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शनिवार, 21 जनवरी 2023

माघ महीने में गुप्त नवरात्रि इस वर्ष 22 जनवरी, 2023 को है। गुप्त नवरात्रि में करें दस महाविद्याओं की पूजा,

 

गुप्त नवरात्रि में करें दस महाविद्याओं की पूजा, जानिए कौन है ये विद्याएं!

Gupt Navratri

नवरात्रि का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार एक वर्ष में चार नवरात्रि होती है। लेकिन मुख्य रूप से शरद नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि व्यापक रूप से मनाया जाता है। इसके अलावा माघ और आषाढ़ में नवरात्रि होती है, जिसे गुप्त नवरात्रि के रूप में जाना जाता है। आमतौर पर गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक क्रियाएं होती है। माता को प्रसन्न करने के लिए आम श्रदालु भी गुप्त नवरात्रि में पूजा पाठ कर सकते हैं। गुप्त नवरात्रि के पांचवें दिन बसंत पंचमी मनाई जाएगी।

गुप्त नवरात्रि कब है

माघ महीने में गुप्त नवरात्रि इस वर्ष 22 जनवरी, 2023 को है।

गुप्त नवरात्रि शुभ मुहूर्त (Gupt Navratri Shubh Muhurat)

नवरात्रि प्रारम्भ: रविवार, 22 जनवरी 2023
नवरात्रि समाप्त: सोमवार, 30 जनवरी 2023
कलश स्थापना मुहूर्त: 06:42 ए एम से 10:37 ए एम – जनवरी 22, 2023 को
अभिजीत मुहूर्त: 12:10 पी एम से 12:57 पी एम

गुप्त नवरात्रि का महत्व

गुप्त नवरात्रि मुख्य रूप से तांत्रिकों, और साधुओं द्वारा मां दुर्गा को प्रसन्न करने की लिए किया जाता है। मान्यता है कि इस नवरात्रि में तांत्रिक 10 महाविद्याओं को प्रसन्न करने के लिए पूजा करते हैं। इसे गुप्त सिद्धियां और तांत्रिक सिद्धियां प्राप्त करने का समय भी माना जाता है और ये भी कहा जाता है कि मां दुर्गा की पूजा जितनी गुप्त रखी जाती है, उसका फल उतना ज्यादा मिलता है।

गुप्त नवरात्रि में पूजे जाने वाली 10 महाविद्याएं

मां काली

ऐसी कथा प्रचलित है कि महिषासुर से युद्ध के समय माता का क्रोध अपनी चरम सीमा को पार कर गया था। उनका क्रोध उनके मस्तक से 10 भुजाओं वाली काली के रूप में प्रकट हुआ। दुर्गा के क्रोध से जन्मी काया का रंग काला होने के कारण, उन्हें काली नाम दिया गया।

तारा देवी

माता तारादेवी को तांत्रिक शक्तियों की देवी माना जाता है। सभी कष्टों से तारने वाली देवी के रूप में देवी तारा की पूजा की जाती है। जब देवी सती के मृतदेह को श्री नारायण ने अपने चक्र से भंग किया था, उनके नेत्र पश्चिम बंगाल के जहां गिरे थे, आज वहां तारापीठ है। तारापीठ को नयनतारा के नाम से भी जाना जाता है और वहां माता की पूजा देवी तारा के रूप में होती है।

त्रिपुर सुंदरी

देवासुर संग्राम के समय त्रिपुर सुंदरी ने अपनी सुंदरता से सभी असुरों को अपने वश में कर लिया था। कहते हैं कि इनके आराधना से अलौकिक शक्तियां भक्तों को प्राप्त होती है। त्रिपुर सुंदरी की शक्ति के बारे में देवी पुराण में काफी व्याख्या मिलती है।

भुवनेश्वरी

मां भुवनेश्वरी की साधना से शक्ति, लक्ष्मी, वैभव और उत्तम विद्याएं प्राप्त होती हैं। तीनों लोकों को तारने वाली मां भुवनेश्वरी के तीन नेत्र हैं, जिसके तेज से सम्पूर्ण सृष्टि कीर्तिमान है ऐसा माना जाता है। मां भुवनेश्वरी की साधना के लिए कालरात्रि, ग्रहण, होली, दीपावली, महाशिवरात्रि, कृष्ण पक्ष की अष्टमी अथवा चतुर्दशी का समय शुभ माना गया है।

माता छिन्नमस्ता

दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा शक्तिपीठ झारखण्ड में स्थित देवी छिन्नमस्ता का मंदिर है। देवी ने अपने लोगों की भूख शांत करने के लिए अपनी मस्तक काट दिया था, इसलिए इन्हें माता छिन्नमस्ता के नाम से जाना जाता है।

त्रिपुर भैरवी

माता त्रिपुर भैरवी के चार भुजाएं और तीन नेत्र हैं। इनकी भक्ति से युक्ति और मुक्ति दोनों की प्राप्ति होती है। त्रिपुर भैरवी देवी की साधना से काम, आजीविका, सौभाग्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है।

मां धूमावती

माता पार्वती ने एक बार क्रोध में भगवान शिव को निगल लिया था। तब से उनका विधवा रूप प्रचलित हुआ जिसका नाम मां धूमावती है। मां धूमावती मानव जाति में बसे इच्छा और कामनाओं का प्रतीक है जो कभी भी खतम नहीं होता है।

माता बगलामुखी

संस्कृत शब्द वल्गा, जिसका अर्थ दुल्हन होता है को दूसरे शब्दों में बगला कहा गया है। माता के अलौकिक रूप के कारण उन्हें बगलामुखी का नाम प्राप्त हुआ है। इनकी उत्पत्ति गुजरात के सौराष्ट्र में हल्दी के जल से हुई थी। इसलिए इन्हें पीताम्बरा देवी के नाम से भी जाना जाता है।

मातंगी

देवी मातंगी, मातंग तंत्र की देवी मानी जाती हैं। इन्हें जूठन का भोग लगाया जाता है। जब माता पार्वती को कोई स्त्री अपने जूठन का भोग लगा रही थी तब शिवजी और गणों ने माना किया, परन्तु उन स्त्रियों की भक्ति को मान देने के लिए माता ने मातंगी का रूप धारण कर लिया।

कमला देवी

माता कमला देवी, मां लक्ष्मी का ही स्वरुप हैं। जो भक्त सच्चे मन से मां को याद करते हैं उन्हें धन- धान्य, ऐश्वर्य की कोई कमी नहीं होती है। लक्ष्मी हमेशा कमल के पुष्प पर आसीन रहती है। इसी कारण उनका नाम कमला पड़ा।

गुप्त नवरात्रि की पूजा कैसे करें

शरद नवरात्रि और चैत्री नवरात्रि की तरह ही गुप्त नवरात्रि में कलश की स्थापना की जाती है। कलश की स्थापना के साथ दोनों समय दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करना चाहिए। मां को भोग लगाए और पाठ के बाद मां की आरती अवश्य करें। गुप्त नवरात्रि में माता को लौंग और बताशे का भोग लगाना बहुत शुभ माना जाता है। मां दुर्गा को लाल फूल और चुनरी जरूर अर्पित करें। माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि के दौरान तांत्रिक और अघोरी मां दुर्गा की पूजा आधी रात में करते हैं, जिससे उन्हें सिद्धि प्राप्त होती है।

मां दुर्गा के पूजा का मंत्र


दीपक जलाकर ‘ॐ दुं दुर्गायै नमः’ मंत्र का जाप करें

हरसिंगार का पौधा किस दिशा में लगायें, कैसे लगायें

हरसिंगार का पौधा किस दिशा में लगायें, कैसे लगायें



हरसिंगार का पौधा कैसा होता है | Harsingar ka Paudha –
हरसिंगार खुशबूदार फूलों वाला पौधा है जोकि बड़ा होकर करीब 20-30 फुट ऊंचा पेड़ बन सकता है। हरसिंगार के पौधे में सफेद रंग के छोटे-छोटे सुगंधित फूल खिलते हैं जिसकी डंडी नारंगी (Orange) रंग की होती है। हरसिंगार का पौधा पारिजात, शेफाली, प्राजक्ता, शिउली नाम से भारत में जाना जाता है। इसे इंग्लिश में Night blooming Jasmine या Indian Coral Jasmine भी कहते हैं। हरसिंगार का बोटैनिकल नाम Nyctanthes Arbortristis होता है।


हरसिंगार के फूल रात में खिलते हैं और सुबह होते तक गिरने लगते हैं। हरसिंगार के फूल में अच्छी भीनी-भीनी खुशबू आती है जिससे आस-पास का वातावरण महकने लगता है। हरसिंगार की पत्तियां, फूल, जड़ आदि का कई रोगों के इलाज में प्रयोग किया जाता है।

Q: हरसिंगार का पौधा किस दिशा में लगाना चाहिए ?
A: वास्तु शास्त्र के अनुसार घर या आँगन में पूर्व दिशा (east direction) में हरसिंगार या पारिजात लगाना चाहिए या गमले को रखना चाहिए।

Q: हरसिंगार का पौधा किस दिन लगाना चाहिए ?
A: सोमवार या गुरुवार के दिन लगाना चाहिए।

Q: हरसिंगार के फूल कब आते हैं
A: अगस्त से दिसंबर तक

Q: हरसिंगार के पत्ते कैसे होते हैं
A: हरसिंगार के पत्ते छूने में खुरदुरे, 2.5 से 4.5 इंच लंबे, गाढ़े हरे रंग के होते हैं।

Q: हरसिंगार का पेड़ कितना बड़ा होता है
A: 10-20 फीट औसत लंबाई होती है।

पारिजात या हरसिंगार का पौधा कैसे लगायें |
How to grow Harsingar plant in hindi

हरसिंगार लगाने के 2 तरीके हैं। हरसिंगार की कलम (cutting) लगायें या हरसिंगार के बीज से पौधा तैयार करें। हरसिंगार के कम से कम 4-5 साल पुराने पेड़ में ही बीज लगना शुरू होते हैं जिससे नए पौधे लगा सकते हैं। चूंकि हरसिंगार के पौधे या हरसिंगार के फूल आने का मौसम अगस्त से दिसंबर तक रहता है, इसलिए अगर आप हरसिंगार के बीज से पौधा तैयार करना चाहते हैं तो अप्रैल के महीने में लगायें।

Harsingar ke phool

हरसिंगार या पारिजात का कलम कैसे लगाएं
हरसिंगार (पारिजात) की कलम / कटिंग लगाने के लिए हरसिंगार के पेड़ से हाथ की छोटी उंगली जितनी मोटी डाल तोड़ लें। नयी डाल का रंग हरा सा होता है और पुरानी डाल का रंग कुछ सफेद, भूरा होता है। हमें हरसिंगार की कलम लगाने के लिए पुरानी डाल ही चाहिए। इस डाल से करीब 8-10 इंच लंबी कलम काट लें। कलम का वो सिरा जिसे गमले में दबाना है उसे तिरछा कट लगाएं। कलम में 2-3 से ज्यादा पत्तियां नहीं होनी चाहिए। कलम को बोने के बाद 1/2 चम्मच एप्सम साल्ट (Magnesium Sulfate) 1 गिलास पानी में घोलकर पौधे में डाल दें। एप्सम साल्ट डालने से कलम को बढ़ने में मदद मिलती है और पौधा शॉक में नहीं आता।

कलम (Harsingar Cutting) को पहले किसी छोटे करीब 6-8 इंच के गमले में लगायें और छाँव में रखें। दिन में एक बार पानी का छिड़काव कर दें जिससे मिट्टी नम बनी रहे। कलम को ऐसे तब रखें जब तक कि उसमें 2-3 नयी पत्तियां न निकलने लगे। उसके बाद पौधे को ऐसी जगह रख सकते हैं जहाँ दिन में कुछ घंटे धूप आती हो लेकिन सीधी तेज धूप न लगे।

हरसिंगार का पौधा कम से कम 16 से 22 इंच के गमले में लगायें, जिससे खूब फूल और अच्छी बढ़त मिले। गमले की मिट्टी में 50% मिट्टी + 30% गोबर की खाद/वर्मी काम्पोस्ट + 20% कोकोपीट मिलाएं। आप इसके साथ में थोड़ा सा नीम की खली भी मिला सकते हैं। नीम की खली पौधे को माइक्रो-न्यूट्रीएंट्स देती है और पौधे पर लगने वाले रोगों, कीड़ों से बचाव करती है। हो सके तो साल भर में 1 बार गमले की मिट्टी खाली करके नयी मिट्टी और खाद मिलाकर भर दें, नहीं तो गमले में ऊपर से ही कुछ खाद मिक्स कर दें।

Q: पारिजात या हरसिंगार का पेड़ कहां मिलता है ?

A: यह पौधा आपको किसी भी नर्सरी से मिल जाएगा। आप हरसिंगार के बीज ऑनलाइन खरीद सकते हैं या फिर हरसिंगार के किसी बड़े पौधे से कलम काटकर लगा सकते हैं। हरसिंगार का पेड़ पूरे भारत में मिलता है।

 
हरसिंगार के पौधे की देखभाल कैसे करे |
Harsingar Plant Care in hindi

पानी – गर्मी में पौधे को दिन में 2 बार हलका पानी दें, जिससे पौधे की मिट्टी नम हो जाए लेकिन जड़ों में पानी रुके नहीं। ये ध्यान रखें कि गमले की मिट्टी से एक्स्ट्रा पानी निकल जाए क्योंकि रुके हुए पानी से पौधे की जड़ खराब होने लगती है। ठंड के मौसम में दिन में 1 बार पानी दें।

धूप – हरसिंगार का पौधा ऐसी जगह लगायें जहाँ 6-8 घंटे धूप आए। सही धूप लगने से यह पौधा अच्छे से बढ़ता जाता है। अगर पौधा 5-6 फुट से ज्यादा बड़ा है तो तेज धूप से कोई दिक्कत नहीं है। हरसिंगार का पौधा घर के अंदर (indoor) नहीं लगाया जा सकता है क्योंकि वहाँ इसे धूप नहीं मिलेगी। एक बार बढ़ जाने के बाद हरसिंगार के पौधे को बहुत ज्यादा मेंटीनेंस (देखभाल) की जरूरत नहीं होती।

नोट – अगर आप हरसिंगार गमले में लगाना चाहते हैं तो यह ध्यान रखें कि गमला साइज़ में जितना बड़ा होगा, पौधे की ग्रोथ (वृद्धि) वैसी ही होगी। हरसिंगार का पौधा गमले में लगाने पर भी फूल देता है लेकिन पौधे की ग्रोथ एक लिमिट से ज्यादा नहीं बढ़ती है। पौधे की जड़ को जितना ज्यादा फैलने की जगह मिलेगी, पौधा उसी अनुपात (ratio) में ऊंचाई और वृद्धि प्राप्त करता है। हरसिंगार का पौधा बढ़कर एक बड़ा पेड़ बन जाता है इसलिए अगर आप इसे जमीन में लगायें तो बेस्ट है।
हरसिंगार के फायदे | Harsingar Benefits in hindi

हरसिंगार के फूलों से खशबुदार तेल, एसेंशियल ऑइल आदि बनाए जाते हैं जिनका प्रयोग सेन्ट, कॉस्मेटिक, अरोमाथेरेपी आदि में प्रयोग होता है। भारत के कुछ भागों में हरसिंगार के सूखे फूल या ताजे फूल खाये भी जाते हैं। हरसिंगार के फूल (Harsingar flower) को रगड़ने पर पीला रंग मिलता है जिसे ऑर्गैनिक कलर बनाने में प्रयोग किया जाता है।

हरसिंगार की पत्ती, फूल कई तरह के दर्द, आर्थ्राइटिस, सूजन, खांसी, फीवर, जुकाम-खांसी, कब्ज, पेट की समस्या ठीक करने में फायदा करता है। हरसिंगार तेल (Harsingar oil) की महक से स्ट्रेस, टेंशन से आराम मिलता है और अच्छी नींद आने में सहायता करती है।


हरसिंगार का पौधा (Harsingar plant) लगाने की जानकारी की अपने ऐसे मित्रों-परिचितों के साथ व्हाट्सप्प जरूर शेयर करें जिन्हे बागवानी (gardening), पौधे लगाने का शौक है।


एप्सम साल्ट क्या है, एप्सम साल्ट पौधों के लिए कैसे प्रयोग करें

 

एप्सम साल्ट पौधों में डालने के 8 फायदे |
Epsom salt for plants in hindi

आइए जाने एप्सम साल्ट क्या है,
एप्सम साल्ट पौधों के लिए कैसे प्रयोग करें और
एप्सम साल्ट में क्या है जो पौधों के लिए इतना फायदेमंद है। 

एप्सम साल्ट किसे कहते है | What is Epsom Salt in hindi

एप्सम साल्ट का रासायनिक नाम MgSo4 (Hydrated Magnesium Sulfate) है। जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि ये एक तरह का साल्ट (नमक) है लेकिन यह खाने वाले नमक (सोडियम क्लोराइड) से काफी अलग होता है।

कई लोग एप्सम साल्ट और सेंधा नमक को एक समझ लेते हैं लेकिन इनके केमिकल कॉम्पोजिशन बिल्कुल अलग हैं। अगर आप एप्सम साल्ट की जगह कोई और साल्ट (सेंधा नमक, साधारण नमक) पौधों में डाल देंगे तो पौधों को नुकसान हो सकता है।

एप्सम साल्ट पौधों के लिए डालने के फायदे | Epsom salt benefits for plants in hindi

एप्सम साल्ट पौधों (Plants) में डालने के कई सारे फायदे हैं क्योंकि इसका मैग्नेशियम और सल्फर ये दोनों तत्व पौधे के लिए जरूरी पोषण प्रदान करते हैं। पौधों में एप्सम साल्ट डालने से पौधे की वृद्धि तेज होती है और नए फूल, फल-सब्जी आने जैसे कई फायदे मिलते हैं।

मिट्टी से पोषक तत्व सोखने में मदद करे –

1) एप्सम साल्ट में पाए जाने वाला मैग्नीशियम पौधे में फूल, फल पैदा करने की शक्ति बढ़ाता है, इसके अलावा मैग्नीशियम पौधे को मिट्टी से सबसे जरूरी तत्व नाइट्रोजन (Nitrogen) और फॉस्फोरस (Phosphorus) सोखने में मदद करता है।

फूल और फल न आने की समस्या एप्सम साल्ट दूर करे –

2) अक्सर लोग इस बात से परेशान रहते हैं कि उनके फूल के पौधे जैसे गुलाब में फूल नहीं आ रहे। इसका कारण ये है कि कुछ पौधों को मैग्नीशियम की बहुत ज्यादा जरूरत होती है जैसे गुलाब, टमाटर आदि। गुलाब के पौधे की मिट्टी में एप्सम साल्ट डालने से या एप्सम साल्ट पानी में मिलाकर स्प्रे करने से गुलाब में खूब फूल आने लगते हैं। पेड़-पौधों में नए फल आने के सीजन से पहले और फल आने के बाद भी एप्सम साल्ट का छिड़काव करने से अच्छे, स्वादिष्ट फल तैयार होते हैं।

बीज, कलम (Cutting) की ग्रोथ तेज करे –

3) अगर आपने किसी पेड़ की नयी कलम (Cutting) लगाई है या कोई बीज बो रहे हैं तो पौधे में एप्सम साल्ट जरूर डालें। इससे बीज अच्छी तरह से अंकुरित (Germination) होता है और नयी कलम से जड़, पत्ती निकलने की प्रक्रिया तेज होती है। कलम को लगाने से पहले एप्सम साल्ट के घोल में डुबाकर निकालें फिर मिट्टी में दबायें।

पौधों में पत्ती न आने की समस्या ठीक करे –

4) अगर आपके पौधे में नई पत्तियां नहीं आ रही हैं तो एप्सम साल्ट के प्रयोग से नयी पत्तियां आने लगती हैं और पौधा हरा-भरा, खूब घना (Bushier) होने लगता है। एप्सम साल्ट पौधे को हरा रंग देने वाले क्लोरोफिल को बनाने में सहायता करता है, क्लोरोफिल से ही पौधे अपना भोजन प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) के माध्यम से बनाते हैं।

Paudhe me epsom salt ke fayde
Epsom Salt for Plants in hindi

एप्सम साल्ट पौधे को रूट शॉक (Root Shock) से बचाए –

5) कई बार देखा गया है कि किसी पौधे को एक जगह से निकालकर दूसरी नयी जगह पर लगाने से या कोई नया पौधा लगाने पर उसकी पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं या पत्तियां कमजोर सी दिखने लगती हैं, गिरने लगती हैं। ये पौधे को रूट शॉक लगने की वजह से होता है।

पौधे में भी जान (Life) होती है और वो बदलाव के प्रति संवेदनशील होते हैं। इसलिए कई बार नयी जगह के बदलाव से पौधे को शॉक लगता है और वो मुरझाने लगता है। इस तरह की स्थिति में पौधे को रोपते समय मिट्टी में एप्सम साल्ट डालना पौधे को रूट शॉक लगने से बचाता है।

मिट्टी में मैग्नीशियम, सल्फर की कमी पूरी करे –

6) मिट्टी में अगर मैग्नीशियम की मात्रा कम हो जाए तो एप्सम साल्ट डालने से यह पूरी हो जाती है। एप्सम साल्ट मिट्टी में सल्फर की कमी भी पूरी करता है। पौधों को सल्फर की बहुत ज्यादा आवश्यकता नहीं होती लेकिन इसके न होने से भी पौधे का स्वास्थ्य और शक्ति कमजोर होती है।

Epsom Salt मिट्टी और पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं –

7) अगर कोई रासायनिक खाद (Chemical Fertilizer) पौधे में ज्यादा डाल दें तो पौधों को नुकसान पहुंचेगा लेकिन एप्सम साल्ट के साथ ऐसा नहीं है। अगर गलती से एप्सम साल्ट पौधों में थोड़ा-बहुत ज्यादा भी पड़ जाए तो भी नुकसान नहीं होता है। यह अन्य केमिकल फर्टलाइज़र की तरह मिट्टी को दूषित करने का काम नहीं करता।

पौधों में कीट लगने की समस्या दूर करे –

8) एप्सम साल्ट पौधों में आमतौर पर लगने वाले कीट-पतंगों, घोंघे (Snail), इल्ली लगने की दिक्कत दूर करता है। इसके लिए 1 कप एप्सम साल्ट करीब 1 बाल्टी पानी में मिलाकर पौधे के ऊपर, पत्तियों पर छिड़काव, स्प्रे कर दें। पौधे की जड़ को कीट से बचाने के लिए सूखा एप्सम साल्ट पौधे की जड़ के पास छिड़क दें।

एप्सम साल्ट पौधों में डालने का तरीका और पौधों में एप्सम साल्ट कब डालना चाहिए –

पौधों में एप्सम साल्ट डालने के कई तरीके है। किसी पौधे के लिए ऊंचाई के हिसाब से हर 1 फुट हाइट के लिए 1 छोटा चम्मच (teaspoon) एप्सम साल्ट प्रयोग करना पर्याप्त है।

a) बीज रोपते समय – कोई बीज बो रहे हैं तो बीज बोने के लिए खोदे गए गड्ढे में 1 छोटा चम्मच एप्सम साल्ट दें।

b) पौधे के लिए – महीने में 1-2 बार 1 लीटर पानी में 1 चम्मच एप्सम साल्ट मिलाकर डाल दें या इस पानी को पौधे पर छिड़काव (स्प्रे) कर दें। एप्सम साल्ट पानी में मिलाकर पौधों में डालने से पौधे इसे सही से ऐब्सॉर्ब कर लेते हैं।

c) पेड़ों के लिए – किसी पेड़ में साल में 3 बार करीब 1 कप जितना एप्सम साल्ट जड़ों में डाल दें।

d) लॉन या झाड़ी के लिए – अपने लॉन की घास हरी-भरी करने और बढ़ाने के लिए आप एप्सम साल्ट मिले पानी का छिड़काव कर सकते हैं या एप्सम साल्ट छिड़ककर पानी से तराई कर दें।

e) नयी कलम या पौधे लगाते समय – नये पौधों को लगाते समय पौधे की जड़ में 1-2 चम्मच एप्सम साल्ट छिड़क दें या 1 मग पानी में एप्सम साल्ट घोलकर डाल दें।

f) एप्सम साल्ट कब डालें – जब पौधे में नयी पत्तियां, फूल, फल आने का सीजन हो तो उसके पहले पौधे में एप्सम साल्ट घोल का छिड़काव करें। जैसे कि गुलाब के पौधे में वसंत (spring) के मौसम में एप्सम साल्ट स्प्रे करें क्योंकि इस मौसम में गुलाब पर नयी पत्तियां, फूल आते हैं। गुलाब पर फूल आने के बाद भी एप्सम साल्ट का छिड़काव करें जिससे कि खूब फूल निकलते रहें और नए फूल निकालने के लिए पौधे में मैग्नीशियम की कमी न होने पाए।

एप्सम साल्ट कब नहीं प्रयोग करना चाहिए –

अगर आपके यहाँ की मिट्टी बहुत अम्लीय (Acidic) है तो एप्सम साल्ट डालने से प्रॉब्लेम हो सकती है। एप्सम साल्ट एक लाभदायक खाद है लेकिन सिर्फ इसे ही पौधे में डालने से फायदा नहीं होगा। पौधे के लिए मुख्यतः नाइट्रोजन, फॉसफोरस, पोटैशियम सबसे ज्यादा जरूरी है जिसके लिए NPK खाद या गोबर की खाद, वर्मी काम्पोस्ट, कोकोपीट आदि भी पौधे की मिट्टी डालना चाहिए।

फली वाली सब्जियां और हरे-पत्तेदार सब्जियां मिट्टी में कम मैग्नीशियम हो तो भी अच्छे से फलती-फूलती है। ऐसे ही कुछ पौधे होते हैं जिनको एप्सम साल्ट की बहुत आवश्यकता नहीं होती है। आप पौधे की मिट्टी में एप्सम साल्ट डालने के पहले मिट्टी का टेस्ट (Soil test) भी करवा सकते हैं जिससे आपको पता चल जाए कि आपके मिट्टी में मैग्नीशियम की मात्रा सही है या नहीं।

सूर्य की किरणों में विटामिन डी कितने बजे तक रहता है?

 


सूर्य की किरणों में विटामिन डी नही होता। सूर्य की कोमल किरणे जब हमारी स्किन पर पड़ती है तो हमारी स्किन विटामिन डी बनाती है।

सूर्योदय से 1 घंटे, (सर्दी की सीज़न में 2 घंटे तक) तक और सूर्यास्त से पहले के 1 घंटे की किरण हमारी स्किन पर पड़े ऐसा करना चाहिए।

मेरा अपना अनुभव ये है कि रोज 30 मिनिट तक कसरत (पसीना हो ऐसी) करने से भी विटामिन डी बनता है। मेडिकल सायन्स या कोई डॉक्टर इसे प्रमाणित नही करेगा लेकिन जब से में कसरत कर रहा हु, विटामिन डी की गोली लेने की जरूरत नही पड़ती।


कुछ दिन पहले ही ये जानकारी मिली। वैज्ञानिकों ने एक्सपेरिमेंट से साबित किया है की सुबह का सूर्य, जो लाल या ऑरेंज कलर का दिखता है, उसके सामने खुली आँखों से देखने से , हमारे कोषों का माइटोकॉन्ड्रिया में सीधी एनर्जी आ जाती है । ठीक उसी तरह, जैसे बैटरी चार्ज होती है। माइटोकोन्ड्रिया को शरीर का पावरहाउस कहा जाता है। किसी भी तरह से मिली हुई एनर्जी माइटोकॉन्ड्रिया में ही स्टोर होती है और जरूरत पड़ने पर छोटी सी केमिकल प्रोसेस से इलेक्ट्रॉन रूप में मुक्त होती है।

खाना खाने के बाद बहुत ही लंबी पाचन की प्रक्रिया के बाद जो एनर्जी मिलती है वो भी माइटोकोन्ड्रिया में स्टोर होती है लेकिन पाचन की प्रोसेसमे शरीर बहुत सारी एनर्जी खर्च भी करता है, लेकिन सूर्य से ये एनर्जी बिना कोई खर्च से मिलती है।

कुछ साल पहले में ये कर चुका हूं। ये करने से चश्मा के नम्बर भी कम हुवे और दोपहर को खाना खाने की जरूरत नही लगती थी।

ऊपर लिखी मेरी एक बात गलत हुई, शाम के वक्त भी सूर्य ऑरेंज कलर का दिखता है लेकिन, उसका कोई ऐसा प्रभाव (माइटोकोन्ड्रिया पर ) नही होता जैसा सुबह में होता है, ऐसा क्यों होता है ये अभी स्पष्ट रूप से पता नही चला। लेकिन विटामिन D तो हर हाल में मिलता है।

1 बाल्टी पानी में 4 चम्मच नमक...फिर देखो कमाल!

*_शारीरिक और मानसिक थकान को दूर करे गर्म पानी और नमक का ये उपचार_*

1 बाल्टी पानी में 4 चम्मच नमक...फिर देखो कमाल!


आगे बढऩे की चाहत और गलाकाट प्रतियोगिता के चलते आधुनिक इंसान के ऊपर काम का तनाव दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है। आधुनिक इंसान की इस तनाव भरी मजबूरी से फायदा उठाने के लिये कितने ही लागों ने अपनी दुकान लगा ली है। दुनिया की शायद ही कोई चिकित्सा पद्धति ऐसी बची होगी जो व्यक्ति को तनाव से छुटकारा दिलाने का पक्का यकीन न दिलाती हो। यहां तक कि बड़े-बड़े होटलों में तो तनाव से छुटकारा दिलाने के नाम पर मंहगी से मंहगी मसाज थैरपी का प्रचलन चल पड़ा है।

यहां हम एक ऐसा कुदरती और साथ ही वैज्ञानिक प्रयोग बता रहे हैं जो सिर्फ चंद मिनिटों में ही हर तरह के शारीरिक और मानसिक तनाव से तत्काल मुक्ति दिलाता है। इस प्रयोग की असलियत और प्रभाव को जांचने के लिये लंबा इंतजार करने की कतई आवश्यकता नहीं है। मात्र 15 मिनिटों में ही आप इस प्रयोग के चमत्कारी प्रभाव से परिचित हो जाएंगे....

प्रयोग:-
दिन भर के तमाम कार्यों से निवृत्त होकर सोने से ठीक पहले यह प्रयोग करना चाहिये। 1 बाल्टी में सामान्य गर्म यानी गुनगुना पानी भर लें। इस पानी में लगभग 4 चम्मच साधारण और सस्ते से सस्ता यानी कि रुपय-दो रुपय किलो वाला नमक लेकर डालकर अच्छी तरह से मिला लें। अब इस नमक घुले हुए गुन-गुने पानी में अपने दोनों पैरों को घुटनों तक डुबों लें। पैरों को पानी में डुबाकर लगभग 10 से 15 मिनट तक रहें, इस बीच लगातार गहरी सांस लें और छोड़ें। प्रयोग के दोरान मन में किसी भी तरह के खयालों को जगह नहीं देना चाहिये।


*एक उपाय और करे*
पानी जब ठंडा हो जाये तो पैरो को निकाल कर तलवो में सरसों नारियल या तिल का तेल अवश्य लगाए 
तलवो की मालिश रात अच्छी नींद और शांति देगी

*वैज्ञानिक आधार*
नमक सोडियम और क्लोराइड का मिश्रण होता है। सोडियम क्लोराइड के इस घोल की यह खाशियत होती है कि यह दिन भर के काम-काज के दोरान शरीर में बनी नेगेटिव एनर्जी को शोखकर व्यक्ति को पूरी तरह से तनाव मुक्त कर देता है।

इस प्रयोग के पूर्ण होने पर आप देखेंगे कि आपका सारा शारीरिक और मानसिक तनाव जा चुका है तथा आप फिर से कार्य करने के लिये पूरी तरह से रिचार्ज हो जाएंगे। इस प्रयोग का दूसरा कीमती लाभ यह होता है कि आपको गहरी और सुकून देने वाली नींद आती है।


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