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शनिवार, 26 फ़रवरी 2011

चाय की लाय



चाय की लाय में आज लाखो लोग जल रहे है



चाय की लाय में आज लाखो लोग जल रहे है
चाय पर चाय पीकर किसी तरह से चल रहे है
दो कप टी न मिले तो जीना बेकार है
सुस्त ऐसे ज्यो बिना पेट्रोल की कार है
चाय की प्याली में आज जिंदगी कैद है
चाय मानव को पी गई इसी बात का खेद है
भीष्म अर्जुन द्रोण जैसी आज है नस्ले कहाँ
सब तरफ मिल जाएगी बन्दर की सी शक्लें यहाँ
नन्हे पप्पू को माँ चाय का आदी बनाती
कुदरत भी क्यों मुर्खता कर माँ की देह में दूध लाती

क्यों नहीं माँ की देह में चाय की धारा बहा दे
चाय के इन पुजारियों को जन्म से ही टी पिलादे





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