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शनिवार, 26 फ़रवरी 2011

महान भारत की महान जनता !!!!!!!!!

महान भारत की महान जनता !!!!!!!!!


जय श्री कृष्णा,
महान भारत की महान जनता !!!!!!!!!
पढ़कर बहुत अच्छा लग रहा है न की हम महान भारत की वो महान जनता है जिस देश में कभी श्री राम जेसे मर्यादा पुरषोत्तम राजा राज किया था|
वाह भई वाह क्या रामराज्य था, अब तो रामराज्य कभी आ ही नहीं सकता, सब जानते है की देश में ऊपर से लेकर नीचे तक भ्रष्टाचार व्याप्त है कोई भी बिना रिश्वत के तो पैदा भी नहीं हो सकता तो बाकी कामो में तो क्या हाल है सबको पता है !!! समझने की तो क्या कहने की भी जरुरत नहीं है|
अब क्या बताये भ्रष्टाचार के तो बहुत सारे उदाहरण है जेसे सबसे पहला "रिश्वत" | अब रिश्वत के बारे में कोण नहीं जानता सिर्फ नाम ही काफी है| भारत की जनता को तो पैदा होने के लिए भी हॉस्पिटल में भी रिश्वत देनी पड़ती है तो आगे तो पूरा जीवन जीने के लिए न जाने क्या क्या करना पड़ेगा बेचारी जनता | सब कुछ जानती है पर बेबस है न  क्या करे| जनता क्या कर सकती है वो तो भोली भाली है,

नेता लोगो पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा कर अपने आपको शरीफ कहलाने वाली जनता है भई जनता का क्या कसूर है वो तो बड़े बड़े नेता लोगो की कठपुतली है जी अब सरकारी बाबु को जन्म प्रमाण पत्र बनाने के लिए रिश्वत चाहिए तो जनता को देना ही पड़ेगा न| नहीं तो जनता आगे वाले सरकारी ऑफिस में रिश्वत देने के लिए केसे जाएगी | सबको जल्दी है जेसे अभी का अभी ऊपर जाना है ! सबको शोर्टकट चाहिए साहब| सीढ़ी सीढ़ी चढ़ना तो किसी ने सीखा ही नहीं, डायरेक्ट ऊपर जाना है साहब रिश्वत तो देनी ही पड़ेगी न|
अरे बावलों कभी ये सोचा है की 125 करोड़ की जनता पर राज करने वाली सरकार में हमारे ही चुने हुए नेताओ को रिश्वत लेना किसने सिखाया है ?????
जब जनता देती है तभी तो बड़े लोग रिश्वत लेते है, 125 करोड़ की जनता पर सिर्फ कुछ लोग राज कर रहे है मनमानी कर रहे है रिश्वत लेकर देश की राजनीति और अर्थव्यस्था को कलंकित कर रहे है और 125 करोड़ की जनता तो कुछ कर ही नहीं सकती??  क्यों ?? कभी सोचा है क्यों??? आखिर क्यों ??
नहीं न सबको जल्दी है जेसे अभी का अभी ऊपर जाना है ! सबको शोर्टकट चाहिए| मुझे काम पड़ा, किसी ने रिश्वत मांगी अभी मुझे जल्दी है मेरा काम तो रिश्वत देकर हो रहा है तो ऐसे ही सही मेने कोई देश के कलंक्धारियों को सुधारने का ठेका नहीं लिया| भैया अपने देश में ऐसे ही चलता है| ये सोचकर हर व्यक्ति अपना काम निकालना चाहता है किसी के पास देश के लिए सोचने का टाइम नहीं है | तभी तो !!! एक बार रिश्वत का स्वाद चख लिया तो एक दिन बेटा बाप से भी रिश्वत मांगने लगेगा, बापू तुम्हारा इलाज़ करवाना है तो जायदाद मेरे नाम कर दो आज ही करवा देता हूँ वरना सड़ते रहो यु ही !!
हाय राम गाँधी जी के देश में ये क्या हो रहा है
अरे ये तो कुछ भी नहीं  ये तो थी जनता की बात, अब भ्रष्टाचार को उजागर करने वाली "मीडिया"  की बात बताये साहब, मीडिया तो कई प्रकार का होता है जेसे टीवी ले, अखबार वाले आदि| देश में आये दिन मुर्ख जनता चंद जोशीले ज्यादा पढ़े हुए लीडरों के बहकावे में आकर आये दिन अपने ही देश में बसों में आग लगाते है, तोड़फोड़ kar के उत्पादन करने वालो का नुकसान करके अपनी फोटो अखबार में छपवाने के लिए हंगामा करते हैं और अंत में  ?? वही "ढाक के तीन पात "


जनता को कोई फायदा हो या न हो लीडरो की तो अच्छी खासी पब्लिसिटी हो जाती है अब रही सही कसार मीडिया भी निकाल लेती है एक ही चेनल की TRP बढ़ने के लिए एक ही खबर को बढ़ा चढ़ा कर अपने चेनल पर इस तरह घुमाते हैं जेसे सारे गृह पृथ्वी के चक्कर लगा रहे हो | किसी को नहीं पता सब भीड़ में भेडचाल की तरह चले जा रहे है| जिसको भी पब्लिसिटी पानी है बस आज देश में डोक्टरों की हड़ताल, कल भारत बंद, परसों रामसेतु रेली आदि आदि का दिखावा करके अपना उल्लू सीधा करते हैं और जनता तो कोल्हू के बैल की तरह बस पिसती जा रही है| और दोष ?? दोष तो नेता लोगो पर डाल देती है कोई नेता अच्छा काम करने लगेगा तो कही जनता की वाह वाही न मिल जाये विपक्ष के लोग उसकी खामियों को उजागर करते हैं भई उन्हें भी तो अगले चुनाव तक टाइम पास करना है न| यूँ तो नहीं की किसी की खामिया  ढूंढने की बजाय किसी की खामियों को बिना बताये सुधर करवा दिया जाये| पर नहीं साहब अब khamiya नहीं बताएँगे तो मीडिया की सुर्ख़ियों में केसे आयेंगे और अगले चुनाव में जनता की सहानुभूति केसे पायेंगे | भैया ये राजनीति है अपन के समझ में नहीं आने वाली |
जिसके पास कोई काम नहीं वही ऐसे विषयों पर सोचकर बातचीत कर के अपना टाइम पास कर लेता है पर ये जनता कभी नहीं सुधरेगी| भई जब जनता ही नहीं सुधरेगी तो फिर देश केसे सुधरेगा ??? इसीलिए तो कहते हैं "100 में 99 में बेईमान फिर भी मेरा भारत महान"

1 टिप्पणी:

  1. सपने उन्ही के पुरे होते हैं जिनके सपनो में जान होती है
    पंख होने से भी कुछ नहीं होता होंसलों से भी उडान होती है

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