मुद्रा विज्ञानं ओर रोग निवारण.................... ..
दोनों हाथों की अंगुलियां और अंगूठे को आपस में फंसा कर ग्रिप बना लें और तर्जनी अंगुलियों को सीधा नीचे की ओर रखें।
यदि बैठ कर लगाएं तब तर्जनी अंगुली सीधा नीचे की ओर, यदि लेटकर कर रहे हैं तब तर्जनी अंगुलियां पैरों की ओर रखें।
दोनों हाथों की अंगुलियां और अंगूठे को आपस में फंसा कर ग्रिप बना लें और तर्जनी अंगुलियों को सीधा नीचे की ओर रखें।
यदि बैठ कर लगाएं तब तर्जनी अंगुली सीधा नीचे की ओर, यदि लेटकर कर रहे हैं तब तर्जनी अंगुलियां पैरों की ओर रखें।
क्षेपण मुद्रा लगाते समय ध्यान अपनी सांसों पर रखें और 7-8 बार लम्बे सांस
भरें और तेजी से छोड़ें। फिर सुख आसन में बैठ कर दोनों हाथों को घुटनों
पर, हथेली आसमान की ओर करके ध्यान में बैठें।
क्षेपण मुद्रा को 7-8 बार ही करना चाहिए। इससे अधिक नहीं।
लाभ:......................
@ क्षेपण मुद्रा शरीर से सभी प्रकार की नकारात्मक उर्जा, तनाव, बुरे विचार, क्रोध को निकाल बाहर फैंक सकारात्मक उर्जा का प्रवाह करती है।
@ क्षेपण मुद्रा लगाने से बड़ी आंत ठीक प्रकार से काम करती है तथा कब्ज नहीं होती।
@ क्षेपण मुद्रा लगाने से फेफड़ों से कार्बन-ड़ॉय-ऑक्साईड़ अच्छी तरह से बाहर निकलती है।
@ क्षेपण मुद्रा लगाने से पसीना अच्छी तरह से निकल जाता है
सभार.....वंदे मातृ संस्कृति
क्षेपण मुद्रा को 7-8 बार ही करना चाहिए। इससे अधिक नहीं।
लाभ:......................
@ क्षेपण मुद्रा शरीर से सभी प्रकार की नकारात्मक उर्जा, तनाव, बुरे विचार, क्रोध को निकाल बाहर फैंक सकारात्मक उर्जा का प्रवाह करती है।
@ क्षेपण मुद्रा लगाने से बड़ी आंत ठीक प्रकार से काम करती है तथा कब्ज नहीं होती।
@ क्षेपण मुद्रा लगाने से फेफड़ों से कार्बन-ड़ॉय-ऑक्साईड़ अच्छी तरह से बाहर निकलती है।
@ क्षेपण मुद्रा लगाने से पसीना अच्छी तरह से निकल जाता है
सभार.....वंदे मातृ संस्कृति
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