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शनिवार, 26 फ़रवरी 2011

चाय की लाय



चाय की लाय में आज लाखो लोग जल रहे है



चाय की लाय में आज लाखो लोग जल रहे है
चाय पर चाय पीकर किसी तरह से चल रहे है
दो कप टी न मिले तो जीना बेकार है
सुस्त ऐसे ज्यो बिना पेट्रोल की कार है
चाय की प्याली में आज जिंदगी कैद है
चाय मानव को पी गई इसी बात का खेद है
भीष्म अर्जुन द्रोण जैसी आज है नस्ले कहाँ
सब तरफ मिल जाएगी बन्दर की सी शक्लें यहाँ
नन्हे पप्पू को माँ चाय का आदी बनाती
कुदरत भी क्यों मुर्खता कर माँ की देह में दूध लाती

क्यों नहीं माँ की देह में चाय की धारा बहा दे
चाय के इन पुजारियों को जन्म से ही टी पिलादे





क्या होगा हमारे देश का ?

क्या होगा हमारे देश का ?
आप सोच रहे होंगे की अब तक जो हुआ है आगे भी होता रहेगा
क्यों? सही है ना ?
पढ़कर बड़ा आश्चर्य हो रहा होगा ?

भारत ,
"मेरा भारत",   "सोने की चिड़िया "

एक जमाना था जब भारत "सोने की चिड़िया" कहलाता था
एक एसा भी जमाना था जब भारतीय संस्कृति की विदेशों में पूजा होती थी, अभी भी होती है पर कहीं कहीं, कभी भारत "विश्व गुरु" कहलाता था, अब तो शायद ही किसी को ज्ञात होगा कि देवता भी जिस भूमि पर बार बार जन्म लेने के लिए व्याकुल हुआ करते थे
भारत को हम हमारी "भारत माता" कहते है, हमारे भारत में नारियों का सम्मान माँ के रूप किया जाता है, कहा जाता है कि "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः"
अर्थात जहाँ नारियों की पूजा होती है वहा देवताओ का निवास होता है
और हाँ भारत को एकता में अखंडता के लिए सदियों से जाना जाता था, यहाँ की भोगोलिक परिस्थितियां भी भारत की एकता में अखंडता की परिचायक है जेसे जहाँ एक और भारत के उत्तर में हिमालय जेसा विशाल पर्वत है तो वहीँ दूसरी और दक्षिण में बहुत बड़ा पठार है इसमें जहाँ एक तरफ थार का रेगिस्तान है वाही दूसरी और हरा भरा गंगा सतलज का मैदान है कहीं पर बहुत सर्दी है कहीं पर बहुत गर्मी भी है, ऋतुएँ, मौसम, आदि की विभिन्न्ताये भारत में व्याप्त है | यहाँ हर ५० किलोमीटर पर भाषा, खान पान, रहन सहन भिन्न भिन्न है उसके बावजूद भारत के सभी लोग एक होकर के रहते है यहाँ हिन्दू मुस्लिम, सिक्ख, इसाई, एवं और भी कई धर्म के अनुयायी निवास करते हैं फिर भी भारत में एकता में अखंडता जानी जाती है |

लेकिन कुछ लोग जानबुझ कर भारत को बाँट रहे हैं, कुछ लोग भारत की संस्कृति को छोड़ कर विदेशियों का अनुकरण कर रहे है और भारत की छवि को बदनाम कर रहे है, चंद पैसों के लिए अपना ईमान बेचकर भारत माता को छलनी करने का प्रयास कर रहे है, और अपनी इस गलती को कलियुग का प्रभाव का नाम देने से भी नहीं चुकते हैं |

क्या आप जानते हैं जापान की टेक्नोलोजी पुरे संसार में प्रसिद्ध क्यों है ?
क्या आप जानते हैं अमेरिका के द्वारा जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराने से आज भी वहां लोग लूले लंगड़े बहुतायात में पैदा होते है
फिर भी जापानी मशीनरी पुरे विश्व में प्रसिद्द है, जापान की बुलेट ट्रेन जो विश्व की सबसे तेज गति से चलने वाली गाड़ी का उदाहरण है

जानते है एसा क्यों ?
क्योंकि जापान में देश के साथ कोई गद्दारी नहीं करता वहां सिर्फ देशभक्त ही पैदा होते हैं ,

एक बार जापान में बहुत भरी अकाल पड़ा, और वहा कोई किसान का पूरा परिवार भूख से मर गया तो वहां अकाल राहत के लिए जिस NGO के कुछ अधिकारी देखने के लिए आये कि क्या सच में कोई किसान भूख से मरा है क्या तो उन्होंने पाया कि एक किसान का पूरा परिवार जो कि भूख से मर गया उसके घर में एक बोरी गेहूं पड़ा था तो उन अधिकारीयों ने वहां के निवासियों से पूछा कि जब घर में एक बोरी अनाज पड़ा था तो भूख से मरने कि कहाँ जरुरत थी ? तो लोगो ने जवाब दिया कि वो एक बोरी अनाज पड़ा तो था किन्तु वो तो देश के लिए अलग निकाला हुआ था ताकि बीज बोने के लिए अनाज मिल सके तो इसीलिए वहाँ के लोग चाहे अपनी जान दे देते हैं पर देश के लिए जीते है और देश के लिए मर भी जाते हैं पर देश के साथ गद्दारी नहीं करते |
बस यही कारण है जापान की तरक्की का |



वहां के लोग अपनी बात मनवाने के लिए राष्ट्रीय संपत्ति का कभी नुक्सान नहीं करते,
जबकि यहाँ तो आये दिन लोग सडको पर उतर कर राष्ट्रीय संपत्ति का नुक्सान कर के अपनी देशभक्ति का दिखावा करते हैं
"समझदार के लिए इशारा ही काफी है " शायद आप लोग मेरी बात को समझ रहे होंगे |
मैं ये नहीं कहता कि सभी लोग गद्दार है या सभी लोग एसा करते हैं, पर जुर्म करना, जुर्म होते हुए देखना और जुर्म सहना भी उतना ही बड़ा अपराध है, जितना की जुर्म करना
क्या आप जानते हैं आज पूरा भारत कर्ज में डूबा हुआ है ?
क्या आप जानते हैं पुरे भारत में यदि हर व्यक्ति इमानदारी से अपना टैक्स भर दे तो भारत को किसी भी अन्य देश पर निर्भर रहने की कोई आवश्यकता नहीं रहेगी
भारत का उत्थान भारतियों के ही हाथ में हैं कोई विदेशी नहीं करेगा भारत का उत्थान,
कुछ नहीं कर सकते तो कम से कम जो कर रहे हो उसे ही ठीक कर लो सब कुछ ठीक हो जायेगा

"सोच बदल दो सितारे अपने आप ही बदल जायेंगे
नजरिया बदल दो नज़ारे अपने आप ही बदल जायेंगे "






मेरा भारत फिर से विश्व गुरु कहलायेगा, दुनिया में फिर से पहले की तरह पूजा जायेगा
हम चाहे हिन्दू हो या मुसलमान, चाहे सिक्ख हो या इसाई, चाहे राजस्थानी हो या गुजराती, चाहे ब्राह्मण हो या शुद्र, क्षत्रिय हो या वेश्य, पर सबसे पहले हम भारतीय है

I am a proud of INDIAN , गर्व से कहो हम भारतीय है
Vande matram.
जय श्री कृष्णा

आज हमारे बच्चो को कौन संस्कार दे रहा है "माँ, दादीमा या फिर " सिनेमा "


आज हमारे बच्चो को कौन संस्कार दे रहा है "माँ, दादीमा या फिर " सिनेमा "

जय श्री कृष्णा
भारतीय संस्कृति कि विदेशों में पूजा होती है, भारत विश्वगुरु था है और हमेशा रहेगा| पर ये क्या हम लोग तो खुद ही हमारी संस्कृति को भूलते जा रहे है | आज के माता पिता आधुनिकता की होड़ में अपने बच्चो को अपनी संस्कृति का ज्ञान भी नहीं दे रहे बल्कि टी. वी. सिनेमा जेसे गलत साधनों की तरफ प्रेषित कर उनका और देश का भविष्य भी ख़राब कर रहे है
आप सोच रहे होंगे कि मैं कहना क्या चाहता हूँ
मैं सिर्फ यही पूछ रहा हूँ कि आज हमारे बच्चो को कौन संस्कार दे रहा है "माँ, दादीमा या फिर " सिनेमा " आप ही बताइए क्या आप जानते हैं देश कि 100 प्रतिशत जनता में से सिर्फ 10 प्रतिशत लोग ही भारतीय प्राचीन संस्कृति के बारे में जानते हैं और उसके अनुसार जीवन निर्वाह कर रहे है | किन्तु 90 प्रतिशत लोगो को तो पता ही नहीं कि भारतीय संस्कृति कितनी मूल्यवान है

हिन्दुस्तान में हिन्दू संस्कृति में सबसे अच्छी बात है यहाँ के रिश्ते नाते, परंपरा, अतिथि सत्कार कि परंपरा और सबसे अच्छी बात है यहाँ हिन्दू धर्म के "सोलह संस्कार" मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्युपर्यंत तक कुल सोलह संस्कार होते हैं जेसे गोद भराई, नामकरण संस्कार, मुंडन संस्कार, यज्ञोपवित संस्कार, विवाह संस्कार एवं अंतिम संस्कार जेसे कई संस्कार मानव जीवन को संयमित एवं संस्कारित बनाते हैं जिससे उन्हें रिश्ते नाते और परंपरा का निर्वाह करते हुए मोक्ष कि प्राप्ति होती है| हिन्दुस्तान में आज भी सिर्फ 10 प्रतिशत लोगो को ही संस्कारों के बारे में पूर्ण ज्ञान हो सकता है जबकि 90 प्रतिशत लोगो को तो सोलह संस्कारों के नाम भी याद नहीं होंगे | वेसे विदेशो मैं तो संस्कृति का सवाल ही पैदा नहीं होता क्योंकि वहां तो 70 प्रतिशत बच्चो को तो ये भी नहीं पता कि उनके पिता कौन है क्योंकि वहां कि संस्कृति में रिश्ते नाते ज्यादा मायने नहीं रखते | हिन्दुस्तान में तो विवाह एक संस्कार है जो सात जन्मो के बंधन कि तरह मन जाता है जबकि विदेशो में तो शादी का ज्यादा महत्त्व नहीं है ज्यादा से ज्यादा सेक्स का license मात्र बनकर रह गया है अब आप ही सोचिये क्या ये हमारे देश के लिए विचारनीय बात नहीं है जब जन्म से ही माँ बाप आधुनिकता कि होड़ में अपने बच्चो को टी.वी. और सिनेमा से संस्कार दिलाएंगे तो फिर अब यदि आये दिन बलात्कार और हिंसा जेसी घटनाएं होती है, आये दिन अखबार में पढने को मिलता है कि




"बेटे ने माँ कि हत्या करी,
विवाहिता अपने प्रेमी के साथ फरार,
पिता ही करता रहा ३ साल तक बेटी का बलात्कार,
निठारी हत्याकांड,
घर के सबसे विश्वसनीय नोकर ने किया मालिक का खून,

नाजायज संबंधो के कारण पति ने कि पत्नी के हत्या"
इन सब ख़बरों का जिम्मेदार कौन है ??
जिन बच्चो को चड्डी पहनना ठीक से नहीं आता उन्हें सेक्स के बारे में सब कुछ पता है, क्यों ?

युवा वर्ग के कई बिगडेल बच्चे अपने ही घर के ओरतो को बुरी निग़ाहों से देखते हैं क्यों ?

अश्लीलता, असामाजिकता, परंपराविहीन संस्कृति, पाश्चात्य संस्कृति की नक़ल, हिंसा, दहेज़ हत्या, अराजकता आदि का जिम्मेदार कौन है ?

श्रीराम के भाई लक्ष्मण से जब उनकी भाभी के जेवर पहचानने के लिए कहा तो उन्होंने कहा कि भाभी तो माँ सामान है मैंने तो कभी अपनी भाभी जी मुख के दर्शन नहीं किये उनके चरणों में प्रणाम करता हूँ तो केवल उनके नुपुर को पहचान सकता हूँ |

क्या आज श्री राम जेसा पुत्र, सीता मैया जेसी पत्नी, और लक्ष्मण जेसा भाई किसी भी समाज में मिल सकता है ????

नहीं न ??

इन सब बातों पर मनन करने पर एक ही सवाल में इसका उत्तर छिपा है और वो है

"आज हमारे बच्चो को कौन संस्कार दे रहा है "माँ, दादीमा या फिर " सिनेमा ""

अब भी वक़्त है संभल जाओ पाश्चात्य संस्कृति से अगर कुछ ग्रहण करना है तो अच्छाइयां ग्रहण करो | नक़ल मत करो |






अपने बच्चो को दादीमाँ और माँ के संस्कार जरुर दिलवाइए
और वेसे भी जो माँ बाप बचपन में अपने बच्चों को हाथ पकड़ कर मंदिर ले जाते हैं वही बच्चे बुढ़ापे में माँ बाप को तीर्थ यात्रा करवाते हैं
लेकिन जो माँ बाप अपने बच्चों को बचपन में संस्कार देने कि बजाय होस्टल में रखवा देते हैं वही बच्चे बुढ़ापे में अपने माता पिता को वृद्धाश्रम में दाल देते हैं.

महान भारत की महान जनता !!!!!!!!!

महान भारत की महान जनता !!!!!!!!!


जय श्री कृष्णा,
महान भारत की महान जनता !!!!!!!!!
पढ़कर बहुत अच्छा लग रहा है न की हम महान भारत की वो महान जनता है जिस देश में कभी श्री राम जेसे मर्यादा पुरषोत्तम राजा राज किया था|
वाह भई वाह क्या रामराज्य था, अब तो रामराज्य कभी आ ही नहीं सकता, सब जानते है की देश में ऊपर से लेकर नीचे तक भ्रष्टाचार व्याप्त है कोई भी बिना रिश्वत के तो पैदा भी नहीं हो सकता तो बाकी कामो में तो क्या हाल है सबको पता है !!! समझने की तो क्या कहने की भी जरुरत नहीं है|
अब क्या बताये भ्रष्टाचार के तो बहुत सारे उदाहरण है जेसे सबसे पहला "रिश्वत" | अब रिश्वत के बारे में कोण नहीं जानता सिर्फ नाम ही काफी है| भारत की जनता को तो पैदा होने के लिए भी हॉस्पिटल में भी रिश्वत देनी पड़ती है तो आगे तो पूरा जीवन जीने के लिए न जाने क्या क्या करना पड़ेगा बेचारी जनता | सब कुछ जानती है पर बेबस है न  क्या करे| जनता क्या कर सकती है वो तो भोली भाली है,

नेता लोगो पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा कर अपने आपको शरीफ कहलाने वाली जनता है भई जनता का क्या कसूर है वो तो बड़े बड़े नेता लोगो की कठपुतली है जी अब सरकारी बाबु को जन्म प्रमाण पत्र बनाने के लिए रिश्वत चाहिए तो जनता को देना ही पड़ेगा न| नहीं तो जनता आगे वाले सरकारी ऑफिस में रिश्वत देने के लिए केसे जाएगी | सबको जल्दी है जेसे अभी का अभी ऊपर जाना है ! सबको शोर्टकट चाहिए साहब| सीढ़ी सीढ़ी चढ़ना तो किसी ने सीखा ही नहीं, डायरेक्ट ऊपर जाना है साहब रिश्वत तो देनी ही पड़ेगी न|
अरे बावलों कभी ये सोचा है की 125 करोड़ की जनता पर राज करने वाली सरकार में हमारे ही चुने हुए नेताओ को रिश्वत लेना किसने सिखाया है ?????
जब जनता देती है तभी तो बड़े लोग रिश्वत लेते है, 125 करोड़ की जनता पर सिर्फ कुछ लोग राज कर रहे है मनमानी कर रहे है रिश्वत लेकर देश की राजनीति और अर्थव्यस्था को कलंकित कर रहे है और 125 करोड़ की जनता तो कुछ कर ही नहीं सकती??  क्यों ?? कभी सोचा है क्यों??? आखिर क्यों ??
नहीं न सबको जल्दी है जेसे अभी का अभी ऊपर जाना है ! सबको शोर्टकट चाहिए| मुझे काम पड़ा, किसी ने रिश्वत मांगी अभी मुझे जल्दी है मेरा काम तो रिश्वत देकर हो रहा है तो ऐसे ही सही मेने कोई देश के कलंक्धारियों को सुधारने का ठेका नहीं लिया| भैया अपने देश में ऐसे ही चलता है| ये सोचकर हर व्यक्ति अपना काम निकालना चाहता है किसी के पास देश के लिए सोचने का टाइम नहीं है | तभी तो !!! एक बार रिश्वत का स्वाद चख लिया तो एक दिन बेटा बाप से भी रिश्वत मांगने लगेगा, बापू तुम्हारा इलाज़ करवाना है तो जायदाद मेरे नाम कर दो आज ही करवा देता हूँ वरना सड़ते रहो यु ही !!
हाय राम गाँधी जी के देश में ये क्या हो रहा है
अरे ये तो कुछ भी नहीं  ये तो थी जनता की बात, अब भ्रष्टाचार को उजागर करने वाली "मीडिया"  की बात बताये साहब, मीडिया तो कई प्रकार का होता है जेसे टीवी ले, अखबार वाले आदि| देश में आये दिन मुर्ख जनता चंद जोशीले ज्यादा पढ़े हुए लीडरों के बहकावे में आकर आये दिन अपने ही देश में बसों में आग लगाते है, तोड़फोड़ kar के उत्पादन करने वालो का नुकसान करके अपनी फोटो अखबार में छपवाने के लिए हंगामा करते हैं और अंत में  ?? वही "ढाक के तीन पात "


जनता को कोई फायदा हो या न हो लीडरो की तो अच्छी खासी पब्लिसिटी हो जाती है अब रही सही कसार मीडिया भी निकाल लेती है एक ही चेनल की TRP बढ़ने के लिए एक ही खबर को बढ़ा चढ़ा कर अपने चेनल पर इस तरह घुमाते हैं जेसे सारे गृह पृथ्वी के चक्कर लगा रहे हो | किसी को नहीं पता सब भीड़ में भेडचाल की तरह चले जा रहे है| जिसको भी पब्लिसिटी पानी है बस आज देश में डोक्टरों की हड़ताल, कल भारत बंद, परसों रामसेतु रेली आदि आदि का दिखावा करके अपना उल्लू सीधा करते हैं और जनता तो कोल्हू के बैल की तरह बस पिसती जा रही है| और दोष ?? दोष तो नेता लोगो पर डाल देती है कोई नेता अच्छा काम करने लगेगा तो कही जनता की वाह वाही न मिल जाये विपक्ष के लोग उसकी खामियों को उजागर करते हैं भई उन्हें भी तो अगले चुनाव तक टाइम पास करना है न| यूँ तो नहीं की किसी की खामिया  ढूंढने की बजाय किसी की खामियों को बिना बताये सुधर करवा दिया जाये| पर नहीं साहब अब khamiya नहीं बताएँगे तो मीडिया की सुर्ख़ियों में केसे आयेंगे और अगले चुनाव में जनता की सहानुभूति केसे पायेंगे | भैया ये राजनीति है अपन के समझ में नहीं आने वाली |
जिसके पास कोई काम नहीं वही ऐसे विषयों पर सोचकर बातचीत कर के अपना टाइम पास कर लेता है पर ये जनता कभी नहीं सुधरेगी| भई जब जनता ही नहीं सुधरेगी तो फिर देश केसे सुधरेगा ??? इसीलिए तो कहते हैं "100 में 99 में बेईमान फिर भी मेरा भारत महान"

सीढिया उनके लिए बनी हे

जय श्री कृष्णा जी

सीढिया उनके लिए बनी हे जिन्हें छत पर जाना हे .........................!
आसमान पर हो जिनकी नज़र उन्हें तो अपना रास्ता खुद बनाना हे !

have a nice day
जय श्री राधे कृष्णा
त्वम् कल्याण भवः

शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011

हमें क्या हो गया है

छोड़ हिंद की हिंदी को इंग्लिश की टांग अड़ाए, हमें क्या हो गया है - 2

जय श्री कृष्णा

छोड़ हिंद की हिंदी को इंग्लिश की टांग अड़ाए, हमें क्या हो गया है - 2
छोड़ हिंद की पावन धारा पश्चिम में बह जाए, हमें क्या हो गया है - 2

माता को मम्मी कहना, पिताजी को डेडी कहना शान है,
मित्र को माई डियर, बहन को सिस्टर में अभिमान है,
घरवाली को वाइफ कहकर हम pahchaan कराएँ , हमें क्या हो गया है - २
छोड़ हिंद की हिंदी को इंग्लिश की टांग अड़ाए, हमें क्या हो गया है - 2
छोड़ हिंद की पावन धारा पश्चिम में बह जाए, हमें क्या हो गया है - 2


भारतीय नृत्य भूले, सब पर डिस्को का भूत सवार है

सूनी पड़ी रामलीला, सिनेमा में भीड़ का नहीं पार है

ठुमरी दादरा भूल गए हम लैला हो लैला गायें, हमें क्या हो गया है - २
छोड़ हिंद की हिंदी को इंग्लिश की टांग अड़ाए, हमें क्या हो गया है - 2
छोड़ हिंद की पावन धारा पश्चिम में बह जाए, हमें क्या हो गया है - २


लाज शर्म सब त्यागी, अंधे नक़ल में होकर झूमते

पाश्चात्य सभ्यता को गले से लगा कर हम है चुमते

लड़की पहने पेंट शर्ट, अब लड़का बाल बढ़ाये, हमें क्या हो गया है - २
छोड़ हिंद की हिंदी को इंग्लिश की टांग अड़ाए, हमें क्या हो गया है - 2
छोड़ हिंद की पावन धारा पश्चिम में बह जाए, हमें क्या हो गया है - २


भारत की सभ्यता छोड़ी, छोड़ा आदर मान सम्मान रे

भूल गए नेतिकता हम, करते बड़ों का अपमान रे

व्याकुल होकर अक्षय ने अब अपनी कलम चलायी, हमें क्या हो गया है - २
छोड़ हिंद की हिंदी को इंग्लिश की टांग अड़ाए, हमें क्या हो गया है - 2
छोड़ हिंद की पावन धारा पश्चिम में बह जाए, हमें क्या हो गया है - २


कैलाश चन्द्र लड्ढा "अक्षय"

"Sanwariya"

दुनिया में कभी किसी अच्छे इंसान की तलाश मत करो,

दुनिया में कभी किसी अच्छे इंसान की तलाश मत करो,



दुनिया में कभी किसी अच्छे इंसान की तलाश मत करो,
बल्कि खुद अच्छे इंसान बनो,
हो सकता है आपके इस काम से,
किसी और की तलाश खत्म हो जाये

ज़िन्दगी है छोटी , हर पल में खुश रहो,

ज़िन्दगी है छोटी , हर पल में खुश रहो,


ज़िन्दगी है छोटी , हर पल में खुश रहो,
ऑफिस में खुश रहो, घर में खुश रहो।

आज पनीर नहीं है, दाल में ही खुश रहो,
आज जिम जाने का समय नहीं, दो कदम चल के ही खुश रहो।

आज दोस्तों का साथ नहीं, टीवी देख कर ही खुश रहो,
घर जा नहीं सकते तो, फ़ोन करके ही खुश रहो।

आज कोई नाराज़ है, उसके इस अंदाज़ में भी खुश रहो,
जिसे देख नहीं सकते, उसकी आवाज़ में ही खुश रहो।

जिसे पा नहीं सकते, उसकी याद में ही खुश रहो,
लैपटॉप न मिला तो क्या, डेस्कटॉप में ही खुश रहो।

बिता हुआ कल जा चुका है, उसकी मीठी यादों में ही खुश रहो,
आने वाले पल का पता नहीं, सपनों में ही खुश रहो।

हंसते-हंसते ये पल बीत जाएंगे, आज में ही खुश रहो,
ज़िन्दगी है छोटी, हर पल में खुश रहो!

by
"Sanwariya"
www.sanwariya.webs.com

कृष्ण कि जगह राधे राधे

कृष्ण कि जगह राधे राधे

श्री राधा जी ने अपने महल मै तोते पाल रखे थे और उन्हें रोज़ हरे कृष्ण
हरे कृष्ण कहती थी तो तोते भी सारा दिन हरे कृष्ण हरे कृष्ण बोलते रहते
और सब सखियाँ भी हरे कृष्ण हरे कृष्ण कहती | एक दिन राधाजी यमुना किनारे
विचर रही थी सखियाँ दूर झुंड मै किकोल कर रही थी | इतने मै उनकी सामने नज़र पड़ी तो क्या देखती है की शामसुंदर नारद जी से बतिया रहे है | श्रीजी को क्या सूझी वो छिप कर उनकी बातें सुनने लगीं | नारद जी कह रहे थे कि जहाँ भी
मैं जाता हूँ वहीं पूरे ब्रज मै हरे कृष्ण हरे कृष्ण कि गूँज सुनाई देती
है | ठाकुरजी बोले पर मुझे तो राधे राधे नाम प्रिय है | इतना सुनते ही राधाजी कि आँखों
से अश्रूयों कि धरा बहने लगी वो तुरंत अपने महल पर लौट आयीं | उन्होने अब अपने तोतों से
हरे कृष्ण कि जगह राधे राधे कहने लगी | जब सखियों ने कहा लोग तुम्हे अभिमानी
कहेंगे कि तुम अपने नाम कि जय बुलवाना चाहती हो | श्री जी ने कहा कि अगर मेरे
प्रियतम को यही नाम पसंद है तो मैं तो यही नाम लूंगी चाहें लोग कुछ भी कहें |

कहते है उसको नेता, कहते है उसको नेता 

कहते है उसको नेता, कहते है उसको नेता 

वाणी में जिसके चीनी हो मुस्कान बड़ी नमकीनी हो
 दिल काला हो तो हुआ करे लेकिन मन में रंगीनी हो

 हरदम हारों का ग्राहक हो उपहारों का भी चाहक हो
 कुर्सी माइक डंडे जूते,सब पर जिसका पहला हक़ हो


 रोजी रोटी के बदले में ,   रोजी रोटी के बदले में 
जनता को भाषण देता,  कहते है उसको नेता, कहते है उसको नेता


जो सब विषयों का ज्ञाता हो, जो सभी जगह मिल जाता हो
 जो लोगो को पीछे धकेल , फोटो में आगे आता हो
 चंदा ही जिसका धंधा हो,  व्यापार न जिसका मंदा हो,
 जो सदाचार का भाषण दे, व्यवहार मगर कुछ गन्दा हो
 सर्दी गर्मी कम करने को, सर्दी गर्मी कम करने को
 चुपके से थोड़ी पी लेता, कहते है उसको नेता, कहते है उसको नेता


सर्दी में देश सुहाता हो,  गर्मी में लन्दन जाता हो,
बरसात बिता वाशिंगटन,  पेरिस में मून मनाता हो
दफ्तर में जिसका साला हो,  और समधी पैसे वाला हो,
मंत्री जी जिसके मामा हो, अंटी में जिसके साला हो
परमिट से लेकर पासपोर्ट तक , परमिट से लेकर पासपोर्ट तक
जिसका उल्लू चेता, कहते है उसको नेता,कहते है उसको नेता

कहते है उसको नेता,कहते है उसको नेता
 कहते है उसको नेता,कहते है उसको नेता

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