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रविवार, 17 मार्च 2013

रुद्राक्ष के गुण

 
रुद्राक्ष के वृक्ष भारत समेत विश्व के अनेक देशों में पाए जाते हैं. यह भारत के पहाड़ी क्षेत्रों तथा मैदानी इलाकों में भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं. रुद्राक्ष का पेड़ किसी अन्य वृक्ष की भांति ही होता है, इसके वृक्ष 50 से लेकर 200 फीट तक पाए जाते हैं तथा इसके पत्ते आकार में लंबे होते हैं. रुद्राक्ष के फूलों का रंग सफेद होता है तथा इस पर लगने वाला फल गोल आकार का होता है जिसके अंदर से गुठली रुप में रुद्राक्ष प्राप्त होता है.

रुद्राक्ष का फल खाने में अधिक स्वादिष्ट नहीं होता इसके फलों का स्वाद कुछ खटा या फिर कसैला सा होता है. इसके हरे फल पकने के पश्चात स्वयं ही गिर जाते हैं और जब उनका आवरण हटता है तो एक उसमे से अमूल्य रुद्राक्ष निकलते हैं. यह इन फलों की गुठली ही होती है. रुद्राक्ष में धारियां सी बनी होती है जो इनके मुखों का निर्धारण करती हैं. रुद्राक्ष को अनेक प्रकार की महीन सफाई प्रक्रिया द्वारा उपयोग में लाने के लिए तैयार किया जाता है जिसे उपयोग में लाकर सभी लाभ उठाते हैं.

भारत के विभिन्न प्रदेशों में रुद्राक्ष |


रुद्राक्ष भारत, के हिमालय के प्रदेशों में पाए जाते हैं. इसके अतिरिक्त असम, मध्य प्रदेश, उतरांचल, अरूणांचल प्रदेश, बंगाल, हरिद्वार, गढ़वाल और देहरादून के जंगलों में पर्याप्त मात्र में यह रुद्राक्ष पाए जाते हैं. इसके अलावा दक्षिण भारत में नीलगिरि और मैसूर में तथा कर्नाटक में भी रुद्राक्ष के वृक्ष देखे जा सकते हैं. रामेश्वरम में भी रुद्राक्ष पाया जाता है यहां का रुद्राक्ष काजु की भांति होता है. गंगोत्री और यमुनोत्री के क्षेत्र में भी रुद्राक्ष मिलते हैं.

नेपाल और इंडोनेशिया से प्राप्त रुद्राक्ष |

नेपाल, इंडोनेशिया, मलेशिया आदि प्रमुख रूप से रुद्राक्ष के बहुत बड़े उत्पादक रहे हैं और भारत सबसे बडा़ ख़रीदार रहा है. नेपाल में पाए जाने वाले रुद्राक्ष आकार में काफी बडे़ होते हैं, लेकिन इंडोनेशिया और मलेशिया में पाए जाने वाले रुद्राक्ष आकार में छोटे होते हैं. भारत में रुद्राक्ष भारी मात्रा में नेपाल और इंडोनेशिया से मंगाए जाते हैं और रुद्राक्ष का कारोबार अरबों में होता है. सिक्के के आकार का रुद्राक्ष, जो ‘इलयोकैरपस जेनीट्रस’ प्रजाति का होता है, बेहद दुर्लभ होता जो नेपाल से प्राप्त होता है.

विश्व के अनेक देशों में रुद्राक्ष |

भारत के अतिरिक्त विश्व के अनेक देशों में रुद्राक्ष की खेती की जाती है तथा इसके वृक्ष पाए जाते हैं. नेपाल, जावा, इंडोनेशिया, मलाया जैसे देशों में रुद्राक्ष उत्पन्न होता है. नेपाल ओर इंनेशिया में मिलने वाले रुद्राक्ष भारत में मिलने वाले रुद्राक्षों से अलग होते हैं. नेपाल में बहुत बडे़ आकार का रुद्राक्ष पाया जाता है तथा यहां पर मिलने वाले रुद्राक्ष की किस्में भी बहुत अच्छी मानी गई हैं. नेपाल में एक मुखी रुद्राक्ष बेहतरीन किस्म का होता है.

रुद्राक्ष के समान ही एक अन्य फल होता है जिसे भद्राक्ष कहा जाता है, और यह रुद्राक्ष के जैसा हो दिखाई देता है इसलिए कुछ लोग रुद्राक्ष के स्थान पर इसे भी नकली रुद्राक्ष के रुप में बेचते हैं. भद्राक्ष दिखता तो रुद्राक्ष की भांति ही है किंतु इसमें रुद्राक्ष जैसे गुण नहीं होते.

माना जाता है कि भारत में बिकने वाले 80 फीसदी रुद्राक्ष फर्जी होते हैं और उन्हें तराश कर बनाया जाता है. इसलिए रुद्राक्ष को खरीदने से पहले इसके गुणवत्ता को देखना बेहद आवश्यक है. अपने औषधीय और आध्यात्मिक गुणों के कारण रुद्राक्ष का प्रचलन बहुत है. रुद्राक्ष के गुणों के कारण ही सदियों से ऋषि-मुनि इसे धारण करते आए हैं.

बेर बीमारियाँ ठीक करने में अत्यंत उपयोगी :-

बेर पौष्टिक फल है इसे गरीबों का फल भी कहा जाता है यह बहुत ज्यादा तापमान या बहुत सूखे क्षेत्रों में बहुत ज्यादा मात्रा में पाया जाता है भारत में लगभग इसकी ४० प्रजातियाँ पाई जाती है बेर का पेड़ ७.१२ मीटर लम्बा होता है तथा उसका तना ३० से.मी.चौड़ा, शाखाएँ झुकी हुई, तेजी से बढ़ने वाला है इसकी उम्र लगभग २५ साल की होती बेर का रंग पिला, हरा, लाल, बैंगनी और गहरा कत्थई व आकार में गोल अंडाकार होता है पका हुआ बेर बहुत मीठा ज्युसी व नरम रहता है एक साल में पेड़ से ५०-२५० की.ग्रा.बेर तक प्राप्त होते है ।

बेर बीमारियाँ ठीक करने में अत्यंत उपयोगी :-

त्वचा पर कट या घाव होने पर फल का गूदा घिसकर लगाने से कटा हुआ स्थान जल्दी ठीक होता है ।

फैंफडे सम्बन्धी बिमारियों या बुखार ठीक करने के लिए इसका ज्यूस अत्यंत गुणकारी है बेर को नमक और काली मिर्च के साथ खाने से अपच की समस्या दूर होती है ।

सूखे हुए बेर को खाने से कब्जियत दूर होती है ।

बेर को छांछ के साथ लेने से भी घबराना, उलटी होना, व पेट दर्द की समस्या ख़त्म हो जाती है ।

इसकी पत्तियां तेल के साथ पुल्टिस बनाकर लगाने से लीवर सम्बन्धी समस्या आस्थामाँ या मसूड़ों के घाव को भरने में मदद मिलती है ।

बेर की जड़ों का ज्यूस थोड़ी सी मात्रा में पीने से गठिया एवं वात जैसी बिमारियों को भी कम करता है बेर शरीर के लिए अत्यंत लाभदायक व स्वास्थ्यवर्धक होने के साथ-साथ आम आदमी की पहुँच में है हर वर्ग का व्यक्ति इसे आसानी से उपयोग में ले सकता है पर इतना जरुर ध्यान रखें की बेर को ३-४ बार अच्छे पानी से धोकर ही खाएं ।

बेर के लाभ :-

शक्कर , विटामिन सी, फास्फोरस व कैल्सियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है ।

बेर की पत्तियों में ६१ आवश्यक प्रोटीन पाए जाने के साथ विटामिन सी केरित लाइड और बी काम्प्लेक्स भी अधिक मात्रा में पाए जाते है ।

बेर को पकाकर बैककर व उबालकर चावल या अन्य अनाजों के साथ चटनी बनाकर खाई जाती है ।

इसमें जैम , टाफी , आचार आदि भी बनाए जा सकते है ।

तना बहुत मजबूत होने के कारण इसकी नाव , औजार घर के खम्बे , खिलौने आदि बनाए जाते है ।

यह पित्त और बलगम को ख़त्म करता है .

बेर के गुदे को आँखों में लगाने से आँखों के रोग समाप्त होते है .

इसकी छाल का लेप करने से चेचक के दाने ख़त्म हो जाते है .



बेर में पाए जाने वाले पौष्टीक तत्व इस प्रकार है :-

कार्बोज २०-३० जी एम्

प्रोटीन २.५ जी एम्

वसा ०.०७ जी एम्

थाइमन ०.०२ एमजी

रायबोफ्लेबिन ०.०३ एम् जी

कैल्शियम २५.६ एम् जी

आयरन १.५-१.८ एम् जी फस फोर्स २६.८ एम् जी

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