मंत्र जाप कैसे लाभकारी होगा??????????
मंत्र के विषय में कहा गया है कि 'मन्नात त्रायते इति मन्त्राः' अर्थात् जो निरंतर मनन के माध्यम से साधक के संस्कारों का नाश कर, उसे भाव सागर से पार कर दे, उसे मंत्र कहा जाता है। हमारे ऋषि मुनियों ने अनेकों मंत्रों को निरंतर कई वर्षों तक जप कर, उन्हें सिद्ध किया और उनमें अपार ऊर्जा भर दी है। फिर जब इन मन्त्रों का जाप किया जाता है, तब ये मंत्र अपनी शक्ति साधक पर
मंत्र के विषय में कहा गया है कि 'मन्नात त्रायते इति मन्त्राः' अर्थात् जो निरंतर मनन के माध्यम से साधक के संस्कारों का नाश कर, उसे भाव सागर से पार कर दे, उसे मंत्र कहा जाता है। हमारे ऋषि मुनियों ने अनेकों मंत्रों को निरंतर कई वर्षों तक जप कर, उन्हें सिद्ध किया और उनमें अपार ऊर्जा भर दी है। फिर जब इन मन्त्रों का जाप किया जाता है, तब ये मंत्र अपनी शक्ति साधक पर
बिखेरने लगते हैं। इसकी ऊर्जा हमारे सोए
शक्ति चक्रों को जगाने लगती है, जिससे साधक के व्यवहार में परिवर्तन आने
लगता है और साधक के संचित कर्मों का लेखा-जोखा खत्म होने लगता है।
ध्यान दें, ऐसा नहीं है कि ये मंत्र हम किताब से पढ़ कर जाप करने लगे तो इसका पूरा लाभ हमें मिल जाएगा। यहां एक महत्वपूर्ण बात और है कि जब मंत्र का जाप हो, उस समय उसका अर्थ व उस मंत्र में पूरी भावना होनी चाहिए। यदि जाप के समय मंत्र का अर्थ ही नहीं पता और उसके प्रति भावना नहीं है तो वह मंत्र फूटेगा कैसा, अपनी शक्ति बिखेरेगा कैसे?
अधिकतर देखा जाता है कि लोग हाथ में माला लेकर मंत्र जपते तो हैं, लेकिन कुछ ही ऐसे होते हैं जो सही अर्थ में जाप करते हैं। बाकी तो सुबह का रूटीन बना लेते हैं, फिर ध्यान मंत्र में न होकर इधर-उधर भटकता रहता है और माला फेरकर सोचते हैं कि पूजा हो गई। जब मन मंत्र में एकाग्र नहीं, तो ऐसी माला फेरना या न फेरना दोनों एक ही है। अतः आप इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए जब मंत्र जाप करेंगे तो उसका अवश्य लाभ होगा
ध्यान दें, ऐसा नहीं है कि ये मंत्र हम किताब से पढ़ कर जाप करने लगे तो इसका पूरा लाभ हमें मिल जाएगा। यहां एक महत्वपूर्ण बात और है कि जब मंत्र का जाप हो, उस समय उसका अर्थ व उस मंत्र में पूरी भावना होनी चाहिए। यदि जाप के समय मंत्र का अर्थ ही नहीं पता और उसके प्रति भावना नहीं है तो वह मंत्र फूटेगा कैसा, अपनी शक्ति बिखेरेगा कैसे?
अधिकतर देखा जाता है कि लोग हाथ में माला लेकर मंत्र जपते तो हैं, लेकिन कुछ ही ऐसे होते हैं जो सही अर्थ में जाप करते हैं। बाकी तो सुबह का रूटीन बना लेते हैं, फिर ध्यान मंत्र में न होकर इधर-उधर भटकता रहता है और माला फेरकर सोचते हैं कि पूजा हो गई। जब मन मंत्र में एकाग्र नहीं, तो ऐसी माला फेरना या न फेरना दोनों एक ही है। अतः आप इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए जब मंत्र जाप करेंगे तो उसका अवश्य लाभ होगा
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