एक दिन एक महिला को (किसी धार्मिक स्थल से) सेवा का हुकुम आया, महिला सेवा में चली गयी । थोड़ी देर बाद महिला को फ़ोन आया की उसके बेटे का ऐक्सिडेंट हो गया वो महिला भगवान जी से आज्ञा लेकर हॉस्पिटल पहुँची ।
महिला ने भगवान से प्रार्थना की और अपने बेटे की संभाल में लग गई ।
महिला की एक पड़ोसन जो उसकी दोस्त भी थी बोली बहन तेरे भगवान जी कैसे है
तू दिन रात सेवा में लगी रहती है और उन्होंने तेरे साथ क्या किया….
तेरे बेटे का ऐक्सिडेंट हो गया ।
वो महिला बोली मुझे तो अपने भगवान जी पर पूरा भरोसा है। वो जो करते है बिल्कुल सही करते हैं इसमें भी कोई राज की बात होगी। मेरे भगवान जी किसी का बुरा नही करते,जो होता है अच्छा ही होता है ।
कुछ दिनो बाद बच्चा ठीक हो गया । महिला फिर से सेवा में लग गयी। फिर कुछ दिन बाद पता चला की बेटे का फिर ऐक्सिडेंट हो गया है….. अब पड़ोसन फिर कहने लगी बहन तुझे तेरे भगवान जी ने क्या दिया*
तो महिला बोली कुछ घटनाएँ हमारी परीक्षा के लिए भी होती हैं। ज़रुर मेरे भगवानजी मुझे कुछ समझाना चाहते हैं।
मैं नही डोलूंगी ।
महिला भक्ति करती रही ,भगवान जी के सामने विनती करती रही……
धीरे धीरे बेटा फिर ठीक हो गया ।
अब बेटे का तीसरी बार फिर ऐक्सिडेंट हो गया तो पड़ोसन बोली बहन तू नही मानेगी! तू मुझे अपने बेटे की कुंडली दे,मैं अपने महाराज को दिखाऊँगी। महिला बोली ठीक है,तू भी अपने मन की तसल्ली कर ले लेकिन मेरा विश्वास नही डोलेगा।
मेरे भगवानजी सब ठीक कर देंगे ।
अब पड़ोसन कुंडली लेकर अपने पंडित जी के पास गयी और बोली महाराज जी इस बच्चे का बार बार ऐक्सिडेंट हो जाता है कुछ उपाय बताइए । महाराज बोले ये क्या ले आयी बहन, जिस किसी की भी ये कुंडली है,वो तो कई साल पहले मर चुका है।
तो बहन बोली नही महाराज मेरी सहेली का बेटा है और आज भी ज़िंदा है पर बार बार चोट लग जाती है ।
पंडित जी बोले जो भी है…..
कुंडली के हिसाब से उसकी मृत्यु कई साल पहले हो जानी चाहिए थी जरुर कोई शक्ति है जो उसे बचा लेती है।
वो बहन की आँखें भर आईं।
दौडी दौड़ी उस महिला के पास आकर चरणो में गिर गयी बोली बहन मुझे भी अपने भगवान जी के पास ले चल । पूछने पर सारी बात बताई और फिर बहन ने भी भगवान जी की शरण ले ली और सेवा करने लगी।
शिक्षा:-कहने का भाव ये है कि हमारा विश्वास कभी नही डोलना चाहिए। भगवान जी हर पल हमारी रक्षा करते है।
जय श्रीराम
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