यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, 29 मई 2021

शीश कटे लड़े वीर वो ही कहलाये क्षत्रिय, क्षात्रधर्म को मिटाने के लिए मुगलो का साजिश का एक हिस्सा है शराब

शीश कटे लड़े वीर वो ही कहलाये क्षत्रिय, क्षात्रधर्म को मिटाने के लिए मुगलो का साजिश का एक हिस्सा है शराब



जय सनातन जय हिन्दू
जय हिंद जय राजपुताना

ये सिर्फ़ एक मुग़लों का षड्यंत्र था हिंदुओं को कमजोर करने का !
जानिये एक ऐतिहासिक घटना.

"एक षड्यंत्र और शराब की घातकता...."
कैसे हिंदुओं की सुरक्षा प्राचीर को ध्वस्त किया मुग़लों ने ??

जानिये और फिर सुधार कीजिये !!

मुगल बादशाह का दिल्ली में दरबार लगा था और हिंदुस्तान के दूर दूर के राजा महाराजा दरबार में हाजिर थे ।
उसी दौरान मुगल बादशाह ने एक दम्भोक्ति की "है कोई हमसे बहादुर इस दुनिया में ?"
सभा में सन्नाटा सा पसर गया ,एक बार फिर वही दोहराया गया !
तीसरी बार फिर उसने ख़ुशी से चिल्ला कर कहा "है कोई हमसे बहादुर जो हिंदुस्तान पर सल्तनत कायम कर सके ??

सभा की खामोशी तोड़ती एक बुलन्द शेर सी दहाड़ गूंजी तो सबका ध्यान उस शख्स की और गया !

वो जोधपुर के महाराजा राव रिड़मल राठौड थे !

रिड़मल जी राठौड़ ने कहा, "मुग़लों में बहादुरी नहीँ कुटिलता है..., सबसे बहादुर तो राजपूत है दुनियाँ में !मुगलो ने राजपूतो को आपस में लड़वा कर हिंदुस्तान पर राज किया !कभी सिसोदिया राणा वंश को कछावा जयपुर से तो कभी राठोड़ो को दूसरे राजपूतो से...।

बादशाह का मुँह देखने लायक था ,
ऐसा लगा जैसे किसी ने चोरी करते रंगे हाथो पकड़ लिया हो।

"बाते मत करो राव...उदाहरण दो वीरता का।"

रिड़मल राठौड़  ने कहा "क्या किसी कौम में देखा है किसी को सिर कटने के बाद भी लड़ते हुए ??"

बादशाह बोला ये तो सुनी हुई बात है देखा तो नही ,
रिड़मल राठौड़ बोले " इतिहास उठाकर देख लो कितने वीरो की कहानिया है सिर कटने के बाद भी लड़ने की ... "

बादशाह हसा और दरबार में बेठे कवियों की और देखकर बोला
"इतिहास लिखने वाले तो मंगते होते है ।  मैं भी 100 मुगलो के नाम लिखवा दूँ इसमें क्या ?
मुझे तो जिन्दा ऐसा राजपूत बताओ जो कहे की मेरा सिर काट दो में फिर भी लड़ूंगा।"

राव रिड़मल राठौड़ निरुत्तर हो गए और गहरे सोच में डूब गए। रात को सोचते सोचते अचानक उनको रोहणी ठिकाने के जागीरदार का ख्याल आया।

रात को 11 बजे रोहणी ठिकाना (जो की जेतारण कस्बे जोधपुर रियासत) में दो घुड़सवार बुजुर्ग जागीरदार के पोल पर पहुंचे और मिलने की इजाजत मांगी।
ठाकुर साहब काफी वृद्ध अवस्था में थे फिर भी उठ कर मेहमान की आवभगत के लिए बाहर पोल पर आये ,,
घुड़सवारों ने प्रणाम किया और वृद्ध ठाकुर की आँखों में चमक सी उभरी और मुस्कराते हुए बोले
" जोधपुर महाराज... आपको मैंने गोद में खिलाया है और अस्त्र शस्त्र की शिक्षा दी है.. इस तरह भेष बदलने पर भी में आपको आवाज से पहचान गया हूँ।
हुकम आप अंदर पधारो...मैं आपकी रियासत का छोटा सा जागीरदार, आपने मुझे ही बुलवा लिया होता।

राव रिड़मल राठौड़ ने उनको झुककर प्रणाम किया और बोले एक समस्या है , और बादशाह के दरबार की पूरी कहानी सुना दी

अब आप ही बताये की जीवित योद्धा का कैसे पता चले की ये लड़ाई में सिर कटने के बाद भी लड़ेगा ?

रोहणी जागीदार बोले ," बस इतनी सी बात..
मेरे दोनों बच्चे सिर कटने के बाद भी लड़ेंगे
और आप दोनों को ले जाओ दिल्ली दरबार में ये आपकी और राजपूती की लाज जरूर रखेंगे "

राव रिड़मल राठौड़ को घोर आश्चर्य हुआ कि एक पिता को कितना विश्वास है अपने बच्चो पर.. , मान गए राजपूती धर्म को।
सुबह जल्दी दोनों बच्चे अपने अपने घोड़ो के साथ तैयार थे!

उसी समय ठाकुर साहब ने कहा ," महाराज थोडा रुकिए !!
मैं एक बार इनकी माँ से भी कुछ चर्चा कर लूँ इस बारे में।"
राव रिड़मल राठौड़  ने सोचा आखिर पिता का ह्रदय है
कैसे मानेगा !
अपने दोनों जवान बच्चो के सिर कटवाने को ,
एक बार रिड़मल जी ने सोचा की मुझे दोनों बच्चो को यही छोड़कर चले जाना चाहिए।
ठाकुर साहब ने ठकुरानी जी को कहा
" आपके दोनों बच्चो को दिल्ली मुगल बादशाह के दरबार में भेज रहा हूँ सिर कटवाने को ,
दोनों में से कौनसा सिर कटने के बाद भी लड़ सकता है ?
आप माँ हो आपको ज्यादा पता होगा !
ठकुरानी जी ने कहा
"बड़ा लड़का तो क़िले और क़िले के बाहर तक भी लड़ लेगा पर
छोटा केवल परकोटे में ही लड़ सकता है क्योंकि पैदा होते ही इसको मेरा दूध नही मिला था। लड़ दोनों ही सकते है, आप निश्चित् होकर भेज दो"

दिल्ली के दरबार में आज कुछ विशेष भीड़ थी और हजारो लोग इस दृश्य को देखने जमा थे।

बड़े लड़के को मैदान में लाया गया और
मुगल बादशाह ने जल्लादो को आदेश दिया की इसकी गर्दन उड़ा दो..
तभी बीकानेर महाराजा बोले "ये क्या तमाशा है ?

राजपूती इतनी भी सस्ती नही हुई है , लड़ाई का मौका दो और फिर देखो कौन बहादुर है ?

बादशाह ने खुद के सबसे मजबूत और कुशल योद्धा बुलाये और कहा ये जो घुड़सवार मैदान में खड़ा है उसका सिर् काट दो...

20 घुड़सवारों को दल रोहणी ठाकुर के बड़े लड़के का सिर उतारने को लपका और देखते ही देखते उन 20 घुड़सवारों की लाशें मैदान में बिछ गयी।

दूसरा दस्ता आगे बढ़ा और उसका भी वही हाल हुआ ,
मुगलो में घबराहट और झुरझरि फेल गयी ,
इसी तरह बादशाह के 500 सबसे ख़ास योद्धाओ की लाशें मैदान में पड़ी थी और उस वीर राजपूत योद्धा के तलवार की खरोंच भी नही आई।
ये देख कर मुगल सेनापति ने कहा
" 500 मुगल बीबियाँ विधवा कर दी आपकी इस परीक्षा ने अब और मत कीजिये हजुर , इस काफ़िर को गोली मरवाईए हजुर...
तलवार से ये नही मरेगा...

कुटिलता और मक्कारी से भरे मुगलो ने उस वीर के सिर में गोलिया मार दी।
सिर के परखचे उड़ चुके थे पर धड़ ने तलवार की मजबूती कम नही करी
और मुगलो का कत्लेआम खतरनाक रूप से चलते रहा।

बादशाह ने छोटे भाई को अपने पास निहत्थे बैठा  रखा था
ये सोच कर की  ये बड़ा यदि बहादुर निकला तो इस छोटे को कोई जागीर दे कर अपनी सेना में भर्ती कर लूंगा
लेकिन जब छोटे ने ये अंन्याय देखा तो उसने झपटकर बादशाह की तलवार निकाल ली।

उसी समय बादशाह के अंगरक्षकों ने उनकी गर्दन काट दी फिर भी धड़ तलवार चलाता गया और अंगरक्षकों समेत मुगलो का काल बन गए।

बादशाह भाग कर कमरे में छुप गया और बाहर मैदान में बड़े भाई और अंदर परकोटे में छोटे भाई का पराक्रम देखते ही बनता था।

हजारो की संख्या में मुगल हताहत हो चुके थे और आगे का कुछ पता नही था।
बादशाह ने चिल्ला कर कहा अरे कोई रोको इनको..।

एक मौलवी आगे आया और बोला इन पर शराब छिड़क दो।

राजपूत का इष्ट कमजोर करना हो तो शराब का उपयोग करो।

दोनों भाइयो पर शराब छिड़की गयी ऐसा करते ही दोनों के शरीर ठन्डे पड़ गए।
मौलवी ने बादशाह को कहा *हजुर ये लड़ने वाला इनका शरीर नही बल्कि इनकी कुल देवी है और ये राजपूत शराब से दूर रहते है और अपने धर्म और इष्ट को मजबूत रखते है।*

यदि मुगलो को हिन्दुस्तान पर शासन करना है तो इनका इष्ट और धर्म भ्रष्ट करो और इनमे दारु शराब की लत लगाओ।
यदि मुगलो में ये कमियां हटा दे तो मुगल भी मजबूत बन जाएंगे।

उसके बाद से ही राजपूतो में मुगलो ने शराब का प्रचलन चलाया और धीरे धीरे राजपूत शराब में डूबते गए और अपनी इष्ट देवी को आराधक से खुद को भ्रष्ट  करते गए।

*मुगलो ने मुसलमानो को कसम खिलवाई की शराब पीने के बाद नमाज नही पढ़ी जा सकती। इसलिए इससे दूर रहिये।*

माँसाहार जैसी राक्षसी प्रवृत्ति पर गर्व करने वाले राजपूतों को यदि ज्ञात हो तो बताएं और आत्म मंथन करें कि महाराणा प्रताप की बेटी की मृत्यु जंगल में भूख से हुई थी क्यों ...?
यदि वो मांसाहारी होते तो जंगल में उन्हें जानवरों की कमी थी क्या मार खाने के लिए...?
इसका तात्पर्य यह है कि राजपूत हमेशा शाकाहारी थे केवल कुछ स्वार्थी राजपूतों ने जिन्होंने मुगलों की आधिनता स्वीकार कर ली थी वे मुगलों को खुश करने के लिए उनके साथ मांसाहार करने लगे और अपने आप को मुगलों का विश्वासपात्र साबित करने की होड़ में गिरते चले गये

हिन्दू भाइयो ये सच्ची घटना है और हमे हिन्दू समाज को इस कुरीति से दूर करना होगा।

तब ही हम पुनः खोया वैभव पा सकेंगे और हिन्दू धर्म की रक्षा कर सकेंगे।

धर्मो रक्षति रक्षितः

जय श्री राम जय हिंद
जय सनातन जय हिन्दू

लाश तब तक नहीं दी जाती जब तक पूरा पेमेंट न हो जाये

जब अंधे घोड़े को बेचना होता है तो तारीफ उसके पैरों की करी जाती है!



क्या बालकृष्ण या रामदेव के अस्पताल में भर्ती हो जाने से एलोपैथी के कसाई डॉक्टर (अधिकांश) दूध के धुले साबित हो जाते हैं !!

तो फिर कोरोनिल खाने वालों के कारण बाबा भी उजले साबित हो जाते हैं !!  

बात हर गलत का विरोध है।

 न कि पैथी का विरोध !!

लाख बुरे होंगे बाबा रामदेव
पर न तो वे कसाई हैं। जो मजबूर रोगी से बिना इलाज वाले इलाज का 7 से 40 लाख ले रहें हैं !!

कोई भर्त्सना करेगा कि क्यों इतना बिल !!

लाख बुरे होंगे बाबा रामदेव  लेकिन राक्षस नहीं है। 
गैरउपलब्ध और जान न बचाने वाली रेमडीसीवीर दवा नहीं लिखी। 

क्या कोई निंदा करेगा कि जब WHO, ICMR से लेकर तमाम बड़े चिकित्सकों ने इसे जान न बचाने वाली कहा। 
तो फिर इसे क्यों लिखा गया !! 
क्यों लोगों के गहने बिकवा दिए ,कर्जदार बनवा दिया। 
धिक्कार कहिये !!

लाख बुरे होंगे बाबा  
पर पिशाच नहीं है।
ऑनलाइन कंसल्टेंसी के 6,000 से लेकर 50,000 नहीं लिए। 

निःशुल्क परामर्श देते आ रहें हैं। 

कभी हिम्मत करके उनके भी नाम पर थूक दो, जो ये अमानवीय रकम ऑनलाइन फीस की ले रहें हैं !!

लाख होंगे बाबा खराब
पर आदमखोर नहीं हैं।

क्यों नहीं अपनी पैथी से उन कसाई डॉक्टरों को निकाला ! क्यों नहीं, उनके हॉस्पिटल को सीज करके सरकारी हॉस्पिटल बनाया जो नकली रेमडीसीवीर इंजेक्शन भी 75,000 रुपयों में लगाकर रक्तपिशाच बने हुए हैं। 
दर्जनों न्यूज़ लोग देख चुके हैं !!

लाख होंगे बाबा व्यापारी 
पर कफनखोर नहीं है। 
भर्ती रोगी तक समान पंहुचाने से लेकर किट के सबसे अलग अलग राशि नहीं वसूला।

एक ही किट पहनकर पूरे वार्ड में घूमने वाले सबसे अलग अलग किट के लाखों वसूल रहें हैं।

जेनेरिक दवा देकर कई गुना MRP पर बिल बनता है।
और लाश तब तक नहीं दी जाती जब तक पूरा पेमेंट न हो जाये !! 
कभी सोचा कि गिरेबान में झांक लें !!

लाख आंख मारते होंगे बाबा  लेकिन कभी मरे हुए को जिंदा बताकर बिल नहीं लिया !! 

क्या एक भी ऐसा उदाहरण है कि ऐसा करने वालो को चिकित्सा बिरादरी ने भर्त्सना कर उनको कानून के हवाले किया हो !!

लाख मुंहफट होंगे बाबा !! लेकिन कमीशनखोर नहीं हैं !!  
इनको शर्म नहीं आती कि हॉस्पिटल में रजिस्ट्रेशन का क्या तुक है !!

क्या हम किसी दुकान से वस्तु लेंगे, तो उसके यहां रेजिस्ट्रेशन करवाएंगे !!
 
क्यों नहीं इनमें से कोई बोला कि ये गोरखधंधा है !! 
क्यों हर रिपोर्ट पर 40% कमीशन इनको पहुंच जाता है !!
क्या कोई बोला कि ये हराम की कमाई है,इसे बंद करो!!

धन्यवाद thyrocare का जिसने कहा कि हम डॉ को कट या कमीशन नहीं देंगे। और लैब स्थापित कर रोगी को सस्ती सेवाएं दे रहें हैं।

लाख होंगे बाबा नालायक  लेकिन इस लायक तो है ही कि हॉस्पिटल में जो 100 रुपये वाली सांस फुलाने वाली मशीन रेस्पिरोमेट्री के MRP 650 रुपये लेकर सांस फुलाओ कहते हो !! बाबा रोज निःशुल्क करवाता है। 


*एक बार तो कह दो कि जिन लोगों ने प्राणायाम कर फेफड़ों को ठीक रखा,* 
*वे गम्भीर नहीं हुए ,उनको ओक्सिजन पर या तो नहीं जाना पड़ा या रिकवरी जल्दी हुई !!* 

शर्म आती है बाबा से !!

दरअसल बाबा ने कुछ लोगों की पूंछ अपने पांव के नीचे दबा रखी हैं..... वो सालो से बिलबिला रहे है...जब भी काटने का मौका मिलता है... बाबा को काटने के लिए लपकते हैं .....!!


बस उन लोगों की इतनी ही औकात हैं!!

😜😛🤔👹👺

जब धीरूभाई ने गडकरी से कहा -मैं हार गया तुम जीत गए :



जब धीरूभाई ने गडकरी से कहा -मैं हार गया तुम जीत गए :- 


साल था 1995 । महाराष्ट्र की युति सरकार में युवा नितिन गडकरी को लोक निर्माण मंत्री बनाया गया । उनके कार्यकाल में देश का सबसे महत्वाकांक्षी मुम्बई पुणे एक्सप्रेस वे बनाने की कार्य योजना तैयार गई  । 

उस समय धीरुभाई अंबानी महाराष्ट्र के सबसे बड़े उद्योगपति थे । शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे से उनकी नजदीकी सभी को पता थी ।  तो इस एक्सप्रेसवे के निर्माण का टेंडर निकाला गया । धीरूभाई ने सबसे कम 3,600 करोड़ रुपये का टेंडर जमा किया । शिव सेना ने तय कर दिया था कि यह ठेका धीरूभाई को ही जायेगा

लेकिन नितिन गडकरी ने एक जबरदस्त पेंच फंसा दिया। उन्होंने कैबिनेट मीटिंग में कह दिया कि सड़क 2,000 करोड़ रुपये से कम की लागत से पूरी होगी। लेकिन दिक्क्क्त यह थी सबसे कम निविदा 3,600 करोड़ रुपये की थी। कैबिनेट में सहयोगियों ने कहा कि जिसका सबसे कम टेंडर होगा उसे काम मिलना चाहिए लेकिन गडकरी ने उपमुख्यमंत्री मुंडे को कहा कि 2,000 करोड़ रुपये तक के काम के लिए 3600 करोड़ रुपये बहुत अधिक हैं। निविदा खारिज कर देना चाहिए ।

उस समय, धीरूभाई का मुम्बई में जबरदस्त दबदबा था।लेकिन गडकरी ने मुख्यमंत्री मनोहर जोशी और मुंडे को मना लिया कि वे सस्ती सड़कों का निर्माण करेंगे । उस समय सरकार के पास उतना पैसा नहीं था। तो जोशी ने पूछा कि पैसा कहां से आएगा। गडकरी ने कहा कि "मेरे ऊपर विश्वास करे ।  मैं करता हूँ बंदोबस्त ।" 

मुख्यमंत्री मनोहर जोशी ने गडकरी की बात को मानते हुए टेंडर कैंसिल कर दिया । ये अम्बानी परिवार के लिए बहुत बड़ा झटका था ।

धीरुभाई के बालासाहेब ठाकरे और प्रमोद महाजन के साथ बहुत अच्छे संबंध थे। धीरुभाई निविदा की अस्वीकृति से नाराज थे। उन्होंने नाराजगी भी जताई। प्रमोद महाजन ने नितिन गडकरी से कहा कि वे धीरूभाई से मिलें और समझें।

महाजन की बात गडकरी टाल नहीं सकते थे । नितिन गडकरी धीरूभाई से मिलने गए। अनिल, मुकेश और धीरूभाई  तीनों के साथ गडकरी ने भोजन किया। 

डिनर के बाद धीरूभाई ने नितिन से पूछा कि "सड़क कैसे बनानी है? यदि निविदा खारिज कर दी गयी है, तो अब यह कैसे होगा?" ऐसा कहकर धीरूभाई ने नितिन गडकरी को एक तरह से चुनौती दे दी। उन्होंने कहा "मैंने ऐसे कहने वाले बहुत लोगो को देखा है लेकिन कुछ नहीं होगा।"

नितिन गडकरी ने भी धीरूभाई की बात को दिल पे ले लिया और कहा कि "धीरूभाई, अगर मैं इस सड़क का निर्माण नहीं कर पाता हूं, तो मैं अपनी मूंछें कटा दूंगा । और अगर बना दिया तो आप क्या करोगे ? यह आप सोच लेना ।"

उनकी बैठक समाप्त हुई।और नितिन अम्बानी को चैलेंज देकर चले आये ।

अब सवाल यह था कि सड़क कैसे बनेगी और पैसा कहां से आएगा ? 

नितिन गडकरी ने अपने कौशल के बल पर उस समय राज्य में महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम की स्थापना की। पब्लिक और कंपनियों के माध्यम से पैसे जुटाए गए । । मनोहर जोशी और गोपीनाथ मुंडे की मदद से और मुंगिरवार इंजीनियर की देखरेख में काम शुरू हुआ। नितिन गडकरी ने 2,000 करोड़ रुपये से कम में काम करके दिखा दिया । सब लोग गडकरी की प्रतिभा के कायल हो गए 

धीरूभाई के पास भी बात पहुँची । वे हेलीकॉप्टर से सड़क देखने निकले । एक्सप्रेस वे देख वे आश्चर्य चकित हो गए । उन्होंने तुरंत नितिन गडकरी को मिलने के लिए बुलाया। वे मेकर्स चैंबर में फिर से मिले। जब वे मिले, तो धीरूभाई ने कहा, "नितिन, मैं हार गया, तुम जीत गए। आपने सड़क बनाकर दिखा दी ।"  

धीरूभाई ने नितिन गडकरी से कहा कि अगर देश में आप जैसे 4-5 लोग हैं, तो देश का भाग्य बदल जाएगा। सरकारी धन को बचाने के लिए धीरुभाई जैसे बड़े व्यक्ति के साथ पंगा लेने वाले नितिन गडकरी ने जिस चुनौती देकर अपना काम किया वह आज भी याद किया जाता है ।

आज ये सारी बातें इसलिए क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व अध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता और केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का आज जन्मदिवस है।

उनका जन्म 27 मई 1964 को हुआ था । 
उन्हें जन्मदिवस की हार्दिक बधाई। शुभकामनाएं

आयुर्वेद और होम्योपैथी को हर कदम पर अग्नि परीक्षा के लिए कहा जाता है। लेकिन एलोपैथी को सौ गलतियाँ माफ़

*आयुर्वेद और होम्योपैथी को हर कदम पर अग्नि परीक्षा के लिए कहा जाता है। लेकिन एलोपैथी को सौ गलतियाँ माफ़



ताज़ा वायरस के मामले में...

1 *पहले हाईड्रॉक्सिक्लोरोक्विन को अचूक माना...*
दुनिया में भगदड़ मची उसको लेने की। फिर उसका नाम हटा लिया, कहा कि वो प्रभावी नहीं। 

2  *सैनिटाइजर को हर वक़्त जेब में रखने की सलाह के बाद उसके ज़्यादा उपयोग के खतरे भी चुपके से बता दिए गए।*

3 *फिर बारी आई प्लाज़्माथैरेपी की। पूरा माहौल बनाया, रिसर्च रिपोर्ट्स आईं, लोग फिर उसमें जी जान से जुट गए। लेने, अरेंज और मैनेज करने और प्लाज़्मा डोनेट करने में भी।*

और फिर बहुत सफाई से हाथ झाड़ लिया, ये कहते हुए... कि भाई ये इफेक्टिव नहीं है।

4 *स्टेरॉयड थैरेपी तो क्या कमाल थी भाई साहब। कोई और विकल्प ही नहीं था। कई अवतार मार्केट में पैदा हुए। कालाबाज़ारी हो गई, बेचारी जनता ने भाग दौड़ करते हुए, मुंहमांगे पैसे दे कर किसी तरह उनका इंतज़ाम किया। अब कहा गया कि ब्लैक फंगस तो स्टेरॉयड के मनमाने प्रयोग का नतीजा है।*

5 *रेमडेसीवीर इंजेक्शन तो जीवनरक्षक अलंकार के साथ मार्केट में अवतरित हुआ। इसको ले कर जो मानसिक, शारीरिक और आर्थिक फ्रंट पर युद्ध लड़े जाते उनकी महिमा तो मीडिया में लगभग हर दिन गायी जाती। लेकिन अरबों-खरबों बेचने के बाद अब उसको भी अप्रभावी' कह कर चुपचाप साइड में बैठा दिया।*

*दूसरी तरफ मात्र 20 रुपये की होम्योपैथिक दवा आर्सेनिक एल्बम 30, 100 रुपये की Aspidosperma Q, या 500 रुपये के मासिक खर्च वाले कोरोनिल, 20 रुपए के काढ़े और 10 रुपए की अमृतधारा को हर दिन कठघरे में जा कर अपने सच्चे और काम की वस्तु होने का प्रमाण देना पड़ता है।*

*क्लीनिकल रिसर्च ही अगर आधार है तो फिर इतने यू टर्न क्यों ? टेस्ट अगर जनता पर ही करने हैं तो फिर हिमालयन जड़ी बूटी वाला खानदानी  दवाखाना क्या बुरा है !*

जनता का फॉर्मूला बहुत सीधा है: "महंगा है, अंग्रेज़ी नाम है... तो असर ज़रूर करेगा। और साइड इफ़ेक्ट ? वो तो हर चीज़ में होते हैं।" 

*आयुर्वेद और होम्योपैथी :- आपको अभी पीआर के फ्रंट पर बहुत सीखना है। अपना इको सिस्टम तैयार करो। नहीं तो, किसी दिन संजीवनी बूटी या कोई अन्य मदर टिंक्चर आया तो उसको भी लोग नकार देंगे। समझे ना...?*

चीनी वायरस की तीसरी लहर और Phizer नीत फार्मा लॉबी की शातिराना चालों को क्रमवार समझिए

चीनी वायरस की तीसरी लहर और Phizer नीत फार्मा लॉबी की शातिराना चालों को क्रमवार समझिए 


विचार कीजीए, कि अगर सभी भारतीयों के मेडिकल डाटा से यह स्थापित हो जाए कि डायबिटीज के मरीजों पर एक विशेष प्रकार का वायरस-स्ट्रेन खतरनाक साबित होगा, तो यकीन मानिए कि अगली लहर केवल एसे लोगों को टारगेट करेगी.. और इस प्रकार अलग-अलग समय पर अलग-अलग रूप में यह जैविक युद्ध जारी रहेगा।

आज जोर शोर से हल्ला मचाया जा रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों को प्रभावित करेगी, तो क्या यह 'वायरस निर्माताओं' के हाथ में भारतीय बच्चों के डाटा आए बिना संभव है ? डाटा के लीक होकर निर्माताओं तक पहुंचने में WHO की भुमिका भी संदिग्द्ध है। 

क्या आपने पहले कभी सुना कि वायरस स्ट्रेन पहले बूढ़े-अधेड़ों को टारगेट करते है, फिर जवान-वयस्कों को और आगे जाकर बच्चों को टारगेट करेंगे ?

गौरव प्रधान के मार्च 2020 के ब्लॉग के अनुसार यह चीनी वायरस बहुत ही कस्टमाईज्ड तरीके से विभिन्न विकसित और विकासशील देशों के उपलब्ध मेडिकल डाटा के आधार पर
विकसित किया गया है, जिससे आज हम चीन द्वारा थोपे गए इस विषाणु युद्ध के बीच में आ गए है। और यह युद्ध है विश्व के फार्मा व अन्य व्यापारों पर अधिपत्य हासिल करने का।


आइये इस तीसरी लहर के हल्ले को परिस्थिति व सबूत के आधार पर क्रमवार समझने की कोशिश करते है डाटा साईंटिस्ट गौरव प्रधान की नजर से -

१. सबसे पहले गांधी परिवार और उनके टुलकिट गैंग के सदस्यों व मीडीया ने Pfizer वैक्सीन को भारत में मंजुरी दिलवाने हेतु अपनी सारी ताकत लगा दी जाती  है।

२. सोशल मीडीया व मीडीया में उनके द्वारा खबरें आती है कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों को प्रभावित करेगी।

३. दो हफ्तों में बाईडेन के अंतर्गत आने वाला CDC (Centre of Disease Control, USA) बच्चों के लिए वैक्सीन को मंजूरी देता है लगभग 13-14 मई को।

४. जैसे ही मंजुरी मिलती है उसके अगले दिन Pfizer अपनी वैक्सीन‌ लांच कर देता है।

५. इस वैक्सीन के निर्माण से जुड़ा कोई भी डाटा पब्लिक के बीच साझा नहीं किया जाता। किसी को नहीं पता कि बच्चों के लिए यह वैक्सीन कब, कहाँ और क्यों तैयार की गई।

६. Pfizer अपनी वैक्सीन के लिए इजराईल और कईं युरोपीय देशों में अपराधिक मुकदमे झेल रही है।

७. आपने समाचारों में पढा होगा कि भारत सरकार ने कुछ समय पहले Pfizer को भारत में मंजुरी देने के लिए दो शर्तें रखी थी। पहली यह कि भारतीय कानुन के अनुसार चलना होगा और दुसरी स्थानीय ट्रायल के बाद मंजुरी मिलेगी। Pfizer इन दोनों शर्तों पर राजी नहीं हुई।

८. भारत की आबादी में चालीस करोड़ से‌ अधिक की आबादी 18 वर्ष से कम आयु की है। Pfizer की वैक्सीन की एक डोज की कीमत 3000 के करीब है। और एसे में इस एक लाख करोड़ रूपये से अधिक के इस व्यापार को मंज़ूरी दिलवाकर भारत का एक परिवार बड़ी दलाली खाना चाहता है।

९. अचानक ही 'मोदी जी, मेरे बच्चों की वैक्सीन विदेश क्यों भेज दी' - जैसे पोस्टर लहराने लगते है। जबकि भारत में बच्चों के लिए अभी तक वैक्सीन बनी नहीं है।


१०. भारत बायोटेक बच्चों के लिए वैक्सीन के ट्रायल की अनुमति मांगती है।

११. तो कोर्ट में किसी टुलकिटिए द्वारा भारत बायोटेक के इस ट्रायल पर रोक लगाने हेतु जनहित याचिका दायर कर दी जाती है।

१२. जैसे महाराष्ट्र से कोरोना की दूसरी लहर की शुरूआत हुई थी, उसी प्रकार की खबरें एक और कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान से आने लगती है कि इतने बच्चे संक्रमित हो रहे है।

१३. अगर आपने दिवंगत डा. क‌े के अग्रवाल के वीडियो देखे है तो उसमें उन्होने दो टुक कहा था कि बच्चों का इम्यून सिस्टम इस वायरस से स्वतः लड़ने में सक्षम है। वे अगर संक्रमित होंगे भी तो जल्द ही एंटी-बॉडी विकसित करके ठीक भी हो जाएंगे।

१४. उन्हीं डा. के के अग्रवाल का कोरोना से निधन हो जाता है।

१५. अमेरिकी Administration रिपोर्ट देता है कि उनके पास वैक्सीन बहुतायत में उपलब्ध है।

१६. दस जनपथ की शह पर स्थापित एक और दिल्ली सरकार का उपमुख्यमंत्री केन्द्र सरकार से Moderna और Pfizer से बात करने के लिए कहता है।

१७. Moderna और Pfizer राज्य सरकारों को डायरेक्ट वैक्सीन देने से मना कर देते है और कहते है कि वे भारत सरकार से ही डील करेंगे।

१८. अब सारी प्रक्रिया भारत सरकार को दोषारोपण करने तक की स्थिति में पहुंच‌ जाती है। और विभिन्न मीडीया कर्मियों एवं विपक्षी नेताओं द्वारा सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश शुरू हो जाती है कि Pfizer को बिना ट्रायल अनुमति मिल जाए। और कल को कुछ गड़बड़ हो (जो कि होगी ही) तो Pfizer किसी भी तरह से लीगली जिम्मेदार नहीं होगा, और‌ डील होने से परिवार विशेष की मोटी दलाली बनेगी।

१९. Pfizer लॉबी ने इस प्रकार राज्यों को मना करके बहुत ही शातिर तरीके से केन्द्र सरकार के ऊपर सभी प्रकार की जिम्मेदारी मढ दी है।

२०. और एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि Pfizer कंपनी का संबंध चीन के वुहान स्थित उस लैब से रहा है जहां कोरोना वायरस विकसित किया गया था।

२१. डा. के के अग्रवाल ने यह स्पष्ट रूप से कहा था कि बच्चों में संक्रमण से नुकसान होने का खतरा बिल्कुल ना के बराबर है, यानि कि  मामुली सा घरेलु आयुर्वेदिक उपचार बच्चों में संक्रमण से लड़ने वाली एंटी बॉडी को विकसित कर सकता है। और आयुर्वेदिक उपचार यानि फार्मा लॉबी के लाखों करोड़ के व्यापार पर पानी फिर जाना, एसे में बाबा रामदेव का विवाद भी पता नहीं कहाँ से आ खड़ा होता है।

२२. शाहिद जमील जो कि मोदी सरकार द्वारा हटाया गया (जिसके लिए टुलकिट गैंग ने बहुत रोना भी रोया )। उसने और उसके जैसे विश्व के 800 डाक्टरों ने भारत सरकार द्वारा एकत्रित भारतीयों के मेडिकल डाटा का एक्सेस पाने के लिए चिट्ठी लिखी, क्यों ?

सभी विकसित देश मेडिकल डाटा को सुरक्षित रखने में करोड़ों डॉलर खर्च करते है। और वे लोग हर समय एसे संवेदनशील डाटा का एक्सेस पाने की जुगत भिड़ा रहे है, क्यों ?

...क्योंकि जैविक युद्ध में मेडिकल डाटा सबसे ज्यादा जरूरी होता है जिससे विषाणु या अन्य जैविक हथियार को देश के अनुसार विकसित किया जा सके।

अब इस लेख के सारे पॉईंट को क्रमवार जोड़ने की कोशिश कीजिये, और देखिए किस प्रकार का अपराधिक षड़यंत्र चल रहा है जिसमें एक परिवार विशेष फार्मा लॉबी और विदेशीं सरकारों के साथ मिलकर खेल खेल रहा है।

तो यह कहानी है जिसे Gaurav Pradhan जी ने अंग्रेजी में लिखी और इसे हिंदी में रूपांतरित किया।
हम जैविक युद्ध के मझधार में है और हमें जीतना है।

जय हिन्द....
वंदेमातरम.....

function disabled

Old Post from Sanwariya