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गुरुवार, 30 मई 2013

सर्दी खांसी जुकाम का ईलाज::

सर्दी खांसी जुकाम का ईलाज::

• एक अच्छी दवाई खांसी जुखाम एलर्जी सर्दी आदि के लिए जिसे आप घर पर बना सकते है इसके लिए आपको चाहिए तुलसी के पत्ते, तना और बीज तीनो का कुल वजन 50 ग्राम इसके लिए आप तुलसी के ऊपर से तोड ले इसमें बीज तना और तुलसी के पत्ते तीनो आ जाएंगे इनको एक बरतन में डाल कर 500 मिलि पानी डाल ले और इसमें 100 ग्राम अदरक और 20 ग्राम काली मिर्च दोनो को पीस कर डाले और अच्छे से उबाल कर काढे और जब पानी 100 ग्राम रह जाए तो इसे छान कर किसी कांच की बोतल में डाल कर रखे इसमे थोडा सा शहद मिला कर आप इसके दो चम्मच ले सकते है दिन में 3 बार

• जुखाम के लिए 2 चम्मच अजवायन को तवे पर हल्का भूने और फ़िर उसे एक रूमाल या कपडे में बांध ले और पोटली बना ले......उस पोटली को नाक से सूंघे और सो जाए

• खांसी के लिए रोज दिन में 3 बार हल्के गर्म पानी में आधा चम्मच सैंधा नमक डाल कर गरारे(gargles) करे सुबह उठ कर दोपहर को और फ़िर रात को सोने से पहले..............एक चम्मच शहद में थोडी सी पीसी हुई काली मिर्च का पाऊडर डाल कर मिलाए और उसे चाटे...........अगर खासी ज्यादा आ रही हो तो 2 साबुत कालीमिर्च के दाने और थोडी सी मिश्री मुंह में रख कर चूसे आराम मिलेगा

• अगर दही खाते है तो उसे बंद करदे और रात को सोते समय दूध न पिए

• तुलसी, काली मिर्च और अदरक की चाय खांसी में सबसे बढि़या रहती हैं।

• हींग, त्रिफला, मुलहठी और मिश्री को नीबू के रस में मिलाकर लेने से खांसी कम करने में मदद मिलती है।

• पीपली, काली मिर्च, सौंठ और मुलहठी का चूर्ण बनाकर चौथाई चम्मच शहद के साथ लेना अच्छा रहता है

गर्मियों में लाभदायक है बेल फल

गर्मियों में लाभदायक है बेल फल

गर्मी के मौसम में गर्मी से राहत देने वाले फलों में बेल का फल प्रकृति मां द्वारा दी गई किसी सौगात से कम नहीं है | कहा गया है- 'रोगान बिलत्ति-भिनत्ति इति बिल्व ।' अर्थात् रोगों को नष्ट करने की क्षमता के कारण बेल को बिल्व कहा गया है ।बेल सुनहरे पीले रंग का, कठोर छिलके वाला एक लाभदायक फल है। गर्मियों में इसका सेवन विशेष रूप से लाभ पहुंचाता है। शाण्डिल्य, श्रीफल, सदाफल आदि इसी के नाम हैं। इसके गीले गूदे को बिल्व कर्कटी तथा सूखे गूदे को बेलगिरी कहते हैं।स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग जहाँ इस फल के शरबत का सेवन कर गर्मी से राहत पा अपने आप को स्वस्थ्य बनाए रखते है वहीँ भक्तगण इस फल को अपने आराध्य भगवान शिव को अर्पित कर संतुष्ट होते है |
औषधीय प्रयोगों के लिए बेल का गूदा, बेलगिरी पत्ते, जड़ एवं छाल का चूर्ण आदि प्रयोग किया जाता है। चूर्ण बनाने के लिए कच्चे फल का प्रयोग किया जाता है वहीं अधपके फल का प्रयोग मुरब्बा तो पके फल का प्रयोग शरबत बनाकर किया जाता है।

बेल व बिल्व पत्र के नाम से जाने जाना वाला यह स्वास्थ्यवर्धक फल उत्तम वायुनाशक, कफ-निस्सारक व जठराग्निवर्धक है। ये कृमि व दुर्गन्ध का नाश करते हैं। इनमें निहित उड़नशील तैल व इगेलिन, इगेलेनिन नामक क्षार-तत्त्व आदि औषधीय गुणों से भरपूर हैं। चतुर्मास में उत्पन्न होने वाले रोगों का प्रतिकार करने की क्षमता बिल्वपत्र में है।
बिल्वपत्र ज्वरनाशक, वेदनाहर, कृमिनाशक, संग्राही (मल को बाँधकर लाने वाले) व सूजन उतारने वाले हैं। ये मूत्र के प्रमाण व मूत्रगत शर्करा को कम करते हैं। शरीर के सूक्ष्म मल का शोषण कर उसे मूत्र के द्वारा बाहर निकाल देते हैं। इससे शरीर की आभ्यंतर शुद्धि हो जाती है। बिल्वपत्र हृदय व मस्तिष्क को बल प्रदान करते हैं। शरीर को पुष्ट व सुडौल बनाते हैं। इनके सेवन से मन में सात्त्विकता आती है।
*ये पेय गर्मियों में जहां आपको राहत देते हैं, वहीं इनका सेवन शरीर के लिए लाभप्रद भी है। बेल में शरीर को ताकतवर रखने के गुणकारी तत्व विद्यमान हैं। इसके सेवन से कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता, बल्कि यह रोगों को दूर भगा कर नई स्फूर्ति प्रदान करता है।
*गर्मियों में लू लगने पर इस फल का शर्बत पीने से शीघ्र आराम मिलता है तथा तपते शरीर की गर्मी भी दूर होती है।

*पुराने से पुराने आँव रोग से छुटकारा पाने के लिए प्रतिदिन अधकच्चे बेलफल का सेवन करें।

*पके बेल में चिपचिपापन होता है इसलिए यह डायरिया रोग में काफी लाभप्रद है। यह फल पाचक होने के साथ-साथ बलवर्द्धक भी है।

*पके फल के सेवन से वात-कफ का शमन होता है।

*आँख में दर्द होने पर बेल के पत्त्तों की लुगदी आँख पर बाँधने से काफी आराम मिलता है।

*कई मर्तबा गर्मियों में आँखें लाल-लाल हो जाती हैं तथा जलने लगती हैं। ऐसी स्थिति में बेल के पत्तों का रस एक-एक बूँद आँख में डालना चाहिए। लाली व जलन शीघ्र दूर हो जाएगी।

*बच्चों के पेट में कीड़े हों तो इस फल के पत्तों का अर्क निकालकर पिलाना चाहिए।

*बेल की छाल का काढ़ा पीने से अतिसार रोग में राहत मिलती है।

*इसके पके फल को शहद व मिश्री के साथ चाटने से शरीर के खून का रंग साफ होता है, खून में भी वृद्धि होती है।

*बेल के गूदे को खांड के साथ खाने से संग्रहणी रोग में राहत मिलती है।

*पके बेल का शर्बत पीने से पेट साफ रहता है।

*बेल का मुरब्बा शरीर की शक्ति बढ़ाता है तथा सभी उदर विकारों से छुटकारा भी दिलाता है।

*गर्मियों में गर्भवती स्त्रियों का जी मिचलाने लगे तो बेल और सौंठ का काढ़ा दो चम्मच पिलाना चाहिए।

*पके बेल के गूदे में काली मिर्च, सेंधा नमक मिलाकर खाने से आवाज भी सुरीली होती है।

*छोटे बच्चों को प्रतिदिन एक चम्मच पका बेल खिलाने से शरीर की हड्डियाँ मजबूत होती हैं।

सफ़ेद दाग के लिए घरेलू उपचार

व्हाइट त्वचा पैच(vitiligo) सफ़ेद दाग के लिए घरेलू उपचार 
 
# 1 चम्मच चावल का पाउडर के प्रत्येक, चंदन पाउडर और हल्दी पाउडर के साथ मिश्रण शहद के 2 tablespoons. यह आपके चेहरे पर लगाए और 10 मिनट के बाद धो डालें. यह एक सफाई एजेंट के रूप में कार्य और सफेद धब्बे की उपस्थिति को रोकेगा.

# काली मिर्च ५ दाने सुबह-शाम लेने से सफ़ेद दाग में फ़ायदा होता है।
देसी दवा स्वदेशी चिकित्सा.
# 5 मिनट के लिए सफेद धब्बे पर अदरक का एक छोटा सा टुकड़ा रगड़ो. ऐसा करने से त्वचा कोशिकाओं को उत्तेजित और सफेद धब्बे के लिए रक्त परिसंचरण में सुधार होगा,

# तांबे के बर्तन में पानी डालो और यह रातोरात रखना. इसे अगली सुबह खाली पेट पियो.

# एलोवेरा जेल आधा कप मात्रा में रोज सुबह लेते रहने से सफ़ेद दाग नियंत्रण में आ जाते हैं।

# गोभी के पत्तो का रस निकालकर उसे प्रभावित जगहो पर लगाए
देसी दवा स्वदेशी चिकित्सा.
# कुछ अदरक का रस और नींबू का रस निकालकर इसे पानी के साथ मिक्स और इसका उपभोग करे

# अखरोट और अंजीर एक महीने नियमित रूप से लेने पर भी सफेद धब्बे और पैच से छुटकारा प्राप्त करने में मदद करते हैं.

# तुलसी का तेल प्रभावित क्षेत्र पर लगाए
देसी दवा स्वदेशी चिकित्सा.
# मूली के बीज के बारे में 25 ग्राम पीस और उन्हें 2 चम्मच सिरका में पीसकर प्रभावित क्षेत्रों पर लगाएँ,

# दस लीटर पानी में आधा किलो हल्दी का पावडर मिलाकर तेज आंच पर उबालें जब ४ लीटर के करीब रह जाय तब उतारकर ठंडा करलें और इसमें आधा किलो सरसों का तेल मिला दें,यह दवा सफ़ेद दाग पर दिन में दो बार लगावें। ४-५ माह तक ईलाज चलाने पर अनुकूल परिणाम प्राप्त होते हैं।

# लाल मिट्टी और अदरख का रस बराबर मात्रा में लेकर घोटकर पेस्ट बनालें। सफेद धब्बो पर लगाए

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