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शनिवार, 29 मई 2021

कर्ण मुख नासिका सूक्ष्म क्रिया योग : मुंह, दांत, नाक और श्रवण कान को स्वस्थ व बेहतर कार्यकुशलता के लिए

कर्ण मुख नासिका सूक्ष्म क्रिया योग : मुंह, दांत, नाक और श्रवण कान को स्वस्थ व बेहतर कार्यकुशलता के लिए

वर्तमान दौड़ती जिंदगी में स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह हो केमिकलयुक्त भोजन व फ़ास्ट फ़ूड, दूषित वातावरण और मोबाइल का अंधाधुन प्रयोग जीवन शैली में अनियमितता और समस्या पैदा कर रहा है।

इसी भागदौड़ के बीच हम कुछ समय कुछ सूक्ष्य क्रियाए जर अपना स्वास्थ्य ठीक कर सकते है कर्ण मुख नासिका सूक्ष्म क्रिया योग उसी दिशा में एक कदम है
जिसमे शामिल है। ये सभी क्रियाए सुखासन में बैठकर की जानी चाहिए।

1 नासिका नाक संबंधित क्रियाए
2 मुख व दांत संबंधित क्रियाए
3 कर्ण कान व श्रवण शक्ति संबंधित क्रियाए

*नासिका व जबडों की संवर्धन क्रियाएँ*

*नासिका व जबडों की संवर्धन क्रियाएँ लाभ –*
इन क्रियाओं से नाक तथा गालों पर जमा व्यर्थ चर्बी घट जायेगी।
 नाक के अंदर बढ़ने वाला दुर्मास कम होगा। 
सांस बेरोक टोक चलेगी। 
खाना खाते समय जबड़ों को श्रम नहीं होगा। 
चेहरे का आकर्षण बढ़ेगा |

*नासिका व जबडों की संवर्धन क्रिया विधि*

*प्रथम क्रिया* दोनों होंठ बंद कर लें । ठुड़ी धीरे धीरे दायीं तथा बायीं ओर नाक सहित मोड़ते रहें।

*द्वितीय क्रिया* दोनों होंठ बंद करें। नाक सहित लुड़ी को ऊपर तथा नीचे करतें रहें।

*तृतीय क्रिया* होंठ बंद करें। नाक सहित मुँह तथा टुड़ी को गोलाकार में एक तरफ 5-6 बार, दूसरी तरफ 5-6 बार घुमाते रहें।

*चतुर्थ क्रिया* मुँह में हवा भर लें। जिस तरह खाना चबाते हैं, उसी तरह मुँह में भरी हवा को चबाते रहें। साधक शक्ति के अनुसार यह क्रिया करने के बाद हवा मुँह से बाहर छोड़ दें।

*मुख शुद्धि व संवर्धन क्रिया*

*मुख शुद्धि व संवर्धन क्रिया के लाभ* –
इससे मुँह की बदबू दूर हो जायेगी। 
मुँह के अंदर जो फोड़े होते हैं वे कम होंगे। मुँह साफ होगा।

*मुख शुद्धि व संवर्धन क्रिया विधि*
सिर थोड़ा ऊपर उठावें। जीभ को चमचे की तरह मोड़ कर उसे बाहर निकालें, मुँह में हवा भर लें, बाद में मुँह बंद कर लें, गाल फुलावें, आँखें बंद करें सिर नीचे झुकावें। थोड़ी देर तक वैसे ही रहें। । इसके बाद सिर उठाकर नाक से हवा बाहर निकाल दें। चार-पांच बार यह क्रिया करें।

*मुख दंतशक्ति संवर्धन क्रिया*

*मुख दंतशक्ति संवर्धन क्रिया के लाभ*–
इससे सभी दाँतों को शक्ति मिलेगी। 
दाँतों का हिलना, दाँतों का दर्द, पीब या रक्त का निकलना, पयोरिया जैसी व्याधियाँ दूर होंगी। 
गालों पर चर्बी, झुर्रियाँ तथा फुन्सियाँ कम होगी, जिससे उनकी सुंदरता बढ़ेगी।

*मुख दंतशक्ति संवर्धन क्रिया*
मुँह की शुद्धि क्रिया की ही तरह दांतों की शक्ति बढ़ाने की क्रिया भी की जाती है, लेकिन इस क्रिया में सांस लेते समय दोनों अंगूठों से दोनों नथुने बंद कर लें।

इस क्रिया में गाल अधिक से अधिक फुला कर दाँतों के बीच हवा का प्रसार ज्यादा करें। चार-पाँच बार दोहराएं|

*कर्ण व श्रवणशक्ति संवर्धन क्रिया*

*कर्ण संवर्धन क्रिया के लाभ –*
श्रवण शक्ति बढ़ेगी। 
कानों को सुनायी पड़ने वाली अपरिचित ध्वनि कम होगी | 
कानों से बहता रक्त या पस भी कम होगा |

*कर्ण व श्रवणशक्ति संवर्धन क्रिया विधि*
श्रवणशक्ति बढ़ाने के लिए  हाथों के दोनों अंगूठों के सिरों से दोनों कान बंद करें। दोनों तर्जनियो से दोनों ऑखें बंद करें | दोनों मध्यम उंगलियों से दोनों नासिका रंध्र बंद करें। जीभ को चमचे की तरह मोड़ कर बाहर निकालें। उसके द्वारा हवा मुँह में भरें। शक्तिअनुसार हवा मुँह में रोक कर रखें। सिर झुका लें। थोड़ी देर बाद सिर ऊपर उठावें | नाक पर से ऊँगलियाँ हटा कर नाक के द्वारा हवा बाहर छोड़ दें। इस प्रकार चार पाँच बार करें | अंगूठों को कानों में इस तरह रखे रहें कि बाहर की कोई भी ध्वनि सुनायी न पड़े।

इस क्रिया के बाद उँगलियों से कानों की मालिश करते हुए कनपट्टी को नीचे की तरफ धीरे से खींचते रहें। कानों की किनारीयों को रगडें ।

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

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