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बुधवार, 16 जून 2021

बच्चे का मुण्डन संस्कार क्यों कराया जाता है ?

बच्चे का मुण्डन संस्कार क्यों कराया जाता है ?

मुण्डन संस्कार को चूड़ाकरण संस्कार या चौलकर्म भी कहते है जिसका अर्थ है—वह संस्कार जिसमें बालक को चूड़ा अर्थात् शिखा दी जाए ।

बच्चे का मुण्डन संस्कार कराने के पीछे हमारे ऋषि-मुनियों की बहुत गहरी सोच थी । माता के गर्भ से आए सिर के बाल अपवित्रमाने गये हैं । इनके मुण्डन का उद्देश्य बालक की अपवित्रता को दूर कर उसे अन्य संस्कारों (वेदारम्भ, यज्ञ आदि) के योग्य बनाना है क्योंकि मुण्डन करते हुए यह कहा जाता है कि इसका सिर पवित्र हो, यह दीर्घजीवी हो। अत: यह बालक के स्वास्थ्य व शरीर के लिए नया संस्कार है।
 
दूसरी बात गर्भ के बाल झड़ते रहते हैं जिससे शिशु के तेज की वृद्धि नहीं हो पाती है । इन केशों को मुंडवा कर शिखा रखी जाती है । कहीं-कहीं पर पहले मुण्डन में नहीं वरन् दूसरी बार के मुण्डन में शिखा छोड़ते हैं । शिखा से आयु और तेज की वृद्धि होती है । मुण्डन बालिकाओं का भी होता है, किन्तु उनकी शिखा नहीं छोड़ी जाती है ।

उत्तम, मध्यम व अधम श्रेणी का मुण्डन संस्कार
शास्त्रों में जन्मकालीन बालों का बच्चे के प्रथम, तीसरे या पांचवे वर्ष में या कुल की परम्परानुसार शुभ मुहुर्त में मुण्डन करने का विधान है । जन्म से तीसरे वर्ष में मुण्डन संस्कार उत्तम माना गया है । पांचवे या सातवें वर्ष में मध्यम और दसवें व ग्यारहवें वर्ष में मुण्डन संस्कार करना निम्न श्रेणी का माना जाता है ।

बच्चे का मुण्डन शुभ मुहुर्त में किसी देवी-देवता या कुल देवता के स्थान पर या पवित्र नदी के तट पर कराया जाता है । अपने गोत्र की परम्परानुसार मुण्डन करके बालों को नदी के तट पर या गोशाला में गाड़ दिया जाता है । कहीं-कहीं कुल देवता को ये बाल समर्पित कर फिर उन्हें विसर्जित किया जाता है मुण्डन करने के बाद बच्चे के सिर पर दही-मक्खन, मलाई या चंदन लगाया जाता है।

 कुछ लोग मुण्डन के बाद बालक को स्नान कराकर सिर पर सतिया (स्वास्तिक) बना देते हैं । मुण्डन में अपने परिवार की परम्परा और रीतियों के अनुसार ही पूजा-पाठ और दान-पुण्य व अन्य मांगलिक कार्य किए जाते हैं ।

यजुर्वेद (३।६३) में मुण्डन संस्कार पर एक श्लोक है जिससे स्पष्ट होता है कि मुण्डन संस्कार से बच्चे को कितने लाभ हैं—

‘नि वर्त्तयाम्यायुषेऽन्नाद्याय प्रजननाय रायस्पोषाय सुप्रजास्त्वाय सुवीर्याय ।।’
 
अर्थात्—हे बालक ! मैं तेरे दीर्घायु के लिए, उत्पादन शक्ति प्राप्त करने के लिए,ऐश्वर्य वृद्धि के लिए, सुन्दर संतान के लिए, बल और पराक्रम प्राप्त करने के योग्य होने के लिए तेरा मुण्डन-संस्कार करता हूँ।

आचार्य चरक ने मुण्डन संस्कार का महत्व बताते हुए कहा है कि इससे बालक की आयु, पुष्टि, पवित्रता और सौन्दर्य में वृद्धि होती है ।

मुण्डन संस्कार के अनेक मन्त्रों का भी यही भाव है कि—‘सूर्य, इन्द्र, पवन आदि सभी देव तुझे दीर्घायु, बल और तेज प्रदान करें ।’

—मुण्डन संस्कार बालक के आयु, सौन्दर्य, तेज और कल्याण की वृद्धि  के लिए किया जाता है । शुभ मुहूर्त में नाई से बच्चे का मुण्डन कराया जाता है और मर्मस्थान की सुरक्षा के लिए सिर के पिछले भाग में चोटी रखने का विधान है । बालक का मुण्डन कराने के बाद उसके सिर में मलाई या दही, मक्खन आदि की मालिश की जाती है जिससे मस्तिष्क के मज्जातन्तुओं को कोमलता, शीतलता और शक्ति प्राप्त होती है । आगे चलकर यही उसकी बुद्धि के विकास में सहायक होती है क्योंकि अच्छे स्वास्थ्य के लिए सिर ठण्डा होना चाहिए ।

—अधिकांशत: मुण्डन प्रथम या तीसरे वर्ष में किया जाता है ।  यह समय बच्चे के दांत निकलने का होता है । इसके कारण शरीर में कई तरह की परेशानियां होती हैं । बच्चे का शरीर निर्बल होकर उसके बाल झड़ने लगते हैं । हमारे शास्त्रकारो ने ऐसे समय में मुण्डन कराने का विधान बच्चे को अस्वस्थ होने से बचाने के लिए ही किया ।

—यह संस्कार त्वचा सम्बन्धी रोगों के लिए बहुत लाभकारी है। शिखा को छोड़कर शेष बालों को मूंड़ देने से शरीर का तापमान सामान्य हो जाता है और उस समय होने वाली फुंसी, दस्त आदि बीमारियों स्वयं कम हो जाती हैं । एक बार बाल मूंड़ देने के बाद बाल फिर झड़ते नहीं, वे बंध जाते हैं । इस प्रकार मुण्डन संस्कार का उद्देश्य बालक की स्वच्छता, पवित्रता, सौन्दर्य वृद्धि और पुष्टि है । मनुष्य की समस्त शारीरिक क्रियाओं का केन्द्र मस्तिष्क ही है । यदि मस्तिष्क स्वस्थ है तो मनुष्य सौ वर्ष तक दीर्घजीवी हो सकता है।

मंगलवार, 15 जून 2021

नई गाइड लाइन दिशा निर्देश:- कल से लागू। 16 जून 2021

नई गाइड लाइन दिशा निर्देश:- 

कल से लागू। 

राजस्थान सरकार गृह ( ग्रुप -7 ) विभाग कमांक प . 7 ( 1 ) गृह -7 / 2021 जयपुर , दिनांकः 15.06.2021 आदेश विषय : विभागीय समसंख्यक आदेश दिनांक 07.06.2021 त्रिस्तरीय जन - अनुशासन मॉडिफाइड लॉकडाउन दिशा - निर्देश 2.0 के क्रम में अतिरिक्त दिशा - निर्देश । 

विभागीय समसंख्यक आदेश दिनांक 07.06.2021 त्रिस्तरीय जन - अनुशासन मॉडिफाइड लॉकडाउन दिशा - निर्देश 2.0 की निरन्तरता में निम्नानुसार अतिरिक्त दिशा - निर्देश जारी किये जाते हैं : 

1. प्रदेश के ऐसे समस्त सरकारी / निजी कार्यालय जहां कार्मिकों की संख्या 10 से कम है , वहां 100 प्रतिशत कार्मिक एवं जिन कार्यालयों में कार्मिकों की संख्या 10 या 10 से अधिक है , उनमें 50 प्रतिशत कार्मिक अनुमत होंगे । 

सभी कार्मिकों द्वारा कोरोना प्रोटोकॉल ( विशेषकर 2 गज की दूरी ) की पालना सुनिश्चित करना अनिवार्य होगा । 

2. किसी भी प्रकार की खेल - कूद संबंधी गतिविधियों का आयोजन सम्बन्धित परिसर / स्टेडियम में कोच के निर्देशन में कोविड प्रोटोकॉल की पालना सुनिश्चित करते हुए सोमवार से शनिवार प्रातः 06:00 बजे से सायं 04:00 बजे तक अनुमत होगा । 

3. पूर्णतः वातानुकूलित शॉपिंग कॉम्पलेक्स / मॉल सोमवार से शनिवार प्रातः 06:00 बजे से सायं 04:00 बजे तक खोलने की अनुमति होगी । 
उनमें स्थित दुकानें अथवा व्यवसायिक प्रतिष्ठान , भवन की मंजिलों के अनुसार खुलेंगे । जैसे प्रथम दिन बेसमेंट एवं प्रथम फ्लोर की दुकानें तथा उसके अगले दिन ग्राउण्ड फ्लोर एवं द्वितीय फ्लोर पर स्थित दुकानें , एक छोडकर एक ( Alternate ) खोली जा सकेगी । जन अनुशासन कमेटी द्वारा इसकी मॉनिटरिंग की जायेगी । 

4. रेस्टोरेन्ट्स आदि संचालकों द्वारा बैठाकर खिलाने की सुविधा सोमवार से शनिवार प्रातः 09:00 बजे से सायं 04:00 बजे तक रेस्टोरेन्ट की बैठक व्यवस्था का 50 प्रतिशत के साथ , एक छोडकर एक ( Alternate ) रूप से अनुमत होगी । 

रेस्टोरेन्ट्स संचालकों द्वारा वायु का उचित संचार ( proper ventilation ) , कोविड प्रोटोकॉल जैसे मास्क पहनना , दो गज की दूरी बनाए रखना इत्यादि की सख्ती से पालना सुनिश्चित करना अनिवार्य होगा । उल्लंघन करने पर जिला प्रशासन द्वारा सम्बन्धित रेस्टोरेन्ट के विरूद्ध सीलिंग की कार्यवाही की जायेगी ।

रेस्टोरेन्ट्स द्वारा होम डिलीवरी की सुविधा रात्रि 10:00 बजे तक अनुमत होगी एवं Take away सुविधा सोमवार से शनिवार प्रातः 06:00 बजे से सायं 04:00 बजे तक अनुमत होगी । रेस्टोरेन्ट संचालकों द्वारा रेस्टारेन्ट्स की बैठक क्षमता DOIT के माध्यम से बनाए गये वेब पोर्टल पर E - intimation के माध्यम से दिनांक 21.06.2021 तक अपडेट करनी होगी ।

 5. होटल संचालकों द्वारा अपने इन हाऊस ( in - house ) गेस्ट को सर्विस देना अनुमत होगा । 

6. शहर में संचालित सीटी / मिनी बसों का संचालन प्रातः 05:00 बजे से सायं 05:00 बजे तक अनुमति होगा । किसी भी यात्री को खड़े होकर यात्रा करने की अनुमति नहीं होगी ( no standing ) |

 7. कोविड प्रोटोकॉल की पालना सुनिश्चित करते हुए मेट्रो रेल संचालन ( no standing ) की अनुमति होगी ।

 8. सिनेमा हॉल्स / थियेटर / मल्टीप्लेक्स को खोलने की अनुमति नहीं होगी । संचालकों द्वारा बैठक क्षमता DOIT द्वारा बनाए गये वेब पोर्टल पर E - intimation के माध्यम से दिनांक 21.06.2021 तक अपडेट करना अनिवार्य होगा । 

9. जिम एवं योगा सेन्टर को कोविड प्रोटोकॉल की पालना सुनिश्चित करते हुए सोमवार से शनिवार प्रातः 06:00 बजे से सायं 04:00 बजे तक खोलने की अनुमति होगी । संचालकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि जिम एवं योगा सेन्टर में वायु का उचित संचार ( proper ventilation ) हो , कोविड प्रोटोकॉल जैसे मास्क पहनना , दो गज की दूरी बनाए रखना इत्यादि की सख्ती से पालना की जाए । जिम एवं योगा सेन्टर संचालकों द्वारा जिम एवं योगा सेन्टर की क्षमता की सूचना DoIT द्वारा बनाए गये वेब पोर्टल पर E - intimation के माध्यम से दिनांक 21.06.2021 तक अपडेट करना अनिवार्य होगा । 

10. प्रदेश के समस्त पर्यटन स्थल , कला एवं संस्कृति से जुड़े स्मारकों को खोले जाने की अनुमति होगी । इस सम्बन्ध में पर्यटन विभाग एवं कला एवं संस्कृति विभाग द्वारा पृथक से दिशा - निर्देश जारी किये जायेंगे । 

11. शनिवार सायं 05:00 से सोमवार प्रातः 5:00 बजे तक जन अनुशासन वीकेंड कप y रहेगा । इसके अलावा प्रतिदिन सायं 05:00 बजे से अगले दिन प्रातः 5:00 बजे तक जन अनुशासन कप y रहेगा । पूर्व में खोले जाने हेतु अनुमत समस्त बाजार / व्यवसायिक प्रतिष्ठान जोकि सोमवार से शुक्रवार तक अनुमत थे उन बाजारों / व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को सोमवार से शनिवार तक खोले जाने की अनुमति होगी । 

12. यह आदेश दिनांक 16 जून , 2021 बुधवार से प्रभावी होगा ।

#जोधपुरसिटी #jodhpurcity #Jodhpursuncity

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🙏🏼 जय श्री राम🙏

निवेदक
कैलाश चंद्र लढा

लास्ट लेसन : कोरोना

लास्ट लेसन : कोरोना
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सभी को देख लिया,
सालों साल सुबह नियम से गार्डन जाने वालों को भी,

खेलकूद खेलने वालों को भी,

जिमिंग वालों को भी,

रोजाना योगा करने वालों को भी,

'अर्ली टू बेड अर्ली टू राइज' रूटीन वाले अनुशासितों को भी,

कोरोना ने किसी को नहीं छोड़ा !!

उन स्वास्थ्य सजग व्यवहारिकों को भी, जिन्होंने फटाफट दोनों वैक्सीन लगवा ली थीं!!

बचा वही है, जिसका एक्स्पोज़र नहीं हुआ या कहिए कि किसी कारणवश वायरस से सामना नहीं हुआ!
हालांकि उनका खतरा अभी बरकरार है !!

दूसरी बात,
ऐसे बहुत लोग मृत्यु को प्राप्त हुए जिन्हें कोई को-मॉरबिडिटीज (अतिरिक्त बीमारियां) नहीं थीं!

वहीं, ऐसे अनेक लोग बहुत बिगाड़ के बावज़ूद बच गए जिनका स्वास्थ्य कमज़ोर माना जाता था.. और जिन्हें अनेक बीमारियां भी थीं!!

कारण क्या है ??

ध्यान से सुनिए,

हेल्थ, सिर्फ़ शरीर का मामला नहीं है !!

आप चाहें, तो खूब प्रोटीन और विटामिन से शरीर भर लें,
खूब व्यायाम कर लें और शरीर में ऑक्सीजन भर लें,
योगासन करें और शरीर को आड़ा तिरछा मोड़ लें,

मगर, संपूर्ण स्वास्थ्य सिर्फ  डायट, एक्सरसाइज़ और ऑक्सीजन से संबंधित नहीं है ..

चित्त, बुद्धि और भावना का क्या कीजिएगा ???

उपनिषदों ने बहुत पहले कह दिया था कि हमारे पांच शरीर होते हैं!

अन्न, प्राण, मन, विज्ञान और आनंदमय शरीर  !!

इसे ऐसे समझिए,

कि जैसे किसी प्रश्न पत्र में 20-20 नंबर के पांच प्रश्न हैं और टोटल मार्क्स 100 हैं !
सिर्फ बाहरी शरीर(अन्नमय) पर ध्यान देना ऐसा ही है, कि आपने 20 मार्क्स का एक ही क्वेश्चन अटेंप्ट किया है !
जबकि,

प्राण-शरीर का प्रश्न भी 20 नंबर का है,

भाव-शरीर का प्रश्न भी 20 नंबर का है,

बुद्धि और दृष्टा भी उतने ही नंबर के प्रश्न हैँ  !

जिन्हें हम कभी अटेम्प्ट ही नहीं करते, लिहाजा स्वास्थ्य के एग्जाम में फेल हो जाते हैं !

वास्तविक स्वास्थ्य पांचों शरीरों का समेकित रूप है  !

पांचों क्वेश्चंस अटेम्प्ट करना ज़रूरी हैं!

हमारे शरीर में रोग दो तरह से होता है  -

कभी शरीर में होता है और चित्त तक जाता है!

और कभी चित्त में होता है तथा शरीर में परिलक्षित होता है !!
दोनो स्थितियों में चित्तदशा अंतिम निर्धारक है!

कोरोना में वे सभी विजेता सिद्ध हुए, जिनका शरीर चाहे कितना कमजोर रहा हो, मगर चित्त मजबूत था ,

वहीं वे सभी हारे रहे, जिन का चित्त कमजोर पड़ गया  !!
अस्पताल में अधिक मृत्यु होने के पीछे भी यही बुनियादी कारण है!!

अपनों के बीच होने से चित्त को मजबूती मिलती है , जो स्वास्थ्य का मुख्य आधार है!

जिस तरह, गलत खानपान से शरीर में टॉक्सिंस रिलीज होते हैं

उसी तरह, कमज़ोर भावनाओं और गलत विचारों से चित्त में भी टॉक्सिंस रिलीज होते हैं !!

कोशिका हमारे शरीर की सबसे छोटी इकाई है  .. और एक कोशिका (cell) को सिर्फ न्यूट्रिएंट्स और ऑक्सीजन ही नहीं चाहिए बल्कि अच्छे विचारों की कमांड भी चाहिए होती है !

कोशिका की अपनी एक क्वांटम फील्ड होती है जो हमारी भावना और विचार से प्रभावित होती है!

 हमारे भीतर उठा प्रत्येक भाव और विचार,, कोशिका में रजिस्टर हो जाता है..फिर यह मेमोरी, एक सेल से दूसरी सेल में ट्रांसफर होते जाती है !!

यह क्वांटम फील्ड ही हमारे स्वास्थ्य की अंतिम निर्धारक है !

जीवन मृत्यु का अंतिम फैसला भी कोशिका की इसी बुद्धिमत्ता से तय होता है !!
इसीलिए,

बाहरी शरीर का रखरखाव मात्र एकांगी उपाय है!

भावना और विचार का स्वस्थ होना, स्थूल शरीर( gross body )के स्वास्थ्य से कहीं अधिक अहमियत रखता है !

हमारे बहुत से स्वास्थ्य सजग मित्र, खूब कसरत के बावजूद भी मोटे और बीमार हैं !

अनुवांशिकी के अलावा इस मोटापे का एक बड़ा एक बड़ा कारण भय, असुरक्षा और संग्रहण की मनोवृति भी है !!

नब्बे फीसदी बीमारियां मनोदेहिक ( psychosomatic) होती हैं!

अगर चित्त में भय है, असुरक्षा है, भागमभाग है.. तो रनिंग और जिमिंग जैसे उपाय अधिक काम नहीं आने वाले,

क्योंकि वास्तविक इम्युनिटी, पांचों शरीरों से मिलकर विकसित होती है!

यह हमारी चेतना के पांचों कोशो का  सुव्यवस्थित तालमेल है !!

और यह इम्यूनिटी रातों-रात नहीं आती, यह सालों-साल के हमारे जीवन दर्शन से विकसित होती है !!

असुरक्षा, भय, अहंकार और महत्वाकांक्षा का ताना-बाना हमारे अवचेतन में बहुत जटिलता से गुंथा होता है!

अनुवांशिकी, चाइल्डहुड एक्सपिरिएंसेस , परिवेश, सामाजिक प्रभाव आदि से मिलकर अवचेतन का यह महाजाल निर्मित होता है !!

इसमें परिवर्तन आसान बात नहीं !!

इसे बदलने में छोटे-मोटे उपाय मसलन..योगा, मेडिटेशन, स्ट्रेस मैनेजमेंट आदि ना-काफी हैं!

मानसिकता परिवर्तन के लिए, हमारे जीवन-दर्शन (philosophy of life) में आमूल परिवर्तन लाजमी है !!
मगर यह परिवर्तन विरले ही कर पाते हैं !

 मैंने अपने अनुभव में अनेक ऐसे लोग देखे हैं जो terminal disease से पीड़ित थे, मृत्यु सर पर खड़ी थी किंतु किसी तरह बचकर लौट आए !

जब वे लौटे तो कहने लगे कि

"हमने मृत्यु को करीब से देख लिया, जीवन का कुछ भरोसा नहीं है, अब हम एकदम ही अलग तरह से जिएंगे !"

किंतु बाद में पाया कि साल भर बाद ही वे वापस पुराने ढर्रे पर जीने लग गए हैं !

 वही ईर्ष्या, राग द्वेष, अभिनिवेश फिर से लौट आए  !
आमूल परिवर्तन बहुत कम लोग कर पाते हैं!

हमारे एक मित्र थे जो खूब जिम जाते थे!  एक बार उन्हें पीलिया हुआ और बिगड़ गया !

एक महीने में उनका शरीर सिकुड़ गया और वह गहन डिप्रेशन में चले गए !

दस साल जिस शरीर को दिए थे, वह एक महीने में ढह गया !!

अंततः इसी डिप्रेशन से उनकी मृत्यु भी हो गई !

 अंतिम वक्त में उन्हें डिप्रेशन इस बात का अधिक था कि अति-अनुशासन के चलते वे जीवन में मजे नहीं कर पाए,

 सुस्वादु व्यंजन नहीं चखे,

मित्रों के साथ नाचे गाए नहीं, लंगोट भी पक्के रहे.. मगर इतनी तपस्या से बनाया शरीर एक महीने में ढह गया  !!

जब वे स्वस्थ थे तो मैं अक्सर उनसे मजाक में कहा करता था

"शरीर में ऑक्सीजन तो डाल दिए हो, चेतना में प्रेम डाले कि नहीं ??

"शरीर में प्रोटीन तो भर लिए हो, चित्त में आनंद भरे कि नहीं? "

 छाती तो विशाल कर लिए हो, हृदय विशाल किए कि नहीं ?"

क्योंकि अंत में यही बातें काम आती हैं...

जीवन को उसकी संपूर्णता में जी लेने में भी ,

परस्पर संबंधों में भी, और स्वास्थ्य की आखिरी जंग में भी जीवन-दर्शन निर्धारक होता है, जीवन चर्या नहीं !!

कोरोना काल से हम यह सबक सीख लें तो अभी देर नहीं हुई  है!

बाहरी शरीर के भीतर परिव्याप्त चेतना का महा-आकाश अब भी हमारी उड़ान के लिए प्रतीक्षारत है !

सावधानी हटी दुर्घटना घटी सावधान रहें सुरक्षित रहे

एक शराबी की जब सुबह नींद खुली तो अचानक ही उसे याद आया कि कल रात जब वो अपने मित्रों के साथ पेलेस रोड स्थित गणेश  मंदिर से दर्शन करके घर आया तब अपनी बाईक वही भूल आया । बाईक भी महँगी थी कुछ दिनों पहले ही खरीदी थी, याद आते ही वह तुरंत ऑटो लेकर अपने घर से 7 km  मंदिर गया वहाँ जाकर अपनी बाईक ढूंढने लगा जो कि उसे मंदिर के पास जहा खड़ी की थी वहीं मिली, अपनी बाईक सही सलामत पाकर वो बड़ा खुश हुआ और 5 किलो शुद्ध देशी घी के लड्डू , ऐक बड़ी फूल माला और अगरबत्ती का पैकेट लेकर भगवान गणेश के मंदिर में पहुचा । हाथ जोड़कर भगवान को धन्यवाद देकर खुशी खुशी मंदिर से बाहर आया ।


बाहर आते ही उसके होश उड़ गए क्योंकि उसकी बाईक जो कल रात से सही सलामत खड़ी थी अब चोरी हो चुकी थी ।
😊
😂 
😊

ठीक इसी तरह कुछ लोग जो इस मुगालते में है कि कोरोना से अभी तक हमे कुछ नही हुआ तो आगे भी कुछ नही होगा और कुछ लोग जो ये सोचते है कि हमने वैक्सीन के दोनों डोज़ लगवा लिये है और अब कोरोना हमारा कुछ नही बिगाड़ सकता उन लोगो से यही कहना चाहूंगा कि जो बाईक रात भर में चोरी ना हुई सुबह चंद लम्हो में चोरी हो गयी क्यो ? 
आगे आप समझदार है क्योंकि
*सावधानी हटी दुर्घटना घटी*
*सावधान रहें सुरक्षित रहे*
*अपना और अपनों का  ख्याल रखे*
*कोविड़ नियमो का पालन करे* ।। धन्यवाद ।।,

टाइटैनिक फ़िल्म के अंत में रोज़ हीरे के हार को समुद्र में क्यों फेंक देती है?

 

टाइटैनिक फ़िल्म के अंत में रोज़ हीरे के हार को समुद्र में क्यों फेंक देती है?

क्योंकि समुद्र में डूबे टाइटैनिक की खोज करनेवाली बोट पर जाने का उसका मकसद यही था.

यदि आप इसपर विचार करें तो- बहुत अधिक वृद्ध और कमज़ोर होने के बाद भी रोज़ ने बीच समुद्र में स्थित बोट तक जाने के लिए यात्रा करने का कष्ट क्यों उठाया? क्या उसने ऐसा केवल अपनी लंबी दुखद कहानी सुनाने के लिए किया, जिसे वह फोन पर भी या टाइटैनिक के अन्वेषकों को उनके तट पर लौटने के बाद भी सुना सकती थी?

रोज़ केल्दाइश नामक उस बोट पर इसलिए जाना चाहती थी क्योंकि वह टाइटैनिक की समाधिस्थल के ठीक ऊपर थी. उसने अन्वेषकों को अपनी कहानी इसलिए सुनाई क्योंकि वह उसके जीवन का सार और गहरा रहस्य था, जिसे सुना जाना ज़रूरी था. वह जैक के त्याग और अपने जीवन में उसके स्थान के बारे में अंततः सबको बताकर उसे वह सम्मान दिलाना चाहती थी जिसका वह हकदार था.

रोज़ ने अन्वेषकों को अपनी दुखांत कहानी का छोटे-से-छोटा किस्सा भी तफ़सील से सुनाया, और उस स्थान पर सुनाया जो इस काम के लिए सर्वथा उपयुक्त था. यह वह जगह थी जहां जैक ने रोज़ के लिए अपने जीवन को दांव पर लगा दिया था.

फिर रोज़ ने वह काम किया जिसे करने के लिए वह वहां गई थी. उसने वह हीरे का हार समुद्र को वापस सौंप दिया. ऐसा करने के पीछे कुछ खास वजह थी.

पहली यह कि फ़िल्म दर्शकों को यह बताना चाहती थी कि हीरे का वह हार उस समय तक रोज़ के पास ही था. वह चाहती तो उसे बेचकर अमेरिका में अपनी नई ज़िंदगी की शानदार शुरुआत कर सकती थी, क्योंकि हादसे से बचने के बाद उसके पास कुछ भी नहीं था. वह हादसे से पहले के जीवन का अपना नाम उपयोग में नहीं लाना चाहती था, क्योंकि तब उसका मंगेतर उसे खोज लेता और उसे विवाह करने पर मजबूर कर देता. हीरे का वह हार उसके पास अंत समय तक होने से यह बात साबित होती थी कि उसने अमेरिका में अपने जीवन की शुरुआत शून्य से की, और उसके किरदार को स्थापित करने के लिए यह बात बहुत महत्वपूर्ण है. हीरे के हार को अंत में समुद्र में अर्पित कर देना उसके लिए बहुत ज़रूरी बन गया था. यह हमें बताता है कि रोज़ बहुत मजबूत व्यक्तित्व के रूप में विकसित हुई थी.

दूसरी बात यह है कि इस बात से हमें इसका पता चलता है कि रोज़ जैक से ताउम्र प्रेम करती रही, हालांकि उसने हादसे के बाद किसी से विवाह भी कर लिया था. लेकिन अपने हृदय के एक कोने में उसने जैक को हमेशा संजो कर रखा. वह उसे और उसके त्याग को कभी नहीं भूली.

अंत में, हीरे के हार को समुद्र में छोड़ते समय वह जैक को मुक्त कर देती है. हार को पानी में छोड़ते हुए वह यह सुनिश्चित कर देती है कि कोई और इसे कभी न प्राप्त कर सके. वह जैक के स्मृतिचिह्न को उसे वापस कर देती है. यही कारण है कि वह टाइटैनिक की समाधिस्थल पर तैर रही नौका तक गईः ताकि कोई दूसरी स्त्री कभी भी उस हार को नहीं पहन सके या रोज़ की मृत्यु होने के बाद उसे बेचकर रूपयों में बदल सके. हीरे के उस हार का नाम था "the Heart of the Ocean". और रोमानी भाव में कहें तो रोज़ का हृदय ही वह हार था. और इस हृदय पर केवल जैक का ही अधिकार था.

"स्त्री का हृदय रहस्यों का गहरा सागर है - A woman's heart is a deep ocean of secrets."

उस हार को तिलांजलि देकर रोज़ अपने जीवन के हर रहस्य को उस स्थान पर मुक्त कर देती है जहां उनका जन्म हुआ था.

ट्रैफिक पुलिस गाड़ी की चाभी निकाल ले तो क्या करना चाहिए?

ट्रैफिक पुलिस गाड़ी की चाभी निकाल ले तो क्या करना चाहिए?

सांकेतिक फ़ोटो गूगल से प्राप्त।।

पुलिस द्वारा वाहन से चाबी निकालना गैरकानूनी है। अगर कोई पुलिसकर्मी ऐसा करता है तो वह पुलिस विभाग और मोटर वाहन एक्ट द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर रहा है।

किसी भी पुलिसकर्मी को आपके वाहन की चाबी निकालने का अधिकार नहीं है। पुलिस विभाग में दायर सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत मिली जानकारी के अनुसार कोई भी पुलिसकर्मी चाहे वह किसी भी रैंक का हो, किसी भी दोपहिया, तिपहिया या चारपहिया वाहन की चाबी नहीं निकल सकता है।

नए मोटर वाहन एक्ट 2019 में ये निर्देश दिया गया है कि सिर्फ सहायक सब-इंस्पेक्टर (एएसआई) या उससे ऊपर के रैंक के ट्रैफिक पुलिस अधिकारी ही ट्रैफिक उल्लंघन के लिए चालान या नोटिस देने के लिए अधिकृत हैं। एएसआई (वन-स्टार), सब-इंस्पेक्टर (टू-स्टार) और इंस्पेक्टर (थ्री-स्टार) रैंक के अधिकारी केवल स्पॉट जुर्माना जमा करने के लिए अधिकृत हैं।

अगर ट्रैफिक पुलिस वाले चेकिंग के नाम पर आपसे बदसलूकी करते हैं या गाली गाली-गलौज या मारपीट करते हैं तो आप इसके खिलाफ नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत कर सकते हैं या 100 नंबर पर डायल कर पुलिस हेल्पलाइन में इसकी शिकायत कर सकते हैं।

यदि इसपर भी कार्रवाई नहीं हो तो मामले को हाईकोर्ट में ले जा सकते हैं। पुलिस वाले के खिलाफ नागरिक और मानवाधिकार हनन का केस डालिये। इससे उक्त पुलिसकर्मी ससपेंड हो सकता है और उसे बचने वाले पुलिस अधिकारीयों पर भी कार्रवाई हो सकती है।

हमेशा ध्यान रखें की मोटर वाहन एक्ट पुलिसकर्मी को गुंडा गर्दी करने का अधिकार नहीं देता। वो सिर्फ चलन काट सकते हैं और गाड़ी जब्त कर सकते हैं। पुलिसकर्मी सिर्फ हाथ से इशारा कर गाड़ी रुकवा सकते हैं। अगर कोई वाहन नहीं रोकता है तो उसके खिलाफ उचित कार्रवाई करने का अधिकार है। पुलिसकर्मी को प्रदूषण स्तर का सर्टिफिकेट चेक करने का अधिकार है।

अपना बुढापा खुशहाल बनाने के लिए बुजुर्गों को अकेलापन महसूस न होने दीजिये



बुढ़ापे को भी प्यार चाहिए

मोहन बेटा ! मैं तुम्हारे काका के घर जा रहा हूँ . क्यों पिताजी ? और आप आजकल काका के घर बहुत जा रहे हो ...? तुम्हारा मन मान रहा हो तो चले जाओ ... पिताजी  !  लो ये पैसे रख लो , काम आएंगे ।

पिताजी का मन भर आया . उन्हें आज अपने बेटे को दिए गए संस्कार लौटते नजर आ रहे थे ।

जब मोहन स्कूल जाता था ... वह पिताजी से जेब खर्च लेने में हमेशा हिचकता था , क्यों कि घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी . पिताजी मजदूरी करके बड़ी मुश्किल से घर चला पाते थे ... पर माँ फिर भी उसकी जेब में कुछ सिक्के डाल देती थी ... जबकि वह बार-बार मना करता था ।

मोहन की पत्नी का स्वभाव भी उसके पिताजी की तरफ कुछ खास अच्छा नहीं था . वह रोज पिताजी की आदतों के बारे में कहासुनी करती थी ... उसे ये बडों से टोका टाकी पसन्द नही थी ... बच्चे भी दादा के कमरे में नहीं जाते , मोहन को भी देर से आने के कारण बात करने का समय नहीं मिलता ।

एक दिन पिताजी का पीछा किया ... आखिर पिताजी को काका के घर जाने की इतनी जल्दी क्यों रहती है ? वह यह देख कर हैरान रह गया कि पिताजी तो काका के घर जाते ही नहीं हैं ! !!

वह तो स्टेशन पर एकान्त में शून्य मनस्क एक पेड़ के सहारे घंटों बैठे रहते थे . तभी पास खड़े एक बजुर्ग , जो यह सब देख रहे थे , उन्होंने कहा ... बेटा...! क्या देख रहे हो ?

जी....! वो 
अच्छा , तुम उस बूढ़े आदमी को देख रहे हो....? वो यहाँ अक्सर आते हैं और घंटों पेड़ तले बैठ कर सांझ ढले अपने घर लौट जाते हैं . किसी अच्छे सभ्रांत घर के लगते हैं ।

बेटा ...! ऐसे एक नहीं अनेकों बुजुर्ग माएँ बुजुर्ग पिता तुम्हें यहाँ आसपास मिल जाएंगे !

जी , मगर क्यों ?

बेटा ...! जब घर में बड़े बुजुर्गों को प्यार नहीं मिलता.... उन्हें बहुत अकेलापन महसूस होता है , तो वे यहाँ वहाँ बैठ कर अपना समय काटा करते हैं !

वैसे क्या तुम्हें पता है.... बुढ़ापे में इन्सान का मन बिल्कुल बच्चे जैसा हो जाता है . उस समय उन्हें अधिक प्यार और सम्मान की जरूरत पड़ती है , पर परिवार के सदस्य इस बात को समझ नहीं पाते ।

वो यही समझते हैं इन्होंने अपनी जिंदगी जी ली है फिर उन्हें अकेला छोड देते हैं , कहीं साथ ले जाने से कतराते हैं ।
बात करना तो दूर अक्सर उनकी राय भी उन्हें कड़वी लगती है . जब कि वही बुजुर्ग अपने बच्चों को अपने अनुभवों से आने वाले संकटों और परेशानियों से बचाने के लिए सटीक सलाह देते है ।

घर लौट कर मोहन ने किसी से कुछ नहीं कहा . जब पिताजी लौटे , मोहन घर के सभी सदस्यों को देखता रहा ।

किसी को भी पिताजी  की चिन्ता नहीं थी . पिताजी से कोई बात नहीं करता , कोई हंसता खेलता नहीं था . जैसे पिताजी का घर में कोई अस्तित्व ही न हो ! ऐसे परिवार में पत्नी बच्चे सभी पिताजी  को इग्नोर करते हुए दिखे !

सबको राह दिखाने के लिऐ आखिर  मोहन ने भी अपनी पत्नी और बच्चों से बोलना बन्द कर दिया ... वो काम पर जाता और वापस आता किसी से कोई बातचीत नही ...! बच्चे पत्नी बोलने की कोशिश भी करते , तो वह भी इग्नोर कर काम मे डूबे रहने का नाटक करता ! !! तीन दिन मे सभी परेशान हो उठे... पत्नी , बच्चे इस उदासी का कारण जानना चाहते थे ।

मोहन ने अपने परिवार को अपने पास बिठाया . उन्हें प्यार से समझाया कि मैंने तुम से चार दिन बात नहीं की तो तुम कितने परेशान हो गए ? अब सोचो तुम पिताजी के साथ ऐसा व्यवहार करके उन्हें कितना दुख दे रहे हो ?

मेरे पिताजी मुझे जान से प्यारे हैं . जैसे तुम्हारी माँ ! और फिर पिताजी के अकेले स्टेशन जाकर घंटों बैठकर रोने की बात छुपा गया . सभी को अपने बुरे व्यवहार का खेद था ।

उस दिन जैसे ही पिताजी शाम को घर लौटे , तीनों बच्चे उनसे चिपट गए ...! दादा जी ! आज हम आपके पास बैठेंगे...! कोई किस्सा कहानी सुनाओ ना ।

पिताजी की आँखें भीग आई . वो बच्चों को लिपटकर उन्हें प्यार करने लगे . और फिर जो किस्से कहानियों का दौर शुरू हुआ वो घंटों चला . इस बीच मोहन की पत्नी उनके लिए फल तो कभी चाय नमकीन लेकर आती . पिताजी बच्चों और मोहन के साथ स्वयं भी खाते और बच्चों को भी खिलाते , अब घर का माहौल पूरी तरह बदल गया था ।

एक दिन मोहन बोला ,  पिताजी...! क्या बात है ! आजकल काका के घर नहीं जा रहे हो ...? नहीं बेटा ! अब तो अपना घर ही स्वर्ग लगता है ...! !!

आज सभी में तो नहीं लेकिन अधिकांश परिवारों के बुजुर्गों की यही कहानी है . बहुधा आस पास के बगीचों में , बस अड्डे पर , नजदीकी रेल्वे स्टेशन पर परिवार से तिरस्कृत भरे पूरे परिवार में एकाकी जीवन बिताते हुए ऐसे कई बुजुर्ग देखने को मिल जाएंगे ।

आप भी कभी न कभी अवश्य बूढ़े होंगे , आज नहीं तो कुछ वर्षों बाद होंगे । जीवन का सबसे बड़ा संकट है बुढ़ापा ! घर के बुजुर्ग ऐसे बूढ़े वृक्ष हैं , जो बेशक फल न देते हों पर छाँव तो देते ही हैं !

अपना बुढापा खुशहाल बनाने के लिए बुजुर्गों को अकेलापन महसूस न होने दीजिये , उनका सम्मान भले ही न कर पाएँ , पर उन्हें तिरस्कृत मत कीजिये , उनका खयाल रखिये।

सदैव प्रसन्न रहिये।
जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।

सोमवार, 14 जून 2021

वो प्राप्त आय जिसपर आयकर नही लगता है तथा टेक्स से छूट प्राप्त होती है

आयकर कानून :
वो प्राप्त आय जिसपर आयकर नही लगता है तथा टेक्स से छूट प्राप्त होती है

आयकर यह शब्द एक ऐसा शब्द है, जिसे जो सुनता है वही चौकन्ना हो जाता है। वह इसलिए कि कहीं वे आयकर विभाग के चक्कर में न फंस जाएं। तो चिंता छोड़ दीजिए क्योंकि हम आपको बताने वाले हैं ऐसी जानकारी, जिससे आप इनकम टैक्स को लेकर भ्रम में नहीं पड़ेंगे और आपको आयकर विभाग के चक्कर भी नहीं लगाने पड़ेंगे। तो सबसे पहले जान लीजिए कि आयकर के दायरे में कौन - कौन और क्या - क्या चीजें आती हैं?

देश का प्रत्येक वह व्यक्ति जिसकी वार्षिक आय 2.50 लाख रुपये से ज्यादा है तो वह इनकम टैक्स के दायरे में आता है।

 हालांकि, यह आय के स्रोत के प्रकार पर निर्भर करता है कि वह दायरे में आती है या नहीं।

दरअसल, आय के कुछ स्रोत ऐसे भी होते हैं जिनसे होने वाले कमाई कर योग्य आय के दायरे में नहीं आते हैं। हालांकि, इन छूट के साथ कई शर्तें भी लागू होती हैं। आज इन शर्तों के साथ टैक्स फ्री इनकम यानी कर मुक्त आय के बारे में भी बताएंगे। जैसे- कृषि, तोहफे, ग्रेच्युटी राशि, ईपीएफ और सेवानिवृत्ति के दौरान मिलने वाली राशि इत्यादि।

कृषि से आय
देश में कृषि से प्राप्त होने वाली आय पूरी तरह कर मुक्त होती है। किसानों को खेती से होने वाली आय पर किसी प्रकार को कोई प्रत्यक्ष कर नहीं चुकाना पड़ता।

लाभांश
कंपनी एक्ट के अधीन लाभांश के बंटवारे की राशि कर मुक्त होती है। वह इसलिए क्योंकि कंपनी पहले ही आय पर टैक्स जमा कर चुकी होती है।

अगर आप किसी कंपनी में साझेदार हैं तो लाभांश के हिस्से के तौर पर मिली राशि कर मुक्त होती है।

हालांकि, ध्यान देने योग्य बात यह है कि कंपनी से मिलने वाली वेतन राशि पर कर में छूट नहीं मिलती है।

ईपीएफ
ईपीएफ के मामले में भी अगर व्यक्ति लगातार पांच साल की नौकरी के बाद अगर ईपीएफ की राशि निकालता है तो वह कर मुक्त रहती है।

पीपीएफ
वहीं, अगर पीपीएफ राशि और पब्लिक प्रोविडेंट फंड यानी पीपीएफ में निवेश की गई रकम, उस पर मिलने वाला ब्याज एवं मैच्योरिटी पीरियड पूरा होने पर मिलने वाली राशि तीनों कर मुक्त होती हैं।

ग्रेच्युटी की राशि
कोई व्यक्ति किसी संस्थान में लगातार पांच साल काम करने के बाद उसे ग्रेच्युटी राशि मिलती है। यह राशि कर मुक्त आय में आती है।

सरकारी कर्मचारियों के लिए 20 लाख रुपये तक की ग्रैच्युटी कर मुक्त आय में शामिल होती है।

वहीं, निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को महज 10 लाख रुपये तक की ग्रैच्युटी राशि कर मुक्त आय में शामिल होती है।

स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति राशि
वहीं, सरकारी कर्मचारियों को समय पूर्व सेवानिवृत्ति लेने पर मिलने वाली राशि में पांच लाख रुपये तक की राशि कर मुक्त होती है।

शैक्षणिक छात्रवृत्ति
सरकार या किसी निजी संगठन से स्टडी या रिसर्च के लिए मिलने वाली स्कॉलरशिप कर मुक्त होती है। हर तरह की स्कॉलरशिप टैक्स के दायरे से बाहर होती है।

पारिवारिक रकम
भारत में आयकर कानून के सेक्शन-10 (2) के तहत अविभाजित हिंदू परिवार से विरासत के रूप में मिली राशि भी कर मुक्त होती है।

इनमें मां-बाप से मिला पैसा, जेवर और प्रॉपर्टी आदि।

पारिवारिक विरासत में मिली संपत्ति, गहने या नकद राशि टैक्स के दायरे से बाहर है।
वसीयत के माध्यम से मिलने वाली जायदाद या राशि पर भी इनकम टैक्स नहीं लगता है।

हालांकि, करदाता को साबित करना होगा कि संबंधित रकम या संपत्ति उसे खानदानी विरासत में मिली है।

वहीं, वसीयत में मिली राशि को निवेश कर की गई कमाई, संपत्ति से कमाई पर टैक्स देना होगा।

तोहफे
आपको जो तोहफे प्राप्त होते हैं वे इनकम टैक्स के दायरे में आते हैं।

इनकम टैक्स लॉ, 1961 के सेक्शन-56 (2)(x) के तहत आयकर दाता को मिले तोहफों पर टैक्स लगता है।

लेकिन कुछ परिस्थितियों में तोहफों पर भी छूट मिलती है।
जैसे ... शादी के वक्त मिले तोहफो पर टैक्स नहीं देना पड़ता।

लेकिन ये तोहफे चल-अचल किसी भी स्वरूप में 50 हजार रुपये की कीमत से ज्यादा के न हो।

तोहफे और शादी की तारीख में जयादा दिन का अंतर न हों।

इनसे मिले बेशकीमती तोहफे भी कर मुक्त हैं ...

इनमें पति या पत्नी, भाई या बहन, पति या पत्नी के भाई या बहन से मिले तोहफे।
माता-पिता के भाई या बहन, विरासत या वसीयत में मिली संपत्ति।

पति या पत्नी के किसी नजदीकी पूर्वज या वंशज से मिला हुआ तोहफा।

संयुक्त हिंदू परिवार में किसी भी सदस्य की ओर से दिए गए तोहफे।

संस्थाओं से मिले तोहफों पर भी छूट
किसी व्यक्ति स्थानीय प्राधिकरण जैसे ग्राम पंचायत, नगर पालिका, नगरीय निकाय समितियों और जिला बोर्ड या कैंटोनमेंट बोर्ड से मिले तोहफे।

सेक्शन-10 (23C) में निर्दिष्ट किसी फंड / संस्था / विश्वविद्यालय या अन्य शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल या अन्य किसी संस्थान से मिले तोहफे।

सेक्शन-12ए या 12एए के तहत पंजीकृत किसी चैरिटेबल ट्रस्ट या धार्मिक संस्था से मिले तोहफे भी कर मुक्त श्रेणी में आते हैं।

एनआरई सेविंग/एफडी अकाउंट का ब्याज
भारत में एनआरआई को एनआरई (नॉन रेजिडेंट एक्सटर्नल) खाते पर मिलने वाला ब्याज टैक्स फ्री है। एनआरई बचत खाता और एनआरई एफडी दोनों तरह के खातों पर मिलने वाला ब्याज भी कर मुक्त है।

मृतक के व्यक्तिगत पहचान पत्रों का क्या है वैधानिक आधार

एक मृतक के व्यक्तिगत पहचान पत्रों का क्या है वैधानिक आधार,
क्या ये हो जाते बेकार या काम के है हर बार

वोटर आईडी, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, पासपोर्ट इन सभी डॉक्यूमेंट्स की जरूरत हमें लगती है. लेकिन आपने कभी सोंचा है कि मृत्यु के बाद इन दस्तावेजों का क्या होता है. मृतक के कानूनी उत्तराधिकारी इनको अपने पास रख सकते हैं या इनको कहीं वापस करना होता है. आइए विस्तार से जानते हैं इसके बारे में.

*आधार कार्ड*
आधार कार्ड आज के समय में व्यक्ति की पहचान, पते के प्रमाण के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. जिससे जरिए बैंक अकाउंट, सरकारी योजनाओं का लाभ आदि के लिए आधार संख्या देनी होती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आधार व्यक्ति की पहचान का दस्तावेज है. मृत व्यक्ति के आधार कार्ड को कैंसिल करने की UIDAI के पास कोई प्रक्रिया नहीं है. हालांकि कानूनी उत्तराधिकारियों या परिवार के सदस्यों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि आधार का गलल इस्तेमाल न हो.

*मतदाता पहचान पत्र*
मतदाता पहचान पत्र भी एक अहम दस्तावेज है. हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रजिस्ट्रेशन नियम, 1960 के तहत मतदाता पहचान पत्र को व्यक्ति की मृत्यु के बाद कैंसिल कराया जा सकता है. इसके लिए 'मृत व्यक्ति के कानूनी उत्तराधिकारी को स्थानीय चुनाव कार्यालय में जाना होगा. जहां एक विशेष फॉर्म, यानी फॉर्म नंबर 7 को भरना होगा और इसे रद करने के लिए मृत्यु प्रमाण पत्र के साथ जमा करना होगा.

*ड्राइविंग लाइसेंस*
मृतक के ड्राइविंग लाइसेंस को सरेंडर करने या रद्द करने का कोई प्रावधान नहीं है. हालांकि, प्रत्येक राज्य ड्राइवर के लाइसेंस के मुद्दे, निलंबन और रद्दीकरण को अलग से नियंत्रित करता है, इसलिए इस संबंध में राज्य-विशिष्ट नियमों की पुष्टि करना उचित है. इसे रद्द करने के लिए संबंधित आरटीओ कार्यालय जा सकते हैं. इसके अलावा, वारिस भी मृतक के नाम पर पंजीकृत वाहन को उसके नाम पर स्थानांतरित करने की राज्य-विशिष्ट प्रक्रिया की पुष्टि कर सकते हैं.

*पासपोर्ट*
पासपोर्ट के संबंध में, मृत्यु पर सरेंडर या रद्द करने का कोई प्रावधान नहीं है. अपेक्षित अधिकारियों को सूचित करने की कोई प्रक्रिया भी नहीं है. हालांकि, एक बार पासपोर्ट समाप्त हो जाने के बाद, यह डिफ़ॉल्ट रूप से अमान्य हो जाता है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, यदि कोई आधिकारिक दस्तावेज संबंधित संस्थानों को सरेंडर नहीं किया जाता है तो कानून के तहत कोई जुर्माना नहीं है. हालांकि संबंधित अधिकारियों को सूचित करना चाहिए ताकि आधिकारिक दस्तावेजों का बदमाशों द्वारा दुरुपयोग नहीं किया जा सके. काफी घोटालेबाज भी इन दिनों ऑनलाइन चक्कर लगा रहे हैं और संकट के समय भोले-भाले लोगों का शिकार कर रहे हैं.


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