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शुक्रवार, 4 मार्च 2022

औषधीय तत्वों से भरपूर है - फिटकरी



फिटकरी से जुड़े इन उपायों से फौरन दूर होती हैं ऐसी समस्याएं,
होने लगता है धन लाभ


बिजनेस में प्रगति अगर धीमी है या फिर नौकरी में तरक्की नहीं मिल पा रही है तो लाल कपड़े में फिटकरी का टुकड़ा बांधकर उसे मुख्य दरवाजे पर लटका दें। फिटकरी के इस उपाय से आपको काफी लाभ मिलेगा।

हमारे घर और आस-पास सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही तरह की ऊर्जाएं होती हैं। वास्तु शास्त्र में वास्तुदोष को दूर करने के लिए कई उपाय बताए गए हैं। इसके अलावा वास्तुशास्त्र में दिशाओं का विशेष महत्व होता है। दिशाओं के अनुरूप घर में रखी हुई चीजों से ही घर में सकारात्मक ऊर्जाओं का प्रवेश होता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार घर और उसके आसपास सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह ऊर्जाएं रहती हैं। जिन घरों में किसी भी प्रकार का कोई वास्तु संबंधी दोष नहीं होता है वहां पर हमेशा सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है। वहीं दूसरी तरफ घर में वास्तुदोष होने पर तमाम तरह की बाधाएं और परेशानियां रहती हैं। वास्तुशास्त्र में वास्तुदोषों को दूर करने के लिए कई तरह के नियम और उपायों के बारे में बताया गया है। आप इन उपायों को अपनाकर घर से वास्तु दोष को दूर कर सकते हैं। हमारे घर के किचन में बहुत सारी ऐसी सामग्रियां होती हैं जिसका उपयोग वास्तु संबंधी दोषों के निवारण करने में सहायक होती हैं। आज हम आपको फिटकरी से जुड़े कुछ वास्तु उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका इस्तेमाल करके आप न सिर्फ घर से नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश रोक सकते बल्कि आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार, सेहत में सुधार और मानसिक शांति भी प्राप्ति कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि घर के वास्तु दोष को फिटकरी से कैसे दूर किया जा सकता है।

फिटकरी से जुड़े कुछ वास्तु उपाय

अगर आपके घर में रहने वाले सदस्यों की आय में लगातार गिरावट देखने को मिल रही हो या फिर आर्थिक उन्नति में कोई बाधा आ रही है तो धन लाभ और उन्नति के लिए नहाने के पानी में थोड़ा सा फिटकरी का टुकड़ा डालकर स्नान करें। ऐसा करने से आर्थिक उन्नति में आ रही बाधाएं दूर होंगी और धन लाभ भी होगा। इसके अलावा फिटकरी युक्ति पानी से स्नान करने पर त्वचा संबंधी रोगों से छुटकारा भी मिलेगा।

अगर आपके घर में छोटे बच्चे हैं और रात के समय वह अक्सर रोते हैं तो उनके ऊपर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव हो सकता है ऐसे में बच्चे के सोने के बिस्तर के नीचे फिटकरी का टुकड़ा रखना उपयुक्त होगा।

अगर आपके घर में कोई वास्तु संबंधी दोष है तो इस दोष के प्रभाव को खत्म करने के लिए घर के कोने में एक कटोरी में कुछ फिटकरी के टुकड़े लेकर रख दें। ध्यान रहें जहां पर भी फिटकरी से भरी कटोरी रखें उस स्थान पर लोगों की नजरें कम पड़ती हो। फिटकरी के इस उपाय से घर से वास्तु दोष और सभी तरह की नकारात्मक ऊर्जा थोड़े ही दिनों में भाग जाएगी। समय-समय पर फिटकरी से भरी कटोरी को बदलते भी रहना है।

अगर आपके घर में कोई न कोई सदस्य हमेशा बीमार रहता है तो यह आपके घर में नकारात्मक ऊर्जा के होने की वजह से हो सकता है। इस दोष को दूर करने के लिए घर में पोंछा लगाते समय पानी में फिटकरी डाल लें। इस उपाय से घर के सदस्य कम बीमार पड़ेंगे और उनकी आर्थिक स्थिति भी अच्छी होने लगेगी।

बिजनेस में प्रगति अगर धीमी है या फिर नौकरी में तरक्की नहीं मिल पा रही है तो लाल कपड़े में फिटकरी का टुकड़ा बांधकर उसे मुख्य दरवाजे पर लटका दें। फिटकरी के इस उपाय से आपको काफी लाभ मिलेगा।

अगर आपके घर के सदस्यों के बीच अक्सर किस बात को लेकर लड़ाई-झगड़ा होता रहता है तो इस दोष को दूर करने के लिए खिड़की के पास शीशे की कटोरी में फिटकरी रख दें। ऐसा करने से निगेटिव ऊर्जा घर पर नहीं आएगी।

जिन लोगों पर कर्ज का बोझ ज्यादा है और समय पर इससे छुटकारा पाना चाहते हैं तो फिटकरी में सिंदूर डालकर उसके साथ एक पान का पत्ता लपेटकर बुधवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे रक्षासूत्र के साथ रख दें। फिटकरी के इस उपाय से जल्द ही आप कर्ज के बोझ से मुक्ति हो जाएंगे।

औषधीय तत्वों से भरपूर जानिए इसके और अन्य लाभ

आपने गले और सांस सम्बन्धी दिक्कतों को दूर करने के लिए लोगों को फिटकरी (Alum) के गरारे करने की सलाह देते हुए सुना होगा. तो कई लोगों को फिटकरी का इस्तेमाल करते हुए देखा भी होगा.लेकिन आपको बता दें कि फिटकरी का ये उपाय कोई नया नहीं है. ऐसी ही कई दिक्कतों को दूर करने के लिए फिटकरी का इस्तेमाल वर्षों से किया जा रहा है. दरअसल हमारे लिए फिटकरी कई तरह से फायदेमंद है. आज हम आपको फिटकरी के कई सारे फायदों के बारे में जानकारी देंगे.


दांत दर्द और मुंह की बदबु
दांत में दर्द से राहत पाने के लिए आप फिटकरी का इस्तेमाल कर सकते हैं.
इसके लिए आप फिटकरी के पाउडर को एक गिलास पानी में मिलाकर इससे कुछ मिनट तक गरारे करें. अगर आपके मुंह से बदबू आती है तो इसको दूर करने के लिए भी इस तरीके का इस्तेमाल किया जा सकता है.

शारीरिक चोट व रक्त स्त्राव
शरीर के किसी हिस्से में चोट लगने पर खून का रिसाव रोकने के लिए फिटकरी का इस्तेमाल किया जा सकता है. फिटकरी के टुकड़े को चोट पर लगाने से खून का बहना बंद हो जाता है.

चेहरे की सुंदरता और झुर्रियां
चेहरे या हाथ-पैर की झुर्रियों को कम करने के लिए भी आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए आप फिटकरी के टुकड़े से कुछ मिनट के लिए चेहरे और हाथ-पैर की मसाज करें फिर पानी से धो लें.

साफ और शुध्द पानी
बहुत लोग ऐसे होते हैं जो वाटर प्यूरीफायर का पानी इस्तेमाल न करके टैप वॉटर का इस्तेमाल करते हैं. इस पानी से गंदगी को निकालने के लिए फिटकरी का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके लिए फिटकरी के बड़े टुकड़े को पानी में डुबोकर आधा मिनट तक घुमाइए फिर पानी को कुछ देर ढक कर रख दीजिये. कुछ देर में सारी गंदगी पानी के नीचे जम जाएगी.

पसीने की दुर्गंध
कुछ लोगों के पसीने में बहुत बदबू आती है. इसको दूर करने के लिए आप नहाने के पानी में दो चुटकी फिटकरी का पाउडर मिला दें. इससे पसीने की बदबू से छुटकारा मिल जायेगा.

सिर की गंदगी व जूं की समस्या
सिर की गंदगी और जूं को दूर करने के लिए भी आप फिटकरी की मदद ले सकते हैं. इसके लिए फिटकरी को पीस कर पानी में मिला दें फिर इस पानी से सिर और बालों को धोएं. इससे काफी राहत मिलेगी.

खून का थक्का जमना
गिर जाने या किसी वजह से चोट लग जाने पर जब चोट नज़र न आये, तो खून को जमने से रोकने के लिए भी फिटकरी का सहारा लिया जा सकता है. इसके लिए एक गिलास गुनगुने दूध के साथ आधा छोटा चम्मच फिटकरी पाउडर का सेवन कर सकते हैं. इससे बॉडी में ब्लड क्लॉटिंग होने का खतरा नहीं रहता है.

आफ्टर शेव लोशन
शेव करने के बाद फिटकरी के टुकड़े को शेव किये हुए हिस्से पर मलने से ये एंटीसेप्टिक का काम करती है. जिससे इंफेक्शन होने का खतरा नहीं रहता है. इसके साथ ही अगर शेव करते समय ब्लेड से चेहरे पर कहीं कट लग जाता है या खून निकल आता है तो इस पर भी फिटकरी का इस्तेमाल फायदा पहुंचाता है.

श्रीरामकिंकर वचनामृत

🌹🌷🚩 श्री राम जय राम जय जय राम🌹🌹🚩 जय जय विघ्न हरण हनुमान 🌹🌷🚩
...........!! *श्रीराम: शरणं मम* !!.........
         ।।श्रीरामकिंकर वचनामृत।।
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     *जब ईश्वर से राग हो जाता है तो*
     *बाकी सब से द्वेष नहीं हो जाता।*
   *भगवान्‌ से राग करने वाले में वैराग्य*
    *आ सकता है द्वेष नहीं आ सकता।* 
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      'मानस' में अरण्यकाण्ड के पात्रों में जितनी विचित्रता और विभिन्नता है वह किसी अन्य काण्ड में नहीं है। इस काण्ड में एक विचित्र पात्र सामने आता है जिसके विषय में यह सोचना पड़ता है कि 'उसे बुरा कहा जाय या भला कहा जाय ?' वह पात्र हैं -- मारीच। मारीच के विषय में जो प्रारम्भिक वर्णन आता है उसमें यह कहा जाता है कि वह मुनियों का यज्ञ नष्ट कर दिया करता था । पर एक बार जब भगवान्‌ राम के बाण के द्वारा उसे दूर समुद्र के किनारे फेंक दिया गया, वह सर्वत्र भगवान्‌ राम के दर्शन करने लगा। 
    रावण सीताजी के हरण की योजना में मारीच से जब सहायता माँगने आता है तो मारीच उसे समझाने की चेष्टा करता है। वह रावण से कहता है कि मैंने श्रीराम के बिना फल के बाण का प्रभाव देख लिया है, अतः उनसे बैर रखना ठीक नहीं होगा ! तुम क्यों ऐसा अनर्थकारी कार्य करते हो ? रावण उसकी बात नहीं मानता, उल्टे सहायता न देने की स्थिति में उसके सामने मृत्यु का भय उपस्थित कर देता है। मारीच यद्यपि नहीं चाहता, पर वह रावण के साथ मायामृग बनकर चल पड़ता है । वह सोचता है कि मेरी मृत्यु का समय तो आ ही गया है, अतः अच्छा है कि रावण के हाथों मरने के स्थान पर भगवान्‌ राम के हाथों मरूँ ! उसके हृदय में भगवान्‌ राम के प्रति प्रेम है पर वह रावण के पक्ष में और प्रभु के विरूद्ध कार्य करता हुआ दिखायी देता है। 
     गीता में अर्जुन ने भगवान्‌ कृष्ण से एक प्रश्न करते हुए कहा था कि प्रभु ! एक व्यक्ति तो ऐसा होता है कि जिसकी पाप में रूचि है, दूसरा व्यक्ति ऐसा है कि जिसकी पुण्य में रूचि है । पर ऐसा भी तो देखा जाता है कि कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं जो पाप नहीं करना चाहते, बुराई नहीं करना चाहते पर - 
 *अथ  केन  प्रयुक्तोऽय॑  पाप॑  चरति  पूरूष:।*
 *अनिच्छन्नपि वार्ष्णेय बलादिव नियोजित:।।* गीता-3/36
     ऐसा लगता है कि बतपूर्वक उनको उस दिशा में प्रेरित किया जाता है। मारीच के जीवन में इस श्लोक का पूरी तरह से निर्वाह होता हुआ दिखायी देता है। मारीच अंत में प्रभु के हाथों मृत्यु को प्राप्त करता है। पर सबसे बड़ी विचित्रता खर-दूषण और त्रिशिरा आदि चौदह हजार राक्षसों की मृत्यु के रूप में दिखायी देती है। मन की भूमि दण्डकारण्य में ही ऐसी विचित्रता संभव है।
     ये सब राक्षस भगवान्‌ राम को देखकर सम्मोहित हो जाते हैं, भगवान्‌ के सौन्दर्य से अभिभूत हो जाते हैं। मन की भूमि में जब वासना का उदय हो जाता है, उस समय सौन्दर्य दिखायी दे यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है। लंका में रावण या किसी अन्य राक्षस को भगवान्‌ राम में न तो रूप-सौन्दर्य ही दिखायी देता है और न ही कोई गुण दिखायी देता है। इसका कारण यही है कि लंका अहंकार की भूमि है। मन की भूमि में तो दूसरे की सुंदरता दिखायी दे सकती है, पर *अहंकारी किसी को सुंदर, गुणी या अपने से श्रेष्ठ मान ले, यह तो संभव ही नहीं है।*
     वर्णन आता है कि भगवान्‌ राम उन चौदह हजार राक्षसों को अपना रूप प्रदान कर देते हैं। और वे राक्षसगण आपस में एक-दूसरे का सिर काटकर समाप्त हो जाते हैं। ये सब जानते थे कि हम सब परस्पर राम के द्वारा दृढ़ता से बँधे हुए हैं इसलिये आपस में न लडेंगे और न मरेंगे। पर यह मात्र एक भ्रान्ति ही सिद्ध होती है। इसे दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि राग भी मारता है। इस संदर्भ में उपनिषद्‌ का एक बड़ा प्रसिद्ध वाक्य आता है जिसमें इस प्रश्न के उत्तर में कि “कौन रूलाता है ?” कहा गया है कि --        
             *'प्रिय: त्वां रौस्यसि'*
     तुम्हारा जो प्रिय है, वही तुम्हें रूलायेगा। यद्यपि साधारणतया यही माना जाता है कि विरोधी ही दुःख देता है पर यह पूरा सत्य नहीं आधा सत्य है। यह दिखायी भी देता है। संसार में ऐसा हो नहीं सकता कि कोई भी राग सर्वथा एक रस बना रहे, पर जहाँ एक रस राग हो सकता है वह तो एकमात्र ईश्वर ही है। 
      संसार में राग से जुड़ा हुआ एक दोष यह है कि जब किसी एक से राग हो जाता है तो दूसरे से द्वेष हो जाता है, पर *जब ईश्वर से राग हो जाता है तो बाकी सब से द्वेष नहीं हो जाता। भगवान्‌ से राग करने वाले में वैराग्य आ सकता है द्वेष नहीं आ सकता। और यदि द्वेष आ गया तो फिर वह भक्त नहीं है।*
      कहा जाता है कि ममता बड़ी दुःखदायी है। संतों को भी यही उलाहना रही कि -- 
     *ममता तू न गई मेरे मन से।*
     इस पर प्रभु ने बड़ी मीठी बात कहीं कि अगर ममता करनी ही है तो मुझसे करो। 
      “महाराज ! यदि ममता करना अच्छी बात नहीं है तो फिर आपसे क्यों करें ? आप ममता के स्थान पर भक्ति करने के लिये क्यों नहीं कह रहे हैं ? तो क्या हम संसार से जैसी ममता करते हैं, वैसी ममता आपसे भी कर लें ? 
    प्रभु ने कहा -- “संसार से ममता करने में और मुझसे ममता करने में एक अंतर है। संसार में जिससे तुम ममता करते हो, वह तुम्हें बाँघता है, पर जब मुझसे ममता करते हो तो मैं बँँध जाता हूँ। प्रभु विभीषणजी से कहते हैं कि मेरे चरणों को बाँध लेने का एक ही उपाय है कि -- 
     *जननी जनक बंधु सुत दारा।*
     *तनु धनु भवन सुहद परिवारा।।*
     *सब कै ममता ताग बटोरी।* 5/47/4, 5 
    और यह जो रस्सी बने उसे मेरे चरणों में बाँध दो -- 
    *मम पद मनहिं बाँध बरि डोरी।।* 5/47/5 
     संसार से ममता बाँधती है और भगवान्‌ से ममता हमें तो मुक्त करती है, पर भगवान्‌ बँध जाते हैं। भगवान्‌ से राग की विशेषता यही है कि --
     *जेहि लागि बिरागी अति अनुरागी,*
     वह (संसार से ) वैराग्य प्रदान करता है। यही राग खरदूषणादि राक्षसों के विनाश का कारण बन जाता है। जहाँ राग नहीं होना चाहिये वहाँ वे राग किये हुए हैं और भगवान्‌ के प्रति द्वेष भाव रखते हैं। इसीलिये भगवान्‌ के द्वारा अपना रूप प्रदान करने पर भी वे आपस में लड़कर मर जाते हैं। यदि उनका भगवान्‌ में राग होता तो वे उन्हें सामने और सबमें एवं अपने में भी देखकर आनंदित हो जाते, फिर न तो विरोध शेष रहता और न ही विनाश की स्थिति आती । प्रभु में जिनका राग होता है उनकी वृत्ति क्या होती है, यह बताते हुए भगवान्‌ शंकर यही कहते हैं कि --
*उमा जे राम चरन रत बिगत काम मद क्रोध।*
*निज प्रभुमय देखहिं जगत केहि सन करहिं विरोध।।* 7112 (ख)
     पर जीवन में जब ऐसी खरवृत्ति आ जाती है, दूषणवृत्ति आ जाती है तो व्यक्ति स्वयं अपना विनाश कर लेता है। इन चौदह हजार राक्षसों का वध भगवान्‌ राम को नहीं करना पड़ा, उन्होंने स्वयं अपना वध कर लिया, मानो आत्महत्या कर ली। गोस्वामीजी यही कहते हैं कि प्रभु तो बड़े कौतुकी हैं --
*सुर मुनि सभय प्रभु देखि मायानाथ अति कौतुक कर्‌यो।*
और इस खेल-खेल में ही -- 
*देखहिं परस्पर राम करि संग्राम रिपुदल लरि मर्‌यो।।* 3/16/छं. 
सारे राक्षसों का विनाश हो गया।.   
भगवान्‌ राक्षसों को अपना रूप देते हैं यह उनकी कृपा ही है। क्योंकि मुक्ति के जो चार प्रकार बताये गये हैं उनमें से एक मुक्ति *'सारूप्य मुक्ति'* है। प्रभु उन्हें यह दुर्लभ मुक्ति बड़ी सहजता से प्रदान कर देते हैं पर वे इसे पाकर भी अपने जीवन को धन्य नहीं बना पाते, सार्थक नहीं बना पाते। मनुष्य शरीर के विषय में भी ऐसी ही बात 'मानस' में कही गयी है। 
      भगवान्‌ राम अयोध्या के नागरिकों को उपदेश देते हुए कहते हैं कि 'व्यक्ति का यह सबसे बड़ा सौभाग्य है कि उसे मनुष्य का शरीर प्राप्त हुआ है। इससे बढ़कर कोई दूसरी वस्तु नहीं है -- 
    *बड़े भाग मानुष तन पावा।*
    *सुर दुर्लभ सद ग्रंथहि गावा।।* 7/42/7 
    व्यक्ति इस शरीर का सदुपयोग करके क्या नहीं पा सकता। लोगों को बहुधा जो वस्तु कठिनता से प्राप्त होती है, उसी का मूल्य लगाते हैं और जो सरलता से मिल जाय उसे मूल्यवान्‌ नहीं मानते। मनुष्य शरीर प्रदान कर ईश्वर ने उसे कितना बड़ा सौभाग्य प्रदान किया है, व्यक्ति का ध्यान इस ओर नहीं जाता। वस्तुतः --
    *कबहुँक करि करूना नर देही।*
    *देत   ईस   बिनु   हेतु  सनेही।।* 7/43/6 
    यह तो ईश्वर की अहैतुकी कृपा है। पर व्यक्ति इसे पाकर भी जब अपने आप को धन्य नहीं बना पाता, तो वह इस शरीर का दुरूपयोग करता है, मानो आत्महत्या करता है -- 
*सो कृत निंदक मंदमति आत्माहन गति जाइ।* 
                                         7/44
      व्यक्ति यदि अपने शरीर की रचना पर ध्यान दे, अंग-प्रत्यंग के कार्यों पर ध्यान दे तो वह चकित रह जायेगा। बाहर होने वाले आविष्कारों की कार्य-प्रणाली को देखकर आश्चर्यचकित होना भी स्वाभाविक है, पर व्यक्ति यदि अपने शरीर की ओर एक बार ध्यान से देख ले तो उसे यह सबसे बड़ा आश्चर्य प्रतीत होगा !
         👤 जय गुरुदेव जय सियाराम 🙏
🌹🌷🚩 श्री राम जय राम जय जय राम🌹🌷🚩 जय जय विघ्न हरण हनुमान 🌹🌷

सबसे आश्चर्यजनक छलावरण वाले जीव



सबसे आश्चर्यजनक छलावरण वाले जीव

जानवरों का एक पूरा झुंड है जो छलावरण का उपयोग करते हैं।

* रैटलस्नेक


रैटलस्नेक छलावरण में महान हैं। वे आमतौर पर रेगिस्तानी वातावरण में रहते हैं, इसलिए वे रेत की तरह दिखने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। यह न केवल साँप को खाने से रोकता है, बल्कि उसे अपने शिकार पर छींटाकशी करने की भी अनुमति देता है! अन्य सांप भी छलावरण का उपयोग कर सकते हैं, मैंने सिर्फ एक उदाहरण के रूप में रैटलस्नेक का उपयोग किया है!

* वोबबेगॉन्ग शार्क



वोब्बेगॉन्ग शार्क शार्क का प्रकार नहीं है जो शार्क का चित्र बनाते समय दिमाग में आता है, लेकिन वे शार्क का एक प्रकार हैं! वे अपने परिवेश में सम्मिश्रण के लिए कुख्यात हैं। वे मूंगा, चट्टानों और रेत की तरह दिख सकते हैं!

* लकड़ी का कीड़ा



लकड़ी का कीड़ा नाम इन कीड़ों को अच्छी तरह से सूट करता है, जैसा कि वे सिर्फ लाठी की तरह लगते हैं! वे कीट साम्राज्य में निश्चित रूप से सर्वश्रेष्ठ छलावरणों में से एक हैं!

आम पोटो

मानो या न मानो, इन तस्वीरों में से एक में एक पक्षी है। उनका छलावरण इतना शानदार है, कि वे पेड़ के तने / शाखा की तरह दिखते हैं।


हिम तेंदुए


नहीं, ये केवल चट्टानों की तस्वीरें नहीं हैं। प्रत्येक तस्वीर के भीतर, एक हिम तेंदुआ है।
यह आश्चर्यजनक है कि उनका छलावरण कितना अच्छा है। वे चट्टानों के बीच लगभग अदृश्य दिखते हैं! जैसा मैंने कहा, ऐसे कई और जानवर हैं जो छलावरण का उपयोग करने की क्षमता प्रदर्शित करते हैं। ये तो चंद उदाहरण थे!

गणेशजी को गजराज का सर लगाने के बाद, उनके असली कटे हुए सर का क्या हुआ?


इस गुफा में आज भी मौजूद है भगवान गणेश का कटा हुआ असली सिर
यहां और भी हैं कई रहस्य


भगवान का कटा सिर धरती पर एक गुफा में रखा है.
आइये आपको बताते हैं इस पवित्र गुफा के और भी कई रहस्य.


इस गुफा में रखा है भगवान का कटा सिर



ये जानकर आपको आश्चर्य जरूर होगा कि भगवान गणेश का असली सिर आज भी एक गुफा (Cleve) में मौजूद है. कहते हैं कि भगवान शिव ने गुस्से में आकर गणेश का सिर काट दिया था और उसे एक गुफा में रख दिया था. इस गुफा को 'पाताल भुवनेश्वर' के नाम से जाना जाता है. यहां गणेश भगवान को आदिगणेश भी कहते हैं. इस गुफा की खोज आदिशंकराचार्य ने की थी. ये गुफा उत्तराखंड के पिथौड़ागढ़ के गंगोलीहाट (Gangolihat of Pithoragarh in Uttarakhand) से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

गणेश के सिर की रक्षा स्वयं भगवान शिव करते हैं

यहां गुफा में मौजूद गणेश भगवान के सिर की रक्षा स्वयं भगवान शिव करते हैं. भगवान गणेश के कटे शिलारूपी मूर्ति के ठीक ऊपर 108 पंखुड़ियों वाला शवाष्टक दल ब्रह्मकमल के रूप में एक चट्टान है. इस ब्रह्मकमल से भगवान गणेश के शिलारूपी मस्तक पर दिव्य बूंद टपकती है. कहते हैं कि यह ब्रह्मकमल भगवान शिव ने ही यहां स्थापित किया था.

कटने के बाद कहां गिरा था भगवान गणेश का सिर?

देश-विदेश में भगवान गणेश के जितने भी मंदिर हैं उनमें उनकी हर मूर्ति के धड़ में हाथी का सिर लगा हुआ है. यही नहीं उनकी कोई भी तस्‍वीर, कैलेंडर या पेंटिंग भी ऐसी ही है. लेकिन आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि गणेश जी का असली सिर एक गुफा में है. मान्‍यता है कि भगवान शिव ने गणेश जी का जो मस्‍तक शरीर से अलग कर दिया था उसे उन्‍होंने एक गुफा में रख दिया. इस गुफा को पाताल भुवनेश्‍वर के नाम से जाना जाता है. इस गुफा में विराजित गणेशजी की मूर्ति को आदि गणेश कहा जाता है. मान्‍यता के अनुसार कलयुग में इस गुफा की खोज आदिशंकराचार्य ने की थी.

यह गुफा उत्तराखंड में पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट से 14 किलोमीटर दूर स्थित है. इसे पाताल भुवनेश्वर गुफा कहते हैं. मान्‍यता है कि इस गुफा में रखे गणेश के कटे हुए सिर की रक्षा स्‍वयं भगवान श‍िव करते हैं.


पाताल भुवनेश्वर की गुफा से जुड़ी जाने रोचक बातें

पाताल भुवनेश्वर की गुफा बहुत ही विशाल पहाड़ के अंदर है और ये गुफा जमीन से करीब 90 फीट गहरी है।

इस गुफा में कई अद्भुत करने वाले तथ्य नजर आते हैं। यहां पौराणिक कथाओं के अनुसार कई साक्ष्य मौजूद हैं, जो गणपति जी के सिर कटने से जुड़ी घटना की जानकारी देते हैं।

सर्वप्रथम पहली बार इस गुफा की खोज आदिशंकराचार्य ने की थी और तब यह पता चला था कि गणपति जी का सिर यही कट कर गिरा था।

मान्यता है कि इस गुफा में पाया जाने वाले चार पत्थर चारों युगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। मान्यता है कि चौथा पत्थर कलयुग का प्रतीक है।

दिनो दिन ये चौथा पत्थर बढ़ता रहता है। पौराणिक मान्यता है कि जिस दिन चौथा पत्थर गुफा की दीवार को छू लेगा, उस दिन कलयुग का अंद हो जाएगा।

गुफा के अंदर पाताल में माना जाता है कि बहुत से पौराणिक रहस्य छुपे हैं। यहां आने वाले भक्त इस पौराणिक साक्ष्यों का अपनी आंखों से देखते हैं।

गुफा के अंदर भगवान गणेशजी का कटा हुआ सिर ‍मूर्ति के रूप में स्थापित है। माना जाता है कि गणपति जी का सिर इसी पाताल में आ कर गिर गया था।

गणेशजी के सिर के ऊपर 108 पंखुड़ियों का ब्रह्मकमल भी नजर आता है और इस

ब्रह्म कमल से गणेशजी के कटे मस्तक पर जल की बूंदें सदा टपकी तरती हैं। इसे इस ब्रह्मकमल इसलिए कहा जाता है क्योंकि मान्यता है कि इसकी स्थापना स्वयं भगवान शिव ने की थी।

पाताल भुवनेश्वर गुफा में बद्रीनाथ, केदारनाथ और अमरनाथ की प्रतिमाएं भी विराजित हैं। यह पहला स्थान हैं जहां दिनों प्रतिमाएं एक साथ नजर आती हैं।

गुफा के अदंर शेषनाग और तक्षक नाग के प्रतीक भी नजर आते हैं। साथ ही बद्री पंचायत में लक्ष्मी-गणेश, यम-कुबेर, तथा वरुण-गरूड़ भी विराजित हैं।


गुफा में अमरनाथ की भी गुफा है, शिवजी की जटाएं पत्थर पर फैली नजर आती हैं वहीं इस गुफा के पास कालभैरव की जिह्वा के दर्शन भी किए जा सकते हैं।


मान्यता है कि कालभैरव जिह्वा नुमा गुफा से होते हुए यदि कोई मनुष्य उनके गर्भ के अंदर प्रवेश करते हुए पूंछ तक पहुंच जाता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

आभार — शिव पुराण

गुरुवार, 3 मार्च 2022

बालों को घना बनाने के उपाय

 

जी हाँ, आप अपने बालो को घना कर सकते है वो भी मात्र तीन स्टेप में आइये जानते है वो तीन स्टेप।

  1. सुबह खाली पेट शौचालय जाने से पहले पानी पिए। शौच से आने के बाद जब ब्रश कर ले और ३ -४ कड़ी पता का सेवन करे।

2 . अपने बालो को हेल्थी रखने के लिए बाजार के केमिकल वाले शैम्पू

का प्रयोग न करे. बल्कि अपने बालो को छाछ से धोये शैम्पू जो बढ़िया रहेगा बिना केमिकल वाले शैम्पू

का प्रयोग करे ,धुप से बालो को बचाये ,बाल्यालम करे गर्म पानी सर पर न डाले।

3.रात को खाने के बाद आमलकी रसयान

का प्रयोग करे ध्यान रहे इसके सेवन और भोजन में २ घंटे का अंतराल रहना चाहिए। खाने के २ घंटे बाद इसका सेवन करे गाय का घी खाये।

इसके साथ कुछ एक्सरसाइज करे। निचे फोटो है उस एक्सरसाइज का

बलायलम

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अब वो कौन से शैम्पू है जो सही है इसके लिए मैंने ऊपर लिंक दे दिया जहाँ पर शैम्पू लिखा हुआ है।

ये अपनाये रिजल्ट १००% दिखेगा

.क्या आपके पास भी है आकस्मिक खर्चो से बचने के लिए पर्याप्त हेल्थ कवर?

1.क्या आपके पास भी है आकस्मिक खर्चो से बचने के लिए पर्याप्त हेल्थ कवर?

2.क्या आपकी हेल्थ पॉलिसी भी करती है कवर (ABCD) यानि अस्थमा, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्राल, और डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों का खर्चा?

3.क्या आपकी हेल्थ पालिसी भी देती है वर्ल्डवाइड मेडिकल असिस्टेंस?

4.क्या आपकी पालिसी भी देती है हेल्थ कवर एक्सास्ट होने पर 100% कवर रीलोड का बेनिफिट?

5.क्या आपकी पॉलिसी में है नो क्लेम बोनस का एक छोटे से क्लेम से 0 ना हो जाने वाला फीचर?

6.सबसे महत्वपूर्ण सवाल,  क्या आपकी पॉलिसी देती है आपको स्वयं को फिट रखने पर अगले साल के प्रीमियम में 30% to 100% तक का डिस्काउंट?

अगर इन सभी सवालों का जवाब है "नहीं" तो जानिए कैसे आप ये सब बेनिफिट ले सकते हैं l••

एक फैमिली में पांच मेम्बर है
पति राजेंद्र (व्यापारी)
पत्नी रागिनी (हाउसवाइफ)
पिता राजेश (रिटायर्ड)
बड़ा बेटा ( राहुल)
छोटा बेटा ( राज)
अब आपको पता होगा यह पूरा परिवार राजेंद्र जी पे डिपेंड हैं।।।
राजेंद्र जी इस परिवार के पिल्ल्लर है।।
अगर राजेंद्र जी बीमार हो जाते है तो क्या क्या दिक्कत आ सकती है ।।।🏨🏥
सोचिए जरा उनकी सेविंग जाएगी और पिता जी में अचानक से जिम्मेदारी आएगी ।।।💸
पत्नी जी को  जादा जिम्मेदारी आ  जाएगी।।
हॉस्पिटल के बिल्स दवाइयों का पैसा बहुत सारे टेस्टों का पैसा एडवांस जमा करवाना होगा।।।
आपको रिस्तेदारो की मदद लेनी होगी।।।
ऐसे में आप परिवार को बहुत दिक्कत में कर रहे है ।।।
इसलिए जागरूक बनिए बिना कोई लापरवाही किए बिना ।।हैल्थ कार्ड बनवाइए।।इलाज मुफ्त करवाइए।।।

इसलिए घर के परिवार के मुखिया को कुछ होता है तो हम है उनके हैल्थ कार्ड के द्वारा सारा इलाज का खर्च का भुगतान हम कंपनी द्वारा किया जाएगा।।।
इसलिए आज ही अपना हैल्थ कार्ड बनवाए ।।।
जिससे आप भारत में कहीं भी इलाज करवाईए।।
हैल्थ कार्ड बनवाने के बाद आपके परिवार में हॉस्पिटल में लेके कभी कोई शिकायत नहीं रहेगी।।।

Kailash Chandra Ladha
9352174466

ADITYA BIRLA HEALTH INSURANCE CARD
TATA AIG HEALTH INSURANCE CARD
Day Care Treatment :

Day Care Treatment होता वो treatment जो एक दिन मैं हो जाते है जैसे Eye treatment ,Nose ,Ear treatment। तो इस पालिसी मैं कुल 586 listed procedures cover है। आप इन treatments को अपने SI use कर सकते है।

Health Check-up Program :

Health Check-up की बात करे तो साल मैं एक बार आपको Health Check-up free मैं मिलेगा।

Organ Donor Expenses :

अगर आपको कभी organ donor की जरूरत पड़ती है तो इसका भी खर्चा इस पालिसी मैं कवर होता है।

Domestic & International Emergency Assistance Services भी इस पालिसी मैं available है including Air Ambulance।✈️✈️✈️🏨🏥

HealthReturns™:

इस पालिसी मैं आपको फिट रहो और पायो upto 100 % discount अगले साल की Policy मैं वाला ऑप्शन दिया जा रहा है।
आपको एक app आपके फ़ोन मैं install करना है नाम है Activ health app जो आपको playstore मैं मिल जाएगी और हर महीने 13 Active days complete करने है
या (325 Days for 100 % cash back) या 10000 steps हर दिन या 30 minutes Gym main या 300 Calories burned करनी है और आपको अगले साल 30 % to 100 % discount
In-patient Hospitalization :

इसका मतलब होता है की आपको अपना कवर तभी मिलता है जब आप 24 घंटो के लिए hospitalized होते है किसी भी treatment के लिए।

महामारी के लिए कवर -

हम जानते हैं की लोग कोरोना वायरस के वजह से डरे हुए हैं इसलिए हम उसको भी कवर करते हैं |

Domiciliary Hospitalization :

यानि home care कई बार ऐसा होता है आपको घर से इलाज करवाना पड़ता है और उस मैं डॉक्टर घर पर ही visit करता है

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=5636411483037489&id=100000060806777

गारंटी भी और Maturity भी - Aditya Birla Life Insurance GMS Plan 360

 जय श्री कृष्णा सा
Aditya Birla Life Insurance GMS Plan 360


जैसा आप जानते है जीवन मे समय समय पर उतार चढ़ाव आते रहते है जिसके लिए हमे हमारे द्वारा कमाए गये पैसे को सही तरह से मार्केट मे एसा investment करना चाहिए की आने वाली ज़रूरत के हिसाब से हमारे काम आ सके और inflation के हिसाब के पैसे की value भी कम ना हो, जिसमे गारंटी भी हो और Maturity पर एकमुश्त राशि भी मिल जाए


इस प्लान मे आपको 12 वर्ष तक 200000 रुपये देने है  
1. 200000
2. 200000
3. 200000
4. 200000
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10. 200000
11. 200000
12. 200000
13. इसके बाद कुछ नही देना है
14वे वर्ष से आपको अगले 12 वर्षो तक 300000 रुपये वार्षिक मिलेंगे
.........आगे गारंटीड्
14. 300000
15. 300000
16. 300000
17. 300000
18. 300000
19. 300000
20. 300000
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22. 300000
23. 300000
24. 300000
25. 300000
26. 300000 कुल 12 वर्षो तक


कुल 300000x12 = Rs. 3600000/- रुपये मिलेंगे उसके बाद परिपक्वता राशि(maturity Amount) जो की लगभग Rs.1794024/- रुपये मिलेंगे


योजना सीमित अवधि तक
अधिक जानकारी हेतु आज ही सम्पर्क करे!
योजना सीमित अवधि तक
बच्चो की date of birth भेजे
अति आवश्यक कागज पत्र:-
1- आधार कार्ड
2 - पेन कार्ड
3 - 2 फोटो
4 - चैक

अधिक जानकारी के लिए

अपनी या फैमिली मेंबर की जन्मतिथि नाइस दिए लिंक पर क्लिक करके व्हाट्सएप करे

Whatsapp -  https://wa.me/message/MGAXBXAZ7MHOG1
(बिना मेरे फोन no को save किए ही डायरेक्ट👆🏻 लिंक से भी whatsapp कर सकते है )

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कैलाश चन्द्र लढा

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जिंदगी भर 99 वर्ष उम्र तक प्रति वर्ष आय - जहां पैसा कुछ समय के लिए दिया जाए पर


 क्या आप चाहते है की कुछ ऐसा इन्वेस्टमेंट प्लान किया जाए जहां पैसा कुछ समय के लिए दिया जाए पर उसके पश्चात कुछ बड़ी रकम एक साथ मिल जाये और तदुपरांत जिंदगी भर 99 वर्ष उम्र  तक प्रति वर्ष आय के रूप में पैसा मिलता रहे।

आदित्य बिरला कैपिटल का विज़न लाइफ इनकम प्लान कुछ इस तरह का ही है।

इसे आप एक उदहारण  से समझे~

मानलो आपकी उम्र 35 वर्ष
आप 330,000 की बचत 12 वर्ष करते है आप की कुल बचत 39.60 लाख हुई

12 वर्ष पश्यात आप को 15'48000 मैच्योरिटी के रूप में मिल जाते है

यहां आप की उम्र 49 वर्ष हो जाती है अब आप को प्रति वर्ष 150000+129000= 279000  मिलते रहेंगे 99 वर्ष* उम्र तक।

आय के दौरान डेथ / सरेंडर या 99 वर्ष उम्र पर आपको एक मुश्त 39लाख और मिलेंगे।

यह प्लान अगर बच्चो के नाम से लेने पर बच्चो की उम्र 99 वर्ष तक प्रति वर्ष 279000 मिलते रहेंगे।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे योजना सीमित अवधि

योजना सीमित अवधि तक
इस प्लान से आपका उद्देश्य पूरा हो सकता है
अति आवश्यक कागज पत्र:-
1- आधार कार्ड
2 - पेन कार्ड
3 - 2 फोटो
4 - चैक

यह योजना बेटी और बेटे दोनों के लिए उपलब्ध है


Thank you💐
अधिक जानकारी हेतु आज ही सम्पर्क करे!
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Kailash Chandra Ladha
9352174466

कामयाब होने की भी एक वजह होती है, लेकिन ये वजह हर किसी के पास नही होती।।

 कामयाब होने की भी एक वजह होती है, लेकिन ये वजह हर किसी के पास नही होती।।

नेटवर्क बनाने की भी एक वजह है लेकिन इस वजह से हर कोई परिचित नही।। अगर हर कोई इस वजह से परिचित हो जाये तो हर व्यक्ति चाहे पार्ट टाइम में ही सही नेटवर्किंग के क्षेत्र से जुड़ जाता।।

किसी ने एक सवाल पूछा है कि विशाल जी , अगर नेटवर्क मार्केटिंग सबसे आसान जरिया है जहाँ बिना भारी पूंजीनिवेश के भी सपने पूरे हो सकते हैं तो फिर हर कोई इसके साथ जुड़ क्यों नही जाता।।

मैंने कहा, हर काम को करने की एक वजह होती है और अभी बहुत से लोगों के पास नेटवर्क बनाने की वजह नही है।।

फिर उन्होंने पूछा, लेकिन विशाल जी
 नेटवर्क बनाने की वजह आखिर है क्या?

मैंने कहा, एक व्यक्ति जो पूरा जीवन अकेला ही काम करता है वह या तो नौकरी करता है या खुद का कोई सीमित दायरे वाला बिज़नेस करता है जैसे कोई दुकानदार या प्रोफेशनल इत्यादि।।

नौकरी करने वाला शायद बस इतना ही जानता है कि उसे लगभग 60 साल की उम्र तक नौकरी करनी है और उसके बाद वह रिटायर हो जायेगा और फिर बाद में आराम करेगा।। लेकिन बजाय यह सोचने के कि वह 60 साल की उम्र में काम से रिटायर हो जायेगा, वह यह भी तो सोच सकता है कि क्यों ना वह 15-20 साल पहले ही काम से रिटायरमेंट ले ले।।

उन्होंने पूछा, लेकिन क्या ऐसा संभव हो सकता है कि कोई व्यक्ति बुढापा आने से पहले ही काम से रिटायरमेंट ले ले।।

मैंने कहा, रिटायरमेंट से मेरा मतलब है कि अगर आपकी भाग दौड़ सिर्फ पैसे के लिये है तो उतना कमाने के लिये एक समय निर्धारित किया जा सकता है और उसके लिये जरूरी नही कि आपको 60 साल की उम्र का इंतेज़ार करना पड़े।।

लेकिन ऐसा करने के लिये कुछ सालों तक खुद काम करना होगा और फिर आगे आपके लिये वो लोग काम करेंगे जिनको आपने सिखाया होगा।। जैसा कि नेटवर्क मार्केटिंग में एकदम संभव है।।

उन्होंने पूछा, लेकिन यह संभव कैसे है।।

मैंने कहा, अगर आप कुछ साल काम करके यह सीख जाते हो कि नेटवर्क मार्केटिंग में प्लान व प्रोडक्ट्स के ऊपर काम कैसे किया जाता है और आप कुछ सालों में 50 हज़ार या 5 लाख कमाना सीख जाते हो तो इसी बीच आपको अपने नेटवर्क को लगातार ये ही सिखाना है कि अगर वो भी इतना पैसा कमाना चाहते हैं तो उनको किस प्रकार से नेटवर्क बनाने का कार्य करना होगा।। अब ये ही बात टीम का हर व्यक्ति जल्द से जल्द अपने रिटायरमेंट के लिये आगे लोगों को सिखाता चलेगा।। जिसके फलस्वरूप आपके प्लान के अनुसार आपकी कमाई की रॉयल्टी भी बढ़ती जायेगी।। मतलब एक दिन ऐसा आयेगा कि जितनी भागदौड़ आपने शुरू के कुछ सालों में 50 हज़ार से 5 लाख कमाने के लिये की थी उससे बहुत कम या बिल्कुल नही के बराबर काम करना होगा और अगर आपने टीम जिम्मेदारी को सही से निभाया होगा तो आपकी कमाई आने वाले वक्त में 10 गुना से भी ज्यादा हो सकती है।।

उन्होंने कहा, अच्छा विशाल जी

 इसका मतलब है कि नेटवर्क मार्केटिंग अपनी टीम को वो काम सिखाने का बिज़नेस है जो काम आप खुद करते हैं और इस वजह से आप लगातार बढ़ती हुई इनकम को पा सकते हैं और इसके लिये 60 साल की उम्र तक का इंतेज़ार करने की भी आवश्यकता नही।।

मैंने कहा, जी बिल्कुल।। अब आप बताओ क्या हर व्यक्ति को नेटवर्क नही बनाना चाहिये अगर जल्द से जल्द रिटायरमेंट चाहिये तो? यह काम तो सिर्फ नेटवर्क पद्धति से जुड़ा व्यक्ति ही कर सकता है जो अपनी सर्विस या सीख व अनुभव को सैकड़ो, हज़ारों व लाखों लोगों को दे सकता है।।

मैने आखिर में कहा, आज तमाम लोगों के पास बहाने तो हैं मगर वो वजह नही है क्योंकि लोग सीमित बहुत हैं।।

खैर,आगे के लेख में कुछ और वजहों पर भी बात करेंगे।।

नोट:- ऊपर बताया गया रिटायरमेंट नेटवर्क लाभ तभी मिल सकता है जब आप व आपका बना हुआ नेटवर्क, प्लान पर टिक सके।।

शिव में छिपे रहस्य

 "शिव में छिपे रहस्य"
                                 

      1.  भस्म

          हमारे धर्म शास्त्रों में जहाँ सभी देवी-देवताओं को वस्त्र-आभूषणों से सुसज्जित जित बताया गया है वहीं भगवान शंकर को सिर्फ मृग चर्म (हिरण की खाल) लपेटे और भस्म लगाए बताया गया है।


भस्म शिव का प्रमुख वस्त्र भी है क्योंकि शिव का पूरा शरीर ही भस्म से ढंका रहता है। शिव का भस्म रमाने के पीछे कुछ वैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक कारण भी हैं। भस्म की एक विशेषता होती है कि यह शरीर के रोम छिद्रों को बंद कर देती है।


 इसका मुख्य गुण है कि इसको शरीर पर लगाने से गर्मी में गर्मी और सर्दी में सर्दी नहीं लगती। भस्मी त्वचा संबंधी रोगों में भी दवा का काम करती है। भस्मी धारण करने वाले शिव यह संदेश भी देते हैं कि परिस्थितियों के अनुसार अपने आपको ढालना मनुष्य का सबसे बड़ा गुण है।

     2      त्रिशूल

           त्रिशूल भगवान शिव का प्रमुख अस्त्र है। यदि त्रिशूल का प्रतीक चित्र देखें तो उसमें तीन नुकीले सिरे दिखते हैं। यूं तो यह अस्त्र संहार का प्रतीक है पर वास्तव में यह बहुत ही गूढ़ बात बताता है।


 संसार में तीन तरह की प्रवृत्तियां होती हैं- सत, रज और तम। सत मतलब सात्विक, रज मतलब सांसारिक और तम मतलब तामसी अर्थात निशाचरी प्रवृति। हर मनुष्य में ये तीनों प्रवृत्तियां पाई जाती हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि इनकी मात्रा में अंतर होता है।


त्रिशूल के तीन नुकीले सिरे इन तीनों प्रवृत्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। त्रिशूल के माध्यम से भगवान शिव यह संदेश देते हैं कि इन गुणों पर हमारा पूर्ण नियंत्रण हो। यह त्रिशूल तभी उठाया जाए जब कोई मुश्किल आए। तभी इन तीन गुणों का आवश्यकतानुसार उपयोग हो।


    3.  श्मशान निवासी

            भगवान शिव को वैसे तो परिवार का देवता कहा जाता है, लेकिन फिर भी श्मशान में निवास करते हैं। भगवान शिव के सांसारिक होते हुए भी श्मशान में निवास करने के पीछे लाइफ मैनेजमेंट का एक गूढ़ सूत्र छिपा है। संसार मोह-माया का प्रतीक है जबकि श्मशान वैराग्य का।


भगवान शिव कहते हैं कि संसार में रहते हुए अपने कर्तव्य पूरे करो, लेकिन मोह-माया से दूर रहो। क्योंकि ये संसार तो नश्वर है। एक न एक दिन ये सबकुछ नष्ट होने वाला है। इसलिए संसार में रहते हुए भी किसी से मोह मत रखो और अपने कर्तव्य पूरे करते हुए वैरागी की तरह आचरण करो।


  4     नाग

            भगवान शिव जितने रहस्यमयी हैं, उनका वस्त्र व आभूषण भी उतने ही विचित्र हैं। सांसारिक लोग जिनसे दूर भागते हैं। भगवान शिव उसे ही अपने साथ रखते हैं। भगवान शिव एकमात्र ऐसे देवता हैं जो गले में नाग धारण करते हैं।


देखा जाए तो नाग बहुत ही खतरनाक प्राणी है, लेकिन वह बिना कारण किसी को नहीं काटता। नाग पारिस्थितिक तंत्र का महत्वपूर्ण जीव है। जाने-अंजाने में ये मनुष्यों की सहायता ही करता है। कुछ लोग डर कर या अपने निजी स्वार्थ के लिए नागों को मार देते हैं।


 लाइफ मैनेजमेंट के दृष्टिकोण से देखा जाए तो भगवान शिव नाग को गले में धारण कर ये संदेश देते हैं कि जीवन चक्र में हर प्राणी का अपना विशेष योगदान है। इसलिए बिना वजह किसी प्राणी की हत्या न करें।


   5.     कैलाश पर्वत

            शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं। पर्वतों पर आम लोग नहीं आते-जाते। सिद्ध पुरुष ही वहां तक पहुंच पाते हैं। भगवान शिव भी कैलाश पर्वत पर योग में लीन रहते हैं। लाइफ मैनेजमेंट की दृष्टि से देखा जाए तो पर्वत प्रतीक है एकांत व ऊंचाई का।


 यदि आप किसी प्रकार की सिद्धि पाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको एकांत स्थान पर ही साधना करनी चाहिए। ऐसे स्थान पर साधना करने से आपका मन भटकेगा नहीं और साधना की उच्च अवस्था तक पहुंच जाएगा।


    6.       विष

           देवताओं और दानवों द्वारा किए गए समुद्र मंथन से निकला विष भगवान शंकर ने अपने कंठ में धारण किया था। विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला पड़ गया और वे नीलकंठ के नाम से प्रसिद्ध हुए। समुद्र मंथन का अर्थ है अपने मन को मथना, विचारों का मंथन करना।


मन में असंख्य विचार और भावनाएं होती हैं उन्हें मथ कर निकालना और अच्छे विचारों को अपनाना। हम जब अपने मन को मथेंगे तो सबसे पहले बुरे विचार ही निकलेंगे। यही विष हैं, विष बुराइयों का प्रतीक है। शिव ने उसे अपने कंठ में धारण किया। उसे अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया।


शिव का विष पीना हमें यह संदेश देता है कि हमें बुराइयों को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए। बुराइयों का हर कदम पर सामना करना चाहिए। शिव द्वारा विष पीना यह भी सीख देता है कि यदि कोई बुराई पैदा हो रही हो तो हम उसे दूसरों तक नहीं पहुंचने दें।


   7.         त्रिनेत्र

       धर्म ग्रंथों के अनुसार सभी देवताओं की दो आंखें हैं, लेकिन एकमात्र शिव ही ऐसे देवता हैं जिनकी तीन आंखें हैं। तीन आंखों वाला होने के कारण इन्हें त्रिनेत्रधारी भी कहते हैं। लाइफ मैनेजमेंट की दृष्टि से देखा जाए तो शिव का तीसरा नेत्र प्रतीकात्मक है।


 आंखों का काम होता है रास्ता दिखाना और रास्ते में आने वाली मुसीबतों से सावधान करना। जीवन में कई बार ऐसे संकट भी आ जाते हैं, जिन्हें हम समझ नहीं पाते। ऐसे समय में विवेक और धैर्य ही एक सच्चे मार्गदर्शक के रूप में हमें सही-गलत की पहचान कराता है।


यह विवेक अत:प्रेरणा के रूप में हमारे अंदर ही रहता है। बस ज़रुरत है उसे जगाने की। भगवान शिव का तीसरा नेत्र आज्ञा चक्र का स्थान है। यह आज्ञा चक्र ही विवेक बुद्धि का स्रोत है। यही हमें विपरीत परिस्थिति में सही निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करता है।


    8.      नंदी

           भगवान शंकर का वाहन नंदी यानी बैल है। बैल बहुत ही मेहनती जीव होता है। वह शक्तिशाली होने के बावजूद शांत एवं भोला होता है। वैसे ही भगवान शिव भी परमयोगी एवं शक्तिशाली होते हुए भी परम शांत एवं इतने भोले हैं कि उनका एक नाम ही भोलेनाथ जगत में प्रसिद्ध है।


भगवान शंकर ने जिस तरह काम को भस्म कर उस पर विजय प्राप्त की थी, उसी तरह उनका वाहन भी कामी नही होता। उसका काम पर पूरा नियंत्रण होता है।


साथ ही नंदी पुरुषार्थ का भी प्रतीक माना गया है। कड़ी मेहनत करने के बाद भी बैल कभी थकता नहीं है। वह लगातार अपने कर्म करते रहता है। इसका अर्थ है हमें भी सदैव अपना कर्म करते रहना चाहिए। कर्म करते रहने के कारण जिस तरह नंदी शिव को प्रिय है, उसी प्रकार हम भी भगवान शंकर की कृपा पा सकते हैं।


  9. चंद्रमा

           भगवान शिव का एक नाम भालचंद्र भी प्रसिद्ध है। भालचंद्र का अर्थ है मस्तक पर चंद्रमा धारण करने वाला। चंद्रमा का स्वभाव शीतल होता है। चंद्रमा की किरणें भी शीतलता प्रदान करती हैं।


लाइफ मैनेजमेंट के दृष्टिकोण से देखा जाए तो भगवान शिव कहते हैं कि जीवन में कितनी भी बड़ी समस्या क्यों न आ जाए, दिमाग हमेशा शांत ही रखना चाहिए। यदि दिमाग शांत रहेगा तो बड़ी से बड़ी समस्या का हल भी निकल आएगा। ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का कारक ग्रह माना गया है।


मन की प्रवृत्ति बहुत चंचल होती है। भगवान शिव का चंद्रमा को धारण करने का अर्थ है कि मन को सदैव अपने काबू में रखना चाहिए। मन भटकेगा तो लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो पाएगी। जिसने मन पर नियंत्रण कर लिया, वह अपने जीवन में कठिन से कठिन लक्ष्य भी आसानी से पा लेता है।


10.     बिल्व पत्र

          शिवपुराण आदि ग्रंथों में भगवान शिव को बिल्व पत्र चढ़ाने का विशेष महत्व बताया गया है। 3 पत्तों वाला बिल्व पत्र ही शिव पूजन में उपयुक्त माना गया है। यह भी ध्यान रखना चाहिए कि बिल्वपत्र के तीनों पत्ते कहीं से कटे-फटे न हो।


लाइफ मैनेजमेंट के दृष्टिकोण से देखा जाए तो बिल्व पत्र के ये तीन पत्ते चार पुरुषार्थों में से तीन का प्रतीक हैं- धर्म, अर्थ व काम। जब आप ये तीनों निस्वार्थ भाव से भगवान शिव को समर्पित कर देते हैं तो चौथा पुरुषार्थ यानी मोक्ष अपने आप ही प्राप्त हो जाता है।


  11.     भांग-धतूरा

            भगवान शिव को भांग-धतूरा मुख्य रूप से चढ़ाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान को भांग-धतूरा चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं। भांग व धतूरा नशीले पदार्थ हैं।


आमजन इनका सेवन नशे के लिए करते हैं। लाइफ मैनेजमेंट के अनुसार भगवान शिव को भांग-धतूरा चढ़ाने का अर्थ है अपनी बुराइयों को भगवान को समर्पित करना।


यानी अगर आप किसी प्रकार का नशा करते हैं तो इसे भगवान को अर्पित करे दें और भविष्य में कभी भी नशीले पदार्थों का सेवन न करने का संकल्प लें। ऐसा करने से भगवान की कृपा आप पर बनी रहेगी और जीवन सुखमय होगा।


  12.     शिव के गण

           शिव को संहार का देवता कहा गया है। अर्थात जब मनुष्य अपनी सभी मर्यादाओं को तोडऩे लगता है तब शिव उसका संहार कर देते हैं। जिन्हें अपने पाप कर्मों का फल भोगना बचा रहता है वे ही प्रेतयोनि को प्राप्त होते हैं।


 चूंकि शिव संहार के देवता हैं। इसलिए इनको दंड भी वे ही देते हैं। इसलिए शिव को भूत-प्रेतों का देवता भी कहा जाता है। दरअसल यह जो भूत-प्रेत है वह कुछ और नहीं बल्कि सूक्ष्म शरीर का प्रतीक है।


शिव का यह संदेश है कि हर तरह के जीव जिससे सब घृणा करते हैं या भय करते हैं वे भी शिव के समीप पहुंच सकते हैं, केवल शर्त है कि वे अपना सर्वस्व शिव को समर्पित कर दें।


हर हर महादेव

ओम नमः शिवाय

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