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शनिवार, 25 मई 2019

गजनी वास्तव में राजपूतो के हाथ से निकल गया

#गजनी !

गजनी वह स्थान है, जहां से कभी राजपूत पूरे विश्व का नेतृत्व किया करते थे । गजनी खुरासान से ही ईरान से लेकर यूरोप तक का मार्ग प्रशस्त होता है । अतः चारो दिशाओ का नेतृत्व वहीं से किया जा सकता है ।

लगभग 3000 साल पहले कृष्ण के वंशज यदुवंशी राजपूतो ने यहां से लगभग पूरे विश्व को अपने नियंत्रण में ले लिया था । वहां से इनका शाशन यमुना उर्फ दिल्ली तक आता था ।

इसका उदारहण आपके समक्ष प्रस्तुत करता हूँ, जडेजा राजपूत जो खुद को कृष्ण का वंशज मानते है । कृष्ण के श्यामल वर्ण के होने के कारण यह लोग खुद को सामपुत्र भी कहते है । इन्ही जडेजा लोगो का शाशन सीरिया तक था । सीरिया आज के जितना छोटा नही था । इसका क्षेत्रफल बहुत विशाल हुआ करता था । जिसके लगभग आधा अरब और यूरोप समा जाता है । सीरिया के पुराना नाम " साम " ही है । इसका प्रत्यक्ष प्रमाण मुसलमानो की " गजवा- ऐ - साम " की हदीस है । गजवा भी हिन्दू नाम है, ओर साम तो सामपुत्रो का नाम ही है । अर्थात कृष्ण के पुत्रों के विरुद्ध जिहाद ।

इस क्षेत्र पर सबसे पहले शाशन यदुभान ने आकर स्थापित किया , जिसका विवरण पुराणों में भी मिलता है। उस समय असीरिया में ग्रहयुद्ध चल रहा था, जहां यदुभान नाम के साधारण से राजपूत ने अपनी समझ बुझ से शांति की स्थापना की ओर लोगो ने उन्हें वहां का राजा घोषित कर दिया ।

उसके बाद उनके पुत्र नाभ वहां गद्दी पर बेठे । जिसने मालवा के विजयसिंहः की पुत्री से विवाह किया था । उनके पुत्र बाहुबल हुए, जिनकी घोड़े से गिरने के कारण अकस्मात मृत्यु हो गयी । नाभ के बाद सुभाहु गद्दी पर बैठे । यहां तक शांति ही शांति थी । सुबाहु के बाद उनके पुत्र " रिज " गद्दी पर बैठे । #ध्यान_रहे - यह सारा शाशन अफगानिस्तान से अरब की ओर शाशन कर रहा है । आज भी मुसलमानो ने रिजवान नाम बड़ी श्रद्धा से रखा जाता है, रिज एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ सूर्य के समान महान उदय है । उसी रिज से अंग्रेजो का राइजिंग बना है, जिसका अर्थ भी उदय ही है । और जैसे हम हिन्दू गुणवान, धनवान आदि लगाते है, मुसलमान रिजवान लगाने लगे । अतः रिजवान नाम हिन्दुओ का ही है ।

रिज का विवाह मालवा की राजकुमारी सौभाग्य देवी से हुआ । सौभाग्य देवी जब गर्भवती थी, तो उन्हें स्वपन आया कि उन्होंने एक हांथी को जन्म दिया है । जब ज्योतिषी से इस स्वप्न का तातपर्य पूछा तो उन्होंने कहा, की तुम हाथी के समान एक अत्यंत बलशाली ओर प्रतापी पुत्र को जन्म देने वाली हो । इसी आधार पर उनका नाम "गज " रखा गया । उन्ही के नाम से गजनी नाम भी पड़ा ।

गज के शाशन काल मे ही मुसलमानो की मल्लेछ सेना ने गजनी पर आक्रमण की शुरुवात कर दी थी । चार लाख की सेना के साथ  फरीदशाह ने गजनी पर आक्रमण किया । यह सब अरबी भेड़ें थी ।  भारत की जनता इस आक्रमण की खबर से घबराकर चारो ओर भाग रही थी । लेकिन महाराज गज ने अपनी सेना एकत्र कर सामने से जाकर मल्लेछो पर धावा बोला,  मुसलमानो के 3 लाख सैनिक युद्ध मे मारे गए, ओर हिन्दू राजपूत की तरफ से मारे गए सैनिको की संख्या मात्र 4000 थी ।

इस युद्ध के बाद ही महाराज गज ने अपनी प्रजा को सुरक्षित रखने के लिए एक विशाल दुर्ग का निर्माण करवाया । जिसका नाम " गजनी " रखा गया । इस दुर्ग के निर्माण होते होते ही मल्लेछो ने एक बार फिर आक्रमण कर दिया । यह बड़ा भयंकर युद्ध था । तलवारों ओर घोड़े की तापो के अलावा कुछ सुनाई न पड़ता था । राजपूतो की तलवारों से पल भर में सैंकड़ो सिर भूमि पर गिर रहे थे । इस युद्ध मे सेनापति खुरासान सहित ढाई लाख मुसलमान मारे गए । सात हजार राजपूतो ने वीरगति प्राप्त की ।

राजा गज के बाद साहिलवान वहां की गद्दी पर बैठे । राजा गज जब अपने वर्णाश्रम में तपस्या में लीन थे, तो उनके कुलदेवी की आकाशवाणी हुई, की गजनी  अब तुम लोगो के शाशन से बाहर होने वाला है, आने वाले हजारो वर्षो तक यहां मल्लेछो का शाषन रहेगा ।

किन्तु एक समय ऐसा आएगा ..... तुम्हारे ही वंशज यहां आकर फिर से अपना शाशन स्थापित करेंगे .... ओर पूरे विश्व का नेतृत्व करेंगे ।

गजनी वास्तव में राजपूतो के हाथ से निकल गया ..... लेकिन दूसरी भविष्यवाणी अभी पूरी होनी शेष है ......

गुरुवार, 23 मई 2019

जीत के बाद सरकार को जल्द ही उठाने होंगे यह कदम

यह वास्तव में बड़े हर्ष व उत्सव का अवसर है,परंतु हमें इतने पर ही खुश होकर नहीं बैठ जाना है। यह स्थायी समाधान कतई नहीं है और न माना जाना चाहिए,बल्कि मोदी सरकार और हमें इस स्थिति को अधिक मजबूत करने के लिए निरंतर अधिक कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। इसके अन्तर्गत कुछ स्थायी और कुछ तत्कालिक सख्त निर्णय लेने पड़ेंगे व कदम मनोयोग से इस प्रकार उठाने पड़ेंगे:-
*भाजपा घोषणापत्र के अनुसार:*
(1) समान आचार संहिता (Common Civil Code) लागू करके धर्म-जाति के आधार पर बने सारे कानून-व्यवस्थाएं जैसेकि आरक्षण,हिन्दू कोड बिल,मुस्लिम पर्सनल लॉ आदि को खत्म करना।
(2) देशद्रोह कानून को सख्त बनाना।
(3) धारा-370 व अनुच्छेद-35ए को समाप्त कर कश्मीर समस्या को खत्म करना।
जनता के सुख-शान्ति-सुकून के लिए बरसों पुरानी ज्वलंत मांगों/आकांक्षाओं को पूरा करना:-
(1) आयकर व अन्य सभी प्रत्यक्ष करों को भी GST में समाहित कर जनता को अनावश्यक हिसाब-किताब रखने/कर-चोरी के अभिशाप व छापों/कालाधन की समस्या से मुक्ति दिलाना।
(2) किसानों को स्वतंत्र आयोग के माध्यम से अपनी उपज की कीमत तय करने का अधिकार देकर और मंडियों में आढ़तीयों के वर्चस्व को खत्म किसानों की समस्याओं का स्थायी समाधान करना।
(3) देश पर नागा व अन्य साधु-संतों एवं भिखारियों के बढते बोझ और इनका नाजायज फायदा उठाने को पनपते माफिया पर अंकुश लगाने के लिए नियामक आयोग बनाना।
(4) शिक्षा,चिकित्सा-स्वास्थ्य(एलोपेथी रहित),खाद्य,जल,स्वच्छता-प्रदूषण,विद्युत,आय से अधिक संपति बनाने वालों पर निगरानी आदि जनता से सीधे जुड़ी सेवाओं के बेहतर संचालन-नियन्त्रण हेतु बड़ी संख्या में शक्तिशाली नियामक आयोग/एजेंसियां बनाना।
(5) सेना,सशस्त्र बलों,CBI,लोकपाल आदि को अधिक सशक्त व अधिकार-सम्पन्न बनाना।
(6) सबसे महत्त्वपूर्ण--समस्त चुनावों को ऑनलाईन करना,इसके लिये प्रत्याशी व मतदाता की न्यूनतम शिक्षा एवं अधिकतम आयु तय कर वोटर को ATM.PIN जैसी Unique ID दी जावे,जिससे देश-विदेश में कहीं भी बैठे 100% वोटर तय समय में वोट डाल पाएंगे और समय खत्म होते ही सॉफ़्टवेयर से परिणाम तैयार मिलेगा। इससे देश की विशाल धनराशि,समय,शक्ति,उर्जा,कागज आदि की बचत होगी। आदर्श आचार संहिता(MCC) लगाने की भी आवश्कता नहीं होगी तो विकास कार्य ठप्प नहीं होंगे एवं EVM,VVPAT आदि पर खर्च होने वाले अरबों रुपये बचेंगे।
(7) इन 5 वर्षों में अयोध्या में राम मंदिर व सरयू पार मस्जिद बन जाए।
(8) विदेशी आक्रामकों/मुगलों द्वारा बदले गए शहरों/गांवों व अन्य स्थानों का पुन: मूल नामकरण करना।
(9) सभी धर्मस्थलों व उनके खजानों(लगभग 5 लाख करोड़ व वार्षिक आय लगभग 18 लाख करोड़) का अधिग्रहण कर,नियामक आयोग बनाकर इनको सामाजिक रुप से उपयोगी(विशेषतः योग-ध्यान,शिक्षा,स्वास्थ्य हेतु) बनाना व खजाने का विकास में खर्च करना।
(10) सोने और शत्रु देशों से आयात पर कई गुना ड्यूटी द्वारा अंकुश और नशीले पदार्थों की आमद पर कड़ा प्रतिबंध व निगरानी रखना।
(11) प्रत्येक नागरिक(अमीर से भिखारी तक) का पूरा विवरण रखना।
(12) जन्म-मृत्यु-विवाह पंजीकरण को अनिवार्य व प्रभावी बनाना।
(13) जनसंख्या नियन्त्रण (धर्म-जाति  की परवाह किये बिना) हेतु प्रभावी कार्यक्रम लागू करना।
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congratulations modi ji

 विश्व के सबसे ताकतवर एवं लोकप्रिय नेता श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी जी को अखंड भारत में प्रचंड बहुमत से उन्हें प्रधानमंत्री बनकर देश का मान बढ़ाने पर सांवरिया और उनकी पूरी टीम द्वारा एवं समस्त देशवासियों की ओर से हार्दिक अभिनंदन एवं तहे दिल से बधाइयां

मंगलवार, 21 मई 2019

घर से कबाड़ और कचरे को हटाकर वास्तु देव की कृपा को बढ़ाएं

"घर से कबाड़ और कचरे को  हटाकर वास्तु देव की कृपा को बढ़ाएं"

✅वास्तु शास्त्र के अनुसार कचरे कबाड़ रखने के लिए नेऋत्य कोण [दक्षिण -पश्चिम] को सबसे उपयुक्त माना गया है ।

✅सर्वप्रथम वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में कचरे कबाड़ होना ही नही चाहिए ,

✅अगर है तो घर के सारे सदस्य छुट्टी के दिन बैठकर अलग अलग कर लें ।

✅कुछ सामान को जरूरतमंद को दे दें क्योंकि आप यह निश्चित मानिये ये आपके कुछ भी काम का नही है ,

✅ये जीवन भर कुछ भी काम नही आने वाला । कुछ सामान को कबाड़ी के पास बेच दें इससे आपको कुछ पैसे मिल जायेंगे

✅ देखिये आपने कबाड़ निकाला नही कि लक्ष्मी कि कृपा शुरू हो गयी ।

✅जरूरत मंद को आपने जैसे ही सामान दिया नही कि वो लोग आपको दुवा देना शुरू कर देंगे ---

✅यह भी समृद्धि कि शुरुवात है ---निर्मल बाबा के अनुसार आपकी कृपा वँही रुकी हुयी थी ----कबाड़ हटाते ही कृपा शुरू हो गई।

✅नेऋत्य कोण वैवाहिक जीवन का कोण है अगर पति-पत्नी के सम्बन्धों में कोई अवरोध या कडुवाहट है तो इस कोण में स्थित कबाड़ को तुरंत घर से बाहर का रास्ता दिखाएँ ।

✅इसी कोण से बच्चों का विवाह देखा जाता है अगर बच्चों के विवाह में कोई बाधा उत्पन्न हो रहा है तो इस कोण के कबाड़ हो तुरंत हटा दें ।

✅पति-पत्नी के बीच अगर तलाक के केस कोर्ट में चल रहे हैं और कोई भी एक पक्ष पुन: मिलने को इच्छुक है तो इस कोण में स्थित कचरे कबाड़ की तुरंत बिदाई की तैयारी करें ।

✅राजनीती के क्षेत्र में काम करने वालो के लिए ---इसी कोण से मतदाताओं के साथ सम्बन्ध देखा जाता है -----

✅राजनेता भूलकर भी इस कोण में कबाड़ न रखें ----राजनेताओं के लिए नेऋत्य कोण अत्यंत महत्व पूर्ण है क्योंकि इसी कोण से पार्टी आलाकमान से सम्बन्ध भी देखा जाता है ,

✅और बगैर आलाकमान से अच्छे सम्बन्ध बनाये आपको पार्टी की टिकिट ,मंत्री पद ,राज्यसभा ,राजभोग मिलने से रहा

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शुक्रवार, 19 अप्रैल 2019

हनुमान_जन्मोत्सव

#बजरंगबलि_हनुमान_का_जन्मदिन_हनुमान_जन्मोत्सव_के_रूप_में_मनाया_जाता_है।

जो इस बार 19 अप्रैल 2019 को दिन शुक्रवार को आ रहा है इस बार चैत्रपूर्णिमा 18 अप्रैल को शाम 6:42 से लग रही है जो 19 अप्रैल को 4:51 बजे तक रहेगी
शास्त्रानुसार, हनुमान जी को श्रीराम का परम भक्त माना जाता है और इसे जुड़ी कई कथाएं भी हैं।

वैसे बजरंगबली के भक्तों में हनुमान जन्मोत्सव पर बहुत ही अधिक उत्साह रहता है और इस दिन उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए वे विशेषरूप से मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं।

हनुमान जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहनें। किसी शांत एवं एकांत कमरे में पूर्व दिशा की ओर मुख करके लाल आसन पर बैठें। स्वयं लाल या पीली धोती पहनें। अपने सामने चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर हनुमानजी की मूर्ति स्थापित करें। चित्र के सामने तांबे की प्लेट में लाल रंग के फूल का आसन देकर श्रीहनुमान यंत्र को स्थापित करें। यंत्र पर सिंदूर से टीका करें और लाल फूल चढ़ाएं। मूर्ति तथा यंत्र पर सिंदूर लगाने के बाद धूप, दीप, चावल, फूल व प्रसाद आदि से पूजन करें।
सरसों या तिल के तेल का दीपक एवं धूप जलाएं-

धर्म ग्रंथों में हनुमानजी के 12 नाम बताए गए हैं, जिनके द्वारा इस दिन उनकी स्तुति की जाती है।

हनुमानजी के इन 12 नामों का जो रात में सोने से पहले व सुबह उठने पर अथवा यात्रा प्रारंभ करने से पहले पाठ करता है, उसके सभी भय दूर हो जाते हैं और उसे अपने जीवन में सभी सुख प्राप्त होते हैं।
वह अपने जीवन में अनेक उपलब्धियां प्राप्त करता है।
हनुमानजी की 12 नामों वाली स्तुति इस प्रकार है-

#स्तुति

हनुमानअंजनीसूनुर्वायुपुत्रो महाबल:। रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिंगाक्षोअमितविक्रम:।।
उदधिक्रमणश्चेव सीताशोकविनाशन:। लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।
एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:। स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत्।।
तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्। राजद्वारे गह्वरे च भयं नास्ति कदाचन।।

इन 12 नामो से होती है हनुमानजी की स्तुति, जानिए इनकी महिमा

1- #हनुमान
हनुमानजी का यह नाम इसलिए पड़ा क्योकी एक बार क्रोधित होकर देवराज इंद्र ने इनके ऊपर अपने वज्र प्रहार किया था यह वज्र सीधे इनकी ठोड़ी (हनु) पर लगा। हनु पर वज्र का प्रहार होने के कारण ही इनका नाम हनुमान पड़ा ।

2- #लक्ष्मणप्राणदाता
जब रावण के पुत्र इंद्रजीत ने शक्ति का उपयोग कर लक्ष्मण को बेहोश कर दिया था, तब हनुमानजी संजीवनी बूटी लेकर आए थे। उसी बूटी के प्रभाव से लक्ष्मण को होश आया था।इस लिए हनुमानजी को लक्ष्मणप्राणदाता भी कहा जाता है ।

3- #दशग्रीवदर्पहा
दशग्रीव यानी रावण और दर्पहा यानी धमंड तोड़ने वाला । हनुमानजी ने लंका जाकर सीता माता का पता लगाया, रावण के पुत्र अक्षयकुमार का वध किया साथ ही लंका में आग भी लगा दी ।इस प्रकार हनुमानजी ने कई बार रावण का धमंड तोड़ा था । इसलिए इनका एक नाम ये भी प्रसिद्ध है ।

4- #रामेष्ट
हनुमान भगवान श्रीराम के परम भक्त हैं । धर्म ग्रंथों में अनेक स्थानों पर वर्णन मिलता है कि श्रीराम ने हनुमान को अपना प्रिय माना है । भगवान श्रीराम को प्रिय होने के कारण ही इनका एक नाम रामेष्ट भी है ।

5- #फाल्गुनसुख
महाभारत के अनुसार, पांडु पुत्र अर्जुन का एक नाम फाल्गुन भी है । युद्ध के समय हनुमानजी अर्जुन के रथ की ध्वजा पर विराजित थे । इस प्रकार उन्होंने अर्जुन की सहायता की । सहायता करने के कारण ही उन्हें अर्जुन का मित्र कहा गया है । फाल्गुन सुख का अर्थ है अर्जुन का मित्र ।

6- #पिंगाक्ष
पिंगाक्ष का अर्थ है भूरी आंखों वाला ।अनेक धर्म ग्रंथों में हनुमानजी का वर्णन किया गया है । उसमें हनुमानजी को भूरी आंखों वाला बताया है । इसलिए इनका एक नाम पिंगाक्ष भी है ।

7- #अमितविक्रम
विक्रम का अर्थ है पराक्रमी और अमित का अर्थ है बहुत अधिक । हनुमानजी ने अपने पराक्रम के बल पर ऐसे बहुत से कार्य किए, जिन्हें करना देवताओं के लिए भी कठिन था । इसलिए इन्हें अमितविक्रम भी कहा जाता हैं ।

8- उदधिक्रमण
उदधिक्रमण का अर्थ है समुद्र का अतिक्रमण करने वाले यानी लांधने वाला । सीता माता की खोज करते समय हनुमानजी ने समुद्र को लांधा था। इसलिए इनका एक नाम ये भी है ।

9- #अंजनीसूनु
माता अंजनी के पुत्र होने के कारण ही हनुमानजी का एक नाम अंजनीसूनु भी प्रसिद्ध है ।

10- #वायुपुत्र
हनुमानजी का एक नाम वायुपुत्र भी है । पवनदेव के पुत्र होने के कारण ही इन्हें वायुपुत्र भी कहा जाता है ।

11- #महाबली
हनुमानजी के बल की कोई सीमा नहीं हैं । इसलिए इनका एक नाम महाबली भी है ।

12- #सीताशोकविनाशन
माता सीता के शोक का निवारण करने के कारण हनुमानजी का ये नाम पड़ा ।

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