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रविवार, 20 मार्च 2011

जुलम हो गया,सितम हो गया


जुलम हो गया,सितम हो गया
काला था, अब लाल हो गया
भोले श्याम पर जुलम हो गया
जुलम हो गया,सितम हो गया
काला था, अब लाल हो गया 
राधा ने किया नजरो से इशारा
सखियों ने टोली को रंग डाला 
भोला श्याम अब लाल हो गया
जुलम हो गया,सितम हो गया
काला था, अब लाल हो गया
राधा ने नजरो से रंग डाला
जग को माया से रंगने वाला
भक्तो के रंग में रंग आया
जुलम हो गया,सितम हो गया
काला था, अब लाल हो गया
राधे रानी से सरदार हारा
जुलम हो गया,सितम हो गया
काला था, अब लाल हो गया

बरसाने में वृन्दावन बिहारी
लाल हो गया

शुक्रवार, 18 मार्च 2011

होली का त्योहार

कहते हैं कि त्रेता युग में हुआ था हिरण्यकश्यप और उसकी राजधानी ऐरच में ही थी. आज भी ऐरच में हिरण्यकश्यप का वो किला है जहां होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर जलने के लिए बैठी थी.
 होली का त्योहार का प्रयोजन आपको किसी देवता विशेष की पूजा करने के लिए प्रेरित करना नहीं है। यह त्योहार हम पुण्य कमाने या अपने पाप नष्ट करने के लिए नहीं मनाते। 
हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मार डालने के लिए होलिका को नियुक्त किया था ! होली में `होलिका' नामक एक राक्षसी का नाश हुआ था। होलिका भक्त प्रह्लादकी बुआ थी। उसने तपकर अग्निसे संरक्षण की सिद्धि प्राप्त की थी। भक्त प्रह्लाद की भक्ति के सामने होलिका की सिद्धि असफल हो गई और वह जल गई; परंतु भक्त प्रह्लादका बाल भी बांका नहीं हुआ। होलिका हिरण्यकश्यप की बहन थी, इसलिए उसमें सामर्थ्य अधिक था; उसे नष्ट होनेमें ५ दिन लगे। पूर्णिमासे लेकर चतुर्थी तक, यानी ५ दिन तक उसका शरीर अग्नि में जलता रहा। छठे दिन प्रह्लाद के बच जाने पर लोगों ने आनंदोत्सव मनाया। भक्त की विजय हुई और राक्षस की पराजय ! उस दिन सत्य ने असत्य पर विजय घोषित कर दी ! होलिका के जल जाने के कारण सर्वत्र राख यानी काला रंग तथा उसके कारण दु:ख व उदासीनता फैल गई। उसे नष्ट करने हेतु विभिन्न रंगोंसे सजी तथा रंगों के माध्यमसे अनुभूति प्रदान करनेवाली `रंगपंचमी' का त्यौहार मनाया जाता है ।तब से लेकर आज तक होलिका-दहन की स्मृति में होली का मस्त पर्व मनाया जाता है !
शरद ऋतु की समाप्ति और बसंत ऋतु के आगमन का यह काल पर्यावरण और शरीर में बैक्टीरिया की वृद्धि को बढ़ा देता है लेकिन जब होलिका जलाई जाती है तो उससे करीब 145 डिग्री फारेनहाइट तक तापमान बढ़ता है। परंपरा के अनुसार जब लोग जलती होलिका की परिक्रमा करते हैं तो होलिका से निकलता ताप शरीर और आसपास के पर्यावरण में मौजूद बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है। और इस प्रकार यह शरीर तथा पर्यावरण को स्वच्छ करता है।

होली दरअसल हमें यही समझाती है कि जिंदगी के कई रंग ऐसे हैं, जिनमें डूबने के बाद हम सब एक जैसे होते हैं। हमारी वृत्तियों में, खुशियों में, मन के भीतर बैठे किसी बच्चे या युवा के नैसर्गिक उल्लास में कोई फर्क नहीं होता। जब हम बदशक्ल बनाए जाने या अपने ड्रॉइंग रूम को गंदा किए जाने से नफरत करते हैं, तो असल में हम उस झूठे अहंकार से घिरे होते हैं। किसी ने हमें रंग लगा दिया, कपड़े गीले कर दिए, भागने को मजबूर कर दिया तो हमारी ठसक, हमारी वह नकली प्रतिष्ठा, इज्जत की कलई उतर गई।   लेकिन अपने लाड़ले के गाल पर एक लाल सा टीका लगा कर क्यों भला खुश होते हैं? या किसी को भूत सा चेहरा लिए झूम-झूम कर जोगिरा गाते देख कर क्यों हंसी आती है? या जब प्रेमिका चुटकी भर गुलाल फेंक कर भागती है, तब एक पिचकारी उसे मार कर आप भला क्यों निहाल हो जाते हैं? इसलिए कि यह पिचकारी उसे अपने रंग में रंग लेने, अपने हिसाब से ढाल लेने की आपकी इच्छा को मंजूर कर लेने की उसकी इच्छा का प्रतीक है। ठीक है, तुम जैसा चाहो, वैसे रंग डालो। लेकिन फिर ऐसे ही भला आपको भी कोई क्यों नहीं रंगे? क्या आपके दोस्तों और संबंधियों का -आपसे प्रेम करने वाले दूसरे लोगों का आप पर कोई अधिकार नहीं बनता?  यदि एक दिन कपड़े पर कीचड़ डाल कर, किसी को मूर्ख नरेश कह कर मन की नफरत या गुस्सा निकल जाए तो क्या हर्ज है? सालों भर मन में दबा रहेगा तो रोडरेज होगा, पार्किन्ग और खिड़की का शीशा टूटने पर झगड़ा होगा। होली की थोड़ी सी ठिठोली बेहतर होगी, जगहंसाई होगी पर परिवार तो नहीं तोड़ेगी। 

आज्ञा चक्र पर गुलाल लगाना, शिव को शक्तित्त्व का योग देने का प्रतीक है। गुलाल के प्रभाव से देह सात्त्विक तरंगों को ग्रहण कर पाती है। आज्ञाचक्र से ग्रहण की गई शक्तिरूपी चैतन्यता संपूर्ण देह को तरंगित करती है।
होलीमें नारियल डालना
नारियल वायुमंडल के विकारों को नष्ट कर देता है। नारियलको होली की अग्नि में डालने वायुमंडलकी शुद्धि होती है । 

माघ पूर्णिमा से ही ब्रज का पूरा अंचल शीत ऋतु के बाद फागुनी रंग में रंगने लगते हैं। ब्रजवासियों में मौसम की मस्ती का यह नशा चालीस दिन तक छाया रहता है और रंगपंचमी (फागुन कृष्णपंचमी) को रंगों की फुहारों के साथ ही उतरता है। है। ब्रजभूमि के अलावा देश भर मे फैले ब्रज परंपरा के राधा-कृष्ण मंदिरों मे वसंत पंचमी से ही गुलाल चढ़ने लगता है। इसके साथ-साथ रसिया गायन भी शुरू हो जाता है, जवान से लेकर अधेड़ ही नहीं बूढ़े भी इसकी रसीली धुन से नहीं बच पाते। रसिया गायन में भक्ति और अध्यात्म की  चर्चा होती  है लेकिन मूलतः श्रृंगार रस की ही प्रधानता होती है। होली के दिन तो नंदगाँव संगीत की सुमधुर स्वर लहरियों से भींगने लगता है। 

गुरुवार, 17 मार्च 2011

आपकी राशि के अनुसार इस बार होली इस प्रकार रहेगी।

होली का त्योहार कई माएनों में खास है। इस बार होली 19 मार्च, शनिवार को है। आपकी राशि के अनुसार इस बार होली इस प्रकार रहेगी।


मेष: इस पर्व पर स्वास्थ्य कुछ नरम रहेगा। परिवार के वरिष्ठ लोगों से आशीर्वाद मिलेगा। इस पर्व पर धन लाभ के योग बनेंगे। जीवनसाथी का पूरा सहयोग मिलेगा। आपके लिए शुभ रंग- केसरीया 

वृषभ: व्यापार में अच्छा लाभ मिलने के योग बन रहे हैं। होली के पर्व पर परिवार में खुशी का वातावरण बना रहेगा। मित्रों और परिवारजनोंं के सहयोग से रूके हुए कार्य भी पूरे होंगे। आपके लिए शुभ रंग- स्लेटी

मिथुन: आपके लिए इस वर्ष होली का त्योहार खुशियां लेकर आया है। आपके सोचे हुए कार्यों को नई दिशा मिलेगी। समय आपके लिए अनुकूल रहेगा। स्वास्थ्य पर ध्यान दें । परिवार के साथ समय बीतेगा। आपके लिए शुभ रंग- हल्का हरा 

कर्क: आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। इस पर्व को थोड़ा सावधानी से मनाएं। विवाद होने के योग बन रहे हैं। पुराने मित्रों और रिश्तेदारों से मिलने के योग बन रहें है। यह त्योहार आपके लिए खुशियां लेकर आएगा। आपके लिए शुभ रंग- पिंक 
सिंह: होली पर आपकी राशि में चंद्रमा रहेगा। थोड़ा तनाव बना रहेगा। त्योहार सावधानी से मनाएं। विवाद की स्थिति बन सकती है। वाणी पर संयम रखें और इस पर्व पर उत्साह बनाए रखें। आपके लिए शुभ रंग- लाल 

कन्या: इस साल होली आपके लिए कोई शुभ समाचार लेकर आ रही है। पुराने रूके हुए आपके सभी कार्य पूरे होंगे। परिवार से संबंधित महत्वपूर्ण विषयों पर जीवनसाथी से सलाह जरूर लें। आपके लिए शुभ रंग- भूरा 


तुला: इस पर्व पर कुछ मानसिक तनाव रहेगा। बिजनेस में कोई जोखिम भरा निर्णय न लें। पार्टनर से संबंध अच्छे रहेंगे। कार्यक्षेत्र में उन्नति के योग बनेंगे। माता पिता के सहयोग से सोचे हुए कार्य पूरे होंगे। आपके लिए शुभ रंग- ग्रे 

वृश्चिक: इस होली के रंग आपके जीवन में सफलता लेकर आएंगे। पुराने शत्रु मित्रता के लिए आगे आऐंगे। जीवनसाथी से प्रेम बना रहेगा। व्यवसाय में आ रही पुरानी रुकावटें खत्म होंगी। आपके लिए शुभ रंग- सुनहरा 

धनु: इस होली पर आपको भाग्य का साथ मिलेगा। माता-पिता और मित्रों के सहयोग से सभी कार्य पूरे होंगे। मेल-मुलाकात में समय बीतेगा। इस पर्व पर उत्साहपूर्ण वातावरण रहेगा। स्वास्थ्य पर ध्यान दें। आपके लिए शुभ रंग- पीला 

मकर: इस वर्ष होली का त्योहार संयमपूर्वक मनाएं। आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। स्फूर्ति और ताजग़ी का अहसास बना रहेगा। इस साल यह पर्व घर-परिवार वालों के साथ मनाएं। खर्च अधिक होगा। आपके लिए शुभ रंग- काला 
कुंभ: इस वर्ष भी आपका यह त्योहार आनंद पूर्वक बितेगा। इस राशि के अविवाहितों को विवाह प्रस्ताव मिलेंगे। परिवार की महिलाओं पर खर्च अधिक होंगे। स्वास्थ्य पर ध्यान दें । जीवनसाथी से मतभेद हो सकता है। आपके लिए शुभ रंग- आसमानी नीला
 मीन: शुभ समाचार मिलेंगे। बाहरी दिखावे पर खर्च बढ़ सकता है। कार्यक्षेत्र में अपने अधिस्थ लोगों से सहयोग मिलेगा। सोचे हुए कार्य पूरे होंगे। नए कार्यों की रूपरेखा बनेगी। इस वर्ष आय के साथ व्यय भी बढ़ेंगे। आपके लिए शुभ रंग- नारंगी

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