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सोमवार, 10 अक्तूबर 2022

मोबाइल के रिंगटोन से जानिए लोगों का स्वभाव एवं कैसी रिंगटोन सेट करना चाहिए

मोबाइल के रिंगटोन से जानिए लोगों का स्वभाव एवं कैसी रिंगटोन सेट करना चाहिए
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मोबाइल आज लोगों की जरूरत बन चुका है और इसी जरूरत के जरिये लोग अपने शौक पूरा करते है, अब आप पूछेगें कि ये कैसे, तो मोबाइल पर फिल्मी गाने सुनना या गेम खेलना शौक नहीं है तो क्या है?आपको यकीन नहीं होगा कि मोबाइल पर बजने वाली रिंगटोन या कॉलरट्यून से आप किसी व्यक्ति के नेचर को बड़ी अच्छी तरह से समझ सकते है।

जैसे कि अगर किसी के फोन की रिंगटोन कोई पुरानी रोमांटिक गीत की है तो वो इंसान प्यार को समझता है, लेकिन पारंपरिक रूप से अपने प्यार को महत्व देता है। और अगर कोई फास्ट रोमांटिंक सांग वाली रिंगटोन है तो समझिये वो इंसान अपने प्यार को पाने के लिए कुछ भी कर सकता है, क्योंकि वो गति और वक्त के साथ चलने में भरोसा रखता है। अगर आपको कोई कॉमेडी धुन सुनायी दे तो ये समझ लीजिये वो इंसान काफी मस्त-मौला है और अगर किसी की रिंगटोन या कॉलर पर आपको किसी के चीखने, हंसने या कोई डॉयलॉग सुनायी पड़े तो समझ लीजिये वो इंसान काफी आक्रामक है।
यहां आपको हम मूलांक 1 से लेकर मूलांक 9 तक के लोगों के बारे में बताते है कि वो किस तरह की फिल्मी धुन अपने मोबाइल पर बजाते हैं।

सबसे पहले बात करते हैं मूलांक 1 वालों की जो कि काफी 'तर्कशाली' होते हैं, ये जिंदगी में हर चीज अपने दम पर पाने की तमन्ना रखते हैं इसलिए इनकी रिंगटोन अगर फिल्मी होती है तो वो गाने ऐसे होगें जो जिंदगी में आगे बढ़ने की बात करते हैं। इनके मोबाइल पर आपको खुश होने वाले, मस्ती वाले और दुनिया जीतने वाले गाने मिलेगें। ये हर पल जीना चाहते हैं इसलिए अगर कल से आपको किसी की रिंग टोन पर फिल्म कल हो ना हो .. का गाना हर पल यहां जियो..सुनायी पड़े तो समझ लीजिये वो इंसान पॉजिटीव सोच का मालिक है।

अब बात करते हैं मूलांक 2 वालों की जो कि बेहद 'सॉफ्ट-सॉफ्ट'होते हैं। इसलिए इनकी रिंगटोन काफी मस्ती भरी और खुशनुमा गानों वाली होती है। लोगों का दिल जीतने वाले इन नंबर के लोग रोमांटिंक और कॉमेडी सांग सुनना पसंद करते हैं। आप को इनके पास से हमेशा कुछ ना कुछ सीखने को मिलेगा, इसलिए इनके पसंद के गानों में नयापन होता है। उदाहरण के लिए अगर आप को किसी की कॉलर ट्यून और रिंग टोन पर कोई कॉमेडी सांग सुनायी पड़े तो आप समझ लीजिये वो इंसान बेहद ही प्यारा और हंसमुख है।

अब बारी मूलांक 3 वालों की जो कि काफी रिजर्व टाइप होते है, उनके पास से आपको हमेशा कुछ यूनिक सांग सुनने को मिलेगें। हो सकता है इन मूलांक वालों की रिंगटोन पर आपको के एल सहगल और अपाची इंडियन दोनों के गानों का रीमिक्स मिले। अपने आपको हमेशा अलग और बढ़िया साबित करने में जुटे इन लोगों की पसंद काफी हटकर होती है। इसलिए अगर आपको किसी की रिंगटोन पर कव्वाली, ठुमरी, गजल या कजरी टाइप के गाने सुनने को मिले तो समझिये वो इंसान थोड़ा रिजर्व टाइप का और इगोस्टिक है।

अब नंबर आता है मूलांक 4 का, जिनका स्वभाव ही होता है अपनी मस्ती में चूर रहना, देश-दुनिया की परवाह ना करने वाले इन लोगों को मस्ती और रोमांटिक गाने पसंद होते हैं। अक्सर इनकी रिंगटोन दिल को छू लेने वाले गाने की होती है, लेकिन इन नंबर वालों की एक खासियत होती है कि ये अपनी रिंगटोन हमेशा बदलते रहते हैं क्योंकि एक जगह टिकना इनकी फितरत नहीं होती।

मूलांक 4 के बाद नंबर आता है मूलांक 5 का, जो कि काफी बुद्दिमान होते हैं। इसलिए इनके पास गीतों का कलेक्शन काफी अच्छा होता है। आपको रोमाटिंक से लेकर भजन तक सब कुछ इनके पास मिलेगा। इसलिए अक्सर इनकी रिंगटोन बेहद खूबसूरत गीतों से शुरू होती है, ये गीत ऐसे होते हैं जो अक्सर काफी लोगों को पसंद आते हैं। इन्हें पता है कि कौन सा काम करने से इनका शौक भी पूरा हो जायेगा और दूसरों को बुरा भी नहीं लगेगा, इसलिए अगर आपको कोई विरला लेकिन प्यारा गीत किसी के मोबाइल पर सुनायी दे तो समझ लीजिये उस इंसान को अपने से ज्यादा दूसरों की परवाह है।

अब बारी आती है मूलांक 6 की, जिनका मिजाज ही काफी शायराना होता है इसलिए ऐसे लोगों की रिंगटोन में आपको वो गाने सुनायी देगें जिनमें शब्दों का वजन हो। जैसे अगर किसी की रिंगटोन..फिल्म कभी-कभी की शायरी 'कभी-कभी' या 'जगजीत सिंह' की कोई पुरानी गजल से शुरू हो तो जान लीजिये वो इंसान हर काम दिल से करने वाला मस्त आदमी है।

मूलांक 7 वाले तुनक मिजाजी होते हैं इसलिए इनकी पसंद के गीतों ऐसे होंगे जो जल्द ही किसी को पसंद नहीं आते हैं। हो सकता है इनकी रिंगटोन किसी फिल्म का ऐसा डॉयलाग हो जिसमें कोई खलनायक किसी हीरो को जबरदस्त गालिय़ां दे रहा हो, या फिर किसी फिल्म का कोई डराने वाला संवाद हो जिसे सुनकर रोंगटे खड़े हो जाये। अगर ऐसा कहीं आपको सुनायी दे तो समझ लीजिये जनाब काफी जिद्दी है।

मूलांक 8 वाले सबको साथ लेकर चलने वाले होते हैं, इसलिए इनकी पसंद भी बड़ी साधारण सी होती है, आपको इनके पास से ऐसे गाने सुनने को मिलेगें जो सुनने में काफी अच्छे और लोकप्रिय होगें। इनके पास स्लो गाने भी होंगे तो फास्ट ट्रैक जिन्हें सुनते ही आप थिरकने लगें। इनकी रिंगटोन भी कॉमन सांग की होती है, जो वक्त-वक्त पर बदलती रहती है।

अब नंबर आया मूलांक 9 का, जो कि शैतान प्रवृत्ति के होते हैं, इसलिए इनकी रिंगटोन ऐसी होगी की जिसे सुनकर इंसान हंसे बिना ना रह पाये। हो सकता है वो कोई 'असरानी' का डॉयलाग हो या फिर कोई 'कॉमेडी सांग' जिसे सुनकर आप पेट पकड़े बिना नहीं रह पायेगें।

है ना, मजेदार जानकारी..तो चलिए आप भी उपरोक्त बिंदुओं को ध्यान में रखकर, हर उस व्यक्ति के बारे में जान लीजिये जिनके बारे में आप जानना चाहते हैं लेकिन कोई कुछ बताता नहीं हैं। उम्मीद हैं आप सफल होगें।

नोट : जिन्हें मूंलाक निकालना नहीं आता है वो अपने जन्म तिथी का योग फल निकाल लें जैसे कि यदि किसी व्यक्ति का जन्मदिन 10 तारीख को है तो उसका मूलांक 1+0=1 होगा।
कैसी रिंगटोन सेट करना चाहिए इन लोगों के...
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जिन व्यक्तियों का जन्म किसी भी माह की 1, 10, 19, 28 तारिख को हुआ है वे सभी नंबर 1 वाले होते हैं। नंबर 1 सूर्य का प्रतीक है। इसलिए 1 अंक वाले सभी व्यक्तियों को सूर्य विशेष रूप से प्रभावित करता है। सामान्यत: इन लोगों में सूर्य के गुण पाए जाते हैं। यह सभी सूर्य के समान ही तेजस्वी और हर क्षेत्र में मान-सम्मान प्राप्त करने वाले होते हैं।

अंक ज्योतिष के अनुसार 1 अंक वाले व्यक्ति रचनात्मक, सकारात्मक सोच वाले और नेतृत्वक्षमता के धनी होते हैं। यह लोग जो कार्य शुरू करते हैं उसे जब तक पूरा नहीं करते, इन्हें शांति नहीं मिलती। इन लोगों का विशेष गुण होता है कि यह हर कार्य को पूर्ण योजना बनाकर करते हैं, अपने कार्य के प्रति पूरे ईमानदार रहते हैं।

अंक 1 वाले अपनी सफलता के मार्ग में आने वाली हर बाधा पर विजय प्राप्त कर लेते हैं। यह लोग अति महत्वकांशी होते हैं। ये लोग जिस भी क्षेत्र में कार्य करते हैं सफलताएं और ऊंचाइयां प्राप्त करते हैं। इस अंक वाले वाले सम्मान के भूखे होते हैं, यह सभी अत्यधिक सम्मान प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं।

मूलांक 1 का स्वभाव बहुत बिंदास होता है। साहसी होने के कारण रिस्क इनका नेचर होता है। इसलिए इन्हें अपनी टोन में जोशीले गाने या संगीत को स्थान देना चाहिए। इससे जब भी यह रिंग टोन बजेगी तो इन्हें अपने कार्यों को करने के लिए ऊर्जा मिलेगी।

श्री राम चरित मानस के सिद्ध मन्त्र रूपी चौपाइया

श्री राम चरित मानस के सिद्ध मन्त्र रूपी चौपाइया

विश्व में जितने भी खतरनाक से खतरनाक हथियार बन जाए उसे रामबाण से ही संबोधन करते है जितनी भी कारगर दवाई बने उस भी रामबाण के द्वारा ही संबोधन कर तुलना करते है फिर क्यों नहीं राम बाण रूपी चौपाई का ध्यान करते जीवन की प्रत्येक समस्या के समाधान हेतु इन चौपाइयो को मन्त्र का रूप मां कर सफलता अर्जित करें.श्री राम चरित मानस में पूज्य गोस्वामी तुलसी दास जी प्रभु राम को ही अपना सर्वस्व माना फलस्वरूप उनके द्वारा लिखी प्रत्येक चौपाई भी मंत्र का प्रतीक है.

मानस के दोहे-चौपाईयों को सिद्ध करने का विधान यह है कि किसी भी शुभ दिन की रात्रि को दस बजे के बाद अष्टांग हवन के द्वारा मन्त्र सिद्ध करना चाहिये। फिर जिस कार्य के लिये मन्त्र-जप की आवश्यकता हो, उसके लिये नित्य जप करना चाहिये। वाराणसी में भगवान् शंकरजी ने मानस की चौपाइयों को मन्त्र-शक्ति प्रदान की है-इसलिये वाराणसी की ओर मुख करके शंकरजी को साक्षी बनाकर श्रद्धा से जप करना चाहिये।
अष्टांग हवन सामग्री
१॰ चन्दन का बुरादा, २॰ तिल, ३॰ शुद्ध घी, ४॰ चीनी, ५॰ अगर, ६॰ तगर, ७॰ कपूर, ८॰ शुद्ध केसर, ९॰ नागरमोथा, १०॰ पञ्चमेवा, ११॰ जौ और १२॰ चावल।
जानने की बातें-
जिस उद्देश्य के लिये जो चौपाई, दोहा या सोरठा जप करना बताया गया है, उसको सिद्ध करने के लिये एक दिन हवन की सामग्री से उसके द्वारा (चौपाई, दोहा या सोरठा) १०८ बार हवन करना चाहिये। यह हवन केवल एक दिन करना है। मामूली शुद्ध मिट्टी की वेदी बनाकर उस पर अग्नि रखकर उसमें आहुति दे देनी चाहिये। प्रत्येक आहुति में चौपाई आदि के अन्त में ‘स्वाहा’ बोल देना चाहिये।
प्रत्येक आहुति लगभग पौन तोले की (सब चीजें मिलाकर) होनी चाहिये। इस हिसाब से १०८ आहुति के लिये एक सेर (८० तोला) सामग्री बना लेनी चाहिये। कोई चीज कम-ज्यादा हो तो कोई आपत्ति नहीं। पञ्चमेवा में पिश्ता, बादाम, किशमिश (द्राक्षा), अखरोट और काजू ले सकते हैं। इनमें से कोई चीज न मिले तो उसके बदले नौजा या मिश्री मिला सकते हैं। केसर शुद्ध ४ आने भर ही डालने से काम चल जायेगा।
हवन करते समय माला रखने की आवश्यकता १०८ की संख्या गिनने के लिये है। बैठने के लिये आसन ऊन का या कुश का होना चाहिये। सूती कपड़े का हो तो वह धोया हुआ पवित्र होना चाहिये।
मन्त्र सिद्ध करने के लिये यदि लंकाकाण्ड की चौपाई या दोहा हो तो उसे शनिवार को हवन करके करना चाहिये। दूसरे काण्डों के चौपाई-दोहे किसी भी दिन हवन करके सिद्ध किये जा सकते हैं।

सिद्ध की हुई रक्षा-रेखा की चौपाई एक बार बोलकर जहाँ बैठे हों, वहाँ अपने आसन के चारों ओर चौकोर रेखा जल या कोयले से खींच लेनी चाहिये। फिर उस चौपाई को भी ऊपर लिखे अनुसार १०८ आहुतियाँ देकर सिद्ध करना चाहिये। रक्षा-रेखा न भी खींची जाये तो भी आपत्ति नहीं है। दूसरे काम के लिये दूसरा मन्त्र सिद्ध करना हो तो उसके लिये अलग हवन करके करना होगा।
एक दिन हवन करने से वह मन्त्र सिद्ध हो गया। इसके बाद जब तक कार्य सफल न हो, तब तक उस मन्त्र (चौपाई, दोहा) आदि का प्रतिदिन कम-से-कम १०८ बार प्रातःकाल या रात्रि को, जब सुविधा हो, जप करते रहना चाहिये।
कोई दो-तीन कार्यों के लिये दो-तीन चौपाइयों का अनुष्ठान एक साथ करना चाहें तो कर सकते हैं। पर उन चौपाइयों को पहले अलग-अलग हवन करके सिद्ध कर लेना चाहिये।
१॰ विपत्ति-नाश के लिये
“राजिव नयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक।।”

२॰ संकट-नाश के लिये
“जौं प्रभु दीन दयालु कहावा। आरति हरन बेद जसु गावा।।
जपहिं नामु जन आरत भारी। मिटहिं कुसंकट होहिं सुखारी।।
दीन दयाल बिरिदु संभारी। हरहु नाथ मम संकट भारी।।”

३॰ कठिन क्लेश नाश के लिये
“हरन कठिन कलि कलुष कलेसू। महामोह निसि दलन दिनेसू॥”

४॰ विघ्न शांति के लिये
“सकल विघ्न व्यापहिं नहिं तेही। राम सुकृपाँ बिलोकहिं जेही॥”

५॰ खेद नाश के लिये
“जब तें राम ब्याहि घर आए। नित नव मंगल मोद बधाए॥”

६॰ चिन्ता की समाप्ति के लिये
“जय रघुवंश बनज बन भानू। गहन दनुज कुल दहन कृशानू॥”

७॰ विविध रोगों तथा उपद्रवों की शान्ति के लिये
“दैहिक दैविक भौतिक तापा।राम राज काहूहिं नहि ब्यापा॥”

८॰ मस्तिष्क की पीड़ा दूर करने के लिये
“हनूमान अंगद रन गाजे। हाँक सुनत रजनीचर भाजे।।”

९॰ विष नाश के लिये
“नाम प्रभाउ जान सिव नीको। कालकूट फलु दीन्ह अमी को।।”

१०॰ अकाल मृत्यु निवारण के लिये
“नाम पाहरु दिवस निसि ध्यान तुम्हार कपाट।
लोचन निज पद जंत्रित जाहिं प्रान केहि बाट।।”

११॰ सभी तरह की आपत्ति के विनाश के लिये / भूत भगाने के लिये
“प्रनवउँ पवन कुमार,खल बन पावक ग्यान घन।
जासु ह्रदयँ आगार, बसहिं राम सर चाप धर॥”

१२॰ नजर झाड़ने के लिये
“स्याम गौर सुंदर दोउ जोरी। निरखहिं छबि जननीं तृन तोरी।।”

१३॰ खोयी हुई वस्तु पुनः प्राप्त करने के लिए
“गई बहोर गरीब नेवाजू। सरल सबल साहिब रघुराजू।।”

१४॰ जीविका प्राप्ति केलिये
“बिस्व भरण पोषन कर जोई। ताकर नाम भरत जस होई।।”

१५॰ दरिद्रता मिटाने के लिये
“अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के। कामद धन दारिद दवारि के।।”

१६॰ लक्ष्मी प्राप्ति के लिये
“जिमि सरिता सागर महुँ जाही। जद्यपि ताहि कामना नाहीं।।
तिमि सुख संपति बिनहिं बोलाएँ। धरमसील पहिं जाहिं सुभाएँ।।”

१७॰ पुत्र प्राप्ति के लिये
“प्रेम मगन कौसल्या निसिदिन जात न जान।
सुत सनेह बस माता बालचरित कर गान।।’

१८॰ सम्पत्ति की प्राप्ति के लिये
“जे सकाम नर सुनहि जे गावहि।सुख संपत्ति नाना विधि पावहि।।”

१९॰ ऋद्धि-सिद्धि प्राप्त करने के लिये
“साधक नाम जपहिं लय लाएँ। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएँ।।”

२०॰ सर्व-सुख-प्राप्ति के लिये
सुनहिं बिमुक्त बिरत अरु बिषई। लहहिं भगति गति संपति नई।

२१॰ मनोरथ-सिद्धि के लिये
“भव भेषज रघुनाथ जसु सुनहिं जे नर अरु नारि।
तिन्ह कर सकल मनोरथ सिद्ध करहिं त्रिसिरारि।।”

२२॰ कुशल-क्षेम के लिये
“भुवन चारिदस भरा उछाहू। जनकसुता रघुबीर बिआहू।।”

२३॰ मुकदमा जीतने के लिये
“पवन तनय बल पवन समाना। बुधि बिबेक बिग्यान निधाना।।”

२४॰ शत्रु के सामने जाने के लिये
“कर सारंग साजि कटि भाथा। अरिदल दलन चले रघुनाथा॥”

२५॰ शत्रु को मित्र बनाने के लिये
“गरल सुधा रिपु करहिं मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई।।”

२६॰ शत्रुतानाश के लिये
“बयरु न कर काहू सन कोई। राम प्रताप विषमता खोई॥”

२७॰ वार्तालाप में सफ़लता के लिये
“तेहि अवसर सुनि सिव धनु भंगा। आयउ भृगुकुल कमल पतंगा॥”

२८॰ विवाह के लिये
“तब जनक पाइ वशिष्ठ आयसु ब्याह साजि सँवारि कै।
मांडवी श्रुतकीरति उरमिला, कुँअरि लई हँकारि कै॥”

२९॰ यात्रा सफ़ल होने के लिये
“प्रबिसि नगर कीजै सब काजा। ह्रदयँ राखि कोसलपुर राजा॥”

३०॰ परीक्षा / शिक्षा की सफ़लता के लिये
“जेहि पर कृपा करहिं जनु जानी। कबि उर अजिर नचावहिं बानी॥
मोरि सुधारिहि सो सब भाँती। जासु कृपा नहिं कृपाँ अघाती॥”

३१॰ आकर्षण के लिये
“जेहि कें जेहि पर सत्य सनेहू। सो तेहि मिलइ न कछु संदेहू॥”

३२॰ स्नान से पुण्य-लाभ के लिये
“सुनि समुझहिं जन मुदित मन मज्जहिं अति अनुराग।
लहहिं चारि फल अछत तनु साधु समाज प्रयाग।।”

३३॰ निन्दा की निवृत्ति के लिये
“राम कृपाँ अवरेब सुधारी। बिबुध धारि भइ गुनद गोहारी।।

३४॰ विद्या प्राप्ति के लिये
गुरु गृहँ गए पढ़न रघुराई। अलप काल विद्या सब आई॥

३५॰ उत्सव होने के लिये
“सिय रघुबीर बिबाहु जे सप्रेम गावहिं सुनहिं।
तिन्ह कहुँ सदा उछाहु मंगलायतन राम जसु।।”

३६॰ यज्ञोपवीत धारण करके उसे सुरक्षित रखने के लिये
“जुगुति बेधि पुनि पोहिअहिं रामचरित बर ताग।
पहिरहिं सज्जन बिमल उर सोभा अति अनुराग।।”

३७॰ प्रेम बढाने के लिये
सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती॥

३८॰ कातर की रक्षा के लिये
“मोरें हित हरि सम नहिं कोऊ। एहिं अवसर सहाय सोइ होऊ।।”

३९॰ भगवत्स्मरण करते हुए आराम से मरने के लिये
रामचरन दृढ प्रीति करि बालि कीन्ह तनु त्याग ।
सुमन माल जिमि कंठ तें गिरत न जानइ नाग ॥

४०॰ विचार शुद्ध करने के लिये
“ताके जुग पद कमल मनाउँ। जासु कृपाँ निरमल मति पावउँ।।”

४१॰ संशय-निवृत्ति के लिये
“राम कथा सुंदर करतारी। संसय बिहग उड़ावनिहारी।।”

४२॰ ईश्वर से अपराध क्षमा कराने के लिये
” अनुचित बहुत कहेउँ अग्याता। छमहु छमा मंदिर दोउ भ्राता।।”

४३॰ विरक्ति के लिये
“भरत चरित करि नेमु तुलसी जे सादर सुनहिं।
सीय राम पद प्रेमु अवसि होइ भव रस बिरति।।”

४४॰ ज्ञान-प्राप्ति के लिये
“छिति जल पावक गगन समीरा। पंच रचित अति अधम सरीरा।।”

४५॰ भक्ति की प्राप्ति के लिये
“भगत कल्पतरु प्रनत हित कृपासिंधु सुखधाम।
सोइ निज भगति मोहि प्रभु देहु दया करि राम।।”

४६॰ श्रीहनुमान् जी को प्रसन्न करने के लिये
“सुमिरि पवनसुत पावन नामू। अपनें बस करि राखे रामू।।”

४७॰ मोक्ष-प्राप्ति के लिये
“सत्यसंध छाँड़े सर लच्छा। काल सर्प जनु चले सपच्छा।।”

४८॰ श्री सीताराम के दर्शन के लिये
“नील सरोरुह नील मनि नील नीलधर श्याम ।
लाजहि तन सोभा निरखि कोटि कोटि सत काम ॥”

४९॰ श्रीजानकीजी के दर्शन के लिये
“जनकसुता जगजननि जानकी। अतिसय प्रिय करुनानिधान की।।”

५०॰ श्रीरामचन्द्रजी को वश में करने के लिये
“केहरि कटि पट पीतधर सुषमा सील निधान।
देखि भानुकुल भूषनहि बिसरा सखिन्ह अपान।।”

५१॰ सहज स्वरुप दर्शन के लिये
“भगत बछल प्रभु कृपा निधाना। बिस्वबास प्रगटे भगवाना।।”

भगवान श्री राम आप सभी की मनोकामना शीघ्र से शीघ्र पूरी करें ऐसा मेरा विश्वास है.

घर लौटते समय घर के बूजुर्गों या बच्चों के लिए कुछ न कुछ लेकर जाना चाहिए।ध्यान रखें, कभी भी खाली हाथ घर ना लौटे क्योंकि..

घर लौटते समय घर के बूजुर्गों या बच्चों के लिए कुछ न कुछ लेकर जाना चाहिए। ======================================
ध्यान रखें, कभी भी खाली हाथ घर ना लौटे क्योंकि..
अधिकतर लोग ऑफिस से या कार्यस्थल से जब अपने घर लौटते हैं तो अपनी व्यस्तता के कारण बिना कुछ लिए खाली हाथ ही घर लौट आते हैं। लेकिन आपने अक्सर हमारे घर के वृद्ध लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि कभी शाम को खाली हाथ घर नहीं लौटना चाहिए क्योंकि हमारे शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि घर लौटते समय घर के बूजुर्गों या बच्चों के लिए कुछ न कुछ लेकर जाना चाहिए।
घर में कुछ भी नई वस्तु आने पर बच्चें और बूजुर्ग ही सबसे ज्यादा खुश होते हैं। कहीं कहीं इस परम्परा में घर लौटते वक्त बच्चों के लिए मिठाई लाने के बारें में बताया गया है। बुजूर्गों के आशीर्वाद से घर में सुख समृद्धि बढऩे लगती है और जिस घर में बच्चे और वृद्ध खुश रहते है उस घर में लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है।

ऐसा माना जाता है कि रोज खाली हाथ घर लौटने पर धीरे धीरे उस घर से लक्ष्मी चली जाती है और उस घर के सदस्यों में नकारात्मक या निराशा के भाव आने लगते हैं।इसके विपरित घर लौटते समय कुछ न कुछ वस्तु लेकर आएं तो उससे घर में बरकत बनी रहती है, उस घर में लक्ष्मी का वास हो जाता है। हर रोज घर में कुछ न कुछ लेकर आना वृद्धि का सूचक माना गया है। ऐसे घर में सुख समृद्धि और धन हमेशा बढ़ता जाता है। और घर में रहने वाले सदस्यों की भी तरक्की होती है।

रोज नहाते समय करें 1 छोटा सा तांत्रिक उपाय, मालामाल हो जाएंगे

रोज नहाते समय करें 1 छोटा सा तांत्रिक उपाय, मालामाल हो जाएंगे

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वैसे तो अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रतिदिन नहाना बहुत आवश्यक है लेकिन नहाते समय यदि एक छोटा उपाय करने से आपकी आर्थिक स्थिति भी सुधर जाए तो फिर क्या बात है। जी हां नहाते समय यदि एक छोटा सा तांत्रिक उपाय कर लें तो धन संबंधी मामलों की रुकावटें समाप्त हो जाती हैं।
धन संबंधी मामलों में कई बार हम ईमानदारी से पूरी मेहनत करते हैं लेकिन सकारात्मक फल प्राप्त नहीं हो पाते हैं और पैसों की तंगी बढऩे लगती है। ऐसे में अक्सर मन ख्याल आता है कि मेहनत के बाद भी हमें उचित प्रतिफल प्राप्त क्यों नहीं हो रहा है।
इसके पीछे ज्योतिषीय दोष हो सकते हैं या किसी की बुरी नजर का दोष भी हो सकता है। यदि कुंडली में किसी ग्रह दोष की बाधा है तो उसका उचित उपचार करना चाहिए। यहां एक ऐसा उपाय दिया जा रहा है जिससे बुरी नजर के दोष और कुंडली के दोषों में भी राहत मिलती है
नहाने के पानी पर अपनी इंडेक्स फिंगर यानी तर्जनी अंगुली से त्रिभुज का निशान बनाएं। इसके बाद एक अक्षर का बीज मंत्र ह्रीं पानी पर लिखें। इस प्रकार प्रतिदिन नहाने से पहले यह उपाय करें। इस तांत्रिक उपाय है अत: इस संबंध में किसी प्रकार की शंका या संदेह नहीं करना चाहिए। अन्यथा उपाय का प्रभाव निष्फल हो जाता है।तंत्र शास्त्र के अनुसार तांत्रिक उपाय बहुत जल्दी असर दिखाने वाले होते हैं। यदि कोई व्यक्ति सही तरीके से इन उपायों का प्रयोग करें तो उसकी घर की दशा बदल सकती है। ऐसा ही एक चमत्कारी उपाय है नहाते समय करने का, इस उपाय के अनुसार जिस बाल्टी में हम नहाने का पानी लेते हैं उस पानी पर यह उपाय करना होगा
इस उपाय से आपके आसपास की नकारात्मक शक्तियां निष्क्रीय हो जाती हैं और यदि आपके ऊपर किसी की बुरी नजर है तो वह भी उतर जाती है। इसके साथ ही कार्यों में आपको सफलता मिलने लगती है और मेहनत का सही फल प्राप्त होता है। इस उपाय के साथ ही इष्टदेवी-देवताओं का भी पूजन-अर्चन करते रहना चाहिए।
यह तो तांत्रिक उपाय है लेकिन शास्त्रों के अनुसार नहाते समय देवी-देवताओं के नामों का या उनके मंत्रों का उच्चारण भी किया जा सकता है। यह उपाय भी बहुत ही लाभदायक होता है और इससे स्वास्थ्य संबंधी फल भी प्राप्त होते हैं
यदि कोई व्यक्ति किसी नदी में स्नान करता है तो उसे पानी पर ऊँ लिखकर पानी में तुरंत डुबकी मार लेना चाहिए। इस उपाय से भी नदी में स्नान का अधिक पुण्य प्राप्त होता है। इसके अलावा आपके आसपास की नेगेटिव एनर्जी भी समाप्त हो जाती है।
शास्त्रों के अनुसार प्रात:काल ब्रह्म मुहूर्त में नहाना श्रेष्ठ फल प्रदान करता है। इसी वजह से हमेशा स्नान सूर्योदय से पहले ही कर लेना चाहिए।
नहाने के बाद प्रतिदिन सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए। सूर्य को जल चढ़ाने से मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।यह तो तांत्रिक उपाय है लेकिन शास्त्रों के अनुसार नहाते समय देवी-देवताओं के नामों का या उनके मंत्रों का उच्चारण भी किया जा सकता है। यह उपाय भी बहुत ही लाभदायक होता है और इससे स्वास्थ्य संबंधी फल भी प्राप्त होते हैं
नहाते समय सबसे पहले सिर पर पानी डालना चाहिए इसके बाद पूरे शरीर पर। इसके पीछे भी वैज्ञानिक कारण है, इस प्रकार नहाने से हमारे सिर एवं शरीर के ऊपरी हिस्सों की गर्मी पैरों से निकल जाती है।
काफी लोग नहाने से पहले शरीर की अच्छी मालिश करते हैं। मालिश से स्वास्थ्य और त्वचा दोनों को ही लाभ प्राप्त होता है। त्वचा की चमक बढ़ती है। इस संबंध में यह ध्यान रखना चाहिए कि मालिश के आधे घंटे बाद शरीर को रगड़-रगड़ कर नहाना चाहिए।

गरीबी दूर कर धन-दौलत से मालामाल करती है 'झाडू'

गरीबी दूर कर धन-दौलत से मालामाल करती है 'झाडू'


घर की साफ-सफाई सभी करते हैं और इस काम के लिए घरों में झाड़ू अवश्य ही रहती है। झाड़ू वैसे तो एक सामान्य सी चीज है लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। झाड़ू को लक्ष्मी का रूप माना जाता है, जब यह घर की गंदगी, धूल-मिट्टी साफ करती है तो इसका मतलब यही है कि देवी महालक्ष्मी हमारे घर से दरिद्रता को बाहर निकाल देती है।



झाड़ू के महत्व को देखते हुए वास्तु शास्त्र द्वारा कई नियम बताए गए हैं।



- जब घर में झाड़ू का इस्तेमाल न हो, तब उसे नजरों के सामने से हटाकर रखना चाहिए।



- झाड़ू को कभी भी खड़ा नहीं रखना चाहिए।



- ध्यान रहे झाड़ू पर जाने-अनजाने पैर नहीं लगने चाहिए, इससे महालक्ष्मी का अपमान होता है।



- झाड़ू हमेशा साफ रखें।



- ज्यादा पुरानी झाड़ू को घर में न रखें।



- झाड़ू को कभी जलाना नहीं चाहिए।



- शनिवार को पुरानी झाड़ू बदल देना चाहिए।



- शनिवार के दिन घर में विशेष साफ-सफाई करनी चाहिए।



- घर के मुख्य दरवाजा के पीछे एक छोटी झाड़ू टांगकर रखना चाहिए। इससे घर में लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।


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