गायत्री मंत्र का वर्णं
गायत्री मंत्र संक्षेप में
गायत्री मंत्र (वेद ग्रंथ की माता) को हिन्दू धर्म में सबसे उत्तम मंत्र
माना जाता है. यह मंत्र हमें ज्ञान प्रदान करता है. इस मंत्र का मतलब है -
हे प्रभु, क्रिपा करके हमारी बुद्धि को उजाला प्रदान कीजिये और हमें धर्म
का सही रास्ता दिखाईये. यह मंत्र सूर्य देवता (सवितुर) के लिये प्रार्थना
रूप से भी माना जाता है.
हे प्रभु! आप हमारे जीवन के दाता हैं
आप हमारे दुख़ और दर्द का निवारण करने वाले हैं
आप हमें सुख़ और शांति प्रदान करने वाले हैं
हे संसार के विधाता
हमें शक्ति दो कि हम आपकी उज्जवल शक्ति प्राप्त कर सकें
क्रिपा करके हमारी बुद्धि को सही रास्ता दिखायें
मंत्र के प्रत्येक शब्द की व्याख्या
गायत्री मंत्र के पहले नौं शब्द प्रभु के गुणों की व्याख्या करते हैं
ॐ = प्रणव
भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाण करने वाला
भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला
स्वः = सुख़ प्रदाण करने वाला
तत = वह, सवितुर = सूर्य की भांति उज्जवल
वरेण्यं = सबसे उत्तम
भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाला
देवस्य = प्रभु
धीमहि = आत्म चिंतन के योग्य (ध्यान)
धियो = बुद्धि, यो = जो, नः = हमारी, प्रचोदयात् = हमें शक्ति दें (प्रार्थना)
इस प्रकार से कहा जा सकता है कि गायत्री मंत्र में तीन पहलूओं क वर्णं है - स्त्रोत, ध्यान और प्रार्थना.
गायत्री देवी, वह जो पंचमुख़ी है, हमारी पांच इंद्रियों और प्राणों की देवी मानी जाती है
ॐ शंखनाद की औषधीय विशेषता ॐ
हिंदू मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन के समय प्राप्त चौदह रत्नों में से
एक शंख की उत्पत्ति छठे स्थान पर हुई। शंख में भी वही अद्भुत गुण मौजूद
हैं, जो अन्य तेरह रत्नों में हैं। दक्षिणावर्ती शंख के अद्भुत गुणों के
कारण ही भगवान विष्णु ने उसे अपने हस्तकमल में धारण किया हुआ है।
... शंख मुख्यतः दो प्रकार के होते ह्रैं : वामावर्ती और दक्षिणावर्ती। इन
दोनों की पूजा का विशेष महत्व है। दैनिक पूजा-पाठ एवं कर्मकांड अनुष्ठानों
के आरंभ में तथा अंत में वामावर्ती शंख का नाद किया जाता है। इसका मुख ऊपर
से खुला होता है। इसका नाद प्रभु के आवाहन के लिए किया जाता है। इसकी
ध्वनि से क्क शब्द निकलता है। यह ध्वनि जहां तक जाती है, वहां तक की
नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है। वैज्ञानिक भी इस बात पर एकमत हैं कि शंख
की ध्वनि से होने वाले वायु-वेग से वायुमंडल में फैले वे अति सूक्ष्म
किटाणु नष्ट हो जाते हैं, जो मानव जीवन के लिए घातक होते हैं।
उक्त अवसरों के अतिरिक्त अन्य मांगलिक उत्सवों के अवसर पर भी शंख वादन किया
जाता है। महाभारत के युद्ध के अवसर पर भगवान कृष्ण ने पांचजन्य निनाद किया
था। कोई भी शुभ कार्य करते समय शंख ध्वनि से शुभता का अत्यधिक संचार होता
है। शंख की आवाज को सुन कर लोगों को ईश्वर का स्मरण हो आता है।
शंख वादन के अन्य लाभ भी हैं। इसे बजाने से सांस की बीमारियों से छुटकारा
मिलता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से शंख बजाना विशेष लाभदायक है। शंख बजाने
से पूरक, कुंभक और प्राणायाम एक ही साथ हो जाते हैं। पूरक सांस लेने, कुंभक
सांस रोकने और रेचक सांस छोड़ने की प्रक्रिया है। आज की सबसे घातक बीमारी
हृदयाघात, उच्च रक्त चाप, सांस से संबंधित रोग, मंदाग्नि आदि शंख बजाने से
ठीक हो जाते हैं।
घर में शंख वादन से घर के बाहर की आसुरी
शक्तियां भीतर नहीं आ सकतीं। यही नहीं, घर में शंख रखने और बजाने से वास्तु
दोष दूर हो जाते हैं।
दक्षिणावर्ती शंख सुख-समृद्धि का प्रतीक
है। इसका मुख ऊपर से बंद होता है। घर के मंदिर में इसकी स्थापना करने पर
लक्ष्मी की प्राप्ति और व्यवसाय में लाभ होता है। दक्षिणावर्ती शंख से
भगवान सूर्य को जल का अर्य देने से मानसिक तथा शारीरिक कष्टों का निवारण
होता है और नेत्र विकार से मुक्ति मिलती है।
अगर आपको खांसी, दमा,
पीलिया, ब्लड प्रेशर या दिल से संबंधित मामूली से लेकर गंभीर बीमारी है तो
इससे निजात पाने का एक सरल और आसान सा उपाय है- प्रतिदिन शंख बजाइए।
करते हैं कि शंखनाद से आपके आसपास की नकारात्मक ऊर्जा का नाश तथा सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
शंख से निकलने वाली ध्वनि जहां तक जाती है वहां तक बीमारियों के कीटाणुओं का नाश हो जाता है।
शंखनाद से सकारात्मक ऊर्जा का सर्जन होता है जिससे आत्मबल में वृद्धि होती है।
शंख में प्राकृतिक कैल्शियम, गंधक और फास्फोरस की भरपूर मात्रा होती है।
प्रतिदिन शंख फूंकने वाले को गले और फेफड़ों के रोग नहीं हो सकते।
शंख से मुख के तमाम रोगों का नाश होता है।
शंख बजाने से चेहरे, श्वसन तंत्र, श्रवण तंत्र तथा फेफड़ों का भी व्यायाम हो जाता है।
शंख वादन से स्मरण शक्ति भी बढ़ती है।
एक मकड़ी थी. उसने आराम से रहने के लिए एक
शानदार जाला बनाने का विचार किया और सोचा की इस जाले मे खूब कीड़ें,
मक्खियाँ फसेंगी और मै उसे आहार बनाउंगी और मजे से रहूंगी . उसने कमरे के
एक कोने को पसंद किया और वहाँ जाला बुनना शुरू किया. कुछ देर बाद आधा जाला बुन कर तैयार हो गया. यह देखकर वह मकड़ी काफी खुश हुई कि तभी अचानक उसकी नजर एक बिल्ली पर पड़ी जो उसे देखकर हँस रही थी.
मकड़ी को गुस्सा आ गया और वह बिल्ली से बोली , ” हँस क्यो रही हो?”
”हँसू नही तो क्या करू.” , बिल्ली ने जवाब दिया , ” यहाँ मक्खियाँ नही है
ये जगह तो बिलकुल साफ सुथरी है, यहाँ कौन आयेगा तेरे जाले मे.”
ये
बात मकड़ी के गले उतर गई. उसने अच्छी सलाह के लिये बिल्ली को धन्यवाद दिया
और जाला अधूरा छोड़कर दूसरी जगह तलाश करने लगी. उसने ईधर ऊधर देखा. उसे एक
खिड़की नजर आयी और फिर उसमे जाला बुनना शुरू किया कुछ देर तक वह जाला
बुनती रही , तभी एक चिड़िया आयी और मकड़ी का मजाक उड़ाते हुए बोली , ” अरे
मकड़ी , तू भी कितनी बेवकूफ है.”
“क्यो ?”, मकड़ी ने पूछा.
चिड़िया उसे समझाने लगी , ” अरे यहां तो खिड़की से तेज हवा आती है. यहा तो तू अपने जाले के साथ ही उड़ जायेगी.”
मकड़ी को चिड़िया की बात ठीक लगीँ और वह वहाँ भी जाला अधूरा बना छोड़कर
सोचने लगी अब कहाँ जाला बनायाँ जाये. समय काफी बीत चूका था और अब उसे भूख
भी लगने लगी थी .अब उसे एक आलमारी का खुला दरवाजा दिखा और उसने उसी मे अपना
जाला बुनना शुरू किया. कुछ जाला बुना ही था तभी उसे एक काक्रोच नजर आया जो
जाले को अचरज भरे नजरो से देख रहा था.
मकड़ी ने पूछा – ‘इस तरह क्यो देख रहे हो?’
काक्रोच बोला-,” अरे यहाँ कहाँ जाला बुनने चली आयी ये तो बेकार की आलमारी
है. अभी ये यहाँ पड़ी है कुछ दिनों बाद इसे बेच दिया जायेगा और तुम्हारी
सारी मेहनत बेकार चली जायेगी. यह सुन कर मकड़ी ने वहां से हट जाना ही बेहतर
समझा .
बार-बार प्रयास करने से वह काफी थक चुकी थी और उसके अंदर
जाला बुनने की ताकत ही नही बची थी. भूख की वजह से वह परेशान थी. उसे पछतावा
हो रहा था कि अगर पहले ही जाला बुन लेती तो अच्छा रहता. पर अब वह कुछ नहीं
कर सकती थी उसी हालत मे पड़ी रही.
जब मकड़ी को लगा कि अब कुछ नहीं हो सकता है तो उसने पास से गुजर रही चींटी से मदद करने का आग्रह किया .
चींटी बोली, ” मैं बहुत देर से तुम्हे देख रही थी , तुम बार- बार अपना काम
शुरू करती और दूसरों के कहने पर उसे अधूरा छोड़ देती . और जो लोग ऐसा करते
हैं , उनकी यही हालत होती है.” और ऐसा कहते हुए वह अपने रास्ते चली गई और
मकड़ी पछताती हुई निढाल पड़ी रही.
दोस्तों , हमारी ज़िन्दगी मे भी
कई बार कुछ ऐसा ही होता है. हम कोई काम start करते है. शुरू -शुरू मे तो
हम उस काम के लिये बड़े उत्साहित रहते है पर लोगो के comments की वजह से
उत्साह कम होने लगता है और हम अपना काम बीच मे ही छोड़ देते है और जब बाद
मे पता चलता है कि हम अपने सफलता के कितने नजदीक थे तो बाद मे पछतावे के
अलावा कुछ नही बचता.