडे पदार्थ,सब सूखे मेवे, उड़द की दाल । जोड़ो के दर्द में कब्ज की मुख्य भूमिका होती है इसलिये पेट का साफ रहना अतिआवश्यक है।

पथ्य :- दोपहर से पहले चने के दाने के बराबर चुना थोड़े से गुड़ व देशी गाय के घी के साथ खाएं। कम से कम 20 मिंट हल्के कपड़े पहन कर धूप में बैठे।
तेल लगाने हेतु आवश्यक सामग्री व बनाने की विधि :-
1 लीटर सरसो तेल
4 लहसुन की गांठे ( कुचली हुई)
4 बड़े चमच्च मेथी दाना चूर्ण
4 चम्मच सौठ चूर्ण
4 चम्मच अजवायन चूर्ण

1 लीटर सरसो तेल में कुचला हुया लहसुन डालकर भूरे होने तक धीमी आंच पर गर्म करें
उसके बाद सभी चूर्ण डालकर काला होने तक गर्म करें व ठंडा होने पर बिना छाने किसी काँच या स्टेन्स स्टील के बर्तन में सुरक्षित रखें व इसे घुटने या दर्द वाले जोड़ो पर व 2 से 3 इंच ऊपर नीचे तक लगाए । ( मालिश न करें)

घुटने हेतु विशेष व्यायाम :-
• पैर के पंजे व अँगुली में तेल लगाएं व पैर और घुटने के तनाव कम करने हेतु अँगुली को बारी बारी से उल्टा सीधा घुमाए।

• ‎एक पैर के अंगूठे को हाथ से पकड़कर जमीन से 6 इंच ऊपर उठाएं व एक झटका देकर धीरे से जमीन पर रख दे।

• ‎पैरो के दोनों पंजो को जोड़कर ज्यादा से ज्यादा जमीन,मुह,दाएं व बाएं घड़ी के विपरीत दिशा में ले जाएं।

• ‎दोनो पैरो की एड़ियों  एक साथ उठाकर पंजो के बल खड़े हो जाइए व दोनो घुटनो को जांघो की ओर खिंचे परिणामस्वरूप दोनो पैरों की पिंडलियां व जांघे सख्त हो जाएगी।

💐 घुटनों के दर्द को ठीक करने में कब्ज को दूर करना आवश्यक है इसके लिये निम्न उपयो
को करें:-
• सबेरे उठकर दो ग्लास गुनगुना पानी घुट घुट कर पियें
• ‎कब्ज रहने तक छिलके वाली मूंग की दाल खाये
• ‎भोजन चबा चबा कर करें
• ‎एक भोजन पूणतः पचने के बाद ही दूसरा भोजन करें
• ‎भोजन के दौरान पानी न पिएं भोजन के बाद एक या दो घुट ही पानी पिये उसके डेढ़ घण्टे बाद पानी जरूर पियें
• ‎पानी हमेशा बैठकर व घुट घुट भर कर पियें

कब्ज से बचने हेतु निम्न उपयोग कर सकते हैं

• ‎भोजन के पश्चात बेल की कैंडी जरूर खाये
‎या
• ‎2 चम्मच त्रिफला (1:2:3) वाला गर्म दूध या गर्म पानी के साथ
या
• ‎रात्रि भोजन में चुकन्दर की सब्जी जरूर खाएं
या
• ‎रात्रि भोजन के बाद 10 मुनक्के एक गिलास दूध में उबालकर मुनक्के खा ले व दूध पी जाएं
या
• ‎2 अंजीर 10 मुंनके बीज निकालकर रात को पानी मे भिगो दें दोपहर भोजन के बाद एक अंजीर 5 मुंनके खाये बचे एक अंजीर 5 मुंनके शाम
या
• ‎छोटी हरड़ को अरण्ड के तेल में भूनकर मसलकर रख ले सुबह 4 बजे आधा चम्मच इसे सेवन कर एक गिलास पानी पी पुनः सो जाएं
या
• ‎2 चम्मच अरण्ड का तेल गरम पानी या दूध के साथ

3 से 6 माह उपर्योक्त नियम का पालन कर आप अपना स्वास्थ्य व समृद्धि बचा सकते हैं

जब घुटने बदलने की नौबत आये उससे पहले यह प्रयोग जरूर अपनाये विनती है :- हरसिंगार एक पौधा है जिसके सफेद रंग के फूल होते है ये फूल रात को खिलकर सुबह गिर जाते है इस पौधे के 6 से 7 पत्तों को सिल बट्टे पर पीसकर इसकी चटनी बना ले और एक गलास पानी में उबाले। उबलते उबलते जब यह आधा रहा जाये तो इसको गुनगुना करके रात को रख दे सुबह प्रतिदिन खाली पेट पीये। ऐसा करने से जोड़ो के दर्द से आपको मुक्ति मिलेगी। इस औषधि के साथ कोई अन्य दवा नहीं लेनी है। यह उपाय सबसे ज्यादा कारगर और सफल है।

कनेर के पत्तों को उबालकर उसको उसके पत्तों की चटनी बना ले और तिल के तेल में मिलाकर घुटनों पर मालिश करे ऐसा करने से आपको दर्द से मुक्ति मिलेगी।

 आपके घुटनों में दर्द रहता है तो रोज रात को 2 चम्मच मैथी को एक ग्लास पानी में भिगो कर रख दे। और प्रात: काल खाली पेट मेथी को चबा चबा कर खाने से और मेथी का पानी पीने से आपको कभी भी घुटनो का दर्द नही होगा।
एक ग्लास दूध में 4-5 लहसुन की कलियाँ डाल कर अच्छी तरह से उबाले और गुनगुना पीने से भी घुटनों के दर्द में आराम मिलता है।

 हर रोज आधा कच्चा नारियल खाने से बुढ़ापे में भी कभी आपको घुटनों के दर्द का परेशानी नही होगी।

 5 अखरोट प्रतिदिन खाली पेट खाने से आपके घुटने में कभी कष्ट नही होगा।

रोज रात को सोने से पहले एक ग्लास दूध ने हल्दी डाल कर पीने से आपको हड्डियों में दर्द की समस्या से मुक्ति मिलेगी।

एक दाल के दाने के बराबर थोड़ा सा चूना (जो आप पान में लगा कर खाते है) को दही में या पानी में मिला कर पीने से आपको हड्डियों में कभी दर्द नही होगा। चूने के पानी को हमेशा सीधे बैठकर ही पिए इससे आपको जल्दी आराम होगा। यह औषधि सिर्फ 1 महीने पीने से ही शरीर की किसी भी हड्डी में दर्द हो तो वो जल्दी ठीक हो जाएगा।

सुबह और शाम को भद्र आसन करने से आपको लाभ मिलेगा।

  हड्डियों के दर्द से बचने के लिए आप अपने भोजन में 25% फल और सब्जियों को शामिल करेगे तो आपको कभी भी हड्डियों के दर्द का सामना नहीं करना पड़ेगा।

 नारियल, सेब, संतरे, मौसमी, केले, नाशपति, तरबूज और खरबूजे आदि फलों का सेवन हर रोज जरुर करे।

 गोभी, सोयाबीन, हरी पत्तेदार सब्जियों के साथ खीरे, ककड़ी, गाजर, और मेथी को अवश्य शामिल करे।

 दूध और दूध से बनी चीजे भरपूर मात्रा में खाए और कच्चा पनीर भी भोजन में शामिल करे, ऐसा करने से आपके जोड़ों के दर्द में कमी आएगी।

 मोटा अनाज, मकई, बाजरा, चोकर वाले आटे की रोटियों का जरुर उपयोग करे। क्योंकि इनमे वो सभी तत्व होता है जो आपकी हड्डियों और जोड़ो के दर्द से मुक्ति दिलाता है।

 अगर अत्यधिक सर्दी की वजह से  घुटनों में बहुत अधिक पीड़ा है तो सरसों के तेल में लहसुन और अजवायन को पकाये और फिर जब यह तेल गुनगुना हो जाये तो घुटनों पर मालिश करे, उनका दर्द छू मंतर हो जायेगा।

नीचे बताई गयी सामग्री को मिला कर हल्दी का एक दर्द निवारक पेस्ट बना लीजिये :
1 छोटा चम्मच हल्दी पाउडर
1 छोटा चम्मच पीसी हुई चीनी, या बूरा या शहद या चीनी
1 चुटकी चूना (जो पान में लगा कर खाया जाता है) और आवश्यकतानुसार पानी।

इन सभी को अच्छी तरह मिला लीजिये। एक लाल रंग का गाढ़ा पेस्ट बन जाएगा। सोने से पहले यह पेस्ट अपने घुटनों पे लगाइए। इसे सारी रात घुटनों पे लगा रहने दीजिये। सुबह साधारण पानी से धो लीजिये। कुछ दिनों तक प्रतिदिन इसका इस्तेमाल करने से सूजन, खिंचाव, चोट आदि के कारण होने वाला घुटनों का दर्द पूरी तरह ठीक हो जाएगा।

 21 छोटा चम्मच सोंठ का पाउडर लीजिये और इसमें थोडा सरसों का तेल मिलाइए। इसे अच्छी तरह मिला कर गाड़ा पेस्ट बना लीजिये। इसे अपने घुटनों पर मलिए। इसका प्रयोग आप दिन या रात कभी भी कर सकते हैं। कुछ घंटों बाद इसे धो लीजिये। यह प्रयोग करने से आपको घुटनों के दर्द में बहुत जल्दी आराम मिलेगा।

4-5 बादाम,5 6 काली मिर्च,10 मुनक्का,5 6 अखरोट प्रतिदिन सुबह खाये

खजूर विटामिन ए, बी, सी, आयरन व फोस्फोरस का एक अच्छा प्राकृतिक स्रोत है. इसलिए, खजूर घुटनों के दर्द सहित सभी प्रकार के जोड़ों के दर्द के लिए बहुत असरकारक है.

एक कप पानी में 7-8 खजूर रात भर भिगोयें। सुबह खाली पेट ये खजूर खाएं और जिस पानी में खजूर भिगोये थे, वो पानी भी पीयें। ऐसा करने से घुटनों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं, और घुटनों के दर्द में बहुत लाभ मिलता है।

नारियल भी घुटनों के दर्द के लिए बहुत अच्छी औषधी है। रोजाना सूखा नारियल खाएं। नारियल का दूध पीयें। घुटनों पर दिन में दो बार नारियल के तेल की मालिश करें इससे घुटनों के दर्द में अद्भुत लाभ होता है। ईश्वर से यही प्रार्थना है कि आपको इन आसान और कारगर उपायो से लाभ मिले।

होमओपैथी के द्वारा

जोड़ के दर्द दो तरह के होते हैं l छोटे जोड़ों के दर्दो को गठिया कहते हैं, इन जोड़ों का दर्द जब काफी पुराना हो जाता है तब जोड़ विकृत यानि टेढ़े – मेढ़े हो जाते हैं तब इसे पुराना संधि प्रदाह (arthritis deformans) कटे हैं l बड़े जोड़ों तथा पुट्ठे के दर्दो को वात रोग (rheumatism) कहते हैं l वात रोग (gout) में जोड़ों की गांठें सूज जाती है, बुखार हो जाता है, बेहद दर्द और बेचैनी होती है l कारण : ओस या सर्दी लगना, देर तक भीगना, अधिक मांस, खटाई या ठंडी वस्तुएं खाना, शराब का अधिक सेवन करना व विलासिता, आदि l

●  मुख्य दवा l जब पेशाब में यूरिक एसिड व युरेट्स काफी मात्रा में आये – (अर्टिका युरेन्स Q, 10 बूंद दिन में 3 बार)

●  छोटे जोडों में दर्द व सुजन, दर्द कटने या चुभने जैसा; रात में या चलने फिरने से बढ़े – (कोल्चिकम 6 या 30, दिन में 3 बार)

●  जब दर्द एक जोड़ से दुसरे जोड़ में चलता-फिरता रहे – (पल्साटिला 30, दिन में 4 बार)

●  रोग खासकर पैर के अंगूठे में सूजन के साथ l ठण्ड या बर्फ की पट्टी से रोग घटे l दर्द नीचे से ऊपर की ओर जाये – (लीडम पाल 6 या 30, दिन में 4 बार)

●  जब रोग अचानक ठंड के कारण शुरू हो – (एकोनाइट 6 या 30, दिन में 4 बार)

●  जब गठिया रोग चर्म रोगों के साथ शुरू हो – (सल्फर 30, दिन में 3 बार)

● जब रोग ठण्ड से बढ़े l सेकने व चलने फिरने से आराम आये – (रस टक्स 30 या 200, दिन में 3 बार)

●   मौसम बदलने के साथ रोग की पुनरावृत्ति – (कल्केरिया कार्ब 30 या 200, दिन में 3 बार)

●   हाथ पैर के छोटे छोटे जोड़ों में दर्द  व सूजन – (स्टेफिसेगिरिया 30 या 200, दिन में 3 बार)

● शराबियों में जोड़ों का दर्द – (नक्स वोमिका 30 या 200, दिन में 3 बार)

● जब दर्द स्थान बदलता रहे l हिलने डुलने से रोग बढ़े – (स्टैलेरिया मीडिया Q, दिन में 3 बार)

●  अंगुलियों के जोडों का दर्द – (लाइकोपोडियम 30, दिन में 3 बार)

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