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बुधवार, 24 अक्तूबर 2012

कालसर्प योग.....................

कालसर्प योग.....................

जन्म कुंडली में जब सभी ग्रह राहु-केतु के मध्य आ जाते हैं, तो कालसर्प योग बनता है। कालसर्प योग- कुलिक वासुकी और सिद्धि में से कोई एक हो सकता है।
आपकी कुण्डली में कालसर्प योग है इस बात का पता कुण्डली में ग्रहों की स्थिति को देखकर पता चलता है लेकिन कई बार जन्म समय एवं तिथि का सही ज्ञान नहीं होने पर कुण्डली ग़लत हो जाती है. इस तरह की स्थिति होने पर कालसर्प योग आपकी कु
ण्डली में है या नहीं इसका पता कुछ विशेष लक्षणो से जाना जा सकता है.

कालसर्प के लक्षण ..............
कालसर्प योग से पीड़ित होने पर स्वप्न में मरे हुए लोग आते हैं. मृतकों में अधिकांशत परिवार के ही लोग होते हैं. इस योग से प्रभावित व्यक्ति को सपने में अपने घर पर परछाई दिखाई देती है. व्यक्ति को ऐसा लगता है मानो कोई उसका शरीर और गला दबा रहा है. सपने में नदी, तालाब, समुद्र आदि दिखाई देना भी कालसर्प योग से पीड़ित होने के लक्षण हैं.
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस योग से प्रभावित व्यक्ति समाज एवं परिवार के प्रति समर्पित होता है वे अपनी निजी इच्छा को प्रकट नहीं करते और न ही उन्हें अपने सुख से अधिक मतलब होता है. इनका जीवन संघर्ष से भरा होता है. बीमारी या कष्ट की स्थिति में अकेलापन महसूस होना और जीवन बेकार लगना ये सभी इस योग के लक्षण हैं.
इस प्रकार की स्थिति का सामना अगर आपको करना पड़ रहा है तो संभव है कि आप इस योग से पीड़ित हैं. इस योग की पीड़ा को कम करने के लिए इसका उपचार कराएं.
जो व्यक्ति कालसर्प योग में होते हैं वे सांप से भयभीत रहते हैं. इन्हें सांप काटने का डर लगा रहता है. सपने में शरीर पर सांप लिपटा होना दिखाई देना या सांप का सपना आना यह भी इस योग के लक्षण हैं. ऊँचाई पर जाने पर अनजाना भय सताना, घबराहट और बेचैनी होना तथा सुनसान स्थानों पर जाने से मन में भय आना कालसर्प का लक्षण माना जाता है.

कालसर्प योग कारण ..........................
कर्म फल की बात सभी शास्त्र और धर्म में बताया गया है. हम जैसा कर्म करते है उसी के अनुरूप हमें फल मिलता है. कालसर्प योग के पीछे भी यही मान्यता और धारणा है. मान्यताओं के अनुसार कालसर्प योग उस व्यक्ति की कुण्डली में बनता है जिसने पूर्व जन्म में सांप को मारा हो या किसी बेकसुर जीव को इतना सताया हो कि उसकी मृत्यु हो गयी हो. इसके अलावा यह भी माना जाता है कि जब व्यक्ति की प्रबल इच्छा अधूरी रह जाती है तब व्यक्ति अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए पुनर्जन्म लेता है और ऐसे व्यक्ति को भी इस योग का सामना करना होता है.

कालसर्प योग शांति .............................
कालसर्प योग के अनिष्टकारी प्रभाव से बचने के लिए शास्त्रो में जो उपाय बताए गये हैं उनके अनुसार प्रतिदिन पंचाक्षरी मंत्र "ऊँ नम शिवाय अथवा महामृत्युंजय मंत्र का 108 जप करना चाहिए. काले अकीक की माला से राहु ग्रह का बीज मंत्र 108 बार जप करना चाहिए. शनिवार के दिन पीपल की जड़ को जल से सिंचना चाहिए. नागपंचमी के दिन व्रत रखकर नाग देव की पूजा करनी चाहिए. मोरपंखधारी भगवान श्री कृष्ण की पूजा करनी चाहिए. शनिवार या पंचमी तिथि के दिन 11 नारियल बहते जल में प्रवाहित करने चाहिए. धातु से बने 108 नाग नागिन के जोड़े बहते जल में प्रवाहित करने चाहिए. सोमवार के दिन किसी विद्वान पंडित से रूद्राभिषेक कराना चाहिए. कालसर्प गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए. इन उपायों से काल सर्प और सर्प योग के अनिष्टकारी प्रभाव में कमी आती है और जीवन में इनके कारण आने वाले अवरोधों का सामना नहीं करना होता है.


कुलिक कालसर्प योग होने पर व्यक्ति किसी न किसी बीमारी से पीडि़त रहता है। तनाव या चिड़चिड़ापन स्वभाव में आ सकता है। विवाह संबंध टूट सकते हैं या परिवार में कलह होती रहती है। आर्थिक स्थिति का प्रभावित होना भी इस योग के लक्षण हो सकते हैं।
यदि आपके कुलिक कालसर्प योग हो, तो अपनी लग्न से संबंधित रत्न पहनें। श्रीकृष्ण भगवान की पूजा करें या घर में मोर पंख रखें। उसे प्रतिदिन अपने शरीर से एक बार लगाएं या स्पर्श करें। इससे आपकी परेशानी दूर होगी।

सिद्ध कालसर्प योग की शांति के लिए यंत्र स्थापित करें। श्रावण माह में कालसर्प की शांति करा लें या नाग की आकृति की अंगूठी पहन लें।

जब जन्म कुंडली के तीसरे भाव में राहु और नौवें भाव में केतु हो और उनके बीच सारे ग्रह हों, तो वासुकि कालसर्प योग बनता है।
इस योग से प्रभाावित लोग पारिवारिक सदस्यों और छोटे भाई-बहनों के कारण कष्ट या तनाव झेलते हैं। मित्रों और संबंधियों से धोखा खा सकते हैं। नौकरी, काम-धंधे में कष्ट हो सकते हैं या कमाने के बावजूद अपयश मिलता है। धर्म-कर्म, पाठ-पूज में रूचि नहीं होती। विदेश-प्रवास में कष्ट झेलने पड़ते हैं। भाग्योदय में रूकावटें आ सकती हैं या यश, प्रतिष्ठा, पराक्रम के लिए सदा संघर्ष करना पड़ सकता है।

ऊपर बताए गए उपायों से कोई एक उपाय कर लें। अच्छा तो यह रहेगा कि आप अपनी कुंडली किसी विशेषज्ञ को दिखाकर उनके बताए उपाय कर लें

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