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सोमवार, 27 जुलाई 2020

हिंदी के मुहावरे, बड़े ही बावरे है,

बड़े बावरे हिन्दी के मुहावरे
          
हिंदी के मुहावरे, बड़े ही बावरे है,
खाने पीने की चीजों से भरे है...
कहीं पर फल है तो कहीं आटा-दालें है,
कहीं पर मिठाई है, कहीं पर मसाले है ,
फलों की ही बात ले लो...
 
 
आम के आम और गुठलियों के भी दाम मिलते हैं,
कभी अंगूर खट्टे हैं,
कभी खरबूजे, खरबूजे को देख कर रंग बदलते हैं,
कहीं दाल में काला है,
तो कहीं किसी की दाल ही नहीं गलती,
 
 
कोई डेड़ चावल की खिचड़ी पकाता है,
तो कोई लोहे के चने चबाता है,
कोई घर बैठा रोटियां तोड़ता है,
कोई दाल भात में मूसरचंद बन जाता है,
मुफलिसी में जब आटा गीला होता है,
तो आटे दाल का भाव मालूम पड़ जाता है,
 
 
सफलता के लिए बेलने पड़ते है कई पापड़,
आटे में नमक तो जाता है चल,
पर गेंहू के साथ, घुन भी पिस जाता है,
अपना हाल तो बेहाल है, ये मुंह और मसूर की दाल है,
 
 
गुड़ खाते हैं और गुलगुले से परहेज करते हैं,
और कभी गुड़ का गोबर कर बैठते हैं,
कभी तिल का ताड़, कभी राई का पहाड़ बनता है,
कभी ऊँट के मुंह में जीरा है,
कभी कोई जले पर नमक छिड़कता है,
किसी के दांत दूध के हैं,
तो कई दूध के धुले हैं,
 
 
कोई जामुन के रंग सी चमड़ी पा के रोई है,
तो किसी की चमड़ी जैसे मैदे की लोई है,
किसी को छटी का दूध याद आ जाता है,
दूध का जला छाछ को भी फूंक फूंक पीता है,
और दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है,
 
 
शादी बूरे के लड्डू हैं, जिसने खाए वो भी पछताए,
और जिसने नहीं खाए, वो भी पछताते हैं,
पर शादी की बात सुन, मन में लड्डू फूटते है,
और शादी के बाद, दोनों हाथों में लड्डू आते हैं,
 
 
कोई जलेबी की तरह सीधा है, कोई टेढ़ी खीर है,
किसी के मुंह में घी शक्कर है, सबकी अपनी अपनी तकदीर है...
कभी कोई चाय-पानी करवाता है,
कोई मख्खन लगाता है
और जब छप्पर फाड़ कर कुछ मिलता है,
तो सभी के मुंह में पानी आता है,
 
भाई साहब अब कुछ भी हो,
घी तो खिचड़ी में ही जाता है,
जितने मुंह है, उतनी बातें हैं,
सब अपनी-अपनी बीन बजाते है,
पर नक्कारखाने में तूती की आवाज कौन सुनता है,
सभी बहरे है, बावरें है
ये सब हिंदी के मुहावरें हैं...
 
ये गज़ब मुहावरे नहीं बुजुर्गों के अनुभवों की खान हैं...
सच पूछो तो हिन्दी भाषा की जान हैं...

हिन्दू तो असली पाकिस्तान का है जो वहां रहकर भी अपने को हिन्दू बोलता है

*हिन्दू तो असली पाकिस्तान का है जो वहां रहकर भी अपने को हिन्दू बोलता है*

*अध्यापक : "सबसे अधिक हिन्दुओ वाला देश बताओ ?"*

*छात्र : "पाकिस्तान !"*

*अध्यापक  (चौंककर) : "तो सबसे कम हिन्दुओं वाला देश कौन सा है ?"*

*छात्र : "हिंदुस्तान !"*

*अध्यापक (घबराकर) : "कैसे ?"*

*छात्र : "सर यहाँ हिन्दू तो 'न' के बराबर ही समझिए, यहां तो सबसे ज्यादा 'सेक्यूलर' ही रहते हैं; और फिर जाट, गुर्जर, ठाकुर, ब्राह्मण, लाला, पटेल, कुर्मी, यादव, सोनार, लोहार, बढ़ई, प्रजापति, केवट, धुनिया, मल्लाह, कोरी, चमार, ढाढ़ी, पासी, पासवान...आदि... आदि रहते हैं !!"*

*"फिर हिंदू कहां रहते हैं ??"*

*"सर सोचिए !*

*यदि हिन्दू होते तो, क्या अयोध्या में हिंदुओं के कातिल को सत्ता देते ??*

*यदि हिन्दू होते तो, क्या रामसेतु को काल्पनिक बताने वाले को सत्ता देते ??*

*यदि हिन्दू होते तो, क्या भगवा आतंकी कहने वाले को सत्ता देते ??*

*यदि हिन्दू होते तो, क्या कश्मीर में हिंदुओं को मौत के घाट उतारने वाले को सत्ता देते ??*

*यदि हिन्दू होते तो, क्या दशहरा छोड़कर मोहर्रम मनाने वाले को सत्ता देते ??*

*यदि हिन्दू होते तो, क्या 'मन्दिर में जाने वाले लड़की छेड़ते हैं !' कहने वाले को सत्ता देते ??*

*यदि हिन्दू होते तो, क्या भगवान श्रीराम जी का प्रूफ मांगने वाले को सत्ता देते ??*

*यदि हिन्दू होते तो, क्या 8 राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक बनाने वाले को सत्ता देते ??*

*यदि हिन्दू होते तो, क्या 'इस देश के संसाधनों पे पहला हक़ मुसलमानों का है !' कहने वाले को सत्ता देते ??*

*यदि हिन्दू होते तो,क्या बुरहान, याकूब, ओसामा को शहीद कहने वाले को सत्ता देते ??*

*यदि हिन्दू होते तो, क्या देश के दो टुकड़े (भारत-पाकिस्तान) करने वाले को सत्ता देते ??"*

*अध्यापक आंखों में आंसू लिए : "वाह बेटे बहुत सही कहा !"*

 जय श्री राम 
*वन्दे मातरम् !* 🇮🇳

कविता नही यह सीधे सीधे,रामभक्तो को निमन्त्रण है!

*पाँच अगस्त बस पांच नही,*
*यह पंचामृत कहलायेगा!*
*एक रामायण फिरसे अब,*
*राम मंदिर का लिखा जाएगा!!*

*जितना समझ रहे हो उतना,*
*भूमिपूजन आसान न था!*
*इसके खातिर जाने कितने,*
*माताओं का दीप बुझा!!*

*गुम्बज पर चढ़कर कोठारी,*
*बन्धुओं ने गोली खाई थी!*
*नाम सैकड़ो गुमनाम हैं,*
*जिन्होंने जान गवाई थी!!*

*इसी पांच अगस्त के खातिर,*
*पांचसौ वर्षो तक संघर्ष किया!*
*कई पीढ़ियाँ खपि तो खपि,*
*आगे भी जीवन उत्सर्ग किया!!*

*राम हमारे ही लिए नही बस,*
*उतने ही राम तुम्हारे हैं!*
*जो राम न समझसके वो,*
*सचमुच किस्मत के मारे हैं!!*

*एक गुजारिस है सबसे बस,*
*दीपक एक जला देना!*
*पाँच अगस्त के भूमिपूजन में,*
*अपना प्रकाश पहुँचा देना!!*

*नही जरूरत आने की कुछ,*
*इतनी ही हाजरी काफी है!*
*राम नाम का दीप जला तो,*
*कुछ चूक भी हो तो माफी है!!*

*कविता नही यह सीधे सीधे,*
*रामभक्तो को  निमन्त्रण है!*
*असल सनातनी कहलाने का,*
*समझो कविता आमंत्रण है!!*

*जय श्रीराम, जय जय श्रीराम💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐*

अशोक सिंघल - कोटि कोटि नमन इस इस महामानव के अयोध्या संघर्ष को।

#अग्रकुल_के_महासूर्य - जिन्होंने अपने तप से खुद को श्री राम जी का सच्चा वंशज सिद्ध किया..
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ताजमहल बनाने में दो प्रकार के पत्थरों का उपयोग हुआ है। एक तो बहुमूल्य संगमरमर, जिसका उपयोग गुम्बद में हुआ। दूसरा एक साधारण पत्थर, जिसका उपयोग नींव में किया गया है, जिसकी ओर किसी का ध्यान नहीं होता। आज के लालची गुम्बद के पत्थर बनने के लिए मरे जा रहे , चाहे वो धर्मगुरु हो या म्लेच्छ ।अरे उनका नाम तक नहीं ले रहे जिन्होंने सत्याग्रह , आन्दोलन यहां तक कि लाठियां तक खाई ।

इस राममंदिर निर्माण में एक नींव का पत्थर हमेशा अपने जेहन में रखियेगा - अशोक सिंघल । आज सब लम्बरदार बने हुए हैं,लेकिन न आप को भूला हूँ ....न भूलने दूंगा... 

कमी खलेगी #अयोध्या_राममंदिर_आंदोलन का हनुमान जिसने आखरी सांस तक राम लला के लिए संघर्ष किया, मन्दिर तो बनेगा पर  इस ऐतिहासिक पल में #अशोक_सिंघल_जी  की कमी बहुत खलेगी। अयोध्या के संघर्ष का अग्रणी सेना पति जिसने राम लला के मन्दिर निर्माण के लिए अपने जीवन की आहुति मन्दिर की नींव में रखी। अशोक जी की कमी इस पल में भावुक कर देती है अशोक जी के संघर्ष पर हजार पोस्ट लिखूं तो भी कम है। बस यूं समझो ये हनुमान थे अयोध्या आंदोलन संघर्ष के। अशोक जी सिंघल के बिना अयोध्या के सारे अध्याय अधूरे, विश्व हिंदू परिषद ओर बाबूजी अयोध्या आंदोलन की रीढ़ थे आखरी सांस तक रामलला के मंदिर के लिए लड़ते रहे और भीषण संघर्ष की सफलता के कुछ वर्ष पूर्व ही राम जी ने अपने बजरंगी को अपने पास बुला लिया, अशोक जी शरीर से नही है पर उनकी आत्मा आज भी मन्दिर निर्माण के पत्थरों को साफ कर रही होगी सिलाओ को उठा उठाकर नीव के पास रख रही होगी, बिना मन्दिर निर्माण के अशोक सिंघल जी मर नही सकते वो आज भी डटे है मन्दिर निर्माण के पत्थरों की आवाज सुनलो, अशोक सिंघल जी आज भी हमारे साथ है।

आपके वो शब्द आज भी कानों में गूँजते हैं कि ; 2030 तक पूरा विश्व हिंदू ;हिंदी; हिन्दुस्तान का अनुसरण करेगा । ‘जो हिंदू हित की बात करेगा, वही देश पर राज करेगा।’, ‘अयोध्या तो बस झांकी है, काशी मथुरा बाकी है।’ 

कोटि कोटि नमन इस इस महामानव के अयोध्या संघर्ष को।

शनिवार, 25 जुलाई 2020

33 करोड नहीँ 33 कोटि देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मेँ।

33 करोड नहीँ 33 कोटि देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मेँ।
कोटि = प्रकार।
देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते है, कोटि का मतलब प्रकार होता है और एक अर्थ करोड़ भी होता। हिन्दू धर्म का दुष्प्रचार करने के लिए ये बात उडाई गयी की हिन्दुओ के 33 करोड़ देवी देवता हैं और अब तो मुर्ख हिन्दू खुद ही गाते फिरते हैं की हमारे 33 करोड़ देवी देवता हैं........
कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मेँ:
12 प्रकार हैँ आदित्य: ,धाता, मित,आर्यमा, शक्रा, वरुण, अँश, भाग, विवास्वान, पूष, सविता, तवास्था, और विष्णु...!
8 प्रकार हैँ वासु:, धर, ध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष।
11 प्रकार हैँ- रुद्र: ,हर, बहुरुप,त्रयँबक,अपराजिता, बृषाकापि, शँभू, कपार्दी, रेवात, मृगव्याध, शर्वा, और कपाली।
एवँ दो प्रकार हैँ अश्विनी और कुमार।
कुल: 12+8+11+2=33
अगर कभी भगवान् के आगे हाथ जोड़ा है तो इस जानकारी को अधिक से अधिक लोगो तक पहुचाएं।
अपनी भारत की संस्कृति को पहचाने
ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुचाये
यही है हमारी संस्कृति की पहेचान
( ०१ ) दो पक्ष-
कृष्ण पक्ष , शुक्ल पक्ष !
( ०२ ) तीन ऋण -
देव ऋण , पितृ ऋण , ऋषि ऋण !
( ०३ ) चार युग -
सतयुग , त्रेतायुग ,द्वापरयुग , कलियुग !
( ०४ ) चार धाम -
द्वारिका , बद्रीनाथ ,
जगन्नाथ पूरी , रामेश्वरम धाम !
( ०५ ) चारपीठ -
शारदा पीठ ( द्वारिका )
, ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम ) , गोवर्धन पीठ
( जगन्नाथपुरी ) , श्रन्गेरिपीठ !
( ०६ ) चार वेद-
ऋग्वेद , अथर्वेद , यजुर्वेद , सामवेद !
( ०७ ) चार आश्रम -
ब्रह्मचर्य , गृहस्थ , वानप्रस्थ , संन्यास !
( ०८ ) चार अंतःकरण -
मन , बुद्धि , चित्त , अहंकार !
( ०९ ) पञ्च गव्य -
गाय का घी , दूध , दही ,गोमूत्र , गोबर !
( १० ) पञ्च देव -
गणेश , विष्णु , शिव , देवी ,सूर्य !
( ११ ) पंच तत्त्व -
पृथ्वी , जल , अग्नि , वायु , आकाश !
( १२ ) छह दर्शन -
वैशेषिक , न्याय , सांख्य ,योग , पूर्व मिसांसा , दक्षिण मिसांसा !
( १३ ) सप्त ऋषि -
विश्वामित्र , जमदाग्नि ,भरद्वाज , गौतम , अत्री , वशिष्ठ और कश्यप !
( १४ ) सप्त पूरी -अयोध्यापूरी ,मथुरा पूरी , माया पूरी ( हरिद्वार ) , काशी ,
कांची ( शिन कांची - विष्णु कांची ) , अवंतिका और द्वारिका पूरी !
( १५ ) आठ योग -
यम , नियम , आसन ,प्राणायाम , प्रत्याहार , धारणा , ध्यान एवं समाधी !
( १६ ) आठ लक्ष्मी -
आग्घ , विद्या , सौभाग्य ,अमृत , काम , सत्य , भोग एवं योग लक्ष्मी !
( १७ ) नव दुर्गा --
शैल पुत्री , ब्रह्मचारिणी ,चंद्रघंटा , कुष्मांडा , स्कंदमाता , कात्यायिनी ,कालरात्रि , महागौरी एवं सिद्धिदात्री !
( १८ ) दस दिशाएं -
पूर्व , पश्चिम , उत्तर , दक्षिण , इशान , नेऋत्य , वायव्य , अग्नि , आकाश एवं पाताल !
( १९ ) मुख्य ११ अवतार -
मत्स्य , कच्छप , वराह ,नरसिंह , वामन , परशुराम ,श्री राम , कृष्ण , बलराम , बुद्ध , एवं कल्कि !
( २० ) बारह मास -
चेत्र , वैशाख , ज्येष्ठ , अषाढ , श्रावण , भाद्रपद , अश्विन , कार्तिक ,मार्गशीर्ष , पौष , माघ , फागुन !
( २१ ) बारह राशी -
मेष , वृषभ , मिथुन , कर्क , सिंह , कन्या , तुला , वृश्चिक , धनु , मकर , कुंभ , कन्या !
( २२ ) बारह ज्योतिर्लिंग -
सोमनाथ , मल्लिकार्जुन ,महाकाल , ओमकारेश्वर , बैजनाथ , रामेश्वरम ,विश्वनाथ , त्र्यंबकेश्वर , केदारनाथ , घुष्नेश्वर ,भीमाशंकर ,नागेश्वर !
( २३ ) पंद्रह तिथियाँ -
प्रतिपदा ,द्वितीय , तृतीय ,
चतुर्थी , पंचमी , षष्ठी , सप्तमी , अष्टमी , नवमी ,दशमी , एकादशी , द्वादशी , त्रयोदशी , चतुर्दशी , पूर्णिमा , अमावष्या !
( २४ ) स्मृतियां -
मनु , विष्णु , अत्री , हारीत ,
याज्ञवल्क्य , उशना , अंगीरा , यम , आपस्तम्ब , सर्वत ,कात्यायन , ब्रहस्पति , पराशर , व्यास , शांख्य ,
लिखित , दक्ष , शातातप , वशिष्ठ !
आओ सभी भारतीय भाई बहन मिलके नया स्वच्छ भारत बनाये
ॐ शाति ।।
जय हिन्दी ।। जय संस्कृत ।।
जय भारत ।। वंदे मातरम् ।।

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