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शनिवार, 12 दिसंबर 2020

किसान आंदोलन का पूरा सच -क्यों हो रहा है विरोध

किसान आंदोलन का पूरा सच

 क्यों हो रहा है विरोध,  आखिर क्या है समस्या,

आखिर प्रदर्शन कर रहे किसानों की असली मांगें क्या हैं और उनके प्रदर्शन की सच्चाई क्या है और क्या ये वाकई में एक बड़ी समस्या है. 2020 का किसान प्रदर्शन एक मौजूदा विरोध प्रदर्शन है जो कि इस साल संसद में पारित हुए तीन कृषि बिल के विरोध में शुरू हुआ. ये प्रदर्शन 9 अगस्त 2020 से जारी है. अब ये बिल कानून बन चुके हैं और किसानों ने इनके विरोध में दिल्ली के कई इलाकों में प्रदर्शनकारियों ने सड़कें बंद की हुई हैं.

ये हैं वो तीन कानून

-कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) एक्ट 2020
-मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवाओं पर कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) अनुबंध एक्ट 2020
-आवश्यक वस्तु संशोधन एक्ट

प्रदर्शनकारियों ने कई दिनों से सड़कें ब्लॉक की हुई हैं और वो राष्ट्रीय राजधानी के आस-पास कई जगहों पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

आखिर समस्या क्या है?

सबसे पहले, ये बिल संसद में पारित हो चुके हैं और अब ये कानून बन गए हैं. इसके अलावा, प्रदर्शनकारी अब कई दिनों से लाखों यात्रियों और मेहनती नागरिकों को इन रास्तों से गुजरने से रोक रहे हैं. प्रदर्शनकारियों ने टोल और अन्य क्षेत्रों को भी बंद करने की चेतावनी दी है, जिसके चलते हजारों यात्रियों और कड़ी मेहनत करने वाले नागरिकों के आवागमन पर भी असर पड़ेगा.

प्रदर्शन की सच्चाई क्या है?

प्रदर्शनकारी ये मांग कर रहे हैं कि सरकार संसद का एक विशेष सत्र बुलाए और इन तीनों कृषि कानूनों को रद्द करे. हालांकि जब तक ये कानून किसानों के लिए हानिकारक न हो, तब तक ये थोड़ा कठिन होगा. प्रदर्शनकारियों का दावा है कि APMC को खत्म कर दिया जाएगा और इसके नतीजतन MSP भी खत्म हो जाएगी, लेकिन ये कानून मौजूदा APMC और MSP के स्ट्रक्चर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं. क्योंकि ये कानून राज्यों की शक्तियों का अधिग्रहण नहीं करते हैं, इसलिए ये स्ट्रक्चर भी अपनी जगह पर बने रहेंगे.

अब अंतर सिर्फ इतना है कि अगर किसान भ्रष्ट AMPC के भ्रष्ट बिचौलियों को फसल बेचने के लिए मजबूर है, तो अब वो APMC के बाहर जाकर भी अपनी उपज बेचने का विकल्प चुन सकता है. इसी के साथ प्रदर्शनकारी दावा कर रहे हैं कि किसानों को कॉर्पोरेट्स द्वारा परेशान किया जाएगा. किसानों और कॉरपोरेट्स के बीच समझौते के लिए एक और शब्द है- कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग और एक तथ्य यह भी है कि कई राज्यों में दशकों से कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग चल रही है. भारत के कई हिस्सों में कॉफी, चाय, गन्ने और कपास के लिए कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग काफी समय से हो रही है. पश्चिम बंगाल और पंजाब में पेप्सिको और हरियाणा में SAB मिलर कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करने वाले कॉन्ट्रेक्टर्स के बड़े उदाहरण हैं. एक बात जो प्रदर्शनकारियों की असलियत को स्पष्ट करती है, वह यह है कि वे अनुचित मांगें कर रहे हैं.

क्या हैं किसानों की अनुचित मांगें

प्रदर्शनकारियों ने मांग की है कि कृषि उपयोग के लिए डीजल की कीमतों में 50 फीसदी तक की कटौती की जाए और पराली जलाने पर लगाए जाने वाले जुर्माने को हटाए. मालूम हो कि पराली जलाना, हर साल राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ने के मुख्य कारणों में से एक है. जो मामले किसानों से संबंधित नहीं हैं, उनसे संबंधित भी कई मांगें किसानों ने रखी हैं. उनमें से एक मांग ये भी है कि कथित मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, कवियों, बुद्धिजीवियों और लेखकों पर दर्ज मामले वापस लिए जाएं और उन्हें रिहा किया जाए.

हालंकि इन लोगों की जो लिस्ट है उसमें शामिल लोग मानवाधिकार कार्यकर्ता, कवि, बुद्धिजीवि और लेखकों की श्रेणी से दूर-दूर तक संबंधित नहीं हैं. उदाहरण के लिए लिस्ट में उमर खालिद का भी नाम है, जिस पर दिल्ली हिंसा के दौरान दिल्ली के नागरिकों के खिलाफ नागरिकों को उकसाने का आरोप है. अन्य 20 लोगों को भी दिल्ली दंगों और भीमा कोरेगांव हिंसा में उनकी भूमिकाओं के लिए UAPA एक्ट के तहत जेल में डाला गया है.

इन प्रदर्शनों में खालिस्तान समर्थक झंडे दिखना और अर्बन नक्सल की रिहाई की मांग किया जाना भी परेशान करने वाली बात है. खालिस्तान आंदोलन एक सिख अलगाववादी आंदोलन है जो सिखों के लिए एक अलग देश की मांग कर रहा है. भारत में पूरी तरह से संप्रभु राज्य स्थापित करने के इरादे से चरमपंथियों द्वारा इस आंदोलन का समर्थन दिया जाता है.

प्रदर्शनकारियों की मांगों का एक हिस्सा अर्बन नक्सल की रिहाई की मांग कर रहा है. आपकी राय इन 20 व्यक्तियों के बारे में कुछ भी हो सकती है, लेकिन उनकी रिहाई का भारतीय किसान या उनके कल्याण से क्या संबंध हो सकता है? अब पॉइंट पर वापस आते हैं

किसी मामले पर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करना सही है, लेकिन अब ये प्रदर्शन भारतीय किसानों के भले के लिए नहीं बचा है. अब इसने एक अतिवादी और सांप्रदायिक रुख ले लिया है जो अब कई दिनों से लाखों लोगों के लिए परेशानी का कारण बन गया है. यात्रियों को हर रोज भारी ट्रैफिक का सामना करना पड़ता है और मेहनती नागरिक इन प्रदर्शनों का असली खामियाजा भुगत रहे हैं. मालूम हो कि ये कोरोना महामारी के दौरान हो रहा है. हम यह भी नहीं जानते हैं कि विरोध के कारण एम्बुलेंस को भी देरी हो रही है या नहीं.

आखिर प्रदर्शन का असली कारण क्या है?

क्या कृषि सुधारों के विरोध में भारतीय नागरिकों के कल्याण और सशक्तीकरण के बारे में विरोध के आधार पर मेहनती नागरिकों के लिए इस तरह की असुविधा उचित है? एक तरफ प्रदर्शनकारी प्रदर्शनों और बंद को जारी रखे हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ किसानों को इन कानूनों से फायदा भी होने लगा है. उदाहरण के लिए महाराष्ट्र में चार जिलों की किसान उत्पादक कंपनियों ने APMC के बाहर व्यापार से लगभग 10 करोड़ रुपये कमाए हैं. यह बिल पास होने के लगभग तीन महीने बाद की बात है.

किसानों के विरोध प्रदर्शन को मीडिया में काफी बढ़ावा दिया जा रहा है, लेकिन ये विरोध किसी एक मुद्दे को लेकर नहीं है. दिल्ली के दंगों और भीमा कोरेगांव के दौरान जिन लोगों पर हिंसा का आरोप लगाया गया है, उन्हें मुक्त कराने की कोशिश की जा रही है – ये दोनों ही घटनाएं आतंकवाद हैं… यहीं से साबित होता है कि यह प्रदर्शन भारतीय किसानों के लिए नहीं है. ये विरोध भारत के हित में नहीं है और न ही ये हमें किसी भी तरह से प्रगति करने में मदद करता है.

सोर्स TV9 भारतवर्ष


शुक्रवार, 11 दिसंबर 2020

वनस्पतियों की पत्तियों से तैयार किये जाने वाले, पत्तलों और उनसे होने वाले लाभ


*'संकल्प छोटा, परिणाम बड़ा'* 

*संकल्प लें सहभोज मे पत्तलों का प्रयोग कर माँ प्रकृति का सम्मान करेंगे*...।

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा, कि हमारे देश में 2000 से अधिक वनस्पतियों की पत्तियों से तैयार किये जाने वाले, पत्तलों और उनसे होने वाले लाभों के विषय में पारम्परिक चिकित्सकीय ज्ञान उपलब्ध है, पर मुश्किल से पाँच प्रकार की वनस्पतियों का प्रयोग हम अपनी दिनचर्या मे करते हैं।
आम तौर पर केले की पत्तियो में खाना परोसा जाता है...प्राचीन ग्रंथों में केले की पत्तियों पर परोसे गये भोजन को, स्वास्थ्य के लिये लाभदायक बताया गया है.. आजकल महंगे होटलों और रिसोर्ट मे भी केले की पत्तियों का यह प्रयोग होने लगा है..।

1. पलाश के पत्तल में भोजन करने से जो पुण्य व आरोग्य मिलता है वह स्वर्ण के बर्तन में भोजन करने से भी नहीं  मिलता है...।
2. केले के पत्तल में भोजन करने से, चांदी के बर्तन में भोजन करने का पुण्य व आरोग्य मिलता है..।
3. रक्त की अशुद्धता के कारण होने वाली बीमारियों के लिये, पलाश से तैयार पत्तल को उपयोगी माना जाता है.... पाचन तंत्र सम्बन्धी रोगों के लिये भी, इसका उपयोग होता है....। आम तौर पर लाल फूलों वाले पलाश को हम जानते हैं, पर सफेद फूलों वाला पलाश भी उपलब्ध है.... इस दुर्लभ पलाश से तैयार पत्तल को बवासीर (पाइल्स) के रोगियों के लिये उपयोगी माना जाता है...।

4. जोडों के दर्द के लिये, करंज की पत्तियों से तैयार पत्तल उपयोगी माना जाता है.... पुरानी पत्तियों को नयी पत्तियों की तुलना मे अधिक उपयोगी माना जाता है...।
5. लकवा (पैरालिसिस) होने पर, अमलतास की पत्तियों से तैयार पत्तलों को उपयोगी माना जाता है..।

इसके अन्य लाभ~
1. सबसे पहले तो उसे धोना नहीं पड़ेगा, इसको हम सीधा मिटटी में दबा सकते है।
2. न पानी नष्ट होगा।
3. न केमिकल (रासायनिक पदार्थ ) उपयोग करने पड़ेंगे। और न ही  शरीर को आंतरिक हानि पहुंचेगी।
4. अधिक से अधिक वृक्ष उगाये जायेंगे, जिससे कि अधिक ऑक्सीजन भी मिलेगी।
5. प्रदूषण भी घटेगा।
6. सबसे महत्वपूर्ण झूठे पत्तलों को एक जगह गाड़ने पर, खाद का निर्माण किया जा सकता है एवं मिटटी की उपजाऊ क्षमता को भी बढ़ाया जा सकता है।
7. पत्तल बनाए वालों को भी रोजगार प्राप्त होगा।
8. सबसे मुख्य लाभ, हम नदियों को दूषित होने से बहुत बड़े स्तर पर बचा
सकते हैं।
 *चलें प्रकृति के साथ, करें संस्कृति का सम्मान।* 🌹🙏
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11 दिसम्बर 2020 को एकादशी है वह त्रिस्पर्शा एकादशी है

*ऊँ जय गोमाता!🕉 जय गोपाल!!*
🕉 बन्धुबर जय सियाराम
11 दिसम्बर 2020  को एकादशी है वह त्रिस्पर्शा एकादशी है मतलब उस दिन एकादशी द्वादशी और त्रयोदशी एक ही दिन हैं अर्थात सबसे बड़ी एकादशी मानी गई है इसका उपवास करने से एक हजार एकादशी उपवास करने का पुण्य फल प्राप्त होता है। मनुष्य 40 वर्ष तक एकादशी का उपवास करते हैं तब उनकी एक हजार एकादशी होती है मतलब कि 40 वर्ष का पुण्य एक ही दिन में प्राप्त होता है तो इसका सभी सनातनी पूर्ण लाभ लें ऐसी सबसे विनम्र प्रार्थना है। जय श्रीसीताराम जी 🙏नमो राघवाय 🙏कल्यानमस्तु ✋

सोमवार, 7 दिसंबर 2020

किसान आंदोलन: राष्ट्र विरोधी शक्तियों का अंतिम प्रहार



किसान आंदोलन: राष्ट्र विरोधी शक्तियों का अंतिम प्रहार
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लगता था कि सितंबर 2020 के बाद भारत को सीमाओं पर और आंतरिक रूप से झझकोरा जाएगा। भारत में लगने वाली यह आंतरिक दवानल, चीन के लिए उस अनुकूल स्थिति का निर्माण करेगी, जिसमे भारत की सीमाओं पर आक्रमण करने का चीन का मार्ग प्रशस्त करेगी। मुझे भारत चीन की सीमाओं की भौगोलिक परिस्थिति व वहां पर शीतकाल की बर्फीली दुर्गमता देखते हुए, दिसम्बर 2020 से पहले या फिर फरवरी 2021 में चीन द्वारा भारत पर आक्रमण किये जाने की आशंका थी। 

लगता है कि अब जब नवम्बर 2020 बीत चुका है और दिसम्बर 2020 के आते आते  दिल्ली में पंजाब का किसान, किसान बिल 2020 के विरोध में आंदोलन प्रारम्भ कर चुका है, तब भारत के जलने की घड़ी भी पास आती जा रही है। 

जिस प्रकार नवम्बर 2019 में दिल्ली में सीएए के विरोध में शाहीनबाग़ में धरना दिया गया था और फिर वहां से शेष भारत मे सीएए के विरोध की आड़ में मोदी सरकार व राष्ट्र विरोधी उग्रता फैलाई गई थी, ठीक उसी की पुनरावृत्ति, और बड़े स्तर पर होता देख रहा हूँ। 

जिस प्रकार वामपंथियों और लिबर्ल्स के नेतृत्व में शुरू हुआ सीएए विरोधी आंदोलन का नेतृत्व कट्टर इस्लामिक शक्तियों के हाथ मे चला गया था, ठीक उसी प्रकार कांग्रेसियों और आपियों द्वारा शुरू किया गया यह किसान आंदोलन भी शीघ्र ही प्रत्यक्ष रूप से खालिस्तानियों और कट्टर इस्लामिको के हाथ चला जायेगा। 

सीएए विरोधी आंदोलन में तो इस्लामिक कट्टरपंथियों ने बुर्के से बाहर आने में समय लगाया था लेकिन इस किसान बिल 2020 विरोधी आंदोलन ने शुरू में ही अपनी खालिस्तानी पगड़ी दिखा दी है। 

इस बार यह लोग अपने इस इस्लामिक और खालिस्तानी गठजोड़ को किसी आवरण में छिपा भी नही पाए है। पंजाब से आये पगड़ीधारी सिख किसानों के लिए मस्जिदों में चल रहे लंगर, इनकी भूमिका निभाते हुए लोगो के हाथ मे जम्मू कश्मीर से धारा 370 फिर से लागू किये जाने की मांग करते हुए प्लेकार्ड, ओठों से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का गुणगान और इंद्रा गांधी की तरह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को गोली मार देने की उद्घोषणा, इन राष्ट्र विरोधी खालिस्तानियों और कट्टर इस्लामियों के इस भरत मिलाप को प्रत्यक्षता प्रदान कर रही है। इनको कांग्रेस के साथ भारत के विपक्ष का पूरा समर्थन प्राप्त है। 

यह आने वाले समय मेंं और उग्र होता जाएगा और दिल्ली की सीमाओं से बाहर निकल यह सब तरफ फैलेगा। हो सकता है इस किसान बिल विरोधी आंदोलन में अन्य विरोधी अपनी-अपनी मांगों को लेकर जुड़ कर, जनता को एक सामूहिकता का बोध कराए लेकिन इसकी केंद्रीय शक्ति कट्टर इस्लामिक शक्तियों के ही हाथ मे होगी। 

यह किसान आंदोलन, सोनिया कांग्रेस का, भारत को छिन्न-भिन्न करने का अंतिम अवसर भी है। सोनिया गांधी के साथ-साथ सभी विपक्षियों को इस बात का भान है कि चीन और पाकिस्तान से लगी भारत की सीमाएं उद्दवेलित है और मोदी सरकार, चीनी कारोना महामारी से लड़खड़ाई भारत की अर्थव्यवस्था को पुनर्स्थापित करने और आर्थिक मंदी से पीड़ित भारत की जनता को संभालने में लगी, इस बाह्य व आंतरिक चुनौतियों से जूझ रही है। ऐसे में उनका आंकलन यही है कि यह काल नरेंद्र मोदी जी के विपरीत है और उनको, जनता की भावनाओं को भड़का, अराजकता फैला कर, सफलतापूर्वक अस्थिर किया जा सकता है। 

आंकलन है कि यह आंदोलन और उससे जनित अराजकता तब तक नही धमेगी, जबतक भारत पर चीन, अपनी खोई सैन्य प्रतिष्ठा को पुनः स्थापित करने के लिए, आक्रमण नही करता है। जिसकी संभावना फरवरी 2021 से पहले नही है। 

यहां यह बहुत संभव है कि चीन की शह पर, पाकिस्तान, जिसकी आर्थिक व राजनैतिक स्थिति दिन-प्रति-दिन बिगड़ती जा रही है और वहां पर विपक्षी दलों व जनता में पाकिस्तानी सेना की राजनैतिक भूमिका को लेकर आक्रोश सार्वजनिक आने लगे है, वह, अपनी असफलताओं पर आवरण डालने के लिए, कश्मीर का बहाना बना कर, भारत को दोनों सीमाओं पर उलझाने के लिए आक्रमण कर सकता है। 

इस पर कोई संदेह नही है कि भारत के साथ-साथ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी भी अपने राजनैतिक जीवन के सबसे संकटकालीन काल मे प्रवेश कर चुके है। 

इसपर भी कोई संदेह नही है कि मोदी जी, तमाम कष्टों और विभीषका के उपरांत भी, भारत को इस महासंकट से सुरक्षित निकाल लेंगे। शायद प्रारब्ध ने, नरेंद्र मोदी जी की यही भूमिका चुनी है। 

काल ने भारत और उसके सनातन को सुरक्षित बनाये रखने के लिए ही वैराग्य की उत्कंठा लिए साधुमार्ग पर चल रहे वैरागी को, लौटा कर, राजनीति के पथ का पथिक बनाया है। 

कल वाराणसी में देवदीपावली के अवसर पर, गंगा तट पर शिव स्त्रोत सुनते व वाराणसी तट का विहंगम दृश्य देखते हुए, मोदी जी के स्वरूप और भाव भंगिमा ने यह अनुभूति प्रदान की है कि यह व्यक्ति, सांसारिक प्रांगण से स्वयं को विच्छिन्न करने की प्रक्रिया में प्रविष्ट कर चुका है।

ऐसी मनोस्थिति में पहुंचा व्यक्ति, मनोभावनाओं के कुरुक्षेत्र को पार कर, संवेदनाओं के स्तर पर तटस्थ होता जाता है। जब ऐसा होता है तो ऐसे व्यक्ति की धर्म-अधर्म, सत्य-असत्य और पाप-पुण्य के बीच की स्पष्टता समग्र हो जाती है। ऐसा व्यक्ति, शेष विश्व की प्रतिक्रिया, आंकलन और विचारों के मोहजाल को काट निर्मोही हो जाता है।

आगामी आने वाले 6/7 माह का काल, भारत के पथ पर कंटक बनी हर शक्तियों पर इस निर्मोही के प्रतिकार का काल है। यह काल कष्ट जरूर देगा लेकिन इसे हमें प्रसवपीड़ा के भांति स्वीकारना होगा। रामकृपा से 2021 का वर्ष जब अस्तांचल को जा रहा होगा, तब भारत अपने ब्रह्ममूर्त के अंधकार को छोड़, उदय हो रहा होगा। 
#pushkerawasthi

हम अपनी पुरातन संस्कृति के अच्छे स्वरूप और सही अवधारणा के साथ प्रस्तुत करें


सनातन सरोकार ने समाज को तोड़ा नही जोडा है।*
विवाह के समय समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े *दलित* को जोड़ते हुये अनिवार्य किया कि *दलित* स्त्री द्वारा बनाये गये चुल्हे पर ही सभी शुभाशुभ कार्य होगें। इस तरह सबसे पहले *दलित* को जोडा गया । *धोबी* के द्वारा दिये गये जल से ही कन्या सुहागन रहेगी इस तरह धोबी को जोड़ा।
*कुम्हार*  द्वारा दिये गये मिट्टी के कलश पर ही देवताओ के पुजन होगें यह कहते हुये कुम्हार को जोडा।
 *मुसहर जाति* जो वृक्ष के पत्तों से पत्तल/दोनिया बनाते है यह कहते हुये जोड़ा कि इन्हीं के बनाए गये पत्तल/दोनीयों से देवताओं का पूजन सम्पन्न होंगे।
 *कहार* जो जल भरते थे यह कहते हुए जोड़ा कि इन्हीं के द्वारा दिये गये जल से देवताओं के पुजन होगें।
 *बिश्वकर्मा* जो लकड़ी के कार्य करते थे यह कहते हुये जोड़ा कि इनके द्वारा बनाये गये आसन/चौकी पर ही बैठकर वर-वधू देवताओं का पुजन करेंगे।

*धारीकार* जो डाल और मौरी को दुल्हे के सर पर रख कर द्वारचार कराया जाता है,को यह कहते हुये जोड़ा गया कि इनके द्वारा बनाये गये उपहारों के बिना देवताओं का आशीर्वाद नहीं मिल सकता।
 *डोम* जो गंदगी साफ और मैला ढोने का काम किया करते थे उन्हें यह कहकर जोड़ा गया कि *मरणोंपरांत* इनके द्वारा ही प्रथम मुखाग्नि दिया जायेगा....

इस तरह समाज के सभी वर्ग जब आते थे तो घर कि महिलायें मंगल गीत का गायन करते हुये उनका स्वागत करती है।
और पुरस्कार सहित दक्षिणा देकर विदा करते है 

*दोष सनातन में नहीं है बल्कि दोष उन लालची , सत्ता की लूटपाट में अपना हिस्सा सुनिश्चित करने के जाति के नाम पर संगठन बना कर सनातनी हिन्दुओं का ढोंग कर रहे है

यहाँ *नाई* से पूछा जाता था कि क्या सभी वर्गो कि उपस्थिति हो गयी है...?
 *नाई* के हाँ कहने के बाद ही * मंगल-पाठ प्रारम्भ होता हैं।

********मैं सनातन के ज़रिए फिर से जोड़ने की सशक्त क्रिया शुरू कर चुका हूँ 

*देश में फैले हुये *साधुओं* और *सनातन विरोधी* शक्तियों का विरोध करना होगा जो अपनी अज्ञानता को छिपाने के लिये *वेदो* कि निन्दा करते हुए पूर्ण भौतिकता का आनन्द ले रहे हैं।......

*याद रखो जो मंदिर ज्ञान के भण्डार थे उनको दुकान किसने बनाया, चढ़ावे को लेकर अदालतों में हज़ारों मुक़दमे एक दूसरे के ख़िलाफ़ किसने किए हैं!

हम सब का उद्देश्य यही होना चाहिए कि हम अपनी पुरातन संस्कृति के अच्छे स्वरूप और सही अवधारणा के साथ प्रस्तुत करें और हर 
जातिवादी नेता और राष्ट्रवाद की आड़ में जाति की स्वार्थ साधने में लगे हुए हैं!
इनको सरेआम बेनक़ाब करना होगा !


*पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ*

गुरुवार, 3 दिसंबर 2020

WhatsApp पर ऐसे शेड्यूल करें मैसेज


अब बर्थडे विश के लिए रात 12 बजे तक जागने की नहीं पड़ेगी जरूरत, WhatsApp पर ऐसे शेड्यूल करें मैसेज


आप WhatsApp पर मैसेज को शेड्यूल कर सकते हैं. 
अगर आप किसी को 12 बजे जन्मदिन की बधाई देना चाहते हैं या फिर किसी को जरूरी मैसेज करना चाहते हैं, तो यह आपके बहुत काम आने वाली ट्रिक है

इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप WhatsApp यूं ही नहीं पॉपुलर ऐप बना है. ये ऐप अपने यूजर्स की हर जरूरत का ख्याल रखता है. अक्सर हम अपने दोस्तों या फिर करीबियों को बर्थडे विश करने के लिए रात 12 बजे तक जागते रहते हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी ट्रिक बता रहे हैं जिसके बाद आपको विश करने के लिए देर रात तक नहीं जागना पड़ेगा. आइए जानते हैं इस ट्रिक के बारे में.

दरअसल आप WhatsApp पर मैसेज को शेड्यूल कर सकते हैं. अगर आप किसी को 12 बजे जन्मदिन की बधाई देना चाहते हैं या फिर किसी को जरूरी मैसेज करना चाहते हैं, तो यह आपके बहुत काम आने वाली ट्रिक है.


WhatsApp पर ऐसे शेड्यूल करें मैसेज

WhatsApp पर मैसेज शेड्यूल करने के लिए गूगल प्ले स्टोर से SKEDit नाम का थर्ड पार्टी ऐप डाउनलोड करना होगा.

अब इसके बाद ऐप ओपन करें और Sign Up करना पड़ेगा.

अब Login करने के बाद मेन मैन्यू में दिए गए WhatsApp ऑप्शन पर टैप करना होगा.
इतना करने के बाद आपसे कुछ परमिशन मांगी जाएंगी.

अब Enable Accessibility पर क्लिक करके Use service पर टैप करना होगा.

अब आप जिसे भी WhatsApp चैट पर मैसेज शेड्यूल करना चाहते हैं उस कॉन्टैक्ट का नाम डालें और फिर मैसेज टाइप करके डेट व टाइम सेट करें.

इतना करने के बाद सेट किए गए डेट और टाइम पर अपने आप मैसेज सेंड चला जाएगा.

मंगलवार, 1 दिसंबर 2020

अगर चलती ट्रैन से फ़ोन गिर जाए तो आपकों क्या करना चाहिए ?

हम लोगों में से कई लोगो के मन में यह ख्याल एक न एक बार अवश्य आया होगा कि अगर कभी चलती ट्रेन से उनका मोबाइल फोन या कोई कीमती सामान गिर जाए तो क्या वह सामान उन्हें वापस मिल सकता हैं?

क्या हम ट्रैन कि चैन को खींच कर ऐसे मौके पर ट्रैन को रुकवा सकते हैं?

कई लोगों को लगता हैं कि यदि कोई सामान या मोबाइल फोन अगर एक बार चलती ट्रेन से गिर गया तो वो कभी नहीं मिलता लेकिन अगर आप भी ऐसा सोचतें हैं तो शायद आप गलत हैं।

सुनसान जगह पर फ़ोन के किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा उठा लेने का मौका बेहद कम रहता हैं ऐसे में अगर सुनसान इलाके में आपका फ़ोन गिरा हैं तो उसके वापस मिलने कि उम्मीद ज़्यादा हैं।

आप रेलवे कि हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करके उन्हें बता दे कि आपका फ़ोन कब और किस जगह गिरा हैं। अगर आपकी किस्मत थोड़ी भी अच्छी रहीं और फ़ोन या सामान सुनसान जगह गिरा हैं तो उसके मिलने कि संभावना रहती हैं।

रेलवे द्वारा फ़ोन या सामान मिलने पर आप उस सामान के मालिक होने का सबूत देकर उसे प्राप्त कर सकते हैं।

ऐसे मौक़े पर ट्रेन कि चैन खींचना सही नहीं रहता क्योंकि ट्रैन में वह सिर्फ इमरजेंसी के लिए रहती हैं।तथा आपको सह यात्रियों के गुस्से का सामना भी करना पड़ सकता हैं।

( छवि स्त्रोत : सोशल मीडिया)

पिप्पलाद ऋषि कौन थे ? पिप्पलाद ऋषि का शनिदेव से क्या संबंध है ?

श्मशान में जब महर्षि दधीचि के मांसपिंड का दाह संस्कार हो रहा था तो उनकी पत्नी अपने पति का वियोग सहन नहीं कर पायीं और पास में ही स्थित विशाल पीपल वृक्ष के कोटर में 3 वर्ष के बालक को रख स्वयम् चिता में बैठकर सती हो गयीं। इस प्रकार महर्षि दधीचि और उनकी पत्नी का बलिदान हो गया किन्तु पीपल के कोटर में रखा बालक भूख प्यास से तड़प तड़प कर चिल्लाने लगा।

जब कोई वस्तु नहीं मिली तो कोटर में गिरे पीपल के गोदों(फल) को खाकर बड़ा होने लगा। कालान्तर में पीपल के पत्तों और फलों को खाकर बालक का जीवन येन केन प्रकारेण सुरक्षित रहा।

एक दिन देवर्षि नारद वहाँ से गुजरे। नारद ने पीपल के कोटर में बालक को देखकर उसका परिचय पूंछा-

नारद- बालक तुम कौन हो ?

बालक- यही तो मैं भी जानना चाहता हूँ ।

नारद- तुम्हारे जनक कौन हैं ?

बालक- यही तो मैं जानना चाहता हूँ ।

तब नारद ने ध्यान धर देखा।नारद ने आश्चर्यचकित हो बताया कि हे बालक ! तुम महान दानी महर्षि दधीचि के पुत्र हो। तुम्हारे पिता की अस्थियों का वज्र बनाकर ही देवताओं ने असुरों पर विजय पायी थी। नारद ने बताया कि तुम्हारे पिता दधीचि की मृत्यु मात्र 31 वर्ष की आयु में ही हो गयी थी।

बालक- मेरे पिता की अकाल मृत्यु का कारण क्या था ?

नारद- तुम्हारे पिता पर शनिदेव की महादशा थी।

बालक- मेरे ऊपर आयी विपत्ति का कारण क्या था ?

नारद- शनिदेव की महादशा।

इतना बताकर देवर्षि नारद ने पीपल के पत्तों और गोदों को खाकर जीने वाले बालक का नाम पिप्पलाद रखा और उसे दीक्षित किया।

नारद के जाने के बाद बालक पिप्पलाद ने नारद के बताए अनुसार ब्रह्मा जी की घोर तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया। ब्रह्मा जी ने जब बालक पिप्पलाद से वर मांगने को कहा तो पिप्पलाद ने अपनी दृष्टि मात्र से किसी भी वस्तु को जलाने की शक्ति माँगी।ब्रह्मा जी से वर मिलने पर सर्वप्रथम पिप्पलाद ने शनि देव का आह्वाहन कर अपने सम्मुख प्रस्तुत किया और सामने पाकर आँखे खोलकर भष्म करना शुरू कर दिया।शनिदेव सशरीर जलने लगे। ब्रह्मांड में कोलाहल मच गया। सूर्यपुत्र शनि की रक्षा में सारे देव विफल हो गए। सूर्य भी अपनी आंखों के सामने अपने पुत्र को जलता हुआ देखकर ब्रह्मा जी से बचाने हेतु विनय करने लगे।अन्ततः ब्रह्मा जी स्वयम् पिप्पलाद के सम्मुख पधारे और शनिदेव को छोड़ने की बात कही किन्तु पिप्पलाद तैयार नहीं हुए।ब्रह्मा जी ने एक के बदले दो वर मांगने की बात कही। तब पिप्पलाद ने खुश होकर निम्नवत दो वरदान मांगे-

1- जन्म से 5 वर्ष तक किसी भी बालक की कुंडली में शनि का स्थान नहीं होगा।जिससे कोई और बालक मेरे जैसा अनाथ न हो।

2- मुझ अनाथ को शरण पीपल वृक्ष ने दी है। अतः जो भी व्यक्ति सूर्योदय के पूर्व पीपल वृक्ष पर जल चढ़ाएगा उसपर शनि की महादशा का असर नहीं होगा।

ब्रह्मा जी ने तथास्तु कह वरदान दिया।तब पिप्पलाद ने जलते हुए शनि को अपने ब्रह्मदण्ड से उनके पैरों पर आघात करके उन्हें मुक्त कर दिया । जिससे शनिदेव के पैर क्षतिग्रस्त हो गए और वे पहले जैसी तेजी से चलने लायक नहीं रहे।अतः तभी से शनि "शनै:चरति य: शनैश्चर:" अर्थात जो धीरे चलता है वही शनैश्चर है, कहलाये और शनि आग में जलने के कारण काली काया वाले अंग भंग रूप में हो गए। सम्प्रति शनि की काली मूर्ति और पीपल वृक्ष की पूजा का यही धार्मिक हेतु है।आगे चलकर पिप्पलाद ने प्रश्न उपनिषद की रचना की,जो आज भी ज्ञान का वृहद भंडार है ।

सोमवार, 30 नवंबर 2020

मेवाड़ धरा की लाडली श्रीमती किरण माहेश्वरी जी का असामयिक निधन


आज लिखे बगैर रहा भी नहीं जा रहा, 
और लिखा भी नहीं जा रहा। क्या क्या लिखूं, कितना लिखूं !!

आज जीवन के क्षणभंगुर होने का, क्षणिक होने का प्रायोगिक अनुभव हो रहा है। 
वाकई प्रकृति बहुत निष्ठुर है।

ऐसा लग रहा है कि ईश्वर वाकई राजसमंद से रूठ गया है। 

आप राजसमंद के इतिहास और वर्तमान का एक पृष्ठ नहीं, पूरी किताब थी।

राजसमंद के हर क्षेत्र में, हर कोने में आप रची बसी है।

कोरोना की भयावहता आज सचमुच डरा रही है। 

korona के कारण आज राजसमंद ही नहीं अपितु मेवाड़ की सबसे बड़ी क्षति हुई है।

देश की संसद में उदयपुर का प्रतिनिधित्व करने वाली राजस्थान की पूर्व कैबिनेट मंत्री वर्तमान मैं राजसमंद विधायक, भारतीय जनता पार्टी  की कद्दावर और वरिष्ठ नेत्री, मेवाड़ धरा की लाडली परम सम्मानीय श्रीमती किरण माहेश्वरी जी का अनायास हम सब को छोड़कर चले जाना वास्तव में हृदय विदारक पल है निसहाय, गरीब, दलित, शोषित, मजदूर और पिछड़े वर्गों की सेवा सुश्रुषा को अपना अहोभाग्य मानने वाली परम शख्सियत को ईश्वर अपने श्री चरणों वास दें और उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें ।
 ॐ शांति ॐ

शनिवार, 28 नवंबर 2020

सर्व रोगनाशक रोग प्रतिरोधक औषधि है - चमत्कारी त्रिफला

 चमत्कारी त्रिफला



त्रिफला तीन श्रेष्ठ औषधियों हरड, बहेडा व आंवला के पिसे मिश्रण से बने चूर्ण को कहते है।जो की मानव-जाति को हमारी प्रकृति का एक अनमोल उपहार है त्रिफला सर्व रोगनाशक रोग प्रतिरोधक और आरोग्य प्रदान करने वाली औषधि है। त्रिफला से कायाकल्प होता है त्रिफला एक श्रेष्ठ रसायन, एन्टिबायोटिक व ऐन्टिसेप्टिक है इसे आयुर्वेद का पेन्सिलिन भी कहा जाता है। त्रिफला का प्रयोग शरीर में वात पित्त और कफ़ का संतुलन बनाए रखता है। यह रोज़मर्रा की आम बीमारियों के लिए बहुत प्रभावकारी औषधि है सिर के रोग, चर्म रोग, रक्त दोष, मूत्र रोग तथा पाचन संस्थान में तो यह रामबाण है। नेत्र ज्योति वर्धक, मल-शोधक,जठराग्नि-प्रदीपक, बुद्धि को कुशाग्र करने वाला व शरीर का शोधन करने वाला एक उच्च कोटि का रसायन है। आयुर्वेद की प्रसिद्ध औषधि त्रिफला पर भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर, ट्राम्‍बे,गुरू नानक देव विश्‍वविद्यालय, अमृतसर और जवाहर लाल नेहरू विश्‍वविद्यालय में रिसर्च करनें के पश्‍चात यह निष्‍कर्ष निकाला गया कि त्रिफला कैंसर के सेलों को बढ़नें से रोकता है।
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 हरड

हरड को बहेड़ा का पर्याय माना गया है। हरड में लवण के अलावा पाँच रसों का समावेश होता है। हरड बुद्धि को बढाने वाली और हृदय को मजबूती देने वाली,पीलिया ,शोध ,मूत्राघात,दस्त, उलटी, कब्ज, संग्रहणी, प्रमेह, कामला, सिर और पेट के रोग, कर्णरोग, खांसी, प्लीहा, अर्श, वर्ण, शूल आदि का नाश करने वाली सिद्ध होती है। यह पेट में जाकर माँ की तरह से देख भाल और रक्षा करती है। भूनी हुई हरड के सेवन से पाचन तन्त्र मजबूत होता है। हरड को चबाकर खाने से अग्नि बढाती है। पीसकर सेवन करने से मल को बाहर निकालती है। जल में पका कर उपयोग से दस्त, नमक के साथ कफ, शक्कर के साथ पित्त, घी के साथ सेवन करने से वायु रोग नष्ट हो जाता है। हरड को वर्षा के दिनों में सेंधा नमक के साथ, सर्दी में बूरा के साथ, हेमंत में सौंठ के साथ, शिशिर में पीपल, बसंत में शहद और ग्रीष्म में गुड के साथ हरड का प्रयोग करना हितकारी होता है। भूनी हुई हरड के सेवन से पाचन तन्त्र मजबूत होता है। 200 ग्राम हरड पाउडर में 10-15 ग्राम सेंधा नमक मिलाकर रखे। पेट की गड़बडी लगे तो शाम को 5-6 ग्राम फांक लें । गैस, कब्ज़, शरीर टूटना, वायु-आम के सम्बन्ध से बनी बीमारियों में आराम होगा ।

*बहेडा *

बहेडा वात,और कफ को शांत करता है। इसकी छाल प्रयोग में लायी जाती है। यह खाने में गरम है,लगाने में ठण्डा व रूखा है, सर्दी,प्यास,वात , खांसी व कफ को शांत करता है यह रक्त, रस, मांस ,केश, नेत्र-ज्योति और धातु वर्धक है। बहेडा मन्दाग्नि ,प्यास, वमन कृमी रोग नेत्र दोष और स्वर दोष को दूर करता है बहेडा न मिले तो छोटी हरड का प्रयोग करते है

*आंवला *

आंवला मधुर शीतल तथा रूखा है वात पित्त और कफ रोग को दूर करता है। इसलिए इसे त्रिदोषक भी कहा जाता है आंवला के अनगिनत फायदे हैं। नियमित आंवला खाते रहने से वृद्धावस्था जल्दी से नहीं आती।आंवले में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है,इसका विटामिन किसी सी रूप (कच्चा उबला या सुखा) में नष्ट नहीं होता, बल्कि सूखे आंवले में ताजे आंवले से ज्यादा विटामिन सी होता है। अम्लता का गुण होने के कारण इसे आँवला कहा गया है। चर्बी, पसीना, कपफ, गीलापन और पित्तरोग आदि को नष्ट कर देता है। खट्टी चीजों के सेवन से पित्त बढता है लेकिन आँवला और अनार पित्तनाशक है। आँवला रसायन अग्निवर्धक, रेचक, बुद्धिवर्धक, हृदय को बल देने वाला नेत्र ज्योति को बढाने वाला होता है।

*त्रिफला बनाने के लिए तीन मुख्य घटक हरड, बहेड़ा व आंवला है इसे बनाने में अनुपात को लेकर अलग अलग ओषधि विशेषज्ञों की अलग अलग राय पाई गयी है *

कुछ विशेषज्ञों कि राय है की ———

तीनो घटक (यानी के हरड, बहेड़ा व आंवला) सामान अनुपात में होने चाहिए
कुछ विशेषज्ञों कि राय है की यह अनुपात एक, दो तीन का होना चाहिए
कुछ विशेषज्ञों कि राय में यह अनुपात एक, दो चार का होना उत्तम है
और कुछ विशेषज्ञों के अनुसार यह अनुपात बीमारी की गंभीरता के अनुसार अलग-अलग मात्रा में होना चाहिए ।एक आम स्वस्थ व्यक्ति के लिए यह अनुपात एक, दो और तीन (हरड, बहेडा व आंवला) संतुलित और ज्यादा सुरक्षित है। जिसे सालों साल सुबह या शाम एक एक चम्मच पानी या दूध के साथ लिया जा सकता है। सुबह के वक्त त्रिफला लेना पोषक होता है जबकि शाम को यह रेचक (पेट साफ़ करने वाला) होता है।

* ऋतू के अनुसार सेवन विधि :-*
1.शिशिर ऋतू में ( 14 जनवरी से 13 मार्च) 5 ग्राम त्रिफला को आठवां भाग छोटी पीपल का चूर्ण मिलाकर सेवन करें।
2.बसंत ऋतू में (14 मार्च से 13 मई) 5 ग्राम त्रिफला को बराबर का शहद मिलाकर सेवन करें।
3.ग्रीष्म ऋतू में (14 मई से 13 जुलाई ) 5 ग्राम त्रिफला को चोथा भाग गुड़ मिलाकर सेवन करें।
4.वर्षा ऋतू में (14 जुलाई से 13 सितम्बर) 5 ग्राम त्रिफला को छठा भाग सैंधा नमक मिलाकर सेवन करें।
5.शरद ऋतू में(14 सितम्बर से 13 नवम्बर) 5 ग्राम त्रिफला को चोथा भाग देशी खांड/शक्कर मिलाकर सेवन करें।
6.हेमंत ऋतू में (14 नवम्बर से 13 जनवरी) 5 ग्राम त्रिफला को छठा भाग सौंठ का चूर्ण मिलाकर सेवन करें।

ओषधि के रूप में त्रिफला

रात को सोते वक्त 5 ग्राम (एक चम्मच भर) त्रिफला चुर्ण हल्के गर्म दूध अथवा गर्म पानी के साथ लेने से कब्ज दूर होता है।

अथवा त्रिफला व ईसबगोल की भूसी दो चम्मच मिलाकर शाम को गुनगुने पानी से लें इससे कब्ज दूर होता है।

इसके सेवन से नेत्रज्योति में आश्चर्यजनक वृद्धि होती है।

सुबह पानी में 5 ग्राम त्रिफला चूर्ण साफ़ मिट्टी के बर्तन में भिगो कर रख दें, शाम को छानकर पी ले। शाम को उसी त्रिफला चूर्ण में पानी मिलाकर रखें, इसे सुबह पी लें। इस पानी से आँखें भी धो ले। मुँह के छाले व आँखों की जलन कुछ ही समय में ठीक हो जायेंगे।

शाम को एक गिलास पानी में एक चम्मच त्रिफला भिगो दे सुबह मसल कर नितार कर इस जल से आँखों को धोने से नेत्रों की ज्योति बढती है।

एक चम्मच बारीख त्रिफला चूर्ण, गाय का घी10 ग्राम व शहद 5 ग्राम एक साथ मिलाकर नियमित सेवन करने से आँखों का मोतियाबिंद, काँचबिंदु, द्रष्टि दोष आदि नेत्ररोग दूर होते है। और बुढ़ापे तक आँखों की रोशनी अचल रहती है।

त्रिफला के चूर्ण को गौमूत्र के साथ लेने से अफारा, उदर शूल, प्लीहा वृद्धि आदि अनेकों तरह के पेट के रोग दूर हो जाते है।

त्रिफला शरीर के आंतरिक अंगों की देखभाल कर सकता है, त्रिफला की तीनों जड़ीबूटियां आंतरिक सफाई को बढ़ावा देती हैं।

चर्मरोगों में (दाद, खाज, खुजली, फोड़े-फुंसी आदि) सुबह-शाम 6 से 8 ग्राम त्रिफला चूर्ण लेना चाहिए।

एक चम्मच त्रिफला को एक गिलास ताजा पानी मे दो- तीन घंटे के लिए भिगो दे, इस पानी को घूंट भर मुंह में थोड़ी देर के लिए डाल कर अच्छे से कई बार घुमाये और इसे निकाल दे। कभी कभार त्रिफला चूर्ण से मंजन भी करें इससे मुँह आने की बीमारी, मुहं के छाले ठीक होंगे, अरूचि मिटेगी और मुख की दुर्गन्ध भी दूर होगी ।

त्रिफला, हल्दी, चिरायता, नीम के भीतर की छाल और गिलोय इन सबको मिला कर मिश्रण को आधा किलो पानी में जब तक पकाएँ कि पानी आधा रह जाए और इसे छानकर कुछ दिन तक सुबह शाम गुड या शक्कर के साथ सेवन करने से सिर दर्द कि समस्या दूर हो जाती है।

त्रिफला एंटिसेप्टिक की तरह से भी काम करता है। इस का काढा बनाकर घाव धोने से घाव जल्दी भर जाते है।

त्रिफला पाचन और भूख को बढ़ाने वाला और लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि करने वाला है।

मोटापा कम करने के लिए त्रिफला के गुनगुने काढ़े में शहद मिलाकर ले।त्रिफला चूर्ण पानी में उबालकर, शहद मिलाकर पीने से चरबी कम होती है।

त्रिफला का सेवन मूत्र-संबंधी सभी विकारों व मधुमेह में बहुत लाभकारी है। प्रमेह आदि में शहद के साथ त्रिफला लेने से अत्यंत लाभ होता है।

त्रिफला की राख शहद में मिलाकर गरमी से हुए त्वचा के चकतों पर लगाने से राहत मिलती है।

5 ग्राम त्रिफला पानी के साथ लेने से जीर्ण ज्वर के रोग ठीक होते है।

5 ग्राम त्रिफला चूर्ण गोमूत्र या शहद के साथ एक माह तक लेने से कामला रोग मिट जाता है।

टॉन्सिल्स के रोगी त्रिफला के पानी से बार-बार गरारे करवायें।

त्रिफला दुर्बलता का नास करता है और स्मृति को बढाता है। दुर्बलता का नास करने के लिए हरड़, बहेडा, आँवला, घी और शक्कर मिला कर खाना चाहिए।

त्रिफला, तिल का तेल और शहद समान मात्रा में मिलाकर इस मिश्रण कि 10 ग्राम मात्रा हर रोज गुनगुने पानी के साथ लेने से पेट, मासिक धर्म और दमे की तकलीफे दूर होती है इसे महीने भर लेने से शरीर का सुद्धिकरन हो जाता है और यदि 3 महीने तक नियमित सेवन करने से चेहरे पर कांती आ जाती है।

त्रिफला, शहद और घृतकुमारी तीनो को मिला कर जो रसायन बनता है वह सप्त धातु पोषक होता है। त्रिफला रसायन कल्प त्रिदोषनाशक, इंद्रिय बलवर्धक विशेषकर नेत्रों के लिए हितकर, वृद्धावस्था को रोकने वाला व मेधाशक्ति बढ़ाने वाला है। दृष्टि दोष, रतौंधी (रात को दिखाई न देना), मोतियाबिंद, काँचबिंदु आदि नेत्ररोगों से रक्षा होती है और बाल काले, घने व मजबूत हो जाते हैं।

डेढ़ माह तक इस रसायन का सेवन करने से स्मृति, बुद्धि, बल व वीर्य में वृद्धि होती है।

दो माह तक सेवन करने से चश्मा भी उतर जाता है।

विधिः 500 ग्राम त्रिफला चूर्ण, 500 ग्राम देसी गाय का घी व 250 ग्राम शुद्ध शहद मिलाकर शरदपूर्णिमा की रात को चाँदी के पात्र में पतले सफेद वस्त्र से ढँक कर रात भर चाँदनी में रखें। दूसरे दिन सुबह इस मिश्रण को काँच अथवा चीनी के पात्र में भर लें।

सेवन-विधिः बड़े व्यक्ति10 ग्राम छोटे बच्चे 5 ग्राम मिश्रण सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ लें दिन में केवल एक बार सात्त्विक, सुपाच्य भोजन करें। इन दिनों में भोजन में सेंधा नमक का ही उपयोग करे। सुबह शाम गाय का दूध ले सकते हैं।सुपाच्य भोजन दूध दलिया लेना उत्तम है.

मात्राः 4 से 5 ग्राम तक त्रिफला चूर्ण सुबह के वक्त लेना पोषक होता है जबकि शाम को यह रेचक (पेट साफ़ करने वाला) होता है। सुबह खाली पेट गुनगुने पानी के साथ इसका सेवन करें तथा एक घंटे बाद तक पानी के अलावा कुछ ना खाएं और इस नियम का पालन कठोरता से करें ।

सावधानीः दूध व त्रिफलारसायन कल्प के सेवन के बीच में दो ढाई घंटे का अंतर हो और कमजोर व्यक्ति तथा गर्भवती स्त्री को बुखार में त्रिफला नहीं खाना चाहिए।

घी और शहद कभी भी सामान मात्रा में नहीं लेना चाहिए यह खतरनाक  जहर होता है ।

त्रिफला चूर्णके सेवन के एक घंटे बाद तक चाय-दूध कोफ़ी आदि कुछ भी नहीं लेना चाहिये।

त्रिफला चूर्ण हमेशा ताजा खरीद कर घर पर ही सीमित मात्रा में (जो लगभग तीन चार माह में समाप्त हो जाये ) पीसकर तैयार करें व सीलन से बचा कर रखे और इसका सेवन कर पुनः नया चूर्ण बना लें।

त्रिफला से कायाकल्प

कायाकल्प हेतु निम्बू लहसुन ,भिलावा,अदरक आदि भी है। लेकिन त्रिफला चूर्ण जितना निरापद और बढ़िया दूसरा कुछ नहीं है।आयुर्वेद के अनुसार त्रिफला के नियमित सेवन करने से कायाकल्प हो जाता है। मनुष्य अपने शरीर का कायाकल्प कर सालों साल तक निरोग रह सकता है, देखे कैसे ?

एक वर्ष तक नियमित सेवन करने से शरीर चुस्त होता है।

दो वर्ष तक नियमित सेवन करने से शरीर निरोगी हो जाता हैं।

तीन वर्ष तक नियमित सेवन करने से नेत्र-ज्योति बढ जाती है।

चार वर्ष तक नियमित सेवन करने से त्वचा कोमल व सुंदर हो जाती है ।

पांच वर्ष तक नियमित सेवन करने से बुद्धि का विकास होकर कुशाग्र हो जाती है।

छः वर्ष तक नियमित सेवन करने से शरीर शक्ति में पर्याप्त वृद्धि होती है।

सात वर्ष तक नियमित सेवन करने से बाल फिर से सफ़ेद से काले हो जाते हैं।

आठ वर्ष तक नियमित सेवन करने से वृद्धाव्स्था से पुन: योवन लोट आता है।

नौ वर्ष तक नियमित सेवन करने से नेत्र-ज्योति कुशाग्र हो जाती है और सूक्ष्म  से सूक्ष्म वस्तु भी आसानी से दिखाई देने लगती हैं।

दस वर्ष तक नियमित सेवन करने से वाणी मधुर हो जाती है यानी गले में सरस्वती का वास हो जाता है।

ग्यारह वर्ष तक नियमित सेवन करने से वचन सिद्धि प्राप्त हो जाती है अर्थात व्यक्ति जो भी बोले सत्य हो जाती है।

अमर शहीद राष्ट्रगुरु, आयुर्वेदज्ञाता, होमियोपैथी ज्ञाता स्वर्गीय भाई राजीव दीक्षित जी को जाने व इनके ज्ञान को ग्रहण कर इनके व अपने  सपनो (स्वस्थ व समृद्ध भारत) को पूरा करने हेतु अपना समय दान दें

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