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मंगलवार, 9 अक्तूबर 2012

शल्य चिकित्सा (surgery) के पितामह और 'सुश्रुतसंहिता' के प्रणेता आचार्य सुश्रुत

शल्य चिकित्सा (surgery) के पितामह और 'सुश्रुतसंहिता' के प्रणेता आचार्य सुश्रुत का जन्म छठी शताब्दी ईसा पूर्व में काशी में हुआ था। सुश्रुत का जन्म विश्वामित्र के वंश में हुआ था। इन्होंने धन्वन्तरि से शिक्षा प्राप्त की।

'सुश्रुतसंहिता' को भारतीय चिकित्सा पद्यति में विशेष स्थान प्राप्त है। इसमें शल्य चिकित्सा के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझाया गया है। शल्य क्रिया के लिए सुश्रुत 125 तरह के उपकरणों का प्रयोग करते थे। ये उपकरण शल्य क्रिया की जटिलता को देखते हुए खोजे गए थे। इन उपकरणों में विशेष प्रकार के चाकू, सुइयां, चिमटियाँ आदि हैं। सुश्रुत ने 300 प्रकार की ऑपरेशन प्रक्रियाओं की खोज की। आठवीं शताब्दी में 'सुश्रुतसंहिता' का अरबी अनुवाद 'किताब-इ-सुश्रुत' के रूप में हुआ।

सुश्रुत ने कॉस्मेटिक सर्जरी में विशेष निपुणता हासिल कर ली थी। एक बार आधी रात के समय सुश्रुत को दरवाजे पर दस्तक सुनाई दी। उन्होंने दीपक हाथ में लिया और दरवाजा खोला। दरवाजा खोलते ही उनकी नजर एक व्यक्ति पर पड़ी। उस व्यक्ति की आँखों से अश्रु-धारा बह रही थी और नाक कटी हुई थी। उसकी नाक से तीव्र गति से रक्त-श्राव हो रहा था। व्यक्ति ने सुश्रुत से सहायता के लिए विनती की। सुश्रुत ने उसे अन्दर आने के लिए कहा। उन्होंने उसे शांत रहने को कहा और दिलासा दिया कि सब ठीक हो जायेगा। वे अजनबी व्यक्ति को एक साफ और स्वच्छ कमरे में ले गए। कमरे की दीवार पर शल्य क्रिया के लिए आवश्यक उपकरण टंगे थे। उन्होंने अजनबी के चेहरे को औषधीय रस से धोया और उसे एक आसन पर बैठाया। उसको एक ग्लास में मद्य भरकर सेवन करने को कहा और स्वयं शल्य क्रिया की तैयारी में लग गए। उन्होंने एक पत्ते द्वारा जख्मी व्यक्ति की नाक का नाप लिया और दीवार से एक चाकू व चिमटी उतारी। चाकू और चिमटी की मदद से व्यक्ति के गाल से एक मांस का टुकड़ा काटकर उसे उसकी नाक पर प्रत्यारोपित कर दिया। इस क्रिया में व्यक्ति को हुए दर्द को मद्यपान ने महसूस नहीं होने दिया। इसके बाद उन्होंने नाक पर टाँके लगाकर औषधियों का लेप कर दिया। व्यक्ति को नियमित रूप से औषधियां लेने का निर्देश देकर सुश्रुत ने उसे घर जाने के लिए कहा।

सुश्रुत नेत्र शल्य चिकित्सा भी करते थे। 'सुश्रुतसंहिता' में मोतियाबिंद के ओपरेशन करने की विधि को विस्तार से बताया गया है। उन्हें शल्य क्रिया (caesarean) द्वारा प्रसव कराने का भी ज्ञान था। सुश्रुत को टूटी हुई हड्डियों का पता लगाने और उनको जोड़ने में विशेषज्ञता प्राप्त थी। शल्य क्रिया के दौरान होने वाले दर्द को कम करने के लिए वे मद्यपान या विशेष औषधियां देते थे। मद्य संज्ञाहरण (anaesthesia) का कार्य करता था। इसलिए सुश्रुत को संज्ञाहरण का पितामह भी कहा जाता है। इसके अतिरिक्त सुश्रुत को मधुमेह व मोटापे के रोग की भी विशेष जानकारी थी।

सुश्रुत श्रेष्ठ शल्य चिकित्सक होने के साथ-साथ श्रेष्ठ शिक्षक भी थे। उन्होंने अपने शिष्यों को शल्य चिकित्सा के सिद्धांत बताये और शल्य क्रिया का अभ्यास कराया। प्रारंभिक अवस्था में शल्य क्रिया के अभ्यास के लिए फलों, सब्जियों और मोम के पुतलों का उपयोग करते थे। मानव शारीर की अंदरूनी रचना को समझाने के लिए सुश्रुत शव के ऊपर शल्य क्रिया करके अपने शिष्यों को समझाते थे।

सुश्रुत ने शल्य चिकित्सा में अद्भुत कौशल अर्जित किया तथा इसका ज्ञान अन्य लोगों को कराया। इन्होंने शल्य चिकित्सा के साथ-साथ आयुर्वेद के अन्य पक्षों जैसे शरीर सरंचना, काय चिकित्सा, बाल रोग, स्त्री रोग, मनोरोग आदि की जानकारी भी दी।

क्या क्या पाखण्ड और नौटंकी चलता रहता है ..

निचे दिए गए लिंक में जाके विडियो देखे :
www.youtube.com/watch?v=ETxe2dL2Cm4
गलत रास्ते पर हमे भटकाने वाले दस बीस नही है संकड़ो है रोज आते है और माला पकड़ा देते है और कहते है राम राम राम राम राम राधे राधे राधे राधे राधे राधे बस येही करो .. देश तो ठीक हो जायेगा । और जादा उनसे तर्क करो तो कहने लगते है तुम किओं व्यर्थ चिंता करते हो ? तुम क्या लाये थे क्या ले जाओगे ? जो हो रहा है अच्छा हो रहा है ...देश लूट रहा है अच्छा हो रहा है ..आगे लूटेगा और अच्छा होगा .. वो हमको समझाते है और इसीको धर्म कहते है । और आजकल धर्म के व्यापार करने वालो की बाड़ आई हुई है .. बहुत बड़ी फ़ौज खड़ी हुई है उनकी । एक आया राम की कथा कहेगा दस करोड़ लेके जायेगा दूसरा कृष्ण की कथा कहेगा वो पनरा करोड़ लेके जायेगा । और आप जैसे भोले भले मुर्ख लोग डालते है उनके पात्रो में ले जा भाई .. ये बापू नही है डाकू है । बापू नाम तो शर्म आती है कहते हुए .. कहीं से दस करोड़ लूटो कहीं से पनरा करोड़ कहीं से बीस करोड़ । और आपलोगोकी मजबूरी है की काले धन का करे क्या ? इन्काम टैक्स वाले पकड़ते रहते है तो इन बापुओं को देते रहते हो आप ।

और ये बापू लोग हमे सिखाते रहते है जो हो रहा है अच्छा हो रहा है.. वाह वाह । क्या क्या पाखण्ड और नौटंकी चलता रहता है ..भगवान राम की कथा कहने आते है और भगवान राम की जिन्दगी की वो प्रसंग कभी नही सुनाते जो हममे वीरता पैदा करें, जो साहस पैदा करें । राम की जिन्दगी में बहुत सारा हिस्सा साहस का है वीरता का है .. जब चौदा वर्ष के लिए बनवास चले गए श्री राम तो हमको सुनाई जाती है राम की जो कथा न ..उसमे कहते है राम ने चौदा साल एक ही काम किया हाय सीते हे सीते, हाय सीते हे सीते, हे सीते ..ये सुनाते है हमको कहानी में से निकालके । पर जब इने पूछा जाता है की श्री राम को अगर हाय सीते हे सीते येही करना था चौदा साल तो दूसरा विवाह किओं नही कर लिया ? संकड़ो राजा तैयार थे अपनी राजकुमारिओं को राम को देने के लिए , तो कर लेते दूसरा विवाह । अगर एक स्त्री के लिए वो इतने ही बिलख रहे थे तड़प रहे थे दूसरा विवाह कर लेते । तब ये सब चुप हो जाते, फिर बात नही करते ।

फिर उनको जब रामायण में से निकालके ये दिखाई जाती है के देखो श्री राम ने हाय सीते हे सीते ये किया नही किया नही मालूम पर चौदा साल वन में रहते हुए संकड़ो राक्षसों का संहार किया उन्होंने मारा उनको और धर्म राज्य की स्थापना कराई.. ये कहानी नही सुनाते किउंकि इससे वीरता पैदा होती है । तो श्री राम का जो वीरात्वा है वो नही सुनायेंगे आपको उनकी जो कमजोरियां है वो सुनाते है आपको ।

और राम कथा जब वर्णन की जाती तो मंच पे बैठा आहाहा कैसे आंसू ढलल ढलल आंसू निकलेंगे आपको भी रुलाएंगे खुद रोयेंगे किस बात के लिए ? श्री राम को वन गमन में इतना कष्ट हो रहा है , वन में इतनी तकलीफे हो रही है .. और ये सारा वर्णन एयर कंडीसन मंच पर बैठ कर होता है । अपने को तकलीफ नही होनी चाहिए .. श्री राम की तकलीफों का वर्णन कर रहे है । इनको एयर कंडीसन मंच चाहिए , एयर कंडीसन घर चाहिए रहने के लिए , एयर कंडीसन कार चाहिए और चार्टर्ड प्लेन चाहिए आने और जाने के लिए , तब राम की कथा सुनाई जायेगी । जो श्री राम जिन्दगी भर पैदल चलते रहे , जिन्होंने अपना रथ भी छोड़ दिया था अयोध्या से निकलते समय वो राम ने जिन्दगी भर पैदल चलके काम किया और येहाँ एयर कंडीसन कारों में घूम घूम कर , चार्टर्ड प्लेन में घूम घूम कर राम की कथा सुनाते है । वो कथा नही है उद्योग है व्यापार है बिना टैक्स का । ये राम कथा कहने वाले काला धन को सफ़ेद करने वाले एजेंट है और कुछ नही । और आपका दान में दिया हुआ पैसा ये लोग ब्याज में दुसरे को दे रहे है और अपना धंदा बना रहे है ।

फिर ऐसे कृष्ण कीकथा कहने वाले आ जाते है और कहते है.. राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे और कुछ कहो ही मत राधे राधे । कंश को मारा , शिसुपाल को मारा , आधार्मियो को मारा ये सब थोड़े में ; राधे राधे राधे राधे बड़े में । किउंकि आपको कायर बनाना है न ? निर्वीर बनाना है, नपुंशक बनाना है तो वीरता की कहानी किओं सुनानी है ? तो चुन चुन कर ऐसी कहानिया सुनाते है और ये सरे हमारे देश में जो पाखंडी लोग है न राम और कृष्ण की कथा कहने वाले ये सब सारकारों के साथ मिले हुए है , इनको निर्देश है के तुमलोग लोगोका ध्यान इस्तरफ भटकाते रहों ताकि कोई महंगाई के खिलाफ न लड़े, गरीबी के खिलाफ न लड़े , बेरोजगारी के खिलाफ न लड़े, अत्याचार के खिलाफ न लड़े .. वो डूबा रहे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे ..राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम.... बस इसीमे । और समझाते रहो.. तुम क्या लाएथे ? तुम क्या ले जाओगे ? किओं व्यर्थ चिंता करते हो ? जो हो रहा है अच्छा हो रहा है .. आगे होगा और भी अच्छा होगा ।

अब दो रस्ते है अपने सामने .. एक रास्ता भगत सिंग का, चंद्रशेखर का, सूर्य सेन का , उधम सिंह का , एक रास्ता हमारे ये धर्म गुरुओं का पाखंडीओं का । मरेंगे ये सब भी साधू संत के वेश में पाखंडी .. राम की कथा सुनाते सुनाते हार्ट अत्तक आयेगा मरेंगे वो भी , डाईबेटिस सबको हो रखी है , सब इंसुलिन लगाते है , खाते है गोलिया , अपने डाईबेटिस नही मिटा पते दुसरो को उपदेश देते फिरते है ; ब्लड प्रेसर सबको बड़ा हुआ है .. किउंकि ये जो काला धन है न इसका हिसाब किताब करने में BP ही बड्नेवाली है । मौत तो इनदोनो रास्ते मे ही आने वाली है बस अंतर इतना है .. एक मौत ऐसी आयेगी जिसको देश सुर समाज जिन्दगी भर याद रखे गा और एक मौत ऐसी आएगी कोई पूछेगा नही । स्वर्गीय राजीव भाई ने दूसरा रास्ता चुना था और निश्चय किया था जैसे भगत सिंह उधम सिंह चंद्रशेखर ने गोरे अंग्रेजो को भगाया वैसे ही वे आजके इन काले अंग्रेजो को मार भगायेंगे इस देश में से ।

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