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मंगलवार, 15 जून 2021

ट्रैफिक पुलिस गाड़ी की चाभी निकाल ले तो क्या करना चाहिए?

ट्रैफिक पुलिस गाड़ी की चाभी निकाल ले तो क्या करना चाहिए?

सांकेतिक फ़ोटो गूगल से प्राप्त।।

पुलिस द्वारा वाहन से चाबी निकालना गैरकानूनी है। अगर कोई पुलिसकर्मी ऐसा करता है तो वह पुलिस विभाग और मोटर वाहन एक्ट द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर रहा है।

किसी भी पुलिसकर्मी को आपके वाहन की चाबी निकालने का अधिकार नहीं है। पुलिस विभाग में दायर सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत मिली जानकारी के अनुसार कोई भी पुलिसकर्मी चाहे वह किसी भी रैंक का हो, किसी भी दोपहिया, तिपहिया या चारपहिया वाहन की चाबी नहीं निकल सकता है।

नए मोटर वाहन एक्ट 2019 में ये निर्देश दिया गया है कि सिर्फ सहायक सब-इंस्पेक्टर (एएसआई) या उससे ऊपर के रैंक के ट्रैफिक पुलिस अधिकारी ही ट्रैफिक उल्लंघन के लिए चालान या नोटिस देने के लिए अधिकृत हैं। एएसआई (वन-स्टार), सब-इंस्पेक्टर (टू-स्टार) और इंस्पेक्टर (थ्री-स्टार) रैंक के अधिकारी केवल स्पॉट जुर्माना जमा करने के लिए अधिकृत हैं।

अगर ट्रैफिक पुलिस वाले चेकिंग के नाम पर आपसे बदसलूकी करते हैं या गाली गाली-गलौज या मारपीट करते हैं तो आप इसके खिलाफ नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत कर सकते हैं या 100 नंबर पर डायल कर पुलिस हेल्पलाइन में इसकी शिकायत कर सकते हैं।

यदि इसपर भी कार्रवाई नहीं हो तो मामले को हाईकोर्ट में ले जा सकते हैं। पुलिस वाले के खिलाफ नागरिक और मानवाधिकार हनन का केस डालिये। इससे उक्त पुलिसकर्मी ससपेंड हो सकता है और उसे बचने वाले पुलिस अधिकारीयों पर भी कार्रवाई हो सकती है।

हमेशा ध्यान रखें की मोटर वाहन एक्ट पुलिसकर्मी को गुंडा गर्दी करने का अधिकार नहीं देता। वो सिर्फ चलन काट सकते हैं और गाड़ी जब्त कर सकते हैं। पुलिसकर्मी सिर्फ हाथ से इशारा कर गाड़ी रुकवा सकते हैं। अगर कोई वाहन नहीं रोकता है तो उसके खिलाफ उचित कार्रवाई करने का अधिकार है। पुलिसकर्मी को प्रदूषण स्तर का सर्टिफिकेट चेक करने का अधिकार है।

अपना बुढापा खुशहाल बनाने के लिए बुजुर्गों को अकेलापन महसूस न होने दीजिये



बुढ़ापे को भी प्यार चाहिए

मोहन बेटा ! मैं तुम्हारे काका के घर जा रहा हूँ . क्यों पिताजी ? और आप आजकल काका के घर बहुत जा रहे हो ...? तुम्हारा मन मान रहा हो तो चले जाओ ... पिताजी  !  लो ये पैसे रख लो , काम आएंगे ।

पिताजी का मन भर आया . उन्हें आज अपने बेटे को दिए गए संस्कार लौटते नजर आ रहे थे ।

जब मोहन स्कूल जाता था ... वह पिताजी से जेब खर्च लेने में हमेशा हिचकता था , क्यों कि घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी . पिताजी मजदूरी करके बड़ी मुश्किल से घर चला पाते थे ... पर माँ फिर भी उसकी जेब में कुछ सिक्के डाल देती थी ... जबकि वह बार-बार मना करता था ।

मोहन की पत्नी का स्वभाव भी उसके पिताजी की तरफ कुछ खास अच्छा नहीं था . वह रोज पिताजी की आदतों के बारे में कहासुनी करती थी ... उसे ये बडों से टोका टाकी पसन्द नही थी ... बच्चे भी दादा के कमरे में नहीं जाते , मोहन को भी देर से आने के कारण बात करने का समय नहीं मिलता ।

एक दिन पिताजी का पीछा किया ... आखिर पिताजी को काका के घर जाने की इतनी जल्दी क्यों रहती है ? वह यह देख कर हैरान रह गया कि पिताजी तो काका के घर जाते ही नहीं हैं ! !!

वह तो स्टेशन पर एकान्त में शून्य मनस्क एक पेड़ के सहारे घंटों बैठे रहते थे . तभी पास खड़े एक बजुर्ग , जो यह सब देख रहे थे , उन्होंने कहा ... बेटा...! क्या देख रहे हो ?

जी....! वो 
अच्छा , तुम उस बूढ़े आदमी को देख रहे हो....? वो यहाँ अक्सर आते हैं और घंटों पेड़ तले बैठ कर सांझ ढले अपने घर लौट जाते हैं . किसी अच्छे सभ्रांत घर के लगते हैं ।

बेटा ...! ऐसे एक नहीं अनेकों बुजुर्ग माएँ बुजुर्ग पिता तुम्हें यहाँ आसपास मिल जाएंगे !

जी , मगर क्यों ?

बेटा ...! जब घर में बड़े बुजुर्गों को प्यार नहीं मिलता.... उन्हें बहुत अकेलापन महसूस होता है , तो वे यहाँ वहाँ बैठ कर अपना समय काटा करते हैं !

वैसे क्या तुम्हें पता है.... बुढ़ापे में इन्सान का मन बिल्कुल बच्चे जैसा हो जाता है . उस समय उन्हें अधिक प्यार और सम्मान की जरूरत पड़ती है , पर परिवार के सदस्य इस बात को समझ नहीं पाते ।

वो यही समझते हैं इन्होंने अपनी जिंदगी जी ली है फिर उन्हें अकेला छोड देते हैं , कहीं साथ ले जाने से कतराते हैं ।
बात करना तो दूर अक्सर उनकी राय भी उन्हें कड़वी लगती है . जब कि वही बुजुर्ग अपने बच्चों को अपने अनुभवों से आने वाले संकटों और परेशानियों से बचाने के लिए सटीक सलाह देते है ।

घर लौट कर मोहन ने किसी से कुछ नहीं कहा . जब पिताजी लौटे , मोहन घर के सभी सदस्यों को देखता रहा ।

किसी को भी पिताजी  की चिन्ता नहीं थी . पिताजी से कोई बात नहीं करता , कोई हंसता खेलता नहीं था . जैसे पिताजी का घर में कोई अस्तित्व ही न हो ! ऐसे परिवार में पत्नी बच्चे सभी पिताजी  को इग्नोर करते हुए दिखे !

सबको राह दिखाने के लिऐ आखिर  मोहन ने भी अपनी पत्नी और बच्चों से बोलना बन्द कर दिया ... वो काम पर जाता और वापस आता किसी से कोई बातचीत नही ...! बच्चे पत्नी बोलने की कोशिश भी करते , तो वह भी इग्नोर कर काम मे डूबे रहने का नाटक करता ! !! तीन दिन मे सभी परेशान हो उठे... पत्नी , बच्चे इस उदासी का कारण जानना चाहते थे ।

मोहन ने अपने परिवार को अपने पास बिठाया . उन्हें प्यार से समझाया कि मैंने तुम से चार दिन बात नहीं की तो तुम कितने परेशान हो गए ? अब सोचो तुम पिताजी के साथ ऐसा व्यवहार करके उन्हें कितना दुख दे रहे हो ?

मेरे पिताजी मुझे जान से प्यारे हैं . जैसे तुम्हारी माँ ! और फिर पिताजी के अकेले स्टेशन जाकर घंटों बैठकर रोने की बात छुपा गया . सभी को अपने बुरे व्यवहार का खेद था ।

उस दिन जैसे ही पिताजी शाम को घर लौटे , तीनों बच्चे उनसे चिपट गए ...! दादा जी ! आज हम आपके पास बैठेंगे...! कोई किस्सा कहानी सुनाओ ना ।

पिताजी की आँखें भीग आई . वो बच्चों को लिपटकर उन्हें प्यार करने लगे . और फिर जो किस्से कहानियों का दौर शुरू हुआ वो घंटों चला . इस बीच मोहन की पत्नी उनके लिए फल तो कभी चाय नमकीन लेकर आती . पिताजी बच्चों और मोहन के साथ स्वयं भी खाते और बच्चों को भी खिलाते , अब घर का माहौल पूरी तरह बदल गया था ।

एक दिन मोहन बोला ,  पिताजी...! क्या बात है ! आजकल काका के घर नहीं जा रहे हो ...? नहीं बेटा ! अब तो अपना घर ही स्वर्ग लगता है ...! !!

आज सभी में तो नहीं लेकिन अधिकांश परिवारों के बुजुर्गों की यही कहानी है . बहुधा आस पास के बगीचों में , बस अड्डे पर , नजदीकी रेल्वे स्टेशन पर परिवार से तिरस्कृत भरे पूरे परिवार में एकाकी जीवन बिताते हुए ऐसे कई बुजुर्ग देखने को मिल जाएंगे ।

आप भी कभी न कभी अवश्य बूढ़े होंगे , आज नहीं तो कुछ वर्षों बाद होंगे । जीवन का सबसे बड़ा संकट है बुढ़ापा ! घर के बुजुर्ग ऐसे बूढ़े वृक्ष हैं , जो बेशक फल न देते हों पर छाँव तो देते ही हैं !

अपना बुढापा खुशहाल बनाने के लिए बुजुर्गों को अकेलापन महसूस न होने दीजिये , उनका सम्मान भले ही न कर पाएँ , पर उन्हें तिरस्कृत मत कीजिये , उनका खयाल रखिये।

सदैव प्रसन्न रहिये।
जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।

सोमवार, 14 जून 2021

वो प्राप्त आय जिसपर आयकर नही लगता है तथा टेक्स से छूट प्राप्त होती है

आयकर कानून :
वो प्राप्त आय जिसपर आयकर नही लगता है तथा टेक्स से छूट प्राप्त होती है

आयकर यह शब्द एक ऐसा शब्द है, जिसे जो सुनता है वही चौकन्ना हो जाता है। वह इसलिए कि कहीं वे आयकर विभाग के चक्कर में न फंस जाएं। तो चिंता छोड़ दीजिए क्योंकि हम आपको बताने वाले हैं ऐसी जानकारी, जिससे आप इनकम टैक्स को लेकर भ्रम में नहीं पड़ेंगे और आपको आयकर विभाग के चक्कर भी नहीं लगाने पड़ेंगे। तो सबसे पहले जान लीजिए कि आयकर के दायरे में कौन - कौन और क्या - क्या चीजें आती हैं?

देश का प्रत्येक वह व्यक्ति जिसकी वार्षिक आय 2.50 लाख रुपये से ज्यादा है तो वह इनकम टैक्स के दायरे में आता है।

 हालांकि, यह आय के स्रोत के प्रकार पर निर्भर करता है कि वह दायरे में आती है या नहीं।

दरअसल, आय के कुछ स्रोत ऐसे भी होते हैं जिनसे होने वाले कमाई कर योग्य आय के दायरे में नहीं आते हैं। हालांकि, इन छूट के साथ कई शर्तें भी लागू होती हैं। आज इन शर्तों के साथ टैक्स फ्री इनकम यानी कर मुक्त आय के बारे में भी बताएंगे। जैसे- कृषि, तोहफे, ग्रेच्युटी राशि, ईपीएफ और सेवानिवृत्ति के दौरान मिलने वाली राशि इत्यादि।

कृषि से आय
देश में कृषि से प्राप्त होने वाली आय पूरी तरह कर मुक्त होती है। किसानों को खेती से होने वाली आय पर किसी प्रकार को कोई प्रत्यक्ष कर नहीं चुकाना पड़ता।

लाभांश
कंपनी एक्ट के अधीन लाभांश के बंटवारे की राशि कर मुक्त होती है। वह इसलिए क्योंकि कंपनी पहले ही आय पर टैक्स जमा कर चुकी होती है।

अगर आप किसी कंपनी में साझेदार हैं तो लाभांश के हिस्से के तौर पर मिली राशि कर मुक्त होती है।

हालांकि, ध्यान देने योग्य बात यह है कि कंपनी से मिलने वाली वेतन राशि पर कर में छूट नहीं मिलती है।

ईपीएफ
ईपीएफ के मामले में भी अगर व्यक्ति लगातार पांच साल की नौकरी के बाद अगर ईपीएफ की राशि निकालता है तो वह कर मुक्त रहती है।

पीपीएफ
वहीं, अगर पीपीएफ राशि और पब्लिक प्रोविडेंट फंड यानी पीपीएफ में निवेश की गई रकम, उस पर मिलने वाला ब्याज एवं मैच्योरिटी पीरियड पूरा होने पर मिलने वाली राशि तीनों कर मुक्त होती हैं।

ग्रेच्युटी की राशि
कोई व्यक्ति किसी संस्थान में लगातार पांच साल काम करने के बाद उसे ग्रेच्युटी राशि मिलती है। यह राशि कर मुक्त आय में आती है।

सरकारी कर्मचारियों के लिए 20 लाख रुपये तक की ग्रैच्युटी कर मुक्त आय में शामिल होती है।

वहीं, निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को महज 10 लाख रुपये तक की ग्रैच्युटी राशि कर मुक्त आय में शामिल होती है।

स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति राशि
वहीं, सरकारी कर्मचारियों को समय पूर्व सेवानिवृत्ति लेने पर मिलने वाली राशि में पांच लाख रुपये तक की राशि कर मुक्त होती है।

शैक्षणिक छात्रवृत्ति
सरकार या किसी निजी संगठन से स्टडी या रिसर्च के लिए मिलने वाली स्कॉलरशिप कर मुक्त होती है। हर तरह की स्कॉलरशिप टैक्स के दायरे से बाहर होती है।

पारिवारिक रकम
भारत में आयकर कानून के सेक्शन-10 (2) के तहत अविभाजित हिंदू परिवार से विरासत के रूप में मिली राशि भी कर मुक्त होती है।

इनमें मां-बाप से मिला पैसा, जेवर और प्रॉपर्टी आदि।

पारिवारिक विरासत में मिली संपत्ति, गहने या नकद राशि टैक्स के दायरे से बाहर है।
वसीयत के माध्यम से मिलने वाली जायदाद या राशि पर भी इनकम टैक्स नहीं लगता है।

हालांकि, करदाता को साबित करना होगा कि संबंधित रकम या संपत्ति उसे खानदानी विरासत में मिली है।

वहीं, वसीयत में मिली राशि को निवेश कर की गई कमाई, संपत्ति से कमाई पर टैक्स देना होगा।

तोहफे
आपको जो तोहफे प्राप्त होते हैं वे इनकम टैक्स के दायरे में आते हैं।

इनकम टैक्स लॉ, 1961 के सेक्शन-56 (2)(x) के तहत आयकर दाता को मिले तोहफों पर टैक्स लगता है।

लेकिन कुछ परिस्थितियों में तोहफों पर भी छूट मिलती है।
जैसे ... शादी के वक्त मिले तोहफो पर टैक्स नहीं देना पड़ता।

लेकिन ये तोहफे चल-अचल किसी भी स्वरूप में 50 हजार रुपये की कीमत से ज्यादा के न हो।

तोहफे और शादी की तारीख में जयादा दिन का अंतर न हों।

इनसे मिले बेशकीमती तोहफे भी कर मुक्त हैं ...

इनमें पति या पत्नी, भाई या बहन, पति या पत्नी के भाई या बहन से मिले तोहफे।
माता-पिता के भाई या बहन, विरासत या वसीयत में मिली संपत्ति।

पति या पत्नी के किसी नजदीकी पूर्वज या वंशज से मिला हुआ तोहफा।

संयुक्त हिंदू परिवार में किसी भी सदस्य की ओर से दिए गए तोहफे।

संस्थाओं से मिले तोहफों पर भी छूट
किसी व्यक्ति स्थानीय प्राधिकरण जैसे ग्राम पंचायत, नगर पालिका, नगरीय निकाय समितियों और जिला बोर्ड या कैंटोनमेंट बोर्ड से मिले तोहफे।

सेक्शन-10 (23C) में निर्दिष्ट किसी फंड / संस्था / विश्वविद्यालय या अन्य शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल या अन्य किसी संस्थान से मिले तोहफे।

सेक्शन-12ए या 12एए के तहत पंजीकृत किसी चैरिटेबल ट्रस्ट या धार्मिक संस्था से मिले तोहफे भी कर मुक्त श्रेणी में आते हैं।

एनआरई सेविंग/एफडी अकाउंट का ब्याज
भारत में एनआरआई को एनआरई (नॉन रेजिडेंट एक्सटर्नल) खाते पर मिलने वाला ब्याज टैक्स फ्री है। एनआरई बचत खाता और एनआरई एफडी दोनों तरह के खातों पर मिलने वाला ब्याज भी कर मुक्त है।

मृतक के व्यक्तिगत पहचान पत्रों का क्या है वैधानिक आधार

एक मृतक के व्यक्तिगत पहचान पत्रों का क्या है वैधानिक आधार,
क्या ये हो जाते बेकार या काम के है हर बार

वोटर आईडी, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, पासपोर्ट इन सभी डॉक्यूमेंट्स की जरूरत हमें लगती है. लेकिन आपने कभी सोंचा है कि मृत्यु के बाद इन दस्तावेजों का क्या होता है. मृतक के कानूनी उत्तराधिकारी इनको अपने पास रख सकते हैं या इनको कहीं वापस करना होता है. आइए विस्तार से जानते हैं इसके बारे में.

*आधार कार्ड*
आधार कार्ड आज के समय में व्यक्ति की पहचान, पते के प्रमाण के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. जिससे जरिए बैंक अकाउंट, सरकारी योजनाओं का लाभ आदि के लिए आधार संख्या देनी होती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आधार व्यक्ति की पहचान का दस्तावेज है. मृत व्यक्ति के आधार कार्ड को कैंसिल करने की UIDAI के पास कोई प्रक्रिया नहीं है. हालांकि कानूनी उत्तराधिकारियों या परिवार के सदस्यों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि आधार का गलल इस्तेमाल न हो.

*मतदाता पहचान पत्र*
मतदाता पहचान पत्र भी एक अहम दस्तावेज है. हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रजिस्ट्रेशन नियम, 1960 के तहत मतदाता पहचान पत्र को व्यक्ति की मृत्यु के बाद कैंसिल कराया जा सकता है. इसके लिए 'मृत व्यक्ति के कानूनी उत्तराधिकारी को स्थानीय चुनाव कार्यालय में जाना होगा. जहां एक विशेष फॉर्म, यानी फॉर्म नंबर 7 को भरना होगा और इसे रद करने के लिए मृत्यु प्रमाण पत्र के साथ जमा करना होगा.

*ड्राइविंग लाइसेंस*
मृतक के ड्राइविंग लाइसेंस को सरेंडर करने या रद्द करने का कोई प्रावधान नहीं है. हालांकि, प्रत्येक राज्य ड्राइवर के लाइसेंस के मुद्दे, निलंबन और रद्दीकरण को अलग से नियंत्रित करता है, इसलिए इस संबंध में राज्य-विशिष्ट नियमों की पुष्टि करना उचित है. इसे रद्द करने के लिए संबंधित आरटीओ कार्यालय जा सकते हैं. इसके अलावा, वारिस भी मृतक के नाम पर पंजीकृत वाहन को उसके नाम पर स्थानांतरित करने की राज्य-विशिष्ट प्रक्रिया की पुष्टि कर सकते हैं.

*पासपोर्ट*
पासपोर्ट के संबंध में, मृत्यु पर सरेंडर या रद्द करने का कोई प्रावधान नहीं है. अपेक्षित अधिकारियों को सूचित करने की कोई प्रक्रिया भी नहीं है. हालांकि, एक बार पासपोर्ट समाप्त हो जाने के बाद, यह डिफ़ॉल्ट रूप से अमान्य हो जाता है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, यदि कोई आधिकारिक दस्तावेज संबंधित संस्थानों को सरेंडर नहीं किया जाता है तो कानून के तहत कोई जुर्माना नहीं है. हालांकि संबंधित अधिकारियों को सूचित करना चाहिए ताकि आधिकारिक दस्तावेजों का बदमाशों द्वारा दुरुपयोग नहीं किया जा सके. काफी घोटालेबाज भी इन दिनों ऑनलाइन चक्कर लगा रहे हैं और संकट के समय भोले-भाले लोगों का शिकार कर रहे हैं.


नए नियम में ड्राइविंग लाइसेंस ( Driving License) के लिए टेस्ट से छूट मिलेगी

बिना टेस्ट दिए बन जायेगा आपका ड्राइविंग लाइसेंस, लागू हो रहा ये नियम 1 जुलाई से, जानिए आप भी


अगले महीने से ड्राइविंग से जुड़े नियम में बड़ा बदलाव हो रहा है. नए नियम में ड्राइविंग लाइसेंस ( Driving License) के लिए टेस्ट से छूट मिलेगी. दरअसल, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने मान्यता प्राप्त ड्राइवर ट्रेनिंग सेंटर्स के लिए नियमों को अधिसूचित किया. ये नियम 1 जुलाई, 2021 से लागू होंगे. ऐसे केंद्रों पर नामांकन करने वाले उम्मीदवारों को उचित प्रशिक्षण और जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलेगी.

बता दें कि वर्तमान में रिजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (RTO) द्वारा ड्राइविंग टेस्ट लिया जाता है. ड्राइवरों को ऐसे मान्यता प्राप्त ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्रों से प्रशिक्षण पूरा करने के बाद ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने में मदद मिलेगी.

लागू होगा ये नियम

1 जुलाई, 2021 से ड्राइविंग लाइसेंस का अप्लाई करने वाले को मान्यता प्राप्त ड्राइवर ट्रेनिंग सेंटर्स (Accredited Driver Training Centers) से प्रशिक्षण लेना होगा. ड्राइवरों को ऐसे मान्यता प्राप्त ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर्स से प्रशिक्षण पूरा करने के बाद ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने में मदद मिलेगी.

ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर्स की खासियतें-

>> उम्मीदवारों को हाई क्वालिटी ट्रेनिंग प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण केंद्र सिमुलेटर और खास ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक से युक्त होगा.

>> इन सेंटर्स पर मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत आवश्यकताओं के अनुसार रेमिडियल और रिफ्रेशर कोर्स का लाभ उठाया जा सकता है.

>> इन केंद्रों पर सफलतापूर्वक परीक्षा पास करने वाले उम्मीदवारों को ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन करते समय ड्राइविंग टेस्ट की आवश्यकता से छूट मिलेगी. वर्तमान में क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) द्वारा ड्राइविंग टेस्ट लिया जाता है.

>> ड्राइवरों को ऐसे मान्यता प्राप्त ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर्स से ट्रेनिंग पूरा करने के बाद ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने में मदद मिलेगी.

>> इन केंद्रों को उद्योगों की जरूरत के अनुसार विशिष्ट ट्रेनिंग भी प्रदान करने की अनुमति है.

कुशल ड्राइवरों की कमी इंडियन रोडवेज सेक्टर में प्रमुख समस्याओं में से एक है. सड़क नियमों के नॉलेज की कमी के कारण बड़ी संख्या में सड़क दुर्घटनाएं भी होती हैं. मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम 2019 की धारा 8 केंद्र सरकार को ड्राइवर ट्रेनिंग सेंटर्स की मान्यता के संबंध में नियम बनाने का अधिकार देती है.


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