चीनी वायरस की तीसरी लहर और Phizer नीत फार्मा लॉबी की शातिराना चालों को क्रमवार समझिए
विचार कीजीए, कि अगर सभी भारतीयों के मेडिकल डाटा से यह स्थापित हो जाए कि डायबिटीज के मरीजों पर एक विशेष प्रकार का वायरस-स्ट्रेन खतरनाक साबित होगा, तो यकीन मानिए कि अगली लहर केवल एसे लोगों को टारगेट करेगी.. और इस प्रकार अलग-अलग समय पर अलग-अलग रूप में यह जैविक युद्ध जारी रहेगा।
आज जोर शोर से हल्ला मचाया जा रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों को प्रभावित करेगी, तो क्या यह 'वायरस निर्माताओं' के हाथ में भारतीय बच्चों के डाटा आए बिना संभव है ? डाटा के लीक होकर निर्माताओं तक पहुंचने में WHO की भुमिका भी संदिग्द्ध है।
क्या आपने पहले कभी सुना कि वायरस स्ट्रेन पहले बूढ़े-अधेड़ों को टारगेट करते है, फिर जवान-वयस्कों को और आगे जाकर बच्चों को टारगेट करेंगे ?
गौरव प्रधान के मार्च 2020 के ब्लॉग के अनुसार यह चीनी वायरस बहुत ही कस्टमाईज्ड तरीके से विभिन्न विकसित और विकासशील देशों के उपलब्ध मेडिकल डाटा के आधार पर
विकसित किया गया है, जिससे आज हम चीन द्वारा थोपे गए इस विषाणु युद्ध के बीच में आ गए है। और यह युद्ध है विश्व के फार्मा व अन्य व्यापारों पर अधिपत्य हासिल करने का।
आइये इस तीसरी लहर के हल्ले को परिस्थिति व सबूत के आधार पर क्रमवार समझने की कोशिश करते है डाटा साईंटिस्ट गौरव प्रधान की नजर से -
१. सबसे पहले गांधी परिवार और उनके टुलकिट गैंग के सदस्यों व मीडीया ने Pfizer वैक्सीन को भारत में मंजुरी दिलवाने हेतु अपनी सारी ताकत लगा दी जाती है।
२. सोशल मीडीया व मीडीया में उनके द्वारा खबरें आती है कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों को प्रभावित करेगी।
३. दो हफ्तों में बाईडेन के अंतर्गत आने वाला CDC (Centre of Disease Control, USA) बच्चों के लिए वैक्सीन को मंजूरी देता है लगभग 13-14 मई को।
४. जैसे ही मंजुरी मिलती है उसके अगले दिन Pfizer अपनी वैक्सीन लांच कर देता है।
५. इस वैक्सीन के निर्माण से जुड़ा कोई भी डाटा पब्लिक के बीच साझा नहीं किया जाता। किसी को नहीं पता कि बच्चों के लिए यह वैक्सीन कब, कहाँ और क्यों तैयार की गई।
६. Pfizer अपनी वैक्सीन के लिए इजराईल और कईं युरोपीय देशों में अपराधिक मुकदमे झेल रही है।
७. आपने समाचारों में पढा होगा कि भारत सरकार ने कुछ समय पहले Pfizer को भारत में मंजुरी देने के लिए दो शर्तें रखी थी। पहली यह कि भारतीय कानुन के अनुसार चलना होगा और दुसरी स्थानीय ट्रायल के बाद मंजुरी मिलेगी। Pfizer इन दोनों शर्तों पर राजी नहीं हुई।
८. भारत की आबादी में चालीस करोड़ से अधिक की आबादी 18 वर्ष से कम आयु की है। Pfizer की वैक्सीन की एक डोज की कीमत 3000 के करीब है। और एसे में इस एक लाख करोड़ रूपये से अधिक के इस व्यापार को मंज़ूरी दिलवाकर भारत का एक परिवार बड़ी दलाली खाना चाहता है।
९. अचानक ही 'मोदी जी, मेरे बच्चों की वैक्सीन विदेश क्यों भेज दी' - जैसे पोस्टर लहराने लगते है। जबकि भारत में बच्चों के लिए अभी तक वैक्सीन बनी नहीं है।
१०. भारत बायोटेक बच्चों के लिए वैक्सीन के ट्रायल की अनुमति मांगती है।
११. तो कोर्ट में किसी टुलकिटिए द्वारा भारत बायोटेक के इस ट्रायल पर रोक लगाने हेतु जनहित याचिका दायर कर दी जाती है।
१२. जैसे महाराष्ट्र से कोरोना की दूसरी लहर की शुरूआत हुई थी, उसी प्रकार की खबरें एक और कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान से आने लगती है कि इतने बच्चे संक्रमित हो रहे है।
१३. अगर आपने दिवंगत डा. के के अग्रवाल के वीडियो देखे है तो उसमें उन्होने दो टुक कहा था कि बच्चों का इम्यून सिस्टम इस वायरस से स्वतः लड़ने में सक्षम है। वे अगर संक्रमित होंगे भी तो जल्द ही एंटी-बॉडी विकसित करके ठीक भी हो जाएंगे।
१४. उन्हीं डा. के के अग्रवाल का कोरोना से निधन हो जाता है।
१५. अमेरिकी Administration रिपोर्ट देता है कि उनके पास वैक्सीन बहुतायत में उपलब्ध है।
१६. दस जनपथ की शह पर स्थापित एक और दिल्ली सरकार का उपमुख्यमंत्री केन्द्र सरकार से Moderna और Pfizer से बात करने के लिए कहता है।
१७. Moderna और Pfizer राज्य सरकारों को डायरेक्ट वैक्सीन देने से मना कर देते है और कहते है कि वे भारत सरकार से ही डील करेंगे।
१८. अब सारी प्रक्रिया भारत सरकार को दोषारोपण करने तक की स्थिति में पहुंच जाती है। और विभिन्न मीडीया कर्मियों एवं विपक्षी नेताओं द्वारा सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश शुरू हो जाती है कि Pfizer को बिना ट्रायल अनुमति मिल जाए। और कल को कुछ गड़बड़ हो (जो कि होगी ही) तो Pfizer किसी भी तरह से लीगली जिम्मेदार नहीं होगा, और डील होने से परिवार विशेष की मोटी दलाली बनेगी।
१९. Pfizer लॉबी ने इस प्रकार राज्यों को मना करके बहुत ही शातिर तरीके से केन्द्र सरकार के ऊपर सभी प्रकार की जिम्मेदारी मढ दी है।
२०. और एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि Pfizer कंपनी का संबंध चीन के वुहान स्थित उस लैब से रहा है जहां कोरोना वायरस विकसित किया गया था।
२१. डा. के के अग्रवाल ने यह स्पष्ट रूप से कहा था कि बच्चों में संक्रमण से नुकसान होने का खतरा बिल्कुल ना के बराबर है, यानि कि मामुली सा घरेलु आयुर्वेदिक उपचार बच्चों में संक्रमण से लड़ने वाली एंटी बॉडी को विकसित कर सकता है। और आयुर्वेदिक उपचार यानि फार्मा लॉबी के लाखों करोड़ के व्यापार पर पानी फिर जाना, एसे में बाबा रामदेव का विवाद भी पता नहीं कहाँ से आ खड़ा होता है।
२२. शाहिद जमील जो कि मोदी सरकार द्वारा हटाया गया (जिसके लिए टुलकिट गैंग ने बहुत रोना भी रोया )। उसने और उसके जैसे विश्व के 800 डाक्टरों ने भारत सरकार द्वारा एकत्रित भारतीयों के मेडिकल डाटा का एक्सेस पाने के लिए चिट्ठी लिखी, क्यों ?
सभी विकसित देश मेडिकल डाटा को सुरक्षित रखने में करोड़ों डॉलर खर्च करते है। और वे लोग हर समय एसे संवेदनशील डाटा का एक्सेस पाने की जुगत भिड़ा रहे है, क्यों ?
...क्योंकि जैविक युद्ध में मेडिकल डाटा सबसे ज्यादा जरूरी होता है जिससे विषाणु या अन्य जैविक हथियार को देश के अनुसार विकसित किया जा सके।
अब इस लेख के सारे पॉईंट को क्रमवार जोड़ने की कोशिश कीजिये, और देखिए किस प्रकार का अपराधिक षड़यंत्र चल रहा है जिसमें एक परिवार विशेष फार्मा लॉबी और विदेशीं सरकारों के साथ मिलकर खेल खेल रहा है।
तो यह कहानी है जिसे Gaurav Pradhan जी ने अंग्रेजी में लिखी और इसे हिंदी में रूपांतरित किया।
हम जैविक युद्ध के मझधार में है और हमें जीतना है।
जय हिन्द....
वंदेमातरम.....


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