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बुधवार, 24 अक्तूबर 2012

मुद्रा विज्ञानं ओर रोग निवारण......................

मुद्रा विज्ञानं ओर रोग निवारण......................

दोनों हाथों की अंगुलियां और अंगूठे को आपस में फंसा कर ग्रिप बना लें और तर्जनी अंगुलियों को सीधा नीचे की ओर रखें।

यदि बैठ कर लगाएं तब तर्जनी अंगुली सीधा नीचे की ओर, यदि लेटकर कर रहे हैं तब तर्जनी अंगुलियां पैरों की ओर रखें।

क्षेपण मुद्रा लगाते समय ध्यान अपनी सांसों पर रखें और 7-8 बार लम्बे सांस भरें और तेजी से छोड़ें। फिर सुख आसन में बैठ कर दोनों हाथों को घुटनों पर, हथेली आसमान की ओर करके ध्यान में बैठें।

क्षेपण मुद्रा को 7-8 बार ही करना चाहिए। इससे अधिक नहीं।

लाभ:......................

@ क्षेपण मुद्रा शरीर से सभी प्रकार की नकारात्मक उर्जा, तनाव, बुरे विचार, क्रोध को निकाल बाहर फैंक सकारात्मक उर्जा का प्रवाह करती है।

@ क्षेपण मुद्रा लगाने से बड़ी आंत ठीक प्रकार से काम करती है तथा कब्ज नहीं होती।

@ क्षेपण मुद्रा लगाने से फेफड़ों से कार्बन-ड़ॉय-ऑक्साईड़ अच्छी तरह से बाहर निकलती है।

@ क्षेपण मुद्रा लगाने से पसीना अच्छी तरह से निकल जाता है
सभार.....वंदे मातृ संस्कृति

मंगलवार और शनिवार को हनुमानजी को ऐसे पूजें, हो जाओगे मालामाल.................................


मंगलवार और शनिवार को हनुमानजी को ऐसे पूजें, हो जाओगे मालामाल...................
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आज के समय में हनुमानजी की भक्ति सबसे जल्दी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली गई है। हनुमानजी को माता सीता ने अमरता का वरदान दिया है। श्रीराम के अनन्य सेवक बजरंग बली अपने भक्तों को सभी सुख प्रदान करते हैं। वे बल, बुद्धि और विद्या के दाता माने गए हैं। बल, बुद्धि और विद्या के बल पर ही कोई भी इंसान धन-दौलत प्राप्त
कर सकता है। यदि किसी व्यक्ति के जीवन में धन से जुड़ी समस्याएं चल रही हैं तो उसे हनुमानजी को पूजने से जल्द ही शुभ फल प्राप्त होते हैं।

हर मंगलवार और शनिवार को किसी भी हनुमान मंदिर में 11 काले उड़द के दाने, सिंदूर, चमेली का तेल, फूल, प्रसाद अर्पित करें। साथ ही सुंदरकांड का पाठ करें या समय अभाव हो तो हनुमान चालिसा का पाठ करें। मंगलवार को शनिवार को हनुमानजी का विधिवत पूजन करने से सभी प्रकार के कष्ट और क्लेश नष्ट हो जाते हैं। इसके साथ ही कुंडली में शनि के अशुभ प्रभाव भी दूर हो जाते हैं। इस उपाय को अपनाने से कुछ ही दिनों में सकारात्मक परिणाम प्राप्त होने लगेंगे। ध्यान रखें पवित्रता का पूरा ध्यान रखें। किसी भी प्रकार के अधार्मिक कर्मों से दूर रहें। किसी भी स्थिति में घर के बड़े-बुजूर्गों सहित अन्य वृद्धजनों का सम्मान करें, उनका दिल ना दुखाए।

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