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शुक्रवार, 24 जून 2022

जिसने अपने दिमाग का सही इस्तेमाल किया वहीं इस दुनिया का सुल्तान बन सकता है।

 

इस तस्वीर से हमें यह पता चलता है सबसे ताकतवर दिमाग ही है। जिसने अपने दिमाग का सही इस्तेमाल किया वहीं इस दुनिया का सुल्तान बन सकता है। देखिए किस तरह इस चिड़िया ने अपने दुश्मन से बचने के लिए अपने घोंसले में उसको कैसे चकमा दिया। यदि इसी तरह हम इंसान भी अपने दिमाग का सही प्रयोग करें तो हम किसी भी स्थिति को बदल सकते हैं।

उम्मीद हम इस तस्वीर से कुछ सीखेंगे। यदि आपको यह तस्वीर पसंद आई कृपया इसे शेयर करें।

रामायण काल का पात्र जामवन्त जो उस समय बूढ़े हो गए थे, जवानी में वो कितने बलशाली थे?

 

चित्र स्रोत: गूगल

जामवंत रामायण के एक ऐसे पात्र हैं जिनके विषय में बहुत विस्तार से नहीं लिखा गया है। हालाँकि रामायण में ही उनके विषय में केवल एक-दो चीजें ऐसी बताई गयी है जिनसे आप उनके बल के बारे में अनुमान लगा सकते हैं। आइये उन्हें देखते हैं।

  • पहली बात तो जामवंत सतयुग के व्यक्ति थे। अब सतयुग में निःसंदेह योद्धा अन्य युगों की अपेक्षा बहुत अधिक शक्तिशाली होते थे। उनकी उत्पत्ति सीधे ब्रह्माजी से बताई गयी है। अब परमपिता ब्रह्मा से जो जन्मा हो उसकी शक्ति के बारे में तो केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है।
  • रामचरितमानस में उनके पराक्रम के बारे में दो घटना विशेष रूप से उल्लेखनीय है। उन दोनों स्थानों पर जामवंत का युद्ध रावण और मेघनाद के साथ हुआ था जिसमें दोनों को जामवंत ने अपने पाद प्रहार से मूर्छित कर दिया था। मेघनाद की शक्ति तो उन्होंने अपने हाथों से ही पकड़ कर पलट दी थी। अत्यंत वृद्धावस्था में भी जो रावण और मेघनाद जैसे योद्धाओं को अपने घात से मूर्छित कर दे, जरा सोचिये युवावस्था में उसका बल क्या होगा।
  • जब द्वापर आया और जामवंत और अधिक बूढ़े हो गए, उस समय उनका युद्ध श्रीकृष्ण से हुआ था। जनमवंत को परास्त करने के लिए श्रीकृष्ण को उनसे एक-दो नहीं बल्कि 28 दिनों तक युद्ध करना पड़ा। स्वयं परमेश्वर कृष्ण को जिसे परास्त करने में अट्ठाइस दिन लग गए हों, वो भी वृद्धावस्था में, जवानी में उनके बल के बारे में हम केवल अनुमान ही लगा सकते हैं।
  • जब सीता माता को खोजने के लिए समुद्र लांघने की बात चल रही थी उस समय जामवंत कहते हैं कि "मैं तो अब बहुत बूढ़ा हो गया हूँ, फिर भी इस समुद्र में मैं 90 योजन तक जा सकता हूँ।" हनुमान जी अपनी युवावस्था में 100 योजन छलांग गए, जामवंत की आयु उस समय 6 मन्वन्तर की बताई गयी है। एक मन्वन्तर तीस करोड़ सड़सठ लाख बीस हजार वर्षों का होता है, फिर भी वे 90 योजन तक जाने की क्षमता रखते थे, इसी से उनके बल का पता चलता है।
  • इस वार्तालाप के दौरान उन्होंने युवावस्था में अपने बल के बारे में दो बातें बताई जिसे ध्यान से सुनना आवश्यक है। इससे आपको जामवंत की वास्तविक शक्ति का पता चलेगा।
    • पहली घटना तब की है जब समुद्र मंथन चल रहा था जिसे देवता और दैत्य मिलकर बड़ी मुश्किल से कर पा रहे थे। उस समय जामवंत ने अपनी जवानी के जोश में एक बार अकेले ही सम्पूर्ण मंदराचल पर्वत को घुमा दिया था। मंदराचल को अकेले घुमाने के लिए कितनी शक्ति चाहिए होगी, क्या आपको अंदाजा है?
    • दूसरी घटना भगवान विष्णु के वामन अवतार की है। जब श्रीहरि ने विराट स्वरुप लिया और एक पैर से स्वर्ग को नाप लिया। फिर जब उन्होंने अपना पैर पृथ्वी को नापने के लिए उठाया, उस दौरान जामवंत ने केवल 7 पल में पृथ्वी की सात परिक्रमा कर ली थी। जरा सोचिये महावीर हनुमान एक ही रात में लंका से सैकड़ों योजन दूर से पर्वत शिखर उखाड़ कर ले आये लेकिन जामवंत ने केवल सात पल में पृथ्वी की सात परिक्रमा कर ली थी। एक पल लगभग 24 सेकंड का होता है। क्या आप उनकी गति का अनुमान लगा सकते हैं?
  • उस उनके बल का ऐसा वर्णन सुनकर जब अंगद उनसे पूछते हैं कि उनका बल क्षीण कैसे हुआ? तब वे बताते हैं कि जब वे पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे थे तो अंतिम परिक्रमा के समय उनके पैर के अंगूठे का नाख़ून महामेरु पर्वत से छू गया, जिससे उसका शिखर खंडित हो गया। इसे अपना अपमान मानते हुए मेरु ने जामवंत को ये श्राप दे दिया कि वो सदा के लिए बूढ़ा हो जाएगा और उसका बल क्षीण हो जाएगा।

आशा है आपको जामवंत की शक्ति का कुछ अंदाजा हो गया होगा। किन्तु इतने शक्तिशाली होने के बाद भी उनमें लेश मात्र भी घमंड नहीं था। जय श्रीराम।

इस गांव के सभी लोग अंधे हैं यहां तक इस गांव के जानवर भी अंधे हैं।

 

इस गांव के सभी लोग अंधे हैं यहां तक इस गांव के जानवर भी अंधे हैं।

आज हम बात करेंगे कि इस गांव के लोगों के अंधेपन की वजह क्या है?

तो आइए इस गांव के विषय में विस्तार से जानकारी लेते हैं।

क्यों खास है टिल्टेपक गांव?

मेक्सिको देश में बसा है यह गांव, यह गांव काफी छोटा है इस गांव में केवल 70 झोपड़ी है जिसमें कुल मिलाकर 300 के आसपास लोग रहा करते हैं इस गांव में जोपोटेक नाम की जनजाति रहती है।

टिल्टेपक गाँव के सभी लोग अंधे हैं यहां तक कि जीव- जंतु पशु -पक्षी भी अंधे हैं ।ऐसा नहीं है कि यह सभी लोग जन्मजात अंधे होते हैं जब यहां के बच्चे का जन्म होता है तब बच्चा कुछ दिनों तक सामान्य रहता है फिर उसकी आंखों की रोशनी चली जाती है।

यहां के पक्षी भी अंधे हैं जिसकी वजह से वह उड़ नहीं पाते अगर कोई पक्षी उड़ने का प्रयास भी करता है तो वह पेड़ों से टकरा जाता है और उसकी मौत हो जाती है।

गांव के किसी भी झोपड़ी में खिड़की नहीं है क्योंकि उन्हें उजाले से कोई मतलब नहीं है सभी लोग लाठियों के सहारे अपना सभी काम करते हैं

क्या श्रापित पेड़ की वजह से इस गांव के लोग अंधे हैं?

गांव के लोगों के अनुसार उनके अंधेपन की वजह एक श्रापित पेड़ है उसे देखने के बाद लोगों की आंखें चली जाती है हालांकि इस बात को वैज्ञानिकों ने सिरे से नकार दिया वैज्ञानिकों ने गांव के लोगों को अंधेपन की कुछ अलग वजह बताई।

तो क्या है गांव के लोगों की अंधेपन की असली वजह?

वैज्ञानिकों ने अपने शोध में पाया कि क्या गांव के लोगों के अंधेपन की वजह कोई श्रापित पेड़ नहीं है, बल्कि एक मक्खी है।

जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा गांव के आस पास पाए जाने वाली जहरीली मक्खी के काटने से वहां के लोग अंधे हो जाते हैं।

जिस मक्खी का जहर आंखों के द्वारा दिमाग को भेजे गए सिग्नल को रोक देता है जिससे व्यक्ति देख नहीं पाता है।

यही वजह है कि गांव के नए जन्मजात बच्चे देख पाते हैं और कुछ ही दिनों बाद उन्हें वह मक्खी काटने की वजह से उनकी दृष्टि चली जाती है।

ढोल,गवार,क्षुब्ध पशु,रारी” श्रीरामचरितमानस में कहीं नहीं किया गया है शूद्रों और नारी का अपमान।

ढोल,गवार,क्षुब्ध पशु,रारी”
श्रीरामचरितमानस में कहीं नहीं किया गया है शूद्रों और नारी का अपमान।


भगवान श्रीराम के चित्रों को जूतों से पीटने वाले भारत के राजनैतिक शूद्रों को पिछले 450 वर्षों में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित हिंदू महाग्रंथ 'श्रीरामचरितमानस' की कुल 10902 चौपाईयों में से आज तक मात्र 1 ही चौपाई पढ़ने में आ पाई है और वह है भगवान श्री राम का मार्ग रोकने वाले समुद्र द्वारा भय वश किया गया अनुनय का अंश है जो कि सुंदर कांड में 58 वें दोहे की छठी चौपाई है "ढोल गँवार शूद्र पशु नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी”

इस सन्दर्भ में चित्रकूट में मौजूद तुलसीदास धाम के पीठाधीश्वर और विकलांग विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री राम भद्राचार्य जी जो नेत्रहीन होने के बावजूद संस्कृत, व्याकरण, सांख्य, न्याय, वेदांत, में 5 से अधिक GOLD Medal जीत चुकें हैं।

महाराज का कहना है कि बाजार में प्रचलित रामचरितमानस में 3 हजार से भी अधिक स्थानों पर अशुद्धियां हैं और इस चौपाई को भी अशुद्ध तरीके से प्रचारित किया जा रहा है।

उनका कथन है कि तुलसी दास जी महाराज खलनायक नहीं थे,आप स्वयं विचार करें यदि तुलसीदास जी की मंशा सच में शूद्रों और नारी को प्रताड़ित करने की ही होती तो क्या रामचरित्र मानस की 10902 चौपाईयों में से वो मात्र 1 चौपाई में ही शूद्रों और नारी को प्रताड़ित करने की ऐसी बात क्यों करते ?


यदि ऐसा ही होता तो भील शबरी के जूठे बेर को भगवान द्वारा खाये जाने का वह चाहते तो लेखन न करते।यदि ऐसा होता तो केवट को गले लगाने का लेखन न करते।

स्वामी जी के अनुसार ये चौपाई सही रूप में

- ढोल,गवार, शूद्र,पशु,नारी नहीं है
बल्कि यह "ढोल,गवार,क्षुब्ध पशु,रारी” है।

ढोल = बेसुरा ढोलक

गवार = गवांर व्यक्ति

क्षुब्ध पशु = आवारा पशु जो लोगो को कष्ट देते हैं

रार = कलह करने वाले लोग

चौपाई का सही अर्थ है कि जिस तरह बेसुरा ढोलक, अनावश्यक ऊल जलूल बोलने वाला गवांर व्यक्ति, आवारा घूम कर लोगों की हानि पहुँचाने वाले (अर्थात क्षुब्ध, दुखी करने वाले) पशु और रार अर्थात कलह करने वाले लोग जिस तरह दण्ड के अधिकारी हैं उसी तरह मैं भी तीन दिन से आपका मार्ग अवरुद्ध करने के कारण दण्ड दिये जाने योग्य हूँ।

स्वामी राम भद्राचार्य जी जो के अनुसार श्रीरामचरितमानस की मूल चौपाई इस तरह है और इसमें ‘क्षुब्ध' के स्थान पर 'शूद्र' कर दिया और 'रारी' के स्थान पर 'नारी' कर दिया गया है।

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दूध में एक टुकड़ा गुड़ मिलाकर पीने के जबरदस्त फायदे

 दूध में एक टुकड़ा गुड़ मिलाकर पीने के जबरदस्त फायदे


आप फिटनेस आपके लाइफस्टाइल पर ही नहीं बल्कि आपके ब्रेकफास्ट पर भी निर्भर करती है।आप अगर दिन की शुरूआत हेल्दी ब्रेकफास्ट से करते हैं, तो इससे चांसेस काफी बढ़ जाते हैं कि आपका वजन नहीं बढ़ेगा। हेल्दी रहने के लिए कई लोग सुबह गुनगुने पानी का सेवन करते हैं। कुछ आंवला जूस भी पीते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि सुबह उठकर गर्म दूध के साथ गुड़ का सेवन भी फायदेमंद है-


दूध और गुड़ में मौजूद तत्व

दूध में अधिक मात्रा में विटामिन ए, विटामिन बी और डी के अलावा कैल्शियम, प्रोटीन और लैक्टिक एसिड पाया जाता है। वही दूसरी ओर गुड़ में अधिक मात्रा में सुक्रोज, ग्लूकोज, खनिज तरल और पानी कुछ मात्रा में पाई जाती है। इसमें भरपूर मात्रा में कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा और कई तत्व पाएंं जातेे हैंं।


नेचुरल ब्लड प्यूरीफायर

गुड़ में ऐसे गुण पाए जाते हैं, जो आपके शरीर में मौजूद अशुद्धियों को साफ कर देता है इसलिए रोजाना गर्म दूध और गुड़ का सेवन करने से आपके शरीर से ऐसी अशुद्धियां निकल जाती है। जिससे आपको कोई बीमारी नहीं होगी।

मोटापा को करें कंट्रोल

माना जाता है कि अगर आप दूध के साथ चीनी का इस्तेमाल करते है, तो इसकी जगह आप गुड़ का इस्तेमाल करें। ऐसा करने से आपका वजन कंट्रोल में रहेगा। जिससे आप मोटापा का शिकार नहीं होंगे।

पेट संबंधी समस्या को रखें ठीक

अगर आपको पाचन संबधी कोई भी समस्या है, तो गर्म-गर्म दूध और गुड़ का सेवन करने से आपको पेट संबंधी हर समस्या से निजात मिल जाती है।

जोड़ों के दर्द को करें दूर

गुड़ खाने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है, अगर रोजाना गुड़ का एक छोटा पीस अदरक के साथ मिला कर खाया जाए, तो जोड़ों में मजबूती आएगी और दर्द दूर होगा। आपकी खूबसूरती को बढ़ाएं। गर्म दूध और गुड़ का सेवन करने से आपकी त्वचा मुलायम होने के साथ-साथ त्वचा संबंधी समस्या न होगी। साथ ही इसका सेवन करने से आपके बाल भी हेल्दी रहेंगे।

पीरियड्स में दर्द को करें ठीक

कहा जाता है कि अगर आपको कही दर्द हो,तो गर्म दूध पीने से तुरंत आराम मिल जाता है और महिलाओं को पीरियड के समय का दर्द हो रहा हो तो गर्म दूध के साथ गुड़ का सेवन करने से आपको इससे निजात मिल सकता है। आप फिर पीरियड शुरु होने के 1 हफ्ते पहले 1 चम्मच गुड़ का सेवन रोजाना करें। इससे आपको दर्द से निजात मिलेगी।

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