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शनिवार, 29 मई 2021

योगाभ्यास और योग क्रियाओं के नियम और सावधानिया

योगाभ्यास और योग क्रियाओं के नियम
और सावधानिया

शारीरिक स्थिति हमेशा एक ही तरह नहीं रहती। परिवर्तित होती रहती है| बैठना, उठना, लेटना, दौड़ना, झुकना और सिकुडना आदि आसन ही हैं। शरीर की स्थिति पर जब मन एकाग्र होता है, तब वही आसन योगासन कहलाता है।

प्राचीन काल में मानव जीवन प्रकृति पर निर्भर रहता था। प्रकृति के अनुसार, ऋषि, मुनि तथा योगी आदि ने कई योगासनों का आरंभ किया। जब उन्हें उन पर विश्वास हो गया तब उन्हें विश्व के समक्ष प्रस्तुत किया। कहा जाता है कि प्राचीन काल में 8400000 (चौरासी लाख) योगासन प्रचलित थे। इसके बाद वे 84000 (चौरासी हज़ार) हो गये। अब और भी कम हो गये हैं। स्वास्थ्य की जानकारी विशेषज्ञों से हासिल करनी चाहिए। आसनों को हर दिन करना चाहिए। योगासनों के साथ सूर्य नमस्कार संबंधी आसन भी रोज करते रहे तो लाभ होगा | योगाभ्यास करनेवाले साधकों का यह कर्तव्य है कि वे उनसे संबंधित नियम जान लें और उन्हें आचरण में ले आयें।

*नियम*
1) प्रात:काल जल्दी जाग कर दो-तीन गिलास पानी पीना चाहिए। मल मूत्र का विसर्जन कर, दाँत और मुँह साफ कर, ठंडे जल से स्नान कर योगासन करना चाहिए। स्वास्थ्य ठीक न रहे, जाड़ा ज्यादा हो तो कुनकुने जल से स्नान कर सकते हैं। सबेरे अगर मौका न मिले तो दुपहर या शाम को योगासन कर सकते हैं।

2) स्नान के बिना भी योगासन कर सकते हैं। पर आसनों के बाद थोड़ी देर रुक कर स्नान करना चाहिए।

3) खाली पेट सबेरे आसन करना चाहिए। यदि आहार लें तो 4.30 घंटे के बाद आसन करना चाहिए | अगर हलका जलपान करें तो 2.30 घंटे रुक कर उसके बाद आसन करें |

4) खुली हवा में समतल एवं प्रकाशवान जगह पर आसन करना चाहिए। तेज हवा के झोंकों के बीच आसन न करें |

5) कपडे कम और ढीले पहनना चाहिए। स्त्रियों को विशेष कर कुर्ता एवं पाजामा पहनना अच्छा होगा |

6) आसन करते समय बोलना नहीं चाहिए। नाक से सांस लेनी और छोडनी चाहिए। मुँह बंद रहना चाहिए।

7) खाली भूमि पर आसन नहीं करना चाहिए। कालीन, दुपट्टा, स्वच्छ कपड़ा या कंबल बिछा कर उस पर आसन करें |

8) गर्भिणी स्त्रियों को तीसरे मास तक आसन नहीं करना चाहिए। 4 से 7वें मास तक योग विशेषज्ञों की सलाह लेकर हलके आसन तथा ध्यान वे कर सकती हैं। ऋतुमती होने पर आसन नहीं करना चाहिए| आपरेशन कराने पर तथा छाती दर्द आदि के होने पर स्त्री पुरुषों को सचेत रह कर योग विशेषज्ञों की सलाह लेकर ही आसन करना चाहिए|

9) योगासन करते समय जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। जरूरी है शरीर के अवयवों पर ज्यादा दबाव न पड़े, उन्हें श्रम न हो |

10) योगासन करने के पूर्व और बाद दोनों हथेलियों को मुंह और शरीर पर फेरना चाहिए। अन्य आसन करने के बाद शवासन या शांत्यासन कर थोड़ी देर आराम करना चाहिए |

11) हर दिन नियम बद्धता से आसन करते रहना चाहिए। बीच में छोड़ना नहीं चाहिए।

12) आसन करते समय मन को उसी पर केन्द्रित करें | मस्तिष्क को नियंत्रण में रखना चाहिए।

13) प्रशांत मन से आसन करना चाहिए| निराशा, कमजोरी, डर, दुःख तथा वेदना से भरे हृदय से आसन नहीं करना चाहिए | उस समय शवासन या शांत्यासन कर आराम लें ।

14) आरंभ में हर आसन कुछ क्षण ही करना चाहिए। अभ्यास करते-करते समय में वृद्धि करनी चाहिए।

15) आसन करने के बाद आराम ले कर भोजन कर सकते हैं।

16) स्कूलों के बच्चों पर दबाव डाल कर या उनके स्कूल पहुँचते ही आसन नहीं कराना चाहिए। भोजन कर वे स्कूल आते हैं। इसलिए स्कूलों के खुलने के 2 घंटे बाद बच्चों से आसन करा सकते हैं|

17) 60 या 70 वर्ष की अवस्था के वृद्धों को हलके आसन करना चाहिए।

18) टहलने के बाद आराम लेना चाहिए। इसके बाद आसन करें। आसन करने के बाद शवासन के द्वारा आराम लेकर टहल सकते हैं|

19) पहले सूक्ष्म योग तथा सूर्य नमस्कार संबंधी आसन करना चाहिए| इसके बाद थोड़ी देर आराम कर योगासन करें |

20) आसन करते समय सांस फूले या दिल की धडकन अधिक हो तो आसन स्थगित कर शवासन कर आराम लेना चाहिए।

21) योगासन और प्राणायाम करने के बाद शवासन अवश्य करना चाहिए।

22) आसन के पूर्व तथा अभ्यास के बाद मूत्र विसर्जन करना चाहिए। बीच में आवश्यकता पड़े तो भी मूत्र विसर्जन अवश्य करें। जबरदस्ती पेशाब को रोकना नही चाहिए|

23) अभ्यास के दौरान प्यास लगे तो थोड़ा पानी पी सकते हैं।

24) मल विसर्जन में अवरोध हो तो दो तीन गिलास जल पी कर दो तीन बार शंखप्रक्षालन आसन करें | इससे मल विसर्जन संबंधी तकलीफ दूर होगी।

25) आसन करते समय पेट और छाती पर दबाव पड़े तो सांस को बाहर छोड़ देना चाहिए। दबाव के कम होते समय सांस लेनी चाहिए। यह श्वास-प्रश्वास से संबंधित सामान्य विधि है।

26) योगासनों, प्राणायाम तथा ध्यान के अभ्यास के लिए क्रम आवश्यक है| साधक अपनी सुविधा के अनुसार इसमें परिवर्तन कर सकते हैं।

27) ऊपर बताये गये अधिकांश सभी नियमों का पालन योगासनों के अलावा प्राणायाम और ध्यान के लिए भी उचित हैं |

28) योग संबंधी अभ्यास और अपने अनुभवों को मित्रों को बता कर उन्हे भी योग के लिए प्रेरित अवश्य करे 

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

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