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शनिवार, 29 मई 2021

हृदय, वक्षस्थल और फुफ्फुस शक्ति संवर्धन क्रिया योग: हृदय और फेफड़ो की सामर्थ्यता बढ़ाने वाला क्रिया योग

हृदय, वक्षस्थल और फुफ्फुस शक्ति संवर्धन क्रिया योग: हृदय और फेफड़ो की सामर्थ्यता बढ़ाने वाला क्रिया योग

आज के इस युग मे श्वास भी शुद्ध नही तो खानपान भी शुद्ध नही। इम्युनिटी कमजोर हो रही है हृदय रोगों बढ़ रहे है। ऐसी दशा में आप निम्न छोटी छोटी क्रियाओं के द्वारा अपने फेफड़े मजबूत कर श्वसन क्रिया को सुचारू और आकस्मिक परिस्तिथियों के अनुकूल बना सकते है।

ये क्रियाए ना केवल आपकी इम्युनिटी बढ़ाएगी वरन हृदय को भी स्वस्थ रखने में सहायक होगी

*हृदय, वक्षस्थल और फुफ्फुस शक्ति संवर्धन क्रिया के लाभ*

आजकल हार्ट अटैक आदि व्याधियों की संख्या बढ़ रही है। लाखों रुपये आपरेशन आदि के लिए खर्च हो रहे हैं। इन सुलभ क्रियाओं से छाती संबंधी व्याधियाँ दूर होंगी

इन क्रियाओं से सीना चौड़ा होता है।

प्राणवायु अधिक मिलने के कारण छाती, हृदय तथा फेफड़ों की शक्ति बढ़ती है।

थकावट दूर होती है। 

काम करने का उत्साह बढ़ता है। 

फेफड़े संबंधी टी.बी.आदि, व्याधियाँ भी रोकी जा सकेगी | 

*हृदय, वक्षस्थल और फुफ्फुस शक्ति संवर्धन क्रिया योग की विधि*

सभी क्रियाएं सुखासन में बैठकर की जानी चाहिए तथापि उम्र, समय, अवधि, वातावरण या अन्य किसी प्रकार का कोई विशेष बंधन नही है

सभी क्रियाएँ करते समय छाती फुलाते हुए 3 या 4 लीटर हवा अंदर लें। यथास्थिति में आते हुए उस हवा को बाहर पूरा छोड़ दें। हर एक क्रिया 5 से 10 बार करें। क्रियाएँ निम्न प्रकार हैं |

*प्रथम क्रिया*
अंगूठों को हथेलियों में बंद कर मुट्ठी कस लें। दोनों मुट्टियाँ नाभि के पास रखें। साँस लेते हुए दोनों मुड़ियों को बाजू से सिर के साथ ऊपर उठावें। साँस छोड़ते हुए मुट्टियाँ नाभि के पास ले आवें।

*द्वितीय क्रिया*
दोनों हाथ सामने की ओर पसारें। धीरे से साँस लेते हुए हाथ ऊपर उठावें। नमस्कार करते हुए सिर उठा कर हाथों को देखें | सांस छोड़ते हुए हाथों तथा सिर को यथास्थिति में ले आवें।

*तृतीय क्रिया*
दोनों हाथ आगे पसारें। दोनों हथेलियाँ मिलावें। साँस लेते हुए हाथ बगल में पसार कर सिर उठाते हुए ऊपर देखें| सांस छोड़ते हुए यथास्थिति में आ जावें।

*चतुर्थ क्रिया*
दोनों हथेलियों को उलटा कर उन्हें मिलावें, ऊपरी क्रिया की तरह करें।

*पंचम क्रिया*
दोनों हाथ बगल में पसारें। सांस लेते हुए दोनों हाथ और सिर ऊपर उठाकर वे नमस्कार करें। सांस छोड़ते हुए पूर्वस्थिति में आवें।

*षष्टम क्रिया*
दोनों हाथ आगे पसार कर ऊपर से गोलाकार में उन्हें घुमावें | हाथ ऊपर उठाते समय सांस लें। ऊपर से हाथों को नीचे लाते हुए सांस छोड़ें। 8 से 10 बार ऐसा घुमावें। फिर इसी प्रकार रिवर्स करें |

*सप्तम क्रिया*
दोनों हाथ बगल में पसार कर सांस छोड़ते हुए दोनों हथेलियों से दोनों ओर से पीठ का स्पर्श करते रहें। एक कुहनी दूसरी कुहनी पर आवें। सांस लेते हुए जल्दी-जल्दी हाथ पसारते रहें। एक बार दायाँ हाथ ऊपर आवे और एक बार बायाँ हाथ ऊपर आवे |

*अष्ठम क्रिया*
दोनों हाथ बगल में से ऊपर उठाकर सिर के ऊपर से दायों हथेली से बायीं कुहनी का, बायीं हथेली से दायीं कुहनी का स्पर्श करते रहें। सांस लेते हुए हाथ ऊपर उठावें। सांस छोड़ते हुए हाथ नीचे उतारें।

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

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