यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 4 मार्च 2022

गणेशजी को गजराज का सर लगाने के बाद, उनके असली कटे हुए सर का क्या हुआ?


इस गुफा में आज भी मौजूद है भगवान गणेश का कटा हुआ असली सिर
यहां और भी हैं कई रहस्य


भगवान का कटा सिर धरती पर एक गुफा में रखा है.
आइये आपको बताते हैं इस पवित्र गुफा के और भी कई रहस्य.


इस गुफा में रखा है भगवान का कटा सिर



ये जानकर आपको आश्चर्य जरूर होगा कि भगवान गणेश का असली सिर आज भी एक गुफा (Cleve) में मौजूद है. कहते हैं कि भगवान शिव ने गुस्से में आकर गणेश का सिर काट दिया था और उसे एक गुफा में रख दिया था. इस गुफा को 'पाताल भुवनेश्वर' के नाम से जाना जाता है. यहां गणेश भगवान को आदिगणेश भी कहते हैं. इस गुफा की खोज आदिशंकराचार्य ने की थी. ये गुफा उत्तराखंड के पिथौड़ागढ़ के गंगोलीहाट (Gangolihat of Pithoragarh in Uttarakhand) से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

गणेश के सिर की रक्षा स्वयं भगवान शिव करते हैं

यहां गुफा में मौजूद गणेश भगवान के सिर की रक्षा स्वयं भगवान शिव करते हैं. भगवान गणेश के कटे शिलारूपी मूर्ति के ठीक ऊपर 108 पंखुड़ियों वाला शवाष्टक दल ब्रह्मकमल के रूप में एक चट्टान है. इस ब्रह्मकमल से भगवान गणेश के शिलारूपी मस्तक पर दिव्य बूंद टपकती है. कहते हैं कि यह ब्रह्मकमल भगवान शिव ने ही यहां स्थापित किया था.

कटने के बाद कहां गिरा था भगवान गणेश का सिर?

देश-विदेश में भगवान गणेश के जितने भी मंदिर हैं उनमें उनकी हर मूर्ति के धड़ में हाथी का सिर लगा हुआ है. यही नहीं उनकी कोई भी तस्‍वीर, कैलेंडर या पेंटिंग भी ऐसी ही है. लेकिन आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि गणेश जी का असली सिर एक गुफा में है. मान्‍यता है कि भगवान शिव ने गणेश जी का जो मस्‍तक शरीर से अलग कर दिया था उसे उन्‍होंने एक गुफा में रख दिया. इस गुफा को पाताल भुवनेश्‍वर के नाम से जाना जाता है. इस गुफा में विराजित गणेशजी की मूर्ति को आदि गणेश कहा जाता है. मान्‍यता के अनुसार कलयुग में इस गुफा की खोज आदिशंकराचार्य ने की थी.

यह गुफा उत्तराखंड में पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट से 14 किलोमीटर दूर स्थित है. इसे पाताल भुवनेश्वर गुफा कहते हैं. मान्‍यता है कि इस गुफा में रखे गणेश के कटे हुए सिर की रक्षा स्‍वयं भगवान श‍िव करते हैं.


पाताल भुवनेश्वर की गुफा से जुड़ी जाने रोचक बातें

पाताल भुवनेश्वर की गुफा बहुत ही विशाल पहाड़ के अंदर है और ये गुफा जमीन से करीब 90 फीट गहरी है।

इस गुफा में कई अद्भुत करने वाले तथ्य नजर आते हैं। यहां पौराणिक कथाओं के अनुसार कई साक्ष्य मौजूद हैं, जो गणपति जी के सिर कटने से जुड़ी घटना की जानकारी देते हैं।

सर्वप्रथम पहली बार इस गुफा की खोज आदिशंकराचार्य ने की थी और तब यह पता चला था कि गणपति जी का सिर यही कट कर गिरा था।

मान्यता है कि इस गुफा में पाया जाने वाले चार पत्थर चारों युगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। मान्यता है कि चौथा पत्थर कलयुग का प्रतीक है।

दिनो दिन ये चौथा पत्थर बढ़ता रहता है। पौराणिक मान्यता है कि जिस दिन चौथा पत्थर गुफा की दीवार को छू लेगा, उस दिन कलयुग का अंद हो जाएगा।

गुफा के अंदर पाताल में माना जाता है कि बहुत से पौराणिक रहस्य छुपे हैं। यहां आने वाले भक्त इस पौराणिक साक्ष्यों का अपनी आंखों से देखते हैं।

गुफा के अंदर भगवान गणेशजी का कटा हुआ सिर ‍मूर्ति के रूप में स्थापित है। माना जाता है कि गणपति जी का सिर इसी पाताल में आ कर गिर गया था।

गणेशजी के सिर के ऊपर 108 पंखुड़ियों का ब्रह्मकमल भी नजर आता है और इस

ब्रह्म कमल से गणेशजी के कटे मस्तक पर जल की बूंदें सदा टपकी तरती हैं। इसे इस ब्रह्मकमल इसलिए कहा जाता है क्योंकि मान्यता है कि इसकी स्थापना स्वयं भगवान शिव ने की थी।

पाताल भुवनेश्वर गुफा में बद्रीनाथ, केदारनाथ और अमरनाथ की प्रतिमाएं भी विराजित हैं। यह पहला स्थान हैं जहां दिनों प्रतिमाएं एक साथ नजर आती हैं।

गुफा के अदंर शेषनाग और तक्षक नाग के प्रतीक भी नजर आते हैं। साथ ही बद्री पंचायत में लक्ष्मी-गणेश, यम-कुबेर, तथा वरुण-गरूड़ भी विराजित हैं।


गुफा में अमरनाथ की भी गुफा है, शिवजी की जटाएं पत्थर पर फैली नजर आती हैं वहीं इस गुफा के पास कालभैरव की जिह्वा के दर्शन भी किए जा सकते हैं।


मान्यता है कि कालभैरव जिह्वा नुमा गुफा से होते हुए यदि कोई मनुष्य उनके गर्भ के अंदर प्रवेश करते हुए पूंछ तक पहुंच जाता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

आभार — शिव पुराण

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी करें

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

function disabled

Old Post from Sanwariya