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मंगलवार, 31 मई 2016

खून की कमी दूर करने में असरदार हैं ये घरेलू तरीके

खून की कमी दूर करने में असरदार हैं ये घरेलू तरीके
अक्सर थकान, कमजोरी रहना, त्वचा का रंग पीला पड़ जाना, हाथ-पैरों में सूजन आदि एनीमिया के लक्षण हैं। इस समस्या से पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं ज्यादा परेशान रहती हैं। जिन लोगों के खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा बहुत कम हो जाती है, वो लोग एनीमिया के शिकार हो जाते हैं।
एनीमिया के रोगी को लौह तत्व, विटामिन बी, फोलिक एसिड की कमी होती है। कभी-कभी अनुवांशिक कारणों से भी यह रोग हो सकता है। यदि आपके शरीर में भी खून की कमी है तो अपने आहार पर खास ध्यान दें। चलिए, जानते हैं किन चीजों को खाने से खून बढ़ जाता है और एनीमिया दूर हो जाता है।
- एक गिलास सेब का जूस लें। उसमें एक गिलास चुकंदर का रस और स्वादानुसार शहद मिलाएं। इसे रोजाना पिएं। इस जूस में लौह तत्व अधिक मात्रा में होता है।
- 2 चम्मच तिल 2 घंटों के लिए पानी में भिगो दें। पानी छान कर तिल को पीसकर पेस्ट बना लें। इसमें 1 चम्मच शहद मिलाएं और दिन में दो बार इसे खाएं।
पके हुए आम के गूदे को अगर मीठे दूध के साथ लिया जाए तो आपका खून बढ़ जाता है।
- दिन में दो बार ठंडे पानी से नहाएं। सुबह के समय सूरज की रोशनी में बैठें।
- चाय और कॉफी पीना थोड़ा कम कर दें, क्योंकि यह शरीर को आयरन सोखने से रोकता है।
- अनंतमूल, दालचीनी और सौंफ की समान मात्रा लेकर चाय बनाकर पिएं। दिन में एक बार लें। खून की कमी दूर हो जाएगी।
- भुट्टे एनीमिया के रोगियों के लिए पौष्टिक होते हैं। इन्हें सेंककर खाने से इसके दाने बड़े स्वादिष्ट लगते हैं। मक्के के दाने उबाल कर खाने से खून बढ़ता है।
- मूंगफली के दाने गुड़ के साथ चबा-चबा कर खाएं।
- शरपुंखा की पत्तियों और फलियों से लगभग 20 मिली रस में 2 चम्मच शहद मिला लें। इस मिश्रण को सुबह-शाम लें। इससे खून साफ होता है और बढ़ता है।
- खून बढ़ाने वाले आहार गेहूं, चना, मोठ, मूंग को अंकुरित कर नींबू मिलाकर सुबह नाश्ते में खाएं।
- सितोपलादि चूर्ण 50 ग्राम, आमल की रसायन 50 ग्राम, अश्वगंधा सत्व 50 ग्राम, शतावर चूर्ण 10 ग्राम, सिद्धमकर ध्वज 5 ग्राम, लौहभस्म 100 पुटी 10 ग्राम, अष्ट वर्ग चूर्ण 25 ग्राम, शहद 300 ग्राम। इस योग को 5 से 10 ग्राम मात्रा में सुबह-शाम चाटकर मीठा दूध पिएंं। इसके सेवन से खून बढ़ता है।
- नमक और लहसुन का नियमित सेवन खाने के साथ चटनी के रूप में करें। हीमोग्लोबिन की कमी दूर हो जाती है।
फालसा खाने से खून बढ़ता है। फालसे के फल या शर्बत को सुबह-शाम लेने से बहुत जल्दी आराम मिलता है।
- हंसपदी के पौधे का चूर्ण बनाकर शहद के साथ उपयोग करने से खून की शुद्धि होती है और शरीर में साफ खून प्रवाहित होने लगता है। इस चूर्ण को शहद के साथ चाटने या पानी के साथ लेने से खून में वृद्धि होती है और एनीमिया की शिकायत भी दूर हो जाती है।
- पालक, सरसों, बथुआ, मटर, मेथी, हरा धनिया, पुदीना और टमाटर अपने भोजन में जरूर शामिल करें।
- जामुन और आंवले का रस समान मात्रा में मिलाकर पीने से शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है। खून की कमी नहीं होती है।
- रोजाना एक गिलास टमाटर का रस पीने से भी खून की कमी दूर होती है। टमाटर का सूप भी बनाकर पीया जा सकता है।
- सिंघाड़ा शरीर को शक्ति प्रदान करता है और खून बढ़ाता है। इसमें कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं। कच्चे सिंघाड़े का सेवन करने से शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा तेजी से बढ़ती है।
- पपीता, अंगूर, अमरूद, केला, सेब, चीकू और नींबू का सेवन करें।
-अनाज, दालें, मुनक्का, किशमिश और गाजर का सेवन करें। साथ ही, रात में सोने से पहले पिंड खजूर दूध के साथ लें।
- रोजाना नियमित रूप से एलोवेरा जूस का सेवन करें। नाश्ते से 30 मिनट पहले 30 एमएल एलोवेरा जूस दिन में रोजाना लें।
एनीमिया के रोगियों के लिए बॉडी मसाज और योग बहुत लाभदायक होता है। सूर्यनमस्कार, सर्वांगआसन, शवासन और पश्चिमोत्तानासन करने से पूरे शरीर में खून का प्रवाह बढ़ जाता है। इसके अलावा, गहरी सांस लेना और प्राणायाम करना भी लाभदायक होता है।
- रोजाना एक गिलास अनार का रस पीने से हीमोग्लोबिन बढ़ता है।
- लौकी का जूस बनाकर पीने से भी खून बढ़ता है।
- मुनक्का को रात में पानी भिगो दें। सुबह पानी को पी लें और मुनक्का चबाकर खा लें। कुछ ही दिनों में हीमोग्लोबिन सामान्य हो जाएगा।
- ये घरेलू नुस्खे पूरी तरह से आयुर्वेद पर आधारित हैं। ये पूरी तरह से प्राकृतिक, नुकसान ना पहुंचाने वाले और आसानी से घर में बनाए जा सकने वाले हैं। अगर आपको लगे कि इसे लेने से आपको कोई नुकसान हो रहा है, तो डॉक्टर से परामर्श करें

दुनिया के सबसे बेहतरीन आविष्कार जो भारतीयों ने कियें हैं

बहुत से लोग यह मानते या कहते पाए गए हैं कि पश्चिम ने विश्व को विज्ञान दिया और पूर्व ने धर्म। दूसरी ओर हमारे ही भारतीय लोग यह कहते हुए भी पाए गए हैं कि भारत में कोई वैज्ञानिक सोच कभी नहीं रही। ऐसे लोग अपने अधूरे ज्ञान का परिचय देते हैं या फिर वे भारत विरोधी हैं।
भारत के बगैर न धर्म की कल्पना की जा सकती है और न विज्ञान की। हमारे भारतीय ऋषि-मुनियों और वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसे आविष्कार किए और सिद्धांत गढ़े हैं कि जिनके बल पर ही आज के आध‍ुनिक विज्ञान और दुनिया का चेहरा बदल गया है। सोचिए 0 (शून्य) नहीं होता तो क्या हम गणित की कल्पना कर सकते थे? दशमलव (.) नहीं होता तो क्या होता? इसी तरह भारत ने कई मूल: आविष्कार और सिद्धांतों की रचना की। आइए जानते हैं, उनमें से खास 10 आविष्कार जिन्होंने बदल दी दुनिया।

विमान

 इतिहास की किताबों और स्कूलों के कोर्स में पढ़ाया जाता है कि विमान का आविष्कार राइट ब्रदर्स ने किया, लेकिन यह गलत है। हां, यह ठीक है कि आज के आधुनिक विमान की शुरुआत ओरविल और विल्बुर राइट बंधुओं ने 1903 में की थी। लेकिन उनसे हजारों वर्ष पूर्व ऋषि भारद्वाज ने विमानशास्त्र लिखा था जिसमें हवाई जहाज बनाने की तकनीक का वर्णन मिलता है।चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में महर्षि भारद्वाज द्वारा लिखित ‘वैमानिक शास्त्र’ में एक उड़ने वाले यंत्र ‘विमान’ के कई प्रकारों का वर्णन किया गया था तथा हवाई युद्ध के कई नियम व प्रकार बताए गए थे।
‘गोधा’ ऐसा विमान था, जो अदृश्य हो सकता था। ‘परोक्ष’ दुश्मन के विमान को पंगु कर सकता था। ‘प्रलय’ एक प्रकार की विद्युत ऊर्जा का शस्त्र था जिससे विमान चालक भयंकर तबाही मचा सकता था। ‘जलद रूप’ एक ऐसा विमान था, जो देखने में बादल की भांति दिखता था।
स्कंद पुराण के खंड 3 अध्याय 23 में उल्लेख मिलता है कि ऋषि कर्दम ने अपनी पत्नी के लिए एक विमान की रचना की थी जिसके द्वारा कहीं भी आया-जाया सकता था। रामायण में भी पुष्पक विमान का उल्लेख मिलता है जिसमें बैठकर रावण सीताजी को हर ले गया था।

अस्त्र-शस्त्र 


धनुष-बाण, भाला या तलवार की बात नहीं कर रहे हैं। इसका आविष्कार तो भारत में हुआ ही है लेकिन हम आग्नेय अस्त्रों की बात कर रहे हैं। आग्नेयास्त्र, वरुणास्त्र, पाशुपतास्त्र, सर्पास्त्र, ब्रह्मास्त्र आदि अनेक ऐसे अस्त्र हैं जिसका आधुनिक रूप बंदूक, मशीनगन, तोप, मिसाइल, विषैली गैस तथा परमाणु अस्त्र हैं।
वेद और पुराणों में निम्न अस्त्रों का वर्णन मिलता है:- इन्द्र अस्त्र, आग्नेय अस्त्र, वरुण अस्त्र, नाग अस्त्र, नाग पाशा, वायु अस्त्र, सूर्य अस्त्र, चतुर्दिश अस्त्र, वज्र अस्त्र, मोहिनी अस्त्र, त्वाश्तर अस्त्र, सम्मोहन/ प्रमोहना अस्त्र, पर्वता अस्त्र, ब्रह्मास्त्र, ब्रह्मसिर्षा अस्त्र, नारायणा अस्त्र, वैष्णव अस्त्र, पाशुपत अस्त्र आदि।
महाभारत के युद्ध में कई प्रलयकारी अस्त्रों का प्रयोग हुआ है। उसमें से एक था ब्रह्मास्त्र। आधुनिक काल में परमाणु बम के जनक जे. रॉबर्ट ओपनहाइमर ने गीता और महाभारत का गहन अध्ययन किया। उन्होंने महाभारत में बताए गए ब्रह्मास्त्र की संहारक क्षमता पर शोध किया और अपने मिशन को नाम दिया ट्रिनिटी (त्रिदेव)। रॉबर्ट के नेतृत्व में 1939 से 1945 के बीच वैज्ञानिकों की एक टीम ने यह कार्य किया। 16 जुलाई 1945 को इसका पहला परमाणु परीक्षण किया गया।
परमाणु सिद्धांत और अस्त्र के जनक जॉन डाल्टन को माना जाता है, लेकिन उनसे भी 2,500 वर्ष पूर्व ऋषि कणाद ने वेदों में लिखे सूत्रों के आधार पर परमाणु सिद्धांत का प्रतिपादन किया था। भारतीय इतिहास में ऋषि कणाद को परमाणुशास्त्र का जनक माना जाता है। आचार्य कणाद ने बताया कि द्रव्य के परमाणु होते हैं। कणाद प्रभास तीर्थ में रहते थे। विख्यात इतिहासज्ञ टीएन कोलेबु्रक ने लिखा है कि अणुशास्त्र में आचार्य कणाद तथा अन्य भारतीय शास्त्रज्ञ यूरोपीय वैज्ञानिकों की तुलना में विश्वविख्यात थे।

पहिए का आविष्कार 

आज से 5,000 और कुछ 100 वर्ष पूर्व महाभारत का युद्ध हुआ जिसमें रथों के उपयोग का वर्णन है। जरा सोचिए पहिए नहीं होते तो क्या रथ चल पाता? इससे सिद्ध होता है कि पहिए 5,000 वर्ष पूर्व थे।
पहिए का आविष्कार मानव विज्ञान के इतिहास में महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। पहिए के आविष्कार के बाद ही साइकल और फिर कार तक का सफर पूरा हुआ। इससे मानव को गति मिली। गति से जीवन में परिवर्तन आया। हमारे पश्‍चिमी विद्वान पहिए के आविष्कार का श्रेय इराक को देते हैं, जहां रेतीले मैदान हैं, जबकि इराक के लोग 19वीं सदी तक रेगिस्तान में ऊंटों की सवारी करते रहे।
हालांकि रामायण और महाभारतकाल से पहले ही पहिए का चमत्कारी आविष्कार भारत में हो चुका था और रथों में पहियों का प्रयोग किया जाता था। विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता सिन्धु घाटी के अवशेषों से प्राप्त (ईसा से 3000-1500 वर्ष पूर्व की बनी) खिलौना हाथीगाड़ी भारत के राष्ट्रीय संग्रहालय में प्रमाणस्वरूप रखी है। सिर्फ यह हाथीगाड़ी ही प्रमाणित करती है कि विश्व में पहिए का निर्माण इराक में नहीं, बल्कि भारत में ही हुआ था।

बिजली का आविष्कार 


महर्षि अगस्त्य एक वैदिक ॠषि थे। निश्चित ही बिजली का आविष्कार थॉमस एडिसन ने किया लेकिन एडिसन अपनी एक किताब में लिखते हैं कि एक रात मैं संस्कृत का एक वाक्य पढ़ते-पढ़ते सो गया। उस रात मुझे स्वप्न में संस्कृत के उस वचन का अर्थ और रहस्य समझ में आया जिससे मुझे मदद मिली।
महर्षि अगस्त्य राजा दशरथ के राजगुरु थे। इनकी गणना सप्तर्षियों में की जाती है। ऋषि अगस्त्य ने ‘अगस्त्य संहिता’ नामक ग्रंथ की रचना की। आश्चर्यजनक रूप से इस ग्रंथ में विद्युत उत्पादन से संबंधित सूत्र मिलते हैं-
संस्थाप्य मृण्मये पात्रे
ताम्रपत्रं सुसंस्कृतम्‌।
छादयेच्छिखिग्रीवेन
चार्दाभि: काष्ठापांसुभि:॥
दस्तालोष्टो निधात्वय: पारदाच्छादितस्तत:।
संयोगाज्जायते तेजो मित्रावरुणसंज्ञितम्‌॥
-अगस्त्य संहिता
अर्थात : एक मिट्टी का पात्र लें, उसमें ताम्र पट्टिका (Copper Sheet) डालें तथा शिखिग्रीवा (Copper sulphate) डालें, फिर बीच में गीली काष्ट पांसु (wet saw dust) लगाएं, ऊपर पारा (mercury‌) तथा दस्त लोष्ट (Zinc) डालें, फिर तारों को मिलाएंगे तो उससे मित्रावरुणशक्ति (Electricity) का उदय होगा।
अगस्त्य संहिता में विद्युत का उपयोग इलेक्ट्रोप्लेटिंग (Electroplating) के लिए करने का भी विवरण मिलता है। उन्होंने बैटरी द्वारा तांबा या सोना या चांदी पर पॉलिश चढ़ाने की विधि निकाली अत: अगस्त्य को कुंभोद्भव (Battery Bone) कहते हैं।

बटन 


आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि शर्ट के बटन का आविष्कार भारत में हुआ। इसका सबसे पहला प्रमाण मोहन जोदड़ो की खुदाई में प्राप्त हुआ। खुदाई में बटनें पाई गई हैं। सिन्धु नदी के पास आज से 2500 से 3000 पहले यह सभ्यता अपने अस्तित्व में थी।


ज्यामिति 


बौधायन भारत के प्राचीन गणितज्ञ और शुल्व सूत्र तथा श्रौतसूत्र के रचयिता हैं। पाइथागोरस के सिद्धांत से पूर्व ही बौधायन ने ज्यामिति के सूत्र रचे थे लेकिन आज विश्व में यूनानी ज्या‍मितिशास्त्री पाइथागोरस और यूक्लिड के सिद्धांत ही पढ़ाए जाते हैं।
दरअसल, 2800 वर्ष (800 ईसापूर्व) बौधायन ने रेखागणित, ज्यामिति के महत्वपूर्ण नियमों की खोज की थी। उस समय भारत में रेखागणित, ज्यामिति या त्रिकोणमिति को शुल्व शास्त्र कहा जाता था।
शुल्व शास्त्र के आधार पर विविध आकार-प्रकार की यज्ञवेदियां बनाई जाती थीं। दो समकोण समभुज चौकोन के क्षेत्रफलों का योग करने पर जो संख्या आएगी उतने क्षेत्रफल का ‘समकोण’ समभुज चौकोन बनाना और उस आकृति का उसके क्षेत्रफल के समान के वृत्त में परिवर्तन करना, इस प्रकार के अनेक कठिन प्रश्नों को बौधायन ने सुलझाया।

रेडियो 


इतिहास की किताब में बताया जाता है कि रेडियो का आविष्कार जी. मार्कोनी ने किया था, लेकिन यह सरासर गलत है। अंग्रेज काल में मार्कोनी को भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु के लाल डायरी के नोट मिले जिसके आधार पर उन्होंने रेडियो का आविष्कार किया। मार्कोनी को 1909 में वायरलेस टेलीग्राफी के लिए नोबेल पुरस्कार मिला। लेकिन संचार के लिए रेडियो तरंगों का पहला सार्वजनिक प्रदर्शन मिलीमीटर तरंगें और क्रेस्कोग्राफ सिद्धांत के खोजकर्ता जगदीश चंद्र बसु ने 1895 में किया था।
इसके 2 साल बाद ही मार्कोनी ने प्रदर्शन किया और सारा श्रेय वे ले गए। चूंकि भारत उस समय एक गुलाम देश था इसलिए जगदीश चंद्र बसु को ज्यादा महत्व नहीं दिया गया। दूसरी ओर वे अपने आविष्कार का पेटेंट कराने में असफल रहे जिसके चलते मार्कोनी को रेडियो का आविष्कारक माना जाने लगा। संचार की दुनिया में रेडियो का आविष्कार सबसे बड़ी सफलता है। आज इसके आविष्कार के बाद ही टेलीविजन और मोबाइल क्रांति संभव हो पाई है।

प्लास्टिक सर्जरी 

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जी हां, प्लास्टिक सर्जरी के आविष्कार से दुनिया में क्रांति आ गई। पश्चिम के लोगों के अनुसार प्लास्टिक सर्जरी आधुनिक विज्ञान की देन है। प्लास्टिक सर्जरी का मतलब है- ‘शरीर के किसी हिस्से को ठीक करना।’ भारत में सुश्रुत को पहला शल्य चिकित्सक माना जाता है। आज से करीब 3,000 साल पहले सुश्रुत युद्ध या प्राकृतिक विपदाओं में जिनके अंग-भंग हो जाते थे या नाक खराब हो जाती थी, तो उन्हें ठीक करने का काम वे करते थे।
सुश्रुत ने 1,000 ईसा पूर्व अपने समय के स्वास्थ्य वैज्ञानिकों के साथ प्रसव, मोतियाबिंद, कृत्रिम अंग लगाना, पथरी का इलाज और प्लास्टिक सर्जरी जैसी कई तरह की जटिल शल्य चिकित्सा के सिद्धांत प्रतिपादित किए थे। हालांकि कुछ लोग सुश्रुत का काल 800 ईसापूर्व का मानते हैं। सुश्रुत से पहले धन्वंतरि हुए थे।

गुरुत्वाकर्षन का नियम 


gravity~1हलांकि वेदों में गुरुत्वाकर्षन के नियम का स्पष्ट उल्लेख है लेकिन प्राचीन भारत के सुप्रसिद्ध गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री भास्कराचार्य ने इस पर एक ग्रंथ लिखा ‘सिद्धांतशिरोमणि’ इस ग्रंथ का अनेक विदेशी भाषाओं में अनुवाद हुआ और यह सिद्धांत यूरोप में प्रचारित हुआ।
न्यूटन से 500 वर्ष पूर्व भास्कराचार्य ने गुरुत्वाकर्षण के नियम को जानकर विस्तार से लिखा था और उन्होंने अपने दूसरे ग्रंथ ‘सिद्धांतशिरोमणि’ में इसका उल्लेख भी किया है।
गुरुत्वाकर्षण के नियम के संबंध में उन्होंने लिखा है, ‘पृथ्वी अपने आकाश का पदार्थ स्वशक्ति से अपनी ओर खींच लेती है। इस कारण आकाश का पदार्थ पृथ्वी पर गिरता है।’ इससे सिद्ध होता है कि पृथ्वी में गुत्वाकर्षण की शक्ति है।
भास्कराचार्य द्वारा ग्रंथ ‘लीलावती’ में गणित और खगोल विज्ञान संबंधी विषयों पर प्रकाश डाला गया है। सन् 1163 ई. में उन्होंने ‘करण कुतूहल’ नामक ग्रंथ की रचना की। इस ग्रंथ में बताया गया है कि जब चन्द्रमा सूर्य को ढंक लेता है तो सूर्यग्रहण तथा जब पृथ्वी की छाया चन्द्रमा को ढंक लेती है तो चन्द्रग्रहण होता है। यह पहला लिखित प्रमाण था जबकि लोगों को गुरुत्वाकर्षण, चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण की सटीक जानकारी थी।


भाषा का व्याकरण

Picture1दुनिया का पहला व्याकरण पाणिनी ने लिखा। 500 ईसा पूर्व पाणिनी ने भाषा के शुद्ध प्रयोगों की सीमा का निर्धारण किया। उन्होंने भाषा को सबसे सुव्यवस्थित रूप दिया और संस्कृत भाषा का व्याकरणबद्ध किया। इनके व्याकरण का नाम है अष्टाध्यायी जिसमें 8 अध्याय और लगभग 4 सहस्र सूत्र हैं। व्याकरण के इस महनीय ग्रंथ में पाणिनी ने विभक्ति-प्रधान संस्कृत भाषा के 4000 सूत्र बहुत ही वैज्ञानिक और तर्कसिद्ध ढंग से संग्रहीत किए हैं।
अष्टाध्यायी मात्र व्याकरण ग्रंथ नहीं है। इसमें तत्कालीन भारतीय समाज का पूरा चित्र मिलता है। उस समय के भूगोल, सामाजिक, आर्थिक, शिक्षा और राजनीतिक जीवन, दार्शनिक चिंतन, खान-पान, रहन-सहन आदि के प्रसंग स्थान-स्थान पर अंकित हैं।
इनका जन्म पंजाब के शालातुला में हुआ था, जो आधुनिक पेशावर (पाकिस्तान) के करीब तत्कालीन उत्तर-पश्चिम भारत के गांधार में हुआ था। हालांकि पाणिनी के पूर्व भी विद्वानों ने संस्कृत भाषा को नियमों में बांधने का प्रयास किया लेकिन पाणिनी का शास्त्र सबसे प्रसिद्ध हुआ।
19वीं सदी में यूरोप के एक भाषा विज्ञानी फ्रेंज बॉप (14 सितंबर 1791- 23 अक्टूबर 1867) ने पाणिनी के कार्यों पर शोध किया। उन्हें पाणिनी के लिखे हुए ग्रंथों तथा संस्कृत व्याकरण में आधुनिक भाषा प्रणाली को और परिपक्व करने के सूत्र मिले। आधुनिक भाषा विज्ञान को पाणिनी के लिखे ग्रंथ से बहुत मदद मिली। दुनिया की सभी भाषाओं के विकास में पाणिनी के ग्रंथ का योगदान है।

वैसे तो भारतीयों ने बहुत सारे आविष्कार कियें हैं जिन्हें अंग्रेज भी मानते हैं, पर भारत पर पहले अंग्रेजों का राज था तो माना जाता है उन्होने हमे सच्चे इतिहास से दूर रखा और वेदों और ग्रथों में मिलावट की ताकि वे हर वस्तु पर अपना आधिपत्य जमा सकें। यह लेख इसलिए लिखा है ताकि हमारे भारत का युवा अपने ग्रंथों का सम्मान करे और जाने कि हम पहले बहुत ही महान थे।

प्रधानमंत्री मोदी के 30 बङे काम

आज प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल के दो वर्ष पूरे हो रहे हैं। अपने कामकाज की उपलब्धियां गिनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी स्वयं उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एक बड़ी रैली कर रहे हैं लेकिन गुजारत में छोटा मोदी के नाम से मशहूर आरव नायक ने भी अपने तरीके से मोदी के कामकाज बताने के लिए एक वीडियो जारी किया है। वैसे आरव नायक पहले से ही मोदी के कसीदे कसते रहते हैं और उन्हें गुजरात में बीजेपी की तरफ से चुनाव प्रचार के लिए भी बुलाया जाता रहा है, हाल ही में उन्हें गुजरात हाई ड्रीम स्कूल का ब्रांड एंबेसडर भी बनाया गया है।
    •  मेक इन इंडिया,
    • प्रधानमंत्री जन धन योजना,
    • स्वच्छ भारत,
    • बेटी पढाओ बेटी बचाओ,
    • सांसद आदर्श ग्राम योजना,
    • स्किल डेवलपमेंट,
    • सिर्फ 12 रुपये में 2 लाख का एक्सीडेंटल बीमा योजना,
    • छोटे लों के लिए मुद्रा बैंक,
    • नमामि गंगे,
    • अटल पेंशन योजना,
    • इंटरनेशनल योगा डे,
    • डिजिटल इंडिया योजना,
    • वन रैंक वन पेंशन,
    • स्टार्ट उप इंडिया एंड स्टैंड उप इंडिया,
    • प्रधानमंत्री आवास योजना,
    • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना,
    • स्वाइल हेल्थ कार्ड स्कीम,
    • मिशन इन्द्रधनुष,
    • दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना,
    • श्रमेव जयते,
    • स्मार्ट सिटी मिशन, प्रकाश पथ,
    • राष्ट्रीय गोकुल मिशन,
    • पॉवर डेवलपमेंट स्कीम,
    • ग्रामोदय से भारत उदय,
    • DBTL (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रान्सफर ऑफ़ एलपीजी, बैंक खाते में सब्सिडी के पैसे भेजना) स्कीम,
    • प्रधानमंत्री उज्जवल योजना ….etc.

बच्चों के लिए योग

बच्चों के लिए योग
आजकल की रोजमर्रा की जिंदगी में बच्चे भी बीमारियों की चपेट में आने लगे हैं। इसीलिए ये जरूरी हो जाता है कि बच्चों को अधिक से अधिक सक्रिय रखा जाएं। बच्चों को सक्रिय रखने के लिए आपको चाहिए कि आप बच्चों को अपने साथ टहलने के लिए ले जाएं या फिर बच्चों से योग करवाएं और बच्चों के साथ योग करें। लेकिन क्या आप जानते हैं बच्चों को हर तरह के योग नहीं करवाने चाहिए, इतना ही नहीं बच्चों को योगा के दौरान सावधानियां भी बरतनी चाहिए। लेकिन इससे पहले आपको यह भी जानना चाहिए कि बच्चों को योग करवाने के क्या फायदे हैं। योगा के जरिए क्या बच्चे भी वजन कम कर सकते हैं। आइए जानें बच्चों के लिए योग के दौरान क्या करें,क्या ना करें।

बच्चों के लिए योग

बच्चों को योग कराने के दौरान बैठने वाले आसनों में कमर सीधी करके बैठाएं।
खड़े होने वाले आसनों में एकदम सीधा खड़ा करें।
बच्चों को लंबी सांस लेने के लिए कहें जिससे योग का बच्चों को भरपूर लाभ मिल सकें।
बच्चों को किसी भी काम पर फोकस करने के लिए बीच-बीच में योग का महत्व और योग के फायदों के बारे में बताते रहें।
बच्चों से उच्चारण करवाएं जिससे बच्चे योगा के दौरान रोमांच महसूस करें।

बच्चों के लिए योग के फायदे

योग बच्चों को अधिक से अधिक सक्रिय बनाता है। इतना ही नहीं उनका शरीर अधिक लचीला बनता हैं।
योग से बच्चों का इम्‍यून सिस्टम मजबूत होता है और इससे वे बीमारियों से बच पाते हैं।
बच्चों के रोजाना योग करने से उनका काम के प्रति ध्यान केंद्रित होता है और बच्चों के मस्तिष्क का विकास भी सही रूप में होता है।
बच्चों को एक्टिव बनाने और आत्मविश्वास बढ़ाने में योगा बहुत ही उपयोगी हैं।
बच्चों को फिट रखने और मौसमी बीमारियों से बचाने के लिए योगा फायदेमंद है।
सूर्य नमस्कार, मेडीटेशन और योगासन से चंचल बच्चों का मन शांत होता है।
योगासन से बच्चे तनावग्रस्त होते हैं और डिप्रेशन जैसी समस्याओं से बचते हैं।
योग के जरिए जिद्दी बच्चों को ठीक किया जा सकता है और जिन बच्चों को बहुत गुस्सा आता हैं उनके गुस्से को नियंत्रि‍त करने में योग बहुत लाभदायक है।
सकारात्मक सोच और बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए बच्चों को योग करवाना चाहिए।

योग के दौरान ध्याग रखने योग्य बातें

बच्चों को योगासन कराने से पहले ध्यान रखें कि बच्चा खाली पेट हो।
बच्चों को योग उसी स्थिति में करवाना चाहिए जब आप बच्चे को सप्ताह में कम से कम पांच दिन योग करवा सकें यानी नियमित रूप से योगा करवाना जरूरी हैं।
योग के दौरान बच्चे को शुरूआत में ही सब कुछ एकसाथ ना करवाएं। बल्कि धीरे-धीरे अभ्यास करवाएं। जैसे शुरू के सप्ताह में 15 मिनट, दूसरे सप्ताह में 30 मिनट।
बच्चों को योग के दौरान बीच-बीच में रिलैक्स करवाने के लिए श्वासन जरूर करवाएं जिससे बच्चे थके नहीं।
योग के दौरान बच्चों को बोरियत ना हो इसके लिए आपको कोई लाइट म्यूजिक थीम चलाना चाहिए, इससे बच्चों का मन लगा रहेगा।
आप भी बच्चों के साथ योगासन करें।

योग करने के जादुई फायदे

योग करने के जादुई फायदे

योगा एक ऐसी वैज्ञानिक प्रमाणिक व्यायाम पद्धति है।जिसके लिए न तो ज्यादा साधनों की जरुरत होती हैं और न ही अधिक खर्च करना पड़ता है। इसलिए पिछले कुछ सालों से योगा की लोकप्रियता और इसके नियमित अभ्यास करने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि योगा करने के क्या लाभ है....
1. योगासन अमीर-गरीब, बूढ़े-जवान, सबल-निर्बल सभी स्त्री-पुरुष कर सकते हैं।
2. आसनों में जहां मांसपेशियों को तानने, सिकोडऩे और ऐंठने वाली क्रियाएं करनी पड़ती हैं, वहीं दूसरी ओर साथ-साथ तनाव-खिंचाव दूर करनेवाली क्रियाएं भी होती रहती हैं, जिससे शरीर की थकान मिट जाती है और आसनों से व्यय शक्ति वापस मिल जाती है। शरीर और मन को तरोताजा करने, उनकी खोई हुई शक्ति की पूर्ति कर देने और आध्यात्मिक लाभ की दृष्टि से भी योगासनों का अपना अलग महत्व है।
3. योगासनों से भीतरी ग्रंथियां अपना काम अच्छी तरह कर सकती हैं और युवावस्था बनाए रखने एवं वीर्य रक्षा में सहायक होती है।
4. योगासनों द्वारा पेट की भली-भांति सुचारु रूप से सफाई होती है और पाचन अंग पुष्ट होते हैं। पाचन-संस्थान में गड़बडिय़ां उत्पन्न नहीं होतीं।
5. योगासन मेरुदण्ड-रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाते हैं और व्यय हुई नाड़ी शक्ति की पूर्ति करते हैं।
6. योगासन पेशियों को शक्ति प्रदान करते हैं। इससे मोटापा घटता है और दुर्बल-पतला व्यक्ति तंदरुस्त होता है।
7. योगासन स्त्रियों की शरीर रचना के लिए विशेष अनुकूल हैं। वे उनमें सुन्दरता, सम्यक-विकास, सुघड़ता और गति, सौन्दर्य आदि के गुण उत्पन्न करते हैं।
8. योगासनों से बुद्धि की वृद्धि होती है और धारणा शक्ति को नई स्फूर्ति एवं ताजगी मिलती है। ऊपर उठने वाली प्रवृत्तियां जागृत होती हैं और आत्म-सुधार के प्रयत्न बढ़ जाते हैं।
9. योगासन स्त्रियों और पुरुषों को संयमी एवं आहार-विहार में मध्यम मार्ग का अनुकरण करने वाला बनाते हैं, मन और शरीर को स्थाई तथा सम्पूर्ण स्वास्थ्य, मिलता है।
10. योगासन श्वास- क्रिया का नियमन करते हैं, दिल और फेफड़ों को बल देते हैं, रक्त को शुद्ध करते हैं और मन में स्थिरता पैदा कर संकल्प शक्ति को बढ़ाते हैं।
11. योगासन शारीरिक स्वास्थ्य के लिए वरदान स्वरूप हैं क्योंकि इनमें शरीर के समस्त भागों पर प्रभाव पड़ता है, और वह अपने कार्य सुचारु रूप से करते हैं।
12. आसन रोग विकारों को नष्ट करते हैं, रोगों से रक्षा करते हैं, शरीर को निरोग, स्वस्थ और बलिष्ठ बनाए रखते हैं।
13. आसनों से नेत्रों की ज्योति बढ़ती है। आसनों का निरन्तर अभ्यास करने वाले को चश्में की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।
14. योगासन से शरीर के प्रत्येक अंग का व्यायाम होता है, जिससे शरीर पुष्ट, स्वस्थ एवं सुदृढ़ बनता है

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