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शनिवार, 26 फ़रवरी 2011

मन करता है

सबको छोड़ने का मन करता है
सबसे कही दूर जाने का मन करता है

न किसी से प्यार करू
न किसी के प्यार के काबिल बनू
न किसी से दिल लगाऊ
न किसी का दिल तोडू
न किसी पे ऐतबार करू
न किसी का इंतज़ार करू

सबसे नाता तोड़ने का मन करता है

न किसी से बात करू, न कोई वादा करू
न कोई वफ़ा की उम्मीद करू,
न किसी से बेवफाई करू
न किसी को अपना कहू
न किसी को यादों में बसाऊं

खुद से प्यार को दूर करने का मन करता है

न कोई दुआ करू न किसी पे यकीन करूँ
न कोई रास्ता ढूँढू न कोई मंजिल
न कोई सपना सजाऊं न कोई इरादे
न रात को नींद का न सुबह उठने का
न खुद से न कोई परायों से

खुद से दूर जाने का मन करता है
दुनिया से अलग होने का मन करता है

न दुःख पे आंसू बहाऊं
न ख़ुशी से झूम उठू
न किसी के मिलने पे मुस्कुराऊं
न किसी के बिछड़ने का शोक मनाऊ
न खुद के लिए रोऊ न किसी और के liye

कही खो जाने का मन करता है
हकीकत से मुह मोड़ने का मन करता है

1 टिप्पणी:

  1. कौन देता है अब उम्र भर का सहारा,
    लोग जनाज़े में भी कंधे बदलते रहते हैं !

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