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शनिवार, 26 फ़रवरी 2011

संसार में दो प्रकार के लोग होते है


कुशल लोग

इस संसार में दो प्रकार के लोग होते है,एक कुशल और दूसरे अकुशल।कुशल कहते है जो बहुत चतुर होते है।।कुशल उसको कहते है जो हाथ नही काट कर सब कुश को उखाड दे। खतरे के काम करे पर उसका कोइ असर न हो उसको कुशल कहते है।जो कुशल लोग है,वो एकमात्र तुमसे ही प्रेम करते है ।।और जो अकुशल लोग होते है,वो पति.पत्नी,सुत आदि से प्रेम करते है । और कुशल लोग सब कुछ छोड़ सिर्फ तुमसे प्रेम करते हैं। सब छोड़ देने का मतलब आसक्ति छोड़ने से है।।स्वात्मनतुम जो आत्मा के स्वामी हो उनसें प्रेम करते है।पति या पत्नी आत्मा के स्वामी नही हो सकते,पति/पत्नी क़ा शरीर अलग और आत्मा अलग है।लेकिन कुशल लोग जानते है कि सबकी आत्मा के स्वामी तो श्रीकृष्ण है,इसलिए कृष्ण से क्यो न प्यार किया जाए।।।कुशल लोग आत्मन और नित्य प्रिय है,ऐसा प्रेम जो कभी न टूटने वाला है।आजकल कोइ जीव किसी का नित्य प्रिय नही हो सकता।सबके गुण स्वभाव अलग अलग है।।सबकी रुची अलग अलग है और सबकी प्रियता अलग अलग है।संसारिक प्रियता क्षणिक होती है। नित्य प्रिय तो भगवान ही है,जोआदि,अन्त,मध्य मे सदा एक रस प्यारे है।
राधे राधे

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