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बुधवार, 7 नवंबर 2012

इन पत्तियों की खास बातें जानेंगे तो आप भी मानेंगे ये हैं चमत्कारी पत्तियां--

छोटी छोटी मगर मोती बातें.....

इन पत्तियों की खास बातें जानेंगे तो आप भी मानेंगे ये हैं चमत्कारी पत्तियां--
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शिव पुराण के अनुसार शिवलिंग पर कई प्रकार की सामग्री फूल-पत्तियां चढ़ाई जाती हैं। इन्हीं में से सबसे महत्वपूर्ण है बिल्वपत्र। बिल्वपत्र से जुड़ी खास बातें जानने के बाद आप भी मानेंगे कि बिल्व का पेड बहुत चमत्कारी है-

पुराणों के अनुसार रविवार के दिन और द्वादशी तिथि पर बिल्ववृक्ष का विशेष पूजन करना चाहिए। इस पूजन से व्यक्ति से ब्रह्महत्या जैसे महापाप से भी मुक्त हो जाता है।

क्या आप जानते हैं कि बिल्वपत्र छ: मास तक बासी नहीं माना जाता। इसका मतलब यह है कि लंबे समय शिवलिंग पर एक बिल्वपत्र धोकर पुन: चढ़ाया जा सकता है।

आयुर्वेद के अनुसार बिल्ववृक्ष के सात पत्ते प्रतिदिन खाकर थोड़ा पानी पीने से स्वप्न दोष की बीमारी से छुटकारा मिलता है। इसी प्रकार यह एक औषधि के रूप में काम आता है।

शिवलिंग पर प्रतिदिन बिल्वपत्र चढ़ाने से सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। भक्त को जीवन में कभी भी पैसों की कोई समस्या नहीं रहती है।

शास्त्रों में बताया गया है जिन स्थानों पर बिल्ववृक्ष हैं वह स्थान काशी तीर्थ के समान पूजनीय और पवित्र है। ऐसी जगह जाने पर अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

बिल्वपत्र उत्तम वायुनाशक, कफ-निस्सारक व जठराग्निवर्धक है। ये कृमि व दुर्गन्ध का नाश करते हैं। इनमें निहित उड़नशील तैल व इगेलिन, इगेलेनिन नामक क्षार-तत्त्व आदि औषधीय गुणों से भरपूर हैं। चतुर्मास में उत्पन्न होने वाले रोगों का प्रतिकार करने की क्षमता बिल्वपत्र में है।

ध्यान रखें इन कुछ तिथियों पर बिल्वपत्र नहीं तोडऩा चाहिए। ये तिथियां हैं चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, द्वादशी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रान्ति और सोमवार तथा प्रतिदिन दोपहर के बाद बिल्वपत्र नहीं तोडऩा चाहिए। ऐसा करने पर पत्तियां तोडऩे वाला व्यक्ति पाप का भागी बनता है।

शास्त्रों के अनुसार बिल्व का वृक्ष उत्तर-पश्चिम में हो तो यश बढ़ता है, उत्तर-दक्षिण में हो तो सुख शांति बढ़ती है और बीच में हो तो मधुर जीवन बनता है।

घर में बिल्ववृक्ष लगाने से परिवार के सभी सदस्य कई प्रकार के पापों के प्रभाव से मुक्त हो जाते हैं। इस वृक्ष के प्रभाव से सभी सदस्य यशस्वी होते हैं, समाज में मान-सम्मान मिलता है। ऐसा शास्त्रों में वर्णित है।

मंगलवार, 6 नवंबर 2012

हिन्दू धर्म मे सप्ताह के सात दिन और एक दिन और रात मे 24 घंटे होने का वैज्ञानिक एवं धार्मिक प्रमाण

हिन्दू धर्म मे सप्ताह के सात दिन और एक दिन और रात मे 24 घंटे होने का वैज्ञानिक एवं धार्मिक प्रमाण

भारतीय ज्योतिष शास्त्र मे 7 ग्रह माने गए हैं और ज्योतिष के जन्मदाता महापंडित रावण को कहा गया है । रावण को भगवान सूर्यदेव के सारथी अरुण ने ज्योतिष का ज्ञान प्रदान किया था। उसके बाद महापंडित रावण ने ग्रहों का प्रतिपादन किया। सोम,मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि और प्रमुख ग्रह सूर्य है। राहू और केतू छाया
ग्रह माने गए हैं जिनका महत्त्व किसी ग्रह के सहयोग से बनता है,अकेले ये महत्वहीन है । उपरोक्त सातों ग्रहों के नामो के आगे वार जोड़कर सप्ताह के सात दिन सोमवार से रविवार तक बने जो पूरे विश्व मे माना जाता है ॥
अब एक प्रश्न ये है की एक रात और एक दिन मिलकर 24 घंटे ही क्यू होते हैं 25 या 28 घंटे क्यू नहीं होते ??
भारतीय ज्योतिष के अनुसार मेष,वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, मकर, कुम्भ, धनु, मीन 12 राशियाँ मानी गयी है ॥प्रत्येक दिन रात मे हर एक राशि का भोग्यकाल लगभग 2 घंटे का होता है। इस प्रकार रात और दिन मिलकर 24 घंटे (12राशि X 2) हुए ॥
ज्योतिष के अनुसार तीन घंटे अर्थात साढ़े सात घटी का एक पहर होता है और 24 घंटे मे आठ पहर (4 पहर रात के और 4 दिन के)।इस प्रकार 8 पहर X3=24 घंटे एक दिन और रात को मिलकर हुए॥
इस प्रकार हिन्दू धर्म द्वारा विश्व को दिया गया ज्ञान पूर्णरूप से तार्किक एवं कार्यान्वित है।

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